7 years ago#1
बीबी के कारनामे (wife's masti )
दोस्तों अभी तक मैंने जो दो कहानिया इस साईट में डाली है वो दोनों की incest कहानिया थी ....ये कहानी कुछ अलग है ये पति पत्नी के संबंधो पर है ,की कैसे एक पत्नी अपने पति को धोखा देती है और कैसे उसका पति उसे बस देखता ही रह जाता है.........आशा है की आपको ये कहानी पसंद आयेगी ,,,,,,,
update को लेकर मैं कहूँगा की मैं सप्ताह में दो update ही दूंगा ,जादा भी आ सकते है ये समय ही बताएगा ,पर कहानी पूरी जरुर करूँगा ....तो इंतजार कीजियेगा धन्यवाद
7 years ago#2
अध्याय १
जिन्दगी में आप कितनी भी चाहत कर ले मिलता वो है जो मिलना है.लेकिन जीवन का हिसाब ये है की जो मिले उसका मजा लो,जिसने ये सिख लिया उसकी जिन्दगी जन्नत हो जाती है वरना यहाँ दुखो का अम्बर ही है.मैं विकास मैंने भी इछाये की पर शायद मुझे वो कभी नहीं मिला जो मैं चाहता था..पर मुझे जो मिला उसका सुख उससे कही जादा है जो मैं चाहता था...मैं एक साधारण सा व्यक्ति हु जिसके साधारण से सपने थे लेकिन मुझे बहुत मिला जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था..मैं एक इंजिनियर बन कर नाम कमाना चाहता था पर पढाई के बाद जॉब न मिलने के कारण मैं सिविल सर्विस की तयारी करने लगा शुरवाती मुस्किलो और तकलीफों के बाद सफलता भी मिली..आज मैं एक वन अधिकारी हु..दुतीय वर्ग की जॉब है..और उपरी कमाई बहुत जादा.
नौकरी लगने के बाद से ही घर वाले शादी के लिए पीछे पड़ गए.उन्होंने एक लड़की भी पसंद कर ली थी..एक बहुत ही अच्छा परिवार था समाज में इज्जत थी,और लड़की पड़ी लिखी थी पता चला की लड़की का कॉलेज मुंबई से हुआ है और अभी अभी कॉलेज ख़तम कर गाव आई है.मुझे एक सीधी साधी घरेलु किस्म की बीवी चाहिए थी न की बहुत मोर्डेन..लेकिन घर वालो ने कहा की वो मुंबई में पढ़ी जरूर है लेकिन बहुत ही सीधी और अच्छी है..यु तो मुझे लगा की उनकी बात झूटी है क्योकि बड़े शहर की लड़की कितनी घरेलु होगी लेकिन घर वालो को मन तो नहीं कर सकता था,मैं भी एक सीधा साधा इंसान हु.भारी मन से ही सही मैं लड़की को देखने पहुच ही गया...
आपको एक अधिकारी होने की अहमियत तब समझ आती है जब लोग आपको इतना सम्मान देते है..मुझे ऐसा सम्मान मिल रहा था की मैं बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति हु.वो लोग बहुत ही संपन थे बड़ा बंगला था नौकर चाकर बहुत सी खेती..घर के सभी लोग बहुत पढ़े लिखे तथा जहीन किस्म के लग रहे थे.लड़की ३ भाइयो की एकलौती छोटी बहन थी सभी भाई शादी शुदा थे..परिवार के रवैये से लगता था की अपने घर की इकलोती बेटी को बहुत ही प्यार से पला है.मुझे समझ आ रहा था की मेरे परिवार वाले इस रिश्ते को लेकर इतने उतावले क्यों है,मैं एक माध्यम वर्गीय परिवार से हु जहा लोग पढाई करते है और नौकरी में ही धयान देते है,इतनी शानो शौओकत की आदत भी नहीं है, आख़िरकार लड़की बाहर आई और मैं देखता ही रह गया..इतनी सुंदर इतनी जहीन प्यारी हे भगवान मैं कितना मुर्ख था जो इस लड़की के लिए ना कर रहा था..बड़ी बड़ी आँखे गोल चहेरा बिलकुल काजल अग्रवाल की तरह दिख रही थी.नाम भी उसका काजल ही था,चहरे पे इतनी मासूमियत थी की लगता ही नहीं था की ये कुछ जानती भी होगी..चाय नाश्ते और मेरे परिवार वालो से बात करने के बाद ही मुझे समझ आ गया की ये लड़की जितनी भोली दिख रही है उतनी समझदार भी है.घर में सबकी लाडली है पर कोई कारन नहीं था की इसके घर वाले इसपे गर्व न करे..बातचीत का सलीका इतना जहीन था की कोई भी कह सकता था की वो एक उच्च वर्ग की पढ़ी लिखी लड़की है..आख़िरकार वो वक्त आया जिसकी मुझे तलाश थी उसे कहा गया की बेटी विकास को घर दिखा के आओ साथ में उसकी छोटी भाभी जी बी भी हो ली..पूरा घर देख हम छत में पहुचे और भाभी जी ने हमें कुछ देर बात करने अकेला छोड़ दिया..
कुछ देर की चुप्पी मैंने ही तोड़ी ‘तो आप का रिजल्ट क्या हुआ,होटल मनेज्मेंट कर रही थी न आप’
उसने चहेरा उठाया होठो पे हलकी मुस्कान और शर्म साफ दिख रहे थे,’जी ठीक ही है,’
‘आप इतनी पड़ी लिखी है मुझसे शादी कर आपको जंगली इलाको और छोटे शहरो में रहना पड़ेगा आपके कैरियर का क्या होगा.’मैंने अपनी शंका जाहीर की जो मुझे बहुत देर से सता रही थी.’
‘जी मझे प्राकृतिक जगहे पसंद है,और जहा मेरे पति का जॉब होगा मैं वही रहूंगी,मैं मुंबई में पढ़ी जरूर हु लेकिन मेरे संस्कार तो गाव के ही है,और कैरियर का क्या है मैं कही भी अपना करियर बना सकती हु अगर मेरे पति साथ दे तो’ उसकी बात सुन के मेरी तो बांछे ही खिल उठी..मेरे दिल में एक सुकून आया की कम से कम ये मुझे अपने कैरियर के कारन रिजेक्ट नै करेगी..मेरे मन में एक और सवाल घूम रहा था पुछू की उसका कही कोई चक्कर तो नहीं है लेकिन इतनी प्यारी और समझदार लकी से पूछना उसकी बेइजती करने जैसा था.
लेकिन मैंने कुह घुमा के ही पूछ लिया ‘आप इस शादी से खुश तो है ना,,,मेरा मतलब कोई प्रोब्लम तो नहीं ‘
‘नहीं कोई प्रोब्लम नहीं लेकिन मैं आपको कुह बताना चाहती हु,जो मेरे घर वालो को भी नहीं पता लेकिन मैं आपको धोखे में नहीं रख सकती..’मेरे तो दिल की धड़कन ही रुक गयी ये लड़की तो मुझे चाहिए ही थी पता नहीं क्या बोलने वाली थी.’
‘जी जी बोलिए’मैं थोडा उत्सुक होते हुए पूछा
‘वो ऐसा है की..’उसके मासूम चहरे पे बेचैनी के भाव उभर रहे थे उतनी बेचैनी मुझे भी थी..’वो मैं वर्गिन नहीं हु ‘..इतना बोल के वो सर झुका के कड़ी हो गयी उसका चहेरा शर्म से लाल हो गया ऐसा जैसे टमाटर हो,शायद शर्म से ज्यादा ग्लानी के भाव थे.
हमारे इंडिया में लड़की का वर्गिन होना उसके चरित्र का प्रमाण मन जाता है,लेकिन मैं हमेशा से इसके खिलाफ हु एक लड़की का भी दिल होता है,हम लड़के लडकियों के पीछे कुत्तो की तरह पड़े होते है और जब लड़की हम पर भरोसा कर हमें अपना कौमार्य शौप दे तो वो चरित्रहिन हो जाती है,मैं अपने कई दोस्तों को जानता हु जिन्होंने न जाने कितनी लडकियो को भोगा है लेकिन उन्हें भी शादी एक वर्गिन लग्की से करनी है,,
मैंने चहरे पे एक मुस्कुराहट के साथ उन्हें देखा ‘ओ ओ ओ ऐसा है,बॉयफ्रेंड था या..’
उसने मुझे शरारत करते देख कुछ आशचर्य से देखा ‘देखिये मुझे पता है की एक उम्र में ऐसा हो जाता है.मेरी तरफ से आप निश्चिंत रहिये,आप अपने बारे में कुछ बताना चाहे तो आप बता सकती है,अगर आप सहज न महसूस करे तो कोई बात नहीं,और मुझे खुशी है की आपने मुझे धोखे में नहीं रखा.’
मेरी बात सुन उसके चहरे में आया ग्लानी के भाव जाते रहे और वह कृतज्ञता से मेरी ओर देखने लगी शायद कहना चाह रही हो धन्यवाद पर ओपचारिकता इसकी इज्जाजत नहीं दे रहा था.
‘आप मेरे अतीत के बारे में कुछ जानना चाहती है??’अब मैं थोडा सहज महसूस कर रहा था.
‘जो बित चूका उसके बारे में जानके क्या करना,’अब वो भी सहज दिख रही थी.मुझे तो डर था की कही वो मुझे उसे घूरते न देख ले,मैं उसकी मासूम से चहरे में खो ही गया था,पता नहीं कौन साला मेरी जान को भोगा होगा हाय सोचके ही मेरे शारीर में झुनझुनाहट सी दौड़ गयी..
आखिरकार हमारी शादी हो गयी और वो दिन आया जिसका मुझे इन महीनो में रोज इंतजार था जी हा मेरी सुहागरात.....
7 years ago#3
अध्याय-2
रात के लगभग 10 बजे थे काली अमावस की रात और मैं छत में इंतजार कर रहा था की वो पल कब आये जब मझे बुलाया जायेगा,आज सुबह से ही मेरे सभी जीजा और बड़े भाइयो ने मुझे गुरु ज्ञान दें रहे थे सभी मुझे बताते की कैसे स्टार्ट करना है,पहले पहल तो सभी कुछ सुहाना लग रहा था पर अब मैं बोर हो चूका था..लेकिन वो बेचारे अपना दायित्व निभा रहे थे,मैं छत में खड़ा अपने ही रंगीन सपनो में डूबा था की मुझे बुलाने गाव की एक भाभी जी आई..”चलिए साहब क्या रात अकेले ही बिताने का इरादा है,वहा आपकी रानी जी तड़फ रही है और आप यहाँ अकेले खड़े है.”,रात के अंधियारे में भाभी का चहरा तो नहीं देख पाया पर उनकी अदा में एक जालिम पन था,एक मस्ती जो मुझे उत्तेजित करने को तथा शर्म में डूबने को काफी थी,मैं उनके पीछे ही चल दिया,कमरे में मेरे नए बिस्तर पर मेरी नयी नवेली दुल्हन शरमाये हुए सिकुड़ कर बैठी थी,चारो और मेरी भाभिया बहने सालिया और कुछ औरतो का जमावड़ा था उन्हें देख कर मैं शर्म से पानी पानी हो गया,मेरे आते ही वो मुझपर टूट पड़ी और मुझे उन्हें अच्छे पैसे देने पड़े लगभग सभी ने मुझे बेस्ट ऑफ़ लक कहा और मेरी जान का माथा चूमकर खिलखिलाते हुए भाग गयी.कमरा खली होने पर मैंने उसे बंद किया,मेरी धड़कन कुछ जादा ही चल रही थी मेरी सांसे कुछ बेकाबू सी थी,मैं उनके पास आया धीरे से बैठा उनका घूँघट पड़े प्यार से हटाया,उसकी नजरे अभी भी झुकी थी,कितना प्यारा चहरा जैसे लाली सुबह की,होठो पे हया कपकपाते लब,मैंने अपना हाथ उनके चहरे पे लाया उसके गर्म त्वचा का अहसास मेरे अंदर एक रोमांच का जन्म दे रहा था,”काजल”..
एक खामोसी सी थी,”काजल कुछ बोलो ना”,”मुझे देखो तो सही”
उसने बड़ी चंचलता से मुझे देखा जैसे एक छोटी बच्ची हो,उसकी आँखों में मासूमियत की बरसात थी,बड़ी आँखे शर्म से सुर्ख हो गयी थी,लबो की कपकपाहट अब भी कम नहीं हुई थी,गुलाबी से उसके होठ रस के प्याले से थे,किसी ताजा गुलाब की पंखुड़िया से कोमल,संतरे से रसदार जैसे अभी उनसे लहू की धार बह निकलेगी,मैं अनायास ही उसके लबो पे अपने उंगलियों को चलने लगा,उसकी चंचल आँखे बंद ही हो गयी,मैंने उसके मुड़े हुए पैरो को सीधा किया और वो मेरी गुलाम सी बस मेरे इशारो पे खुद को बिस्तर पर बिछा दिया,मैं उसके लबो को पीना चाहता था,पर मैं एक सीधा सा बंदा डर था की कही मेरी सनम रूठ ना जाये,”काजल आई लव यू”,
जवाब का इंतजार ही बेकार था,क्योकि उसने आंखे खोली और उसके आँखों ने ही कह दिया की की वो सहमत है..मैं उसके लबो से खेलता हुआ उसे खिचता हुआ अपने होठो को उस नाजुक से नर्म रसभरे मयखानों से मिला दिया..
सच में ये मयखाना ही था,मैं चूसता ही गया पर ये रस ख़त्म ही नहीं हो रहा था,काजल ने अपने हाथ मेरे पीठ पर लगा दिये उसने भी अपना सबकुछ मुझ पर समर्पित करने की ठान ली थी,लबो का रशावादन करने के बाद जब हम अलग हुए तो उसका चहरा लाल हो चूका था,लाल टमाटर की तरह,उसने मेरे चहरे को सहलाते हुए मेरी आँखों में देखा,”विकास जी आई लब यू,मुझे माफ़ कर देना की मै आपको वो नहीं दे पाऊँगी जो हर मर्द चाहता है,एक लड़की का कोमार्य,लेकिन मैं आपकी दासी बन कर रहूंगी,आपको वो सब दूंगी जो आप चाहो” काजल के आँखों में प्यार का मोती था,आंखे नम थी पर उनमे मेरे लिये अपार स्नेह मैंने देखा,”जान तू मेरी रानी है दासी नहीं,”मैंने उसके आँखों के पानी को अपने लबो में समां लिया,उस अपार स्नेह में डूब सा गया मैं उसे चूमता गया ना जाने कहा कहा,उसकी आँखों को लबो को माथे को,गालो को तो खा की गया,प्यार की गहराइ अब वासना का रूप ले रही थी,वासना और प्यार एक महीन दिवार से अलग अलग है,मनमें एक नाजुक सा बदलाव वासना को प्यार और प्यार को वासना बना देती है,मैं प्यार के तूफान में वासना के हिलोरो को महसूस कर रहा था,ये इतने महीन थे की इसके झोको ने मुझे बस सहलाया पर हिला ना पाई,हर चुम्मन मेरी जान की आह बन रही थी,और मेरे होठ ऐसे चिपके थे की कोई जोक हो,वो उसके चहरे से दूर ही नहीं हो रहे थे,उसका चहरा मेरे लार से भीग गया था वो आह ले रही थी जैसे वो बेहोश हो,उसने अपनी उत्तेजना के शिखर पर मुझे पलटा और मेरे उपर चुम्मानो की बारिश कर दी,उसने अब मेरी जगह ले ली और मैंने उसकी अब मैं कहारे ले रहा था और मेरी नयी नवेली नाजुक सी जान मेरे उपर उपर अपना पूरा प्यार लूटा रही थी,,ये प्यार का तूफ़ान ऐसा चल निकला की मैं जानवरों सा वर्ताव करने लगा मैं उसे नोचने लगा कभी वो मेरे उपर होती कभी मैं उसके उपर,हम इतने मगन थे की हम एक दुसरे के कपड़ो को फाड़ने लगे,मुझे होश भी ना रहा की कब मैंने उसको उपर से नंगा कर दिया है और खुद भी मेरे कपडे उतरे हुए है,हम अब सिर्फ चहरो तक ही सिमित नहीं रहे अब हम बदन को सहला रहे थे,चूम रहे थे अपने लार से एक दुसरो के बदन को भिगो रहे रहे थे,हम प्यार के नशे में इस कदर से डूबे थे की हमें ना अपना ही होश था ना समय का,ना कोई शर्म बची थी ना कोई समझ..मैंने उसके नाजुक नर्म उजोरो को चूमने लगा जो पर्वत शिखर से उन्नत थे,उन नुकीली सी छोटे पर्वत पर मैंने अपना मुह भर दिया,मैं उससे ऐसे दबा रहा था जैसे आज उनका पूरा दूध निचोड़ कर रख देना चाहता हु..काजल की सिस्कारिया बढ़ रही थी वो उत्तेजना में मेरे पीठ पर नाखुनो को गडा रही थी,अपने दांतों से मेरी पीठ पर घाव कर रही थी पर फिकर किसे थी,उसने अपने हाथो से मेरे सिर को दबा रखा था,मैं निचे आने लगा और वो लगभग उत्तेजना में चीखने सी लगी मैंने उससे उसके अन्तःवस्त्र से निजात दिलाया और उसकी प्यारी सी गुलाब की पंखुडियो को अपने अंदर सामने के लिये अपना मुह लगा चूसने लगा,अपने लार से उसे भिगोने लगा जो पहले से गिला था,वोकामरसका स्वादन मुझे दीवाना बना रहा था,मैंने अपना सर उठाना चाह पर काजल की पकड़ अब और मजबूत हो चुकी थी वो तो जैसे मुझे अपने काम के द्वार पर सामना चाहती थी..फिर भी मैं काजल का चहरा देखना चाहता था,मैंने नजरे उठा कर देखा वो तो खोयी सी थी बस आँखे बंद और सिसक रही थी,अचानक वो अकड़ने लगी और अपने संतुष्टी का रस की धार छोड़ दी...उसने मुझे अपने से अलग किया उपर खीचा और मेरे होठो को अपने लबो में भरकर पूरा रसावादन किया,उसने देर ना करते हुए मेरे निचे के वस्त्रो को भी आजाद किया और मेरे अकड़े हुए लिंग को अपने हाथो में भरकर अपने घाटी में रगड़ने लगी,मुझे लगा अब मैं अपनी जान के अंदर जाने वाला हु..काजल ने उत्तेजना में भरकर मेरे कानो को चूमा “जान मुझे अपना बना लो,भर दो मुझे अपने प्यार के तूफान से प्लीस,,मै अपने आपको आपके हवाले करती हु मैं आपके लिये समर्पित हु,आई लव लव लव यू जान”,उसने एक झटके में मुझे अपने भीतर प्रवेश दे दिया मैं उसके ऊपर आ कर कमान सम्हाली और धीरे धीरे कर उसके अंदर समाने लगा,मुझ जैसा अनाड़ी कैसे एक खिलाडी के तरह घुड़सवारी कर रहा था ये तो आश्चर्य ही था,हम एक दुसरे में समाने लगे,कभी तेज कभी धीरे,कभी चुम्बन कभी फकत तडफन,होठो का मिलना और मिल ही जाना...तेज तेज और तेज...बस समय रुक सा गया सांसेभीझटको के साथ लयबद्ध हो गयी,आखिर प्यार का मुकाम आया और मैंने उसे पूरा भिगो दिया...उसने भी मुझे भीच कर अपने अंदर डूबने में सहायता की,और पंखुडियो को सिकोड़ कर मेरा प्यार पि गयी...
अब बस सांसे रह गयी जो सम्हालना चाहती थी,धड़कने फिर से अपने गति में आ रही थी और उस शांति में बचा था बस प्यार...लिपटे हुए शारीर पर एक होने का अहसास था..अब काजल मेरी थी,और मै उसका...
7 years ago#4
अध्याय ३
आज सुबह कुछ और थी,मैं चादर में लिपटा हुआ नंगे जिस्म में अपनी जान से लिपटा हुआ था,उसके बदन की खुसबू उसके बसन की गर्मी के अहसास ने मुझे फिर से उत्तेजित कर दिया,कल रात की बेपनाह मोहब्बत को याद कर मैंने काजल के चहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी लगभग 4 बजे का वक्त था और मेरे प्यार का परवाना फिर से चढ़ रहा था,मैंने अपने जिस्म को उसपर लाद कर उसके अंदर समाने की कोशिस की काजल ने पूरा सहयोग देते हुए मुझे अपने अंदर समां लिया वो प्यार का उफान गहरातागया पर उस शिद्दत से नहीं जैसा रातको था पर प्यार तो प्यार ही है ना,सुबह काजल अपने काम में व्यस्त हो गयी आज मुझे अहसास हुआ की वो कितनी जिम्मेदार है,घर में सभी इतने खुश कभी नहीं दिखे,कुछ दिन घर में बीते और मेरे काम पे वापस लोटने की घडी आ गयी....
मैं अपनी नयी नवेली बीवी के साथ केसर्गढ़ घाटी पंहुचा जहा मेरी पोस्टिंग थी,ये इलाका जंगली क्षेत्र था लेकिन बहुत ही मनोरम और शांत,मुझे एक छोटा सा बंगला और सरकारी गाढ़ी मिली हुई थी साथ ही एक नौकर था जिसका नाम प्यारे था,एक ड्राईवर रहूराम जिसे प्यार से रघु कहते थे एक माली था जिसे रवि कहते है..तीनो मेरे खास थे और मेरे स्वागत की तैयारी में कोई कमी नहीं रहने दिया,मेरे बंगले को पूरी तरह सजाने की जिम्मेदारी रघु की बीवी को दिया गया था जिसने अपनी मालकिनकेस्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी,सभी काजल से मिलकर बहुत खुश थे और काजल भी सभी से बहुत खुस दिख रही थी..मुझे लग ही नहीं रहा था की ये लड़की मुंबई जैसे शहर में रहकर पढ़ी है..मैं अपने काम में बिजी हो गया,मुझे १००००० पेड़ लगाने का काम मिला कुछ आदिवासियों और सरकारी नौकरों के साथ मिलकर ये काम करना था..
दिन बीतते गये और मेरा टारगेट लगभग पूरा हो गया,काजल की और मेरा धयान थोडा कम सा हो गया ऐसा नहीं की हम में प्यार नहीं होता था पर मैं अधिकतर जल्द बाजी में रहता था,उपर से प्रेसर था की कामजल्दी करो,काजल समझदार लड़की थी और मुझे बहुत सपोर्ट करती थी,वो मेरा पूरा धयान रखती थी और मुझे मेरे काम को लेकर भी सुझाव देती थी को अकसर बहुत अच्छे होते थे क्योकी वो किसानो और कम पड़े लिखो से डील करना अच्छे से जानती थी...हमारी शादी को 3 महिना बीत गया,मेरे और उसके घर से बुजुर्ग भी हमारे साथ रहने आये और ओनी बहु और दमांद के गुण गाते चले भी गये.....मैं अपने लाइफ में मस्त था,मुझे मेरे कम के लिये शाबासी भी मिली मैंने अपने बंगले के पास कुछ पेड़ो को गोद लिया जहा मैं वाक पे जाया करता था,उनकी देखभाल की जिम्मेदारी ली,वहा मुझे एक सैगोन का मोटा सा पेड़ बहुत पसंद था,यह पेड़ मुझे मेरे और काजल के रिश्ते की यद् दिला दिया,मजबूत और किमती....मैंने इस पेड़ को काजल नाम दिया..
मै अपनी दोनों काजलो को देख कर सम्मोहित सा हो जाता था,एक मुझे घर में खुश करती दूसरी बगीचे में..
लेकिन वक़्त को शायद कुछ और ही मंजूर था,शायद मेरी तडफन,मेरी अजीब सी उलझन,मेरा शिद्दत का प्यार पता नहीं क्या,शायद मेरी बेवकूफी या और कुछ लेकिन कुछ तो था...
7 years ago#5
अध्याय 4
मैं अपनी दुनिया में मस्त या ये कहू सबसे बेखबर सा जी रहा था,लेकिन कुछ ऐसे वाकये घटने लगे की मुझे अपनी दुनिया में धयान देना पड़ा.शुरुवात होती है उस रात से जब हम रात को प्यार में थके सोये थे और काजल का मैसेज टोन बजा मझे हलकी नींद थी इसलिये मैं जग गया,देखा तो काजल सोयी हुई थी मुझे समझ नहीं आया की बजा क्या मैं फिर सो गया पर काजल की हलचल हुई और वो उठकर बहार चले गयी मुझे ये सब बहुत ही साधारण सी बात लगी,दुसरे बार नींद खुलने पे भी काजल नहीं दिखी क्योकि रात में कमरे में अँधेरा था मैंनेउठकर लाइट जलाई काजल को आवाज देते बेडरूम से बहार आया,काजल की आवाज आई क्या है जी..”कहा हो जान”,”अरे मैं किचन में हु,पानी पिने आई थी,आप क्यों उठ गए,””वो तुम्हे अपने बगल में ना पाकर मैं देखने चला आया” मैं किचन की तरफ जाने लगा पर काजल आती हुई दिखी उसके बाल बिखरे थे और सिन्दूर भी फैला था,मुझे लगा की हमारे प्यार करते समय हो गया होगा ऐसे भी रात में कोई अस्त व्यस्त दिखे वो साधारण सी बात है...उसके नायटी में पड़ी सिलवटे मुझे रात के कसमकस की याद दिला रही थी उसने अभी भी अपने अन्तःवस्त्र नहीं पहने थे,मेरा मूड उसे देख के फिर से बन गया..
“आप भी ना नहीं थी तो क्या हुआ,अपनी नींद क्यों ख़राब करते है मैं तो दिन भर सोती हु मुझे रात में नींद नहीं आती इसलिए बहार भी घुमने चले जाती हु..”
वो मेरे पास आई और मैंने उसे पकड़ लिया,मेरी पकड़ से उसे भी समझ आ गया की मैं क्या चाहता हु,मैंने उसकी योनी में अपना हाथ फेरा पर ये क्या,वो तो पहले से ही बेहद गीली थी,मुझे कुछ आश्चर्य जरूर हुआ पर काजल ने मुझे पकड़ बेडरूम में ले गयी और मेरे उपर चढ़ गयी,”मुझे प्यार करने का बहुत मन कर रहा है..”
मैं समझ गया वो इसलिए गीली थी,खैर प्यार का सैलाब आया और काजल ने पुरे जोश में मेरा साथ दिया...
बस मैं खुश,और मुझे क्या चाहिए था...
काजल की कोई भी हरकते मुझे अजीब नहीं लग रही थी,उसका सजना सवरना,मझे तो बस प्यर ही दिखाई देती थी,हाथो में भरे हुए चुडिया,माथे में मेरे नाम का सिन्दूर,गोरा रंग जो दमकता सा था,होठो में प्यार की लाली,वाह पतली कमर बलखाता भरी पिछवाडा,मुझे दीवाना बनाने के लिए काफी था,वो बस देख के हस देती तो मेरी सारी तकलीफे ख़तम हो जाती थी,मैं बहुत खुश था..
सुबह उठ मैं बगीचे में घुमने चला गया,आज कुछ आस पास के बच्चो को खेलता देख रहा था,मैं दूर बैठा अपनी दूसरी काजल को निहार रहा था,कुछ बच्चे काजल के पास जा कर उससे लिपटने लगे,एक तो पत्थर से उसपर अपना नाम लिखने की कोशिश कर रहा था,मुझे ये देख के थोडा अजीब लगा लेकिन अचानक ही मैं गुस्से से भर गया,मेरी काजल पे अपना नाम..मैं गुस्से में उठा पर बच्चो से क्या बहस कर सकता था,मैं जाकर उन्हे डाटने लगा क्यों पत्थर से इसे क्यों गोद रहे हो..
शायद मेरी आवाज थोड़ी जादा थी क्योकी बच्चो के माँ बाप भी आ गए थे,”क्या हुआ सर “
वो मेरे ही ऑफिस का बाँदा था “कुछ नहीं यार ये बच्चे इस पेड़ में पत्थर से अपना नाम लिख रहे है..”
उसने बच्चे को डाटा शायद वो उसका ही बच्चा था,बच्चे में मुझे मासूमियत से घुरा
“अंकल जब ये (उसने पेड़ की तरफ ऊँगली दिखाते हुए कहा ) कुछ नहीं बोल रही तो आप को क्या प्राब्लम है..”
मैं उस बच्चे को घूरने लगा,”क्यों ये कैसे बोलेगी”
“ये भी बोलती है,इसे छू के देखो ये बहुत खुस है मेरे नाम लिखने से..”
उस बच्चे का बाप थोडा घबराया लेकिन बच्चे ने जाते जाते एक तीर और छोड़ दिया,”जब वो खुश है तो आप भी उसे देख के खुश रहो ना”
बच्चे ने क्या समझ के ये बाते की मुझे नहीं पता लेकिन मैंने काजल को छू ही लिया और सचमुच मुझे एक उमंग सी दिखायी दी जो मुझे कभी उसमे नहीं दिखाती थी..
मैंने आश्चर्य से उस पेड़ को देखा,और मेरे दिमाग में बच्चे की वो बात गूंज गयी ”जब वो खुश है तो आप भी उसे देख के खुश रहो ना”
सुबह मेरा नौकर प्यारे बहुत खुश दिख रहा, प्यारे लगभग 50-55 का था और हमारे ही बंगले में रहता था,उसके बेटे ने उसे घर से निकाल दिया था और बीवी की मौत हो चुकी थी वो सरकारी नौकर नहीं था,पर अधिकारियो की कृपा से उसे ये जॉब मिली थी,वह फौज में भी कम कर चूका पैर खेती करने ले लालच में पूरा पैसा लगा गांव में जमींन ली,मेहनत से अपनी फसलो को सीचा,और अच्छे पैसे भी कमाय पर पुत्र मोह में आकर सब बेटे के नाम कर दिया और एक मामूली सी बात के लिए बेटे ने उसे घर से बहर निकल दिया,खैर अब वो मेरे ही बंगले में रहता था और सालो से उसने अनेक अधिकारियो की सेवा की थी..मैंने कभी उसे इतना खुश नहीं देखा था,उसका मेहनती देह आज दमक सा रहा था,और मुझसे उसकी ख़ुशी छुप ना पायी..
“क्यों प्यारे जी आज बहुत दमक रहे हो”,मैंने नास्ता करते हुए कहा..
प्यारे ने अपना कम करते हुए काजल की और देखा,जो मेरी बातो सुन कर मुस्कुरा रही थी..
“हा साहब जी जब से बहु रानी आई है मन में ख़ुशी ही रहती है,इनको देख के ही सारे दुःख दूर हो जाते है..”
“अरे वाह काजल इतना असर है तुम्हारा,मैंने इसे कभी इतना खुश नहीं देखा था..”काजल ने बस मुस्कुरा के अपनी नजरे झुका ली..
मैं नाश्ता करके घर से बाहर आया तो बाहर माली रवि झाड़ियो की कटाई छटाई कर रहा था,रवि पास ही रहता था और सरकारी नौकर था आसपास के सभी बंगलो में वही काम करता था,रवि और प्यारे की अच्छी बनती थी रवि लगभग 35 का था और अपने घर से दूर रहता था,ये भी बेचारा अपने तक़दीर का मारा था और अभी तक कुवारा था,घर में भाभी भैया थे जो इससे बिलकुल भी प्यार नहीं करते थे,,और इसकी भाभी के खतरनाक व्यवहार के कारन उसे शादी से नफरत थी,खैर दो दुखी आत्माओ(प्यारे और रवि) अपना गम कभी साथ दारू पीकर कम कर लेते थे इनका एक और साथी था रघु,मेरा ड्राईवर ऐसे तो वो सरकारी गाड़ी चलता था पर मेरी पर्सनल कार भी वक्त पड़ने पर चला दिया करता था,रघु लगभग 30 साल का था और बीबी बच्चो वाला था...
रवि को देखकर मैंने स्माइल दी पर वो देखकर खड़ा हो गया और सलाम किया,कार में बैठने के बाद मैंने मुडकर काजल को देखा वो मुझे देखकर सबकी नजरो से बचकर एक फ्लियिंग किस दे दिया,और मैंने भी अपने दिल में हाथ उसका जवाब दिया....
7 years ago#6
अध्याय 5
वाकये कुछ ऐसे ही चल रहे थे,करीब महीने बित गए बगीचे में उस बच्चे ने अपना नाम मेरी काजल पर लिख ही दिया और मैं देखता रहा,उसके साथ ही कुछ और बच्चे भी उसमे अपना नाम लिखने की कोसिस कर रहे थे जिसके कारन वो उसे रोज छिल देते थे,ये सब मेरी आँखों के सामने हो रहा था और मैं बस देख रहा था,अपने प्यार को बर्बाद होते हुए,सोचता था की कभी उसके आंसू देख लू और रोक लू पर कोई आंसू नहीं दिखे,न ही कोई दर्द ऐसा लगता था की वो उस दर्द का ,मजा ले रही है,इधर घर में वही सिलसिला शुरू था,मैं जब भी रात उठता काजल को बिसतर पे नहीं पता,थका होने के कारण मैंने धयान देना ही छोड़ दिया था,तभी मुझे एक लेपटॉप की जरूरत महसूस हुई,और मैंने एक अच्छे मोडल का लेपटॉप खरीद लिया,दुसरे ही दिन मैंने आदत के मुताबिक तैयार हुआ लेकिन लेपटॉप को देखकर उसे खोल कर विडियो रिकाडिंग चालू कर दी,मैं बस चेक कर रहा था लेकिन जल्बाजी में उसे बंद करना भूल गया और नास्ता करने चले गया,मुझे क्या पता था की ये छोटी सी गलती मेरे जीवन का नया अध्याय लिखने वाला है,
मैं आफिस पहुचकर अपने काम में बिजी सा हो गया,दोपहर में मुझे याद आया की मैं तो विडिओ की रिकॉर्डिंग बंद करना भूल ही गया हु,मैंने फोन उठा के काजल को डायल किया लेकिन मेरे दिल में अजीब सी कसक उठी की आज मेरी जान क्या कर रही होगी,अगर मैंने उसे ये बता दिया की रिकॉर्डिंग चालू है तो काजल विडिओ भी डिलीट कर देती मैंने उसे कुछ न बताने और चुपके से उस विडिओ को देखने का प्लान बना लिया...
घर पहुचने पर देखा की रिकॉर्डिंग अब भी चालू है लेकिन स्क्रीन बंद हो चुकी थी काजल को लगा होगा मैंने शटडाउन कर दिया है,मुझे आश्चर्य इस बात का था की काजल जो की दिन भर बोर होती होगी नए लेपटॉप को छुआ भी नहीं था,मुझे लगा की कम में व्यस्त रही होगी लेकिन क्या काम घर का पूरा काम तो प्यारे कर देता है बस काजल खाना बनाने का काम करती है,खैर आज इतना तो पता चल ही जाना था....
मैंने विडियो अपने मोबाईल में डाली ताकि आराम से ऑफिस में देख सकू,दुसरे दिन ऑफिस में जाकर मैंने विडियो स्टार्ट किया,मेरे जाने के बाद काजल नहाने चली गयी जब वो गिले बालो के साथ निकली जैसे कोई ओश की बूंद ताजा हरी घास पर अटखेलिया कर रहा हो,मेरे सामने मेरे बेडरूम का पूरा नजारा था पर मैं अपने जान के चहरे को देखकर दीवाना हो रहा था,उसकी लाली ताजा सेब की तरह,टबेल में लिपटी हुई बलखाती कमर उन्नत वक्ष जो तोलिये मे लिपटे हुए भी अपने शबाब की झलक दिखा रहे थे,उसने अंग अंग को आईने में निहारा और बड़ी शरमाते हुए अपने कपडे उठा लिए मुझे लगा था की वो अपना तोलिया गिरा देगी लेकिन उसकी शर्म ने मेरी जान की इज्जत मेरी नजरो में और बढ़ा दी,वो अकेले में भी अपने नग्नता से शर्मा रही थी, वही नग्नता जिसका भोग मै हर रोज करता आ रहा था,उसने बड़े सलीके से अपनी साड़ी पहन ली और पुरे मनोयोग से सजने लगी,उसने गहरा सिन्दूर अपने माथे में लगाया और चूडियो को हाथो में डाल कर चूम लिया ये देख मेरे दिल में ऐसा प्यार जगा की अभी फोन कर उसे चूम लू पर मैंने घर जाकर जी भर प्यार करने का फैसला लिया,जब वो सजके तैयार हो गयी तो उठकर बिस्तर के पास आई और मेरी और उसकी फोटो को उठा कर चूम लिया मेरा दिल तो भर आया की कोई किसी को इतना प्यार कैसे कर सकता है,वो कमरे से बहार चली गयी और मैं अपनी ही सोच में डूब गया,की मैं कितना खुश किस्मत हु,लगभग 1 घंटे का कमरा खाली रहा और कोई आवाज भी नहीं आई लेकिन अचानक किसी के हसने की आवाज आई मैं विडिओ फॉरवर्ड करके देख रहा था लेकिन कुछ परछाई सी कमरे में हुई जैसे कोई हाल में दौड़ रहा हो,मैंने विडिओ फिर दे देखा मुझे आवाजे भी सुनाई दी,जैसे काजल हस कर दौड़ रही है...मेरा माथा खनका,मैंने कुछ बुरा नहीं सोचा था न ही सोचना चाहता था,पर ये अजीब था,क्यों काजल ऐसे हस कर दौड़ रही है,लगभग 1 घंटो का फिर सन्नाटा रहा,तभी काजल रूम में आई लेकिन ये क्या उसके पुरे बाल बिखरे सिन्दूर फैला हुआ साड़ी ऐसे सिकुड़ी जैसे किसी ने बुरी तरह मसला हो,आते ही उसने मेरे फोटो को ऐसे ही चूमा जैसे जाने के पहले,उसके चहरे में संतोष के भाव थे ये भाव और उसकी वेशभूषा ऐसे ही थी जैसे मेरे प्यार करने के बाद होती थी या रात में जब वो घूम कर आती तब......
वो फिर से बाथरूम चली गयी और आकर सो गयी उठाने पर फिर सजधज बहार निकली तो तब तक नहीं आई जब तक मैं नही आ गया,.....
.इस विडियो ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया की क्या मेरे पीछे कुछ हो रहा है जिसकी मुझे भनक नहीं हो पा रही है,दिल कुछ गलत सोचने से भी इंकार कर रहा था पर दिमाग ने एक अंतर्द्वंद की स्तिथि पैदा कर दी थी,काजल का प्यार महसूस कर और देखकर मैं सोच भी नाही पा रहा था की वो मुझे कभी धोखा भी देगी,मैंने आँखों देखि साँच पर ही विश्वाश करने की ठान ली,और भगवान से दुआ की की मेरा दिमाग गलत हो,..........
7 years ago#7
अध्याय 6
आज भी घर आकर मुझे काजल का वैसा ही प्यार मिला जैसा रोज मिलता था,लेकिन आज मैं एक बोझ में था उस हकीकत का बोझ जो अभी मेरी कल्पनाओ में था,काजल के चहरे पर कोई सिकन न थी न ही कोई ग्लानी के भाव,वही मुस्कुराता मासूम सा चहरा,वही नश्छल आँखे,मैं उसका चहरा देखता ही रहा अपलक निर्विचार,
क्या देख रहे है आप,आज कुछ खामोश से है,कोई प्रोब्लम है क्या ऑफिस में,
नहीं बस सोच रहा था की तुम कितनी सुंदर हो,क्यों हो इतनी मासूम,इतनीं निश्छल,इतनी पावन,
काजल ने मुझे घुर कर देखा,.क्या हुआ है आपको
कुछ नहीं आज कोई आया था क्या नहीं तो क्यों बस ऐसे ही
काजल को शक तो था की मुझे कुछ हुआ है पर मैं उससे क्या कहता की मैं तुमपे शक कर रहा हु, क्या पूछता उससे की क्या वो किसी गैर मर्द के साथ,,छि छि मैं इतना कैसे गिर सकता हु की काजल के बारे में ऐसा सोचु..मैं प्यार से काजल के पास गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया,मेरे आलिंगन में एक गहरा प्यार था जिसका आभाष काजल को हो गया था,उसने अपना सर पीछे करते हुए मेरे होठो को अपने होठो से रगड़ना शुरू कर दिया मैंने भी अपना मुह खोल उसके प्यारे गुलाबी लबो के रस का पान करने लगा...
हम डायनिंग टेबल के पास खड़े हो अपनी प्रेम लीला में खोये हुए थे,ये तन्द्रा तब टूटी जब प्यारे खासते हुए कमरे में प्रवेश किया,काजल तुरंत मुझसे दूर हो गयी उसकी आँखे शर्म से झुक गयी,मैं भी थोडा शर्मिन्दा हुआ पर जब मैंने प्यारे को देखा तो मै निश्चिंत हो गया क्योकि वो एक आश्चर्य से हमें निहार रहा था जैसे पूछ रहा हो क्या हुआ ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो..
रात मैंने काजल को जी भर के प्यार किया पर आज मैं बहुत उतावला दिख रहा था काजल के कई बार मुझसे कहा की आराम से मैं कही भागे थोड़ी जा रही हु पर मेरा दिल कहता रहा इसे दूर मत कर जैसे अगर मैं उससे दूर हुआ तो कभी मिल नहीं पाउँगा,मैं उसके जिस्म को घंटो तक चूमता ही रहा हर कोनो को चूमता रहा मेरे लार से उसका पूरा बदन चिपचिपा हो गया था ऐसी कोई जगह न बची थी जो मैंने अपने लार से भिगोया न हो,...
आज काजल की गहरइयो में न जाने कितने देर तक सैर करता रहा,उसे अपने प्यार से भिगोया उसके शारीर में अपने वीर्य की धार छोड़ी और उसे उसके पुरे शारीर में लगाया,आम तौर पर मैं जो नहीं करता वो सब आज किया और काजल???काजल मेरी बेकरारी से बहुत खुश थी मेरी हरकते उसके चहरे पे मुस्कान ले आती थी और मैं उसकी मुस्कान को देखकर और भी बेताब और उग्र हो रहा था...
आँखे बंद किये हुए उसके चमकीले और लालिमा लिए चहरे पर वो मुस्कान जो प्रियतम के सताने पर प्रिय के चहरे पर आता है वो किसी कत्लगाह से कम कातिल और मैखाने से कम नशीला नहीं होता...
मैं प्यार के नशे में था या काजल के पता नहीं पर मैं नशे में जरूर था और मैं उसी नशे में जिन्दगी भर रहना चाहता था,,..
पर ये नशा कब तक का था ये तो वक्त की बात थी..
7 years ago#8
अध्याय 7
गहरा प्यार गहरी तृप्ति देता है मानो ध्यान की गहराई हो,इसीलिए तो अनेको तंत्र के जानकर सम्भोग की तुलना समाधी से करते है,मैंने भी काजल के गहरे प्यार में था और अपने जिस्म के परे अपनी रूह का आभास मुझे उसके प्यार में डूब जाने को मजबूर करता था,हमारा मिलन गहरे तलो पर होता था जो मेरे लिए किसी ध्यान या पूजा से कम न थी..उस रात हम सो ही ना पाए,शायद भोर में नींद आई,इतनी गहरी नींद जिसके लिए आदमी तरसता है,मुझे अपने प्यार से ही मिल गया,सुबह सुनहरी थी और मन में कोई ग्लानी के भाव नही थे,प्यार मन को स्वक्छ किये था,
सुबह फिर वही कहानी शुरू हो गयी,मैं सुबह वाक पे निकला और वही पेड़ वही बच्चो का उसे गोदना मैं फिर परेशान हो गया,वो पेड़ मुझे मेरी काजल की याद दिलाता है,कोई उसे चोट पहुचाय मुझे अच्छा नहीं लगता पर कभी कभी ऐसा लगता है की कही कोई मेरी काजल को तो चोट नाही पंहुचा रहा लेकिन काजल के व्यवहार से तो ऐसा नही लगता,और कौन है जो उसे चोट पहुचायेगा कभी मन भारी होने लगता,न जाने क्यों अब हद हो चुकी थी दिल और दिमाग की जंग जारी थी थका देने वाली जंग में आखिर दिल हार ही गया,दिमाग ने कहा एक बार तसल्ली कर ही लेते है दिमाग को तो शकुन मिल जायेगा,
यह शुकून कितना दुःख देने वाला था ये तो मैं नही जनता था लेकिन मैंने फिर अपना लेपटॉप का विडियो ओंन रखने का फैसला किया,ऑफिस से आकर मैंने विडियो अपने मोबाइल में डाल लिया,और रात एक बजे का अलार्म डाल सो गया,दिल इतना मचला हुआ था की नींद ही नही आ रही थी,आज कोई प्यार हमारे बीच नही हुई काजल शायद समझ गयी थी की आज मैं बहुत ज्यादा थका हुआ हु,लगभग एक बजे मैं उठा,अलार्म तो बज ही नहीं पाया था,देखा काजल आज भी नही थी,धडकते दिल के साथ मैं उठा और बिना कोई आवाज किये बाहर आया,काजल वहा नहीं थी,ना ही आहट ही थी,मैं बहार आ गया पर काजल नही दिखी मेरी धड़कने बड़ने लगी एक अजीब घबराहट ने मुझे घेर लिया था,एक अनसुलझी सी पहेली थी मैंने बहुत ही तेज रफ़्तार से अपने कदम बाहर बढाये पुरे बंगले में तलासने लगा कही कोई निशान न मिला,आख़िरकार मैं प्यारे के रूम में पंहुचा काजल की आवाज सुनाई दी दिल को तसल्ली हुई लेकिन अगले ही पल एक अजीब से कशमकश ने मुझे घेर लिया इतने रात को काजल यहाँ क्या कर रही है,दिल की धड़कने तो बड़ी साथ ही आँखों में खून उतर आया था,ये गुस्सा था जलन थी या कुछ और था मुझे नही पता पर मेरा शारीर जल रहा था,मैंने चाहा की जाकर सीधे काजल से पूछ लू ये क्या है पर मेरा दिल किसी भी तरह काजल को दोषी मानने को तैयार ही नहीं हो रहा था,मैं अंदर न जाकर बाहर से ही उनकी बाते सुनने लगा,
क्या करू ये तो पागल ही है,काजल की आवाज गूंजी,ये उसने लगभग खिलखिलाते हुए कहा था
लेकिन बहु रानी लगता नही की साहब आपको जादा प्यार करते है,आप तो उन्हें कितना चाहती है,
मैं सकते में आ चूका था,आखिर ये हो क्या रहा है,
नहीं काका वो मुझपर अपनी जान लुटाते है,उनकी आँखों में मैंने हमेशा अपने लिए सिर्फ प्यार ही देखा है,प्यार को देखने के लिए भी आँखे चाहिए काका काजल के बातो में एक गंभीरता थी,प्यारे ने थोड़ी देर कुछ न कहा फिर अच्छा बहु रानी चाय पियेंगी,आपके लिए लाल चाय बनाऊ ऐसे भी आपको नींद तो आएगी नहीं,
हा चाचा बना दो ना,क्या करू कॉलेज की पुरानी बीमारी है,रात भार नींद नहीं आती,और खामखाह आपको परेशान होना पड़ता है,
आप भी कैसी बाते कर रही है बहु रानी जब से आप आई है मुझे भी लगता है इस दुनिया में मेरा कोई अपना है,वरना....प्यारे की बातो में एक दर्द था,
बस हो गया आज से आप ऐसी बाते नही करेंगे,मैं हु ना,आपके दर्द बाटने के लिए, मैं आपकी हर सेवा करुँगी,काजल फिर हस पड़ी और प्यारे भी,
आप भी ना,मेरे भाग की आप मुझसे दो बाते कर ले,ऐसे बहु रानी मुझे साहब की किस्मत पर जलन होती है,असल में हर इन्सान को हो,आप सी प्यार करने वाली हर किसी के नसीब में नहीं होती,:
मैं वहा खड़ा हुआ खुद अपने नसीब पर फक्र करने लगा,की ऐसी बीबी है मेरी जो नौकर तक का दिल जीत ली है,इतने रात में एक नौकर के रूम में जाना ऐसे तो शक पैदा करता है पर मेरा शक जाता रहा,मैं सामान्य हो गया और वहा से चला गया,लेटे लेटे यही सोचता रहा की काजल इतना प्यार करने वाली है,सबको सम्मान देती है,अपने घर में भी सबकी लाडली है,यहाँ भी,इतने बड़े घर की बेटी इतनी पड़ी लिखी और नौकर के साथ चाय पि रही है,सिर्फ इसलिए की वो अकेला है,उसका दुख दर्द बाँट रही है,लगभग एक घंटे की बेचैनी ने मुझे सोने न दिया ओर काजल भी नहीं आयी मैंने सोचा क्यों न चाचा की चाय मैं भी पी लू,मैं बहार जाने लगा रूम के बाहर रुका एक उत्सुकता लिए की ये लोग क्या बात कर रहे होंगे,पर जैसे ही कानो में काजल की आवाज गूंजी मेरे पैरो की जमीन ही खिसक गयी,
हुम्म्म्मम्म काका हुम्म्मम्म एक नशीली आवाज काजल जैसे पुरे मस्ती में थी,
आह बहु रानी आह क्या जिस्म है तुम्हारा,बिलकुल मक्खन सा,आह आह आह कमरे से सिर्फ सिस्कारियो की आवाज ही नही आ रही थी बल्कि काजल की चुडिया और पायल भी एक लय में खनक रहे थे,छम छम की आवाजे सिस्कारियो से लयबद्ध थी,मैं इतना भी नादान तो नहीं था की उन सिसकियो और आहो का मतलब न समझ सकू मेरी चेतना जाने सी हुई,मैं जमीन में गिर ही गया आँखे पथरा गयी मुझे लगा ये कोई दुखद स्वप्न होगा जो कुछ देर में शायद चला जाय,मैं अपने आप को मारने लगा,ये सोच की अभी मैं जागूँगा और अपने को अपने बिस्तर में पाउँगा,लेकिन मैं गलत था,साली रंडी तुझे तो नंगा करके पुरे शहर में दौड़ाउंगा..आह आह प्यारे के ये शब्द ने मेरे सबर का बांध तोड़ दिया,मेरे आँखों में आंसू थे जो कुछ बूंदों में ही अपना सभी दर्द छिपाए हुए थे,,,,मैं प्यारे को जान से मारना चाहता था,लेकिन
जो आप चाहो कर लो आह,थोडा दम लगाओ न काका,मैं फूल हु मुझे रौंद दो रगडो नकाजल की उत्तेजना अपने चरम में थी,आहो की रफ़्तार में तेजी आ रही थी,मैं ठगा सा खड़ा रहा काजल कितना मजा ले रही है क्या मेरे प्यार में कुछ कमी है,लेकिन अभी कुछ देर पहले तो उसने ही स्वीकारा था की वो मुझसे और मैं उससे बेतहाशा प्यार करता हु फिर क्यों......
मेरे सवालो का जवाब तो काजल ही दे सकती थी या प्यारे,अपने उत्तेजना के चरम पर वो बस आहे भरते रहे और एक पूरा माहोल उन आहो से गूंज उठा काजल को लगने वाले धक्के इतने ताकतवर थे की उसकी आवाज कामरस के चपचपाने की आवाज के साथ बाहर तक आ रही थी,वो सिर्फ वासना से भरो आवाज नहीं थी बल्कि मेरे प्यार का खात्मा था,....एक चीख के साथ ये खेल ख़त्म हुआ पर मैं कुछ बोलने के हालत में नहीं रह गया था,मैं आखो में अपने अरमानो की खाख लिए अपने कमरे में चला गया,मैं कोई सवाल पूछने या उसका उत्तर जानने के स्थिति में नहीं था,मैं अपने ही खयालो में खोया लेटा रहा,बहुत देर हो चुकी थी काजल नहीं आई मैंने अपनी आँखे बंद की ही थी,एक प्यारा सा चुम्मन मेरे माथे में किया गया,इतना प्यार भरा की उसके प्यार की गहराई को मैं समझ सकता था,मैंने आँखे खोली काजल अपने भग्न वेश में मेरे बगल में सोयी थी मैं अब भी उसे कुछ न कह पा रहा था,वो आज भी उतनी है ,मासूम लग रही थी,मैं अपने आप को ये भी न समझा पा रहा था की आखिर ये हकीकत है या कोई सपना,मैं काजल को बस देखता रहा जब तक मेरी आँखे नही लग गयी..............
7 years ago#9
अध्याय 9
मैं गया तो था शांति के लिए और ले आया कई सवाल,हा मुझे बाबा से गुरु मन्त्र मिल गया था,आँखे बंद करो और देखो की क्या हो रहा है,अपने अंदर झाको वही हर सवाल का जवाब है..
मैंने तय किया की बस देखूंगा जो चल रहा है,काजल को इसका आभास भी नहीं होने दूंगा,मैं ऑफिस में आकर कल की विडिओ को चालू किया पर कुछ खास हाथ नहीं आया,वही उसका सज धज के जाना और उजड़े हुए वापस आना,इतना तो समझ आ गया की मेरे घर में मेरी ही बीवी गैरो की हो चुकी है,घर जाने पर वही प्यार भरी बाते वही प्यार वही चहरा,इतना प्यार लुटाना की लगे किस्मत ने सब दे दिया है,पर काजल के प्यार में झूट नहीं था जो मुझे अंदर से झकझोर रही थी मैं मन ही नहीं पा रहा था की वो मुझे प्यार करती है,पर क्या करू कितना भी बुरा सोच कर भी मैं काजल के प्यार को झुठला नहीं पा रहा था,वो प्यार तो असली ही था,पूरा खालिस असली मन की गहराई से निकला हुआ,फिर क्यों ये धोखा...
रात बिस्तर पे मैं उदासीन ही रहा,लेकीन काजल से मेरे चहरे के भाव न छुप पाए,'क्या हुआ जान
कुछ नहीं मैंने आराम से जवाब दिया
कल से कुछ खोये से लग रहे हो सब ठीक तो है ना उसने मेरे बालो से खेलते हुए पूछ लिया
हा सब ठीक ही तो है मैं एक शून्य में देखता हुआ जवाब दिया,
नहीं मैं आपको खूब समझती हु,आप कुछ तो छुपा रहे हो मुझसे,बताओ ना,'उसने जोर दिया और मेरे छाती पर अपना चुम्मन जड़ दिया,
तुम तो मुझे समझती हो पर क्या मैं तुम्हे समझता हु,'मेरे मन का द्वन्द दामने आ रहा था,मैंने मन ही मन एक फैसला कर लिया,
अच्छा बताओ तुम रात में कहा जाती हो,मैं कल भी तुम्हे रात में ढूंडा पर तूम बाहर भी नहीं थी,'जैसा मैंने सोचा था उसके विपरीत वो चौकि नहीं वो हसने लगी जैसे मैंने कोई मजाक कर दिया हो,
क्या तुम भी कहा जाउंगी यही थी,काका के पास बैठी थी,जानते हो वो बहुत अकेले और दुखी रहते है,और मुझे भी तो नींद नहीं आती न रात में जल्दी,'मैं बिलकुल स्तब्ध था की ये औरत इतनी शातिर कैसे हो सकती है की चहरे पे जरा भी शिकन नहीं आया..मैं गुस्से में मानो फुट पड़ा,
रात के 1-2 बजे तुम नौकर के पास जाती हो,नींद नहीं आता इसका क्या मतलब है,अगर किसी को ये बात पता चली तो जानती हो लोग क्या सोचेंगे पागल हो तुम,इतना समझ नहीं है तुममे,और क्या मतलब की वो अकेला है,दिन भर तो उसके साथ रहती हो न फिर तुम्हे रात में भी उससे हमदर्दी जतानी है...'
मैंने कभी काजल से इतने ऊचे आवाज में बात नही की थी,मेरा चहरा ताप रहा था,और काजल के आँखों में आंसू थे आज पहली बार मुझे उसके चहरे में आसू देख दुख नहीं हो रहा था,काजल ने अपने भरे नयन से मुझे देखा,भगवान इतना प्यारा भी किसी को न बनाये,डबडबाई आँखों पर से कुछ बूंद चहरे पर गिरे थे,अनायाश ही वो हुआ जिसका मुझे डर था मैंने आगे बड कर उसे चूम लिया और उसके आँखों का पानी अपने होठो पे पि गया ,मुझे खुद में आश्चर्य था की मैं ये कर रहा हु,लेकिन मैंने अपने आप को सख्त बनाये रखा,केवल बाहर से..काजल को इतना तो समझ आ गया था की मैं उससे जादा देर तक गुस्सा नहीं रह पाउँगा,वो मुझेसे एक भोले बच्चे की तरह लिपट गयी और सिसकिया लेती हुई मेरे छाती में अपना सर रगड़ने लगी,
मैं कभी ऐसा फिर नहीं करुँगी जान माफ़ कर दो अब कभी रात में घर से बाहर नहीं जाउंगी,'मेरे दिल में एक उमंग जगी लेकीन मैंने एक गलती कर दी
तो कसम खाओ मेरी 'हा मैं कसम खाती हु,'
ये मेरी बहुत बड़ी गलती बनने वाली थी जिसका मुझे उस वक्त अंदाजा भी नहीं था,
मैंने प्यार से उसका सर सहलाया मानो सब ठीक हो गया हो पर मैं भूल गया था की कुछ ठीक नहीं हुआ है,मैं उससे लिपटा अपनी प्यार की दुनिया में खो गया...पर...
7 years ago#10
अध्याय -10
मेरे अवचेतन ने मुझे जगा दिया क्योकि मैं जनता था कुछ ठीक नहीं हुआ है,लगभग 12 बजे का वक्त था,काजल अब भी मेरे बांहों में थी,ये जानकर मुझे शकुन भी मिला,लेकिन मैं काजल को ये अहसास नहीं दिलाना चाहता था की मैं जग चूका हु,थोड़ी देर बाद ही काजल का मोबाइल बीप किया काजल जैसे जग ही रही हो उसने msg पड़ा मैं हैरान था की वो एक घंटे से जादा समय से जग रही है,और मुझसे लिपटी हुई है,मुझे लगा था वो सो चुकी है पर ऐसा नहीं था,मैंने हलके से आँखे खोले उसे देखने की कोसिश करने लगा,उसके चहरे पर मुस्कान साफ दिखाई पड रही थी,उसने भी कुछ लिखा थोड़ी देर तक msg का ये सिलसिला चलता रहा,और उसने सर उठाया मैंने अपनी आँखे बंद की वो कुछ देर मुझे देखते रही उसकी सांसो से मुझे इसका अहशास हो गया,फिर उसने मेरे चहरे पर माथे पर kiss किया और मुझसे अलग हो चली गयी,उसके जाने की आहट ने मेरा दिल तोड़ दिया की उसने अभी तो मुझसे वादा किया था इतनी जल्दी क्या थी,मेरी नजर उसके मोबाइल पर पड़ी मैंने उससे उठा लिया,msg whatapp से किये गए थे मैंने msg चेक किये,प्यारे काका जी का msg था,
काका-'कितना तडफायेगी जल्दी आ न,'
काजल -'आज आपके पास नहीं आ पाऊँगी,मैंने इन्हें वचन दिया है,आप ही आ जाओ,'
काका-क्या अब ये क्या है,छोड़ भी इस वचन को
काजल-काका मैं जान दे सकती हु पर इनसे किया कोई वचन नहीं तोड़ सकती जानते हो न,अपनी औकात में रहो वरना मैं दिखा दूंगी,'मैं और भी सदमे में था की ये क्या है,जो औरत किसी दुसरे मर्द का बिस्तर गर्म करती है वो पति की इतनी इज्जत कर रही है की अपने यार को धमका रही है,
काका-'अरे बहु रानी आप तो गुस्सा हो गयी मुझे माफ़ कर दीजिये
काजल -'पहली गलती है काका माफ़ करती हु,लेकिन आज के बाद इनके बारे में कुछ कहा तो सोच लेना अंजाम क्या होगा,मैं भी जमीदारो के खानदान से हु
काका-माफ़ी मालकिन
काजल ने जवाब में स्माइल भेजा
काका -तो क्या करना है
काजल -पता नहीं क्या क्या करना है,आप आ जाइये यहाँ मैं आपकी सेवा करती हु,लेकिन आज जादा नहीं बस कुछ कुछ
इसके बाद कोई बात नहीं हुई पर मेरे मन में विचारो की रेल चल पड़ी ये क्या है,वो मुझसे प्यार करती है तो उसके साथ क्यों है और नहीं करती तो इतना प्यार मेरे लिए क्यों,और अब क्या वो मेरे सामने ही मेरे घर के अंदर ये सब करेंगे,मैं क्या करु मुझे समझ नहीं आ रहा था,और मैं कुछ करना भी नहीं चाहता था न जाने कौन सी शक्ति ने मुझे रोका हुआ था,थोड़ी देर में ही काजल की हसी से मेरी तन्द्रा भंग हुई,मैं बड़े ही सम्हाल के जगा और किचन में गया तो पाया प्यारे पास खड़ा था और काजल चाय बना रही थी ,प्यारे थोड़ी थोड़ी देर में काजल को छू लेता पर इससे जादा नहीं बाद रहे थे शायद उन्हें मेरा डर था ,प्यारे ने काजल के कानो में कुछ कहा और वो खिलखिला के हस पड़ी प्यारे ने अपना हाथ बढाकर काजल के वक्षो को सहलाने लगा उसने अंदर कुछ ना पहना था मैंने काजल की कोमलता का अहसास किया कैसे ये गैरो के हाथो से मसला रहे है,मेरी सांसे तेज हो गयी उसने अपना हाथ जन्घो को सहलाते हुए दोनों जन्घो के बीच की घाटी पे ले जाने की कोशिस की मेरे सब्र का बांध टूट सा गया मैं आगे बड़ा पर रुका और पीछे जा फिर से खासने की एक्टिंग की जिससे दोनों सजग हो गए,मैं किचन मे पंहुचा तो प्यारे की हालत ख़राब थी पर काजल बिलकुल सामान्य सी दिख रही थी,
अभी इतनी रात यहाँ क्या कर रहे हो मैंने प्यारे को उच्ची आवाज में कहा
अरे जान मैंने ही बुलाया है ,वो नींद नहीं आ रही थी तो और अपने कसम दि थी ना की बहार मत जाना तो इन्हें घर में बुला लिया,आप गुस्सा क्यों कर रहे हो,'इतनी प्यारी आवाज साला मैं पागल हु या इसका दीवाना या महा बेवकूफ हो इसकी बातो में प्यार सा आ जाता है,
मैं कहा गुस्सा कर रहा हु ,'मैंने थोडा सम्हाल के कहा,
अच्छा एक खिलखिलाती आवाज जो मेरे कानो को भेद कर मेरे दिल तक चली गयी,उसका हसता चहरा क्या बेवफा भी इतनी प्यारी इतनी निर्भीक इतनी मासूम होती है,
गुस्सा नही कर रहे तो क्यों चिल्ला रहे हो ,'चलो जाओ सो जाओ मैं आ रही हु,काका आप जाइये ये चाय ले जाइये,मैं इनका गुस्सा शांत करती हु,'प्यारे तो चला गया,पर मैं भी सर पटक के अपने रूम में जाकर सोने का नाटक करने लगा जाने क्यों मैं कुछ खुलकर नहीं कह पा रहा था,काजल आई मुझसे लिपट कर सो गयी सायद ऐसे जैसे मुझे मना रही हो .....