8 years ago#11
“अभी तो सिर्फ़ नौ बजे हैं, थोड़ी देर रुक जाओ.... फिर मैं तुम्हें घर छोड़ दूँगा”, मैंने उसे रोकना चाहा।
“नहीं राज! मैंने मम्मी से कहा था कि मैं सहेली के साथ सिनेमा देखने जा रही हूँ और साढ़े नौ तक वापस आ जाऊँगी। अगर टाईम से घर नहीं पहुँची तो मम्मी को मुझपर विश्वास नहीं रहेगा”, ये कहकर वो कपड़े पहन के अपने घर चली गयी।
अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा रजनी का ई-मेल आया था, “राज डार्लिंग! कल कि शाम बहुत अच्छी थी, मुझे बहुत मज़ा आया, क्यों ना हम फिर से करें। आज शाम छः बजे कैसा रहेगा? ऑय लव यू, रजनी।”
मैंने उसे जवाब दिया, “हाँ मुझे भी अच्छा लगा। मैं भी आज शाम छः बजे तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।”
लंच के समय शबनम बोली, “आखिर हमारे राज ने रजनी की कुँवारी चूत फाड़ ही दी।”
“ये तुम कैसे कह सकती हो?” नीता ने पूछा।
“आज सुबह मैं जब ऑफिस में आयी तो, जैसे सब कहते हैं, मैंने भी रजनी से कहा, गुड मोर्निंग रजनी, कैसी हो, मैंने देखा उसके चेहरे पर रोज़ से ज्यादा चमक थी। उसने कहा, गुड मोर्निंग शबनम। और मुझे बाँहों में भर कर बोली ओह शबनम आज मैं बहुत खुश हूँ। उसकी मादकता और चंचलता देख कर मुझे लगा कि वो चुदाई कर चुकी है।”
“क्या सिर्फ़ उसके इस व्यवहार से तुम कैसे अंदाज़ा लगा सकती हो कि वो कुँवारी नहीं रही?” समीना ने कहा।
“एक और बात भी है जो मुझे सोचने पर मजबूर कर गयी, आज राज सुबह जब ऑफिस में आया तो उसके चेहरे पर खुशी की झलक थी और होंठों से गीत गुनगुना रहा था”, शबनम ने कहा।
“क्या ये ठीक कह रही है राज?” नीता और समीना ने पूछा।
“हाँ मेरी जानू! ये ठीक कह रही है, उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे अब भी मेरे लंड पर दर्द हो रहा है”, मैंने खुशी के मारे जवाब दिया।
“देखा! मेरा शक ठीक निकला ना! फ्रैंड्स अब हमको राज के आनंद में बाधा नहीं बनना चाहिये, इसलिये आज से हम उसके घर नहीं जायेंगे”, शबनम ने कहा।
“तो क्या हम राज के लंड का मज़ा नहीं ले सकेंगे?” नीता ने कहा।
“क्यों नहीं ले सकेंगे? स्टोर रूम जिंदाबाद!” समीना ने हँसते हुए स्टोर रूम की चाबी दिखायी।
अगले दिन मैंने कुछ कंडोम खरीद लिये जिससे कोई खतरा ना हो। मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं रजनी प्रेगनेंट ना हो जाये। हम लोग बराबर मिलते थे और जम कर चुदाई करते थे।
एक दिन रजनी बोली, “राज ये कंडोम पहनना जरूरी है क्या? इस रबड़ के साथ मज़ा नहीं आता।”
“तो तुम बर्थ कंट्रोल पिल्स लेना शुरू कर दो”, मैंने कहा।
“मैं कहाँ से लाऊँगी, और मुझे कौन लिख कर देगा, कहीं मम्मी को पता चल गया तो मुझे जान से ही मार डालेगी”, उसने जवाब दिया।
दूसरे दिन ऑफिस में मैंने समीना से कहा, “समीना! तुम्हें मेरा एक काम करना होगा, मुझे बर्थ कंट्रोल की गोलियाँ चाहिये रजनी के लिये।”
“तुम कंडोम क्यों नहीं इस्तमाल करते?” समीना ने पूछा।
“कंडोम इस्तमाल करता हूँ लेकिन रजनी को उसमे मज़ा नहीं आता”, मैंने कहा।
“ठीक है मैं ला दूँगी”, कहकर समीना अपने कम में लग गयी।
अगले दिन समीना ने मुझे पैकेट दिया और कहा, “जाओ ऐश करो।”
अब हम लोगों के दिन आराम से कट रहे थे। दिन में ऑफिस में तीनों को चोदता था और घर पर रजनी को। मन में आता था कि मैं रजनी से शादी कर लूँ, इसलिये नहीं कि मैं उससे प्यार करता था मगर इसलिये कि मैं कंपनी के एम-डी का दामाद बन जाता, और क्या पता भविष्य में कंपनी का एम-डी।
एक दिन रजनी अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिये काम छोड़ कर चली गयी। मैं भी बोर हो रहा था तो सोचा अपने घर हो आऊँ। काफी दिन हो गये थे सब से मिले।
8 years ago#12
ऑफिस में छुट्टी की एपलीकेशन देकर मैं अपने घर पहुँचा। सब से मिलकर बहुत मज़ा आया, खास तौर पर अपनी दोनों बहनें, अंजू और मंजू से।
एक दिन पिताजी ने कहा, “राज मैंने तुम्हारी शादी फिक्स कर दी है, आज से ठीक पाँच दिन बाद तुम्हारी शादी मेरे दोस्त की बेटी प्रीती से हो जायेगी।”
मैं चिल्ला कर कहना चाहता था कि “नहीं पिताजी! मैं प्रीती से शादी नहीं करना चाहता, मुझे रजनी से शादी करनी है और कंपनी का एम-डी बनना है।” पर हिम्मत नहीं हुई, सिर्फ इतना कह पाया, “आप जैसा बोलें पिताजी।”
आज मेरी सुहागरात थी। मैं अपने दोस्तों के बीच बैठा था और सब मुझे समझा रहे थे कि सुहागरात को क्या करना चाहिये, सैक्स कैसे किया जाता है। उन्हें क्या मालूम कि मैं इस खेल में बहुत पुराना हो चुका हूँ। रात काफी हो चुकी थी। अपने दोस्तों से विदा ले मैं अपने कमरे की और बढ़ गया।
कमरे में घुसते ही देखा कि कमरा काफी सज़ा हुआ था। चारों तरफ फूल ही फूल थे। बेड भी सुहाग सेज़ की तरह सज़ा हुआ था। बेड पे मेरी दुल्हन यानी प्रीती, लाल रंग का जोड़ा पहने, घूँघट निकाले हुए बैठी थी। कमरे में पर्फयूम की सुगंध फैली हुई थी। मेरे कदमों की आवाज़ सुन कर उसने अपना सिर उठाया।
मैंने उसके पास बेड पर बैठते हुए कहा, “प्रीती ये तुमने घूँघट क्यों निकाल रखा है? मम्मी कहती थी कि तुम बहुत सुंदर हो, अपना घूँघट हटा कर मुझे भी तुम्हारे रूप के दर्शन करने दो।” उसने ना में गर्दन हिलाते हुए जवाब दिया।
अगर तुम नहीं हटाओगी तो ये कम मुझे अपने हाथों से करना पड़ेगा। ये कहकर मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसका घूँघट हटा दिया। घूँघट हटाते ही ऐसे लगा कि कमरे में चाँद निकल आया हो। प्रीती सिर्फ काफी नहीं बल्कि बहुत सुंदर थी। गोरा रंग, लंबे बाल। उसकी काली काली आँखें इतनी तीखी और प्यारी थी कि मैं उसकी सुंदरता में खो गया। रजनी, प्रीती के आगे कुछ भी नहीं थी। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं, चेहरे पे शर्म थी। मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा, “प्रीती! तुम दुनिया की सबसे सुंदर लड़की हो, अपनी आँखें खोलो और मुझे इसकी गहराइयों में डूब जाने दो।”
उसने अपनी मादकता से भरी आँखें धीरे से खोली, और मैंने अपने तपते हुए होंठ उसके लाली से भरे होंठों पर रख दिये। उसके शरीर में कोई हरकत नहीं थी इसके सिवा कि उसकी साँसें तेज हो रही थी। प्रीती ने काफी ज्वेलरी पहन रखी थी। मैं एक-एक कर के उसके जेवर उतारने लगा।
“आओ प्रीती! मेरे पास लेट जाओ”, कहकर मैंने उसे अपने बगल में लिटा दिया। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए हम लोग ऐसे ही कितनी देर तक लेटे रहे। थोड़ी देर बाद मैं अपना एक हाथ उसकी छाती पर रख कर उसके मम्मे दबाने लगा।
“ये क्या कर रहे हो?” उसने धीरे से कहा।
“कुछ नहीं! तुम्हारे बदन को परख रहा हूँ”, मैंने जवाब दिया।
जब मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोलने शुरू किये तो उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा, “प्लीज़ मत करो ना।“
“मुझे करने दो ना, आज हमारी सुहागरात है और सुहागरात का मतलब होता है दो शरीर और अत्मा का मिलन, और मैं नहीं चाहता कि हमारे मिलन के बीच ये कपड़े आयें”, और मैं उसके कपड़े उतारने लगा।
“अच्छा लाइट बंद कर दो... नहीं तो मैं शरम से मर जाऊँगी।” उसने अपना चेहरा दोनों हाथों में छुपाते हुए कहा।
“अगर लाइट बंद कर दूँगा तो तुम्हारे गोरे और प्यारे बदन को कैसे देख सकुँगा”, मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
अब मैं धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा। उसका नंगा बदन देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा, “प्रीती! तुम्हारा बदन तो मेरी कल्पना से भी ज्यादा सुंदर है।” ये सुनकर उसने अपने आँखें और कस कर बंद कर ली।
मैं उसकी दोनों छातियों को सहला रहा था और उसके निप्पल चूस रहा था। जब कभी मैं उसके निप्पल को दाँतों में भींच लेता तो उसके मुँह से सिसकरी छूट पड़ती थी।
मैं उसकी चूत का छेद देखना चाहता था कि क्या वो रजनी के छेद जैसा ही था या उससे छोटा था। मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसकी नाभी को चूमते हुए उसकी चूत के पास आ गया। उसकी चूत बारिकी से कटे हुए बालों से ढकी पड़ी थी।
मैंने उसकी चूत को धीरे से फैला कर अपनी जीब उस पर रख दी और चाटने लगा।
“प्लीज़! ये मत करो”, उसने सिसकते हुए कहा।
उसकी चूत को चूसते और चाटते हुए मैंने उसकी जाँघों को थोड़ा ऊपर उठाया और उसकी चूत के छेद को देखा। प्रीती की चूत का छेद रजनी की चूत के छेद जैसा ही था।
“वहाँ मत देखो मुझे बहुत शरम आ रही है”, उसने कहा।
“इसमे शरमाने की क्या बात है? हमारी शादी हो चुकी है, और हम दोनों को एक दूसरे के शरीर को देखने और खेलने का हक है। तुम भी मेरा लंड देख सकती हो।” उसने शर्मते हुए मेरे लंड की तरफ देखा जो तंबू की तरह मेरे पायजामे में तन कर खड़ा था।
मैं खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतार कर उस पर लेट गया। प्रीती ने अपनी दोनों टाँगें आपस में जोड़ रखी थीं।
“डार्लिंग! अपनी टाँगें फैलाओ और मेरे लंड के लिये जगह बनाओ!”
उसने कुछ जवाब नहीं दिया और अपनी टाँगें और जकड़ ली। जब मेरे दोबारा कहने पर भी वो नहीं मानी तो मैं अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
अपनी चूत पर मेरे लंड की गर्मी से उसका बदन हिलने लगा और मैंने अपने घुटनों से उसकी जाँघें फैला दी।
8 years ago#13
उसकी कुँवारी चूत को चोदने के खयाल से ही मैं उत्तेजना में भरा हुआ था, मगर मैं रजनी की चूत की तरह एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में नहीं डालना चाहता था। बल्कि उसकी चूत के मुँह पर अपना लंड मैंने धीरे से डाला जिससे पूरा मज़ा आ सके।
प्रीती का बदन घबड़ाहट में कंपकंपा गया जब उसे लगा कि मेरा लंड उसकी चूत में घुसने वाला है। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए एक धीरे से धक्का लगाया जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में जा घुसा। उसकी चूत की कुँवारी झिल्ली मेरे लंड का रास्ता रोके हुए थी।
“डार्लिंग थोड़ा दर्द होगा, सहन कर लेना”, कहकर मैंने अपने लंड को थोड़ा सा दबाया। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी और अपने होंठ दाँतों में भींच रखे थे जैसे दर्द सहने की कोशिश कर रही हो।
मेरा लंड उसकी झिल्ली पर ठोकर मार रहा था, उसके मुँह से “ऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआआआआआआ” की आवाजें निकल रही थी। अब मैंने थोड़ा जोर से अंदर घुसेड़ा और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया, उसके मुँह से जोर की चींख निकली, “ऊऊऊ ईईईई माँ!!! मैं मर गयी!”
मैं रुक गया और देखा कि दर्द के मारे उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े थे। मैंने उसके आँसू पौंछते हुए कहा, “डार्लिंग जो दर्द होना था वो हो गया अब तुम्हें कभी दर्द नहीं होगा”, और मैं अपने लंड को धीरे- धीरे अंदर बाहर करने लगा।
उसकी चूत काफी कसी हुई थी, और जब मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों से रगड़ते हुए अंदर तक जाता तो उसके मुँह से हल्की हल्की दर्द भरी चींख निकल जाती। थोड़ी देर में उसकी चूत भी गीली होने लगी जिससे मुझे चोदने में आसानी हो रही थी। अब मैं थोड़ा तेजी से उसे चोद रहा था।
थोड़ी देर में उसकी चींखें सिसकरियों में बदल गयी। अब उसे भी मज़ा आ रहा था। उसकी भी जाँघें मेरी जाँघों के साथ थाप से थाप मिला रही थी।
एक तो मैंने तीन हफ्तों से किसी को चोदा नहीं था, ऊपर से उसकी कसी चूत मेरे लंड के पानी में उबाल ला रही थी। मुझे अपने आपको रोकना मुश्किल हो रहा था।
इस उत्तेजना में मैंने उसे जोर से अपनी बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। वो भी जवाब देते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने अपनी चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी।
“ओहहहहह डार्लिंग!!! मेरा छूट रहा है, अब मैं नहीं रोक सकता”, ये कहकर मैंने अपना सारा वीर्य उसकी फटी हुई चूत में उगल दिया। जैसे ही मेरा पानी उसकी चूत में गिरा, वो भी जोर से “आआहहहहहह” करती हुई बिस्तर पर निढाल पड़ गयी। उसकी चूत भी पानी छोड़ चुकी थी।
हम दोनों का शरीर पसीने से लथपथ था। दोनों एक दूसरे को बाँहों में भरे एक दूसरे की आँखों में इस मिलन का आनंद ले रहे थे। इतने में ही मेरा मुरझाया लंड उसकी चूत से बाहर निकल पड़ा।
उस रात मैंने उसे चार बार चोदा। हर चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा। अब वो भी मेरे धक्कों का जवाब अपनी टाँगें उछाल कर देने लगी। उन्माद में मेरे होंठों को दाँतों से भींच लेती। मेरे दोनों कुल्हों पर हाथ रख कर मेरे लंड को अपनी चूत के और अंदर लेने की कोशिश करती। उसके मुँह से आनंद की सिसकरियाँ निकलती थी। काफी थक कर हम दोनों सो गये।
अगले दिन मैं सो कर उठा तो देखा प्रीती वहाँ पर नहीं थी और ना ही उसके कपड़े। अब भी मुझे लग रहा था कि रात मैंने कोई सपना देखा था, जिसमें मैंने प्रीती की चुदाई की थी, परंतु बिस्तर पर खून और वीर्य के धब्बे इस बात को कह रहे थे कि वो सपना नहीं था।
“गुड मोर्निंग!” कहते हुए प्रीती हाथ में चाय का कप लिये कमरे में दाखिल हुई।
“इतनी सुबह कहाँ गयी थी?” मैंने पूछा।
“सुबह? राज दस बज रहे हैं और मैं तुम्हारे लिये चाय बनाने गयी थी”, उसने चाय के कप की तरफ इशारा करते हुए कहा।
“इतना गुलाब की तरह क्यों खिली हुई हो, सब ठीक है ना, या तुम्हें किसी ने कुछ कहा जिससे तुम्हें शरम आ रही है?” मैंने पूछा।
8 years ago#14
“हाँ! सब ठीक है, किसी ने मुझे कुछ नहीं कहा, बस तुम्हारी दोनों बहनें मुझे तंग कर रही थी जब मैं चाय बना रही थी।”
“ओह अंजू और मंजू!! दोनों ही बहुत शैतान हैं”, मैंने कहा।
“हाँ कुछ ज्यादा ही शैतान हैं”, उसने हँसते हुए कहा।
प्रीती को चोदने की इच्छा फिर से हो रही थी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “आओ प्रीती यहाँ बैठो।”
वो मेरा मक्सद समझ कर बोली, “अभी नहीं!! पहले तुम चाय पियो, ठंडी हो जायेगी। फिर नहा कर तैयार हो जाओ, सब नाश्ते पर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।”
“तुम्हें सिर्फ़ चाय की पड़ी है कि ठंडी हो जायेगी”, मैंने बिस्तर पर से खड़े होकर अपने तने लंड की तरफ इशारा किया, “और इसका क्या? तुम चाहती हो कि ये ठंडा हो जाये।”
मेरे तने लंड को देख कर वो बोली, “ओह! तो ये वाला लंबा डंडा था जो मेरी चूत में घुसा था?”
“हाँ मेरी जान पूरा का पूरा।” उसके चेहरे पर आश्चर्य देख कर मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और लंड उसकी चूत में घुसा दिया। “आआआआआआहहहहह ऊऊऊहहहह” वो छटपटायी।
“देखा कैसे पूरा का पूरा तुम्हारी चूत में आसानी से चला गया”, मैंने धक्के लगाते हुए उसे पूछा, “प्रीती जब मैं तुम्हें चोदता हूँ तो तुम्हें मज़ा आता है ना?” वो कुछ बोली नहीं और चुप रही।
“शरमाओ मत, चलो बताओ मुझे?”
उसने अपनी गर्दन धीरे से हिलाते हुए कहा, “हाँ! आता है।”
मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था। वो भी अपने कुल्हे उठ कर मेरी थाप से थाप मिला रही थी। उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से प्यार भरी सिसकरियाँ निकल रही थी। जब भी मेरा लंड उसकी चूत की जड़ से टकराता तो “ओओओओहहहह आआहहहह” भरी सिसकरी निकल जाती। थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ा और एक “आआहहहह” के साथ निढाल पड़ गया। मैंने भी दो चार धक्के मारते हुए अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
“ओह रानी! बहुत अच्छा था”, ये कहकर मैं उस पर से उठ गया।
“हाँ राज! बहुत अच्छा लगा”, कहकर वो भी बिस्तर पर से उठ गयी।
हम रोज़ हर रात को कई-कई बार चुदाई करते। मैं उसे अलग-अलग आसनों से चोदता था। वो भी मज़े लेकर चुदवाती थी। एक रात मैंने उसकी चूत चाटते हुए कहा, “प्रीती! तुम अपनी चूत के बाल साफ़ क्यों नहीं कर लेती?” उसने कुछ नहीं कहा।
अगली रात मैंने देखा कि उसकी चूत एक दम साफ़ थी। एक भी बाल का नामो निशान नहीं था। उस रात उसकी चिकनी और सपाट चूत को चाटने और चोदने में काफी मज़ा आया।
एक बात थी जो मुझे सता रही थी। जब भी मैं अपनी तीनों असिसटेंट को चोदता था तो वो इतनी जोर से चिल्लाती थी, और आहें भरती थी कि शायद पड़ोसियों को भी सुनाई पड़ जाती होंगी, पर प्रीती के मुँह से सिर्फ, ऊहह आआहह के सिवा कुछ नहीं निकलता था। मैं सोच में रहता था पर मैंने प्रीती से कुछ कहा नहीं। साथ ही तीनों असिसटेंट चुदाई के समय भी अपने हाई हील के सैंडल पहने रखती थीं जिससे मुझे और अधिक जोश और लुत्फ आता था। हालांकि मैंने नोटिस किया था कि बाहर घुमने जाते वक्त प्रीती भी हाई हील के सैंडल पहनना पसंद करती थी पर मैं चाहता था कि बिस्तर पर चुदाई के समय भी वो अपने सैंडल पहने रहे।
मेरी छुट्टियाँ खत्म होने को आयी थी। पिताजी ने हमारे लिये फर्स्ट क्लास एयर कंडीशन का रिज़रवेशन कराया था। दो दिन के लंबे सफ़र में मैंने उसे कई बार चोदा, और उसकी चूत चाटी थी। मैंने उसे लंड को चूसना भी सिखा दिया। शुरू में तो उसे वीर्य का स्वाद अच्छा नहीं लगा था पर अब वो एक बूँद भी मेरे लंड में छोड़ती नहीं थी। जब तक हम लोग मुंबई पहुँचे, मेरे लंड का पानी एक दम खत्म हो चुका था और उसकी चूत पानी से भरी हुई थी।
8 years ago#15
मैं और प्रीती मेरे फ्लैट में दाखिल हुए और मैंने पूछा, “प्रीती फ्लैट कैसा लगा?”
“छोटा है, लेकिन अपना है, यही खुशी है”, मुझे उसने जवाब दिया।
“ठीक है! तुम आराम करो... मैं तब तक सबज़ियाँ और सामान लेकर आता हूँ”, ये कहकर मैं सामान लेने बाज़ार चला गया।
मैं वापस आया तो देखा प्रीती किचन में काम कर रही थी। “ये क्या कर रही हो?” मैंने पूछा।
“कुछ नहीं खाने की तैयारी कर रही हूँ, क्यों खाना नहीं खाना है?” उसने पूछा।
“जब इतना अच्छा खाना सामने हो तो ये खाना किसको खाने का दिल करेगा”, मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए कहा।
“इसके लिये रात बाकी है, पहले ये खाना खाकर अपने में ताकत लाओ, फिर इस खाने को खाना।”
“ठीक है मेरी जान! जैसा तुम कहो...” मैंने जवाब दिया।
वो खाना बनाने में लग गयी। अचानक मैंने पूछा, “प्रीती! क्या तुम कुछ पीना पसंद करोगी, मेरा मतलब कुछ बीयर या रम?”
“मैं शराब नहीं पीती, और मुझे नहीं मालूम था कि ये गंदी आदत आपको भी है”, उसने कहा।
“जान मेरी! मुझे सब गंदी आदत है, जैसे शराब पीना, सिगरेट पीना, और तीसरी गंदी आदत का तो तुम्हें मालूम ही है”, मैंने हँसते हुए कहा।
“हाँ! मुझे अपनी पहली रात को ही पता चल गया था”, उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
हम दोनों खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे। मैं बिस्तर पर लेट चुका था, प्रीती बाथरूम में थी। थोड़ी देर बाद वो बाथरूम से बाहर आयी, एक पारदर्शी नाइटी पहने हुए। उसका गोरा बदन पूरा झलक रहा था। उसके बदन को देखते ही मेरा लंड तन गया।
“नहीं मेरी जान! तुम ये कपड़े पहन कर नहीं सो सकती, चलो जल्दी से अपनी नाइटी उतारो और नंगी होकर आ जाओ, मेरी तरह... साथ ही अपने वो सैक्सी हाई हील के गोल्डन कलर के सैंडल पहन लो जो तुमने शादी के दिन पहने थे”, ये कहकर मैंने चादर हटा कर उसे अपना तना लंड दिखाया। उसका चेहरा शरम के मारे खिल उठा और उसने अपनी नाइटी उतार दी और खुश्किस्मती से उसने बिना कुछ सवाल पूछे अपने सैंडल भी पहन लिये।
उसे अपने बाँहों में भरते हुए मैंने बिस्तर पर लिटा दिया और कहा, “डार्लिंग! ये हमारे फ्लैट पर पहली रात है, आओ खूब चुदाई करें और मज़े लें।”
मेरे हाथ उसके शरीर को सहला रहे थे। मेरे होंठ उसके होंठों पे थे और मेरी जीभ उसके मुँह में उसकी जीभ के साथ खेल रही थी। मैंने अपना मुँह उसकी छातियों के बीच छुपा दिया और उसके मम्मे चूसने लगा। एक हाथ से उसके मम्मों को जोर से भींचता तो उसके मुँह से सिस्करी निकल पड़ती, “ओहहहहहह राजजजजज!!!!!!”
उसके मम्मे चूसते हुए मैं नीचे की तरफ बढ़ा और अपना मुँह उसकी गोरी और बिना बालों वाली चूत पर रख दिया। अब मैं धीरे से उसकी चूत को चाट रहा था।
उसके घुटनों को मोड़ मैंने उसकी छाती पर कर दिये जिससे उसकी चूत ऊपर को उठ गयी और मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा।
“ओह राज बहुत अच्छा लगा रह है, आआहहहहहह..... किये जाओ”, कहकर वो अपनी गाँड ऊपर को उठा देती।
मैं और तेजी से उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था। “ओहहहहहहह डार्लिंग किये जाओ... औऔऔऔऔऔर जोर से, मज़ाआआआ आ रहा है, हाँआँआँ ऐसे ही किये जाओ”, कहते हुए उसकी चूत ने मेरे मुँह में पानी छोड़ दिया।
उसकी चींखने की और जोरदार सिसकरियों को सुन कर मैं सकते में आ गया, पर मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर एक जोर का धक्का लगाया। मेरा लंड एक ही झटके में उसकी चूत में जा घुसा। “आआआआआआआहहहहह मर गयी”, वो चिल्लायी।
अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। जैसे-जैसे मैं रफ़्तार बढ़ाने लगा, उसकी साँसें तेज होने लगी, उसके बदन में अकड़ाव सा आने लगा।
ये देख मैं अब जोर जोर से अपने लंड को उसकी चूत में डाल रहा था। प्रीती सिसकरियाँ भर रही थी, “ओहहहहह राज औऔऔऔऔऔर जोररररर से!!!!!!!! आहहहहहह हाँआंआंआंआं ऐसे ही कियो जाओ!!!! हाँ राजाआआआआआआ आज फाड़ दो मेरी चूत को।”
मेरे लंड के पानी में भी उबाल आ रहा था और वो छूटने को तैयार था। मैंने उसे चोदने की रफ़्तार और बढ़ा दी। वो भी अपनी जाँघें उठा मेरे थाप से थाप मिला रही थी, “ओओओओओहहहहह..... येसससससस... ऊऊऊऊऊहहह राज और जोर से..., मेरा छूटने वाला है हाआआआआआ, मैं...ऐंऐंऐं तो गयी।”
8 years ago#16
जैसे ही उसकी चूत ने पानी छोड़ा, मैंने भी दो चार करारे धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। दोनों का शरीर पसीने में चूर था, फिर भी हम एक दूसरे को उन्माद के मारे चूम रहे थे और सहला रहे थे।
उसकी पीठ को सहलाते हुए मैंने कहा, “प्रीती तुम तो कमाल की हो।”
“क्यों क्या हुआ, मैंने ऐसा क्या किया?” उसने जवाब दिया।
“तुमने किया कुछ नहीं, पर मैंने आज से पहले तुम्हें इस तरह चिल्लाते, सिसकरियाँ भरते नहीं सुना, मुझे लगा कि तुम्हें चुदाई में मज़ा नहीं आता है”, मैंने कहा।
“राज मुझे तो इतना मज़ा आता है कि मैं उस वक्त भी जोर-जोर से चिल्लाना चाहती थी जब तुमने मेरी चूत का उदघाटन किया था, पर मैंने अपने आप को रोक लिया।”
“ऐसा क्यों किया तुमने?” मैंने पूछा।
“ये सोच कर कि घर में सबको पता लग जायेगा कि उनका लड़का अपनी नयी बहू को जोरों से चोद रहा है”, उसने जवाब दिया।
“हाँ ये तुमने ठीक किया... मैंने तो ऐसा सोचा ही नहीं था”, उसकी गाँड को सहलाते हुए मैंने कहा, “प्रीती चलो अब तुम्हारे दूसरे छेद का उदघाटन करना है।”
“दूसरे छेद का...? मैं समझी नहीं?” वो चौंकी, पर जब उसने मेरी अंगुलियों को अपनी गाँड में घुसते महसूस किया तो वो बोली, “कहीं तुम मेरी गाँड तो नहीं मारना चाहते?”
“तुम सही कह रही हो मेरी जान! यही तो वो दूसरा छेद है जिसे मैं चोदना चाहता हूँ”, मैंने और जोरों से अपनी अँगुली उसकी गाँड में घुसाते हुए कहा।
“नहीं राज! गाँड में नहीं, बहुत दर्द होगा”, उसने रिक्वेस्ट करते हुए कहा।
“अब चुपचाप घुटनों के बल हो जाओ”, मैंने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा, “आज तुम्हारी गाँड को चुदवाने से कोई नहीं रोक सकता।”
मेरी बात मानते हुए वो घुटनों के बल हो गयी। मैंने उसके सिर और कंधों को तकिये पर दबाते हुए उसे अपनी गाँड को चौड़ा करने को कहा। उसने अपने दोनों हाथों से अपनी गाँड को चौड़ा कर दिया। अब मुझे उसकी गुलाबी गाँड का नज़ारा साफ दिखायी दे रहा था, साथ ही उसकी चूत भी ऊपर को उठी हुई थी। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा और अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी।
अपनी एक अँगुली पर वेसलीन लगा कर मैं उसकी गाँड के छेद को अच्छी तरह चिकना करने लगा। जैसे ही उसकी चूत चाटते हुए मैंने अपनी अँगुली उसकी गाँड के अंदर डाली तो उसके मुँह से मीठी सी सिसकरी निकल पड़ी। “लगता है तुम्हें अब मज़ा आ रहा है”, मैंने हँसते हुए कहा।
“हाँ! अच्छा लग रहा है”, उसने कहा।
एक, दो, फिर तीन, इस तरह मैंने अपनी चारों अँगुलियाँ उसकी गाँड में डाल दी। “ओह राज निकाल लो... दर्द हो रहा है, वो दर्द के मारे छटपटायी।” मगर उसकी बात ना सुनते हुए मैंने अपनी अँगुलियाँ अंदर बाहर करनी शुरू कर दी।
अब उसे भी मज़ा आने लगा था, “हाँ राज! किये जाओ अब अच्छा लग रहा है”, वो सिसकरी भरते हुए बोली।
जैसे ही मैंने अपनी अँगुली उसकी गाँड के फ़ैले हुए छेद से बाहर निकाली तो वो तड़प के बोली, “तुम रुक क्यों गये, किये जाओ ना..... बहुत मज़ा आ रहा था।”
“थोड़ा सब्र से काम लो प्रीती डार्लिंग! अब मैं अँगुली से भी ज्यादा अच्छी चीज़ तुम्हारी गाँड में डालुँगा”, ये कहकर मैं अपने लौड़े पर भी अच्छी तरह वेसलीन लगाने लगा।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर रखा, वो बोली, “राज! क्या तुम्हारा इतना मोटा लंड मेरी गाँड में डालना जरूरी है, मुझे डर लग रहा है कि कहीं ये मेरी गाँड ही ना फाड़ दे और मैं दर्द के मारे मर जाऊँ।”
“डार्लिंग! किसी ना किसी दिन तो डालना ही है तो... आज ही क्यों नहीं? हाँ शुरू में थोड़ा दर्द होगा पर बाद में मज़ा ही मज़ा आयेगा”, ये कहकर मैंने अपने लंड का दबाव धीरे से बढ़ाया। जैसे ही मेरा लंड उसकी गाँड में घुसा वो दर्द के मरे चिल्ला पड़ी, “राज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है।”
उसकी चिल्लाहट पर ध्यान ना देते हुए मैं अपने लंड को उसकी गाँड में घुसाने लगा। जैसे-जैसे मेरा लंड उसकी गाँड में घुसता, मुझे अपने लंड में एक अजीब सा तनाव महसूस होता।
“राज!!! प्लीज़ निकाल लो!!! प्लीईईईज़ निकाल लो!!! बहुत दर्द हो रहा है”, वो छटपता रही थी।
मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाल कर एक जोर का धक्का दिया और मेरा लंड उसकी गाँड की दीवारों को चीरता हुआ जड़ तक समा गया।
“आआआआआआआआआ गयीईईईईईईईई मर गयी!!!!!” वो जोर से चिल्लायी और रोने लगी। उसकी आँखों में आँसू आ गये।
“शशशशश डार्लिंग, रोते नहीं, जो दर्द होना था, हो गया, अब मज़ा ही आयेगा”, कहकर मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा।
उसकी गाँड बहुत ही टाइट थी जिससे मुझे धक्के लगाने में तकलीफ हो रही थी। मैं उसकी गाँड में धक्के लगा रहा था और साथ ही साथ उसकी चूत को अँगुली से चोद रहा था।
“ओह प्रीती! तुम्हारी गाँड कितनी टाइट है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है”, कहकर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। कुछ जवाब दिये बिना वो दर्द में छटपता रही थी। करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा “ओहहह राज!!! अब अच्छा लग रहा है।”
मैं जोर-जोर से उसकी गाँड मार रहा था और अपनी अँगुली से उसकी चूत को चोद रहा था। मेरा पानी छूटने वाला था और उसके बदन की कंपन देख कर मुझे लगा कि वो भी अब छूटने वाली है। अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए मैंने अपना पानी उसकी गाँड में छोड़ दिया। उसका भी शरीर कंपकंपाया और उसकी चूत ने मेरे हाथों पर पानी छोड़ दिया।
मैंने अपना लंड उसकी गाँड में से निकाले बगैर पूछा, “क्यों प्रीती डार्लिंग! अपनी गाँड की पहली चुदाई कैसी लगी?”
“कुछ अच्छी नहीं, बहुत दर्द हो रहा है! अच्छा अब अपना लौड़ा मेरी गाँड से बाहर निकालो”, उसने अपनी आँखों से आँसू पौंछते हुए कहा।
“अभी नहीं मेरी जान! मैं एक बार और तुम्हारी गाँड मारना चाहता हूँ”, मैंने अपने लंड को फिर उसकी गाँड में अंदर तक घुसा दिया।
“क्या राज!!!! ये करना जरूरी है क्या? मुझे तुम्हारा लंड मेरी गाँड में घुसते ही कुछ ज्यादा मोटा और लंबा होता लग रहा है”, वो छटपटायी। मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। उसकी गाँड में मेरा पानी होने से इस बार इतनी तकलीफ नहीं हो रही थी और मेरा लंड आराम से उसकी गाँड की जड़ तक समा जाता।
मैं जोर-जोर से उसकी गाँड मारने लगा और अपनी अंगुलियों से फिर उसकी चूत को चोद रहा था। उसे भी मज़ा आने लगा और वो बोल पड़ी, “हाँ राज!!! जोर-जोर से..., मज़ा आ रहा है।”
जब हम दोनों का पानी छूट गया तो मैंने उसे बाँहों में भरते हुए पूछा, “क्यों अबकी बार कैसा लगा?”
“पहली बार से अच्छा था”, उसने जवाब दिया।
“जैसे-जैसे चुदवाओगी... तुम्हें और मज़ा आने लगेगा। याद है तुम मेरा वीर्य पीना नहीं चाहती थी और अब तुम एक बूँद छोड़ती नहीं हो”, ये कहकर मैं उसे बाँहों में भर कर सो गया।
दूसरे दिन अपनी मोटर-साइकल पर ऑफिस जाते हुए मैं सोच रहा था कि ऑफिस में मेरी तीनों असिसटेंट और रजनी मेरी शादी की बात सुनकर क्या कहेंगी... क्या सोचेंगी।
मेरे केबिन में पहुँचते ही तीनों ने मुझे घेर लिया, “थैंक गॉड! राज तुम आ गये”, शबनम ने मुझे गले लगाते हुए कहा।
“समीना मुझे स्टोर रूम की चाबी दो, मैं तो एक सैकेंड भी अब इंतज़ार नहीं कर सकती”, नीता ने कहा।
“नहीं!! राज से पहले मैं चुदवाऊँगी, मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है”, समीना ने अपनी चूत को सहलाते हुए कहा।
“रुको! तुम तीनों रुको! पहले मेरी बात सुनो, मेरे पास तुम लोगों के लिये एक खबर है”, उनका रियेक्शन देखने के लिये मैं थोड़ी देर रुका फिर बोला, “मैंने शादी कर ली है।”
“ओह नहीं!!!!!” तीनों एक साथ बोली।
8 years ago#17
उनके चेहरे पर दुख देख कर मैं बोला, “सुनो हम लोगों के रिश्ते में कोई फ़र्क नहीं आने वाला। मैं तुम तीनों का यहाँ ऑफिस में ख्याल रखुँगा और अपनी बीवी का घर पर... समझी! चलो सब अपने काम पर जाओ और मुझे भी सब समझने दो, शाम को स्टोर रूम में मिलेंगे।”
वो तीनों खुश होकर चली गयी पर असली शामत तो रजनी से आने वाली थी। पता नहीं मेरी शादी की बात सुनकर वो क्या कहेगी, क्या करेगी। जो होगा देखा जायेगा।
समय गुजर रहा था। मैं अपने लंड से तीनों एसिस्टेंट्स को ऑफिस में और प्रीती को घर पर मज़े देता था।
हमारी कंपनी हर साल एक बहुत बड़ी पार्टी रखती थी जिसमें हर स्टाफ को उसके परिवार के साथ बुलाया जाता था।
इस बार की पार्टी शहर के सबसे बड़े क्लब, नेशनल क्लब में रखी गयी थी। मैं और प्रीती तैयार होकर क्लब पहुँचे। क्लब में घुसते हुए मैंने प्रीती से कहा, “प्रीती! ये इस शहर का सबसे बड़ा क्लब है और मैं एक दिन इसका मेंबर बनना चाहता हूँ, क्यों सुंदर है ना?”
“हाँ! काफी सुंदर है”, उसने जवाब दिया।
हम लोग लॉन में पहुँचे तो मैंने देखा कि काफी लोग आ चुके थे। “आओ प्रीती! मैं तुम्हें अपने साथियों और दोस्तों से मिलाता हूँ”, मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
जब हम मेरे दोस्तों के बीच पहुँचे तो एक ने कहा, “आओ राज! अरे ये क्या, तुम्हारे हाथ में ड्रिंक नहीं है?”
“मैं अभी तो आया हूँ, जल्दी क्या है आ जायेगी”, मैंने जवाब दिया।
“अरे ये वेटर सब आलसी हैं, जाओ... तुम खुद बार पर से ड्रिंक क्यों नहीं ले आते”, उसने जवाब दिया।
मैं प्रीती को वहीं छोड़ कर बार की तरफ ड्रिंक लेने के लिये बढ़ा तो देखा कि रजनी सेल्स मैनेजर से बात कर रही थी। उससे नज़रें बचाते हुए मैं अपनी ड्रिंक ले कर एक भीड़ में जा कर खड़ा हो गया जिससे वो कोई तमाशा ना खड़ा कर सके।
अचानक मैंने अपने कंधों पर किसी का हाथ महसूस किया। पलट कर देखा तो रजनी खड़ी थी। “हाय राज! कैसे हो?” उसकी आवज़ में दर्द था।
“हाय रजनी! मैं ठीक हूँ, तुम कैसी हो?” मैंने जवाब दिया।
“मुबारक हो”, शबनम कह रही थी कि, “तुमने शादी कर ली”, उसने अपने हाथों से अपने आँसू पौंछते हुए कहा।
“ऑय एम सॉरी रजनी! प्लीज़ शाँत हो जाओ, अपने आप को संभालो”, मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा।
“डरो मत! मैं कोई तमाशा नहीं खड़ा करूँगी। क्या तुम अपनी पत्नी से नहीं मिलवाओगे?” उसने हँसते हुए अपने रूमाल से अपने आँसू पौंछे।
“मेरा विश्वास करो रजनी! मैं लाचार था, पिताजी ने शादी पक्की कर दी और मैं उन्हें ना नहीं कर सका”, मैंने कहा।
“मैं समझती हूँ! शायद यही तकदीर को मंजूर था”, उसने जवाब दिया।
मैं रजनी को लेकर प्रीती के पास आ गया।
“प्रीती इनसे मिलो! ये रजनी है, अपने एम-डी की भतीजी!!”
“और रजनी ये प्रीती है, मेरी पत्नी।”
“मममम तुम्हारी बीवी काफी सुंदर है, इसलिये तुमने फटाफट शादी कर ली”, उसने हँसते हुए कहा। हम तीनों बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं बोला, “तुम लोग बातें करो, मैं एम-डी से मिलकर आता हूँ।”
मैं अपने एम-डी और मिस्टर महेश के पास पहुँचा तो देखा कि वो लोग कुछ डिसकशन कर रहे थे। इतने में एम-डी मुझसे बोले, “हे राज! वहाँ खड़े मत रहो, एक कुर्सी खींचो और यहाँ बैठ जाओ।”
मैं कुर्सी खींच कर बैठ गया।
8 years ago#18
“सर!! आपने उस औरत को देखा?” महेश ने एम-डी से पूछा।
“किसे??” एम-डी ने नज़रें घुमाते हुए कहा।
“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद सैंडल पहने खड़ी है, वो जिसका अंग-अंग मचल रहा है”, महेश ने अपने होंठों पर जीभ घोमाते हुए कहा।
“हाँ देखा! काफी सुंदर है!” एम-डी ने जवाब दिया।
“सर!! आपने उसके मम्मे देखे, उसके लो कट ब्लाऊज़ से ऐसा लगता है कि अभी बाहर उछाल कर गिर पड़ेंगे....” महेश ने ललचायी नज़रों से देखते हुए कहा।
“हाँ महेश!!!! देख कर ही मेरे लंड से तो पानी छूट रहा है....” एम-डी ने कहा।
“सर! मेरा तो छूट चुका है और अंडरवीयर भी गीली हो चुकी है....” महेश ने कहा।
“महेश! क्या तुम जानते हो वो कौन है?” एम-डी ने पूछा।
“नहीं सर! मैं उसे आज पहली बार देख रहा हूँ”, महेश ने जवाब दिया।
“हमें पता लगाना होगा कि वो कौन है...., राज! जरा पता तो लगाओ कि ये महिला कौन है और किसके साथ आयी है?” एम-डी ने कहा।
“किसका सर?” मैंने घूमते हुए पूछा।
“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद हाई-हील के सैंडल पहने खड़ी है...., और मेरी भतीजी रजनी से बातें कर रही है।” एम-डी ने कहा।
“वो??? सर! वो मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“तुमने हमें बताया नहीं कि तुम्हारी शादी हो चुकी है”, एम-डी ने शिकायत की।
“सर बस.... मौका नहीं मिला”, मैंने जवाब दिया।
“क्या तुम हमारा उससे परिचय नहीं कराओगे?” एम-डी ने कहा।
“जरूर सर!” इतना कह मैं प्रीती को ले आया।
“प्रीती इनसे मिलो! ये हमारी कंपनी के एम-डी, मिस्टर रजनीश हैं और ये मिस्टर महेश हैं।”
“सर! ये मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने उनका परिचय कराया।
“नमस्ते!!!” प्रीती ने कहा।
“तुम बहुत सुंदर हो प्रीती! आओ यहाँ बैठो, हमारे पास...” एम-डी ने प्रीती को कहा।
“नहीं सर! मैं यहीं ठीक हूँ”, कहकर वो सामने की कुर्सी पर बैठ गयी।
थोड़ी देर में रजनी आ गयी, “चलो राज और प्रीती! खाना लग गया है।”
“एक्सक्यूज़ मी सर!!” ये कहते हुए मैं और प्रीती, रजनी के साथ चले गये।
रात को हम घर पहुँचे तो प्रीती ने कहा, “राज! तुम्हारे बॉस अच्छे लोग नहीं हैं, कैसे मुझे घूर रहे थे, लग रहा था कि मुझे नज़रों से ही चोद देंगे।”
“ऐसा कुछ नहीं है जान! तुम हो ही इतनी सुंदर कि जो भी तुम्हें देखे उसकी नियत डोल जायेगी”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
अगले दिन जब मैं ऑफिस पहुँचा तो मुझे महेश ने कहा कि एम-डी ने मुझे रात आठ बजे होटल शेराटन में उनके सूईट में बुलाया है, कोई मीटिंग है।
!!! क्रमशः !!!
“किसे??” एम-डी ने नज़रें घुमाते हुए कहा।
“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद सैंडल पहने खड़ी है, वो जिसका अंग-अंग मचल रहा है”, महेश ने अपने होंठों पर जीभ घोमाते हुए कहा।
“हाँ देखा! काफी सुंदर है!” एम-डी ने जवाब दिया।
“सर!! आपने उसके मम्मे देखे, उसके लो कट ब्लाऊज़ से ऐसा लगता है कि अभी बाहर उछाल कर गिर पड़ेंगे....” महेश ने ललचायी नज़रों से देखते हुए कहा।
“हाँ महेश!!!! देख कर ही मेरे लंड से तो पानी छूट रहा है....” एम-डी ने कहा।
“सर! मेरा तो छूट चुका है और अंडरवीयर भी गीली हो चुकी है....” महेश ने कहा।
“महेश! क्या तुम जानते हो वो कौन है?” एम-डी ने पूछा।
“नहीं सर! मैं उसे आज पहली बार देख रहा हूँ”, महेश ने जवाब दिया।
“हमें पता लगाना होगा कि वो कौन है...., राज! जरा पता तो लगाओ कि ये महिला कौन है और किसके साथ आयी है?” एम-डी ने कहा।
“किसका सर?” मैंने घूमते हुए पूछा।
“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद हाई-हील के सैंडल पहने खड़ी है...., और मेरी भतीजी रजनी से बातें कर रही है।” एम-डी ने कहा।
“वो??? सर! वो मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“तुमने हमें बताया नहीं कि तुम्हारी शादी हो चुकी है”, एम-डी ने शिकायत की।
“सर बस.... मौका नहीं मिला”, मैंने जवाब दिया।
“क्या तुम हमारा उससे परिचय नहीं कराओगे?” एम-डी ने कहा।
“जरूर सर!” इतना कह मैं प्रीती को ले आया।
“प्रीती इनसे मिलो! ये हमारी कंपनी के एम-डी, मिस्टर रजनीश हैं और ये मिस्टर महेश हैं।”
“सर! ये मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने उनका परिचय कराया।
“नमस्ते!!!” प्रीती ने कहा।
“तुम बहुत सुंदर हो प्रीती! आओ यहाँ बैठो, हमारे पास...” एम-डी ने प्रीती को कहा।
“नहीं सर! मैं यहीं ठीक हूँ”, कहकर वो सामने की कुर्सी पर बैठ गयी।
थोड़ी देर में रजनी आ गयी, “चलो राज और प्रीती! खाना लग गया है।”
“एक्सक्यूज़ मी सर!!” ये कहते हुए मैं और प्रीती, रजनी के साथ चले गये।
रात को हम घर पहुँचे तो प्रीती ने कहा, “राज! तुम्हारे बॉस अच्छे लोग नहीं हैं, कैसे मुझे घूर रहे थे, लग रहा था कि मुझे नज़रों से ही चोद देंगे।”
“ऐसा कुछ नहीं है जान! तुम हो ही इतनी सुंदर कि जो भी तुम्हें देखे उसकी नियत डोल जायेगी”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
अगले दिन जब मैं ऑफिस पहुँचा तो मुझे महेश ने कहा कि एम-डी ने मुझे रात आठ बजे होटल शेराटन में उनके सूईट में बुलाया है, कोई मीटिंग है।
!!! क्रमशः !!!
8 years ago#19
मैं शाम को ठीक आठ बजे होटल शेराटन में एम-डी के सूईट में पहुँचा, तो वहाँ सिर्फ़ एम-डी और महेश ही थे और कोई नहीं।
“और सब लोग कहाँ हैं?” मैंने महेश से पूछा।
“इस मीटिंग में और कोई नहीं है”, महेश ने हँसते हुए कहा, “एम-डी और मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है, तुम बैठो।”
मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मैं महेश की बतायी सीट पर बैठ गया।
“राज को कुछ पीने को दो महेश”, एम-डी ने कहा।
“क्या लोगे राज?” महेश ने बार की तरफ बढ़ते हुए पूछा।
“स्कॉच विद सोडा”, मैंने जवाब दिया।
महेश ने ग्लास पकड़ाया और मैंने उसमें से सिप लिया, “चीयर्स! काफी अच्छी है”, मैंने कहा।
“हाँ! बीस साल पुरानी स्कॉच है और इससे अच्छी स्कॉच मॉर्केट में नहीं मिलेगी”, महेश ने कहा।
“हाँ लगता तो ऐसा ही है..., पर मैं इसे अफोर्ड नहीं कर सकता, बहुत महंगी है”, मैंने जवाब दिया।
“क्या पता, आज के बाद तुम यही स्कॉच रोज़ पियो”, महेश ने हँसते हुए कहा।
ये सोच कर कि शायद मुझे मेरी तरक्की के लिये बुलाया है, मैंने एक जोर का घूँट लिया।
“महेश बता रहा था कि तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो ऑफिस में, और स्टाफ भी बहुत खुश है तुम्हारे कम से”, एम-डी ने कहा।
“सर! ये बहुत ही होशियार और मेहनती लड़का है”, महेश ने कहा ।
“थैंक यू सर।”
“राज तुम्हारी वाइफ प्रीती बहुत ही सुंदर है, उसका शरीर तो गज़ब का ही है”, एम-डी ने कहा।
“सर! उसके मम्मे मत भूलिये, और उसकी गाँड..., जब हाई-हील के सैंडलों में चलती है तो, दिल ठहर जाता है!” महेश ने कहा।
“सर! मेरे काम और मेरी तरक्की के बीच में ये प्रीती कहाँ से आ गयी?” मैंने हकलाते हुए पूछा।
“देखा महेश! मैं ना कहता था कि राज होशियार और अक्लमंद लड़का है, ये पहले ही समझ गया कि हमने इसे तरक्की के लिये बुलाया है। महेश इसे वो लैटर दो जो तुमने तैयार किया है”, एम-डी ने महेश से कहा।
महेश ने अपनी पॉकेट से लैटर निकालते हुए मुझे दिया, “पढ़ो बेटा।”
लैटर एम-डी का साइन किया हुआ था। मेरी तरक्की कर दी गयी थी और मेरी तनख्वाह जो मैंने सपने भी नहीं सोची थी, उतनी कर दी गयी थी। अपनी उत्सुक्ता में मैंने महेश से भी कहे बिना खुद ही बॉटल उठा ली और अपने लिये एक तगड़ा पैग बना लिया।
“क्या सोच रहे हो? क्या तुम्हें तरक्की और इतना अच्छा वेतन नहीं चाहिये?” महेश ने मेरे हाथ से लैटर वापस लेते हुए कहा।
“हाँ सिर! मुझे चाहिये”, मैंने जवाब दिया।
“तो इस तरक्की को तुम्हें कमाना पड़ेगा”, महेश ने कहा
“मैं कुछ समझा नहीं कि मुझे ये तरक्की कमानी पड़ेगी..., मगर कैसे?” मैंने पूछा।
“राज तुम बहुत ही लक्की लड़के हो कि तुम्हें प्रीती जैसी बीवी मिली। तुम तो रोज़ उसे नंगा देखते होगे, उसके मम्मे दबाते होगे। और उसकी चूत और गाँड भी मारते होगे। मैं दावे से कह सकता हूँ कि उसकी चूत बहुत ही टाइट होगी”, एम-डी ने कहा।
मैं चौंक गया। ये लोग मेरी बीवी के बारे मैं बात कर रहे थे, पर मैं चुप रहा।
“उसकी गाँड भी प्यारी होगी राज, मैं जानता हूँ तुम खूब कस कर उसकी गाँड मारते होगे”, महेश ने कहा।
मन तो कर रहा था कि उठकर इन दोनों की पिटायी कर दूँ। मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें करने का इन्हें क्या हक है, पर डर रहा था कि कहीं मैं अपनी तरक्की और नौकरी ना खो दूँ, इसलिये मैंने हल्के से ऐतराज़ दिखाते हुए कहा, “प्लीज़ सर! आप मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें ना करें।”
एम-डी ने विषय को बदलते हुए कहा, “राज मैं जानता हूँ कि जिस फ्लैट में तुम रह रहे हो, छोटा है। क्या तुम नियापेनसिआ रोड पर कंपनी के फ्लैट में रहना चाहोगे और तुम्हें किराया भी नहीं देना पड़ेगा। ”
नियापेनसिआ रोड, मुंबई के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट! मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, “हाँ सर! क्यों नहीं रहना चाहुँगा?” मैंने खुशी से जवाब दिया।
8 years ago#20
“राज! ये तरक्की, ये फ्लैट सब कुछ तुम्हारा हो सकता है, अगर तुम एम-डी पर एक एहसान कर दो”, महेश ने कहा।
“एम-डी पर एहसान? सर अगर मेरे वश में हुआ तो एम-डी के लिये मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ”, मैंने ग्लास में से स्कॉच का बड़ा घूँट भरते हुए कहा।
“महेश! राज का ग्लास भरो”, एम-डी ने कहा “सच तो ये है राज कि जिस दिन से मैंने तुम्हारी बीवी प्रीती को देखा है, मैं रात को सो नहीं पाया हूँ। मैं उसके ही सपने देखता हूँ। तुम्हें अपनी बीवी को तैयार करते हुए उसे हम दोनों को सौंपना है। फिर तुम्हें तरक्की भी मिल जायेगी और फ्लैट भी। हम लोग तुम्हारी दूसरे तरीके से भी मदद करेंगे।”
“हम दोनों को?” मैं समझा नहीं।
“हाँ! हम दोनों को”, एम-डी ने कनफर्म किया।
मैं एक दम सकते की हालत में था। क्या कहूँ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने अपना ग्लास एक ही झटके में खाली कर दिया। ओह गॉड! ये लोग मेरी बीवी पर नज़र रखते हैं, ये दोनों उसे चोदना चाहते है। मुझे लगा सारा आसमान मेरे सिर पर गिर पड़ेगा।
“ये आआआ...प क्या कह रहे हैं सर”, मैंने थोड़ा गुस्से में, पर नीची आवाज़ में कहा, “क्या आप दोनों मेरी बीवी को चोदना चाहते हैं।”
“मैं नहीं कहता था सर! अपना राज समझदार लड़का है, हाँ! राज हम तुम्हारी बीवी प्रीती को चोदना चाहते हैं”, महेश ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।
“नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकता”, मैंने सुबकते हुए कहा, “प्रीती बहुत सीधी लड़की है, वो भगवान को बहुत मानती है और डरती है और सबसे बड़ी बात, वो पतिव्रता नारी है। वो नहीं मानेगी।”
“हम भी भगवान से डरने वालों में से हैं”, एम-डी ने कहा।
“राज! ठंडे दिमाग से सोचो, तुम तरक्की के साथ दुनिया का सब सुख और आराम पा सकते हो। कंपनी के साथ रहते हुए तुम कहाँ से कहाँ पहुँच सकते हो”, एम-डी ने कहा।
“ओह गॉड! ये मैं कहाँ फँस गया”, मैं सोच रहा था। मेरे अंदर का शैतान मुझे भड़का रहा था कि राज हाँ कर दे! इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा! कितनी औरतें हैं जो अपने पति के होते हुए दूसरों से चुदवाती हैं। उनके पति को पता भी नहीं चल पाता क्योंकि चूत में तो कोई फ़रक नहीं आता। फिर तुम्हें तो उसकी चूत हासिल रहेगी ही। और सोचो नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में रहना..., वो सब सुख और आराम। मगर मेरे अंदर का इनसान मुझे मना कर रहा था कि ये सब पाप है और मुझे उक्सा रहा था राज मना कर दे...! अभी और इसी वक्त!
“वो नहीं मानेगी सर! मैं जानता हूँ”, मैंने जवाब दिया।
“कैसे नहीं मानेगी? अगर वो पतिव्रता है तो तुम्हारा हुक्म कभी नहीं टालेगी”, एम-डी ने कहा।
“सर आप समझते क्यों नहीं...? मैं जानता हूँ।”
“महेश! तुमने राज को वो फोटो दिखाये कि नहीं?” कहकर एम-डी ने मेरी बात काटी।
महेश ने अपने पॉकेट से एक लिफाफा निकाल कर मुझे पकड़ा दिया। मैंने देखा उस लिफ़ाफ़े में मेरी और मेरी तीनों एसिस्टेंट्स की चुदाई की तसवीरें थी। मुझे नहीं मालूम कि कैसे और किसने ये तसवीरें खींची थीं। मैं सकते का हालत में था। “आपको ये कहाँ से मिली और आपको किसने बताया?” मैंने डरते हुए पूछा।
“किसी ने नहीं! हमारी कंपनी में कौन क्या कर रहा है, ये जानना हमारा फ़र्ज़ है”, एम-डी ने जवाब दिया।
मेरा दिमाग चकरा रहा था। अगर ये फोटो प्रीती ने देख लिये तो वो जरूर मुझे छोड़ के चली जायेगी। “इनका आप क्या करेंगे?” मैंने पूछा।
“ये तुम पर निर्भर करता है, या तो प्रीती को तैयार करो और अपनी तरक्की, फ्लैट और ये सब तसवीरें, नैगेटिव के साथ तुम्हें हासिल हो जायेंगी या फिर कल सुबह ये तसवीरें तुम्हारी बीवी को मिल जायेंगी और तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। ये फैसला तुम्हें करना है।”
मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने अपना मन पक्का कर लिया और कुर्सी पर से खड़ा होते हुए कहा, “ठीक है सर! मंा प्रीती को तैयार कर लूँगा।”
“तुम काफी समझदार हो राज! बहुत तरक्की करोगे भविष्य में”, एम-डी ने मेरी पीठ थापथपायी।
“तुम्हें विश्वास है... तुम ये काम कर लोगे?” महेश ने पूछा।
“हाँ सर! मैं कर लूँगा, आप मुझे सिर्फ़ समय और तारीख बतायें”, मैंने जवाब दिया।
“ठीक है! शनिवार की शाम हम तुम्हारे घर ड्रिंक्स लेने के बहाने आयेंगे, पर तुम्हारी बीवी का मज़ा लेंगे”, एम-डी ने कहा।
“हाँ सर! ये ठीक रहेगा! प्रीती को होटल में चोदने की बजाये उसी के बिस्तर पर चोदा जाये तो बढ़िया है”, महेश ने कहा।
मैंने उनसे विदा ली और इस दुविधा के साथ अपने घर पहुँचा कि अब प्रीती को कैसे तैयार करूँगा। ड्रिंक्स ज्यादा होने कि वजह से हमारी बात नहीं हो पायी और मैं सो गया।
सुबह प्रीती ने पूछा, “राज कल रात तुम्हारी मीटिंग किस विषय में थी?”
“ऐसे ही ऑफिस की नॉर्मल मीटिंग थी...” मैं चाह कर भी उसे कुछ कह नहीं पाया। “हाँ मैंने सैटरडे को एम-डी और महेश को ड्रिंक्स पर बुलाया है, ध्यान रखना”, मैंने प्रीती से कहा।
“उन्हें घर पर क्यों बुलाया? तुम्हें मालूम है ना वो मुझे अच्छे नहीं लगते”, प्रीती ने नाराज़गी जाहिर की।
“प्रीती! वो मेरे बॉस हैं, और तुम्हें उनसे अच्छे से बिहेव करना है। जब उन्होंने घर आने को कहा तो क्या मैं उन्हें मना कर सकता था?” मैंने प्रीती को समझाया।
बुधवार की शाम कुछ लोग ड्रिंक्स का सामान दे गये, जो महेश ने भिजवाया था।
बास्केट में स्कॉच और कोक देख कर प्रीती ने पूछा, “ये सब क्या है?”
“बॉस के लिये स्कॉच और कोक...” मैंने जवाब दिया।
जब मैंने महेश से पूछा कि कोक क्यों भिजवायी तो महेश ने कहा, “राज ये स्पेशल तरह की कोक है, इसमें उत्तेजना की दवाई मिलायी हुई है। इसे प्रीती को पिलाना, उसका दिमाग काम करना बंद कर देगा।”
पूरा हफ्ता बीत गया और शनिवार आ गया। पर मैं प्रीती को कुछ नहीं बता पाया। मैंने सब कुछ भगवान के सहारे छोड़ दिया।