8 years ago#11
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अगले रोज़ मै जब घरसे ऑफिस के लिए निकला तो सीमा फिर रास्ते पे बस के इंतज़ार में खडी दिखी. गुदगुदाते मन से मै उसके पास बाइक रोक कर पूछा, ‘सीमाजी अब कैसा है आपका भाई.’

सीमा, ‘भगवान आपका भला करे अब उसे होश आगया है. डॉ साहब कह रहे थे कि अब वह खतरे से बाहर है. आज उसे जनरल वार्ड मे शिफ्ट कर देंगे और यदि सब कुछ नार्मल रहा तो कल तक डिस्चार्ज भी कर देंगे. अगर आप नही होते तो पता नही क्या होता.’

मै, ‘आप कैसी बात कर रही है. भगवान सबका भला करता है. यदि आप हॉस्पिटल जा रही हैं तो आईये मै ऑफिस हि जा रहा हूँ.’

मेरा इशारा पाते हि वह बाइक पर बैठ गई. आज उसमे कोई संकोच नही था. वह मुझ से सट कर बैठी थी. बाइक बढ़ाते हि उसकी चुंची मेरे पीठ से टकरायि. उसके बदनके मस्त मुलायम स्पर्शसे गर्म होते उसका भरपुर लुत्फ़ उठाते हुवे मै चल पड़ा. रास्ते मे कई बार उसकी चुंची मेरे पीठ से टकराई. मै अपने हि धुन मे उसे भोगनेके रंगीन ख्वाबों मे डूबा चला जा रहा था.

हॉस्पिटल आगया. मैंने बाइक रोक कर उसकी जरूरतों के बारे मे पूछा. उसने कहा कि अभी तो सब ठीक है. कोई ज़रुतात आ पड़ी तो बताउंगी. ठीक है कहता हुवा मै चल दिया. दिन मे करीब तिन बजे उसने फोन करके बताया कि उसका भाई जनरल वार्ड मे शिफ्ट हो चुका है. कुछ टेस्ट करने के लिए गया हुवा है, कल रिपोर्ट आने के बाद डिस्चार्ज भी होजायेगा.

मैंने उसे भाई के स्वास्थ्य मे प्रोग्रेस के लिए मुबारकबाद दिया और फोन काट दिया. 

सीमा का भाई ठीक हो कर अपने गांव चला गया. सीमा अब कभी कभार मेरे घर आने जाने लगी थी. वह जब भी आती मै उसके जवानी को ललचाई निगाहों से निहारते निहारते उसके हुस्न के दरिया मे मन हि मन गोते लगाने लगता था. मेरी बीवी मेरे मनकी बात ताड़ गई थी. कभी कभार वह चुटकी लेते कहती आज कल सीमा के तरफ बड़े ललचाई निगाहों से देखते रहते हो, क्या बात है. मै नही ऐसी कोई बात नही है कह कर टाल देता था.

धीरे धीरे वक़्त बीतता गया. उसके लिए मेरी चाहत भी बढती गई. मुझे समझ मे नही आरहा था कैसे आगे बढूँ. कोई रास्ता नज़र नही आ रहा था. मै जल्दबाजी करके उसे खोना भी तो नही चाहता था. वह जब भी आती मै ज्यादा से ज्यादा उससे बातें करने लगा. कभी कभार मजाक भी कर देता. मेरे मजाक का वह बड़ी सादगी और भोलेपन से जवाब देकर टाल देती थी. उसकी इस अदाने मेरी चाहत और बेचैनीको और बढ़ा दिया.

धीरे धीरे मुझे उसके ब्यवहार मे कुछ परिवर्तन महशुस होने लगा. वह कभी कभार मेरे तरफ देख मुस्करा देती तो कभी मेरे मजाक पे नज़रे झुका लेती और फिर चुपकेसे तिरछी निगाहों से मेरेको देख लेती. मै उसके मन का हालत नही जनता था लेकिन मै अपने स्वार्थ के अनुरूप यह सोंच सोंच कर अपने दिलको दिलासा देने लगा था कि अब वह मेरे तरफ धीरे धीरे कदम बढ़ाने लगी है. अब वह भी मुझे पसन्द करने लगी है.

अब मै कभी कभार कोई दोअर्थी सब्द बोल देता, वह मुस्कुराते हुवे नज़रें फेर लेती. अब वह मेरे घर पहले के तुलना मे कुछ ज्यादा हि आने लगी, और जब आती तो थोडा सज संवर कर आती. अब मुझे यकीन सा होने लगा था कि वह भी मन हि मन मुझे चाहने लगी है.

अब मुझे खुद को रोक पाना मुस्किल होने लगा था. मैंने सोंच लिया कि अब आर या पार चाहे जो हो उसे अपने मनकी बात कहना हि पड़ेगा. मै सोंचने लगा कैसे इजहार करू अपने चाहत को. मैंने कुछ अलग ढंगसे उसे सेड्युस करने का प्लान बनाया और अगली बार उसके आने का बेसब्रीसे इंतज़ार करने लगा. 

आज मेरे ऑफिस कि एक पार्टी थी. मै देर रात को घर पहुंचा. रेणु मेरी बीवी सो चुकी थी. मै अपने चाभी से दरवाज़ा खोला और अन्दर गया. ठंढ काफी थी परंतु एसी चालु होने के वजह से बेड रूम का तापक्रम बड़ा सुहावना लग रहा था. मै चेंज करके कम्बल मे घुस गया. रेणु कि आँख खुल गई. वह बातें करने लगी.

रेणु: ‘कहो डियर कैसी रही पार्टी.’

मै: ‘बस हमेशा के तरह, ठीक ठाक.’ कम्बल मे घुसते हि मैंने उसे अपनी बांहों मे भर लिया.’ 

रेणु: ‘हाय्य्य्य क्या कर रहे हो. पार्टी मे कोई नही मिली क्या कि आते हि मुझे दबोचने लगे.’

मै उसके होंठों को चुमते और चुतड़ोंको सहलाते हुवे: ‘थीं तो कई मगर सिर्फ लंड खड़ा करने के लिए, लंड को संत करने के लिए नहि सिर्फ़ बेचैनी बढ़ाने के लिए थीं. आवो रानी लंड अकड़ रहा है अब इसे शांत कर दे, आ अपना मूड बना ले जानेमन.’

रेणु मेरे होंठों को चुम कर मेरे छाती से चिपकती हुई: ‘हाय्यय्य्य मेरे संय्य्या ऐसे कह रहे हो जैसे कभी तुम्हे मना किया हो और रही मूड कि बात तो अगर ना भी हो तो बनवा दो ना.’ 

मै: ‘तो चल तैयार होजा’ उसे और कसके अपने छाती मे सता लिया. उसकी मुलायम चुंचियां मेरे छाती मे दब कर पिचक गई. मै उसके घने रेश्मी बालों मे उंगली डाल कर सहलाने लगा.

रेणु इतराते हुवे बड़ी अदाके साथ बोली: ‘तु हि तैयार कर लो ना.’ और इसके साथ हि मै अपना हाथ उसके चिकने बदन पर घुमाने लगा. मैंने उसके चुंचियों को सहलाया फिर पीठ और नितम्बों पर हाथ फेरने लगा. 

मै: ‘एक पप्पी देकर सुरु होजा फिर, क्या सोंचने लगी.’

रेणु: ‘हाय्यय्य्य होंच रही हूँ कहां पे दूँ.’ 

मै: ‘पहला होंठों पर, दूसरा चुंची पर और ...... आजा जानेमन अब और मत सता.’

रेणु: ‘हाय्य्य्य सता कंहा रही हूँ मै तो खुद सटी जा रही हूँ. देखो ना मेरी चुंचिया कैसे दब गयीं हैं तुम्हारे छाती पर, जरा दबा के देखोना, वैसे भी ठण्ड है दूर रहकर काम चलेगा भी कैसे सनम.’

मै: ‘हां और कसके चिपक जा जानेमन.’

रेणु: ‘हाय्य्यय्य्य्य लोओओ जीईईई और चिपक गई रे.’

मै: ‘हाय्य्य्य देख कैसे मज़ा भी आ रहा है और ठण्ड भी गायब.’

मै उसके नितम्बों को जोर जोर से मसलने लगा. उसके गोरे गालों को और लाल लाल होंठोंको चुमने लगा.

रेणु: ‘उईइम्ममाआअ चिपक तो रही हूँ पर ऐसे बेदर्दी से मेरी गांड तो ना मसलो ना प्लीज.’

मै: ‘हाय्य्य्य मेरी जां मत रोको आज.’ कहते हुवे और कस कसके मसलने लगा उसका गांड. वह भी मेरा पीठ सहलाने लगी.

रेणु इतराती हुई बोली: ‘हाय्य्य्य मान जावोना सैंया जी, ऐसे बेदर्दी ना दिखावो जी.’

मै: ‘बेदर्दी नही ये तो प्यार है मेरी रानी, जरा समझा करो ना.’ उसकी इतराती बोली और और कामुक अंदाज़ मेरे उपर जादु सा असर करता जा रहा था. मैंने उसका नाईटी उतर दिया खुद भी अपना सारा कपडा खोल कर फेक दिया एक तरफ और उसको पुनः अपने आगोशमे भरकर उसके गाल और होंठों को चुमने लगा.

रेणु: ‘हाय्य्य्य रे तुम्हारे लिए तो प्यार है लेकिन देखो ना तुम्हारा हाथ कितनी बेशर्मिसे मेरी पैंटीमे घुसा जा रहा है और मेरी गांड मसल रहा है. ईस्स्स्सस्स्स .....’

मै: ‘तुम्हारी गांड हि इतनि मस्त अहि तो मै क्या करूँ जानेमन’

रेणु: ‘हाय्य्यय्य्य इतनि मस्ती भी ठीक नही है राज्जज्जा जीईईईइ मसलो मगर प्यार से. ऊईईईईईईई माआआआआआआआ मै तो मसल्वाना काम करना चाहती थी, तुमने तो मेरी चढ़ी सरका के मेरा गांड हि नंगि कर दी राज्जज्जा जीईईईइ. बड़े हि बेशर्म होते जा रहे हो आज कल, अब क्या करूँ, गांड हि कहां नंगी हुई है केवल, आगे वाली भी तो नंगी हो गई. आखिर एक हि तो चीज़ ढकती है ना आगे वाली और पिछे वाली दोनो को. आज क्या हो रहा है तुम्हे, क्यूँ पागल से हुवे जा रहे हो आज इतना.’

मै उसके चुतड के बिच कि गहराई मे अपना उंगली घुमाते हुवे बोला: ‘आज के पार्टी मे रश्मि सालीने नाचते वक़्त अपनी चुंचियों को छलका छलका कर मेरा हि नही सभी मर्दों का बड़ा बुरा हाल कर दिया है. बड़ी मस्त जवानी है भोंसड़ी कि, अगर लोंगों का खयाल नही होता तो मै तो वहीँ पे चोद लेता साली रण्डी को’

रेणु: ‘अच्च्छा जीईईईई तो ये बात है, इतना मस्ती चढ़ा था तो चोद हि डालते भोंसड़ी को वहीँ किसी कमरेमे लेजाकर. कम से कम मेरी तो जान बंच जाती. उस भोंसड़ी के कारण तुम तो मेरी जान लेलोगे इस तरह. आह्ह्हह्ह्ह्ह देखो तो ऐसे फनफना रहा है तुम्हारा सांप कि मुझे तो दर लग रहा है ना जाने कहां डांस ले और किस बिल मे घुस जाये. बस अब इतना जलवा ना देखा करो उसके चक्कर मे तो ये मुझे चलने लायक नही छोड़ेगा, कुछ तो तरस खावो अपनी रानी पर.’ 

मै उसके गांड के छेद पर गोल गोल चक्करों मे अपना उंगली घुटे हुवे और अपना तना हुवा लंड उसके पेंडु पर दबाते हुवे बोला: ‘हाय्य्य्य आज सब कर लेने दो मत रोको प्लीज, देखो मेरा कैसे खड़ा हो रहा है जानेमन.’

रेणु: ‘ऊईईईईईईम्म्म्माआआआअ तभी तो डर रही हूँ राज्जज्जा जीईईईई.’ 

मै अपना लंड उसके हाथमे थमाते हुवे बोला: ‘ये बात है तो जरा हाथ से सहला दो, प्यार से पुचकार दो और चुम के समझा दो इसे.’ 

रेणु एक भूखी बिल्ली कि तरह मेरे मोटे चुहेको पंजे मे दबोचते हुवे बोली: ‘इस्स्सस्सस्स्स्स बड़ा हि गरम और टाइट हो रहा है तेरा लगता है आज मेरी खैर नही.’

मै: ‘हाआआअ आआअह्हह्हह और कसके दबोच ले रान्न्नी.’

रेणु: ‘बिना लिए मानेगा नही तुम्हारा’ और मेरे लंडको मसलने लगी.

मै: ‘हाय्य्यय्य्य मेरी जान आआअह्हह्हह क्या कलाकारी दिखा रही हो तु इसे हाथसे हि झाड़ दोगी क्या. अब जरा अपनी टांग खोल कर फैलावो मै भी तो देखू तेरी बाहर, जरा टांग खोलो ना रानी.’

रेणु अपनी टांगें खोलते हुवे बोली: ‘हाय्य्य जो मरजी देख लो मै मना कहां कर रही हूँ. हाय्य्य्य लो ना टांगें खोल दी मेरे बलम जी, तुम जैसे कहोगे वैसे हि करूंगी मोरे मोटे लंवडे वाले सैंया जी.’

मै: ‘जरा उंगली से अपने फैला ना अपना, जरा जिभ डालके चाट लूँ तेरी.’

रेणु: ‘हाय्य्य किस वाली को फैलाऊं, किस वाली मे जिभ डालोगे सजन जी, आगे वाली मे या पिछे वाली मे, कौन सी खोलूं राजा जी.’

मै: ‘पहले बुर फैला उसे चाट लूँ फिर गांड मे पेलुंगा.’

रेणु: ‘हाय्य्य लो ना पुरी चौड़ी कर दी, देख ना अपनी उँगलियों से कैसे फैला दिया मैंने.’

मै: ‘हाय्य्य्य तेरी बुर लंवडा खा खा के कितनी फ़ैल गई है रे. ये तो रण्डी के भोंस्डा जैसी हो गई है रे साली, तु कितनी बड़ी चोदक्कड़ है रे भोंसड़ी.’

रेणु: ‘ओय्य्यय्य होय्य्य्यय्य तु बड़े बेशर्म हो मोरे सनम. जब इसे दूसरों से चुद्वाए तो क्योंनाही सोंचा कि उन्हें अपने मज़े से मतलब है, उन्हें क्या लेना है अगर बुर का भोंस्डा हि बन जाये तब भी. सालों ने कितनी बेरहमी से चोद चोद कर ढीला किया है मेरे बुरको ये तुम क्या जानो ये तो मेरे बुरको हि मालुम है राज्जज्जा. खैर छोड़ो भी अब लो ना फैला दिया है तेर लिए मेरी लाल लाल बुर खा लो ना जैसे मरजी.’

मैंने अपना जिभ उसके चौड़े बुर मे घुसेड दिया और उसके बुरके लाली को चाटना सुरु कर दिया. उसने कस के फैला राखी थी अपने बुर को और मै उसके बुरके हर हिस्से पर अपना जिभ घुमाने लगा. मै उसके चने के दाने जैसी टीट पर अपने जिभ का नोक रगड़ने लगा तो वह एक दमसे मिमियाने लगी, ठीक वैसे हि जैसे हीट मे आई बकरी मेमियती है. वह अपना बुर मेरे मुह पर जोर जोर से दबाने लगी.

रेणु: ‘इस्स्सस्सस्स्स्स आह्ह्हह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ सनम बड़े हि चोदु हो तुम तो.’

मै: ‘और तुम क्या काम चोद्द्क्कड हो. चोदवा चोदवा कर भोंस्डा बनवा लि हो पर हाय्य्य्य रानी तेरा बुर है बड़ा नमकीन. हाय्यय्य्य देख ना तेरी बुर कितना पानी छोड़ रही है. आज जी भरके पिला दे अपने बुर का नमकीन पानी. आआआह्ह्ह हाय्यय्य्य मेरी रानी बड़ा मज़ा आरहा है.

रेणु: ‘अब जीभ पेलोगे तो पानी हि छोड़ेगी ना राज्ज्ज्जा. आआअह्हह्हह हाय्य्य्यय रे ईस्स्स्सस्स्स. खा हि जावोगे क्या इसे मान भी जावो ना. हाय्यय्य्य्य पी लो जितना चाहो पर ज्यादा चूसोगे तो देख लेना कहीं शुशु ना कर दे ये मचलते हुवे तुम्हारी हरकतों से.’

मै: ‘अब चाहे जो भी हो देखा जाएगा, अभी तो बस चुसने दो ना.’

रेणु: ‘हाय्य्य्यय्य तुम भी ना कितने चोदु हो मेरे यार, चूस लो जैसे मरजी मना नही करुँगी. मेरा बुर तुम्हारे मज़े के लिए हि तो है और बुर का क्या गांड भी भी, चुंची भी सब कुछ. मै अब गांड उठा रही हूँ चूस ले मेरी बुर मेरे सजन जी.’

उसने गांड उपरके तरफ उठा कर मेरे मुहसे चिपका दिया. मै चपर चपर उसके बुर पे जिभ चला कर चाटने लगा. उसके बुरसे नमकीन पानी कि धार बहने लगी और उसे चूस चूस कर मै मज़े लेने लगा. क्या स्वाद था उसके बुर से बहते पानी का, वाह्ह्हह्ह.

मै: ‘हां बड़ा मज़ा आरहा है चुसवाती जा आ 69 करते हैं मेरी रानी. अब तुम भी लेलो मेरा लंड अपने मुह मे.’

रेणु: ‘हां क्यूँ नही मेरे सजन आखिर तुम्हारे लौंडे को भी तो मज़े आने चाहिए जिभ के साथ साथ, हाय्य्य्य मेरे बलमजी मै लेती हूँ लपक के आपका लौंडा अपने मुह मे.’ और इसके साथ हि उसने मेरा लंड अपने मुह मे लेकर होंठों के प्रेसर से दबोच दबोच कर चुसने लगी. मै भी उसके बुरको फैला कर बुरके छेड़ मे जिभ और अपना एक उंगली डाल कर चाटने लगा. कभी उसका बुर चाटता तो कभी बुरके रस से तर अपने उंगली को चटने लगता. कभी कभी तो उसके बुर के रस से तर अपना उंगली उसके मुहमे डाल देता और वह मेरे उंगली पर लगे अपने बुर के रस को चाटने लगती थी. मेरा लंड चुस्ती हुई वो बोली, ‘देखो चूस रही हूँ राज्ज्ज्जा जीईईईइ इस्स्स्स.’

मै: ‘हाय्य्य मेरी रानी क्या मस्त है तेरी जवानी. हाय्य्य रे तेरी बुर कितनी मचल रही, जरा अपनी गांड उठा फिर देख कैसे झाड़ता हूँ इसकी मस्ती.’

रेणु: ‘लो ना उठा लि अपनी गांड जरा इसे भी सहलाते हुवे चाटोना मेरी बुर. हाय्य्य मोरे सजन जी तेरा लौंडा कितना कड़क और मोटा हो गया है. लगता है आज ये फाड़ हि देगा मेरे बुर और गांड को. जरा प्यारसे लेना, धीरे धीरे डालना मेरे चोदु बलम जी.’

मै: ‘आज तो मन कर रहा है कि पहले तेरे गांड मे हि पेलु मेरी रानी, हाय्य्य्य रे तेरी गांड क्या मस्त लग रही है रे मेरी जां.’

रेणु: ‘क्यूँ आज इतनि अछि लग रही है क्या मेरी गांड. हाय्य्य्य मेरे राज्जज्जा अब और कितना चाटोगे. अब पेल दो ना अपना लौड़ा, चोद डाल मेरे बुर और गांड मोरे राज्जज्जा जी.’

मै: ‘हांआअ मेरी जान बड़ी मस्त लग रही है ये, ला पहले थोडा ठुक लगा दूँ इस्पे फिर पेलता हूँ अपना लौंडा.’

रेणु: ‘हाय तो लगा दो ना मेरे राज्जज्जा जीईईईइ जो लगाना हो.’

मै: ‘ले मेरी रानी.’

मै उसके गांड के छेद पर अपने जिभका नोक रगडने लगा और उसके साथ हि ढेर सारा थूक लगा दिया उसके गांड पर. अब मै उसके गांड मे एक उंगली डाल कर गांडके छेद मे थूक मिलाने लगा.

रेणु: ‘हाय्य्य ऐसे कैसे ले पावोगे गांड का मज़ा मेरे सनम, लो मै गांड उठाके घोड़ी बन जाती हूँ पीछे से पेलो आसानी से चला भी जाएगा और मज़ा बी आएगा रज्जज्जा जीईईई.’ कहते हुवे वह उलट कर घोड़ी बन गई.

मै उसके गांड के छेड़ पर अपना लंड स्टेट हुवे बोला: ‘ले संभाल अपना गांड मै पेल रहा हूँ अपना लंड.’

रेणु: ‘उईईईईईईई माआआआआआआअ आआअह्हह्हह एक तो इतना मोटा लौंडा है उपरसे थोडा सबर भी नही, उईईईईईईई आआअह्हह्हह आआअह्हह्हह प्लीज रज्जज्जजा जीईईईइ आआअऊ रे मैय्य्य्यय्या आराम से सैंय्य्यय्य्या जी आआअह्हह्हह आराम से पेल्ल्ल्ललो ना आआअह्हह्हह उईईईईईईई मैय्य्य्यय्या आआअह्हह्हह रज्ज्ज्जा जीईईईइ मेरी गांड है ये, जरा आराम से राज्ज्ज्जा जीईईईइ ऐसे बदर्दी मत बनो आआअह्हह्हह इतने लौडा नही खाए इसने कि झटके मे ले ले तुम्हारा लौड़ा उईइ आआअह्हह्हह.’

मै: ‘लो चला गया सुपाडा तेरे गांड मे अब देखो कितने प्यारसे घुसेड़ता हूँ बाकि लौंडा.’

रेणु: ‘उईईईईईईई अभी और ना पेलना सनम.’

मै: ‘हाय्य्य मेरी जां आधा तो चला गया अन्दर अब बस थोडा और सहलो फिर मजे हिं मजे है मेरी जान.’

रेणु: ‘हाय्य्य्य मान जाओ सनम, क्यूँ पुरा पेलने पे लगे हो हाय्य्य्य, मजे तो तेरे लौंडे को है मेरे गांड को तो सजा है सनम. ईईईस्स्स्स ओह्हह्हह हाय्य्य्य आराम से प्लीज मार डालोगे क्या अपनी रानी को लौंडेके चोट से, वो भी गांड मे ठोक के.’

मै: ‘हाय्य्य्य देख इतने प्यारसे पेल रहा हूँ अब बता कैसा लग रहा है, अब तो पुरा लौंडा अन्दर भी चला गया है तेरे गांड मे मेरी रानी.’

रेणु: ‘उईईईईईईई आआअह्हह्हह उईइम्ममाआअ आआअऊऊऊच्च्च तभी तो फटी जा रही है मेरी गांड. आआअह्हह्हहही रे मैय्य्य्यय्या फट्ट गई गांड मेरी आआअह्हह्हह आज तेरा लौंडा तो मोटे गरम सरिया सा लग रहा है रे, मत हिला अभी आआअह्हह्हह ऐसे हि पडे रहने दे रज्ज्ज्जज्ज्ज्जा जी.’

मै: ‘हाय्यय्य्य वाह्ह्हह्ह रानी क्या गांड है तुम्हारी, लौंडे को कैसे चांप रही है ये. हाय्य्य्य बड़ा मज़ा आ रहा है रानी आज तेरे गांड में.’

मै धीरे धीरे अपने लंड को हिलाने लगा. बहुत धीरे से थोडा सा लंड बहारके तरफ खिचता और बड़े प्यार से फिर अन्दर ठेल देता.

रेणु: ‘संच मे अच्छी लगी तुम्हे राजा, ऐसा है तो जी भरके करलो आज जितना करना हो मै अब नही रोकूंगी चाहे मेरी गांड बंचे या फट जाये.’

मै: ‘तो पेलूं और, बोल रानी पेलूं तेरे गांड मे, पेलूं सटासट बोल, बोल रानी बोल.’

रेणु: ‘इस्स्स्सस्स्स्स हाय्यय्य्य क्या पेलोगे सटासट मेरे गांड मे राजा जी.’

मै: ‘लौंडा पेलुंगा और क्या, हां मेरी जान देख कैसे जा रहा है मेरा लंड तेरे गांड मे रानी.’

रेणु: ‘हां मेरे राजा पेलो पेलते जा देख, देख कहीं थोडा बाहर ना रह जाये पुरा पेलना राजा जी, पुरा लंड पेल दे मेरे गांड मे.’

मै: ‘ओह्ह्ह्ह हाय्यय्य्य देख अब जड़ तक ठेल दिया है अपना लौंडा तेरे गांड मे रानी. बोल अब बढाऊँ लौंडे का रफ़्तार.’

रेणु: ‘हां राजा मेरे गांड को चीरते हुवे तेरा लौंडा पुरे गहराई तक जा रहा है मेरे गांड मे. बढ़ा रफ़्तार अब जितना बढ़ा सकते हो बढ़ा मै भी अब पिछे हटने वाली नही हूँ. पेल गचागच, हूँ हूँ धास, धास दे मेरे रज्ज्ज्जज्जा पुरा लंड अपने रानि के गांड मे, मार सटासट मार.’

मै अब पुरे रफ़्तार से अपना लंड उसके गांड मे अन्दर बाहर करने लगा. वह कमर आगे पीछे करते हुवे मेरा पुरा लंड अपने गांड मे ले रही थी. अब बड़े आरामसे सटा सट मेरा लंड अन्दर बाहर हो रहा था. मै दनादन पेले जा रहा था अपना लंड उसके गांड मे.

रेणु: ‘आआअह्हह्हह उह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऐईईईईइ हूऊऊऊउनं उईईईईईईईमाआआअ उईईईईईईई हाआआआय्य्य्य रे चोद्दद्द्द्दु पेल्लल्ल्ल्ल औररर पेलल्ल्ल्ल हय्य्यय्य मेर्ररे पेल्ल्ल्लू चोद्दद्दद हां चोद्दद्दद रे चोद्दद्द आआअह्हह्हह रि मैय्यय्य्या हय्य्यय्य मेरर्रा गांड, मार और मार पेल्ल्ल्ल स्स्स्ससाल्ल्ल्ले प्प्प्पेल्ल्ल.’

मै: ‘आआअह्हह्हह हाय्य्य्य रि रंन्न्न्नडीई वाह्ह्हह्ह्ह्ह क्य्य्या हिल हिल के पेलवा रही है रे भोंसड़ी आआआह्हह्हह्हह हाय्य्य्य तेरी गांड.’

रेणु: ‘ओह्ह्ह्ह सनम तुम ना बड़े ख़राब हो आआअह्हह्हह ओओ ओओ ऊऊओह्हह्हह घोड़ी बना के मेरे गांड मे पेल रहे हो आआआअह्हह्हह्ह आआआअम्मम्मम्मम जरा हाथ बढ़ा कर मेरी चुंची तो पकड़ ले आआआअम्मम्मम्मम आआआअह्हह्हह्ह.’ 

मैने उसके बगलसे अपना हाँथ बढाकर उसकि निचे लटक कर झूलती बडी बड़ी चुंचियों को पकड कर उसके गांड मे पुरे ताकत के साथ अपना लंड पेलने लगा. मै उछल उछलकर उस्के गांड पर ऐसा चोट मार रहा था जैसे गुस्से मे बौखलाया हुवा कोई पहलवान अपने प्रतिद्वन्दी को पुरी तरह पस्त कर देना चाहता हो. मै यह भुल गया था कि मै अपने हि बीवी का गांड मार रहा हूँ. इस वक़्त ऐसा लग रहा था कि किसी महँगी रण्डी को चोद कर उसपे लगाये अपना सारा पैसा वसूल कर रहा हूँ.

उसे भी पता नही कितना मज़ा आरहा था कि बस गांड हिला हिला कर अपने गांड मे लंड धसवा रही थी. जब मै पिछे से उसके गांड मे लंड ठेलता तो वह भी बड़ी कसके अपना पुरा बदन पीछे के तरफ ठेल देती थी और जब मै लंड को बाहर के तरफ खिंचने लगता तो वह भी थोडा आगे हो जाती थी. इस क्रममे लगभग मेरा पुरा लंड उसके गांड से बाहर आजाता और फ़ौरन घचाक से समूचा लंड उसके गांड मे समा जाता था.

रेणु: ‘हाय्य्यय्य्य्य फाड़ हि दोगे क्या मेरी गांड, चल बे भोसड़ी के फाड़ हि दे मेरा गांड. दिखा मेरे गांड पे अपनी पहलवानी. अजमा ले अपने लंड का ताक़त आज मेरे गांड पर. मै भी देखूं कितना दम है तुझ मे और तेरे लंड मे. उह्ह्हह्ह आआआअह् उईईइ उईईईइमा उईईइ हाय्य्यय्य्य मेरे चोदु फाड़ दे मेरी गांड आह्ह्हह्ह हां धाआआस्स्स्स दे और कस के धाआअस्स्स्स आआआअह्हह्हह्ह आआआअम्मम्मम्मम ओह्ह्हह्ह्ह्ह चूऊऊऊऊओद.’

मै: ‘हाय्य्य्य रे रंडी हाय्यय्य्य, ले भोंसड़ी ले ले अपने गांड मे मेरा लंड, आआआअ आआआअ आआआअह्हह्हह्ह हाआआआआआईईईइ तेरा गांड.’

रेणु: ‘पेल पेलल्ल्ल्ल गचागच आःह्ह्ह आःह्ह्ह इस्स्स्सस हय्य्यय्य मेरे रज्ज्ज्जज्ज्ज्जा हुक कस के और कस्स्स्ससके और हां और कस्स्स्स कस्स्सस्स्सके हूंक. आआआ आआअह्ह्ह्ह आआआअ म्म्मम्म्म्मम्म म्मम्म चोद्दद्द हां पेल पेलल्ल्ल्ल पेल्ल्ल्ललते जा आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआअ.’

मै: ‘ले, और ले, और ले ले भोंसड़ी, ले कितना लेगी रे लौंडा अपने गांड मे, ले ले रण्डी, ले तेरे जैसा चुदक्कड कोई नही है रे हाय्य्य्य रण्डी, तु तो बड़ी भारी चुदक्कड है रे. ले ले, और ले हरामजादी, ले रण्डी ले. ले और ले.’

मै घचाघच पेल रहा था अपना लंड उसके गांड मे, एक दम सटा सट.

रेणु: ‘इस्स्सस्सस्स्स्स आह्ह्ह्हह्ह आआआआ उईईईइमा उईईईइ आःआआआअह्हह्हह्ह.’

मै: ‘हाय्य्य रण्डी कितना लेगी रे गांड मे चल अब जरा अपने बुर मे भी ले साली ले अपने बुरमे.’

और मैंने उसके गांड से खिंच कर सटाक से पेल दिया अपना लंड उसके बुर मे. मेरा लंड पेलने का गति इतना तेज था कि एक हि बार मे पुरा लंड घचाकसे जड़ तक घुस गया उसके बुर मे.

रेणु: ‘उईईईईइमा उईईईइ हाय्य्य्यय्य क्यों इतना बेरहमी दिखा रहे हो आज आआआअ आआआह्ह्ह उईईई उईईईईमा उईईईईइ आह्ह्हह्ह्ह्ह फाड़ हि दोगे क्या आज. मत कर इतना जुल्म मेरे बुर पर आःह्ह्ह हाईईईईईई उईईईईइमा उईईईई आआआ स्स्सीईईईईइ उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़ आआआह्ह्ह ओह्ह्हह्ह्ह्ह हाय्यय्य्य.’

वह चिल्लाती जा रही थी और मै झटके पे झटका मारते जा रहा था. एल दम फच फच कर रही थी उसकी बुर मेरे लंड के हर वार पर. मेरा लंड सट सट जा रहा था उसके बुरमे. मै एक दम गच गच पेल रहा था उसके बुरमे. वह सह नही पाई अपने बुर पर लंड़का इतना तेज वार और अचानक उसके बुर ने छोड़ दिया पानी. इतना पानी कि लगता था उसके बुर के अन्दर कोई बांध था जो अचानक फुट गया हो. मै भी छुटने के कगार पे था कस के ठेला अपना लंड उसके बुर के भीतर और छुट गया गोली मेरे बन्दुक से जो जाकर सीधे टकराया उसके बच्चेदानी से. 

कस लिया हम दोनो ने एक दुरे को अपने बांहों मे. उसके बुर का प्रेसर बढ़ के कसता जरह था मेरे लंडको. उसकी बुरकि मांस पेशियाँ अजीब ढंगसे सिकुड़ कर बना रही थी दबाव मेरे लंड पर और निचोड़ती जा रही थी मेरे लंडको. धीरे धीरे उसकी बुर सिंकुड कर दबाती जा रही थी मेरा लंड और और वह मुझे बड़े जोरसे पुरी ताक़त के साथ जकडती जारही थी मेरे बदनको, उसकी नाखुन धसते जा रहे थे मेरे कमर पर और अंतः आखिर निचोड़ हि डाला साली ने लंड का सारा तेल, एक एक बूंद, हर बूंद निचोड़ लिया उसके बुर ने. 
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तकरीबन तिन सप्ताह बीत गया लेकिन सिमाके साथ कोई सेटिंग नही मिल पा रहा था. अब मैंने कुछ अलग हि ढंगसे उस पर डोरे डालनेका सोंचा. उसके सुडौल शरीर खास कर बड़े बड़े नितम्ब और बड़ी बड़ी चुचियोंके बारेमे सोंचते हि मेरा लंड कुबूलाने लगा. बगैर किसी खास मेकअप के जब वह इतनि सुन्दर दिखती है तो जब पुरा सजधज कर मेरे आगोश मे आएगी तब कितना मज़ा आएगा सोंच सोंच कर मै कश्मशाने लगता था. उसकी मांसल शारीर जब इतनि मादक है तो उसकी चर्बी चढ़ी बुर कितनी सुन्दर होगी और उसे सहलाने और चाटने के बाद लौंडा घुसाने मे कितना मज़ा आएगा यह सोंच्सोंच कर मेरी नींद उड़ जाती थी. दुसरे शब्दों मे अगर साफ साफ कहना पड़े तो मेरा हालत दीवानों सा हो गया था. हर पल मै उसीको भोगने और चोदनेके बारे मे सोंचने लगा था लेकिन बात आगे नबढते देख मै बेचैन रहने लगा था.

रविबार का दिन था. रेणु किसी सहेली के घर गई थी. मैंने सिमाको फोन किया, ‘सीमाजी क्या कर रही हैं, आपसे कुछ जरुरी बात करनी थी.’

सीमा, ‘जी बोलिए क्या कहना है.’

मै, ‘क्या आप अभी आकर मुझसे मिल नही सकती, मुझे जो कहना है वह फोन पर कहना ठीक नही लग रहा है सीमाजी.’

सीमा, ‘यदि बहुत उर्जेंट ना हो तो क्या आप अधे घंटा इंतज़ार करेंगे, प्लीज. घरके सफाई मे लगी थी थोडा स्नान करके आती हूँ.’

मै, ‘नही नही ऐसी कोई बात नही आप नहाकर आरामसे आयिए रबिबार है इसलिए मै घर पर हि हूँ.’

मैंने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. मेरा दिल जोरजोरसे उछलने लगा नहानेके बादके उसके फ्रेशनेस के कल्पना से हि मेरा लंड फूलने लगा. मैंने अपना इरादा पक्का कर लिया कि आज नही तो कभी नही. आज तो उसे हर हालमे फांसना हि है. मै पैंट के उपरसे अपने लंड को सहलाते हुवे उसे दिलासा देने लगा कि यार बस थोडा सा और सब्र कर फिर जमके मुह मारलेना उसके बुर और गांड मे लेकिन सब्र करनेके बजाय वह गुस्से मे भड़क कर पैन्टके अन्दर हि फुफकारने लगा.

लगभग एक घंटे बाद वह आई. मै तो बस उसे देखता हि रह गया. आज वह बड़ी खिली खिलिसी लग रही थी. साधारण सी सूती साड़ी मे भी खिली हुई गुलाब सी लग रही थी वह. आज उसने बहुतही हल्का मेकअप भी क्या हुवा था. उसके माथे कि बिंदी और मांग मे भरे सिंदुर बड़े लुभावने लग रहे थे. उसका यह घरेलु औरतका हुलिया मुझे बड़ा हि आकर्षक लगा.

उसने आते हि कहा, ‘हां प्रमोद बाबु बोलिए क्या कहना है आपको.’

मै, ‘सीमाजी मुझे कहते हुवे ठीक तो नही लग रहा है लेकिन बडा जरुरी होनेसे कहना पड रहा है. आप इसे अन्यथा ना लीजियेगा.’

सीमा, ‘नही नही आप ऐसा क्यों सोंच रहे हैं, जो कहना है साफ साफ कहिये ना.’

मै, ‘सीमाजी पैसोंका बहुत जरुरत आ पड़ा है, आप देदेती तो बड़ा अच्छा होता.’

पैसों का बात सुनते हि उसका चेहरा पिला पड़ने लगा, वह सोक्ड होगयी, ‘मुझे थोडा वक़्त चाहिए, मै आपका एक एक पैसा सूद सहित लौटा दूंगी.’

मै थोडा सख्त लहजे मे, ‘कब लौटा देंगी सीमाजी कब. मुझे इस वक़्त पैसोंका बहुत भारी जरुरत है, मैंने आपके मुसीबत मे साथ दिया था अब आपको भी मेरी मज़बूरी समझनी चाहए.’

सीमा, ‘लेकिन परमोद बाबु अभी तो मेरे पास पैसे हैं हि नही. आप थोडा वक़्त देदीजिए मै पुरे पैसे लौटा दूंगी. इतने आड़े समयमे आपने मेरा मदत किया है. मै आपका एहसान जिन्दगी भर नही भुल सकती. मेरी बिनती है आपसे एक और एहसान कर दीजिये मुझ पर, थोडा और वक़्त देदीजिए मै सारी उम्र आपकी एहसानमंद रहूंगी.’

मै थोडा शाख्ती दीखते हुवे, ‘अहसानमंद होजाने से पैसों का जरुरत पुरा नही होजाता है सीमाजी, जाईये और पैसे लेआईये.’

सीमा रोनी सी सूरत बनाति हुई, ‘मै अब आपको कैसे समझाऊ, इस वक़्त पैसे नही हैं मेरे पास. मै कहां से लाऊं.’

मै, ‘ठीक है नही है तो जाईये मै आपके के पतिसे पुछ कर देखता हूँ वे क्या कहते हैं.’

मैंने जेबसे मोबाइल निकाला और उसके पति का नंबर ढूंढने लगा. सीमा गिडगिडाते हुवे हाथ जोरकर बोली, ‘प्लीज उन्हें मत बतायिए प्लीज मै कोई ना कोई उपाय करके आपका पैसा देदुंगी.’

मै, ‘तो देदीजिए ना.’

सीमा, ‘बस मुझे थोडा वक़्त देदीजिए, प्लीज. मै आपको हाथ जोडती हूँ.’

मै, ‘आप मेरा वक़्त और मूड ख़राब ना कीजिये. आपके पास है नही और अपने पतिसे मागने नही दे रहीं है. मामला कुछ समझ मे नही आरहा है. बताईये क्या बात है? आखिर आप चाहती क्या हैं?’

सीमा, ‘आपसे पैसे मैंने लिए हैं और मै कह रही हूँ लौटा दूंगी, आप उन्हें बिच मे मत लाईये. आप उन्हें नही जानते. आपका पैसा तो वह देंगे नही लेकिन वह ये सुनकर मुझे कच्चा चबा जायेंगे कि मैंने आप से पैसे लिए हैं.’

मै, ‘बड़ा अच्छा प्लान है आपका पैसे हजम करने का. मै तो आपको बहुत सीधासादा समझता था लेकिन आप तो बड़ी धूर्त हैं.’

सीमा, ‘आप मुझे गलत नही समझें. इस वक़्त मै मजबुर हूँ लेकिन एहसान फरामोश नही.’

मै, ‘वो आपके साथ क्या करेंगे और क्या नही इससे मुझे क्या लेनादेना है. अब एकबार मुझे कोशिश तो करना हि होगा.’

मै फिरसे फोन मिलाने लगा. वह आकर मेरा पैर पकड लि. झुकते वक़्त उसकी ब्लाउज मे हल्का गैप बन गया था जिससे उसके चुंचियोंका कुछ हिस्सा दिखने लगा था. मै उसे तंग करने के मूड मे था. वह गिडगिड़ा रही थी लेकिन मुझे मज़ा आरहा था. मैंने उसके माथे पे हाथ फेर मुलायम रेश्मी बालों को सहलाते हुवे बोला, ‘देखिये सीमाजी अब यह नाटक छोडिये. अगर आपके पति मेरे पैसे दे देते हैं तो इसमें आपको क्या परेशानी है, आपको तो खुश होनी चाहिए.’

सीमा, ‘वो मुझे मर डालेंगे, प्लीज ऐसा मत कीजिये.’

मै, ‘वो आपको मार डालेंगे भला क्यूँ. आपने मेरे पैसे अपने भाईके इलाज मे खर्च किया है किसी फालतू के काम तो नही और वह उनका भी तो साला है. कहते हैं कि सारी खुदाई एक तरफ और जोरुका भाई एक तरफ, और यहां आप कह रही हैं कि उसका मदत करने के कारण वे आपको मार डालेंगे, भला क्यूँ.’

सीमा, ‘मै आपको कैसे समझाऊ, मै हर बात आपको बता भी नही सकती. प्लीज उनसे कुछ मत कहिये.’

मैं, ‘एक सर्त पर मै आपको कुछ दिनका मोहलत देसकता हूँ.’

सीमा मेरा सर्त सुने बगैर झट से बोली, ‘मुझे आपका हर सर्त मंजूर है.’ मानो उसके जान मे जान आया हो.

मै, ‘तो आपको ये बताना होगा कि आप यह बात अपने पतिसे क्यूँ छुपाना चाहती हो.’

सीमा, ‘देखिये आप जीद ना कीजिये मै आपको नही बता सकती.’

मै लेकिन आपने अभी अभी वादा किया है मेरा हर सर्त मानने का. आप हि अपने वादे से मुक़र रही हो तो मुझे दोस मत देना मै उनसे बात कर रहा हूँ अब.’ कहते हुवे मैंने फोन डायल कर दिया, रिंग होने लगा. 

वह घबडा कर बोली, ‘मै सब बताती हूँ, और आपका हर बात मानूंगी आप फोन काट दीजिये प्लीज.’

रिंग हो रहा था, मै कड़क आवाज़ मे बोला, ‘सोंच लीजिये हर बात मानोगी, मै जो भी कहुंगा, सब.’

वह जवाब देते देते रुक गई क्यूँ कि उधर फोन उठ गया था. वह कुछ ना बतानेका इशारा करती हुई फिर से मेरा पैर पकड लि.

मै, ‘हेल्लो गुप्ताजी, पहचाना मुझे.’ फोन का लाउडस्पीकर ऑन था.

उधर से आवाज़ आया, ‘आप भी कैसा बात कर रहे हैं प्रमोदजी. बतायिए कैसे याद किया मुझे.’

मै, ‘आप बहुत दिनोसे इधर दिखाई नही दिये इसलिए सोंचा कि आपका हालचाल पुछ लूँ और कोई बिसेष बात नही है, बताईये कैसे है, कब आरहे हैं.’

गुप्ताजी, ‘और सब तो ठीक हि है प्रमोदजी लेकिन ऑफिस वालों ने ऐसा फंसा दिया है कि कोई फुर्सत नही मिलता. कभी कभी तो सोंचता हूँ छोड़ दूँ यह नोकरी, लेकिन फिर सोंच कर मजबूर होजाता हूँ कि नोकरी छोड़ दिया तो गुज़ारा कैसे चलेगा.’

मै, ‘यदि ऐसा है तो आप कोई और नोकरी क्यूँ नही ढूंढ लेते हैं.’

गुप्ता, ‘कहां मिलेगी नोकरी, कौन देगा और ढूढने के लिए भी तो वक़्त चाहिए जो मेरे पास है नही.’

मै, ‘अगर आप चाहें तो मै कोशिश करके देखूं.’

गुप्ता, ‘अगर ऐसा हो जाये तो बड़ी मेहरबानी होगी आपकि.’

मै, ‘ठीक है मै देखता हूँ अगर बात बनी तो मै आपको बताऊंगा. चलिये फोन रखता हूँ बाय.’ और मैंने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया.

फोन रखने के बाद मैंने सीमाको उठाया और उसके सामने खड़ा होकर पुछा, ‘अब सब बात ठीक ठीक बताईये’

सीमा, ‘आप मुझे माफ़ कर दीजिये और एक वादा कीजिये मै जो बताउंगी वह आप किसी औरसे नही कहेंगे.’

मै उसके आँखों मे देखते हुवे, ‘ठीक है बताईये, यह बात मेरे और आपके बिच हि रहेगा.’

सीमा संकुचाते हुवे निगाहें झुका कर बोलने लगी. 

मैंने आपसे झूठ बोला था कि हॉस्पिटल मे पड़ा हुवा आदमी मेरा भाई है. वह मेरा भाई नही बल्कि मेरे पतिका एक दोस्त था. वह अक्सर मेरे पतीके साथ हमरे घर आता जाता रहता था. उसकी नज़र मेरे खुबसुरत जवान बदन पर लगा था. वह मेरे नजदीक आने का और मुझसे घुलने मिलने का हर मौके पर कोशिश करता लेकिन मै उसे अपने पास नही आने देती थी. वह दिखाने को तो बड़ी बड़ी बातें करता था लेकिन मुझे फंसाने के लिए उसने मेरे पतिको एक झूठे केस मे फंसा दिया. मेरे पतिको पुलिस पकड़ कर लगाई और हवालातमे बंद कर दिया. तब वह खुद मदत करने के प्रस्तावके साथ मेरे पास आगया. पति को बांचने के चक्कर मे मुझे कई बार उसके साथ यहां वहां भटकना पड़ा लेकिन कोई बात नही बन रही थी. एक दिन सामको वह मुझे एक आदमी के यहां लेगया. सारी बात सुनने के बाद उसने वादा किया चाहे जैसे भी हो वह कल तक मेरे पतिको छुड़ा देगा. हम घर आगये. लौटते लौटते बहुत रात बीत गई थी. उसका घर हमारे घरसे बहुत दुर होने के वजहसे मैंने हि उसे उस रात अपने हि घर रुक जानेको कहा. वह मान गया. मेरे रोकने का मतलब उसने कुछ और हि लगा लिया था. 

मैंने उसके सोने का इंतजाम कर दिया और अपने बेडरूम मे चली गई. मैंने चेंज करके नाईटी पहना और सोने से पहले सोच के लिए बाथरूम गई. जाते वक़्त मैंने उसके कमरे के तरफ देखा था, जो बंद था. मै बाथरूम से निकल कर अपने कमरेमे गई, दरवाज़ा बंद किया और लाइट ऑफ करके बिस्तर पर लेट गई. थाकवाटके वजहसे मेरी आँख लग गई. अचानक मेरी आँख खुल गई, मैंने महशुश किया कोई मेरे बदनसे चिपका हुवा है और उसका हाथ नाईटी मे घुस कर मेरे जांघों को सहला रहा है. मै डरते हुवे कौन हो हटो यहांसे निकलो कहते हुवे उसे जोरसे धक्का दे बेड से उतार कर लाइट जला दिया.

देख कर मेरा कलेजा दहल गया वही आदमी बिलकुल निवस्त्र मेरे बेड पे बेपरवाह लेटा हुवा मेरे तरफ देख मुस्करा रहा था. उसका एक हाथ उसके लिंग पर था. मै तु...तु...तुम यहाँ ऐसे कैसे आये निकलो बोली लेकिन उसने मेरा एक भी ना सुना वह बड़ी तेजी से बेडसे कुद कर मेरे पास आगया और मुझे पकड़ कर उठा लिया और लेजाकर बेड पर पटक दिया. मै उसके पकड़ से छुटने के लिए छटपटाती रही. मेरा हर कोशिश नाकाम होगया. मेरा एक भी ना चला और वह मेरे साथ मनमानी करने मे कामयाब होगया. पहले मुझे उसपे बहुत गुस्सा आया था लेकिन धीरे धीरे मैंने समर्पण कर दिया.

अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था. ऐसा मज़ा मुझे अपने पतीके साथ कभी नही आया था. बस मै उसकी गुलाम बन गई. उस रात वह रातभर मेरे बदनसे खेलता और चिपका रहा. अगले दिन भी मेरे पति नही छूटे वह तीसरे दिन छुते. इस बिच दो रात वह मेरे साथ रहा और मेरे जवानिको भोगता रहा. 

मुझे भी उसका चस्का लग गया. पतिसे आंख बांचा कर हम कभी कभार मिलने लगे. उसने हि बाद मे मेरे पतिका तबादला दुसरे सहर मे करा दिया. अब वह बेरोक टोक मेरे साथ मौज मस्ती करने लगा. मेरे पतीने एक रोज़ हमें पकड़ लिया. वह तो भाग खड़ा हुआ लेकिन मेरे पतीने मुझे जम कर मारा पिटा और उस दिनके बाद ना वह घर आये ना मुझे खर्चा दिया.

उस दिन एक्सीडेंट मे घायल होकर वही अस्पताल मे था. पतीके छोड़ने के बाद वही मेरा एक मात्र सहारा था. इसलिए उसे बंचानेके लिए मैंने आपसे पैसे लिए. वह अभी भी पुरा ठीक नही हुवा है. कहता है ठीक हो जाऊ फिर पैसे का इन्तेजाम कर दूंगा.

अब मेरे समझ मे सब कुछ आगया था. मैंने उसका मुखड़ा अपने हाथोंसे उपर उठाते हुवे कहा, ‘अच्छा तो ये बात है. मै तो आपको एक पतिब्रता नारी समझ रहा था लेकिन तुम तो एक छिनाल निकली.’

सीमा, ‘आप मेरी मजबूरी समझ मुझ माफ़ कर दीजिये प्रमोद बाबु.’

मैंने खिंच कर उसे अपने बांहोंमे कसते हुवे उसकी एक चुंची को जोरसे मसलते हुवे कहा, ‘ठीक है लेकिन जब तक मेरे पैसे नही मिलते हर रोज सूद मे मुझे अपनी जवानी परोसते रहो.’ और मै उसे बेड रूम के तरफ खीचने लगा.

सीमा, ‘नही, मुझे माफ़ कर दीजिये, छोड़ दीजिये मुझे.’ 

सीमा कसमसाती रही लेकिन जबरदस्ती उसे घसीटते हुवे मै उसे अपने बेड रूम मे लेगाया. वह बिलख बिलख कर कहने लगी, ‘नही प्रमोद बाबु नही, प्लीज छोड़ दीजिये मुझे. मै आपका बहुत इज्जत करती हूँ. मुझे जाने दीजिये, प्लीज.’

मैंने कस के एक चाटा जड़ दिया उसके गांड पर और दहाड़ कर बोला, ‘यारसे मरवाने मे मज़ा आया, और मेरे से नखरे दिखती है.’

वह फिर गिडगिडाते हुवे बोली, ‘मेरे उपर रहम खाईये, मै आपको हाथ जोडती हूँ, प्लीज.’

मैंने फिर धमकी भरे अंदाज़ मे कहा, ‘देख प्यारसे करने देगी तो ज़न्नत का सैर कराउंगा, नखरे दिखाई तो आगे पिछे दोनो फाड़ दूंगा. अब खुद सोंच ले कैसे देना है, प्यार से या जबरदस्ती.’

सीमा कसमसाती हुई बोली, ‘नही मेरे साथ ये सब मत करो प्लीज.’

मै उसे बेड पर पटकते हुवे बोला, ‘तूने ये सब अपने उस यारसे चुदवाने से पहले सोंचना था. तु तो एक रण्डी कि तरह ना सिर्फ चुदवाया बल्कि उसकी रखैल हि बन कर रह गई. उसके बीमार पड़ने पर कैसी तड़प रही थी साली. जब रण्डी बनही गई हो तो अब कैसा परहेज़ एक और लंड़ अगर पेलवा लोगी तो क्या बिगड़ जाएगा तेरा. तेरे पति से बड़ा और बलवान लंड है ना उसका इस लिये तु उसकी रखैल बनकर रह गई. देख मेरा लंड और बड़ा और कड़क है. एक बार आरामसे चुदवा ले तु उसे भी भुल जएगी.’ कहते हुवे मैंने अपना खड़ा लंड निकालकर उसके सामने कर दिया.

उसने मेरा लंड देख अपनी नजरें झुका लि. वह समझ चुकी थी कि आज मै उसे छोड़ने वाला नही हूँ, इसलिए अब सायद वह समर्पण के मूड मे आगयी थी. अब वह चुपचाप बेड पर पड़ी हुई थी. उसे शांत देख मैंने उसकी एक चुंची पकड़ कर मसल दिया और अपने कपडे उतरने लगा. मै पुरी तरह निवस्त्र हो गया. मेरे फौलादी लंड को देख वह सीहर गई और शर्म तथा डर से अपना सर झुका लिया.

इस वक़्त उसकी हालत देखने लायक थी. जब मैंने उसके आंखोंमे झांक कर देखा तो वह एक दम किसी अबला के जैसे दिखी. आँखों मे सूनापन, चेहरे बेरंग और एक दम बेजान सी. उसकी इस हालतने मेरे मनको झाझोर कर रख दिया. मेरे अन्दर बैठा सैतान उसी वक़्त घुटना टेक दिया, मर गया सैतान और जाग उठा इन्सान.

मै उसके नजदीक जाकर बैठते हुवे अपना तेवर बदलते हुवे प्यार भरे नरम शब्दोंमे बोला, ‘देख मै तुम्हारी हर दुःख दर्द समझता हूँ. तुम्हे एक तरह से तुम्हारे पतीने छोड़ दिया है और इस वक़्त तुम्हे सहारेकी जरुरत है. अगर तूने मेरा बात मन लिया तो मै तेरे हर सुख दुःख मे साथ निभानेका वादा करता हूँ. तुम नही जानती कि ज़माना कितना बेरहम है. यदि दुनिया वालोंको पता चल जाये कि तुम्हे सहारा देनेके लिए इस वक़्त तुम्हारे आगे पिछे कोई नही है तो लोग तुम्हारा क्या हाल करेंगे जरा इस बात पर भी गौर कर लो.’

मै थोडा रूककर प्यारसे उसके सरपे हाथ फेरा. उसे कोई प्रतिक्रिया ना करते देख मै आगे बोलना सुरु किया, ‘तुम सहारेके आस मे जिसकिसी के पास भी जावोगी वह सिर्फ तुम्हे भोग्नेको सोंचेगा और जब उसका दिल भर जाएगा तब वह गांड पर लात मर कर खदेड़ देगा. दोबारा और फिर उसके बाद जिस जिसके पास मदतका उमीद लेकर जावोगी, हर आदमी पहले वालेसे भी बड़ा कमीना, मतलबी और सैतान साबित होगा. आखिरमे लोग तुम्हे रण्डी बनाकर रख देंगे.’

अब वह पुरी खोमोशी के साथ मेरी बातें सुन रही थी. मै उसके पीठ पर सान्त्वना भरे अंदाजमे हाथ फेरते हुवे बोला, ‘मै तुम्हे बहुत पहलेसे, अगर संच कहूँ तो तुम्हे जब पहली बार देखा था तभीसे चाहने लगा था. तुम मेरे दिलोदिमाग मे ऐसे बस गई हो कि मै तेरा दीवाना हो गया हूँ. यदि तुम समझती हो कि मै तुम्हे जबरदस्ती पाना चाहता हूँ तो तुम जासकती हो. लेकिन एक बार मेरे बातों पर गौरसे सोंच लेना. चलो उठो और जावो.’
यह कहते हुवे मैंने लुंगी उठाया और लपेट लिया. वह उसी तरह बुत कि तरह बैठी रही. मैंने फिर बहुतजोर देकर उसे जानेको कहते हुवे बोला, ‘मै अपने एक तर्फे इश्कमे इतना पागल हो गया था कि यह घिनौना और नीच हरकत जो मुझे नही करना चाहिए था कर बैठा. इसे मेरी बेवकूफी, दीवानापन, या तुम जोभि चाहो समझ सकती हो. अंतमे मेरा एक रिक्वेस्ट है कि हो सके तो मुझे माफ़ कर देना. और हां एक बात और मै अपने गलतिके प्रय्श्च्चित के तौर पर आज इसी वक़्त तुम्हें अपने क़र्ज़ के बोझ से आज़ाद करता हूँ. तुम बेफिक्र होकर जावो मै फिर कभी तुम्हे किसी बातके लिए तंग नही करूंगा. मुझे माफ़ करो और अब उठो और जावो यहां से.’

वह बेडसे उठी, बड़ी अजीबसी निगाहोंसे मेरे तरफ देखा और दरवाज़े के तरफ बढ़ गई. दरवजेके पास पंहुच रूककर मुझे उपरसे निचे तक अजीब निगाह्से देखि और कुछ देर वहीँ खड़ी रही फिर आगेकि तरफ कदम बढ़ा दिया. 

मै वहीँ खड़े खड़े उसे जाते देखते हुवे अपने हि ख्यालों मे डूबा हुवा था. मेरे मन मस्तिक मे कई बिचार बड़ी तेज़ीसे आ जा रहे थे. मनमे उसे पानेकी चाहत थी मगर दिलको शकुन सा लग रहा था कि मैंने उसके साथ जबरदस्ती ना करके बहुत हि अच्छा काम किया था, सायद यह मेरे जिन्दगीका सबसे अच्छा फैसला था. मै अपने हि खयालोंमे खोया हुवा था कि मुझे अपने करीब आते हुवे पदचापों के आहटसे मेरा ध्यान भंग हो गया.

वह लौट कर मेरे तरफ आ रही थी. मेरा दिल बहुत तेज़िके साथ धड़कने लगा. ना जाने वह क्यूँ आ रही है. क्या है उसके मनमे, पता नही क्या होने वाला है अगले पल. मै यहि सब सोंच रहा था कि वह मेरे बहुत करीब आगयी और मेरे आँखों मे झांक कर कुछ देखने, कुछ समझनेका कोशिश किया. मेरा दिल और जोर जोरसे धड़कने लगा.

तभी ... ... 

वह एकाएक मेरे सिनेसे लगकर मुझे बेतहाशा चुमने लगी. मेरे समझमे कुछ भि नही आरहा था. यह क्या होरहा है मेरे साथ. मै कुछ देर पहले इस औरतको रपे करना चाहता था, उस वक़्त मैंने उसकी आँखों मे कितना क्रोध और नफरत देखा था अपने लिए और यह अचानक क्या होगया है उसे. कुछ पल पहले वो जिस इनसानसे नफरत कर रही थी, जिसके डरसे उसका रोम रोम कांप रहा था अब वह उसीको गले लगा रही थी, कुछ भी समझमे नही आरहा था मुझे. क्या करूँ मै उसके साथ. उसे समेट लूँ अपने बांहों मे या अलग हो जाऊं उससे.

मैंने उसे अलग, अपने बदनसे दुर करना चाहा लेकिन वह और कसके चिपकती जा रही थी मुझसे. मेरे समझमे कुछ भी नही आरहा था, कुछ भी नही, क्या करूँ मै.

मैंने उससे कहा, ‘होशमे आईये सीमाजी, होशमे आईये. देखिये ये क्या कर रहीं हैं आप. चले जाईये यहांसे, लौट जाईये.’

वह बोली कुछ भी नही, कोई जवाब नही दिया मेरे बातों का. बस पुरी तरह समेट लिया मुझे अपनी बांहों मे. वह जोर जोरसे भींचने लगी मुझे, अपनी बांहों मे, लगता था वह पुरी तरह समा जाना चाहती हो मेरे अन्दर.
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मैंने फिर एक बार प्रयास किया उसे खुदसे अलग करनेका लेकिन वह अलग हि किस्मकी जूनून मे थी. मै उसे खुदसे अलग करना चाहता था और वह मुझसे चिपकती जा रही थी. हालात बिलकुल उल्टा होगया था. कुछ देर पहले मै उसके साथ जबरदस्ती करने पे उतावला था, उसे पानेके लिए पुरा जोर लगा रहा था और वह मुझसे बंचनेके लिए छटपटा रही थी वही अब मुझसे ऐसे चिपक रही थी. सब कुछ मेरे समझसे बाहर था.

मैंने फिर कोशिश किया उसे अलग करनेका. मै उसे समझाते हुवे बोला, ‘क्या होगया है आपको सीमाजी. ये आप क्या कर रहीं है. अलग होजायिये मुझसे, छोड़ दीजिये मुझे. देखिये आप जो कर रही हैं वह नही करना चाहिए आपको. रुक जाईये सीमाजी, चले जाईये यहांसे.’

लेकिन अलह होनेके बदले इस बार तो हद हि कर दिया उसने. वह चुमने लगी मुझे, मेरे गालों पे, माथे पे और अब मेरे लबों को. वह मुझे बेतहाशा चूमे जारही थी, चूमती हि जा रही थी.

आखिर कब तक रोक पाता मै अपने आपको, कब तक. वह औरत लगी हुई थी मेरे सिनेसे जिसे ऐसे हि अपने बांहों मे भरनेका सपना कई महिनोंसे संजोया था मैंने. उसे पानेकी चाहतमे तड़पता रहा था मै. अब वही खुद मुझसे लिपटी हुई चुमे जा रही थी मुझे. मुझे पता भी नही चला और मेरि बांहोंने जकड़ लिया उसे, कस के दबोच लिया मैंने उसे और चुमने लगा उसको.

आग बराबर लगी थी दोनो तरफ. दोनो कसके चिपकते जा रहे थे एक दुसरेसे. मानो एक होजाना चाहते हों. समा जाना चाहते हों, एक दुसरे मे.

अब उसकी मुलायम और रसीले होंठ मेरे होंठोके कैदमे थे. उसकी गुलाब कि पंखुड़ियों जैसी मुलायम, गुलाबी होंठोंको अपने होंठोंमे दबाकर चुसने लगा था मै, चूस लेना चाहता था उसका सारा रस, एक एक कतरा, हर कतरा. उसे भी कोई एतराज़ नही था अब. उसने भी पुरी तरह मेरे हवाले कर दिया था खुद को. भरपुर सहयोग कर रही थी वह. मै चुसे जा रहा था उसके होंठोंको. उसने आहिस्तेसे अपना मुह खोल दिया और मेरा जिभ समा गया उसके मुह मे.

मेरा जिभ उसके जीभसे टकराया, दोनो एक दुसरेसे गले मिले, पहली बार और ऐसे मिलेकी लगता था छोडना ही नही चाहते हों एक दुसरे को. बड़े जोसो खारोशके साथ एक दूसरेका खैरियत लेरहे थे वे. फिर मेरा जिभ घुमने लगा उसके मुह्के अन्दर, हर तरफ, हर जगह, इस तरहकी कोई मुसाफिर पहली बार किसी खुबसूरत बागमे गया हो और उसके एक एक कोनेको जन लेना चाहता हो. उसके मुह्के एक एक दीवार हर दिवारसे टकरा रहा था मेरा जिभ. फिर उसने भी वही दुहराना सुरु किया मेरे साथ. अब उसका जिभ घुम रहा था मेरे मुह मे.

उसका हाथ मेरे पीठ पर रेंगने लगा. वह मेरे पुरे पिठको सहलाने लगी. उधर मेरा हाथ उसके सरपे जाकर उसे सहला रहा था. मेरि उंगलिया उसके रेश्मी बालों मे घुम रहे थे. बडेही मुलायम थे उसके बाल. भीनी भीनी खुशबु आ रहि थी उसकी बालों से जो मेरे नाथुनोंसे टकराकर मदहोश करते जारहे मुझे.

मेरे हाथ उसके पीठ और पिठसे होते हुवे कमर पर घूमते हुवे उसके नितम्बों पर पहुंच गए. अब मै उसके बड़े बड़े नितम्बोंको जोर जोरसे दबाने लगा. उसकी उंगलिया मेरे नग्न पीठ पर धस रहे थे. उसके नाखुन मेरे पीठ पर चुभने लगे थे लेकिन एक अजबसा नशा दे रहे थे वे. मै मदहोश होते जारह था. अब मेरा हाथ उसके पेट पे पहुंच गया और असके मुलायम पेटको सहलाते हुवे उपरके तरफ यात्रा सुरु कर दिया. चढ़ने लगा अब वह पहाड़ियों पर. 

अब मेरा हाथ धीरे धिरे रेंगते हुवे उसके पेट के उपरके पहाड़ियों पर चड़ने लगा था. पुरी ऊँचाई पर पहुंचनेके बाद वह पहाड के एक छोटी पर कुछ देर तक चहलकदमी करनेके बाद खायी मे उतर कर फिर दुसरी पहाड़ी के चोटी पर पहुंच जाता. वहां कुछ देर चहलकदमी करता और फिर उसी रास्ते से लौट कर पहले वाले पहाड़ी के सिखर पर पहुंच जाता.

सीमा मेरे हांथों के चहलकदमी से ब्याकुल होने लगी. उसके होंठों से सिस्कारियां फूटने लगे. उसके हाथ मेरे लुंगी के भीतर फुफकारते सांप को पकड़ने का प्रयास करने लगा. उसके इस प्रयाससे बौखलाकर सांप बार बार उसके हाथ पर ठोकर मारने लगा, मानो उसे डंस लेना चाहता हो.

मैंने उसके पहाडनुमा बक्षको ब्लाउज के उपरसे टटोलने लगा. उसके बक्षके चुचक कड़े हो गए थे. ब्लाउज के उपरसे हि मै बारी बारिसे दोनोको चुटकियों मे लेकर मसलने लगा. वह आनंद और उत्तेजना मे आकर मेरे लिंग को कस कस कर दबोचने लगी.

फिर सुरु हुवा एक दुसरेके शरीरसे कपड़ों को उतारनेका शिलशिला. सीमाने मेरे बदन पर लिपटे एक मात्र वस्त्र मेरे लुंगी को एक हि झटकेमे नोच कर फेक दी. मै तब तक उसकी साड़ी खिंच कर उसके बदनसे अलग कर चुका था. सीमाने मेरे झूलते लंडको पकड़ उसे सहलाना सुरु कर दिया. ब्लाउज के उपरसे हि मै उसकी बड़ी बड़ी चुंचियोंको पकड़ कर दबाने और मसलने लगा. फिर मैंने एक एक कर उसके ब्लाउज का सारा हुक्स खोल दिया और ब्रा मे कसे चुंचियोंको पकड़ कर दबाने लगा. कुछ देर चुंचियोंको दबाता और मसलता रहा फिर झुक कर उसके चुन्चियोंके बिच मुह रगड़ने लगा. अब मै ब्रा सहित उसकी एक चुंची मुहमे लेकर हौले हौले दांतों से दबाना सुरु किया. सीमाने अपने हाथसे ब्रा उपर सरकाकर अपनी एक चुंची बाहर निकल मेरे मुहमे सटा दिया.

उसकी चुचि बड़ी जानलेवा थी. चुंचिका आकर देख मै दंग रह गया. मुझे यकीन हि नही होरहा था कि उसकी चुंची इतनि सुन्दर हो सकती है. चुंची काफी बड़ी मेरे अंदाज़ से ३६B साइज़ कि रही होगी जिसके उपर बड़ी सी घुंडी थी जो बिलकुल तनी हुई और कठोर थी. घुंडी के चारों ओर एक भूरे रंग का बड़ा सा घेरा था जो उसके गोरी चुंची पर बहुतही खुबशुरत कंट्रास्ट पैदा कर चुंचिके खूबसूरती को बढ़ा रहा था. मै अपने आपको रोक नही पाया और उसकि दुसरी चुनिके उपरसे भी ब्राके कपको हटा उसे भी बाहर निकल लिया. यह भी बिकुल पहले वाली चुंचिकी जुड़वाँ बहनकी तरह हुबहू वैसी हि थी.

मैंने एक चुंचिकी घुंडी मुहमे लेकर बच्चों कि तरह चुसने लगा और दुसरी चुंचिकी घुंडी को चुटकी मे लेकर मसलने लगा. सीमाने खुद अपना ब्लाउज और ब्रा उतार दिया. मैंने अपना एक हाथ बढाकर उसकी पेटीकोट का नाडा खिंचकर ढीला कर दिया. पेटीकोट फिसलकर निचे गिर गया. अब वह भी पुरी तरह नंगी हो गई, उसने पैंटी नही पहन रखा था.

बड़ी फूली हुई थी उसकी बुर, एक दम डबल रोटी कि तरह. बालों का नामोनीसान नही था कहीं पर. बस यूँ समझो बुर नही चांदका टुकड़ा था. एक दम मख्खन जैसा था उसका बुर. मैंने उसे बिस्तर के तरफ ठेला तो वो खुद बेखुद चल कर बिस्तर पर बैठ गई. मै उसके बगल मे बैठ कर उसके गुलाबी होंठों को चुम लिया. मेरा एक हाथ उसकी चुंची पर पहुंच कर चुंचिको निचे से उठाने लगा, मानो उसके वज़नका अंदाज़ा लगा रहा हो. काफ़ी भरी थी उसकी चुंची. मैंने अपने दुसरे हाथ मे उसकी दुसरी चुंची ले उसके वजन का भी अंदाज़ा लगाया और दोनो चुंचियोंको एक एक हाथमे लेकर उमेठने लगा. मै उसके दोनो चुंचियोंको कचर कचर मसलने लगा.

सीमाने मेरा लंड अपने एक हाथ से पकड़कर जोरसे दबाई फिर छोड़ दी, फिर दबाई और छोड़ दी. उसने कई बार ऐसे हि लंडको मुठी मे दबाया और छोड़ा. मेरा लंड अपने पुरे जोश मे आ चुका था. लंडके मुह पर लार का एक बूंद निकलकर चमक रहा था. उसने अपना एक उंगली लारके बूंद पर रखा और अपना उंगली मेरे सुपाडे पर घुमाते हुवे पुरे सुपाडे पर फ़ैलाने लगी. उसकी इस हरकत से अजीब किस्मकी सनसनाहट फैलता चला गया मेरे अन्दर. मेरा पुरा शारीर गनगना उठा और और मेरे लंड से और लार टपकने लगा जिसे वह अपने उंगली से मेरे सुपाडे पर फैलाती गई. सुपाडा तर होकर चमकने लगा.

कमालकी कलाकारी दिखा रही थी वह मेरे लंड पर और मेरा पुरा शारीर गनगनाने लगा था. उसने अपनी उंगली लंडके सुपाडे पर रख उसे उपरसे निचेके तरफ दबाया. लंड थोडा नीचेको दबा और उसकी उंगली लंड परसे फिसल गया. एकाएक लंड स्प्रिंग के तरह उछल कर उपरके तरफ उठा और हिलने लगा. उसने फिर सुपाडे पर उंगली रख दबाया, लंड नीचेको झुका, उंगली फिसल गई, लंड उछला और थर्राने लगा. वह बार बार ऐसे हि लंड को दबाने लगी और हिलते लंडको बड़ी गौर से देखती रही.

उसकी कलाकारी ने मेरा हालत ख़राब कर दिया था. ऐसा मज़ा मुझे आज तक नही मिला था जो आज इसके साथ मिल रहा था. मैंने उसे बेड पर चित करके लिटा दिया और खुद उसके उपर चढ़ गया. मेरे होंठ उसके होंठों पर दबाव बढ़ा रहे थे, उसकी चुंचियां मेरे सिने से दब कर फ़ैल गए थे, जांघ जांघ पर सटे हुवे थे और लंड उसके पेंडु मे धस रहा था. मैंने अपना दोनो हाथ उसके कांख पर रख सहलाया, वह सिहरने लगी. मै अपने हांथों को उसकी बांहों पर रगड़ते हुवे उसकी हथेली पर पंहुचाया और उसकी उँगलियों मे अपनी उँगलियाँ पिरोकर दबाने लगा. वह भी मेरे उंगलियों पर अपनी पकड़ बढाती जा रही थी.

मै अपना होंठ और गाल उसके पुरे चेहरे पर रगड़ने लगा. उसने अपनी आँखें मूंद रखी थी मैंने उसके दोनो आँखोंको पारी पारिसे चुम लिया. उसने आँखे खोल दी. मैंने जब उसकी आंखोंमे झांक कर देखा तो गज़ब कि मस्ती, कमालकी नशा दिखयी दिया उन आँखों मे. आंखें एक दम गुलाबी होगयी थी उसकी. उसकी आँखोंकी रंगत ने मेरे अन्दर नशा सा भरने लगा. मै मदहोशी मे उसके आँखों मे खोने लगा.

उसके होंठ थरथरा रहे थे. मैंने उसके थरथराते होंठों पर अपना होंठ रख दिया. वह अपनी होंठ मेरे होंठों पर रगड़ने लगी. कुछ देर तक उसके होंठोंका रस पिनेके बाद मेरे होंठ उसके ठुड़ी के रास्ते गर्दन पर फिसलते हुवे छाती के तरफ का सफ़र शुरू कर दिया. अगले हि पल उसकी एक चुंची पर पहुंच वहां कुछ देर बिश्राम करनेको सोंचा लेकिन ललच गया उसकी गोलईयों को देख कर और वहीँ मर मुह मारने लगा.

कुछ देर तक चुंचियों पर मुह रगडनेके बाद मैंने भर लिया उसकी एक चुंचिको अपने मुह मे और चुसने लगा. उसकी चुंचियों चुसते हुवे मै उन पर दांत गड़ाने लगा. कभी उसकी घुण्डी को मुह मे लेकर चुभलाता कभी चुंचिका उतना हिस्सा मुह मे भर लेता जितना मेरे मुह मे अटता और कभी काटने लगता उसकी चुंची और चुंचिकी घुंडी को. मेरे इन हरकतों ने आग लगा दी थी उसके बदन मे. वह अपना होंठ चबाने लगी, छाती उठाने लगी और पैरोंको रगड़ने लगी थी और साथ हि साथ उसके मुहसे सिस्कारियां फूटने लगी थी. वह अपना पुरा शारीर ऐंठ रही थी.

मैंने उसके चुंचियों को छोड़ अब निचे का सफ़र तय करने लगा.... 

जी भर उसके चुंचियों का रसपान करनेके बाद मेरे होंठ उसके पहाडनुमा चुचियों के शिखर से निचे घाटिके तरफ का सफ़र तय करने लगे. मेरे होंठ सीमाके गुदाज़ पेट पे रेंगते हुवे उसके नाभि के इर्द गिर्द चहलकदमी करने लगे. जब मैंने उसके नाभिको चुम उसके गहराईमे अपने जिभका नोक ठोका तो वह एकदम से सिहर गई. उसके नाभि के अन्दर जमा पसीना भी बड़ा निराला और स्वादिष्ट लग रहा था जिससे मेरे नस नस मे अजीब सा नशा भरता जा रहा था. 

शायद सीमाका हालत भी मेरे हि तरह था. वह आँखे मूंद अपना होंठ चबाती हुई पेट उठा कर सहयोग कर रही थी. वह अपने पैरोंको एक दुसरेके साथ कभी रगडने लगती थी और कभी एक दुसरेसे दुर कर फैला देती थी, लग रहा था अब वह अपने टांगों के तरफ बढ्नेको निमंत्रण दे रही हो. वह अपने होंठोंको पुरी ताकतके साथ भींचे हुई थी फिर भी कभी कभार उसके होंठों से सिस्कारियां फुट हि पड़ते थे.

अब मै उसके पेंडु पे रगडता हुवा अपना होठ उसके जन्घो के उपर घुमाते हुवे उसके पांव तक पहुंचा और उसके एक अंगूठेको मुह मे लेकर चुसने लगा. वह एक दमसे मारे उत्तेज्नाके तड़पने लगी. मै पारी पारिसे उसके दोनो पैरके अंगूठेको चूस रहा था.

मैने सीमाके दोनो टांगों को फैला उनके बिच घुटनों के बल बैठ गया और उसकी फूली हुई गुदाज़ बुरको गौरसे देखने लगा. एक दम मक्खन सरीखे बुरको देखनेका मज़ा हि कुछ और था. मैंने उसके केलेकी तने जैसे मोटे, चिकने और मुलायम जांघों पर अपना हाथ रख सहलाना सुरु किया. बड़ी हि नर्म जांघें थीं उसकी. जांघो को सहलाते सहलाते मेरी हथेलियां धीरे धीरे उसके मखमली बुर के तरफ बढ़ने लगे.

बुर पर मेरे हथेलियों का स्पर्श पाते हि उसकी चुतड उछल पड़ी, जांघों सहित पुरा पैर कांपने लगे, होंठ थर्राने लगे और चुंचियों कि घुन्डियाँ जो पहलेसे हि तनी हुई थीं और सख्त हो गए. उसकी हालत बता रही थी कि उसकि बुर अब लंड निगलने के लिए बेकरार हो रही है. मै कोई जल्दबाजी ना करते हुवे और मज़ा लेने के ख्यालसे उसके बुर पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा. उसकी बुरके दरार पर हलकासा दवाबके साथ मै अपने एह हाथका बिचला उंगली घिसने लगा. उंगली गिला होने लगा क्यूँ कि बुर गीली हो चुकी यही. गिलापनके कारण बुर चिपचिपी होगयी थी और उसपे उंगली बिना किसी रुकवाटके फिसल रहा था. मैंने थोडा दबाव बढाया और उंगली दरार मे धस गया. उसने अपने जांघोंको थोडा और चौड़ा करते हुवे फैला दिया जिससे बुर कि दोनो होंठोंके बिच हलका गहरा दरार बन गया. बुरके दोनो होंठ नारंगी के फांकों सा लग रहे थे.

बुरके दरारमे मै अपना उंगली घिसने लगा. बुरसे लगातार निकलते चिपचिपे पानीके वजहसे फिसलन काफी बढ़ गया था. मेरी उंगली उसके बुरके दरारमे उपर निचे फिसल रहा था. मैंने उंगली पर थोडा और दबाव बढाया, वह दरारमे फिसलते हुवे बुरके छेदमे समाने लगा. मैंने थोडा और दबाव बढाया तो वह उसके बुरकि गहराई मे डूबता चला गया, डूबता चला गया और मुझे लगाकि वह किसी गर्म भट्ठी मे समा गया हो. बुरके अन्दर बड़ी मदमस्त बसंती गर्मी भरी हुई थी जो बडा सुहावना लग रहा था.

मै उसके बुरमे अपने उन्गलिको आगे पिछे घुमाने लगा. उंगली सटासट अन्दर बाहर होने लगा. अपना आँख मूंदे वह अपनि थिरकते होंठोंको चबा रही हि. बदनको ऐठ रही थी और चुतड उचका रही थी. मैंने अपने दुसरे हाथके उंगली को भी बुर पर लगा दिया और दोनो हांथोंके उँगलियों के सहारे बुरके फांकोंको एक दुसरेसे अलग किया. बुरमे एक गुलाबी खायी बन गई जिसके उपरी सिरे पर एक चनेके दाने जैसा बडाही खुबसूरत उभार दिखाई दिया. मै अपने आपको रोक नही सका और फ़ौरन झुकते हुवे उसे अपने मुह मे भर लिया. मै अपने जिभ्के नोक्से उस हिस्सेको रगड़ना सुरु किया तो वह एक दमसे सिहर उठी और उसके मुहसे आआआह्ह्ह निकल पड़ा. उसने अपना बुर मेरे मुह्पे जोर से दबाया, छाती उपर उठाई और धमसे निचे पटक दिया. इसके साथ हि उसके बुर ने ढेर सारा पानी उगल दिया.

उसने मेरा बाल पकड़के जोरसे खिंचा, मै उसके उपर चढ़ गया और उसे अपने बाहोंमे कस लिया.... ........ 

मै सीमाके उपर चढ़ उसे अपने बाँहों मे कस लिया. उसने भी मुझे अपनी बांहों मे जकड रखा था. वह खल्लास हो चुकी थी लेकिन मेरा लंड पुरे तावमे था और उसके पेंडुमे धस रहा था. मैंने अपने हाथमे उसकी एक चुंची पकड़ मसलना सुरु किया. मै उसके चुंचिको मुहमे लेकर चुसने लगा. एक चुंचिको मुहमे लेकर चुसते हुवे मै उसकि दुसरी चुंचिको मसलता जा रहा था.

मेरा लंड उसके पेंडु पर घिस रहा था. धिरे धीरे वह फिरसे तैयार होने लगी. उसने अपना एक हाथ बढाकर मेरे लंड को पकड़ सहलाते हुवे अपने बुर पर रगड़ना सुरु किया. लंड और बुर दोनो तैयार थे. एक दुसरेके इतने करीब आनेके बाद भला कब तक सब्र करते. मौका मिलते हि मेरा लंड उसके बुरके गहराई मे समाने लगा. सीमाने अपनी टांगें और चौड़ी कर लि जिससे बुर थोडा फ़ैल गया. मैंने जोर लगाकर अपना लंड उसके बुरमे ठेला तो वह बुरको चीरते हुवे आधके करीब अन्दर चला गया. सीमा ने अपना शारीर कड़ा किया, होंठ भींचा लेकिन अब क्या होना था तब तक मेरा पुरा लंड उसके बुरमे समा चुका था.

उसके बुरमे अब मै अपना लंड अन्दर बाहर करना सुरु किया, पहले धीरे धिरे बड़ी धीमी गति मे मैंने उसे चोदना सुरु किया. बस बड़े आरामसे मै अपना लंड बाहर खींचता और धीरे धीरे पर एक कांस्टेंट स्पीड से पुरा लंड अन्दर डाल देता. फिर उसी तरह आरामसे बाहर निकलता और बड़े प्यारसे अन्दर पेल देता. अन्दर बाहर आते जाते लंड पर मै उसकी गर्म परन्तु चिकनी और मुलायम बुर के स्पर्श का बड़ा अनोखा अनुभव कर रहा था. इस धीमी गतिकी चुदाई मे आज मुझे कुछ अलग हि आनंद मिल रहा था, एक ऐसा आनंद जो आज तक मुझे नही मिला था.

सीमाने खोलकर अपनी दोनो पैर उपर उठा मेरे कमर पर लपेट लिया और दबाव बनाकर अपने तरफ खींचना सुरु किया. मेरा पुरा लंड उसके बुरकि गहराईमे बार बार ठोकर मारने लगा. उसने अपनी बाहें मेरे बगलसे निकल कर कंधोको जकड लिया. मै उसके होंठो को बार बार चुमते हुवे और उसकी चुंचियों को मसलते हुवे बड़ी तनमयता के साथ उसे चोदने लगा.

चोदायिका सुरुवात बड़ी धीमी गतिसे हुवा था. उसके बुरमे घुसता निकलता लंड बुरके छेदके दीवारके हरएक हिस्सेके स्पर्शका आनन्द उठाते हुवे अन्दर बाहर होरहा था. समय के साथ हि स्वचालित ढंगसे खुद बखुद आहिस्ते आहिस्ते लंड घुसने निकलनेका स्पीड बढ़ता जा रहा था. बुर मे आते जाते लंडके गतिसे ताल मिलकर उसकी कमर भी उपर निचे होते हुवे लंड़का स्वागत करने लगी थी.

अब लंड बड़ी तेजीसे उसके बुरमे आने जाने लगा था और वह भी उसी हिसाबसे कमर उठा उठाकर चुदवाने लगी थी. उसकि बुर कामरस से भर गई थी और मेरे हर धक्के पर उसके बुरसे फचफच का आवाज़ निकलने लगा था. अब मै गचागच उसके बुर मे पेलने लगा था. वह अपने पैरों को फैलाकर उपर उठा रखी थी. उसकी बड़ी बड़ी चूंचियां थल थल करके हिल रही थीं. मै कभी उसकि हिलती चुंचियों को निहारते हुवे चोदने लगता तो कभी उन्हें हांथों मे जकड कर हुमच हुमच कर धक्के मारने लगता और कभी कभार झुक कर उसके चुंचियों को तो कभी गालोंको चुमते हुवे उसके बुरमे लंड पेलने लगा.

अगले दस बारह मिनट तक लगातार घमासान चुदाई चलती रही. इस दौरान उसके मुहसे सिस्कारियां फूटती रही तो दुसरी तरफ उसके बुरसे फचर फचर का आवाज़ निकलता रहा. बुरपे पड़ते ठाप के वजहसे हिलते उसके पांवमे पहने पायल से छन छनका आवाज़ और हांथों कि चुडियोंसे निकलती खन खन कि आवाज़ वातावरणमे बड़ी मोहक संगीत घोल रहे थे. मेरे पीठ पर लिपटे उसके हांथों और कमरपे लिपटे पैरोंका कसाव बढ़ने लगा, साथ हि साथ उसके मुहसे निकलती सिस्कारियां तेज़ होने लगी, उसके सांसों कि गति बढती गई. वह हांफने लगी और अंतमे मुझे बड़ी कसके जकड़ते हुवे उसके बुर ने लावा उगल दिया. मै भी कगारपे पहुंच गया था. कस कसके कुछ और धक्के मारनेके बाद मेरे लंड ने भी उसके बुरमे बिर्य का धार छोड़ दिया और मै उसके उपर लुढ़क गया.

कुछ देर तक हम एक दुसरेसे लिपटे पड़े रहे. फिर वह मेरे होंठों को चूमती हुई मुझसे अलग हुई और अपने कपड़ों को उठा दुसरे कमरेमे घुस गई. कुछ देर बाद वह कपडे पहन लगभग भागती हुई मेरे घरसे निकल कर चली गई. घरके मेन गेट पर पहुंच पीछे मुड कर उसने एक तिरछी नज़र मेरे उपर डाला, मुस्कुरायी और चली गई. उसके चेहरे पर उस वक़्त बड़ी गहरी तृप्ति दिख रही थी. 
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