8 years ago#11
बाजी के कपड़े उतरते ही मैने फिर से बाजी को वापिस अपनी तरफ खींच लिया और फिर से बाजी की ज़ुबान को अपने मुँह मैं भर के चूसने लगा और बाजी की चूचियों को मसालने लगा तो बाजी ने भी अपना हाथ नीचे किया और मेरा लण्ड जो के बाजी की जांघों मैं घुसा जा रहा था अपने हाथ मैं पकड़ लिया और सहलाने लगी जिस से मुझे बहुत अच्छा फील होने लगा और
मैने बाजी की ज़ुबान को अपने मुँह मैं जकड़ लिया और चूसने लगा
कुछ देर बाद जब मैने बाजी को छोड़ा तो बाजी ने लंबी साँस ली और बोली भाई आराम से करो मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही हूँ
और उठ के बैठ गई और मुझे भी सीधा लिटा दिया और मुझे प्यार से चूमना और चाटना चालू किया और फिर मेरे लण्ड सुपाड़े को अपने मुँह मैं भर क चूसने लगी
अब बाजी कभी मेरे लण्ड के सुपाड़े को और कभी मेरे लण्ड की नीचे गोलियों को मुँह मैं भर के चूस रही थी जिस से मैं मज़े से काँप काँप जाता और बाजी के सर को अपने हाथ से सहलाने लगता
कोई 2 3 मिनट तक मेरे लण्ड को चूसने और चाटने क बाद बाजी ने अपना सर उठाया और आहिस्ता से बोली चलो भाई आ जाओ
अब तुम्हारी बरी है मुझे प्यार करने की और जैसे ही मैं उठा बाजी मेरी जगह लेट गई और अपनी गांड के नीचे एक तकिया रख लिया जिस से बाजी की चुत उभर के सामने आ गई
मैं अब बाजी की टाँगों को खोल के दरमियाँ मैं बैठा और अपना लण्ड बाजी की चुत पे रखा ही था की बाजी ने अपना हाथ मेरे पेट पे रख के मुझे रोक दिया और
बोली कयूं भाई क्या तुजे मेरी चुत पसंद नहीं आयी क्या
मैने हैरानी से बाजी की तरफ देखा जो की चाँद की रोशनी मैं मुझे सॉफ नज़र आ रही तो बाजी ने कहा
भाई तुम भी मेरी चुत चाटो प्लीज बड़ा मज़ा आएगा भाई
कयुँकि मैंने आज तक किसी की भी चुत ना तो चाटी थी और ना ही कभी ऐसा सोचा था
लेकिन बाजी का दिल चाह रहा था इस लिए मैने अपना लंड बाजी की चुत से हटा लिया और थोड़ा पीछे हो के बैठ गया और
फिर अपना सर अपनी बहिन की चुत के सामने झुका दिया और अपने होंठों से बाजी की चुत पे किश किया .फिर अपनी ज़ुबान को बाजी की चुत मैं चलाने लगा
उस वक़्त बाजी की चुत काफ़ी गीली हो रही थी और मेरी ज़ुबान बाजी की चुत पे घूम रही थी जिस से मुझे भी मज़ा आने लगा था और बाजी की चुत से निकालने वाला पानी जो की मेरे मुँह मैं ही जा रहा था
मुझे हल्का नमकीन टेस्ट दे रहा था जिस से मैं और भी ज़ोर से बाजी की चुत मैं अपनी ज़ुबान को घुसा के चाटने लगा और
बाजी मेरे सर को अपनी चुत पे दबाने लगी
रात का वक़्त था और आवाज़ दूर तक जा सकती थी इस लिए बाजी बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज़ को कंट्रोल कर पा रही थी वरना घरवाले जाग जाते
बाजी अब अपने हाथ से मेरे सर को अपनी चुत पे दबाने लगी और साथ ही अपनी गांड को भी उठा के मेरे मुँह पे रगड़ने लगी थी
जिस से मैं समझ गया की बाजी का होने वाला है और मैने थोड़ा और ज़ोर लगाके अपना सर जैसे ही बाजी की चुत से हटाया बाजी का जिस्म एक बार आकड़ा और
फिर चुत से ढेर सारा पानी निकलने लगा . जिसे मैं पी गया फिर बाजी का शरीर ढीला पड़ पड़ गया.
थोड़ी ढेर बाद बाजी मुझे फिर किस करने लगी
8 years ago#12
मैं अब की बार हुआ और अपना लण्ड बाजी की चुत पे सेट किया और आहिस्ता से घुसाने लगा
एक तो बाजी की चुत बहुत ज़्यादा गीली थी जिसकी वजह से मेरा लण्ड बड़े प्यार से बाजी की चुत मैं घुसने लगा और बाजी के मुँह से ईईईईईईईईईईईईई की सी आवाज़ भी निकालने लगी
बाजी की चुत जितनी गीली थी उतनी ही टाइट भी थी जिस की वजह से मुझे बाजी की चुत मैं अपना लण्ड घुसाने मैं बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था और
शायद बाजी को भी कयुँकि जैसे ही बाजी की चुत मैं मेरा आधा लण्ड घुसा बाजी ने अपनी गांड को थोड़ा सा पीछे को खिसकाया और फिर से आगे किया तो
मैने भी अब बाजी की टाँगों को पूरा उठा के बाजी के कंधों की तरफ फोल्ड कर के अपना वज़न भी बाजी पे डाला और एक जोर से झटका मार के पूरा लण्ड चुत पे दे दिया .
बाजी के मुँह से आआईयईईईईईईईईईईईईईई विकी आराम से करो अभिईीईईई कहीं मेरी चीख ना निकल जाय ऊऊहह हाआंणन्न् भाईईईईईईईईईईईईईईई बस आराम से करो , तुम्हारा बहुत मोटा और लंबा लण्ड है
मेरे भाई , थोड़ा आराम से चोदो अपनी बहिन को ..
आआआहह उनम्म्ममह मेरी जान अब अच्छा लग रहा हाईईईईई की आवाज निकालने लगी जो की बिल्कुल स्लो थी की कोई सुन नहीं सकता था
अब मैं अपना पूरा लण्ड अपनी बड़ी बहिन की चुत से निकलता और फिर वापिस घुसा देता लेकिन ज़्यादा ज़ोर नहीं लगा रहा था की बाजी को ज़्यादा दर्द ना हो कयूं की उनकी चुत बहुत टाइट थी और
वो दूसरी बार ही चुद रही थी मेरे साथ ही
आअहह बाजी ये आप ने मुझे क्या बना दिया हाईईईईई बाजिीइईईईईईईई की आवाज़ भी निकालने लगा
हम दोनो बहिन भाई कोई 15 20 मिनट तक बड़े प्यार और आराम से चुदाई करते रहे जिस मैं बाजी अब दूसरी बार डिस्चर्ग होने क करीब थी और साथ ही मैं भी तो
बाजी जो की पूरा मज़ा ले रही थी अपनी चुदाई का बोली आअहह विकी मेरे बहनचोद भाई
भाईईईईईईईईईअभी थोडा तेज़ करूऊऊ भाईईईईईई मैं गैिईईईईईईई मेरी जान ओह की आवाज़ करने लगी
तो उस वक़्त पता नहीं की मुझे बाजी के मुँह से अपने लिए बहनचोद लफ्ज़ इतना अच्छा लगा की मैं बाजी को पूरी ताक़त से चोदने लगा और
हा फरी बाजी मैं तेरा बहनचोद भाई हूँ और तू मेंरी रंडी बहिन हाईईईई आआहह ये ले बाजी अपने भाई के लण्ड का पानी ....
ऊऊहह की आवाज़ क साथ एक तेज़ झतका दिया और बाजी की चुत मैंन ही अपने लण्ड का पानी गिराने लगा ...
बाजी भी ..जोर जोर से अपनी गांड को हिला रही थी . और उसने मुझे जकड के पकड़ लिया था
मैं फरी बाजी के साथ,उनके ऊपर ही लेटा रहा . और हम दोनों लंबी लंबी साँस लेने लगे
थोड़ी देर के बाद मेने अपना लण्ड बाजी के चुत से बाहर निकल के बाजी के साइड पे लेट गया .
बाजी ने जो की अपने साथ पहले ही एक कपड़ा लाई थी उससे अपनी चुत को साफ़ की और फिर उठ के मेरे लण्ड को साफ़ करने लगी
बाजी ने हंसते हो कहा भाई मज़ा आया की नहीं
मैं... हंसते हुए हाँ बाजी मज़ा तो बहुत आया अपने ने मुझे गाली कयूं दी भला
बाजी... अच्छा जी ज़रा बताओ तो मैने अपनी जान से प्यारे भाई को ऐसी कौन से गाली दे डाली की उसे बुरा लगा
मैं... बोला .वो बाजी बुरा तो नहीं लगा लेकिन फिर भी भला ये कोई अच्छी बात है की आप मुझे ऐसा बोलो
बाजी....लेकिन मेरी जान बताओ तो सही की भला मैने कौन सी गाली दी और क्या गाली दी
जिस से तुमको बुरा लगा
मैं...बाजी.....वो आप ने मुझे कहा था ना वो
बहनचोद ..बहिन छोड़
बाजी... मेरी बात सुन के मेरी गॉल पे चूंटी काटते हुए बोली भाई
क्या मैने ग़लत कहा था क्या तुम बहनचोद नहीं हो
मेरे प्यारे से बहनचोद भैया क्या तुम मेरी चुत का मज़ा नहीं लेते
मैं... बाजी की बात से शर्मा गया और .वो तो बाजी अपने ,ने ही मज़बूर किया था मुझे इस लिए
बाजी... अच्छा जी तो सारा गुनाह अब मेरे सर दे रहे हो मैं... अरे नहीं बाजी मैं तो बस वो खेतों वाली बात के लिए बोल रहा था अभी के लिए तो नहीं बोला
बाजी... देखो भाई अब जिस तरह तुम मेरे बहनचोद भाई बन चुके हो जो की सच है
तो वेसे ही मैं तुम्हारी . बनी चुकी हूँ जिसे जब दिल करे जहाँ दिल करे तुम चोद सकते हो समझे.
लेकिन छुप के .. किसी को पता न चले .
थोड़ी देर तक हम दोनो बहिन भाई इसी तरह हँसी मज़ाक करते रहे और फिर से बाजी के कहने से एक बार और बाजी को चुत मारी और उस के बाद
हम दोनो अपने अपने बिस्तेर पे सो गये
8 years ago#13
सुबह जब मेरी नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी और हल्का हल्का रौशनी हो रही थी जिस की वजह से
मेरी आँख खुली थी मैने बाजी की बिस्तर की तरफ देखा तो वहाँ कोई भी नहीं था
बाजी उठ के नीचे जा चुकी थी शायद
तो मैं भी उठा और नीचे आ के अपने रूम मैं फिर से सो गया
दोबारा मेरी आँख किसी के हिलने से खुली तो उठ क देखा तो अम्मी थी जो मुझे नाश्ते के लिए जगा रही थी मैं अपनी आँखों को मलता उठ गया और बोला क्या अम्मी आज आप गई नहीं अभी तक खेतों मैं
अम्मी... कयूं मैं यहाँ अपने बेटे के पास घर मैं नहीं रह सकती
मैं... जी कयूं नहीं अम्मी ये तो और भी अच्छी बात है की चलो इस बहाने मुझे अपनी स्वीट सी अम्मी के साथ भी थोडा वक़्त गुज़रने का मोका मिलेगा
अम्मी... ज़्यादा माखन नहीं लगाओ बेटा और उठ क नाश्ता करो नाश्ते मैं ज़्यादा देर नहीं करनी चाहिए समझे
मैं... अच्छा जी उठता हूँ आप भी क्या याद करोगी की किस बेटे से पाला पड़ा था अपका
अम्मी... बड़ी मेहरबानी होगी जी बेटा हज़ूर की अपने ने अपनी अम्मी की बात मान ली वरना
हम तो समझे थे की आप हमारा सर ही क़लम करवा देंगे
इस गुस्ताख़ी पे और इतना बोलते ही हंस पड़ी
मैं भी अम्मी की बात सुन के हंस पड़ा और उठके तौलिया उठाया और बहार बने गुसलखाने मैं नहाने के लिए चल दिया
जब नहाके बहार निकला तो अम्मी क साथ मुझे फ़रीदा बाजी और फ़रज़ाना ही नज़र आयी जो की घर के कामों मैं लगी हुए थी
कयुँकि अम्मी घर पे थी इस लिए वरना अब तक फ़रज़ाना तो पका अपनी सहेली बिलो (नाम तो उसका शमा था लेकिन बिली की तरह की आँखों की वजाह से उस का नाम पुरे गावँ मैं बिलो मसहूर हो गया था) के घर अपने डाइजेस्ट ले के पहुँच चुकी होती और दोपहर की खाने पे ही आती
मैं रूम के बहार बने बरामदे मैं ही बैठ गया तो अम्मी मेरे लिए नाश्ता ले की आयी तो मैने फ़रज़ाना जो की मेरी चारपाई जिस पे मैं नाश्ते के लिए बैठा हुआ था
करीब ही सफाई कर रही थी की तरफ देख के अम्मी से बोला देखा
अम्मी आप यहाँ हो तो ये किस तरह घर क काम कर रही है वरना अभी तक अपनी सहेली के घर बैठी डाइजेस्ट पढ़ रही होती
फ़रज़ाना....भाई कयूं मुझे इल्ज़ाम दे रहे हो बाजी से पूछ लो
अम्मी मैं तो सारा दिन घर मैं ही होती हूँ बाहर भी नहीं जाती काम ही इतना होता है भाई झूट बोल रहा है(मुझे घूर रही थी )
अम्मी... फ़रज़ाना बेटी बुरी बात भाइयों को इस तरह नहीं बोलते और फिर ये तो तुम्हारा एक ही भाई है इस की किसी बात का बुरा नहीं मना
दुबारा ऐसा नहीं बोलना
मैं... फ़रज़ाना की तरफ देख के मुस्कराते हो बोला सुना नही क्या तुम ने अम्मी ने क्या कहा है चलो माफ़ी माँगो मुझ से हो सकता है की मैं तुम्हे माफ़ कर ही दूँ
अम्मी...विकी बेटा बुरी बात अब तुम अपनी बहिन को जान बुझ के तंग कर रहे हो चलो नाश्ता करो जल्दी से बाकी का हँसी मज़ाक बाद मैं होता रहेगा और उठ के पीछे की तरफ चल पड़ी
अम्मी के उठते ही फ़रज़ाना फिर से काम मैं लग गई थी और मैं अभी नाश्ते के लिए हाथ धोने ही लगा था की
मेरी नज़र अम्मी की तरफ गई जो की अब मेरी तरफ अपनी पीठ किया जा रही थी की मेरी नज़र उनकी गांड पे गई जिसमैं की उनकी क़मीज़ फाँसी हुयी थी
और उनकी गांड जब अम्मी चलती तो पूरी तरह हरकत करती हुयी नज़र आने लगी जिसे देख के मेरा हल्क़ सूखने लगा क्योंकि अम्मी की गांड कपड़ों मैं ही इतनी प्यारी लग रही थी की क्या बताऊँ
अम्मी फ़रीदा बाजी के पास जा के बैठ गई जो की बर्तन धो रही थी तो मेरी नज़र का सामने का तालिस्म टूट गया और मैं जैसे हड़बड़ा गया और सर झुका के नाश्ता करने लगा
लेकिन नाश्ता भी मुझ से ठीक से नहीं किया जा रहा था बार बार मेरी नज़र के सामने मेरी अम्मी की गांड मैं कपड़ा फँसने से जो अम्मी की गांड का हिलना का नज़ारा मिला था बार बार मेरी नज़रों क सामने आ जाता
मेरे नाश्ता ख़तम करते ही फ़रीदा बाजी बर्तन उठाने आयी
तो मैने बाजी से फरी बाजी का पूछा तो बाजी ने कहा वो आज अम्मी की जगा खेतों मैं गई है अबू के साथ काम मैं लगी हो गी
खैर मैं और कुछ नहीं बोला और वहीं लेट गया तो फरजाना जो की अब सफाई कर चुकी थी अम्मी के पास गई और बोली अम्मी मेरा काम ख़त्म हो गया है क्या मैं बिल्लो के घर चली जाओं थोड़ी देर के लिए प्लीज जल्दी वापिस आ जाउंगी
अम्मी ने हाँ मैं सर हिला दिया तो
फ़रज़ाना खुशी से उछालती हुयी अपना डाइजेस्ट उठा के बिल्लो की घर तरफ भाग गई
अम्मी उठी और मेरे पास आ के बैठ गई पैरों की तरफ तो मैं जल्दी से उठने ही लगा था की अम्मी ने कहा नहीं नहीं लेतो आराम से कोई बात नहीं तो मैने फिर से अपनी टाँगों को पहले की तरह फेला दिया
जिस से मेरा दाहिना पावं अम्मी के चूतड़ों से टकरा गया
मेरा पावं जेसे ही अम्मी के चूतड़ों से टच हुआ मेरे जिस्म मैं सनसनी की लहर ही दौड़ गई लेकिन अम्मी मेरे पावं के लगने बावजूद बड़े आराम से बैठी रही तो मैने भी अपना पावं वहीं रखे रहा और वहाँ से हटाया नहीं तो अ
म्मी ने कहा विकी बेटा
शहर मैं तो तुम अपने दोस्तों क साथ घूमने फिरने निकल जाते होगे लेकिन यहाँ
तुमको घर पे रहना पड़ता है तुम तंग तो आ जाते होंगे ना यहाँ आ के कयुँकि यहाँ बस घर पे ही रहना होता है
मैं अम्मी की बात सुन के हल्का सा हंस दिया और बोला नहीं
अम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं बात सिर्फ़ इतनी है की अगर किसी भी इंसान को उसे अपने घर पे हर चीज़ मिल जाए तो उसे यहाँ वहाँ फिरने की ज़रूरत ही क्या है (और इतना बोलते ही पता नहीं केसे )
लेकिन अपने पावं को जो के अम्मी की गांड से लगा हुआ था थोडा और ज़ोर से अम्मी की गांड पे दबा दिया)
अम्मी की गांड पे जेसे ही मेरे पावं का दबाव बड़ा अम्मी ने हैरत से मुड़ कर मेरी तरफ देखा और फिर अपना सर और पीछे घुमा के मेरे पावं को देखा जो की
अभी तक अम्मी की गांड से टच था और मैने हटाया नहीं था तो अम्मी के चेहरे पे गुस्सा नज़र आने लगा तो मैने झट से अपना पावं हटा लिया तो अम्मी मुझे बड़े गुस्से और बे यक़ीनी से देखती हुए खड़ी हो गई और
बिना कुछ बोले अपने रूम की तरफ चली गई तो
8 years ago#14
मैं परेशान सा हो गया की..... अब क्या होगा....
कयुँकि मैने जो अभी किया था अम्मी के साथ वो किसी तरह भी ठीक नहीं था और अब ये सब होने क बाद और अम्मी का चेहरा देखने के बाद मेरी गांड फटने लगी थी
तो मैं उठा और घर से निकल के ऐसे ही आवारा घूमने लगा
दोपहर के कोई 12 बजे मैं डरते डरते घर वापिस आया तो देखा की फ़रीदा जो की खाना बना चुकी थी फ़रज़ाना के साथ मिल के और अब खाना खाने की तैयारी हो रही थी
मुझे देखते ही फ़रीदा बाजी बोली भाई ये क्या अम्मी आप के साथ थोडा वक़्त गुज़रने की खातिर आज खेतों पे भी नहीं गई और आप हो की कुछ पता ही नहीं की कहाँ आवारा गार्दी करते फिर रहे हो
मैने बस वो काम था थोड़ा बोल के रूम की तरफ चला गया तो थोड़ी ही देर के बाद बाजी फ़रीदा मेरे रूम मैं ही खाना ले के आ गई
जिसे देख के मैने हेरनी से बाजी की तरफ देखा और बोला ये क्या बाजी खाना तो 2 लोगों का है
बाजी ने कहा हां
आप को और अम्मी का अम्मी भी तुम्हारे साथ ही खाना खाईंगी और निकल गई तो
मैं अम्मी का सुनते ही घबरा गया और खिसकने के लिए चारपाई से खड़ा ही हुआ था की अम्मी रूम मैं आ गई और मुझे चारपाई से उतरता देख के बोली कहाँ जा रहे हो
मैं वो अम्मी बस शरू करो मैं अभी आता हूँ तो अम्मी ने मुझे घूर के देखा और बोली
विकी आराम से बैठ के खाना खाओ फिर जहाँ घूमना है चले जाना
भला हुमारे मना करने से तुम अब घर मैं थोडा ही रूकोगे इतना बोलते ही अम्मी की आँख मैं आँसू आ गये थे
जिन्हें देख के मुझे दिल से शर्मिंदगी होई तो मैं बैठ गया
खाना हम माँ बेटे ने खामोशी से खाया और फिर अम्मी चारपाई से उतार गई और ज़रा झुक के बर्तन उठाने लगी
तो उनका दुपटा उन के कंधे से फिसल क नीचे जा गिरा तो अम्मी के खुले गिरेबान वाली क़मीज़ मैं से
अम्मी की चूचियां आधे से ज़्यादा नज़र आने लगी जो की किसी भी हसीन और जवान लड़की से भी ज़्यादा बड़ी और सुन्दर और एक काली ब्रा मैं फंसी थी
मुझ पे क़यमत ढा रहे थे और मेरी नज़र उनपे टकटकी की तरह लगी हुयी थी की
तभी अम्मी ने भी शायद महसूस कर लिया था या बस वो बर्तन उठा के सीधी हुई तो मुझे इस तरह घूरता देख के फॉरन समझ गई की मैं क्या देख रहा था
लेकिन अब की बार अम्मी कुछ बोली नहीं और एक अजीब सी नज़र से देखते हो बर्तन उठा के चली गई
अम्मी के जाते ही जैसे मुझे थोड़ा सकून मिला और मैं खुद भी खड़ा हो के खिसकने लगा की फ़रज़ाना आ गई और आते ही बोली अम्मी बोल रही है की तुम कुछ देर के लिए उन की पास आ जाओ गप सप करेंगे
अब मैं खामोश खड़ा सोचता रहा की आख़िर अम्मी ने क्या बात करनी थी मेरे साथ और आ जा की मेरे दिमाग मैं सुबह और अभी थोड़ी देर पहले वाली हरक़त ही नज़र आती की जिस की बारे अम्मी कोई बात करना चाहती हो जिसे सोचते ही मेरी तो हवा टाइट होने लगी थी
मैं थोड़ी देर सोचने के बाद जो तक़दीर होगा होगा ही और अम्मी के रूम की तरफ चल दिया जो की सब से अलग बना हुआ था और जब मैं अम्मी के रूम मैं घुसा तो अम्मी ने मुझे बड़ी अजीब से नज़रों से देखा और बोली आ जाओ यहाँ मेरे पास ही बैठो आज तुम से भी कुछ बातें हो जायँ
मैं अम्मी की आँखों मैं देखता आगे बड़ा और अम्मी की चारपाई जिस पे वो आराम से लेती हुयी थी उस वक़्त जाके अम्मी के पैरों की तरफ बैठ गया तो अम्मी जो की अभी तक मेरी आँखों मैं ही देख रही थी बोली विकी बेटा क्या बात है आज तुम मुझे सुबह से कुछ बदले बदले दिखाई दे रहे हो
मैं... क्या मतलब अम्मी मैं समझा नहीं की मैं भला किस तरह से बदल सकता हूँ
अम्मी... देखो विकी आज सुबह से तुम्हारा रवईया घर मैं अजीब सा नज़र आ रहा है खास तौर से मेरे साथ
मैं... लेकिन अम्मी मुझे तो नहीं लगता की मैने आपके या किसी और के साथ किसी तरह की कोई बदतमीज़ी की हो
अम्मी...(मेरी आँखों मैं गहराई तक देखते हो जेसे वो कुछ सोच रही थी )
बोली बेटा बात ये है की मुझे लगता है की तू अब तो अच्छे से जवान हो गया है और अब तेरे लिए कुछ सोचना चाहिए मैं करती हूँ तुम्हारे अब्बू से बात की वो कोई लड़की देखें
मैं... नहीं अम्मी ये भला किस तरह हो सकता है की घर मैं मेरी जवान बड़ी बहनें बैठी हों और मैं उन से पहले अपने लिए कुछ सोचों प्लीज अम्मी ये बात
सोचना भी मत , अभी मुझसे कुछ और पढ़ाई भी करनी है
अम्मी.... ठंडी आअहह भरते हो बोली देखो बेटा जब जवानी आती है ना तो जवानी के जोश मैं इंसान सब कुछ भूल जाता है और ये ही वजह है की हम ने
तुम्हे बाहर आवारा गर्दी और ज़्यादा दोस्ती की इजाज़त कभी नहीं दी
कयुँकि हम नहीं चाहते थे की हुमारा बेटा बुरी सोहबत मैं गिरफ्तार हो के इतना बिगड़ जाए की हमारा सहारा ना बन सके लेकिन मुझे लग रहा है की यहाँ हम अपनी लाइफ की सब से बड़ी ग़लती कर चुके हैं
मैं... अम्मी अगर आप ने मुझे बुरी सोहबत और बाहर जा के आवारा होने और बिगड़ने से बचाने की कोशिश की है तो इस मैं आप से कोई बड़ी ग़लती नहीं हुयी है जो आप परेशान हो रही हो
अम्मी... बेटा मैं माँ हूँ तेरी और तेरी नज़रों को और तुम्हे बहुत अच्छी जानती हूँ और जो मैं तुम्हारे अंदर इस बार तब्दीली देख रही हूँ ये मुझे ख़ौफ़ परेशान हूँ
मैं... अम्मी आख़िर आप किस बात से इतनी ख़ौफ़ जादा हैं ज़रा मुझे भी तो पता चलना चाहिए
अम्मी... रहने दे बेटा फिर कभी बताऊंगी
अच्छा देख अभी मैने तुम्हे इस लिए बुलाया था की अगर तो बाहर जाना या नहीं दोस्त से मिलाना चाहता है तो आज से तुम पूरी तरह से से इजाज़त है
अब तुम्हे कोई भी मना नहीं किया करेगा बाहर जाने और दोस्त बनाने से
मैं...( हैरानी से अम्मी की तरफ देखने लगा कयुँकि अब मैं समझ गया था की अम्मी कयूं चाहती हैं की मैं बाहर निकल कर और दोस्त भी बनें वो समझ चुकी थी ) की अगर मैने जवानी मैं कोई ग़लत क़दम उठा दिया और वो भी अपने ही घर मैं तो हम किसी को अपना मुँह दिखाने के क़ाबिल भी नहीं रहंगे
8 years ago#15
लेकिन सच तो ये था की मैं घर का मज़ा ले चुका था तो मैने बस अम्मी की तरफ ना देखते हो इतना ही बोला अम्मी लगता है की
मुझ से कोई ऐसी ग़लती हो गई हैकी जिस की वजाह से आप नाराज़ हो
अगर ऐसी कोई बात है तो प्लीज अम्मी मुझे बता दो अगर मेरी ग़लती हुयी तो हमेशा के लिए इस घर से चला जाऊंगा और कभी किसी को अपनी शकल भी नहीं दिखाऊंगा मैं
अम्मी.... मेरी आख़िरी बात को सुन के तड़प उठी और मुझे अपने सीने से भींच लिया और बोली देखो
विकी बेटा फिर कभी अपने मुँह से ऐसी बात मत निकलना वरना तो मेरा मरा हुआ मुँह देखेगा और रो पड़ी
अम्मी मुझे अपने सीने से भिंचे रो रही थी
और मैं अपनी मा के सीने से लगा उनकी चूचियों की मुलायमता का लुत्फ़ ले रहा था
जिस से मेरा लण्ड भी कड़ा होने लगा और मैने बहुत कोशिश की खुद को अम्मी से थोड़ा दूर रखूं कयुँकि मेरा लण्ड अम्मी की टाँगों से टच ना हो
अम्मी ने मुझे अपनी तरफ खींचा था सीने से लगाने के लिए तो मैं तक़रीबन अम्मी के ऊपर गिरा हुआ था
जैसे ही मेरा लण्ड अम्मी की जांघों को घुटनो से थोड़ा ही ऊपर टच हुआ तो
अम्मी ने मुझे झटके से अलग किया और हेरनी से मेरी तरफ देखने लगी और तिरछी नज़र से नीचे जहाँ मेरा लण्ड अपनी औकात मैं खड़ा हुआ था और मेरी पैंट और क़मीज़ मैं एक तंबू सा बना हुआ था
अम्मी ने थोड़ी देर ये सब देखा तो बोली ठीक है विकी तुम जाओ अभी यहाँ से हम अब बाद मैं बात करंगे तो मैं उठा और अम्मी क रूम से निकल के अपने रूम की तरफ चल पड़ा
अपने रूम मैं आ के मैं अपनी चारपाई पे लेट गया और सोचने लगा की क्या ये जो कुछ हो रहा है और मैं कर रहा हूँ क्या वो सब ठीक है या
मुझे अपने आप कंट्रोल करने की ज़रूरत है
ये सब सोचते सोचते मैं आख़िर इस फ़ैसले पे पंहुचा की मुझे अब ज़रा सतर्क रहना चाहिए
और फरी बाजी के साथ मेरा जो रीलेशन बन चुका है बस उसी तक मसरूफ रहना चाहिए कयुँकि इसी मैं मेरी और फरी बाजी दोनो की भलाई थी इस फ़ैसले से मैं काफ़ी मुतमान हो गया और फिर सो गया
जुब आँख खुली तो शाम होने वाली थी मैं उठा और हाथ मुँह धोया और बाहर निकला और खेतों की तरफ चल दिया जहाँ अबू और फरी भी काम से निपट हो चुके थे
अब बस भेंसों का दूध निकलना ही बाकी था जो की अबू ने ही निकलना था
मुझे खेतों की तरफ आता देख के बाजी खुश हो गई और उनका चेहरा भी हल्का गुलाबी सा हो गया तो
मैने कहा कयूं बाजी काम कर के ज़्यादा तक तो नहीं थक गई आप जो आपका का फेस रेड हो रहा है
बाजी मेरी बात सुन क हंस दी और बोली
भाई मुझे अभी तुम्हारी तरह शहर की आदत नहीं हुयी जो मैं इतने से काम से थक जाऊं तो
तभी अबू जो की पास ही बैठे थे बोले बेटा आज सारा दिन तुम ने चक्कर ही नही लगाया खेतों का क्या तुम्हे हमारी याद नहीं आती
मैं अबू की तरफ देख के मुस्कुरा दिया और बोला कैसी बात करते हो आप अबू भला मैं और आप को याद ना करूँ
बस आज देर अम्मी की वजाह से हुयी अम्मी ने आज मुझसे से शहर की बातें करती रहीं
थोड़ी देर तक अबू और फरी बाजी से इस तरह की बातें करते हुए वक़्त गुज़ारा
फिर अबू ने भेंसों का दूध निकाला तो मैं बाजी के साथ ही उठाके दूध ले के घर को चल पड़े और
थोड़ा आगे आते ही मैने बाजी को आज होने वाली सारी बातें बता दी तो बाजी भी थोडा परेशान हो गई
और बोली यार भाई ये क्या किया तुम ने अब अम्मी को तुम पे कहीं शक ना हो गया हो
मैं भी थोड़ा परेशान हो गया और बोला बाजी पता नहीं वो सब देख के मेरा अपने पे कण्ट्रोल नहीं रहता अब और ..मेरा लंड करा हो जाता है... मै क्याकरूँ ..कुछ समझ मै नहीं आ रहा है ...
लेकिन बाजी अम्मी को किस तरह शक हो सकता है हम पर
कौनसा किसी को बताने वाले हैं जो अम्मी को कुछ पता चलेगा बस अब ज़रा ध्यान से करना होगा जो भी करंगे
बाजी एक ठंडी साँस भारी और बोली भाई लगता है की मेरी किस्मत मैं ज़्यादा देर तक सकून नहीं है
तुम्हारे साथ तो मैं भी हेरान हो के बोला क्या मतलब बाजी मैं समझा नहीं आपकी बात
बाजी ने मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखा और बोली तुम्हे आज ही पता चल जाए गा
अगर मेरा शक सही हुआ था और फिर हम घर तक पहुँच गये और
थोड़ी देर हँसी मज़ाक क बाद मैने बाजी को ऊपर अपना बिस्तेर लगाने का बोला तो बाजी मेरे साथ ही अपना बिस्तेर भी बिछा दिया
लेकिन जब मैं ऊपर सोने के लिए चला गया तो थोड़ी ही देर के बाद फरीदा बाजी एक और चारपाई उठा के ऊपर लाई और बिछाने लगी
तो मैं काफ़ी हेरान हुआ और बोला ये क्या आज तुम भी ऊपर ही सोने आ गई हो क्या तो फ़रीदा ने कहा नहीं भाई ये अम्मी का बिस्तेर बिछा रही हूँ आज वो ऊपर र तुम लोगों के पास ही सोएंगी क्या समझे
फ़रीदा बाजी की बात सुनते ही मुझे बाजी की बात याद आ गई और मैं सच मैं परेशान हो गया की कहीं अम्मी को सच मैं हम दोनो पे शक तो नहीं हो गया
जो आज अम्मी ने अपना बिस्तेर ऊपर ही लगवा लिया है
8 years ago#16
ये सोच बहुत ही ख़तरनाक थी और अगर इस मैं थोड़ी भी सचाई थी तो अब हमें ज़रा संभाल के चलना था
कयुँकि अगर अम्मी को ज़रा सी भनक भी लग जाती तो हमारी गांड फटना तो यक़ीनी था
फ़रीदा बाजीके जाने के थोड़ी देर बाद ही बाजी फरी ऊपर आ गई
और खामोशी से अपने बिस्तेर पे लेट गई तो मैं उठ के बाजी की तरफ जाने लगा तो बाजी ने हाथ क इशारे से मुझे मना कर दिया और लेते रहने का इशारा किया
मैं कुछ समझा तो नहीं
लेकिन खैर वेसे जी लेता रहा तो तभी अम्मी भी ऊपर आ गई और आते ही बोली....
विकी क्या बात है कहीं तुम दोनो मैं कोई नाराज़गी तो नहीं हो गई.......................
जो इस तरह दोनो चुप चाप लेटे हो
मैने जल्दी से कहा नहीं अम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं है बस बाजी आज सारा दिन खेतों के काम से थकी हुई है ना इस लिए मैने कोई बात नहीं की सो जाए ज़रा जल्दी से थकावट ख़तम हो
बड़ा ख्याल है तुम्हे अपनी बहिन का चलो ठीक है होना भी चाहिए और इतना बोल के अपने बिस्तेर पे लेट गई सोने के लिए और
उस के बाद हम सब चुप लेकिन अपनी जगह , पता नहीं ,,,,,,,
कब तक जागते रहे और जब आँख खुली तो पता चला की सुबह हो चुकी है मैं उठा और नीचे आ के फिर से सो गया
दोबारा आँख अम्मी के उठाने से खुली तो अम्मी ने नहा के नाश्ता करने को बोला और बोली पता नही विकी क्या होता जा रहा है तुम्हे भला कोई इतनी देर तक भी सोता है सूरज तो देखो कितना निकल आया है और तुम हो की अभी तक लंबी तान के सो रहे हो चलो जल्दी करो
मैं अपनी आँखें मलता हुआ उठ बैठा और बोला क्या अम्मी कोई काम तो है नहीं तो मैं इतनी सुबह उठ के क्या करूँगा सोने दिया करो ना अम्मी
और ये बोलते ही मैने अपनी आँखें पूरी तरह खोल के अम्मी की तरफ देखा जो की अभी तक मेरी चारपाई के पास ही खड़ी हुयी ई थी और मेरी तरफ ही देख रही थी
लेकिन जब थोड़ा गौर किया तो अम्मी की आँखें मुझे लगा की मेरी तरफ नहीं बल्कि मेरे फेस से थोडा नीचे कुछ देख रही .
जब मैने गौर किया तो मुझे एहसास हुआ की सोते मैं मेरा लण्ड खड़ा हो गया था जो की अभी तक फुल हार्ड था और अम्मी की नज़र मेरे खड़े लण्ड पे ही टिकी हुयी थी
अम्मी का इस तरह मेरे लण्ड की तरफ देखना मुझे अच्छा लगा तो मैने भी मुस्कुराते हो अपने लण्ड को झटका दिया और बोला
कयूं अम्मी क्या बनाया है नाश्ते मैं तो अम्मी ने झट से अपनी नज़र मेरे लण्ड से हटाई और मेरी तरफ देखा तो मुझे अपनी तरफ ही देखते पा कर अम्मी का फेस रेड हो गया और अम्मी ने अपनी नज़र घुमा ली और बाहर की तरफ चल पड़ी और जाते हो बोली क्या
तुम्हे नहीं पता की सुबह नाश्ते मैं क्या बनता है
अम्मी के जाते ही मैं भी खड़ा हो गया और थोड़ी देर इधर उधर हाथ पावं धोता रहा जिस से मेरा ज़हन बात गया तो खड़ा हुआ लण्ड भी नीचे आ गया तो मैने टवल उठाया और नहाने क लिए बाहर निकला और बात रूम मैं जा घुसा नहाने क लिए. (कयुँकि हम गांव के रहने वाले हैं तो हमारे घर पे बाथरूम था यह बड़ी बात थी और अच्छी बात तो था नहीं बाहर ही नहाना होता सब ने और खड़े लण्ड के साथ मैं रूम से निकल नहीं सकता था कयुँकि अम्मी तो अब मुझ पे शक करने ही लगी थी )
मैं नहा के बाहर निकला तो आज फिर फरी मुझे कहीं नज़र नहीं आयी तो मैं समझ गया की अम्मी ने बाजी को फिर से खेतों मैं भेज दिया होगा और खुद घर पे ही रहेगी
तो मैं खामोशी से बाहर बरामदे मैं ही बैठ गया और अम्मी ने नाश्ता ला के दिया जिसे खाने के बाद मैं उठा और बाहर निकल गया सलीम की तरफ जो मुझे देखते ही बोला सुकर है यार की तू भी घर से निकला और तुझे मेरी याद भी आ ही गई सुना क्या चल रहा है
मैने सलीम की तरफ देखा और बोला यार क्या चलना है बस सारा दिन घर पे पड़ा ख़ाता और सोता रहता हूँ या फिर खेतों पे चला जाता हूँ तो सुना क्या हो रहा है आज कल कोई नहीं चीज़ भी सेट की है या उन्ही पुरानी वालियों के साथ अपना टाइम पास कर रहा है
सलीम थोड़ा हंस दिया मेरी बात पे और बोला बस यार क्या करें तुम्हे तो पता ही है की कोई ना कोई मिल ही जाती है अपनी चुत का रस पिलाने के लिए और फिर हमारा जाता भी क्या है 2 क़तरे पानी क बस
सलीम की बात सुन क हम दोनो हंस दिए और फिर इधर उधर की बातें करने के बाद जब मैं वहाँ से आने लगा तो सलीम ने मुझे रोक लिया और बोला यार मिला नहीं तो कभी उसके बाद रीदा से क्या मज़ा नहीं आया तुम्हे उस क साथ या तेरी गांड फॅटती है
उस देख के अभी भी मैं हंस दिया और बोला .............बस यार
अब क्या ब्ताओं तुम्हे की मुझे डर लगता है घरवालों से की अगर उन्हें पता चल गया की मैं अब ये सब भी करने लगा हूँ तो मेरा कॉलेज ख़तम समझो फिर
सलीम हेरात से मुझे देखता हुआ बोला यार तुम तो इक्लोटे बेटे हो अपने मा बाप के वो भला तुम्हारे साथ कोई सख्ती किस तरह कर सकते हैं बस बात इतनी है की तुम हिम्मत तो करो
मैने बड़ी बेचारगी से सलीम की तरफ देखा और फिर आअहह भरते हो बोला यार दिल तो मेरा भी बहुत करता है
लेकिन क्या करें दिल नहीं मानता कयुँकि घर मैं अम्मी अबू के इलावा मेरी बेहनैन भी मेरा बड़ा ध्यान रखती हैं
और सब इतने अच्छे हैं की मेरा दिल नहीं चाहता की मैं किसी को ज़रा भी दुख दूँ बस इसी वजाह से डरता हूँ यार और कोई बात नहीं है
सलीम भी अब की बार मुझे देखता रहा और फिर जब मैं उठ गया तो इतना बोला देख लो
यार विकी की कहीं आज जिस तरह तुम अपने मा बाप और बहनों की वजाह से फटो बने फिरते हो अपना आप मार के कहीं कल शादी के बाद कहीं तुम्हारी बीवी भी तुम्हारी इस आदत का फाइयदा ना उठाए और तुम हमेशा के लिए एक बुज़दिल और औरतों के पॅलो मैं छुपने वाले ना बन जाओ
सलीम की बात तो सच ही थी लेकिन क्या करता मेरी आदत ही कुछ ऐसी हो गई थी अब की शायद बदल ही नहीं सकती थी लेकिन मैने सलीम से और कोई बात नहीं की और गावँ से बाहर रोड पे आ गया जो की शहर की तरफ जाता था और वहाँ बैठ की अपने बारे मैं सोचने लगा की
8 years ago#17
आख़िर क्या करूँ तभी मुझे शहर की तरफ जाने वाली बस आती नज़र आयी और मैने बिना सोचे उसे हाथ के इशारे से रोक लिया और बस के रुकते ही उस मैं चढ़ गया और शहर चला गया
शहर आ के मुझे ख्याल आया की मैने तो घर मैं या गावँ मैं किसी को बताया भी नहीं की मैं शहर जा रहा हूँ वो परेशान होंगे
मेरे इस तरह आने से की तभी मेरे दिमाग मैं ख्याल आया की मुझे अब कुछ दिन वापिस नहीं जाना चाहिए
कयुँकि अब मुझे ये ही एक हल नज़र आ रहा था की जिस तरह घर वाले मुझे अपने प्यार से ब्लॅकमैल करते आए थे आज तक अब मैं भी उन्हें उन्ही के अंदाज़ मैं ब्लॅक मैल करूँ
शायद मैं भी थोडा सर उठा की चल सकों और लड़कों की तरह घूम फिर सकों एन्जॉय कर सकों
अपनी लाइफ को ये ख्याल जितना परफेक्ट था उतना ही मुझे पसंद आया और मैं अपने एक दोस्त के पास चला गया और उसे जब सारी बात बताई तो वो हंस दिया और बोला चल शूकर है
तुझे भी मर्द बनने का शौक हुआ और मुझे अपने साथ घर ले गया जहाँ उस ने मुझे अपनी बैठक मैं रुकवाया
और इस के साथ मेरे खाने पीने का इंतज़ाम उस ने घर से कर दिया
मैं कोई 4 दिन तक अपने दोस्त के घर रहा और फिर वहाँ से घर की तरफ रवाना हो गया तो जो पैंट क़मीज़ मैने यहाँ आते हो पहनी थी
मेरे दोस्त के मशवरे के मुताबिक मैं उन्ही कपड़ों मैं ही रहा, वो अच्छी तरह से गंदे हो गए और जब मैं उन्ही गंदे और मैले कपड़ों मैं 4 दिन बाद घर आया तो
मुझे देखते ही
अम्मी की आँखों मैं पानी आ गया और वो रोते हो मेरी तरफ भागी और मुझे लीपेट के ज़ोर से अपने साथ भींच लिया
मेरी अपनी हालत उस वक़्त अम्मी को इस तरह रोता देख के खराब होने लगी थी की
मैने अपने आप को ज़रा संभाला और अम्मी को खुद से अलग किया और अपने रूम की तरफ चल दिया
किसी से भी बात किए बिना बाजी फरी जो की मेरे लिए मेरा सब कुछ बन चुकी थी उन की तरफ भी अपना दिल कड़ा कर की देखे बिना मैं अपने रूम मैं आया और अपने कपड़े निकल के जा के नहाया और फिर से रूम मैं जा घुसा और दरवाजा को अंदर से लॉक कर क लेट गया जो की मैं ये सब जान बुझ के ही कर रहा था
घर वाले जितना मेरे वापिस आने से खुश थे वहाँ उस से भी कहीं ज़्यादा मेरे रविए पे हेरान भी थे
की आख़िर मुझे हो क्या गया है इसी तरह थोडा वक़्त गुज़रा था की मेरे रूम के दरवाजे पे नॉक होने लगी और
जब मैने ना तो दरवाजा खोला और ना ही कुछ बोला तो एक बार फिर से दरवाजा नॉक हुआ और साथ ही अबू की आवाज़ भी सुनाई दी जो की दरवाजा खोलने का बोल रहे थे
अबू की आवाज़ सुन के
मैं थोड़ा घबरा भी गया लेकिन दिल को मजबूत कर के दरवाजा खोल दिया और
जब अबू पे मेरी नज़र पड़ी तो मैं जहाँ था वहीं का वहीं किसी बुत की तरह खड़ा रह गया कयुँकि अबू इन 4 दीनो मैं ही बिल्कुल बूढ़े नज़र आने लगे थे और उनके कंधे भी झुके नज़र आ रहे थे
मैं हेरनी से अबू की ये हालत देखता हुआ सामने से हट गया
8 years ago#18
अबू मेरे रूम मैं आए और मेरी तरफ देखते हो रो पड़े तो मेरी समझ मैं नहीं आया की आख़िर मैं करूँ
तो क्या करूँ और अबू को कैसे चुप करवाऊं की तभी अम्मी और बाजी फरी रूम मैं आ गई और अबू को संभाल के चारपाई पे बैठा दिया तो
अम्मी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा विकी ये तूने ने क्या किया बेटा आख़िर कहाँ हमारे प्यार मैं तुम्हे कमी नज़र आयी
मैं... पता नहीं उस वक़्त मेरे अंदर इतनी दलेरी कहाँ से आ गई की
मैं अम्मी की आँखों मैं आँखें डॉल के बोला आप को तो प्यार था ही नहीं मेरे साथ तो कमी कहाँ से आ गई
अम्मी... हेरनी से मेरी तरफ देखते हुयी बोली
विकी ये तो क्या बोल रहा है बेटा मैं माँ हूँ तेरी और मैं अपनी सारी औलाद मैं तुम्हे सब से ज़्यादा प्यार भी तुम से ही करती हूँ
मैं... तल्ख़ लहजे मैं अम्मी से बोला की जितना प्यार आप मुझ से करती हैं उस से ज़्यादा शक भी करती हो आप
और अगर आप मुझे प्यार करती ना अम्मी तो शक कभी नहीं करती वो भी इतना घटिया
अबू... जो की अभी तक सर झुका के बैठे हमारी बात सुन रहे थे
झटके से सर उठा के पहले मुझे और फिर अम्मी को देखते ही बोले क्या बात है रहना
ये विकी क्या बोल रहा है किस बात का शक करती हो तुम मेरे बेटे पर की जो ये इस तरह घर से चला गया था
अम्मी... जो की पहले ही काफ़ी परेशान लग रही थी अबू की बात सुन के उन का रंग फीका पड़ गया
लेकिन वो कुछ बोली नहीं बस सर झुका के खड़ी रही
अबू... जब अम्मी की तरफ से कोई जवाब ना मिला तो मेरी तरफ देखते हो बोले विकी तो बता मुझे बेटा की क्या बात है जिस की वजाह से तुम घर से निकल गये थे मैं तेरे साथ हूँ
मैं...अम्मी की तरफ देखता हुआ जो की अभी तक सर झुका के खड़ी अपनी उंगलियाँ मरौदरही थी और उन का फेस पसीने से भीग चुका था बोला
अबू आप अम्मी से ही पूछ लेना हो सकता है की मैं कुछ ग़लत समझा हूँ और बात वो ना हो कुछ और ही हो
मेरी बात सुन के अबू फॉरन खड़े हो गये और अम्मी का हाथ पकड़ के बोले चलो अभी मेरे साथ बताओ
मुझे की क्या बात है और फरी की तरफ मुड़ते हो बोले अपने भाई का ध्यान रखो ये कहीं नहीं जाए
फरी ने अबू की बात सुन के हाँ मैं सर हिलाया तो
अबू अम्मी का हाथ पकड़े हो मेरे रूम से निकल गये तो फरी मेरे पास आयी और जब बोली तो उस की आवाज़ मैं भी आँसू घुले महसूस हो रहे थे
फरी.... भाई तुम कहाँ चले गये थे और क़्यू क्या तुम मुझे भी नहीं बता सकते
मैं... बाजी अब मैं आपके और अपने दरमियाँ कोई दूरी बर्दाश्त नहीं ई कर सकता हूँ और इस के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ
मै आपसे बहुत प्यार करता हूँ बाजी... आप ही मेरा पहला और आखिरी सच्चा प्यार हो...
ओह मेरे बही... फरी आब्जी अवाक् रह गई .. यह सुनके .....
मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ मेरे भाई पर... पर हमरा रिश्ता.. कुछ एस्सा है जिसे हम दोनों.. संभाल के रख सकते थे.. सब से छिप के चोरी से....... सारी जिंदगी...... यहाँ तक की मेरे निकाह के बाद भी...
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फरी... भाई तुम ने ये कोई अच्छा काम नहीं किया
हम अगर प्यार से, समझ से काम लेते तो हो सकता है अम्मी हमारे दरमियाँ कोई रुकावट ना बनती केलिन......
अब तुम ने सारा काम खराब कर दिया है
मैं... क्या मतलब बाजी मैं आप की बात नहीं समझा
8 years ago#19
बाजी... अरे पागल तुम अब यहाँ ज़्यादा नहीं रहते लेकिन मैं यहाँ ही रहती हूँ हर वक़्त और सब कुछ और सब को जानती हूँ की कौन क्या है और क्या करता फिर रहा है
इस लिए अगर तुम थोडा सबर और कर लेते तो अम्मी को मैं खुद ही समझा लेती.... किस तरह से...
लेकिन तुम ने बात अबू तक पंहुचा दी है
अब मुझे अम्मी के साथ अबू के बारे मैं भी सोचना पड़ेगा और यह बात बहुत महंगी पड़ेगी मेरे भाई.... अब्बू ... और अब्बू के साथ............ ..कह के ...बाजी , कुछ सोचने लगी
अभी हम ये बताईं कर ही रहे थे की फ़रीदा बाजी रूम मैं आती दिखाई दी तो हम चुप हो गये और फिर फ़रीदा बाजी ने आते ही मेरी तरफ देखा और बोली भाई अबू बुला रहे हैं तुम दोनो को...
फ़रीदा बाजी की बात सुन के मैने फरी की तरफ देखा जो की मेरी तरफ ही देख रही थी और आँखों ही आँखों मैं फरी से पूछा की अब क्या होगा
अबू ने किस लिए बुलाया होगा
तो बाजी ने हल्के से कंधे हिला दिए और रूम से बाहर की तरफ चल दी तो
मैं भी अपना सर झुका के अबू के रूम की तरफ फरी के पीछे ही चल दिया
लेकिन उस वक़्त मैं इसी सोच मैं गुम था की
आख़िर अम्मी ने अबू को ऐसा क्या बता दिया है की........,, अबू ने मेरे साथ फरी को भी बुलवा लिया है
लेकिन कुछ भी समझ मैं नहीं आया
तो मैं तक़दीर मै जो होगा देखनेग..
अबू की रूम मैं फरी की साथ चला गया जहाँ अबू अम्मी के साथ ही पलंग पे बैठे थे और सामने की चारपाई खाली पड़ी थी जिस पे बैठने के लिए अबू ने हम दोनो को बोला तो हम चुप वहाँ जा बैठे
अबू... थोड़ी देर हम दोनो की तरफ देखते रहे और फिर फरी की तरफ अपना फेस घुमा लिया और बोले
फरी तुम्हारी अम्मी का कहना है की उसे तुम्हारा विकी क साथ ज़्यादा रहना शक मैं डॉल रहा है जिस की वजाह से वो तुम दोनो पे नज़र रखने लगी तो विकी नाराज़ हो गया क्या ये सच है
मेरे साथ साथ फरी भी एस बात पे चोंक गए...
फरी... हेरनी से अबू की तरफ देखते हो बोली अबू विकी मेरा एक ही तो भाई है जो की अब हमारे साथ नही रहता यहाँ गावँ मैं शहर मैं रहता है और अब जब की वो छुट्टियों पे गावँ आया हुआ है तो क्या मैं अपने ही छोटे भाई के साथ हंस बोल भी नहीं सकती
अम्मी... देखो फरी जिस तरह तुम विकी की बहिन हो वेसे ही फ़रीदा और फ़रज़ाना भी तो विकी की बहन हैं क्या वो भी तुम्हारी तरह विकी क साथ चिपकी रहती हैं और ख़ुसर फुसर करती हैं
मैं... अम्मी मुझे लग रहा है की अब मेरा इस घर मैं कोई काम नहीं रहा और मुझे यहाँ से अब हमेशा के लिए चले जाना ही बहेतर है नेमे कुछ शक्त लहजे मै कहा....मेरे आवाज.. कुछ ज्यादा भारी होने लगी थी.. जिसे अब्बू अम्मी और फरी बाजी ने भी महसूस किया... बाजी ने आखंसे इशार किया .. तो मै थोड़े नरम लहजे मै फिर बोला..
कयुँकि जहाँ मेरी माँ ही मुझ पे मेरी बहिन से तालुकात का गंदा इल्ज़ाम लगा दे तो फिर अब मेरे पास बाकी कुछ नहीं बचता
अबू... देखो बेटा तुम बैठो और जो भी बात है वो हम यहाँ बैठ की ख़तम कर सकते हैं
मैं... (गुस्से की आक्टिंग करता हुआ खड़ा हो गया लेकिन मैं ये भी समझ रहा था की अगर घर छोड़ेगा तो दर बदर हो जायेगा कोई असरा नहीं बनता मेरा ) नहीं
अबू अब कोई बात नहीं बची प्लीज अब मुझे यहाँ से जाने से मत रोकिएगा और रूम से निकालने लगा
अबू ने भाग के मेरा हाथ पकड़ लिया और रोते हो बोले ठीक है बेटा मैं समझ रहा हूँ की..........
तुम्हारे साथ ज़्यादती हुयी है जिस के लिए तुम्हारी मा जिम्मेदार है
अभी वो भी तुम से माफ़ी मांग ले गी लेकिन पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज बेटा तुम घर छोड़ के नहीं जाओगे बल्कि कल से तुम मेरे साथ खेतों मैं रहा करोगे
नहीं अबू मुझ किसी से माफ़ी मंगवाने की कोई ज़रूरत नहीं है
कयुँकि अम्मी का बेवजह शक ने मुझे अपनी और फरी बाजी की नज़रों मैं गिरा दिया है तो
अब मेरे पास बस 2 ही रास्ते हैं
एक ये की मैं घर से इतनी दूर चला जाओं की किसी की नज़र मैं भी ना आऊँ ज़िंदगी भर और
दूसरा ये है क मैं अपनी जान ख़तम कर दूँ और अब कोई चारा नहीं बचा
(ये मुझे बाद मैं पता चला क ये सारी हराम ज़दगी फ़रीदा ने ही की थी अम्मी को बताने वाली और शक मैं डालने वाली और बाकी की कसर मैने अम्मी की साथ हल्की फुल्की, अपने रविये से पूरी कर डाली थी)
अम्मी जो की अब तक चुप चाप थी
अचानक.... उठी और मेरे पैरों मैं गिर गई और रोते हुए मुझसे माफ़ी माँगने लगी तो
जेसे मेरा दिल ही फटने लगा हो और मैने जल्दी से अम्मी को कंधों से पकड़ के उठा दिया और बोला नहीं अम्मी पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ये आप क्या कर रही हो
अम्मी रो रही थी और बोलती जा रही थी नहीं बेटा अब तो कहीं नहीं जाएगा अपनी मा को छोड़ के बेटा
अब मैं तुम्हे कभी कुछ नहीं कहूँगी पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बेटा अपनी मा को माफ़ कर दे
मैने अम्मी को अपने सीने से लगा लिया और बोला नहीं अम्मी मैं कहीं नहीं जाऊंगा आप को छोड़ के भला मैं खुश रह पाउँगा
कहीं इस दुनिया मैं मर ही ना जाओंगा जो आप को और अबू को छोड़ के कहीं जाऊं
मेरी बात सुन के अबू का फीका पड़ा चेहरा भी खुशी से चमक उठा और अम्मी भी खुश हो गईं तो बोली की
तू ठहर मैं ज़रा इस फ़रीदा की बची की खबर लेती हूँ
जिस की बातों मैं आके मैं अपने बच्चे को खोने जा रही थी
अम्मी की बात से मेरे साथ अबू और फरी भी चौंक गये
और फिर अबू ने ही अम्मी से पूछ क्या मतलब फ़रीदा ने ऐसा क्या बोला था जो तुम मेरे बचों के खिलाफ हो गई थी
अम्मी ने हमे फ़रीदा ने जो उस दिन अबू और अम्मी के शहर जाने के बाद मैं और बाजी खेतों मैं गये थे तो फ़रीदा जब खाना ले के आयी तो बाजी को बिना दुपते और क़मीज़ के नीचे बिना ब्रा के बड़े अजीब अंदाज़ मैं लेता देख लिया था
जिस वो शक मैं आ गई और अम्मी को भी बोल दिया था जिस की वजाह से ये सारा हुंगमा खड़ा हुआ था हमारे घर
अम्मी की बात सुन के मेरे साथ बाजी भी हेरान हुयी लेकिन शर्मिंदा भी ,
तो मैने अम्मी को मना कर दिया की वो फ़रीदा से कुछ ना कहे उस ने भी आप को जानबुझ के थोडा ही भड़काया होगा
8 years ago#20
थोड़ी देर इस तरह हम एक दूसरे से बात करते और अपने दिल का दर्द निकलते रहे तो फिर अबू ने कहा विकी बेटा तो जा अभी आराम कर देख ज़रा क्या हालत बन गई है तेरी चलो जाओ शाबाश
मैं और फरी जब अबू के रूम से निकले तो फरी ने धीमी आवाज़ मैं कहा भाई अब कुछ तो करना ही होगा वरना काम खराब हो जाएगा
मैने कहा क्या करना होगा तो फरी ने कहा थोड़ा सबर करो भाई बताउंगी
ज़रा मुझे सोच लेने दो तो उस के बाद फरी अपने रूम की तरफ चली गई और मैं अपने रूम की तरफ
बाकी का दिन ऐसे ही गुज़र गया और बस सिवाए फ़रीदा के जो मुझे या फरी को जब भी देखती बहुत गुस्से मैं घूरती और कोई खास बात नहीं हुयी
सब कुछ नॉर्मल हो गया तो रात अम्मी भी हुमारे पास ऊपर सोने नहीं आयी लेकिन फिर भी हमने कोई रिस्क नहीं लिया और सो गये
अगली सुबह जब सो के उठा तो देखा की फरी आज भी घर पे नहीं है और अम्मी घर पे ही हैं तो मैं समझ गया की फरी अबू के साथ खेतों मैं ही गई होगी जिस वजाह से अम्मी घर पे हैं
मैं उठा और नहाने चला गया जब नहा के बहार आया तो अम्मी खुद मेरा नाश्ता लायी मेरे रूम मैं ही
मैं नहा की सीधा अपने रूम मैं आ गया था तो अम्मी ने नाश्ता मेरे सामने रख़् दिया और खुद भी करीब ही बैठ गई तो मैं खामोशी से नाश्ता अपनी तरफ खिसका के खाने लगा
अम्मी ने मेरे बलों मैं अपनी उंगलियाँ घुमाते कहा कि ओं बेटा क्या अभी तक तो अपनी अम्मी के साथ नाराज़ है की बात भी नहीं कर रहा
मैने अम्मी की तरफ देखा और बोला ......
नहीं अम्मी ऐसी कोई बात नहीं अब जो होना था हो गया और अब तो बात भी ख़तम हो गई अब भला मैं आप से कयूं नाराज़ होने लगा भला
मेरी बात से अम्मी के फेस पे मुझे सकून की लहर दौड़ती हुयी महसूस हुयी और फिर जब मैने नाश्ता ख़तम किया तो अम्मी उठी और मेरे सर पे प्यार से किस कर के बर्तन उठा के निकल गई
अम्मी के जाने क बाद मैं थोड़ी देर लेटा रहा और फिर उठ के खेतों की तरफ चल दिया ये सोच कर के चलो अगर कोई मोका मिला तो बाजी की फुददी ही मार लूंगा
अबू काम से इधर उधर के साथ वालों खेतों पे भी चले जाया करते थे तो मोका बन सकता था
मैं जब खेतों मैं गया तो अबू उस वक़्त चारा काट रहे थे कयुँकि बाद मैं गर्मी ज़्यादा हो जाती तो चारा नहीं कटा जाता भेंसों के लिए और बाजी इधर उधर से कटा हुआ चारा एक जगह जमा कर रही थी और
खास बात जो मैने देखी वो ये थी फरी उस वक़्त बिना दुपते और बारीक कपड़ों मैं थी और कयुँकि हवा भी चल रही थी तो काम करने की वजाह से उसके कपड़े भी भीगे हुयी थे लेकिन वो बिना शरम किया काम मैं लगी थी
ये नज़ारा देख के मुझे पता नहीं कयूं ऐसा लगा की बाजी ये सब (यानी बिना दुपते और बारीक कपड़ों के साथ पसीने मैं भीगी अबू के इधर उधर झुक के चारा जमा करती ये सब वो जान बुझ के कर रही है)
मुझे आता हुआ अबू और बाजी दोनो ही देख चुके थे लेकिन बाजी ने अपने काम मैं बड़ी मस्ती से लगी होई थी और अबू भी चुप छाप चारा काट रहे थे जिसे बाजी जमा करती जा रही थी
मैं भी जा के करीब ही खेतों मैं निशानी के लिए पगडंडी पे जा के बैठ गया तो अबू ने कहा बेटा घर पे दिल नही लगा जो इतनी सवेरे ही यहाँ चले आए
बस अबू घर पे बौर हो रहा था तो सोचा की चलो खेतों से ही हो आता हूँ इस लिए आ गया
तो अबू ने भी चलो अच्छा किया बेटा ऐसा करो तुम चलो वहाँ रूम के पास दरखतों के नीचे बैठो यहाँ तो काफ़ी तेज़ धूप हो रही है गर्मी लगेगी हम भी बस अभी आ जाते हैं
मैं बिना कोई बात किए उठा और रूम के सामने ही जा के बैठ गया और बाजी और अबू को काम करता देखता रहा फिर अबू ने चारा काटना बंद किया और जमा किया हुआ चारा उठाने लगे जिस मैं बाजी भी
अबू की मदद कर रही थी जिस के लिए बाजी अबू के सामने पूरी तरह से झुक जाती
मुझे इतनी देर से इतना तो ठीक से पता नही चल रहा था की ये सब देख के अबू पे क्या बीत रही होगी या फिर अबू बाजी के सीने मैं तने मम्मो को देख भी रहे हैं या नहीं
थोड़ी देर के बाद अबू और बाजी चारा उठा के क रूम के पास लगी मशीन के पास आ गये और मशीन चला के चारा कटा और फिर बाजी रूम मैं चली गई और अबू साइड मैं लगे ट्यूब वेल को चलाने लगे
ट्यूब वेल के चलते ही अबू ने कहा आ जा बेटा नहा ले ठंडा पानी है मज़ा आ जाएगा
तो मैने अबू को मना कर दिया क मेरे पास कोई लूँगी नही है तो अबू जो की अब खुद भी लूँगी मैं ही आ चुके थे बोले यार कोई भी कपड़ा बाँध लो की तभी बाजी रूम से निकल आयी
वो अभी तक बिना दुपते के ही थी और बोली अबू बड़ी गर्मी लग रही है क्या मैं भी नहा लूँ
अबू ने बाजी की तरफ देखे बिना ही हाँ हाँ बेटी आ जा तू भी नहा ले बोल दिया तो
बाजी मुझे आँख का इशारा करते हुए अबू की तरफ चल दी नहाने के लिए और मैं बाजी को पूरा मोका देने क लिए रूम मैं जा घुसा जहाँ मैं एक कपड़ा ढूंड के लूँगी बंधी और रूम के दरवाजे के पास आ के बाहर झाँकने लगा
जहाँ बाजी अब पूरी तरह भीगी हुयी खड़ी थी अबू के साथ और मुझे ये देख के बड़ी हैरानी हुयी की बाजी यह सब काया कर रही हैं मेरी कीच समझ मै नहीं आ रहा था. पर मुझे बाजी पे भरोसा की वो जो भी करेंगी सोच समझ के ही.....
पर फरी बाजी की हिमत पे रश्क भी आया कि वो की बाजी के कपड़े भीगते ही उस का सारा बदन जैसे बिल्कुल नंगा नज़र आने लगा था और अब ज़रा ध्यान से देखा तो पता चला की बाजी ने ब्रा भी नहीं पहनी हुयी थी
और अबू की आँखें जो की बाजी की तरफ तो नहीं थी लेकिन वो छोड नज़रों से अपनी बड़ी बेटी की जवानी को ही निहारे जा रहे थे
ये सब देख के मैने सोचा की यार ज़रा बाजी को थोडा टाइम और मिलना चाहिए पता नहीं उनके दिमाग मै काया चाल रहा है और बहार नहीं निकला तो बाजी जो की एक बार फिर से पानी के नीचे सर दे के उठी तो अबू की तरफ देख के बोली क्या हुआ
अबू आप नहीं नहा रहे