8 years ago#11
तब मैंने नीताभाभी से बात करनी चाही। मुझे फोन पर उनसे इस बारे में बात करना सही नहीं लगा। अभी शाम के 6 ही बजे थे। मैं जानती थी कि भाभी इस वक्त अकेली होंगी। मैं उनके घर पहुंच गई। नीताभाभी अकेली थीं। उन्होंने मेरा अभिवादन किया और पुछा कि इस वक्त मैं वहाँ कैसे? मैंने कहा-भाभी आपके लिये खुशखबरी है। वो समझ तो गयी कि मैं सुधाकर के बारे मे कुछ बताना चाहती हूं। पर बोली - बताओ क्या है? मैंने कहा - भाभी मैने सुधाकर को कल दोपहर अपने घर बुलाया है और आप 2 - 2.30 बजे तक आ जाइएगा। मजे करेंगे। पर वो थोड़ी नर्वस सी हो गयी और बोली क्या तुमने उसे मेरे बारे में बता दिया। मैंने कहा - नहीं भाभी, मुझे उसको कुछ बताने का मौका ही नहीं मिला। आप आ जाइए फिर सोचेंगे कि क्या करना है। तो वो बोली - सारिका कुछ प्राब्लम तो नहीं होगी ना। और वो सुधाकर कुछ कहेगा तो नहीं। तब मैंने उन्हें आश्वस्त किया और कहा भाभी सुधाकर की चिंता मत किजिए। वो भले ही वो एक वॉचमैन हो पर समझदार और अच्छे वर्ताव वाला है और फिर आप जैसी माल देखकर वो तो फ्लेट हो जायेगा। भाभी हंस पडी और बोली कि सारिका तुम अब मुझे माल कह रही हो तो मैने कहा भाभी माल तो आप हैं ही और कल मेरे घर आइए आपको पता चल जाएगा। भाभी थोड़ा शर्माकर बोली ठीक है मैं भी देखती हूँ तुम्हें और तुम्हारे सुधाकर को। कुछ इस तरह की बातें करते करते मैने वहां से घर आने के पहले भाभी को बोला कि वो कल साडी पहन कर आये, क्योंकि मेरे हिसाब से साड़ी एक ऐसा परिधान है जिसका आप मर्दों को रिझाने में बहुत अच्छा इस्तेमाल कर सकतीं हैं।
दुसरे दिन सुबह जब मैं नीचे गयी तो सुधाकर वही वॉचमैन वाले टेबल पर बैठा था। मैने दूर से ही उसे स्माइल दी। उस समय बिल्डिंग में आने जाने वाले कुछ ज्यादा ही होते थे। उसने मुझे इशारे से बताया कि वो तीन बजे आयेगा। और जब उसने देखा कि वहाँ कोई नहीं है तो अपनी मुठ्ठी के बीच अंगुठा भींचकर मेरी तरफ चुदाई का इशारा किया और फिर से तीन बजे आने का इशारा किया। मैने गर्दन हिलाकर हां कहा और ऊपर चली आयी।
करीब 2.30 बजे नीताभाभी भी आ गई। उन्होंने एक लाल साडी पहन रखी थी जिसमें काले रंग की किनारी लगी हुई थी और साथ में काला लो कट ब्लाउज पहना था। वो सचमुच सुंदर लग रही थी। मैंने भाभी से कहा कि आप मैं जैसा कहूँ या करूँ उसमें मेरा साथ देते जाना। और मैने भाभी से उस समय क्या क्या बोलना है ये भी समझा दिया।
बराबर तीन बजे घंटी बजी और मैने दरवाजा खोलकर सुधाकर को अंदर आने को कहा। भाभी वहीं सोफे पर बैठी थी। सुधाकल ने जैसे ही उन्हें देखा तो मेरी ओर देखकर ऐसा मूंह बनाया कि इस सयय ये यहां क्या कल रही हैं। मैनेआंख के इशारे से उसे शांत रहने को कहा। और बोली आओ सुधाकर बैठो। और भाभी से बोली कि भाभी मुझे बाजार से कुछ सामान मंगाना था और सुधाकर उस तयफ जा रहा था तो मैंने इसे पैसे लेने बुलाया है। और सुधाकर से कहा कि तुम बैठो मै चाय लाती हूं। सुधाकर बोला ठीक है, शायद वो सोच रहा था कि चाय पीकर नीता भाभी चली जायेंगी। नीता भाभी जहां बैठी थी उसके सामने एक सिगल चेयर थी सुधाकर उस पर बैठ गया। मै चाय लेने किचन में गयी जो मैंने पहले से बना रखी थी। इस बीच मेरे कहे अनुसार नीता भाभी ने अपने बालों की क्लीप को ठीक करने के बहाने अपनी साडी का पल्लू थोडा सा सरका दिया। एक तरफ से उनका क्लीवेज और ब्लाउज मे उभरा बुब दिख रहा था। मै सुधाकर को चाय देकर नीता भाभी के पास आकर सोफे पर बैठ गयी। जब मैने नीता भाभी को चाय पीने को कहा तो वो बोली कि सारिका सिर्फ चाय पिलाओगी या कुछ खिलाओगी भी। मैने कहा क्या खाओगी भाभी तो वो बोली कुछ फ्रुट ही खिला दो। तो मैने कहा भाभी सोरी आज घर मे कोई फ्रूट नहीं है। और फिर सुधाकर के सामने देखते हुए बोली कि भाभी सुधाकर अपने गांव से केले लाया है आप चाहें तो वो आपको केला खिला सकता है और मैने सुधाकर को आंख मार दी। तब नीता भाभी बोली कि मुझे भी केला बहुत पसंद है और गांव का है तो जरूर खाऊंगी। सुधाकर हम दोनों को देख रहा था और कुछ समझने की कोशिश कर रहा था कि तभी मैने भाभी की साडी का पल्लू पूरा गिरा दिया और सुधाकर से बोली - सुधाकर क्या भाभी को अपना केला नहीं खिलाओगे? और थोडा सा एक तरफ हटते हुए उसे हमारे पास आने का इशारा किया। सुधाकर सब समझ चुका था। चाय का कप एक बाजु में रखकर वो उठा और आकर हम दोनों के बीच बैठ गया और बोला कि भाभी को ही क्यूँ आप दोनों को खिलाउंगा अपना केला। भाभी नजरे नीची करके बैठी थी। सुधाकर बोला कि भाभी केले के बदले आपको मुझे आम खिलाने पड़ेंगे। तो मैने ये कहते हुए कि लो पहले भाभी के आम को खाने के लिए तैयार करो उसका हाथ पकडकर भाभी के ब्लाउज पर रख दिया। सुथाकर के हाथ जैसे ही भाभी का बुब आया उसने उसे जोर से दबा दिया भाभी की आह निकल गयी। उनकी सांसे तेज चल रही थीं। सुधाकर ने उनकी ठोंडी पकडकर उनका चेहरा ऊपर किया और जैसे ही भाभी की नजरें ऊपर हुई सुधाकर ने अपने होंठ भाभी के होंठों पर रख दिये। उनके होंठो को चुमकर उसने एक एककर उनके माथे, गालों कान और नाक पर चुमते हुए फिर से उनके होंठों पर एक लंबा चुंबन दिया । भाभी भी उसका साथ देने लगी और फिर उनका ये चुंबन वाइल्ड होता गया। वो दोनों जोर जोर से एक दुसरे को चुमने लगे। उन दोनों के हाथ एक दूसरे के चेहरे और सिर को पकडे हुए थे। करीब 2 - 3 मिनट एक दुसरे को चुमने के बाद जब दोनों अलग हुए तो उन्हें मेरे वहां होने का एहसास हुआ भाभी की नजरें अब भी नीची थीं और सुधाकर ने मेरे सामने देखा तो मैने पूछा कैसी लगी हमारी भाभी? तो वो बोला एकदम मीठी और अपने होंठ पर जीभ फिराने लगा। मैने भाभी की ओर देखकर कहा - भाभी शर्माइए नहीं और खुलकर मजा लिजिए। और फिर मैने उठकर भाभी को सोफे से उठाया और उनको एक हल्का सा धक्का देकर सुधाकर की गोद में बिठा दिया।