मैंने भी अपनी मम्मी के साथ सेक्स किया है लेकिन मम्मी से मेरा मोटा लंड रोज़ रोज़ लेना बर्दाश्त नहीं होता है वो कहती है की अब तुम सिर्फ अपनी पत्नी को चोदो मैं क्या करूँ पत्नी के साथ केक्स कर के मुझे उतना आनंद नहीं मिलता जितना मम्मी के मोटे मोटे मुम्मे दबा दबा कर चूत मरना और गांड मार कर मित्लता है है ... मम्मी कहती है की मोहेल्ले की किसी और लड़की के साथ चुदाई कर लो ... मैं काया करू मुझे प्लीज सलाह दो ....
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गतांक आगे ……………….
अगले दिन मुझे पता नंही कितनी देर तक मैं सोता रहा। सुबह मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे लंड से खेल रहा है और मेरा लंड मस्त खडा था। कोई बडे प्यार से अपने मुलायम हाथो से मेरे लंड को पुचकार रहा था और कभी चूम लेता। मेरे लंड के खडे होने से मेरी आँखे खुल गयी। मैंने देखा मैं बिस्तर पर चित लेटा हुया था और रीमा मेरी टाँगो के बीच घुटनो के बल बैठी थी और मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर प्यार से चूम और सहला रही थी। रीमा की भारी चूचीयाँ उसके बदन से नीचे लटक रही थी जैसे पेड पर से फल लटकते हैं। दिन काफी निकल आया था शायद दोपहर हो चली थी। रीमा ने मेरे शरीर मे हरकत देखी तो अपनी आँखे मेरी आँखो मे डाल कर बोली उठ गया बेटा। तू सो रहा था तो मैंने सोचा चल थोडी देर तेरे लंड से खेल लिया जाये। नंगा लंड बडा ही प्यारा लग रहा था। कह करे रीमा ने लंड के सुपाडे को चूम लिया। देख मैंने कैसे इसको प्यार करके खडा कर दिया।
रीमा ने मेरा लंड के सुपाडे को मुँह मे लेकर चाटने लगी। अपनी जीभ मेरे सुपाडे पर फिरा रही थी। मैं काफी देर तक सोया था इस लिये रीमा के लंड चुसना मुझे बडा अच्छा लग रहा था। और रीमा लंड भी बहुत अच्छा चूसती थी। अभी सिर्फ अपने हाथ से खेल और चूम कर ही उसने मेरा लंड इतना खडा कर दिया था। इसतरह से उठना मुझे बहुत अच्छा लगा। रीमा मेरे लंड को चूसने के साथ साथ मेरी बाल्स के साथ भी खेल रही थी। मेरी बाल्स को अपनी मुलायम उंगलियो मे पकड कर होले से सहला रही थी। उसका प्यार भरा स्पर्श पाकर मेर लंड मचल रहा था। रीमा की चूचीयाँ मेरे जाँघो से टकराती और उसकी कडी घुडियाँ जब मेरी जाँघो को छूती को एक मस्ती के लहर मेरे शरीर मे दौड जाती। रीमा अभी तक सिर्फ मेरे लंड के सुपाडे पर ही अपनी जीभ चला रही थी। और अपनी जीभ के नोक से उसको छेड रही थी। बिच मे कभी उसको चूस भी लेती। मेरी नींद अब पूरी तरह से खुलने लगी थी। ये मस्ती भरा नजारा देख कर कब तक सोता।
माँ तुम बहुत अच्छा लंड चुसती हो क्या अच्छा तरीका है नींद से जगाने का। तुम्हारे लंड को चूसते ही मेरी नींद खुल गयी। तेरा ये मुसल भी तो अच्छा है कल तूने मेरी इतनी सेवा की तो मुझे भी तो तेरा ख्याल रखना है। कह कर रीमा ने आधा लंड अपने मुँह मे घुसेड लिया और चूसने लगी। अब वह जोर जोर से चूस रही थी। मेरा लंड एकदम टनटना गया था। रीमा जोर जोर से मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर बाहर कर के चूसने लगी। धीरे धीरे वो ज्यादा से ज्यादा लंड अपने मुँह मे लेती जा रही थी। अब मैंने भी अपने चूतड हिलाने शुरु कर दिये थे और जोर से रीमा का मुँह चोदना चाहाता था। रीमा ने अपने हाथ मेरी जाँघो पर फेरे और जोर जोर से अपनी जीभ मेरे लंड पर चलाने लगी। मैंने भी अपने चूतड हिलाने शुरु कर दिये। मेरा लंड रीमा के मुँह के अंदर बाहर होने लगा। और रीमा के मुँह की नमी और गर्मी पा कर एक दम तन गया।
रीमा समझ गयी मेरा लंड अब मस्त खडा हो गया है और मेरी नींद भी खुल गयी है। उसने एक आखरी बार मेरा लंड जोर से चूस कर लंड को मुँह मे से निकाल दिया। ये क्या किया माँ मुझे बहुत मजा आ रहा था। थोडी देर और चूसती तो मैं झड जाता। तो मेरी मर्जी तू मेरा गुलाम है की नंही जो मेरा मन करेगा वही करूगीं बोल कि कल ऐसे ही मुझे खुश करने के लिये कह दिया था। हाँ माँ मैं आपका गुलाम हूँ ठीक अगर आपका मन यही है तो मुझे कोई ऐतराज नंही है। ठीक है तेरा ये टनटनाया हुआ लंड देख कर मुझे बडा अच्छा लगता है। रीमा ने प्यार से मेरे लंड को सहालाते हुये कहा। चल अब तुने मेरा गुलाम बनने का फैसला कर लिया है तो तुझे मेरे साथ दिल्ली चलना पडेगा और अपनी नौकरी छोडनी पडेगी। और दिल्ली मे मैं तुझको जिंदगी भर अपना पालतू कुत्ता बना कर रखूंगी बोल कर पायेगा मेरे लिये ये। रीमा ने ये बात एक दम से कही जब मेरा लंड पूरा खडा था। ये फैसला लेना थोडा मुशकिल था
मन तो मेरा भी नंही कर रहा था पर क्या करूं अरे तुम दोनो को चुम्बन लेते देख कर तो मेरी हालत भी खराब है देखो कैसे मेरी चूत गीली हो चुकी है लगता है आज तो ये सोफा मेरे रस से भर जायेगा रीमा ने मचलते हुये कहा। चिंता मत करो माँ अगर ये सोफ आपके रस से गीला हो जायेगा तो इस सोफे को चूस कर मैं इसमे से सारा रस पी जाऊंगा। चलो तुम दोनो अपना खेल जारी रखो मैं भी तुम दोनो का मिलन देखने के लिये बेताब हूँ। और तू जल्दी अपना मिलना खत्म करेगी तभी तो तुम दोनो के साथ मजा ले संकूगी चलो अपना खेल जारी रखो। मन तो मेरा बहुत था फिर से रजनी के रसीले होंठो को मुँह मे भर कर चूसू पर मैंने अपने आप को रोक लिया अब मैं रजनी को नंगा करना चाहाता था इसलिये मैं अपने हाथ रजनी की कमीज पर ले गया जिसमे से उसकी भारी मोटी चूचीयाँ झाँक रही थी और मुझसे विनती कर रही थी कपडो के कैद से आजाद करने के लिये। मैंने रजनी के चूचीयो पर हाथ फेरना शुरु कर दिया उसकी मोटी चूचीयो का ज्याजा लेने के बाद मैंने रजनी के कमीज के बटन खोलने शुरु कर दिये दो और बटन खुलने से रजनी के कमीज खुल गयी और उसकी सफेद रंग की ब्रा बिल्कुल साफ नजर आने लगी।
सफेद रंग की ब्रा मे रजनी की काली मोटी चूचीया कैद थी और बहुत ही कातिल सा कट बना रही थी। काला रंग और उस पर सफेद ब्रा बडा ही कातिल संगम था। ब्रा पेडड उन्डरवायर ब्रा थी जिससे उसकी चूचीयाँ और भी उभर कर उपर आ गयी थी और भी मोटी लग रही थी। ब्रा ३/४ कप वाली ब्रा थी। वैसे भी वह ब्रा रजनी की मोटी चूचीयो के लिये बहुत छोटी थी उस पर ३/४ कप होने की वजह से आधी से ज्यादा चूचीयाँ रजनी की ब्रा के बाहर थी। अधखुली कमीज के अंदर ब्रा में कैद चूचीयो का नजारा देख कर मेरा मन मचल उठा था वैसे भी रजनी ने अपने हाथो से मेरे लंड की मुठ मार कर मेरी हालत खराब कर रखी थी। फिर मैंने रजनी की चूची के नंगी भाग को अपने हाथ से छुया और अपनी उंगलियाँ उस पर फिराने लगा। मेरे उंगलियाँ फिराने से रजनी के बदन मे एक सिरहन दौड गयी और बोली ओह्ह क्या कर रहा है बेटा माँसी की चूचीयो को छू कर देख रहा है। हाँ माँसी देख रहा हू की कैसी चूचीयाँ है मुलायम की कडी। अरी मेरे प्यारे बेटे मैं कोई जवान तो हूँ नंही की एक दम कडी होंगी मेरी उम्र के साथ थोडी ढीली हो गयी है पर तेरे जैसे जवान मर्दो के वीर्य की मालिश करती हूँ न इसलिये एक दम ढीली नंही पडी है अभी। लेकिन थोडी ढीली तो पड ही गयी है और मुझे तेरी माँ जैसे रोज रोज लोटे भर वीर्य तो मिलता नंही है चूचीयो के मालिश के लिये नंही तो और भी कडी होती।
अरे माँसी मैं तो बस पूछ रहा था मैं तो बस बडी चूचीयो के दिवाना हूँ वह कडी हो या ढीली इससे मुझे कोई भी फर्क नंही पडता और तुम्हारी बहुत मोटी है और तुम माँ से भी मोटी औरत हो तो मुझे तुम क्यों पंसद नंही आओगी। ओह मेरे लाल तू कितना प्यारा है दीदी बडी बांते बनाता है तेरा ये लाडला किसी भी औरत को अपने प्यार के जाल मे फंसा लेगा हाँ री वह तो मैं जानती ही हूँ वैसे भी इसके जैसे लडको को ये कला तो आती ही है। मैंने थोडी देर रजनी की चूचीयो कर अपनी उंग्लीयाँ और चलायी रजनी धीरे धीरे गर्म होने लगी थी। बडा ही जादू है रे तेरी उंगलियो मे सिर्फ स्पर्श से ही इतनी आग लगा रहा है मेरे बदन मैं तो चूची मर्दन करेगा तो क्या होगा मेरा। माँसी तुम तो बस मजा लो तुम बहुत ही मस्त मोटा माल हो जरा मुझे तुम्हारे इस बदन से प्यार से मिल तो लेने दो। ठीक है कर ले अपने मन की रिश्ता हि ऐसा है तेरा मेरा। मना भी नंही कर सकती तुझको अपनी चूचीयाँ छूने से। रजनी की चूचीयो पर थोडी देर उंगलीयाँ फिराने के बाद मैंने रजनी की कमीज का आखरी बटन भी खोल दिया। ऐसा करने से उसकी ब्रा मैं कैद चूचीयाँ बिल्कुल मेरे सामने आ गयी। सफेद ब्रा मे काली चूचीयाँ बहुत ही गजब ढा रही थी। मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे दो सफेद प्लेट मे दो बडे बडे रसीले तरबूज रखे हों।
और उन दो तरबूजो के बीच सफेद मोतियो के वह माला इस र्दश्य को और भी लुभावना बना रही थी। मैंने रजनी को थोडी देर ऐसे ही निहारा और फिर रजनी की आँखो मे आँखे डाल कर बोला माँसी उठी अब मैं तुम्हारा ये कमीज उतार देता हूँ यह मेरे काम मे बहुत रुकावट डालेगी नंही तो। मैंने कब मना किया उतारने से कह कर रजनी खडी हो गयी और मैंने रजनी की कमीज उतार दी कमीज उतारने पर मुझे रजनी की काँख के बालो के दर्शन हुये। रजनी के काँख के बहुत घने काले बाल थे पर वह थोडे छोटे छोटे काटे हुये थे श्याद क्योकी वह होटल मे काम करती थी और हर कोई काँख के बाल पंसद न करता हो। कमीज उतार कर मैंने दूसरे सोफे पर फेंक दी। रजनी अभी भी मेरे सामने खडी थी खडे होने के वजह से उसकी तंग स्कर्ट थोडी नीचे खिसक गयी थी पर उसकी काली जाँघे अभी भी नंगी थी। मैंने रजनी की चूचीयो पर हाथ रख कर उसे प्यार से सहलाने लगा। रजनी चुप चाप खडी सब कुछ देख रही थी। अब मेरे लिये बर्दाश्त करना बिल्कुल मुश्किल था अब मुझे रजनी की नंगी चूचीयाँ देखनी थी। रजनी की ब्रा का हुक आगे की तरफ था।
मैंने अपने हाथ रजनी की ब्रा के हुक पर रखे और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया रजनी की नजरे मेरे पर ही जमी हुयी थी। ब्रा का हुक खुलते ही ब्रा के दोनो कप जोर से खुल कर रजनी के बगल मे चले गये और रजनी के दोनो तरबूज एक दम मेरे सामने आ गये। उसकी मोटी चूचीयाँ देख कर मेरे तो तन बदन सिहर उठा और मेरी आँखे चूचीयो पर ही जम गयी। रजनी की काली चूचीयाँ थोडी से लटकी हुयी थी। उसके घुडियाँ तन कर खडे हुये थे और काफी बडे थे श्याद १ या १ १/२ इंच होंगे और घुडियो के चारो और घेरा एक दम काला सा था और करीब ४ इंच की चौडायी मे था। ब्रा खुलने से जो चूचीयाँ अभी तक एक दूसरे से चिपकी हुयी थी अजाद होकर अलग हो गयी जैसे किसी कैद मे हो और मैंने उनको उस कैद से आजाद कर दिया हो। मैंने थोडी देर रजनी की चूचीयो को निहारा और फिर अपने हाथ रजनी की चूचीयो के नीचे रख कर उनके भार को अपने हथेली मे ले लिया। रजने की एक एक चूची डेढ दो किलो से कम नंही थी। मस्त चूचीयाँ है तुम्हारी माँसी मुझ बहुत ही पंसद आयी। इनसे खेलने मे बहुत मजा आयेगा। तो खेल न मैंने कब मना किया है खेलूंगा माँसी पर जरा आप के इस अर्धनग्न जिस्म को तो निहार लूँ।
फिर मैंने रजनी की ब्रा को पकड कर उसके बदन से निकाल कर फेंक दिया अब रजनी का उपरी भाग पूरा नंगा था। मैंन रजनी को निहारने लगा रजनी की बाँहे मोटी थी और मेरा मन उन मोटी बाँहो मे समाने का कर रहा था उसकी लटकी हुयी चूचीयाँ मुझे बुला रही थी उसकी घुंडियाँ मेरे होंठो का प्यार पना चाहाती थी। और उसका निकला हुया पेट जिसकी वजह से उसकी नाभी और भी गहरी लग रही थी। उसके इस कातिल बदन मे डूब जाने को जी चाहाता था। रजनी ने अपने हाथो मे अपनी चूचीयाँ उठायी और बोली ले बेटा मैं अपने चूचीयाँ तुझे परोस कर दे रही हूँ आजा भोग ले इनको। मैने पास जाकर रजनी की चूचीयो को चूमना शुरु कर दिया। अपने हाथ रजनी के कूल्हो पर रखे और रजनी की चूचीयो के चूमने लगा फिर मैंने रजनी की एक घुंडी को मुँह मे भरकर चूसना शुरु कर दिया मेरे ऐसा करते ही रजनी मचल उठी ओह मेरे लाल बहुत ही अच्छा चूसते हो तुम तो मेरे पूरे बदन मे करंट दौड गया। थोडी देर एक घुंडी चूस कर मैंने दूसरी घुंडी चूसनी शुरु कर दी। ऐसा करते हुये मैं अपने हाथ फिसला कर रजनी के स्कर्ट में कैद चूतडो पर ले गया। और उसके चूतड पर हाथ फेरने लगा।
जब मैंने रजनी की चूचीयाँ चूसते हुये रजनी के चूतड पर हाथ फेरना शुरु किया तो मुझे ऐसा महसूस हुया की रजनी ने पेंटी पहनी ही नंही है पर जब मैं उसके कुल्हो से खेल रहा था तब मुझे पेंटी का अहसास हुया था इसका मतलब या तो रजनी की कच्छी उसकी गाँड की दरार मे घुस गयी थी या उसके कोई ऐसी पेंटी पहनी थी जो उसके विशालकाय चूतड को छुपा नंही पा रही थी। पर इसका पता हो उसकी स्कर्ट उतार कर ही चल सकता था। मैंने रजनी की घुंडियो को बदल बदल कर चूसना जारी रखा साथ ही उसके चूतड भी दबा रहा था। रजनी ने एक हाथ से मेरे बालो को सहलाना शुरु कर दिया था वह इस तरह अपना प्यार जता रही थी की मैं कितनी अच्छी चूची चूस रहा हूँ और उसको चूची चूसवाने में कितना मजा आ रहा था। उसकी आँखे मस्ती में बिल्कुल बंद थी और उसके मुँह से मस्ती मे करहाने की आवाजे निकल रही थी। ओह दिपक बेटा बहुत अच्छे से खेल रहे हो मेरे बदन से खेलो बेटा और खेलो भोगो मेरे बदन को तेरे लिये ही आज मेरा ये नंगा बदन कर ले मेरे प्यारे अपने मन कि इच्छा पूरी अपनी माँसी के साथ। हाँ बेटा तेरी माँसी को मैंने इसलिये बुलाया है कि तूने कितनी बार मुझसे कहा था कि तुझे मोटी काली औरते पंसद है और जो मजा तूने मुझे कल दिया तो तेरी ये मौसी तेरा ईनाम है रीमा ने कहा। मैं उनकी बांते सुन रहा था पर मैं पूरी तरह से रजनी के बदन से खेलने मे मश्गूल था और उसकी चूतड जोर से मसलते हुये उसकी चूची चूसने का मजा ले रहा था। और रजनी भी मेरे साथ पूरा आंनद उठा रही थी।
मैंने रजनी की घुंडी चूस चूस कर मस्ती मे और एक सेंटीमीटर लम्बी कर दी। फिर मैंने कहा माँसी अब मुझसे नंही रहा जा रहा मेरे लंड को अपाके ये मस्ताने चूतड देखने है अब मुझे अपनी स्कर्ट उतारने दो ना मैंने कब मना किया है रे मैं तो आयी हूँ यंहा नंगी होकर चुदने उतार दे और कर दे अपनी इस निर्लज माँसी को नंगी। मैं जल्दी से रजनी के सकर्ट पर हाथ ले गया जिससे उसकी सकर्ट खोल कर उसे नंगा करके उसकी चूत और चूतड के प्रथम दर्शन कर संकू पर जैसे ही मैंने स्कर्ट को छुया रजनी बोली चल ऐसा कर तू सोफे पर बैठ जा और मैं तेरे सामने खडी होती हूँ फिर तू मेरी स्कर्ट उतारना। मैं जल्दी से सोफे पर बैठ गया। रजनी भी पलट कर मेरे सामने खडी हो गयी उसने फिर से अपनी चूचीयो के नीचे हाथ रख कर अपनी चूचीयो को उपर उठा लिया और बोली ले बेटा अपनी माँसी की इन चूचीयो के निहारते हुये खोल दे मेरे मजे का द्वार और कर ले दर्शन मेरी चूत के। मैंने अपनी नजरे रीमा की चूचीयो पर गडायी और रजनी के स्कर्ट का हुक खोल दिया। स्कर्ट ने रजनी के पेट को कुछ ज्यादा दबा कर रखा था हुक खुलते ही उसके पेट को जैसे साँस आ गयी और वह फूल कर थोडा और बाहर निकल आया। स्कर्ट खुल तो गयी पर रजनी इतनी मोटी थी और रजनी की स्कर्ट भी काफी तंग थी जिससे वह वंही उसके कूल्हे पर ही अटक गयी। स्कर्ट को अटकी देख कर रीमा ने कहा अरे कितनी देर लगायेगा इसको नंगा करने में खीच कर निकाल न इसकी स्कर्ट साली के साथ खेल कर रहा है गाँडू जैसे मेरे साथ किया था कल और मत तडपा मुझे दिखा इस रंडी की गाँड मुझे साले।
रीमा के बातो मे उसकी अधीरता झलक रही थी। मैंने रजनी के कुल्हे पर हाथ रखा और रजनी की चूची देखते हुये उसकी स्कर्ट मे अपनी उंगलियाँ फंसा दी और उसकी स्कर्ट को नीचे खीचने लगा। रजनी की स्कर्ट बहुत ही टाईट थी श्याद बहुत मुश्किल से चढायी होगी उसने क्योकी जब मैंने खीचने की कोशिश को तो स्कर्ट नीचे आने का नाम ही नंही ले रही थी और रजनी के चूतड मे अटक रही थी। रजनी अभी भी अपनी चूचीयाँ हाथ मे लिये ऐसे ही खडी थी। मैंने फिर अपनी उंगलिया उसके स्कर्ट के पीछे घुसा दी जिससे मेरी उंगलियाँ रजनी के गुदाज चूतड मे धंस गयी। फिर मैंने पूरा जोर लगा कर स्कर्ट खीची और अबकी बार जोर लगना थोडा सर्थक हुया। और रजनी स्कर्ट खिसक कर थोडी नीचे आ गयी करीब रजनी के आधे चूतड। स्कर्ट आगे से भी नीचे हो गयी थी जिससे मुझे रजनी की पेंटी और गार्टर बेल्ट के दर्शन हुये। रजनी ने जो पेटी पहनी थी उसका कमर कर सट्रेप करीब १/२ इंच का था और उसका रंगा भी ब्रा की तरह सफेद था। उसने श्याद जी स्ट्रिग पेंटी पहन रखी थी। उसकी पेंटी के आगे का भाग एक तिकोने के आकार का था जो श्याद सिर्फ उसकी चूत को छिपा रहा था। मैं पूरा नंही देख पा रहा था क्योकी अभी भी थोडा सा हिस्सा स्कर्ट के अंदर ही था। बेटा अब खीच भी ना नंगी स्कर्ट उतार कर देख लेना मेरी पेंटी और मत तडपा अपनी रजनी माँसी को।
मुझे भी रजनी की बात सही लगी मैंने। उसकी स्कर्ट पकड कर पूरा जोर लगा कर खीची और अबकी बार मुझे निराश नंही होना पडा। रजनी की स्कर्ट उतर कर रजनी की टाँगो मे जाकर पडी। और रजनी का आखरी सहारा जिसने उसकी पेंटी मे छुपी चूत को छुपा रखा था वह भी हट गया। स्कर्ट हटते ही सबसे पहले दर्शन मुझे रजनी की कच्छी के हुये। मेरा अंदाजा सही था रजनी कि सफेद पेंटी ने सिर्फ रजनी की चूत छुपा रखी थी। और उसकी पेंटी से उसकी झाँटो के बाल बाहर निकल रहे थे। उसके झाँड पर श्याद बहुत सारे बाल थे और उसने कभी काटे भी नंही थे क्योकी बाल काफी बडे थी और काफी पेंटी से बाहर निकल कर झाँक रहे थे। रजनी की मोटी जाँघे बिल्कुल नंगी थी। क्योकी रजनी की कमर और कुल्हो पर काफी माँस था इसलिये रजनी की पेटी के सट्रेप रजनी के कमर मे धंस गया था। और ज्यादा माँस की वजह से उसकी कमर पर टॉयर जैसा बन गया था। जिसे देख कर मुझे बहुत खुशी हुयी और मैंने सोचा रजनी के टॉयर मसलने मे बहुत मजा आयेगा। वैसे तो रजनी मोटी थी पर इस तरह से कि उसकी कमर का कट अभी भी बरकरार था इसका कारण श्याद यह था की रजनी के शरीर के हर एक हिस्से मे माँस बराबर बढा था । उसकी कमर के नीचे का बदन एक दम से फूल कर चौडा हो गया था। उसके काले रंग पर उसकी छोटी सी सफेद चढ्ढी बहुत ही भा रही थी। ओह रजनी तुम बहुत ही खूबसूरत हो क्या मस्त बदन है तुम्हारा मैं तो देखते ही तुम पर फिदा हो गया।
जैसा कि मैंने बताया उसकी पेंटी सिर्फ उसकी चूत छुपा रही थी जिसके वजह से उस्की चूतट के बगल के फूले हुये हिस्से बिल्कुल नंगे थे और काले और सफेद रंगे के संगम के कारण बहुत ही लुभावना द्र्श्य बना रहे थे। तुम्हरी झाँटे बहुत ही सुंदर है माँसी बहुत ही बडी और काली घनी झाँट है तुम्हारी। हाँ बेटा तेरी मासी ने कभी भी अपनी झाँटे काटी नंही तभी इतना घना जंगल है मेरी चूत पर तुझे पंसद आया ना। हाँ मेरी प्यारी माँसी बहुत पंसद आया मैं तो बडी झाँटो के जंगल का पुजारी हूँ। फिर रजनी अपने पैर हटाये और अपनी स्कर्ट को अपने पैरो से अलग कर दिया। रजनी ने पेंटी के साथ साथ गार्टर बेल्ट और स्टाकिंग भी पहन रखी थी। उसने पेंटी अपनी गार्टर बेल्ट के उपर ही पहनी थी जिससे बिना कुछ खोले उसकी पेंटी उतर सके यही तो एक छिनाल रंडी औरत की निशानी थी। मैंने आगे बढ कर रजनी की पेंटा पर अपने हाथ रख दिये जंहाँ पर उसकी चूत थी। उसकी चूत गीली हो चुकी थी और जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा रजनी की पेंटी रजनी की चूत मैं घुस गयी और उसके ही चूत रस से गीली हो गयी। हाय रे क्या कर रहे हो बेटा अब पेटी को क्यो मेरे शरीर पर रखा है इसे भी उतार दो न अब मुझसे ये निगौडी पेंटी अपने बदन पर नंही चाहिये अब तू कर भी दे अपनी माँसी को नंगी और देख उसका नंगा बदन। रीमा ने मुझे सुबह से ही गर्म कर रखा था और मेरा लंड मस्ती में तडप रहा था। मुझे पता नंही और कितनी देर तडपना था पर मैंने सोचा जितनी जल्दी रीमा और रजनी को मजा दूंगा श्याद वह मुझे झडा दें।
यही सोच कर मैंने अपनी उंगली जो की रजनी की पेंटी के सहारे उसकी चूत में घुस गयी थी निकाली और अपनी नाक पर लगा कर पहले उसको सूंघा और फिर अपने हाथ उसकी पेंटी पर ले जाकर उसकी पेंटी उतारने लगा। पर लगता था रीमा को मेरी बात समझ गयी वैसे तो वह तडप रही थी क्योकी उसकी बदन की आग उसे खुद ही बुझानी पड रही थी पर मुझे तडपते देखने मैं तो उसे बहुत सकून मिलता था वह तो कल मुझे पता चल ही गया था। अबे साले गाँडू बडी जल्दी पडी है तेरे को लगता है सोच रहा है कि रजनी और मुझे जल्दी मजा देगा तो हम दोनो तेरे को मजा देंगे भूल जा। पहले तुझे हम दोनो के एक दम तृप्त करना पडेगा तब कही जाकर मैं तुझे झडने दूंगी। चल गाँडू पेंटी उतारने से पहले रजनी की मोटी गाँड के दर्शन तो कर फिर उतारना। चल रजनी तू पलट जा दिखा अपनी मोटी गाँड साले हो पहले।
मैं समझ गया आज मेरी खैर नंही आज तो मेरे लंड को बहुत तडपना पडेगा तभी जाकर मुझे कुछ राहत मिलेगी क्योकी रीमा इतनी आसानी से तो तृप्त होती नंही और अगर रजनी भी वैसी हुयी तो मेरा क्या होगा। मैं यही सोच रहा था कि इतनी देर में रजनी पलट कर खडी हो गयी और रजनी की गाँड मेरे सामने आ गयी। क्या गाँड थी रजनी की मैं तो बस बयान ही नंही कर सकता था इस बार में।
रजनी रीमा से मोटी थी और रजनी की गाँड भी रीमा से बडी और मोटी थी। ४४ के साईज की उसकी गाँड देख कर मेरे लंड तो मेरे शरीर का साथ छोड कर रजनी की गाँड में घुसने को तैयार था। और रजनी काली थी ये तो मेरे लिये सोने पर सुहागा वाली बात थी क्योकी मुझे काली औरते बहुत पंसद थी। जैसे अंग्रेजी मे कहते है बबल बट रजनी के चूतड बिल्कुल वैसे ही थे। उसके बदन से बाहर निकले हुये दो विशालकाय ग्लोब। दो बहुत ही बडी फुटबॉल जिनको एक साथ चिपका कर रजनी के चूतडो के जगह रख दिया हो। और रजनी के चूतडो के गोलाई भी बरकरार थी। कुछ औरतो के चूतड मोटे होते है पर सपाट से हो जाते है पर रजनी के चूतड तो एक दम गोल मटोल थे। और रजनी के गोल मटोल चूतडो के बीच के वह दरार वह क्या कहने उस चूतड की दरार ने तो रजने के चूतड की सुंदरता और भी बढा दी थी। उसकी चूतड की दरार बहुत ही गहरी थी जैसे तो पहाडियो के बीच की खायी होती है बिल्कुल वैसे ही। कोई भी मर्द उन चूतडो के बीच अपना मुँह घुसाये तो उसका चेहरा उन चूतडो के गहरायी मे खो जायेगा। उन चूतडो को देख कर ही कोई भी अंदाजा लगा सकता था कि कितने मुलायम और गद्देदार थे। कोई भी उसके चूतड को तकिये के रूप मे इसतेमाल कर सकता था। उसके चूतड प्राकृतिक सुंदरता का नमूना था। जैसे उसे बहुत ही समय लेकर प्यार से तराशा गया हो। रजनी ने वैसे भी जी स्ट्रिग पेंटी पहन रखी थी उसकी पेंटी के पीछवाडे मे बस एक स्ट्रिग थी जो रजनी की खायी जैसी गाँड की दरार मे समा गयी थी। जिसकी वजह से रजनी की काले मनमोहक चूतड एक दम नंगे थी।
वैसे तो रजनी की चूतड बहुत ही उभार दार थे पर रजनी ने हॉय हील के सैंडल पहनी थी और वह तन कर अपने चूतड थोडे से पीछे को बाहर निकाल कर खडी थी जिसकी वजह से उसके चूतड और भी उभर कर निकल आये थे। उसकी उभारदार गोल चूतडो के नीचे रजनी मोटी माँसल चौडी जाँघे उसके पीछवाडे की सुंदरता को और भी बढा रहे थे। जैसे सडक पर कोई उंचा सा गति रोधक होता है जो सडक से उठ कर अलग ही दिखता है उसके चूतड बिल्कुल वैसा ही नजारा रजनी के पीछवाडे का बना रहे थे। रजनी अपनी टाँगे थोडा सा खोल कर खडी थी जिसकी वह से नीचे से झाँकती हुये उसकी चूत के कुछ भाग के दर्शन भी मुझे हुये। चूत का कुछ हिस्सा तो रजनी की पेंटी के कपडे ढका हुया था पर पीछे का कुछ हिस्सा पेंटी का कपडा छोटा होने की वजह से नंगा हो गया था रजनी झाँट बहुत ही बडी थी इसलिये उसकी नंगी चूत का हिस्सा थोडा ही दिख रहा था. उसकी चूत की दो फूली हुयी पुत्तीयो के बीच चूत का खुला भाग थोडा नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे चूत नीचे से झाँक कर देख रही हो की कौन आज उसके अंदर कौन सा लंड घुसेगा और उसकी गर्मी को शांत करेगा। उसके चूतड उसकी जाँघ जंहा पर मिलती है वंहा पर गोल कट बना रहे थे जिससे उसके मोटे और बडे चूतड की सुंदरता और भी बढ गयी थी। रजनी की मोटी जाँघो के मोटाई रजनी के घुटनो तक करीब करीब एक जैसी थी जो मुझे बहुत पंसद आयी क्योकी मुझे मोटी जाँघे मसलने का सुख मिलने वाला था। रजनी ने गार्टर बेल्ट पहनी थी जो उसकी कमर पर बंधी थी और उसके सट्रेप उसके चूतड के उपर से जा रहे थे जिससे उसके चूतड की सुंदरता और भी बढ गयी थी।
मेरी ये कहनी कालप्निक है। इसका काहानी का आधार एक औरत पर है जिससे मैंने एक चाट वेब पेज पर कयी बार बात की। उसके साथ कयी बार चाट रुम मै चुदायी भी कि । मैं उसको माँ बुलाता हुँ और वह मुझको बेटा । हम दोनो अलग अलग शहर मै रहते है और कभी भी मिले नही है । मेरा नाम दीपक है और मैं २६ साल का हुँ । मेरे लन्ड का साईज ८ इंच है ।
उसका नाम रीमा है। उसने जो मुझको बताया उसके आनुसार वह एक तालाक शुदा औरत है । उसकी उमर कोई ४८ साल की है और उसकी फ़िगर ३८ डी ३० ४२ कि है और वह दिल्ली मै रहती है। वह जिस औफ़ीस मै काम करती है उस के बॉस के साथ उसके संबन्ध है । उसका बॉस शादी शुदा है और कोइ २६ साल कि उमर का है । उसको कम उमर के लडको से चुदाने मे बडा मजा आता है । उसकी एक नौकरानी भी है जो कोई २० साल की है वह सेक्स मै उसका साथ देती है । उसको जवान लौन्डौ की कोई कमी नही है । वह अपने बॉस के साथ बहुत टूर पर जाती रहती और टूर पर वह अपने बॉस और कलाईन्ट के साथ चुदायी के मजे लेती है ।
हम लोगो एक चाट साईट पर मिले और हम लोगो मे चुदायी कि बातें होने लगी । मैंने उसको बतया कि मुझे बडी उमर की औरतें बहुत पसन्द है । उसने मेरे से पूछा कि किस बडी उमर कि औरत के बारे मे सोच कर मैं हस्थ मैथुन करता हुँ । मैने कहा अपनी माँ के बारे मे । उसने पुछा की मेरी माँ का नाम क्या है और वह कैसी दिखती है । मैं बोला कि मेरी माँ का नाम निर्मला है और उसका रंग गोरा है । उसके नयन और नक्श बहुत ही तीखें हैं । उसकी फिगर ३६ सी ३० और ४० है।
फिर हमने इस बारे मे बहुत सारी बातें कि जो आप लोगो को आगे पता चलेगी। वोह मुझ से चाट कर के बहुत मजा लेती थी। मुझे भी उसके साथ बडा मजा आता था। एक दिन उसने मुझ से कहा कि वह रियेल्टी मे मुझ से चुदाना चाहती है पर मैं बोम्बे मै रहता हुँ और उसका बॉस का बोम्बे मै कोई टूर नही होता । जिसकी वजह से हम लोग कभी भी मिल नही पाये थे। पर हम दोनो ने अपने फोन नम्बर और घर का पता एक दूसरे को बता दिया था। और एक दूसरे को कार्ड भी भेजते थे। और हम चाट रुम मे ही चुदायी का मजा लेते थे ।
फिर एक दिन जब हम चाट कर रहे थे तो वह बोली उसका बॉस बोम्बे मै एक नयी ब्रान्च खोलने कि सोच रहा है और इसके लिये वह लोग टूर पर बोम्बे आ रहे है । और उसने अपने बॉस से बात कि वह टूर समाप्त होने के बात चार दिन के लिये बोम्बे मे अकेले रुकना चाहती है होटल मे कम्पनी के खर्चे पर । और उसका बॉस इस बात के लिये राजी हो गया है ।
मैं तो यह खबर सुन कर बहुत खुश हुआ क्योकि अब हम वह सब कर सकते थे जो कि हमने करने कि चाट रूम मे बात कि थी । उसने कहा कि वह ताज होटल मे रुकने वाली है और उसका रूम नम्बर वह बाद मे मुझको फोन पर बतायेगी । उसने कहा वह ४ फरवरी को बोम्बे आ रही है और ८ फरवरी को मुझको फोन करेगी
पर ४ तारीख को उसका फोन आया कि वह बोम्बे पहुँच गयी है और बाद मैं मुझ को फोन करेगी । मैंने उसको कहा कि मैं उसके फोन का इंतजार करूगाँ । पर ८ तारीख को उसका फोन नही आया । मैंने सोचा कि शायद काम पूरा नही हुआ होगा । लेकिन फिर ९ और १० तारीख को भी उसका फोन नही आया अब तो मैं बहुत ही उतावला हो रहा था । सोचने लगा कि कहीं वह मजाक तो नही कर रही थी। पर मैं कर भी क्या सकता था उसके फोन के इंतजार के अलावा। फिर अगले दिन बुधवार था दोपहर को करीब एक बजे रीमा का फोन आया उसकी अवाज सुनते ही मेरा लंड खडा हो गया। मैंने पुछा तुमने फोन क्यो नही किया मैं तो सोच रहा था कि तुम फोन ही नही करोगी।
रीमा ने कहा कि ब्रान्च खोलने के बात पक्की हो गयी है इसलिये वह, उसका बॉस और यहां का मैनेजर मिल कर २ दिन से मौज कर रहे थे। दोनो ने मिल कर उसको दो दिन तक बहुत जम कर चोदा था। इसलिये दो दिन वह फोन नही कर पायी आज सुबह ही उसका बॉस वापस दिल्ली गया है। और वह सुबह से आराम कर रही थी जिससे की मेरे साथ पूरी तरह से मजा ले सके। लेकिन उसको पहले से ही पता था कि वह मुझको ११ तारीख से पहले फोन नहीं कर पायेगी। मैने पूछा कि फिर तुमने बताया क्यो नही। रीमा बोली कि मैं तुम्को कुछ देर तडपाना चाहती थी। मुझको जवान लडको को तडपाने मे बडा मजा आता है। मैंने पूछा अब तो बताओ कि तुम्हारा रूम नंम्बर क्या है। रीमा बोली मुझ से मिलने के लिये तडप रहे हो। मैंने कहा हाँ।
थीक है बता देती हूँ तुम्को तुम भी क्या याद करोगे। मेरा रूम नंम्बर ५१४ है। मैंने कहा थीक है मैं अभी वहाँ पहुँच रहा हुँ। रीमा ने कहा वह भी बडी बेसबरी से मेरा इंतजार कर रही है। और जैसे हो वेसे ही चले आओ क्योकी वेसे भी इन चार दिनो मे मैं तुमको कोई कपडे तो पहनने दूंगी नहीं। बस अब चले आओ दौड कर अपनी माँ के पास। मैंने कहा थीक है माँ आता हूँ अभी। रीमा बोली कि मैंने अपने रूम के बाहर डू नॉट डिस्टर्ब का साईन लगा दिया है जिस से की जब घंटी बजेगी तो मैं समझ जाऊगीं कि तुम हो। मैंने कह ठीक है। फिर मैंने फोन रख दिया और अपने बॉस के पास गया मैंने छुट्टी के लिये पहले से ही बोल रखा था इसलिये कोई परेशानी नही हुई। नही तो जिस तरह की मेरी बॉस थी छुट्टी मिलना बिल्कुल ही नामुमकिन था।
फिर जल्दी से मैं टेक्सी पकड कर होटल पहुँच गया। मेरा दिल धक धक कर रहा था। मैं आज तक कुवाँरा था आज मेरे इस कुवाँरे लंड को चुदायी चुसायी का मजा मिलने वाला था। फिर मैं लिफ़्ट लेकर पाँचवे माले पर गया जहाँ पर रीमा का कमरा था। जैसे ही मैं गलीयारे से निकल कर रीमा के कमरे की तरफ़ जा रहा था तो दीवार पर लगे साईन को देख कर मैं समझ गया कि उसका रूम होटल के आलीशान रूम मे से एक था। थोडी देर मे मैं रूम तक पहुँच गया। फिर मैने धडकते हुये दिल से रूम कि बेल बजायी। अन्दर से रीमा की आवाज आयी आ रही हूँ दीपक बेटा। कुछ पल बाद कमरे का दरवाजा खुला। और मेरे सामने रीमा खडी थी।
मैं अभी उसे ठीक से देख भी नही पाया था की उसने मेरा हाथ पकड कर मुझे अन्दर खीच लिया। और एक झटके के साथ दरवाजा बन्द कर दिया। मैं उसकी इस हरकत से एक दम सकपका गया। रीमा ने कहा अगर मैं तुम्को इस तरह से अन्दर नही खीचती तो तुम बाहर खडे खडे ही मुझ देखते रहते जो कि मैं नही चाहती थी। तुम्को मुझको देखना हे तो लो मैं तुमहारे सामने खडी हो जाती हूँ जी भर के देख लो। ऐसा कह कर वह मेरे सामने अपने दोनो हाथ कमर पर रख कर खडी हो गयी। खडी होने से पहले उसने अपनी साडी का पल्लू उतार कर अपनी कमर से नीचे गिरा दिया। ये सब इतनी ज्लदी मे हुआ था की मुझे उसको देखने का मौका भी नही मिला था। अब वह मेरे सामने थी और मैं जी भर कर उसको देख सकता था।
फिर मैंने अपनी नजर उसपर गढा दी। उसका रंग गोरा था उसने अपनी उमर मुझको ४८ साल बतायी थी पर वो अपनी उमर से करीब दस साल छोटी दिखती थी। उसकी आँखे बडी बडी थी। जिन मे वासना भरी हुयी थी। उसके होठ बडे बडे थे। जैसे कि अभिनेत्री सुमन रंगनाथन के हैं। मुझे इस तरह के होठ बहुत ही पसन्द हैं। उसपर उसने गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी। जो उसकी सुन्दरता को और बढा रही थी। उसके चहरे पर एक आमत्रंण का भाव था जैसे कह रही हो आओ और चुम लो मेरे होठों को।
फिर मेरी नजर उसके बदन पर गयी बडा ही भरपूर बदन था उसका। उसका गदराया बदन देख कर मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही उछलने लगा था। उसने हल्के गुलाबी रंग की साडी पहन रखी थी। उसका ब्लौस स्लीव लेस था। और उसमे कफ़ी गहरा कट था जिसकी वजह सी उसके बडे बडे मम्मे आधे से ज्यादा ब्लाउस से बाहर झाँक रहे थे। रीमा ने शायद बहुत ही टाईट ब्लाउस पहन रखा था क्योकी उसके मम्मो की दोनो बडी बडी गोलाईयाँ आपस मैं चिपक गयी थी। और एक गहरा कट बना रही थी। जो कि बडा ही सेक्सी लग रहा था। इस नजारे को देख कर मैं उत्तेजना से पागल हो रहा था। मेरे लंड का उभार मेरी पैन्ट से साफ़ दिखायी दे रहा था।
फिर मेरी नजर उसके पेट पर गयी। उसने साडी अपनी नाभी के काफ़ी नीचे पहनी थी। जिस से उसकी गहरी नाभी साफ़ दिखयी दे रही थी। उसकी नाभी की गहरायी देख कर मेरा मन उसको चूम लेने का हुआ। फिर मैं थोडी देर तक उसको ऐसे ही निहरता रहा। कुछ देर बाद रीमा ने कहा क्या हुआ बेटे कैसी लगी तुम्को अपनी माँ। मैंने कहा बहुत ही अच्छी। रीमा ने कहा वो तो तुम्हारे पैन्ट मे उभरते तुम्हारे लंड को देख कर पता चल रहा है। मैं उसको देख कर इतना गर्म हो गया था कि मेरा गला सुखने लगा। और मुझ को प्यास लगने लगी।
रीमा मेरे को देख कर शायद समझ गयी की मेरे को प्यास लगी है। बोली पानी चाहिये बेटा मेने कहा हाँ। ठीक है अभी लाती हूँ कह कर उसने अपनी साडी का आँचल उठा कर पेटीकोट मे ठूंस लिया और पलट कर पानी लेने चल दी। जैसे ही वह पल्टी सबसे पहले मेरी नजर उसके भारी भरकम चूतडो पर गयी। औरत के चूतड मेरा सबसे पसन्दीदा अंग है। और रीमा के चूतड तो बहुत ही बडे थे। उसने ऊँची ऐडी की सैंडल पहन रखी थी। जिस की वजह से जब वह चल रही थी तो उसके चुतड बहुत ही मस्ताने ठंग से मटक रहे थे। जेसे किसी फैशन शो मे मॉडल अपने चूतडो को मटका के चलती है वैसे ही।
एक तो उसको आगे से देख कर ही मेरा बुरा हाल था अब तो मैंने उसको पीछे से भि देखा लिया था मेरा लंड तो बिलकुल ही आपे से बाहर हो गया। वोह भी शायद जानती थी की उसके चूतडो का मुझ पर क्या असर होगा क्योकी मैं उस को बता चुका था की भारी चूतड मुझ को कितने पसन्द हैं। इसलिये मेज तक जाने मे जहाँ पर पानी का जग रखा था उसने बहुत देर लगायी जिस से मैं जी भर कर उसके चूतड और उनका मटकना देख सकूं।
फिर उसने जग उठाया और मेरी तरफ़ देखते हुये उसने गिलास मे पानी भरना शुरु किया। वह मुझ को देख कर मस्ती भरी नजरो से मुस्कुरा रही थी। पानी भरकर वह मेरी तरफ़ चल दी। उसके मस्त बदन ने मेरे उपर ऐसा असर किया था कि मैं अभी तक दरवाजे पर ही खडा था। उसने ऊँची ऐडी के सैंडल पहन रखे थे और जिस तरह से वह चूतड मटका के चल रही थी उसकी वजह से उसके बडे बडे मम्मे उसके कसे ब्लाउस मे फंसे हुये जोर जोर से उछल रहे थे। उसने पुरी तरह से मुझको अपने अधेड उम्र के हुस्न के जाल मे फसाँ लिया था।
लो पानी पी लो कह कर उसने गिलास मेरे हाथ मे थमा दिया। मैं पानी पीने लगा और पानी पी कर मैंने गिलास उसको दे दिया। जो देखा पसन्द आया मै मुस्कुरा कर बोला हाँ बहुत पसन्द आया। फिर यहाँ क्यो खडे हो चलो अन्दर बैठते हैं। फिर मैं उसके साथ चल दिया अन्दर आ कर मैं सोफ़े पर बैठ गया। अन्दर आने से पहले मैंने अपने जूते बाहर ही उतार दिये। रीमा भी मेरे पास आ कर बेठ गयी।
मैंने उसका हाथ अपने हाथो मे लिया और बोला माँ तुम बहुत सुन्दर हो। जैसा तुमने बताया था तो मैने सोचा था कि तुम सेक्सी हो पर तुम तो महा सेक्सी हो माँ। मेरा लंड तो तुमको देखते ही खडा हो गया था माँ। और अभी तक पुरी तरह टनटनाया हुआ है। देखो कैसे पैन्ट फाड कर बाहर आने को तैयार है। फिर तुमने इसको पैन्ट के अन्दर रखा ही क्यो है पैन्ट उतार कर अपने प्यारे लंड को मुझको दिखाओ। लाओ मैं तुम्हारे कपडे उतरने मे तुम्हारी मदद करती हूँ। मैंने कहा नही माँ मैं खुद ही उतार देता हूँ। तो वह बोली हर माँ बचपन मैं अपने बेटे के कपडे उतारती और पहनाती है। माँ ही होती है जो बेटे को कपडे पहनना और उतारना सिखाती है। मुझे तो वो मौका आज ही मिला है तुम इस तरह से मुझसे ये मौका नही छीन सकते।
रीमा की बात सुन कर मैं बोला ठीक है माँ तुम ठीक कह रही हो मैं इस तरह से तुम्हारा हक नही छीन सकता। मैं तैयार हूँ उतार दो मेरे कपडे। आज से जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ और जब भी हम मिलेंगे मेरे कपडे तुम ही उतारोगी और तुम ही पहनओगी। यह सुन कर वह बहुत खुश हो गयी और मेरे माथे पर किस किया जैसे एक माँ अपने बेटे को करती है। फिर वह मेरी कमीज के बटन खोलने लगी। उसके भरी पूरी गोरी बाँहे मुझको बहुत अच्छी लग रही थी। फिर उसने सारे बटन खोल दिये और बोली बेटा खडे हो जाओ जिस से मैं तुम्हरी कमीज उतार सकूँ।
मैं खडा हो गया रीमा भी मेरे साथ खडी हो गयी और पीछे कर के मेरी कमीज उतार दी। मैंने नीचे बनियान पहन रखी थी। मेरी कमीज उतार कर रीमा मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी। और बोली तुम्हरी छाती कितनी चौडी है। तुम भी कोई कम हैडसम नही हो। तुम इतने सालो अपनी माँ से दूर रहे हो जिसकी वजह से तुम्हारी ये माँ तुमको कुछ प्यार भी नंही कर पायी। चिन्ता मत करो अब तुम मेरे पास आ गये हो अब मैं तुमको अपना सारा प्यार दूंगी। ऐसा कहते वक्त उसके आँखो मे वासना भरी थी। ऐसा कह कर उसने मेरी बनीयान भी उतर दी।
बनियान उतरते वक्त उसने अपने हाथ उपर किये उसने स्लीवलैस ब्लाउस पहन रखा था जिसकी वजह से उसकी काँख मुझको दिखायी दी। उसकी काँख के बाल काले और घने थे। मुझे काँख के बाल बहुत पसन्द हैं। उसकी काँख देखकर मेरी मस्ती और बढ गयी। बनियान उतार कर उसने कमरे के एक कोने मै फेंक दी। अब मेरी छाती पूरी नंगी हो गयी और वो अपने गोरे गोरे हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे फिराने लगी। जिसकी वजह से मेरी उत्तेजना बढने लगी और मेरे निप्पल कडे हो गये।
फिर रीमा ने अपनी एक उँगली को अपने थूक से गिला करके मेरे बाँये निप्पल पर फिरने लगी। और उसका दुसरा हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे चल रहा था। वोह अच्छी तरह से जानती थी कि किस तरह मर्द को मस्त किया जाता है। थोडी देर इसी तरह से मेरे निप्पल पर हाथ फेरने के बाद उसने अपना मुँह मेरे निप्पल पर रख दिया और उसे अपने होंठो के बीच लेकर चुसने लगी। उसके ऐसा करने से मेरे मुँह से एक दम से एक आह निकल गयी। इसका सीधा असर मेरे लंड पर हुआ। वोह मस्ती मे एक दम कडा को गया। अब उसका मेरी पैन्ट मे रहना बडा ही मुश्किल था।
वह मेरे दुसरे निप्पल को अपने हाथ के नाखून से जोर जोर से कुरेद रही थी। एक तो निप्पल चुसे जाने की मस्ती दूसरा निप्पल कुरेदे जाने की वजह से होता दर्द ने मुझे तो स्वर्ग मे पहुँचा दिया था। इस बेताह मस्ती के कारण मेरे मुँह से आह ओह के आवाज निकल रही थी। मैने अपने हाथ उसकी पीठ और एक बाँह पर रख रखा था। एक हाथ से उसकी बाँह मसल रहा था और दुसरे हाथ उसकी पीठ और कमर पर फेर रहा था। वोह करीब ३-४ मिनट तक ऐसे ही करती रही फिर रीमा बाँयी निप्पल छोड कर दाँयी निप्पल को चुसने लगी और बाँयी निप्पल को नाखुनो से कुरेदने लगी।
दुसरे निप्पल को अच्छी तरह से चुसने के बाद ही उसने मेरे को छोडा। फिर मेरी और देख कर आँखो मे आँखे डाल कर पूछा कैसा लगा बेटा माँ का तुम्हारी निप्पल चुसना। मैं बोला क्या बताँऊ माँ बस इतना कह सकता हूँ कि तुम्हारे इस बेटे को तुमसे बहुत कुछ सीखना है। सीखाओगी न माँ अपने इस अनाडी बेटे को। रीमा बोली जरूर बेटा आखिर माँ होती किस लिये है। माँ का तो ये कर्तव्य है के उसके बेटे की शादी से पहले उसे सेक्स की पूरी शिक्षा दे प्रेक्टिकल के साथ जिससे की उसकी पत्नी सुहाग रात को ये ना कह सके की उसकी माँ ने उसको कुछ भी नहीं सिखाया।
उसके मुहँ से ये बात सुन कर मैं बोला माँ तुम्हारे विचार कितने उत्तम हैं। अगर तुम जैसी सबकी माँ हो तो किसी भी बेटे को रंडी के पास जाने की जरूरत ही नही। सुन कर उसने मेरे होंठो पर किस कर लिया और बोली तुम बिल्कुल मेरे बेटे कहलाने के लायक हो। चलो मैं अब तुम्हारा लंड पैन्ट से बाहर निकाल देती हूँ। ये भी मुझको गाली दे रहा होगा कि बात तो लंड को बाहर निकालने की कर रही थी और निप्पलस को मजा देने लगी। कह रहा होगा कितनी निर्दयी है तुम्हारी माँ। नंही माँ मेरा लंड तो बल्की बहुत खुश है की मेरी माँ तुम हो।
वह तो कह रहा है की जिस तरह से तुम मेरी माँ हो तुम्हारी चुत उसकी माँ हुयी ओर जब तुम इतनी मस्त हो तो उसकी माँ और भी मस्त होगी वोह भी अपनी माँ से मिलने और उसकी बाँहो मै जाने के लिये बेचैन है। रीमा बोली उसके लिये तो उसको थोडा इंतजार करना पडेगा। पहले मैं अपने बेटे को और उसके लंड को तो जी भर के प्यार कर लूँ और अपने बेटे से अपने आप को और लंड की माँ को प्यार करा लूँ तब कही जा कर वोह अपनी माँ से मिल सकता हे समझे। मैंने कहा हाँ माँ तुम ठीक कह रही हो।
इतना कह कर रीमा ने मेरी पैन्ट खोलनी शुरु कर दी। जब रीम मेरी पैन्ट खोल रही थी तो उसकी नजर मेरी तरफ थी। वह मेरी तरफ देख कर मन्द मन्द मुस्कुरा रही थी। सबसे पहले उसने मेरी बेल्ट को निकाल कर फेंक दिया। ओर मेरी पैन्ट का बटन खोलने लगी। बटन ओर चैन खोल कर उसने कमर से पकड कर एक ही झटके मे मेरी पैन्ट नीचे कर दी और साथ मै खुद भी नीचे बैठ गयी। मैंने भी अपने पैर उठा कर पैन्ट निकालने मे उसकी मदद की।