अध्याय 11
मैं बेचैन था ,पर बेकाबू नहीं मैं कुछ करना तो चाहता था पर क्या करू ये मुझे भी पता नहीं था,अब तो ऑफिस भी जाने का मन नहीं करता था ,साला मैं ऑफिस में होऊंगा और यहाँ घर पर मेरी बीवी ,...............मैं जलकर भूंज जाता ,बहाने बना बना कर घर आ जाता ,काजल भी मेरा बहुत ध्यान रख रही थी ,कुछ दिनों से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिससे मुझे दुःख पहुचे पर मैं कब तक अपनी पत्नी की रखवाली करता रहूँगा ,जब उसने ही मन बना लिया है और वो भी इसका मजा ले रही है तो मैं कब तक उसे रोक पाऊंगा,.......मैं क्या करू तलाक ......
तलाक का नाम दिमाग में आते ही मेरे तन बदन में एक झुनझुनाहट सी दौड़ गयी ,नहीं मैं काजल से दूर नहीं रह सकता था ,तो ट्रान्सफर करा लू...ताकि इस प्यारे से छुटकारा मिल जाय ,इसमें भी तो समय लगेगा ,मुझे सोचने को समय चाहिए था ,ताकि मैं कुछ अच्छा सा फैसला कर पाऊ,मैंने काजल को उसके मायके भेजने की सोची,वो भी ख़ुशी ख़ुशी तैयार ही गयी ,साले प्यारे की सूरत उसके जाने पर रोनी सी हो गयी थी ,काजल भी मेरे ही सामने उसे सांत्वना दे रही थी ,की काका जल्द ही आ जाउंगी ना .........
उसके जाने से मुझे कुछ शांति सी महसूस हुई कुछ दिनों से इतना तनाव था की मैं पागल सा हो रहा था ,तभी मेरे दिमाग में एक नाम गूंजा ,,,,,,,,,,,,डॉ चुतिया ...जी हा मेरे स्कूल का दोस्त था ,पूरा नाम था चुन्नीलाल तिवारी यरवदावाले ...बचपन में साला बहुत हु चुपचाप और सबसे अलग रहने वाला था ,और पड़ी में बड़ा ही कमजोर था पर ना जाने ऐसा क्या हुआ की 12 th के बाद उसके व्यक्तित्व में गजब का सुधार हुआ वो M.B.B.S.,डॉ बन गया उसके बाद ना जाने क्या क्या डिग्रिय और चीजे सीखता रहा ,शहर में उसने प्रक्टिस भी शुरू कर दि,पर वो लोगो के परेशानियों के हल ढूंढने में माहिर था ,सायकोलोजी की उसे गहरी जानकारी थी ,इसके साथ ही ना जाने क्या क्या ,,,,क्या उसे सब बताना ठीक रहेगा ?????मेरे दिमाग में एक ही बात आई ,साला दोस्त भी है और डॉ भी कही कमीनापण ना कर दे ,लेकिन मैंने उसका सीधा साधा और सबकी मदद करने और सबके दुःख में साथ देने वाला रूप भी देखा था मैंने हिम्मत की और फैसला किया की मैं उसे सब कुछ बताऊंगा और उसे काल किया ...
"क्या चुन्नीलाल कैसे हो ,"
"आप कौन बोल रहे है "
"अबे मैं विकास , "
"अबे साले तू है ,इतने दिनों बाद कॉल किया ,शादी के बाद तो भूल ही गया दोस्तों को ...और बता भाभी कैसी है ,"मैं थोडा उदास सा हो गया ,
"ठीक है अभी मायके में है ,"
"अच्छा तभी तुझे हमारी याद आई साले "
"नहीं भाई बात कुछ खास है ,क्या तू मुझे मिल सकता है ,यार थोड़ी परेशानी में चल रहा हु "
"क्यों क्या हुआ "
"फोन में नहीं आकर मिलता हु ,तू मुझे अपने क्लिनिक का पता msg कर दे मैं कल ही मिलता हु "
"हा हा बिलकुल कभी भी आजा "
"अच्छा चल यार रखता हु ,बाय "
"ओके दोस्त बाय "..............
मैं डॉ के क्लिनिक पंहुचा वहा कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था ,मैं केबिन के अंदर झाका चुन्नी मुझे अपने कुर्सी पर बैठा कुछ पड़ता हुआ दिखाई दिया ,मुझे देखते ही वो खड़ा हुआ और मेरे पास आकर मेरे गले से लग गया ,मैं भी बड़ी ही आत्मीयता से उससे मिला ,हम बैठे इधर उधर की बाते होने लगी फिर मैंने मुद्दे की बात करने की सोची मैंने गंभीरता से उसे सभी मामला बताया और वो बड़ी ही गंभीरता से उसे सुनने लगा,...मुझे आश्चर्य हुआ की उसे मेरी बातो से जादा आश्चर्य नहीं हुआ वो बड़े ही आराम से मेरी बात सुन रहा था जैसे मैं उसका दोस्त नहीं कोई क्लाईंट हु...
"हम्म्म्म तो ऐसी बात है ,कोई बात नहीं भाई ,मैंने जब पहली बार तेरी शादी में काजल को देखा था तभी मुझे लगा की कुछ तो गड़बड़ है पर क्या है ये मुझे अब समझ आ रहा है ,"
मैं उसे आँखे फाडे देखने लगा ,क्या गड़बड़ है ..........
"पूरी बात तो मैं उससे मिल कर ही बता पाउँगा पर अभी जितना तुमने मुझे बताया ,मुझे वो एक सेक्स एडिक्ट लग रही है ,"
डॉ की बात सुनकर मेरा माथा घूम गया ,सेक्स एडिक्ट मेरी बीवी ,
"भाई तू क्या बोल रहा है ,वो बहुत अच्छे घर की बेटी है और इतनी पढ़ी लिखी भी है यार ,,,,"मैं लगभग रुवासु हो चूका था ,ऐसा लग रहा था जैसे अभी जोर जोर से रो पडूंगा ,पर मैंने अपने को सम्हाला ,मुझे देखकर चुतिया हसने लगा ,मुझे लगा की वो मेरा मजाक उड़ा रहा है ,
"नाम मेरा चुतिया है और काम तेरा चुतियो जैसा है ,साले की बीवी दूसरो से चुद्वाती है ,हा हा हा "डॉ के ये वचन मेरे दिल को झल्ली झल्ली कर रहे थे ,मैं उसे मरना चाहता था ,मेरा ही दोस्त ,इतना बड़ा काउंसलर होकर भी वो ऐसी बाते कर सकता है मुझे यकीं नहीं आ रहा था ,मुझे अपने पर ही गुस्सा आया की मैं यहाँ क्यों आ गया ,मैं वहा से उठाकर जाने लगा ,उसने मुझे रोका भी नहीं ,मैं और भी गुस्से में आ चूका था ,मैं बाहर निकला ,बाहर रघु गाड़ी लेकर खड़ा था ,मैं अपनी ऑफिस की गाडी से वहा आया हुआ था ,उसे देखकर मैंने खुद को सम्हाला ,
"चलना है क्या साहब "रघु ने बड़े ही प्यार से पूछा
"हा मादरचोद ,मैं यहाँ नाचने आया हु क्या ,जायेंगे नहीं तो और क्या करेंगे ,दीखता नहीं क्या तुझे ,"मेरे इस बात से रघु भी घबरा गया था ,उसने मुझे कभी भी ऐसे रूप में नहीं देखा था वो जल्दी से ड्राईवर सिट पर बैठा और मैं पीछे बैठने ही वाला था की किसी ने मेरा हाथ पकड़कर बहार खीच लिया ,मैं उसे देखकर और भी गुस्से में आ चूका था वो डॉ था ,............
"चल तुझे कुछ और भी बताना है "डॉ के चहरे पर अब भी एक मुस्कुराहट थी ,मैंने अपना हाथ छुड़ाया ,
"मुझे कुछ नहीं जानना "
"सोच ले ,अबे चल सॉरी अब तो आजा ,यु ड्राईवर के सामने क्यों तमाशा कर रहा है ,ये हम दोस्तों की आपस की बात है ,चल ना यार ,"
मैं रघु के सामने सचमे कोई भी तमाशा नहीं करना चाहता था ,मैं उसे ये भी पता नहीं लगने देना चाह्त्ता था की मैं यहाँ क्यों आया हु,मैं चुपचाप अंदर चला गया ,फिर उसी केबिन में
"क्या हुआ ,जल्दी बता "
"भाई मुझे माफ़ कर दे की मैंने ये सब किया ,पर ये जरुरी था ,तेरे प्रश्न का उत्तर है ये ,की काजल क्यों सेक्स एडिक्ट हो गयी ,और क्यों कोई इस रोग में पड़ जाता ही ,"मुझे उसकी बाते कुछ भी समझ नहीं आ रही थी ,मैंने उसे बड़े ही आश्चर्य से देखा ,वो मुझे आराम से रहने और बैठने को कहा ,
"देख तुझे रोना आया पर तू मेरे सामने नहीं रो पाया ठीक ,"
"हा तो उससे क्या "
"बताता हु ,फिर तुझे मुझपर गुस्सा आया पर तूने गुस्सा दबा लिया ,और वो गुस्सा किसपर निकला तेरे ड्राईवर पर ,है ना "
"हा तो "
"बता की ये गुस्सा ड्राईवर पर क्यों निकला "
मैं उसे अनजान सा देखने लगा ,
"क्योकि तू मुझपर तो गुस्सा नहीं कर सकता था पर अपने ड्राईवर पर कर सकता था ,तूने कभी भी अपने ड्राईवर को ऐसे नहीं कहा होगा पर आज तुझे क्या हुआ ,तूने कहा गलती कर दि "
मैं उसके बातो को समझने का प्रयास कर रहा था ,
"तूने मुझपर गुस्सा नहीं करके और अपने रोने और गुस्से को दबाकर गलती कर दि ,दबा हुआ गुस्सा ड्राईवर पर फूटा वहा नहीं फूटता तो कही और और ही फूटता शायद और भी बढ़कर "
"तू कहना क्या चाह रहा है "
चुतिया ने एक गहरी साँस भरी
"देख भाई हम सब इन्सान है और इन्सान होने की सबसे बड़ी जो खासियत है वो है हमारी भावनाए ,पर ये समाज,धर्म ,और नैतिक बन्धनों से भी हम बंधे हुए ही जो हमें सिखलाते है की ये करो ये मत करो ,अब हम है तो मूलतः जानवर ही ना ,पर यही बंधन हमें जानवरों से अलग करते है ,लेकिन इन्ही बन्धनों के कारन हम अपनी भावनाओ को दबाते है ,और उसका परिणाम होता है,विकृति .....हमारी असली भावना कही छुप जाती है और वो विकृत होकर प्रगट होती है ,इसलिए लोग हत्या करते है चोरी करते है ,और सबसे बड़ी और मूल भावना है सेक्स की भावना लेकिन हमें बचपन से ही इसे दबाना सिखाया जाता है ,इसका परिणाम होता है की हम ना तो प्यार कर पाते है और ना ही इससे पूरी तरह से छुट पाते है ,परिणाम होता है विकृत सेक्स ......जैसे बलात्कार ,और सेक्स एडिकशन और भी बहुत कुछ ,जैसे सेक्स में कमी या चिडचिडापन या बहुत ही जादा गुस्सा आना और भी कई तरह की शरिर्रिक और मानसिक बिमारिया जन्म लेती है ......."
थोड़ी देर चुप्पी छाई रही जिससे मुझे कुछ कुछ चीजे समझ आने लगी थी ,डॉ ने फिर से बोलना शुरू किया
"काजल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा ,वो बहुत ही कुलीन घर की लड़की है ,और उसे अपनी सेक्स की भावना को दबाना पड़ा होगा इसमें कोई भी दो राय तो नहीं है ,पर जब उसे मौका मिला होगा ,जैसा तूने बताया की वो वर्जिन नहीं थी ,तो उसने इसे या तो खुलकर एन्जॉय किया होगा ,या फिर ग्लानी के भाव से भर गयी होगी ,यार ये ग्लानी बहुत ही ख़राब चीज है जो इन्सान के भावनाओ को कुरूप कर देती है ,शायद उसके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा..........अगर ऐसा हुआ होगा तो जो वो आज कर रही है वो,वो नहीं कर सकती थी इसके लिए उसने जरुर किसी से काउंसलिंग ली होगी जिसने उसे समझाया होगा की ग्लानी से बचो और इसे एन्जॉय करो ....हो सकता है ऐसा कुछ भी नहीं हुआ हो और वो एक सेक्स एडिक्ट नहीं हो तो ,,,,,,,,हा ये भी हो सकता है तो बस एक ही चीज हुई होगी और वो ये है की वो जब मुंबई गयी तो उसने पहली बार आजादी देखि और उसे ये सब करने में मजा आने लगा वो अपनी जिंदगी खुलकर जीने लगी ,और अब भी वो ये सब बस मजे के लिए करती होगी ,"
मुझे ऐसे तो सब कुछ समझ आ रहा था पर ........
"यार लेकिन क्या सचमे वो मुझसे प्यार करती है या सिर्फ दिखावा "मेरी आँखे फिर से गीली हो गयी ,
"इतना तो पक्का है मेरे दोस्त की वो तुझसे बहुत ही जादा प्यार करती है ,"
"तो भाई ये सब ,............अब मैं क्या करू "
डॉ भी थोड़ी देर तक चुप रहता है ....
"कुछ भी मत कर ,अभी तो उसे मायके में ही रहने दे और तेरे ट्रांसफर लेने से मामला नहीं बदलेगा बस प्यारे की जगह कोई और आ जायेगा ,अभी कम से कम प्यारे तेरे हाथो में तो है ,वो काजल के कण्ट्रोल में है,और कोसिस यही करना की कभी भी प्यारे या काजल या किसी भी और को ये ना पता चले की तू ये सब जानता है ,अगर किसी को भी ये पता चला और काजल ने उसका साथ दिया तो तेरे लिए उसकी इज्जत जाती रहेगी फिर वो कभी भी तुझे और तू कभी भी उसे वो प्यार नहीं दे पाओगे जो वो अभी तुझसे करती है ....."
मैं जोरो से रोने लगा .डॉ आकर मेरे कंधे पर अपना हाथ रखता है,
"तू फिकर मत कर मेरे दोस्त सब ठीक हो जाएगा ,मैं खुद मुंबई जाकर उसके बारे में पता करूँगा "
"लेकिन यार तब मैं क्या करू ,कब तक उसे मायके में रखूँगा और कब तक मैं उसे बचा पाउँगा वो फिर ,,,,,,,,और मैं कैसे ये सब सहूंगा "
साले कमीने डॉ के चहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान आ गयी जिसे देख मुझे फिर से गुस्सा आ गया ,वो इसे समझ गया और
"भाई मेरे मुस्कान पर गुस्सा मत हो पर तुझे voyeurism का पता है "
"ये क्या होता है "
"किसी दुसरे को सेक्स करते देखकर मजे लेना "
मेरा गुस्सा सातवे आसमान पर पहुच गया
"मादरचोद तो क्या मैं अपने बीवी को अपने नौकर से चुदते देखकर मजे लू "
डॉ फिर जोर से हँसा
"नहीं मेरे भाई ,मैं बस बता रहा था ,ऐसे ले भी सकता है ,ये सोच की अगर काजल को कोई परेशानी नहीं है तो तुझे क्यों है ,ऐसे लोग भी होते है जो अपनी शादीशुदा जिंदगी में मजे को बढ़ने के लिए ये जानबूझकर करते है ,"
"दुसरे करते होंगे मैं नहीं कर सकता ,साले तेरे पास आया था की तू काजल को ठीक करेगा और तू कह रहा है की मैं इसमें मजे ढूढू ..."
"देख दोस्त तू क्या ये चाहता है की काजल का तेरे ऊपर प्यार कम हो जाय ,नहीं ना अगर तू चाहता तो अभी तक उसे कह चूका होता ,और मुझे थोडा समय चाहिए इस केस को समझने और जचने के लिए ,मैं काजल से बात नहीं कर सकता मुझे सीक्रेट तरीके से मुंबई जाकर और उसके गाव जाकर ही पता लगाना पड़ेगा ,तब तक तू क्यों जलेगा ,try करके देख ले ,मैं तुझे कुछ कहानियो और विडिओ के लिंक भेजता हु तू उन्हें चेक कर ले अगर पसंद आया तो ठीक वरना ......जलते रह इस आग में अपने को दुखी करते रह ..."
डॉ की बात मुझे समझ आ चुकी थी ,मेरे पास ऐसे कोई भी रास्ता नहीं था मैंने हां में सर हिलाया और वहा से चला गया .....
अध्याय 12
मेरा मन व्याकुल सा था जस्बातो ने कबड्डी खेल खेल कर मेरा दिमाग झंड कर दिया था ,मैं बात बात में चिडचिडा सा जाता था ,खासकर प्यारे को देखकर तो दिमाग चढ़ जाता था ,पर उसे कुछ ना कह पाता ,क्या कहता,हर काम सही टाइम में कर देता था ,कुछ ना कह पाना भी बहुत बड़ा दुःख था,काजल अभी तक नहीं आई थी,डॉ से मिले मुझे बस दो दिन ही हुए थे ,मैं उससे और भी बात करना चाहता था ,पर क्या बोलता उसे ............
भगवान ने मेरी सुन ली और डॉ का फोन आ गया ,
"कैसे हो भाई,"
"बढ़िया हु दोस्त थोडा बेचैन सा हु ,क्या करू समझ नहीं आ रहा ,"
"तू मेरे पास तुझे कुछ दिखाना है ,"
"क्या "
"तू आ तो जा फिर दिखता हु "
"अरे यार पर छुट्टी का थोडा "
"ओके सन्डे आ जा और अपने ड्राईवर को साथ मत लाना तू बस अकेले आना ."
डॉ से बात होने के बाद मैं और बेचैन था पता नहीं साला क्या दिखाना चाहता था ,आख़िरकार सन्डे आ ही गया और मैं शहर में था ,डॉ मुझे एक क्लब में ले गया एक साधारण सा दिखने वाला क्लब था ,बहुत से लोग तो नहीं थे और सब कुछ बड़ा ही नार्मल लग रहा था ,मैंने डॉ को बार बार पूछा की बात क्या है पर वो कुछ भी नहीं बता रहा था कहता था की रुक जा टाइम आने पर पता चलेगा ........हम दोनों इधर उधर और अपने स्कूल के टाइम की बाते करते रहे और बियर पीते रहे ,तभी मुझे एक कपल दिखाई दिया ऐसे तो वहा और भी कपल थे पर वो कपल बहुत ही खास था कारन था उनके बीच का प्यार ,दोनों को देखकर कोई भी कह सकता था की उनमे कितना जादा प्यार है ,पत्नी को कुछ हो जाता तो पति आगे आकर उसे सम्हालता ,पति के चहरे पर कुछ लग जाता तो पत्नी उसे अपने पल्लू से पोछती थी ,दोनों एक दुसरे से ऐसे मिले बैठे थे जैसे कभी अलग ही नहीं होंगे ,मुझे ये कपल मेरी और काजल की याद दिला रहा था ,वो लड़की दिखने में भी कुछ कुछ काजल जैसी ही थी,बहुत देर तक वो दोनों वहा बैठे रहे ,शाम जब और गहराने लगी तो वो साथ एक दूजे के कमर में हाथ डाले नाचते हुए दिखाई दिए ,कुछ देर बाद मेरा धयान डॉ की तरफ चला गया और वो दोनों मुझे फिर दिखाई नहीं दिए ,पर मुझे उन्हें यु घुरना डॉ से छिपा नहीं था ,
"क्यों क्या हुआ उनमे कुछ खास है क्या जो तू उन्हें यु घुर रहा है ,"
"हा यार ये दोनों मुझे काजल और मेरी याद दिलाते है,काजल भी मुझे ऐसे ही प्यार करती है और ऐसे ही मेरा ख्याल रखती है ,"मेरी आँखों में कुछ आंसू की बुँदे आ गयी ,डॉ ने मुझे दिलासा दिलाया और इधर उधर की बाते करने लगा ,तब तक वो कपल आँखों से ओझल हो चूका था ,मैंने नज़ारे घुमाई पर वो कही नहीं दिखे .......डॉ मेरी नजरो को समझ गया ,
"उन्हें ढूंड रहा है क्या ,"मैंने हा में सर हिलाया
"रुक जा थोड़ी देर में मिलवाता हु "मैंने आशचर्य से डॉ को देखा
"तू जानता है उन्हें "
"नहीं नहीं जानता फिर भी मैं जानता हु की वो क्या कर रहे होंगे "मैंने फिर से आँखों को चौड़ा किया ,डॉ ने मुझे चुपचाप अपना ड्रिंक ख़तम करने और साथ आने को कहा मैं बिना किसी सवाल के डॉ के साथ चलने लगा ,वो एक अलग ही गेट था क्लब के अंदर से और भी अंदर जाने के लिए पूरी तरह से डिम लाइट जल रही थी ,रोशनी इतनी थी जीतनी की लोग दिख जाय पर इतनी भी नहीं थी की कोई अनजान आदमी पहचान में आ सके ,,उस लाल रोशनी के कारन लोगो का चहरा भी लाल लाल दिख रहा था ,ac चलने के कारण वहा ऐसे तो बड़ी ठंडक थी पर माहोल कुछ गर्म लग रहा था,वो एक सकरा रास्ता था जो किसी और मंजिल तक पहुचता था ..........
हम दोनों फिर एक गेट पर पहुच गए ,वहा कुछ बड़े ही डोले शोले वाले लोग खड़े थे ,देखकर ही समझ आ रहा था की अंदर जो चल रहा है वो हर किसी के लिए नहीं है ,हमारे पास जाने पर डॉ ने उन्हें एक कार्ड दिखाया ,और उनके कानो में कुछ कहा ,उनमे से एक बॉडीबिल्डर हमें रुकने का इशारा कर अंदर जाता है फिर वापस आकर हमें अंदर जाने का इशारा करता है अंदर जाकर मैं और भी अचंभित हो गया क्योकि वहा ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे गलत समझा जाय ,वहा होटलों जैसे सिंपल से कमरे बने हुए थे ,और एक और एक ऑफिस नुमा केबिन था ,डॉ ने मुझे केबिन की तरफ आने का इशारा किया केबिन के बहार भी कुछ बॉक्सर टाइप लोग खड़े थे ,ऐसा लग रहा था जैसे साला मैं किसी डॉन के पास या किसी बड़े पॉलिटिशियन के पास जा रहा हु ,इतनी सिक्योरिटी मैंने वही देखि थी ,हम दोनों केबिन के अंदर गए,बड़ा सा केबिन था जैसे किसी कम्पनी के सीईओ का होता है ,एक कोने में एक अर्धगोलाकार टेबल के पीछे एक लम्बा चौड़ा सा व्यक्ति बैठा हुआ था,चहरा रोबदार और हलकी हलकी दाढ़ी कानो में बाली ,बाल बिलकुल छोटे जैसे आर्मी वाले रखते है उससे थोडा बड़ा , आँखों में हलकी लालिमा जैसे की हल्का हल्का खून उतर आया हो ,मूंछ धारदार थे पर वो देसी बिलकुल नहीं लग रहा था ,रंग गोरा था पर कुछ कुछ जैसे अग्रेजो जैसे रंग का था ,लेकिन देशी स्टायल लिए ,शारीर तो जैसे मॉस का कोई गोदाम खोल रखा हो साला कही भी कोई चर्बी नहीं दिख रही थी दिख रहा था तो बस कसे हुए मसल्स ,वो एक स्पोर्ट बनियान और जीन्स पहने था ,इतने बड़े प्रोफेसनल से लगने वाली जगह का मालिक (जैसा मुझे लग रहा था )बनियान पहन के बैठा था ,उसके पास ही एक लड़की पूरी तरह से तैयार होकर खड़ी थी ,ड्रेस और हावभाव से लग रहा था की वो उसकी सेकेटरी है और वो जैसे खड़ी थी इससे पता लग रहा था की वो 25-30 साल का किसी हीरो की तरह दिखने वाला शख्स बिलकुल भी नर्म नहीं है ,उस शख्स का शरीर देखकर मुझे जॉन इब्राहीम की याद आई पर जब वो खड़ा हुआ तो उसकी चाल विद्युत् जामवाल सी थी ,साला दोनों का मिश्रण था ,डॉ को देखकर वो खुश होकर उठा और आगे बढकर डॉ के गले से लग गया ,डॉ उसके शारीर के सामने बच्चा लग रहा था ,
"ये आकाश है मेरा दोस्त "उसने अपना हाथ बढाया ,मुझे लगा जैसे मैं किसी लोहे के पुतले को छू रहा हु ,
"और आकाश ये है टाइगर उर्फ़ दलजीत कनाडियन माँ और पंजाबी पिता की देन है ,इस क्लब का मालिक और हमारा खास दोस्त "डॉ ने मुझे बैठने का इशारा किया हम सभी अपनी जगहों पर बैठ चुके थे ,डॉ बे बैठते हुए उसकी सेकेटरी को हाय कहा उसने भी अपना सर हिला कर उनसा अभिवादन किया
"कैसी हो रेहाना "
"अच्छी हु डॉ "
"तो आज इस नाचीज को कैसे याद किया डॉ ,"टाइगर के आवाज में भी वही भारीपन था जो की उसकी पर्नालिटी में था ....
"ह्म्म्म वही पुराना रिसर्च का चक्कर है ,लेकिन इसबार मुझे इसके साथ देखना है ,"डॉ ने मेरी तरफ इशारा किया ,टाइगर ने जब मुझे घुर कर देखा तो मेरी रूह तक काप गयी साले की आँखे थी या अंगारे थे ,जैसे दहक रहे हो ,उसने एक भारी सांसे ली जैसे की कोई शेर गुर्राता हो,
"डॉ आपको नहीं बोलना मेरे लिए हमेशा से मुस्किल रहा है ,पर ये नहीं हो सकता ,आप जानते है की क्यों ,यहाँ लोग मेरे भरोसे आते है और मैं उसके साथ धोखा नहीं कर सकता ,आप मेरे वसूलो को जानते है ,मैं कितना प्रोफेसनल हु ये भी आपको पता है ,जब मैं कनाडा से यहाँ आया था तो आपने मेरी बहुत मदद की थी ,जिसका अहसान मैं कभी नहीं चूका सकता पर ये मेरे धंधे से गद्दारी होगी मेरे ग्राहकों से गद्दारी होगी ,आप चाहे तो आपको मैं कुछ भी दिखा सकता हु पर ये ,.................( उसने फिर से मुझे घुर )आप जानते है ...मैं कैसे "बस इतना बोलकर वो खामोश हो गया ,और डॉ के चहरे पर एक गंभीर भाव आ गया
"ह्म्म्म यार तेरी बात तो ठीक है पर सच में ऐसा है की मुझे इसको दिखने की जरुरत है ,"
"डॉ सॉरी मैं ये नहीं कर सकता "डॉ के चहरे पर एक मुसकान सी खिल गयी
"ठीक है पर अगर मैं तुझे एक डील दू तो तू सायद इंकार नहीं करेगा "डॉ ने मुस्कुराते हुए कहा
"डॉ आप और आपके डील "टाइगर भी हसने लगा "पर इस बार कुछ नहीं सॉरी "
डॉ ने मुझे बाहर जाने को कहा और कुछ देर बाद मुझे अंदर बुलाया गया ,टाइगर ने मुझे फिर से घुर इस बार उसके चहरे पर एक अजीब सी सांत्वना का भाव था मुझे लगा इस साले डॉ ने कही उसे मेरे बारे में तो नहीं बता दिया ,
"ठीक है डॉ बस एक घंटे और ये लास्ट है "
"हा ऐसे तूने पिछली बार भी यही कहा था "और दोनों हस पड़े
"क्या करू आपकी डील होती ही इतनी अच्छी है "दोनों फिर से हसे मैं उन्हें बस एक प्रश्नवाचक भाव से देख रहा था ...........डॉ ने मुझे इशारा किया और हम दोनों उसकी केबिन के अंदर एक और दरवाजे में चले गए ,पता नहीं साला कितना दरवाजा था यहाँ .............
अध्याय 13
डॉ और मैं जैसे ही कमरे के अंदर गए कमरा बंद कर दिया गया ,वहा इतना अंधेला था की मैं डॉ को भी नहीं देख पा रह था डॉ ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे आगे खीचा थोड़ी देर में ही आँखे कुछ कुछ समझाने लगी थी पर अभी भी मुझे कुछ जादा नहीं दिख रहा था ,दिखा रखा तो बस दीवाल से लगा हुआ कुछ चमकीला सा नंबर ,मैंने ध्यान दिया की डॉ नंबर को देखता हुआ आगे बड रहा है ,उसने मेरा हाथ अब भी थामे हुए था ,हर नंबर के निचे मुझे एक परदे का आभास हो रहा था ,मुझे समझ में आ चूका था की डॉ मुझे क्या दिखने ले जा रहा है पर ये नहीं समझ पा रहा था की आखिर क्यों ,.
आख़िरकार वो नंबर आ ही गया जिसपर 15 लिखा था और डॉ वहा पर रुक गया ,डॉ ने पर्दा हटाया परदे के अंदर एक बड़ा सा झरोखे जैसा काच लगा हुआ था ,पर्दा हटते ही कुछ रोशनी वहा फ़ैल गयी जिससे मुझे डॉ का चहरा दिखने लगा डॉ ने मुझे चुप रहने का इशारा किया और कानो में कहा
"हम इससे अंदर देख सकते है पर अंदर से हमें कोई नहीं देख सकता"और अपनी जेब से दो हेडफोन निकाले "इससे हम अंदर चल रही बात सुन पायेंगे "उसने उन हेडफोन को पास के कुछ प्लगो में लगाया कुछ बटन दबाये और एक मुझे दे दिया मैंने उसे अपने कानो में डाला और अंदर देखने गया ,
अंदर कमरे में अच्छी रोशनी थी और अंदर का नजारा बिलकुल साफ़ था और ये भी की डॉ मुझे क्या दिखने लाया था ,साला कमीना डॉ ...................अंदर वही महिला थी जिसे मैंने उसके पति के साथ देखा था ,यहाँ भी वो अपने पति के साथ दोनों बिलकुल निर्वस्त्र थे जिसे देखकर मेरे चहरे में एक मुस्कान आ गयी ,वो बिस्तर में टंगे फैलाये बैठी थी और उसका पति उसके योनी को बड़े प्यार से चूस रहा था वो बहुत ही आनद से अपनी आँखे बंद किये हुए इसका मजा ले रही थी ,मुझे उस लड़की को देखकर फिर से काजल की याद आ गयी ,मैं भी कभी कभी उसकी योनी का रस ऐसे ही पिता हु और वो इसी तरह से मेरे बालो को अपने हाथो से सहलाती है ,और आनंद के दरिया में गोते लगाती है ,वाह कितना प्रेम था दोनों में कैसे दोनों एक दूजे का ख्याल रख रहे थे ,मुझे ग्लानी हुई की मैं इनके बिलकुल ही निजी क्षणों को देख रहा हु,मैंने अपना हेडफोन निकला और डॉ के कानो में कहा ,
"साले यहाँ मुझे दूसरो की चुदाई देखने लाया है कमीने "डॉ के चहरे में मुस्कान आ गयी
"बस तू देखता जा साले जो तू देख रहा है वो पूरा सच नहीं नहीं है "मैंने उसे आश्चर्य से देखा और अंदर देखने लगा वो दोनो अब एक दूजे को बहुत ही प्यार से किस कर रहे थे वो अपनी पत्नी के जिस्म से बड़े ही प्यार से खेल रहा था और उसकी पत्नी भी उसे उतने ही प्यार से सहला रही थी ,मुझे ये देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा था की ये पति पत्नी आपस में कितना प्यार करते है ,मेरे कानो में लड़की के द्वारा कहे गए जान ,जानू ,बेटू ,,सोना जैसे शब्द आ रहे थे ,वो बार बार उसे जान कहकर पुकार रही थी ,मुझे समझ नहीं आया की आखिर डॉ को इसमे क्या अजीब लग गया ,क्या वो उसका पति नहीं है ,हो सकता है शायद ये सब देखने के बाद वो मुझे ये बताएगा की वो उसका पति नहीं था और एक इतनी प्यारी और घरेलु लगाने वाली महिला कैसे अपने पति के अलावा दुसरे से चुदवा रही थी वो भी इतने प्यार से ,,,,साला डॉ मेरे जख्मो को कम करने के बजाय इसपर नमक छिड़क रहा है ,मुझे थोडा गुस्सा तो आया पर डॉ के इतने प्रयास पर मुझे उसपर प्यार भी आया .......चलो अपने दोस्त के लिए साला कुछ तो कर रहा है ,....लेकिन मैं ये नहीं देखना चाहता था और मैंने वहा से जाने की सोची पर जैसे ही मैं अपने हेडफोन निकलने को था मैंने उनके बाथरूम के खुलने की आवाज सुनी ,.............यानि यानि वहा कोई भी है ,मैं थोडा सजग हो गया और अंदर देखने लगा .और जो देखा उससे मेरा खून सूखने लगा ...
बाथरूम से एक सांड सा शख्स बहार निकलता है ,वो बहुत ही लम्बा चौड़ा था और पूरी तरह से नग्न था ,
"कितना समय लगा दिए तुम "लड़की की कोमल आवाज मेरे कानो में गूंज गयी उसका पति उसे देखकर मुस्कुराता है और लड़की को छोड़कर फिर से नीछे बैठ जाता है ,
"बस अपने को साफ़ कर रहा था ,तुमने अभी तक कुछ शुरुवात नही की क्या ,"वो शख्स रोबदार आवाज में उसके पति से कहता है
"अरे आज तो तुम दोनों का दिन है ,तुम ही ऐश करो मेरी तो बीवी है मुझे तो रोज ही करना है ,"उसका पति हस्ते हुए कहा ,मुझे अपने कानो पर विस्वास नहीं हो रहा था की ये क्या हो गया .....नहीं एक पति ऐसे कैसे कह सकता है ,
उस शख्स ने बिस्तर में चड़कर उस कोमल सी फूल को अपने बांहों में ले लिया और उसके नाजुक होठो को अपने होठो में भरकर चूसने लगा ,वो नाजुक सी घरेलु कलि उस सांड की बांहों में ऐसे समागई जैसे वो कभी थी ही नहीं ,उसके मासपेशिया देखकर मुझे किसी पहलवान की याद आ रही थी वो उसे हलके से ही पकडे था ,अगर वो थोड़ी ताकत लगा दे तो शायद वो लड़की वही मर जाय ....उसका पति ये सब आँख फाडे देख रहा था ,वो निचे बैठकर लड़की के जन्घो को फैलता है और उसके योनी से रिसते हुए पानी को चूसने लगता है ,लड़की की सिस्कारिया बढ़ने लगती है और वो उस शख्स को और भी जोरो से पकड़ लेती है और अपने होठो को उसके होठो को हवाले कर देती है ,वो शख्स उसके कमर को उठता है ,जैसे वो लड़की कुछ समझ चुकी थी वो उठकर उसके गोद में अपने कमर को रख देती है और साथ ही उसके ताने हुए विशाल और भयानक दिखने वाले लिंग को अपने गुलाबी और प्यारे से योनी में घुसाने की कोसिस करती है ,अब भी दोनों के होठ मिले हुए थे और इसलिए लिंग शायद उसकी योनी में सही तरह से नहीं जा पा रहा था ,उसका पति ये देखकर हसता है और अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उसके लिंग को अपनी प्यारी सी पत्नी के योनी में रगड़ता है लड़की की योनी रस से भरी हुई थी और इतने लसदार पानी से गीली थी की लिंग को भी भीगा देती है ,वो उसके होठो को छोड़कर एक आह भारती है और अपने पति की आँखों में देखती हुई धीरे धीरे उस विशाल लिंग को अपनी योनी में तब तक अंदर करती है जब तक की वो वहा जाकर गायब नहीं हो जाता ,एक जोरदार आह उसके मुह से निकल कमरे में गूंजने लगती है ,.....वो अपने पति को अपनी और खिचती है और उसके होठो में अपने होठो को मिला देती है दोनों ही बहुत ही उमंग और उत्तेजना से एक दूजे के होठो को चूसने लगते है ,तभी पीछे बैठा हुआ शख्स हलके से उसकी कमर उठता है ,मुझे उस शख्स का लिंग उसकी योनी से बहार आता दिखता है लेकिन थोडा बहार लाकर वो उसकी कमर को छोड़ देता है ,वो अपने भरी निताम्भो से गिरती है और फिर से उसकी योनी उसके लिंग अपने में समां लेती है पर इसबार आया हुआ दर्द या मजा उसकी आँखों में पानी बनकर दिखाई देता है......वो शख्स बार बार ऐसा कर रहा था और हर बार लड़की के मुह से एक भारी सी चीख निकल जाती थी ....आख़िरकार उसने अपने पति को छोड़ा और अपना सर घुमा कर उस शख्स के होठो को चूसने लगी और खुद उसके जन्घो में अपना हाथ रख उसके ऊपर कूदने लगी कभी धीरे धीरे कभी जोर जोर से ,उसका पति लिंग और योनी के जोड़ पर अपनी जीभ टीकाकार उसका पानी चूसने की कोसिस कर रहा था ,लेकिन उसका सर भी उसकी पत्नी के कमर के ऊपर नीचे होने के साथ साथ ऊपर निचे हो रही थी ,उसकी पत्नी जैसे उसे भूल ही चुकी थी और उसके पुरे शारीर पर उस सांड से शख्स का अधिकार हो चूका था ,वो उसके निताम्भो को अपने हाथो से मरता उसके वक्षो को अपने हाथो से दबाता सहलाता ,और उसके होठो को तो छोड़ ही नहीं रहा था ,उसकी आहे उसके होठो में घुल रही थी ,पर मजे की चीत्कार दबकर भी बहार तक आ रही थी ....
इधर मेरे लिंग में हरकत तो होने लगी थी पर साथ ही मैं उस लड़की की जगह काजल को देखने लगा था,मैंने अभी तक उस लड़की में काजल को ही देखा था और उसका नाक नक्श और अदाए भी काजल की तरह ही थी ,और शायद उसकी ये हरकत भी ,......मैं अजीब से कश्मकस में था एक ओर मुझे लग रहा था की मैं यहाँ से भाग जाऊ ,क्योकि मेरे आँखों में ये देखकर आंसू थे ,वही मेरा लिंग पूरी तरह से अकड़ चूका था और मेरा हाथ वहा जाकर उसे मसल रहा था,इशार काम लीला पुरे सबाब में थी इधर मेरी उत्तेजना भी बहुत बड रही थी ,साथ ही मेरा गुस्सा और ग्लानी और ना जाने क्या क्या ..........आखिर उनके इस खेल का अंत दोनों के एक चीख से हुआ लड़की चीख कर उस शख्स के ऊपर निढाल हो गयी ,एक संतुष्टि का भाव उसके चहरे पर था ,मेरी नजर जब निचे गयी तो मैंने देखा की उस शख्स का गढ़ा वीर्य उसकी योनी से रिस रहा है वो अभी भी हलके हलके धक्के लगा रहा था ...और उस लड़की वो बड़े जोरो से पकड़ कर उसे चूमे जा रहा था ,वही उसका पति अब खड़ा हो चूका था और उस लड़की से लिपट कर उसके उजोरो पर अपने मुह को टीकाकार उसे चूसने की कोशिस कर रहा था ,थोड़ीदेर में लड़की ने आँखे खोली अपने पति को देखा और उसके होठो को चुमते हुए उसे थैंक्स कहा ,.....लड़के ने उसे मुस्काते हुए देखा
"जान अभी तो पार्टी शुरू हुई है ,"तीनो हसने लगे और लड़की फिर से अपने पति के होठो को चूसने लगी ,मैंने अपने बाजु में खड़े डॉ को देखा वो वहा नहीं दिखाई दिया मैंने इधर उधर देखा ,वो अँधेरे में खो गया था ,मुझे समझ आ गया की वो मुझे यहाँ छोड़ कर चला गया है ताकि मैं उसके कारन असमंजस की स्थिति महसूस ना करू ,..........मैंने अपने लिंग को छोड़ा अंदर फिर से शायद कुछ होने वाला था पर मैं अब देखने की हालत में नहीं था...मेरे लिंग की उत्तेजना भी अब खत्म हो चुकी थी और एक ग्लानी,शर्म,जलन और क्रोध का मिला जुला भाव मेरे अंदर समां चूका था ................मैंने परदे खिचे और हेडफोन को वही लटकता छोड़ा और वहा से निकलने लगा ...........
अध्याय 14
मैं उन नम्बरो को ढूंढता हुआ उस दरवाजे तक आया और केबिन के अंदर प्रवेश किया ,वहां मौजूद तीनो शख्स मुझे घूरने लगे पर मेरी नजर बस डॉ पर थी वो मुझे घूरे जा रहा था ,उसके चहरे पर कोई भी भाव नही थे ,बस मुझे देख रहा था जैसे मेरे किसी प्रतिक्रिया की कामना कर रहा हो ,,मेरी आँखे जल रही थी शायद वो अभी सुर्ख लाल रंग की होंगी ,मैं कोई भी प्रतिक्रिया किये बिन ही वहां से जाने लगा ,डॉ शायद मुझे कुछ कहने को खड़ा हुआ था पर मैं उसके किसी भी बात का इंतजार किये बिना ही वहां से बड़ी ही तेजी से निकल गया ,मेरे तन मन में एक आग सी लगी थी ,मैं सीधे क्लब के बार में पहुचा और 3 लार्ज पैक विस्की के पी गया,चौथा पैक भी मेरे सामने था की मुझे पीछे से किसी की आवाज सुनाई दी…..
“जो तुमने देखा उसे cuckold कहते है “
ये उस मादरचोद डॉ की ही आवाज थी ,मेरे गुस्से का बांध जैसे टूट गया था,मैंने पीछे पलटकर सीधे डॉ का कालर पकड़ लिया,
“मुझे पता है मादरचोद की उसे क्या कहते है ,और तू चाहता क्या है ,की मैं भी उस नामर्द की तरह ही अपनी बीबी को यहां लेकर चुदवाऊ उस टाइगर से ,”मैन ऐसे तो ये बड़े ही आवेग में आकर कहा था पर मेरे लिंग में ये सोचकर भी एक झुनझुनाहट सी हो गयी की टाइगर काजल को चोद रहा है ……..है भगवान ये मैं क्या होते जा रहा हु…….मुझे फिर से गुस्सा आ गया ,मैं अब भी डॉ का कालर पकड़े हुए था,पर अब मेरी आंखों में गुस्से के साथ साथ आंसू भी थे ,
“जानता है तू क्या चाहता है ,तू चाहता है की काजल तुझे उतना ही प्यार करे जितना वो अभी तुझसे करती है ,तू काजल को छोड़ना नही चाहता ,और उसे इस रूप में अपनाना भी नही चाहता,तू चाहता है की उसे ये ना पता चले की तुझे कुछ पता है ,लेकिन तू उससे वो सब छुड़ाना चाहता है जो वो कर रही है ,,,तू उसे सच बता दे की तुझे सब कुछ पता है ,पर तू डरता है की इससे या तो तेरी इज्जत उसके नजर में कम हो जाएगी या वो पहले की तरह नही रहेगी ,तू मुझे कुछ कहने से पहले मुझे ये बता की तू क्या चाहता है …….और रही टाइगर से डील की बात तो मैंने उसे कहा था की तुझमे सेक्स की इच्छा की कमी है और तेरे इलाज के लिए तुझे के दिखाना है ,क्योकि दवाइयों का असर गलत हो सकता है और दवाइयों की कोई जरूरत तुझे नही है तुझे बस कुछ मोटिवेशन चाहिए…..और इसके बदले में मैं उसे कुछ ऐसी दवाइया लाकर दूंगा जो की इस देश में ग़ैरकानूनी है ,वो मुझे बड़े दिनों से ऐसे दवाईया लेन की जिद कर रहा था पर मैंने उसे मना कर रखा था,तेरे कारण आज मैं अपना जमीर तक बेचने को तैयार हो गया,मुझे लगा की शायद इससे तुझमे कुछ ऐसी भावना जाग जाय की जो काजल कर रही है वो गलत नही है और तू उसका मजा लेने लगे ,जिससे कम से कम कुछ वक्त को ही सही तुझे इस जलन से आजादी मिल जाय ………..पर तुझे ऐसा नही हुआ तो मैं क्या करू …...मैं भी यही चाहता हु की तू अपनी जिंदगी उसी प्यार से और फक्र से जी सके जैसा तू पहले जीता था,पर यार क्या अब ये संभव है तू ही बता की मैं क्या करू ….मैं बस इतना चाहता था की तुझे कुछ आराम मिले लेकिन तूने तो मुझे ही गलत बना दिया …..अब तू ही बता की आगे क्या करना है …”डॉ ने बार टेंडर से एक पैक मांग और एक ही घुट में उसे पी गया .मैं और वो दोनो ही खामोश थे क्योकि किसी को नही पता था की क्या करना है ……….मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा
“सॉरी यार पर तू तो मेरी कन्डीशन समझ रहा है ना ,परेशान हु यार और तू ही मेरी आखरी उम्मीद है ,काश मैं भी उस पति की तरह अपनी काजल को किसी और के साथ देखकर खुश हो जाता तो मुझे ये जलन नही सहना पड़ता ,या काश मैं काजल से प्यार ही ना करता और उसके खुशियो की मुझे कोई परवाह नही होती...उसके चहरे पर मैं दुख भी नही देख सकता और ना ही उसकी इसतरह आयी हुई हसी को ही बर्दास्त कर सकता हु “
“जानता है तू क्या चाहता है ,तू चाहता है की काजल तुझे उतना ही प्यार करे जितना वो अभी तुझसे करती है ,तू काजल को छोड़ना नही चाहता ,और उसे इस रूप में अपनाना भी नही चाहता,तू चाहता है की उसे ये ना पता चले की तुझे कुछ पता है ,लेकिन तू उससे वो सब छुड़ाना चाहता है जो वो कर रही है ,,,तू उसे सच बता दे की तुझे सब कुछ पता है ,पर तू डरता है की इससे या तो तेरी इज्जत उसके नजर में कम हो जाएगी या वो पहले की तरह नही रहेगी ,तू मुझे कुछ कहने से पहले मुझे ये बता की तू क्या चाहता है …….और रही टाइगर से डील की बात तो मैंने उसे कहा था की तुझमे सेक्स की इच्छा की कमी है और तेरे इलाज के लिए तुझे के दिखाना है ,क्योकि दवाइयों का असर गलत हो सकता है और दवाइयों की कोई जरूरत तुझे नही है तुझे बस कुछ मोटिवेशन चाहिए…..और इसके बदले में मैं उसे कुछ ऐसी दवाइया लाकर दूंगा जो की इस देश में ग़ैरकानूनी है ,वो मुझे बड़े दिनों से ऐसे दवाईया लेन की जिद कर रहा था पर मैंने उसे मना कर रखा था,तेरे कारण आज मैं अपना जमीर तक बेचने को तैयार हो गया,मुझे लगा की शायद इससे तुझमे कुछ ऐसी भावना जाग जाय की जो काजल कर रही है वो गलत नही है और तू उसका मजा लेने लगे ,जिससे कम से कम कुछ वक्त को ही सही तुझे इस जलन से आजादी मिल जाय ………..पर तुझे ऐसा नही हुआ तो मैं क्या करू …...मैं भी यही चाहता हु की तू अपनी जिंदगी उसी प्यार से और फक्र से जी सके जैसा तू पहले जीता था,पर यार क्या अब ये संभव है तू ही बता की मैं क्या करू ….मैं बस इतना चाहता था की तुझे कुछ आराम मिले लेकिन तूने तो मुझे ही गलत बना दिया …..अब तू ही बता की आगे क्या करना है …”डॉ ने बार टेंडर से एक पैक मांग और एक ही घुट में उसे पी गया .मैं और वो दोनो ही खामोश थे क्योकि किसी को नही पता था की क्या करना है ……….मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा
“सॉरी यार पर तू तो मेरी कन्डीशन समझ रहा है ना ,परेशान हु यार और तू ही मेरी आखरी उम्मीद है ,काश मैं भी उस पति की तरह अपनी काजल को किसी और के साथ देखकर खुश हो जाता तो मुझे ये जलन नही सहना पड़ता ,या काश मैं काजल से प्यार ही ना करता और उसके खुशियो की मुझे कोई परवाह नही होती...उसके चहरे पर मैं दुख भी नही देख सकता और ना ही उसकी इसतरह आयी हुई हसी को ही बर्दास्त कर सकता हु “
मैन फिर से अपना पैक एक ही घुट में खत्म कर दिया ,,मेरी आंखे अब थोड़ी भारी होने लगी थी ,शायद आज मुझे अच्छी नींद आने वाली थी…..
“कुछ तो करना पड़ेगा मेरे दोस्त पर क्या नही पता,और जब तक ये क्या नही पता चल जाता तक तुझे तो जलना ही है ………..या उस पति की तरह मजे ले ...हाहाहाहा “डॉ की हसी मेरे कानो में गुंजी पर इस बार मुझे उसपर कोई भी गुस्सा नही आया मैंने फिर एक पैक अंदर किया और बड़े ही प्यार से उसे कहा
“साले मादरचोद “.............
अध्याय 15
जब मेरी नींद खुली तो मैं एक बड़े से बेड में सोया हुआ था,पता नही साला किसका घर था,डॉ का हो सकता है ,पर इतना शानदार घर ,मैं उठकर बाहर गया देखा तो घर नही बड़ा सा बंगला जैसी जगह थी,एक नोकर ने मुझे देखा और तुरंत मेरे लिए एक चाय ले आया …
“ये किसका घर है और मैं यहां कैसे आया “
“सर ये टाइगर साहब का घर है और आपको डॉ साहब यहां छोड़ के गए रात में कहा था की आप जब जागे तो उनसे मिल लीजियेगा “
मैंने डॉ को फोन लगाया उसने कहा की यार मेरा घर दूर था तो तुझे यहां ले के आ गया तू आजा मेरे पास पर मुझे आफिस में भी काम था मैं घर जाने की बोल वहां से निकल गया,
वहां से मैं सीधे ही ऑफिस गया और तभी मेरा फोन बजता है ,स्क्रीन को देखकर मेरे दिल की धड़कने रुक सी गयी नाम था ,जान और काजल की तस्वीर वहां पर दिखाई दे रही थी ,मैंने काँपते हुए हाथो से फोन रिसीव किया,
“हैल्लो जान कहा हो आप “
“मैं आफिस में हु और तुम कैसी हो ,”मेरी आवज की थकान को जैसे वो पहचान गयी थी ,
“क्या हुआ आपको मैं कल से आपको काल कर रही हु पर आप जवाब ही नही दे रहे हो ,मैंने प्यारे काका को भी काल किया तो पता लगा की आप बिना कुछ बताये ही कही गए हो ,जानते हो कल से कितनी परेशान हु ,अब जल्दी से घर आ जाओ मैं घर आ गयी हु ,”
काजल घर आ गयी है ,क्या वो घर में अकेले है ,मेरे दिमाग में एक ही बात गूंज गयी ,
“हा जान आ रहा हु “
मैंने तुरंत रघु को काल किया वो वो गाड़ी लेकर आफिस आ जाए मैं जल्द ही अपने घर पहुचा वहां देखा तो 2 बड़ी suv खड़ी थी मैंने उन्हें पहचान लिया ये मेरे ससुराल की गाड़िया थी,घर के बाहर के गार्डन में कुछ गार्ड खड़े थे वो भी मेरे ससुराल के थे ,सबने मेरा अभिवंदन किया ,मैं जब अंदर गया तो वहां काजल के बड़े भैया और भाभी जी भी थी मुझे समझ आ गया की ये काजल को छोड़ने को ही यहां आये है मैंने सबका अभिनदंन किया काजल मुझसे तब तक बात भी नही कर रही थी ,वो बड़े ही सलीके से वहां खड़ी थी पास ही प्यारे खड़ा था जिसे मैंने गुस्से से देखा वो बेचारा किचन में चला गया,कुछ देर में काजल मेरे लिए चाय ले आयी और मुझे देखकर एक मुस्कान बिखरा गयी ,वो शरारत भरी मुस्कान मासूम सी मेरी प्यारी काजल ,वाह जैसे कुछ हुआ ही ना हो मैं अपने सभी गम भूलकर बस उसे देखने लगा की काजल की भाभी जी ने हल्के से खासते हुए हमे फिर से होश में लाया ,काजल तो शर्म से पानी पानी हो गयी और फिर किचन के दरवाजे के पास चली गयी वही भाभी और भैया दोनो ही हसने लगे …
“क्यो दमांद जी कहा चले गए थे आप,काल रात से काजल का रो रो कर बुरा हाल है ,आप फोन उठा नही रहे थे और घर में भी नही थे रातो रात हमे यहां आना पड़ा “मैंने काजल की तरफ निगाह घुमाई उसके मासूम से चहरे को देखा उसकी आंखे सचमे थोड़ी सूजी हुई थी मानो रात भर वो रोइ हो ,वो अपना सर झुककर खड़ी थी ,पता नही क्यो कहना तो वो बहुत कुछ चाहती थी पर जैसे अपने भैया भाभी की उपस्थिति में कुछ नही कह पा रही थी ,मैं कुछ बोलने ही वाला था की भैया बोल पड़े
“देखो आकाश हमारी एक ही बहन है और हमने इसे बड़े ही प्यार से पाला है ,इसको की बात का दुख ना हो जाय ,ये तुमसे बहुत प्यार करती है और कल से ये तुम्हारे लिए ही परेशान है ,इसमें हम सबकी जान बसती है ,तुमसे हाथ जोड़कर विनती है इसका खयाल रखना “भैया ने अपने हाथ मेरे सामने जोड़ लिए ,मैंने तुरंत ही उनका हाथ पकड़ लिया,उनकी आंखे कुछ नम थी ,
“भैया ये आप क्या कह रहे है ,मुझसे सचमे कल गलती हो गयी असल में मैं कल अपने एक दोस्त के पास चला गया था और रात भर उसके ही साथ था,मैं काजल का काल देख ही नही पाया था,मुझे माफ कर दीजिये और आप यू हाथ जोड़कर मुझे शर्मिंदा मत करे आप तो बड़े है आपका तो हक है की आप हमे डांटे …”अब भैया के चहरे में कुछ मुस्कान आ गयी थी ,पर वो मुस्कान अब भी फीकी ही थी ,
“आप लोग बातें करे मैं और काजल मिलकर खाना बनाते है,”भाभी जी इतना कहकर वहां से चले गयी और भैया ने मुझे बाहर आने को कहा
हम दोनो गार्डन में बैठे थे
“देखो आकाश काजल अभी भी बच्ची है ,और अगर उससे कोई गलती हो जाए तो हमे बताना हम उसे समझायेंगे लेकिन इस तरह रुठ जाना सही नही है ना “भैया की बात से मेरी भवे चढ़ गयी
“मैं काजल से नाराज नही हु भैया “
“ह्म्म्म देखो काजल ने अपनी भाभी को बताया था की तुम कुछ दिनों से थोड़े खोये खोये रहते हो और काजल के जाने के बाद से तुमने उससे फोन पर भी बात नही की ,और ये कल का किस्सा तुम एक क्लब में जाकर दारू पी रहे थे ,ये सब क्या है ..”मैंने उन्हें आश्चर्य से देखा
“हा कल मेरा एक दोस्त वही था जहा बैठकर तुम दारू पी रहे थे ,और साथ में वो तुम्हारा दोस्त भी था ,उसने मुझे ये बताया तो मुझे समझ आ गया की काजल और तुम्हारे बीच कुछ ठीक नही है ,क्योकि जहा तक मैं तुम्हे जनता हु तुम तो शराब को हाथ भी नही लगाते क्यो सही हैहै ना “
मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या कहु
“भैया वो दोस्त ने मुझे जबरदस्ती पिला दी थी “
“उसने ये भी बताया की तुम दोनो में कुछ झगड़ा हो रहा था,और तुम पहले से वहां बैठे थे ,मैंने ये बात काजल को नही बताई पर तुम मुझे सच सच बताओ सब ठीक तो है ना “
“हा भैया सब ठीक है ,डरने वाली कोई भी बात नही है और रही काजल की बात तो मैं उसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हु ,मैं कभी उसे दुखी नही करूँगा,और रही काल की बात तो वो कुछ अलग मेटर है ,मेरे और मेरे दोस्त के बीच की आप को चिंता की जरूरत नही है वो कल ही हमने सॉल्व कर लिया था,”
“तुम्हे अगर कभी भी हमारी जरूरत पड़े तो बिना झिझक कहना यहां हमारी बहुत पहचान है और तुम अब हमारे परिवार हो ठीक है ,किसी नेता या अधिकारी कोई दिक्कत देता है तो उसे हम सम्हाल लेंगे “भैया को मैंने बड़े प्यार से देखा
“नही भैया सब कुछ ठीक है यहां काम संबंधित कोई भी परेशानी मुझे नही है ,आप चिंता ना करे “
भैया अब थोड़े से निश्चिंत दिख रहे थे ,हम बैठे युही इधर उधर की बाते करने लगे ………..
अध्याय 16
भैया भाभी के जाने के बाद काजल और मैं एक अजीब सी और अनकही सी खामोशी का जन्म हो गया,मैं कुछ बोल नही पा रहा था और काजल अपनी नम आंखों से मुझे देखे जा रही थी….उसका भोलापन साला दिल को चीरने वाला होता है..वो कभी भी मेरे सामने किसी को भी तजव्वो नही देती,यही मुझे उसे प्यार करने पर मजबूर कर देता है.प्यारे की आंखों में एक चमक मैंने देखी थी,जो काजल के आने पर थी ,पर काजल अभी भी उसे कोई भी भाव नही दे रही थी,वो उससे बात करने की कोशिस करता पर वो मेरे बारे में ही पूछे जा रही थी...उसने काजल को सब बाता दिया की कैसे मैं आजकल ज्यादा गुस्सैल हो गया हु ,कैसे मैं उसे बिना बात भी चिल्ला देता हु…
प्यारे मेरी शिकायत कर रहा था पर काजल के लिए ये एक गंभीर बात थी वो मेरी चिंता में थी की आखिर इसे हुआ क्या है……..
मिया बीबी के बीच खामोशी रहे भी तो कब तक,जबकि वो एक दूजे को प्यार करते हो ,ये खामोशी हम दोनो के लिए ही जानलेवा थी...खाना हैम खा चुके थे,प्यारे सभी काम कर जा चुका था,काजल बिना बोले मेरे पास आकर खड़ी हो गयी ,हमारी नजर मिली उसके आंखों का आंसू मेरे दिल को पिघलने के लिए काफी था..
वो कैसे दिख रही थी?????
भीगी हुई आंखों के साथ मासूम काजल अग्रवाल को देख लो..चहरे से मासूमियत टपकती हुई सी,वो मुह खोले तो कोयल बोले,वो हँसे तो मोती शरमाये,प्यारे से चहरे पर मायूसी भी बड़ी प्यारी लग रही थी…
मुझसे रहा नही गया और मैं हाथ फैला कर उसे अपने पास आने को कहा,वो जोरो से रोती हुई मेरे सीने से लिपट गयी….
इतनी शांति….इतना प्यार …...इतनी कोमलता…..waaaahhhhhhh
वो मुझे प्यार से मारने लगी,
“क्या हो गया था आपको,क्यो कर रहे थो इतना गुस्सा…और जब से आयी हु प्यार से बात भी नही की,और ना ही काल न msg क्या हो गया…..”
अब इस पगली को क्या बताता की क्या हो गया है,जिसके कारण इतना तकलीफ में हु वही पूछ रही है की क्या हुआ…
लेकिन पूरा नही आधा सच तो बोल गया…
“तुम नही थी ना मेरे पास इसलिए...बेचैन हो गया था ,कही मन नही लग रहा था”
काजल ने मेरे आंखों में देखा,साला प्यार तो सच्चा था मेरा जो मेरी आंखों से भी उसे दिखता था...उसके आंखों में रुके आंसू फिर से हल्के हल्के से बहने लगे..वो मुझे बस थोड़ी देर देखती रही और मेरे ऊपर कूद पड़ी...मेरे गालो को होठो को ऐसे चूमना शुरू कर दिया जैसे मानो जन्मो की प्यासी है,
“अब कही नही जाऊंगी मेरी जान आपको छोड़कर “
उसके बच्चों वाली हरकत से मुझे हसी आ गयी,वो मेरे कंधे पर सर रखकर बैठ गयी...मैंने भी उसे अपनी बांहो में समा लिया…
मैं पुरानी बाते बस एक ही पल में भूल गया,मुझे पता था तो बस काजल का प्यार…
मैं उसके बालो को सहलाता हुआ वहां बैठा था की एक हल्की सी आहट ने मेरा ध्यान खिंचा…
msg का छोटा सा रिंगटोन..काजल का मोबाइल मेरे बाजू में ही पड़ा था,काजल ने उसे उठाया देखा और बिना किसी भी एक्सप्रेशन के ही उसे फिर से अपने बाजू में फेक दिया...वो पहले के ही तरह अपनी आंखे बंद कर मेरे बाजुओ में खुद को छोड़ गयी,
पर मैं अब वो नही था जो कुछ ही पलो पहले था मेरा ध्यान उस मोबाइल की तरफ गया...वो फिर कुछ जला इसबार टोन नही बजा शायद काजल ने उसे साइलेंट में डाल दिया था,वो बस जलता और बज जाता,मुझे आभस हो गया की लगभग 5 msg आ चुके थे...पर काजल का ध्यान वहां नही था..
थोड़ी देर में काजल और मुझे प्यार दे देखने लगी,उसकी आंखे कह रही थी की वो क्या चाहती है,प्यार ..?????
या सेक्स..?????
जो भी हो बस मुझे ये समझ आ चुका था की उसकी वो नशीली आंखे अब मुझे अपनी ओर खिंच रही है,उसके देह से उठाने वाली महक बता रही थी की वो मुझे आकर्षित कर रही है...वो मेरे गालो को प्यार से सहलाई फिर मेरे होठो के पास अपने होठ लाकर रुक गयी,शायद उसे मेरे एक्शन का इंतजार था...पर मैं बस मुस्कुरा दिया…
“क्या हुआ आप ……..”काजल बस इतना कह मुझसे दूर हो रही थी पर मैंने उसकी कमर को जकड़ लिया और अपनी ओर खिंचा…
“आउच “वो शरारती नजरो से मुझे देखने लगी,दोनो के ही होठो पर एक मुस्कान थी जैसे की हम दोनो ही जानते थे की आगे क्या होने वाला है...बड़े धीरे से उसके होठो तक अपने होठ लाये और उसके होठो को अपने दांतो में जकड़ कर खिंच दिया…
“आआआआआआहहहहहहहह “मुझे मजा आने लगा,काजल ने शिकायत भरे लहजे से मुझे देखा
मैं उसके नितंबो के नीचे अपना हाथ डालकर उसे उठा लिया और बेडरूम की तरफ जाने लगा ,वो मेरे होठो अपने होठो से भरकर चूसने लगी...दोनो ही अब डूबना चाहते थे कोई भी सब्र अब नही था,....हम दोनो साथ ही पलंग पर लुडकगये
किस ने उत्तेजना को बढ़ाया और मैं उसके बड़े बड़े स्तनों को दबाने लगा,उसकी आहो की मधुरता ने हमारे जिस्म की आग को भड़का दिया था,मैं अपने कपड़े उतारने लगा पर वो मेरा हाथ खिंच कर अपने स्तनों पर ले आयी और खुद मेरे कपड़े खोलने लगी,उसकी बेताबी देखकर मुझे हसी आ गयी और वो मुझे देखकर शर्मा गयी...पर उसने मेरे कपड़े नही छोड़े और मेरे जीन्स के ऊपर से दिखते मेरे कसे हुए लिंग को अपने हाथो से दबा दिया…..
“ooooohhhh आआआआहहहह “अब मेरी बड़ी थी सिसकी लेने की ,उसने जल्दी ही मुझे नंगा कर दिया था मेरे लिंग को अपने हाथो से छोड़ ही नही रही थी उसकी बेताबी ने मेरा हाल बुरा कर दिया था,वो अपने होठो को खोलकर मेरे लिंग को अपने होठो से रगड़ने लगी…...हे भगवान ये क्या कर रही है,,,...मेरी हालात इतनी खराब थी की मैं अब ही निकल जाऊ पर वो तो पागलो की तरह उसे चूमे जा रही थी...उसने मेरे सुपडे की चमड़ी को पीछे खिंचा और उसे अपने मुह में लेकर चूसने लगी,
“मादरचोद….”मेरे मुह से अनायास ही निकल गया ,इतना मजा तो मैंने फील ही नही किया था,मैं लगभग छटपटा रहा था और वो मुझे देखकर एक स्माइल देती है,मैंने प्यार से उसे देखा उसका सर सहलाया और उसने फिर से मेरे लिंग को चुसान शुरू कर दिया...ये असहनीय था,मेरे सब्र की इन्तहां हो चुकी थी और में इतने दिनों से भरा हुआ सीधे अपनी धार उसके मुह में छोड़ता गया,मैं हफ्ता हुआ उसके सर को नीचे कर उसे देखा एक बून्द भी उसके मुह के बाहर नही था,यानी सब उसने पी लिया था...क्या हो गयी है मेरी काजल मुझे होश आया पर उसके चहरे पर आयी एक चमक………..
वो मुझे नीचे खीचने लगी और मेरे होठो से अपने होठो को मिला दिया मैं अपने ही वीर्य के बदबू या खुसबू जो भी कह लो को महसूस कर पा रहा था,साथ ही उसके स्वाद को भी जो उसके होठो पर अब भी लगा था………
थोड़ी ही देर में मेरे लिंग ने फिर से एक फुंकार मेरी इसबार मैं बिल्कुल भी बेताब नही था पर काजल थी...उसकी बेताबी मुझसे छिपी नही थी ...मै उसे चिढ़ाने के लिए वहां से उठाने लगा वो मुझे खिंच कर अपने ऊपर ले आयी और अपनी साड़ी को घुटनो के ऊपर तक ले आयी मैं उसे खोलने की कोशिस कर रहा था पर काजल मुझसे खिंच कर अपने ऊपर ले आयी
“अभी मत खोलो न अभी जल्दी करो “
वो अपनी पेंटी भी नही उतारना चाहती थी उसने उसे साइड कर दिया और मेरे लिंग को अपनी गुफा के पास लाकर टिका दिया…
वो जैसे आग की भठ्ठी हो ,इतनी गर्म लेकिन इतनी गीली थी की मुझे आभस हो चुका था की काजल की हालात क्या है ,मेरा लिंग बिना किसी भी ज्यादा मेहनत के ही उसके अंदर जाने लगा,गुफा की गर्मी ने मेरे लिंग को और भी कड़ा कर दिया था,मैं स्पीड पकड़ कर उसे किसी पिस्टन से पिसे जा रहा था….
“आह जान आ आ आ आ जान ओ ओ हो “
सिसकिया,और कामरस की थपथप,चूड़ियों की एक ही लय में खनकार,उनके माथे का मोटा सिंदूर अब उसके पसीने से फैल गया था ,माथे की बिंदिया कुछ टेढ़ी सी हो चली थी ,ब्लाउज़ को अब भी उतारा नही गया था जिससे उसके ऊपर गहरे सिलवट पड़ रहे थे…...मैं एक बार झड़ चुका था मैं एक खिलाड़ी सा खेल रहा था पर काजल को तो प्यास बुझाने की ऐसे बेताबी थी की वो जोरो जोरो से चीखने लगी थी...उत्तेजना उसके शिखर पर पहुची और वो अपने चिरपरिचित अंदाज में मेरे पीठ पर अपने नाखुनो से गहरे घाव करते हुए झाड़ गयी……
ऐसी बरसात उसके योनि से हुई की जैसे सदियों से पानी भरा हो और आज बांध टूट गया….मैं अब भी अपना पिस्टन जारी रखे था,कुछ देर में वो भी थोड़ी सी एक्टिव हुई और दोनो ही साथ झाड़कर एक दूसरे से लिपट गए…….
इतने दिनों के बाद ऐसा सकून मिल रहा था...शायद दोनो ही ऐसे तड़फ रहे थे….दोनो ही इस घमासान प्यार की लड़ाई से थककर चूर हो चुके थे ….हम दोनो एक दूजे से लिपटे हुए थके से बस सो गए…...मीठी नींद थी आज.. मेरी काजल मेरे बांहो में थी ………..
जब मेरी नींद खुली तब भी काजल मेरी बांहो में थी मैं तो खुस था बहुत खुस था,मैं उसे हल्के से अपने से अलग किया और बाहर आया देखा तो काजल का मोब अभी भी वैसे ही पड़ा था,मुझे बहुत ही खुशी हुई और मैं जल्दी से उसे उठा लिया,देखा तो कुछ msg आये थे .मैंने उसे खोला तो ये प्यारे के msg थे…
“बहुरानी आज आओ ने मेरे पास चाय पीने”
“बाहुरानी जवाब क्यो नही दे रही हो<”
“क्या हुआ गुस्सा हो क्या”
“क्या हुआ”
“अगर मुझसे कुछ गलती हुई है तो मुझे माफ़ कर दो”
इतने msg तो काजल ने पड़ लिए थे ,पर कोई भी रिप्लाई नही था,लेकिन एक और नंबर से कुछ msg आये थे नाम था रॉकी…
अब ये साला कौन है,अगर मैं उसे खोलता तो काजल को पता चल जाता इसलिए मैंने उसे नही छेड़ा बस जो आखिरी msg था वो दिखा रहा था,कॉल मी टुमारो….
चलो एक बार काजल के पड़ने के बाद मैं पड़ लूंगा…..
मैं जाकर फिर से सो गया…..
सुबह वही पुराना काम धाम...आज फिर मैंने अपने लेपटॉप को ऑन कर छोड़ दिया और वीडियो रेकॉर्डर ऑन कर दिया…
आफिस में जाकर थोड़ा सा मन भागता रहा पर क्या कर सकता है….तभी काजल के भैया का काल आ गया…
“हैल्लो आकाश कैसे हो “
“अच्छा हु भैया आप बताइये”
“अरे यार तुमसे एक बात करनी थी जल्दीबाजी में भूल ही गया था…”
“हा बोलिये ना”
“असल में बात ऐसी है की काजल सोच रही थी की वो शहर में अपना काम शुरू कर दे,तुम्हारे क्वाटर से लगभग 25 किलो मीटर की दूरी होगी वो रोज कार से आ जा सकती है,और वो वहां घर में अकेले भी बोर हो जाती होगी,तो मैं भी उसे हामी भर दिया है...मैं वहां एक पुराना होटल पसंद किया है अभी तो वो घाटे में है,पर काजल का मानना है की वो उसे फिर से फायदे में ला सकती है...तो अगर हम उस होटल को खरीद कर उसे चलाये तो कैसा रहेगा...और ऐसे भी काजल की होटल मैनेजमेंट की डिग्री कब काम आएगी…”
मैं तो सोच में ही पड़ गया,कभी सोचा भी नही था की कोई होटल खोलूंगा,साला मैं ठहरा मिडिल क्लास और सर्विस क्लास का आदमी मेरे पास इतने पैसे भी कहा की मैं ये सब सोच सकू…
“भैया पर होटल खरीदना मतलब…….यानी की इतना पैसा मेरे पास…”
“अरे यार तुम भी ना….पैसा मैं लगाऊंगा काजल को बस वहां का काम देखना है…”
“हा भैया वो तो ठीक है पर शहर यहां से दूर है और काजल कार से …”
“हा तुम फिकर मत करो एक कार खरीद लेंगे और तुम्हारे ही इलाके में हमारा एक पुराना बाँदा रहता है ,काजल को कहा था की उससे मिल कर सब सेट कर ले,शायद वो आज उससे मिलने जाय हो सके तो तुम भी साथ चल देना,एक बार होटल को देख भी लो ,उस बंदे का नाम है रॉकी वो भी वही अपने मा बाप के साथ रहता है और शहर में एक जिम चलाता है,उसके चाचा हमारे खास दोस्त है तो अगर वो भी हमारे साथ आ जाए तो काजल को भी सहूलियत हो जाएगी ठीक है ना…..बाकी तुम्हारे ऊपर है की क्या करना है…कम से कम जाकर एक बार मिल तो लो….”
“हूमममममम ठीक है भैया…”
मैंने फोन रखा ही था की काजल का भी काल आ गया..
“सुनिए ना आज थोड़ा जल्दी आ सकते है क्या “
“क्यो”
“अरे भैया आपको फोन नही किये थे क्या...होटल के बारे में”
“हा किये थे पर तुम नही बता सकती थी “
मैंने झूठे गुस्से में कहा,लेकिन वहां से एक हल्की हसी आयी
“आप ने बताने कहा दिया” अब वो मुस्कान मेरे भी होठो पर थी
“आज जल्दी आ जाइये वो भैया किसी को हमसे मिलने को भेज रहे है हो सके तो आज होटल भी देखने चले जाएंगे”
“ओक्के जान “
“ऊऊऊमम्ममआआआ “
“लव u बेबी ऊऊऊमम्ममआआआ”
मैं जल्दी इस घर पहुचा पहले तो अपना वीडियो बंद करके उसे अपने मोबाइल में रख लिया फिर काजल के रॉकी को काल करके जल्दी आने को कहा आखिर थोड़ी ही देरमें रॉकी वहां आ गया……….
दिखने में 6 फुट लंबा और मसलमेंन रॉकी किसी हीरो से काम नही लग रहा था ,मुझे तो यकीन नही आ रहा था की ये हमारे इलाके का लड़का है,किसी मॉडल की तरह उसकी पर्सनाल्टी देख कर मैं थोड़ा सा घबरा भी गया क्योकि काजल उसके साथ काम करने वाली थी...वो बड़े ही नम्रता के साथ हम दोनो से मिला,
“तो काजल मेडम कब जाना है होटल देखने “
काजल उसकी बातो से हस पड़ी
“अरे तुम मुझे मेडम क्यो बोल रहे हो,तुम तो उम्र में भी मुझसे बड़े हो,जस्ट काल मि काजल ओके “
रॉकी के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी
“ओके “
मैं थोड़ा से नर्वस था,पर क्या करता जैसे तैसे अपने अंदर के उस भाव को छुपा रहा था,
“हमे आज ही चलना चाहिये वहां,क्या ही फिर मुझे भी टाइम नही मिल पायेगा “
दोनो ने मुझे देखा और अपनी हामी भरी
“ओक्के सर “
:”अब यार मुझे भी तुम आकाश ही कहो “
“नही सर आप तो मुझसे बड़े भी है ,आपका नाम लेना ठीक नही लगेगा मैं आपको सर ही कहूंगा “
रॉकी के यू मुझे तजब्बो देने से मेरे अंदर की इन्फिरियरटी थोड़ी काम हुई…
हम शहर पहुचे,होटल सच में बहुत ही बड़ा था पर शायद कई दिनों से बन्द पड़ा था.
“अच्छा तो इसे बन्द करने की क्या जरूरत पड़ गयी,”
एक स्वाभाविक से प्रश्न मेरे मन में आ गया
“वो हुआ यू की मालिक ने इसपर खर्च तो बहुत किया पर ये छोटा सा शहर है और यहां लोग सुविधाओ से ज्यादा पैसे की किफायत देखते है ,ऐसे भी यहां मार्किट इतने बड़े होटल के लिए नही है”
रॉकी ने अपनी बात रखी ,लेकिन काजल शायद इस बात से सहमत नही थी
“नही असल में ऐसे जगहों पर होटल की डिमांड ही नही होती ,हमे इसे नए तरीके से चलना पड़ेगा,और इसपर ज्यादा खर्च नही करना है ,हमे यहां ऐसा हेल्थ सेंटर खोलना चाहिए जिसमे सभी लोग आ सके मतलब जो यहां के लोकलर है,वैसे ही यहां का खाना ऐसा हो और बजट में हो ,बार की सुविधा हो और बजट में हो तो लोग यहां रुकने के लिए शायद नही आएंगे पर ये उनके लिए अच्छा स्टैंडर का और किफायती साबित होगा….
धीरे धीरे लोगों को अगर अच्छे चीज की आदत लग गयी तो हम अपना दाम भी बढ़ा सकते है….”
काजल बिल्कुल ही उस जगह पर रम गयी थी और अच्छे से एक एक चीजो को देख रही थी मुझे तो ऐसे भी बिजनेस की कुछ भी समझ नही थी तो मै वहां से अलग ही रहने की सोची ,रॉकी और काजल दोनो ही एक दूसरे में मस्त थे और एक दूसरे को बहुत कुछ समझा रहे थे...मैं उन्हें देखे जा रहा था ,शायद ये पहली बार था जब मेरे रहते भी काजल मुझसे ज्यादा किसी और को तजब्बो दे रही थी पर ये बिज़नेस की बात थी और मैं था इसमें कच्चा तो मुझे सब ठीक ही लगा…….
अध्याय 18
मैं वापस आकर बीडीओ को देखने लगा ,कुछ खास था ही नही काजल की वही बात पर वो आज दिन भर से कमरे में ही थी ,यानी वो प्यारे के पास नही गयी ये बात दिल को बहुत ही सुकून देने वाली थी….काजल आकर मुझसे लिपट गयी,
“जान तुम्हे वो साइट कैसी लगी”
“अरे जान मुझे तो इसके बारे में कुछ भी नही पता मैं क्या बताऊ “
काजल के आंखों में शरारत थी मुझे पता था की क्या होने वाला था,वो मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगी,
“अच्छा सुनो ना मेरा काम करना आपको पसंद है ना ,आप बोलोगे तो मैं इस प्रोजेक्ट को बन्द करवा दूंगी “
वो सच में बहुत ही सीरियस थी
“पागल हो गयी हो क्या,तुम यहां बैठे बैठे ऐसे भी बोर हो जाती होगी वहां तुम्हारा टाइम पास भी हो जाएगा ,और ऐसे भी रॉकी भी तो तुम्हारे साथ बहुत ही हेंडसम है साला ,देखो कही उससे प्यार ना हो जाय तुम्हे “
मैं तो मजाक में कहकर हसने लगा लेकिन जब मेरी नजर काजल पर पड़ी तो मेरा दिल घबरा गया उसकी आंखे लाल थी जैसे वो मुझे गुस्से से घुरि जा रही हो,
“क्या हुआ जान “
“आप ऐसे सोच भी कैसे सकते है की मैं आपके सिवा किसी से भी प्यार करूँगी ,मेरे ऊपर आपका बिल्कुल भी भरोसा नही है क्या…”वो रोने लगी मैंने तो बस मजाक किया था और वो लड़की ऐसे बोल रही थी जो कभी मेरे ही नॉकर से साथ …..
“अरे नही जान मैं तो बस मजाक कर रहा था तुम तो “मै काजल के होठो को चुमने लग उसके गालो से गिरने वाले एक एक बून्द आंसुओ को पीने लगा…
“सॉरी मेरी जान “मैंने काजल के होठो में अपने होठो को भरकर एक जोरदार किस किया और तबतक किया जबतक की उसका रोना बंद नही हो गया वो भी मेरे बालो पर अपना हाथ रखकर उसे सहलाने लगी…..
थोड़ी देर में जब हम दोनो अलग हुए
“जान एक बात पुछु इसबार बुरा मत मानना “
“हा बोलो पर याद रखना प्यार तो आपसे ही किया है और हमेशा आपसे ही करूँगी “
“अच्छा लेकिन अगर मानो वो पसंद आ गया तो “
“पसंद तो वो मुझे अब भी है ,पसंद और प्यार में बहुत फर्क होता है समझे “
काजल ने मेरे नाक को पकड़कर हिला दिया ,पर मैं थोड़ा गंभीर था
“और सोचो अगर तुम्हारे बीच कुछ हो गया तो “
काजल ने मुझे घूर कर देखा ,
“जान मैं आपकी बीबी हु,और मैं सिर्फ और सिर्फ आपसे ही प्यार करती हु,और रही कुछ होने की बात तो मैं भी एक इंसान हु हो सकता है की मुझसे कुछ गलती कभी हो भी जाय तो भी मैं आपसे ही प्यार करूँगी कभी भी आप ये मत सोचना की मैं आपसे प्यार नही करती ……………..मैं आपकी हु जान सिर्फ आपकी हो सकता ही कोई मेरा जिस्म ले ले पर मेरा मन हमेशा आपका ही रहेगा और वो आपसे कोई भी नही छीन सकता ……….”काजल मुझसे ऐसे लिपट गयी जैसे किसी पेड़ से कोई लता लिपटी हो...वो मेरे सीने से अपने सर को रगड़ने लगी…
मेरा मन उसकी बातो से बहुत हल्का हो चुका था पर एक सवाल मेरे दिल में था..काजल की बात का मतलब क्या हुआ,क्या वो अब भी किसी के साथ ...मतलब की वो मुझसे दिल से प्यार करती है पर वो सो किसी के भी साथ सकती है ……
मेरा दिमाग फिर से काम करना बन्द कर रहा था मैंने सोचा की छोड़ो यार पहले तो खुद अपनी जान का मजा लिया जाय बाद में जो लेता है लेने दो ऐसे भी अगर उसे कुछ परेशानी नही है तो मैं उसे क्यो रोकू ऐसे भी प्यार तो वो हमेशा मुझसे ही करती है
अध्याय 19
दिन बीते पर प्यारे और काजल के बारे में कोई भी सुराग हाथ नही आया,प्यारे के चहरे पर ऐसे तो कोई दुख का भाव नही दिख रहा था वो भी मेरे सामने अच्छे से ही व्यवहार करता था,और काजल भी सुबह से शाम तक काम मे ही व्यस्त रहती थी।
सुबह मेरे जाने से पहले ही रॉकी के साथ निकल जाती ,कभी जल्दी आ जाती तो कभी मेरे आने के बाद आती,थोड़ी थकी सी भी दिखती थी पर जो चीज उसमे नही बदली थी वो था उसका मेरे प्रति प्यार और समर्पण,,,,
कुछ दिन बीते थे कि डॉ का काल आया,
“कैसे हो दोस्त आ गयी भाभी”
“हा यार वो तो उसी दिन आ गयी थी जब मैं वहां से आया था,”
“अच्छा है साले तभी मैं बोलू साल कोई फोन कैसे नही कर रहा है,अभी क्या हालत है ,सब कुछ ठीक ही होगा तभी तो तेरा कोई पता नही है अभी तक,,”
“हा भाई सब ठीक ही लग रहा है,कोई भी ऐसी बात तो नही हुई जिससे मुझे कुछ शक हो,”
मैंने पूरी बात डॉ को बता दी,,,
“हूमममममम ये तो अच्छा है कि तू भी समझ गया कि प्यार तो तुझसे ही करती है ,ऐसे मैं उसके कॉलेज इसे कुछ इनफार्मेशन निकले थे ,शायद अब तुझे उसकी जरूरत नही है,”
साला चुतिया फिर से दिल की धड़कने बड़ा गया
“क्या पता चला तुझे”
“वही तेरे बीबी के कारनामे”
अब मेरे माथे में पसीना था पता नही ये डॉ क्या बताने वाला था,मैंने मन मे सोचा की यार ठीक है वो मुझसे ही प्यार करती है ,और हिम्मत कर कह गया
“बता दे यार अब मुझे डर नही वो मुझसे ही प्यार करती है और अब जो भी हो जाय,मैंने फैसला कर लिया है,उसकी खुसी में ही मेरी खुशी है”
मुझे डॉ की जोरो की हँसी की आवाज सुनाई दी,
“मादरचोद तू भी आखिर बन ही गया ना cuckold ,मुझे तो बहुत ही ज्ञान दे रहा था”
डॉ की बात का मुझे बिलकुल भी बुरा नही लगा,
“बे चुतिया,तू चूतिया ही रहेगा….मुझे नही पता कि मैं क्या था और क्या बन गया हूं ...पर भाई अब उसके चहरे पर बस खुशी देखना चाहता हु,चाहे वो कुछ भी करे ,फर्क तो मुझे पड़ेगा ही पर क्या पता शायद मुझे भी इसमें वैसे ही मजे आने लगे जैसा उस क्लब वाले बंदे को आया था”
मैंने एक गहरी सांस छोड़ी साथ ही डॉ ने भी ..अब हम दोनों के मन शांत थे,,,
“अच्छा है यार ऐसे भी तेरा दुख देखा नही जा रहा था,तो सुन क्या पता चला है मुझे”
मैं उसकी बातों को ध्यान से सुनने लगा,उसकी हर बात के साथ मेरी आँखें नाम होते जा रही थी और काजल के लिए सम्मान और भी बढ़ने लगा था ,मुझे अब पता था कि वो ये सब क्यो कर रही है,लेकिन फिर भी वो मुझसे इतना प्यार करती है इस अहसास से मेरा दिल बाग बाग हो गया….
“चुतिया तूने जो बात मुझे बताई है उससे मेरा दिल बहुत ही हल्का हो गया है मेरे दोस्त,मेरी काजल का प्यार सच्चा है पर सेक्स की आग उसकी मजबूरी है,कोई बात नही मेरे दोस्त मैं अपनी जान का पूरा ख्याल रखूंगा,पर ये कब तक रहेगा…”
“मुझे नही पता पर मैं काजल से बात कर रहा हु इस बारे में ,मैं उसे नही बताऊंगा की तुझे पता है,अगर वो मेरा साथ दे तो शायद जल्द ही हम किसी ठोस नतीजे में पहुच सकते है”
मेरे दिल का एक बड़ा बोझ हल्का हो गया था ,अब मुझे पता था कि काजल मुझे कितना प्यार करती है और उसकी क्या मजबूरी है,पर एक अजीब सी झुनझुनाहट भी मेरे शरीर मे दौड़ गयी ये सोचकर कि काजल दूसरे मर्दो के साथ….साला क्या मैं सच मे cuckold हो रहा हु…
डॉ से बात करके काजल के लिए दिल मे इज्जत जागी, पर साथ ही एक डर भी था,क्या मैं काजल को संतुष्ट नहीं कर पा रहा,शायद हा भावनात्मक रूप से तो काजल मेरी है पर शायद शारिरिक रूप से उसे और ज्यादा की जरूरत है जो मैं उसे नही दे पाता,या शायद कॉलेज के वो दिन जिसमे काजल ने बहुत ही मजे किये थे या दर्द झेला था (वो तो वही जानती है) ने उसे इस कदर सेक्स के प्रति पागल बना दिया है कि वो अपनो मर्यादाओ से बाहर जाने से नही कतराती…
आखिरकार डॉ ने मुझे फिर से टोका
“क्या हो गया बे किस सोच में पड़ा है”
“यार काजल की खुशी में मेरी खुशी है पर…..”
“पर अब क्या चाहिए तुझे”
“मैं चाहता हु की वो जो भी करे वो कम से कम मुझे पता तो रहे,मैं नही चाहता कि वो किसी मुसकिल में पड़े”
“अच्छा मुश्किल में न पड़े इसलिए या ...मजे लेना चाहता है…”
डॉ की तो जोरो से हँसी छूट गयी और मुझे भी बड़ी शर्म महसूस हुई..
“साले मादरचोद “मैंने धीरे से कहा पर डॉ ने इसे सुन के अनसुना कर दिया,
“सुन एक काम कर मैं तुझे कुछ लिंक्स भेजता हु वहां से तू कुछ एप्प्स डाऊनलोड कर ले और ***** इन तरीकों से तू उसके अपने मोबाइल पर पड़ पायेगा,और अपने लेपटॉप से उसके मोबाइल की एक्टिविटी भी देख पायेगा “
वाह ये तो मेरे लिए कमाल ही हो गया
“थैंक्स यार डॉ”
“कोई बात नही बेटा तू भी मजे ले अपनी बीवी के….”
इतना कहकर डॉ जोरो से हसने लगा,साला बड़ा कमीना था पर आज ना जाने क्यों उसके कमीनेपन में मुझे गुस्सा नही आ रहा था,,,,
डॉ के रखने के बाद से ही मैं काम मे भीड़ गया मुझे वो एप्पस अपने मोबाइल लेपटॉप और काजल के मोबाइल में इंस्टॉल करने थे ,काजल के आने के बाद चुपके से सभी काम पूरे कर लिए और उन्हें रन कर दिया,मैंने चेक भी कर लिया कि सभी कुछ ठीक काम कर रहा है या नही,
अब कल की सुबह से ही मुझे मेरी बीवी के कारनामो की खबर रहेगी,सोच के ही मैं बहुत उत्तेजित ही गया और सीधे काजल पर जैसे हमला बोल दिया,आज मेरे उतावले पन से काजल भी चकित थी पर उसे भी इसे देख बहुत मजा आ रहा था….
अध्याय 20
मैं अपने एडवेंचर से बहुत खुश था है ये मेरे लिए किसी एडवेंचर से कम भी नही था कि अपनी ही बीवी की जासूसी करना वो भी ये जानते हुए की वो किसी और के साथ अपने जिस्म का मजा ले रही होगी या लेने वाली होगी ये अजीब सी चुभन थी और अजीब सा नशा मेरे अंदर भर रहा था मुझे नही पता कि मैं क्या और क्यो कर रहा हु पर ये तो बात पक्की थी कि मुझे इसमें बहुत ही मजा आ रहा था ,
अभी तक जो बात मुझे जल रही थी आज वही बात में मैंने खुशी और खुशी से बढ़कर मजा खोज लिया था ,
ये बदलाव एक दिन में नही आया था इसके लिए कई दिन लगे थे और खासकर डॉ ने जो मुझे दिखाया और समझाया था और काजल की वो प्यार भरी बातें और उसका अतीत ये अभी एक साथ मिलकर मुझे मजबूर कर दिए कि मैं ऐसा ही जाऊ और अपने प्यार को दूसरों के साथ मजे लेते देखु,
शायद उस लड़के की बात सच ही थी कि जब उसे कोई प्रॉब्लम नही है तो आपको क्यो हो रही है,
काजल का मेरे लिए प्यार और सम्मान भी एक कारण था ,अगर वो ये सब ना भी करे तो भी क्या फर्क पड़ता अगर वो मुझे वो प्यार और सम्मान नही देती,मैने अपने कई दोस्तो के मुह से सुना था कि शादी के बाद जिंदगी झंड हो जाती है,पत्नियां प्यार की जगह बात बात पर झगड़े करतीं है,कई तरीकों से मर्द को बांधने की कोसिस करती है और मर्दो का भी इंटरेस्ट अपनी पत्नी पर से उठाना शुरू हो जाता है,और वो दोनो बाहर मुह मरते है,शायद समाज के बंधनों की फिक्र के कारण वो एक दूसरे से जुड़े रह भी जाय तो क्या ,,जिंदगी तो उनकी नरक की तरह हो जाती है,
लेकिन मेरे साथ ऐसा नही था ,बड़ी अजीब बात थी कि जिसे समाज शायद रंडी का दर्जा देता को मेरी पत्नी थी,जिसे बदचलन कहता वो मुझे इतना प्यार और सम्मान देती हैं जो मैंने कभी बजी किसी औरत को अपने पति को देते नही देखा,वो फूल सी खिली हुई और अपनी खुसबू सब तरफ फैला रही थी,मेरे पास दो ही ऑप्शन थे या तो उस फूल को कुचल कर अपना बना कर रखु और उसकी खुसबू को खो जाने दु या उसे युही महकने दु,,,
हा उसकी खुसबू सिर्फ मेरी नहीं रह जायेगी पर वो सदा ही महकेगी,,,, मैंने तो चुन लिया मैं उसे सदा महकता देखना चाहता हु…
काजल के जाते ही मैं ऑफिस पहुचा ज्यादा काम तो नही था इसलिए अपने मोबाइल में उस एप्प को खोलकर देखने लगा कि काजल क्या कर रही है,उसके मोबाइल का एक डुप्लीकेट मेरे मोबाइल में था जिसे मैं चला सकता था,मैं पहले उसके वाट्सअप मेसेज पड़ने की सोची,
प्यारे के कुछ मेसेज थे ,प्यारे से तो पता नही क्यो मुझे छिड़ सी थी पर साले की किश्मत बहुत ही बुलंद थी कि काजल जैसी हसीन परी उसे लाइन दे रही थी,
प्यारे रोज काजल को मनाने की कोसिस कर रहा था पर काजल कोई भी जवाब उसे नही दे रही थी,आख़िरकार उसने अपना दुखड़ा रोना सुरु कर दिया और काजल भी थोड़ी पिघल गयी पर काजल ने उसे सेक्स के लिए साफ मना किया हुआ था,काजल आज रात ही उससे मिलने जाने वाली थी,इसकी मा का साली काजल भी क्या चुतिया वाले काम कर रही है,मेरे दिमाग ने कहा पर साला चड्डी के नीचे से कुछ और ही आवाज आई एक जोरदार झटका मेरे लिंग ने मारा और मेरे होठो में एक मुस्कुराहट सी आ गयी…
दूसरा msg था रॉकी का अभी तो उसके साथ ही था पर ये msg उसने रात में और सुबह किये थे ,कोई प्रॉब्लम वाली बात तो कही दिखाई नही दी पर काजल की तारीफों के पुल उसने बांधे थे,जैसे आप बहुत सुंदर हो,आपका काम करने का तरीका बहुत अच्छा है वगैरह ,मतलब साफ था उसने काजल को लाइन मरना शुरू कर दिया है बस बात थी काजल के हा की ,काजल रिप्लाई में बस कुछ स्माइल लिखकर भेज देती या बस कल मिलते है,....
अब आगे क्या होगा ये तो मुझे नही पता था बस आज शाम का इंतजार जरूर था….
काजल और प्यारे की रंगीन शाम देखने को मैं बेताब हो रहा था मैंने लेपटॉप काजल के आने से पहले ही अपने कमरे के बाहर लेकर उसे ड्राइंगरूम में ऐसे रख दिया कि मुझे किचन का भी कुछ नजारा दिख जाय, लेकिन अगर काजल उसके कमरे में गयी तो….तब तो बस बाते ही सुन पाऊंगा…
जो भी हो मुझे मजा आ रहा था और यही सबसे चौकाने वाली बात थी...