हम दोनों नीचे पहुंचे और वापिस टेबल पर आ कर बैठ गए और भीड़ का हिस्सा बन गए, किसी को भी मालुम नहीं चला की हम दोनों कहाँ थे और हमने क्या किया.
टेबल पर मैंने देखा की दो लडकियां बैठी है, एक ही उम्र की... वो शायद जुड़वाँ बहने थी, क्योंकि उनका चेहरा काफी हद तक एक दुसरे से मिलता था, ऋतू ने उनसे बात करनी शुरू की.
ऋतू : "हाय मेरा नाम ऋतू है..और ये है मेरा भाई अशोक"
"हाय ऋतू, मेरा नाम मोनी है और ये मेरी जुड़वाँ बहिन सोनी" एक लड़की ने बोला.
वो दोनों बातें कर रहे थे और मैं अपनी आँखों से उन्हें चोदने में...मेरा मतलब है तोलने में लग गया..दोनों ने जींस और टी शर्ट पहन रखी थी,
दोनों काफी गोरी चिट्टी थीं, एक सामान मोटी-मोटी छातियाँ, पतली कमर, फैले हुए कुल्हे और स्किन tight जींस से उभरती उनकी मोटी-२ टांगे.
वो देखने से किसी बड़े घर की लग रही थी. सोनी जो चुपचाप बैठी हुई थी, मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दी, मैंने भी उसे smile पास की.
फिर हमने काफी देर तक एक दुसरे से बात की, उन्होंने बताया की वो भी पहली बार यहाँ आई हैं, उनके पापा काफी बड़े businessman है, उनका cottage सामने ही था, मैंने कुछ सोचकर उनसे कहा चलो हमें भी अपना रूम दिखाओ.
और हम उनके साथ चल पड़े, अन्दर जाकर देखा तो वो बिलकुल हमारे cottage जैसा ही था, मैंने शीशे के पास जाकर देखा और उसे थोडा हिलाया, दूसरी तरफ का नजारा मेरे सामने था, मैं समझ गया की यहाँ हर cottage ऐसे ही बना हुआ है, जिसमे शीशा हटाने से दुसरे रूम में देख सकते हैं.
हमने थोड़ी देर बातें करी और वापिस लौट आये.
मेरे दिमाग में अलग -२ तरह के विचार आ रहे थे.
शाम को हम सभी बच्चो के लिए रंगा-रंग कार्यक्रम था, हम सब वहां जाकर बैठ गए, थोड़ी देर में ही मैंने पेशाब का बहाना बनाया और वहां से बाहर आ गया, और पास के ही एक cottage में जहाँ से रौशनी आ रही थी, चुपके से घुस गया.
ड्राविंग रूम में कोई नहीं था, एक बेडरूम में से रौशनी आ रही थी, मैं उसके साथ वाले रूम में घुस गया, वहां कोई नहीं था,
मैंने जल्दी से दिवार पर लगे शीशे को हटाया और दूसरी तरफ देखा, मेरा अंदाजा सही था, वहां भी ओर्गी चल रही थी, २ औरतें और २ मर्द एक ही पलंग पर चुदाई समारोह चला रहे थे.
दोनों औरतें काफी मोटी और भरी छाती वाली थी, एक की गांड तो इतनी बड़ी थी की मैं भी हैरान रह गया, वो एक आदमी का लंड चूस रही थी, दूसरी उसकी चूत चाट रही थी और उसकी गांड दूसरा आदमी मार रहा था, पुरे कमरे में सिस्कारियां गूंज रही थी,
मैंने जींस से अपना लंड बाहर निकला और मुठ मारना शुरू कर दिया,
जो औरत लंड चूस रही थी, वो उठी और मेरी तरफ अपनी मोटी सी गांड करके कुतिया वाले आसन में बैठ गयी, वो आदमी पीछे से आया और अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया, दूसरी औरत भी उठी और उसके साथ ही उसी आसन मैं बैठ गयी, और दुसरे आदमी ने अपना मोटा काला लंड उसकी गांड में पेल दिया,
दोनो ने एक दुसरे को देखा और ऊपर हाथ करके हाई 5 किया , और एक आदमी दुसरे से बोला "यार तू सही कह रहा था, तेरी बीबी मंजू की गांड काफी tight है हा हा"
दुसरे ने जवाब दिया "और तेरी बीबी की चूत भी कम नहीं है, शशि भाभी की मोटी गांड को मारने के बाद इनकी चूत में भी काफी मजा आ रहा है" और दोनों हंसने लगे.
मैंने गौर किया की उनकी बीबियाँ , मंजू और शशि, भी उनकी बातें सुनकर मुस्कुरा रही है...
मैंने ये सोचकर की वो दोनों कितने मजे से एक दुसरे की बीबीयों की गांड और चूत मार रहे है, अपने हाथों की स्पीड बड़ा दी.वहां चर्मोस्तर पर पहुँच कर मंजू और शशि की चीख निकली और यहाँ मेरे लंड से गाडा-२ वीर्य उस दिवार पर ......
मैंने अपना लंड अन्दर डाला और बाहर निकल गया.
मैंने वापिस पहुँच कर ऋतू को इशारे से बाहर बुलाया, उसे भी प्रोग्राम में मजा नहीं आ रहा था, बाहर आकर मैंने ऋतू को सारी बात बताई.
वो मेरी बात सुन कर हैरान हो गयी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था की मैं ऐसे किसी और cottage में घुस गया पर जब चुदाई की बात सुनी तो वो भी काफी exited हो गयी,
मैंने उसे अपना प्लान बताया, मैंने कहा की यहाँ कुछ ही लोग अपने बच्चे साथ लाये है, बाकी families अकेली हैं, और रोज शाम को प्रोग्रामे के बहाने से बच्चो को बाहर निकाल कर वो अपने रूम में ओर्गी कर सकते है,
मैंने उसे कहा की हम रोज किसी भी रूम में घुसकर देखेंगे की वहां क्या हो रहा है, और अगर इस खेल को और भी मजेदार बनाना है तो कुछ और बच्चो को भी इसमें शामिल कर लेते हैं.
ये सब तय करने के बाद हम दोनों वापिस अपने रूम की तरफ आ गए, नेहा वहीँ प्रोग्राम में बैठी थी, अन्दर आकर हमने नोट किया की अजय चाचू के रूम की लाइट जल रही है, मेरे चेहरे पर मुस्कान दौड़ गयी, और हम चुपके से अपने रूम में घुस गए.
शीशा हटाकर देखा तो वासना का वोही नंगा नाच चल रहा था, आरती चाची और मेरी माँ पूर्णिमा नंगी लेटी हुई एक दुसरे को फ्रेंच किस कर रही थी,
मेरी माँ की गांड हवा में थी जबकि चाची पीठ के बल लेती हुई अपनी टाँगे ऊपर करे, मेरे पापा का मुसल अपनी चूत में पिलवा रही थी...
मैने ऋतू के कान में कहा "देखो तो साली आरती चाची कैसे चुद्दक्कड़ औरत की तरह अपनी चूत मरवा रही है ...कमीनी कहीं की...कैसे हमारे बाप का लंड अपनी चूत में लेकर हमारी माँ के होंठ चूस रही है कुतिया...."
ऋतू भी अन्दर का नजारा देखकर गरम हो चुकी थी, मेरी गन्दी भाषा सुनकर वो भी उत्तेजित होते हुए बोली "हाँ भाई देखो तो जरा हमारी कुतिया माँ को,
कैसे अजय चाचू के घोड़े जैसे काले लंड को अपनी गांड में ले कर चीख रही है मजे से...उनके चुचे कैसे झूल रहे है और आरती चाची कितने मजे से उन्हें दबा रही है,
और पापा का लंड तो देखो कितना शानदार और ताकतवर है, कैसे चाची की चूत में डुबकियां लगा रहा है,....काश मैं होती चाची की जगह..." उसने अपने मन की बात बताई.
मैं समझ गया की अगर ऋतू को मौका मिला तो वो अपने बाप का लंड भी डकार जायेगी..
पापा ने अपनी स्पीड तेज कर दी.
आरती चाची की आवाजें तेज हो गयी, वो लोग समझ रहे थे के घर में वो अकेले हैं, बच्चे तो बाहर गए हैं, इसलिए वो तेज चीखें भी मार रहे थे और तरह -२ की आवाजें भी निकाल रहे थे.
आआआआआआआआआह्ह्ह्ह ......माआआआआआआआआआह "चाची चिल्लाई.
जेठ जी.......चोदो मुझे.....और जौर्र्र्रर सीईईईईईई ......aaaaaaaaaaahhhhh..... फाड़ डालो मेरी चूत....
बड़ा अच्छा लगता है आपका लंड मुझीईए......चोदों आआआअह्ह.....उसने एक हाथ से मेरी माँ के चुचे बुरी तरह नोच डाले...
मेरी माँ तड़प उठी और जोर से चिल्लायी.......आआआआआआआआअह्ह्ह कुतियाआअ...छोड़ मेरी छाती ....
साली हरामजादी....मेरे पति का लंड तुझे पसंद आ रहा है...हांन्न.....और तेरा ये घोड़े जैसा पति जो मेरी गांड मार रहा है उसका क्या.....बोल कमीनी....उसका लंड नहीं लेती क्या घर में....मेरा बस चले तो मैं अपने प्यारे देवर का लंड ही लूं ....." मेरी माँ चिल्लाये आ रही थी और अपनी मोटी गांड हिलाए जा रही थी.
अजय चाचू ने अपनी स्पीड बड़ाई और मेरी माँ के कुल्हे पकड़ कर जोर से झटके दिए "भाभी.......ले अपने प्यारे देवर का लोडा अपनी गांड में....सच में भाभी, आपकी गांड मारकर वो मजा आता है की क्या बोलू....आआआह्ह्ह.....
तेरे जैसी हरामजादी भाभी की गांड किस्मत वालों को ही मिलती है...चल मेरी कुतिया.....ले ले मेरा लंड अपनी गांड के अन्दर तक्क्क.......तेरी मा की चुत्त्त.......आआग्ग्ग्गह्ह्ह्ह ///// ." और चाचू ने अपना लावा मेरी माँ की गांड में उडेलना शुरू कर दिया.
मेरी माँ के मुंह से अजीब तरह की चीख निकली.....आय्यय्य्य्यी ....आआआआआआह.......और उन्होंने आधे खड़े होकर अपनी गर्दन पीछे करी और अजय चाचू के होंठ चूसने लगी,
चाचू का हाथ माँ की चूत में गया और माँ वहीँ झड गयी..आआआआआआह्ह्ह्ह .... म्मम्मम्मम्म ssssssssssssssssss
वहां मेरे पापा भी कहाँ पीछे रहने वाले थे...."ले आरती.....मेरी जान.....मेरी कुतिया ......अपने आशिक जेठ का लंड अपनी चूत में ले....
तेरी चूत में अभी भी वोही कशिश है जो 10 साल पहले थी.....और तेरे ये मोटे-२ चुचे....इनपर तो मैं फ़िदा हूँ...भेन की लोड़ी....तेरी माँ की चूत......" ये कहकर पापा ने झुक कर आरती के दायें चुचे को मुंह में भर लिया और जोर से काट खाया ...
"आआआआआअह्ह्ह कुत्त्त्ते ..........छोड़ मुझे.....आःह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....म्म्म्मम्म्म्मम्म " और मेरे पापा का मुंह ऊपर करके उनके होंठो से अपने होंठ जोड़ दिए और चूसने लगी किसी पागल बिल्ली की तरह.
पापा से सहन नहीं हुआ और अपना रस उन्होंने चाची की चूत के अन्दर छोड़ दिया.
चाची भी झड़ने लगी और अपनी टाँगे पापा के चारों तरफ लपेट ली.
सभी हाँफते हुए वहीँ पलंग पर गिर गए.
ऋतू ने घूम कर मुझे देखा , उसकी आँखें लाल हो चुकी थी, उसने अपने गीले होंठ मुझसे चिपका दिए और मेरे हाथ पकड़कर अपने सीने पर रख दिए,
मैंने उन्हें दबाया तो उसके मुंह से आह निकल गयी, मैंने उसे उठा कर पलंग पर लिटाया और उसके कपडे उतार दिए, उसकी चूत रिस रही थी अपने रस से...
मैंने अपना मुंह लगा दिया उसकी रस टपकाती चूत पर और पीने लगा....वो मचल रही थी बेड पर नंगी पड़ी हुई, उसने मेरे बाल पकड़ कर मुझे ऊपर खींचा और अपनी चूत में भीगे मेरे होंठ चाटने लगी,
अपना एक हाथ नीचे ले
जाकर मेरे लंड को अपनी चूत पर टिकाया और सुर्र्र्रर...करके निगल गयी मेरे मोटे लंड को...
आआआआआआआआआह्ह्ह.....उसने किस तोड़ी और धीरे से चिल्लाई, आज वो काफी गीली थी,
मैंने अपना मुंह उसके एक निप्पल पर रख दिया...वो सिहर उठी, और प्यार से मेरी तरफ देखकर बोली...."मेरा बच्चा....." ये सुनकर मैंने और तेजी से उसका "दूध" पीना शुरू कर दिया.
उसने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर आ गयी, बिना अपनी चूत से मेरा लंड निकाले, और अपने बाल बांधकर तेजी से मेरे ऊपर उछलने लगी,
मैंने हाथ ऊपर करे और उसके चुचे दबाते हुए अपनी आँखें बंद कर ली, जल्दी ही वो झड़ने लगी, और उसकी स्पीड धीरे होती चली गयी
और अंत में आकर उसने एक जोर से झटका दिया और हुंकार भरी और मेरे सीने पर गिर गयी. अब मैंने उसे धीरे से नीचे लिटाया , वो अपने चार पायों पर कुतिया की तरह बैठ गयी और अपनी गांड हवा में उठा ली,
मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला और झटके देने लगा, मेरी एक ऊँगली उसकी गांड में थी....मैंने किसी कसाई की तरह उसे दबोचा और अपना घोडा दौड़ा दिया, वो मेरे नीचे मचल रही थी,
मैंने हाथ आगे करे और झूलते हुए सेब पर टिका दिए, मेरा लंड इस तरह काफी अन्दर तक घुस गया, मेरे सामने आज शाम की घटना और दुसरे रूम में हुई शानदार चुदाई की तसवीरें घूम रही थी,
ये सोचते-२ जल्दी ही मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैंने भी अपने लंड का ताजा पानी, अपनी बहन के गर्भ में छोड़ दिया.
बुरी तरह से चुदने के बाद ऋतू उठी और बाथरूम में चली गयी, मुझे भी बड़ी जोर से सुसु आया था, मैंने सिर्फ अपना jocky पहना और दरवाजा खोलकर बाहर बने कॉमन बाथरूम में चला गया,
अपना लंड निकाला और धार मारनी शुरू कर दी, मैंने मूतना बंद ही किया था की बाथरूम का दरवाजा खुला और आरती चाची नंगी अन्दर आई और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया,
पर जैसे ही मुझे देखा तो वहीँ दरवाजे पर ठिठक कर खड़ी हो गयी, मेरे हाथ में मेरा मोटा लंड था.
"ओह्ह्ह..सॉरी..." आरती चाची ने कहा.
"क्या आपको दरवाजा खड्काना नहीं आता..." मैंने वहीँ खड़े हुए कहा, मेरा लंड अभी भी मेरे हाथ में था.
"सॉरी...मुझे माफ़ कर दो आशु..अन्दर अँधेरा था तो मैंने सोचा अन्दर कोई नहीं है....और वैसे भी तुम लोग तो बाहर प्रोग्राम देख रहे थे न.." आरती चाची ने शरमाते हुए कहा, वो अपने नंगे जिस्म को छुपाने की कोशिश कर रही थी.
"मेरा वहां मन नहीं लगा इसलिए वापिस आ गया.......और..." मैंने उनकी आँखों में देखकर कहा.
"और ये की...मुझे सुसु आया है..." आरती ने सकुचाते हुए कहा.
"हाँ तो कर लो न..."
"तुम बाहर जाओगे तभी करुँगी न..." उसका चेहरा शर्म से लाल हो रहा था.
"तुमने मुझे देखा है सुसु करते हुए तो मेरा भी हक बनता है तुम्हे सुसु करते हुए देखने का..." मैं दीवार के सहारे खड़ा हो गया और अपना लम्बा लंड उनके सामने मसलने लगा.
उन्होंने ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा और जल्दी से बैठ गयी, पेशाब की धार अन्दर छुटी...
और मैंने देखा की उनके निप्प्ल्स कठोर होते चले जा रहे है, सुसु करने के बाद उन्होंने पेपर से अपनी चूत साफ़ करी और खड़ी हो गयी.
"ठीक है...अब खुश हो.." आरती ने कहा.
"हाँ बिलकुल...मैंने मुस्कुराते हुए कहा..., पर मैं तुम्हे कुछ दिखाना भी चाहता हूँ" मैंने अपनी योजना के आधार पर उन्हें कहा.
"अभी...? तुम्हे नहीं लगता की मुझे कुछ कपडे पहन लेने चाहिए...और तुम्हे भी" उन्होंने अपनी नशीली ऑंखें मेरी आँखों में डालकर कहा.
"इसमें सिर्फ दो मिनट लगेंगे...., आपको हमारे रूम में चलना होगा" मैंने कहा.
"चलो फिर जल्दी करो....देखू तो सही तुम मुझे क्या दिखाना चाहते हो" चाची ने कहा और दरवाजा खोलकर मेरे साथ चल दी...नंगी.
मैंने अपने रूम का दरवाजा खोला और अन्दर आ गया, ऋतू का चेहरा देखते ही बनता था, जब उसने चाची को मेरे पीछे अपने रूम में घुसते हुए देखा,
वो भी बिलकुल नंगी, ऋतू उस समय बेड पर लेटी अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर मुठ मार रही थी.
"चाची मुझे बाथरूम में मिली थी, मैं इन्हें कुछ दिखने के लिए लाया हूँ" मैंने ऋतू से कहा.
चाची भी ऋतू को नंगी बिस्तर पर लेटी देखकर हैरान रह गयी.
मैं जल्दी से शीशे वाली जगह पर गया और बोला "आप इधर आओ चाची...ये देखो "
वो झिझकते हुए आगे आई, वो समझ तो गयी थी की मैं उन्हें क्या दिखने वाला हूँ, जब उन्होंने अन्दर देखा तो पाया की मम्मी ने चाचू का लंड मुंह में ले रखा है और चूस रही है, पीछे से पापा उनकी चूत मार रहे हैं.
"तो तुम लोग हमारी जासूसी कर रहे थे, हमें ये सब करते हुए देख रहे थे. इसका क्या मतलब है, ऐसा क्यों कर रहे थे तुम " उन्होंने थोडा कठोर होते हुए कहा.
"मुझे लगा आपको अच्छा लगेगा की आपकी कोई औडिएंस है, इससे excitement आएगी" मैंने कहा.
"अब से हम तुम्हारे परेंट्स का रूम युस करेंगे.." उन्होंने कहा.
"फिर तो मैं उन्हें बता दूंगा की आप बाथरूम में आई और मुझे शीशे वाली जगह दिखाई और हमें अन्दर देखने के लिए कहा." मैंने उन्हें blackmail किया.
चाची का मुंह तो खुला का खुला रह गया मेरी इस धमकी से, उन्होंने हैरानी से ऋतू की तरफ देखा, जो अब उठ कर बैठ गयी थी, पर वो भी उतनी ही हैरान थी जितनी की चाची.
"तुम क्या चाहते हो आशु..."उन्होंने थोडा नरम होते हुए कहा.
"मैं भी कुछ खेल खेलना चाहता हूँ" मैंने कहा और आगे बढकर चाची के मोटे चुचे पर हाथ रख दिया और उनके निप्पल को दबा दिया.
"आआउच ...वो बिदकी..और बोली "तुम्हे ऐसा क्यों लगता है की इसनी छोटी सी उम्र में तुम ये खेल खेलने के लिए तैयार हो" चाची ने गंभीरता से कहा.
"मुझे ये इस की वजह से लगता है " और मैंने अपना jocky नीचे गिरा दिया और अपना पूरा खड़ा हुआ मोटा लंड उनके हाथों में दे दिया.
"तुम्हारी उम्र के हिसाब से तो ये काफी बड़ा है..." उन्होंने मेरे लंड से बिना हाथ और नजरें हटाये हुए कहा, वो जैसे मेरे लंड को देखकर सम्मोहित सी हो गयी थी.
"मेरा लंड चुसो...." मैंने उन्हें आर्डर सा दिया.
"पर ऋतू...वो भी तो है यहाँ.." उन्होंने झिझकते हुए कहा.
"आप उसकी चिंता न करो , वो ये सब होते हुए देखेगी..और उसके बाद आप उसकी चूत को भी चाट देना..वो शायद आपको भी पसंद आएगी" मैंने कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए कहा.
मैंने चाची को घुमा कर बेड की तरफ धकेल दिया, बेड के पास पहुँच कर मैंने उन्हें धीरे से किनारे पर बिठा दिया, मेरा खड़ा हुआ लौडा उनकी आँखों के सामने था , उन्होंने ऋतू की तरफ देखा, वो भी काफी excited हो चुकी थी ये सब देखकर, और उछल कर वो भी सामने आ कर बैठ गयी,
फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और धीरे से अपनी जीभ मेरे लंड के सुपाडे पर फिराई. और फिर पुरे लंड पर अपनी जीभ को फिराते हुए उन्होंने एक-२ इंच करके किसी अजगर की तरह मेरा लंड निगल लिया.
experience नाम की भी कोई चीज होती है, मैंने मन ही मन सोचा, उनका परिपक्व मुंह मेरे लंड को चूस भी रहा था, काट भी रहा था और अन्दर बाहर भी कर रहा था,
मेरे लंड का किसी अनुभवी मुंह में जाने का ये पहला अवसर था. मुझसे ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ, उनके गर्म मुंह ने जल्दी ही मुझे झड़ने के कगार पर पहुंचा दिया, मेरे लंड से वीर्य की बारिश होने लगी चाची के मुंह के अन्दर. उन्होंने एक भी बूँद जाया नहीं जाने दी, सब पी गयी.
"तुम यही चाहते थे न.." उन्होंने मेरे लंड को आखिरी बार चूसा और छोड़ दिया.
"हाँ बिलकुल यही...तुम बिलकुल परफेक्ट हो चाची...अब लेट जाओ." मैंने उनके कंधे पर दबाव डाला और उन्हें बेड पर लिटा दिया.
पीछे से ऋतू ने उन्हें कंधे से पकड़ा और चाची के मुंह के दोनों तरफ टाँगे करके उनके मुंह के ऊपर बैठ गयी
आआअह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्म..................
और अपनी गीली चूत उनके मुंह से रगड़ने लगी, मैंने चाची की टाँगे पकड़ी और हवा में उठा ली और उनकी जांघो पर हाथ टिका कर अपना मुंह उनकी दहकती हुई चूत में दे मारा, मैंने जैसे ही अपनी जीभ उनकी चूत में डाली उन्होंने एक झटका मारा
आआआआआआअह्ह यीईईईईईईईईईइ .......
और मेरी गर्दन के चारों तरफ अपनी टाँगें लपेट ली और अपने चूतड उछाल-२ कर मेरा मुंह चोदने लगी, उनकी चूत ऋतू और उसकी सहेलियों की चूत से बिलकुल अलग थी,
वो एक पूरी औरत की चूत थी जिसकी एक जवान लड़की भी थी, और मजे की बात ये थी की मैं उनकी लड़की की चूत भी चाट और मार चूका था,
ऋतू भी बड़ी तेजी से अपनी बिना बालों वाली चूत को उनके मुंह में घिस रही थी, मैंने चाची की चूत पर काटना और चुसना शुरू कर दिया.जल्दी ही उनकी चूत के अन्दर से एक सैलाब सा उमड़ा और मेरे पुरे मुंह को भिगो दिया.
उनका रस भी बड़ा मीठा था, मैंने जल्दी से सारा रस पी लिया, उधर ऋतू ने भी अपनी टोंटी चाची के मुंह में खोल दी, और अपना अमृत उन्हें पिला दिया.
हम सभी धीरे से अलग हुए और थोड़ी देर तक सांस ली.
चाची का चेहरा उत्तेजना के मारे तमतमा रहा था.
उन्होंने उठने की कोशिश की, उनके पैर लड़खड़ा रहे थे.
"मुझे अब वापिस जाना चाहिए उस रूम में " उन्होंने जाते हुए कहा.
"please दुबारा आना" मैंने उन्हें कहा.
"और अजय अंकल को भी लेकर आना." ऋतू ने कहा "और मोम डैड को मत बताना".
"ठीक है आउंगी ..और तुम्हारे मम्मी पापा को भी नहीं बताउंगी" उन्होंने हँसते हुए कहा और बाहर निकल गयी.
चाची के जाते ही मैंने शीशा हटा कर देखा, वो अन्दर गयी और चुदाई समारोह में जाकर वापिस शामिल हो गयी,
पापा ने अपना रस मम्मी की चूत में निकाल दिया था, चाची ने जाते ही अपनी डिश पर हमला बोल दिया और माँ की चूत में से सारी मलाई खा गयी,
उन्हें झडे अभी 5 मिनट ही हुए थे, पर जैसे ही चाचू ने उनकी चूत में लौडा डाला वो फिर से मस्ता गयी और अपनी मोटी गांड हिला -२ कर चुदवाने लगी, जल्दी ही चाचू का लंड, जो मम्मी के चूसने की वजह से झड़ने के करीब था, चाची की गीली चूत में आग उगलने लगा.
सभी हाँफते हुए वहीँ बेड पर लुढ़क गए, थोड़ी देर में मम्मी और पापा उठे और अपने रूम में चले गए.
उनके जाते ही मैंने ऋतू को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके गीले और लरजते हुए होंठो पर अपने होंठ रख दिए, वो भी दोबारा गरम हो चुकी थी,
उसके होंठ चूसते हुए मैंने उसके चुचे दबाने शुरू किये और जल्दी ही उसके निप्प्ल्स को अपने होंठो के बीच रखकर चबाने लगा, वो पागल सी हो गयी मेरे इस हमले से..
आआआआआआअयीईईईईईईईईइ .....म्म्म्मम्म्म्मम्म...................वो चिल्लाई
चुसूऊऊऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊऊ औ ssssssssssssssss.....................इन्हेय्य्य्यय्य्यय्य्य्य....................
अयीईईईईईईईईईईईइ थोडा धीरीईईईए............अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.....
वो बुदबुदाती जा रही थी, जल्दी ही मैं उन्हें चूसता हुआ नीचे की तरफ चल दिया, और उसकी रस टपकाती चूत में अपने होंठ रख दिए, ऋतू से भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, उसने पलट कर 69 की position ली और मेरा फड़कता हुआ लंड अपने मुंह में भर लिया. और तेजी से सुपड-२ कर चूसने लगी.
उधर दुसरे रूम में, मम्मी पापा के जाते ही, थोड़ी देर लेटने के बाद, चाची उठ कर शीशे के पास आई और शीशा हटा कर झाँकने के बाद देखा तो मुझे और ऋतू को 69 की position में देखा और मुस्कुरा दी,
उन्होंने इशारे से अजय को अपने पास बुलाया, वो उठे और नंगे आकर चाची के पीछे खड़े हो गए, अन्दर झांकते ही वो सारा माजरा समझ गए, और मुझे और ऋतू को ऐसी अवस्था में देखकर आश्चर्यचकित रह गए,
उन्होंने सोचा भी नहीं था की हम दोनों भाई बहन ऐसा कर सकते है, पर फिर उन्होंने सोचा की जब वो अपने भाई और भाभी के साथ खुल कर अपनी पत्नी को शामिल करके मजा ले सकते हैं तो ये भी मुमकिन है,
उनकी नजर जब ऋतू की मोटी गांड पर गयी तो उनका मुरझाया हुआ लंड फिर से अंगडाई लेने लगा.
चाची ने अजय को सारी बात बता दी, की कैसे हम दोनों उनके रूम में देखते हैं, और शायद वो ही देख-२ हम दोनों भाई बहन भी एक दुसरे की चुदाई करने लगे हैं.
मेरी एक ऊँगली ऋतू की गांड के छेद में थी और मेरा मुंह उसकी चूत में, वो अपनी गांड को गोल-२ घुमा रही थी और मुंह से सिस्कारियां ले लेकर मेरा लंड चूस रही थी.
चाचू ने जब ऋतू की गोरी, मोटी घुमती गांड देखी तो वो पागल ही हो गए, उन्होंने पहले ऐसा कभी ऋतू के बारे में सोचा नहीं था,
चाची ने बताना चालू रखा, की कैसे वो बाथरूम में गयी और नंगी मुझसे मिली और वापिस उनके रूम में जाकर उन्होंने मेरा लंड चूसा और ऋतू की चूत चाटी, चाचू आश्चर्यचकित से सभी बातों को सुन रहे थे,
उनकी नजर ऋतू के नंगे बदन से हट ही नहीं रही थी, और जब चाची ने ये बताया की उन्होंने उन दोनों को अपने रूम में बुलाया है,
और खासकर ऋतू ने बोला है की चाचू को भी लेकर आना तो अजय समझ गया की उसकी भतीजी की चूत तो अब चुदी ही चुदी उसके लंड से....
उसने झट से आरती को कहा "तो चलो न देर किस बात की है, चलते हैं उनके रूम में.."
चाची : "अभी....? अभी चलना है क्या"
चाचू " और नहीं तो क्या...देख नहीं रही कैसे दोनों गर्म हुए पड़े हैं."
चाची : "हाँ...! ठीक है, चलते हैं, मुझे वैसे भी आशु के लंड का स्वाद पसंद आया, देखती हूँ की उसे इस्तेमाल करना भी आता है के नहीं."
दोनों धीरे से अपने कमरे से निकले और हमारे रूम में आ गए, हम दोनों एक दुसरे में इतने खो गए थे की हमें उनके अन्दर आने का पता ही नहीं चला, चाचू बेड के सिरे की तरफ जा कर खड़े हो गए, वहां ऋतू का चेहरा था जो मेरा लंड चूसने में लगा हुआ था,
उसने जब महसूस किया की कोई वहां खड़ा है तो उसने अपना सर उठा कर देखा और चाचू को पाकर वो सकपका गयी, नजरें घुमाकर जब चाची को देखा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए अपनी आँखों के इशारे से ऋतू को चाचू की तरफ जाने को कहा,
वो समझ गयी और अपना हाथ ऊपर करके अपने सगे चाचा का काला लंड अपने हाथों में पकड़ लिया.
चाचू के मोटे लंड पर नन्हे हाथ पड़ते ही वो सिहर उठे...आआआआआआआआअह्ह्ह
और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली. ऋतू थोडा उठी और अपने होंठो को चाचू के लंड के चारों तरफ लपेट दिया.
मैंने जब महसूस किया की ऋतू ने मेरा लंड चुसना बंद कर दिया है तो मैंने अपना सर उठा कर देखा, और अपने सामने चाची को मुस्कुराते हुए पाया,
मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले ही चाची ने अपनी टाँगे घुमाई और मेरे मुंह की सवारी करने लगी, उनकी चूत काफी गीली थी, शायद दुसरे कमरे में चल रही चुदाई की वजह से और हमें देखने की वजह से भी.
आआआआआआआआह्ह्ह ......चाची ने लम्बी सिसकारी ली.
चाची ने भी झुक कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी.
मैंने अपनी जीभ चाची की चूत में काफी गहरायी तक डाल दी, इतना गहरा आज तक मैं नहीं गया था, उनकी चूत ओर चूतों के मुकाबले थोड़ी बड़ी थी, शायद इस वजह से.
चाची मेरे ऊपर पड़ी हुई मचल रही थी, उन्होंने मेरा लंड एकदम से छोड़ दिया और घूम कर मेरी तरफ मुंह कर लिया, और अपनी गीली चूत में मेरा लंड सटाया और नीचे होती चली गयी...म्मम्मम्मम...आआआआआआह्ह्ह
मजा आ गया.....वो बुदबुदाई. और अपने गीले होंठ मेरे ऊपर रख दिए, मेरे हाथों ने अपने आप बड़ कर उनके हिलते हुए स्तनों को जकड लिया,
बड़े मोटे चुचे थे चाची के, उनके निप्प्ल्स के चारों तरफ लम्बे-२ बाल थे, मैं जब उनके दानो को चूसकर छोडता तो उनके लम्बे बाल मेरे मुंह में रह जाते, जिनको मैं दांतों से दबा कर काफी देर तक खींचता,
वो मेरे इस खेल से सिहर उठी, उन्हें काफी दर्द हो रहा था, पर मजा भी आ रहा था, इसलिए वो बार-२ अपने दाने फिर से मेरे मुंह में भर देती.
उधर, ऋतू के मुंह को काफी देर तक चोदने के बाद चाचू ने उसे घुमाया जिससे ऋतू की गांड हवा में उठ गयी,
उन्होंने अपना मोटा लंड ऋतू की चूत पर टिकाया और एक तेज झटका मारा, चाचू का लंड अपनी भतीजी की tight चूत में उतरता चला गया..
आआआआआआअयीईईईईईईईइ ........आआआआआआआह्ह्ह....चाचू धीरे..................आआआआआह.
ऋतू अपनी कोहनियों के बल बैठी थी, उसका चेहरा मेरे चेहरे के बिलकुल ऊपर था,
चाचू के लंड डालते ही उसकी आँखें फ़ैल गयी और फिर थोड़ी ही देर में उत्तेजना के मारे बंद होती चली गयी, वो थोडा झुकी और मेरे होंठ चूसने लगी,
उसकी चूत में उसके चाचू का लंड था, और मेरे लंड के चारों तरफ चाची की चूत लिपटी हुई थी, पुरे कमरे में गर्म सांसों की आवाज आ रही थी,
मेरे लंड पर चाची बुरी तरह से उछल रही थी, जैसे किसी घोड़े की सवारी कर रही हो, उनकी चूत बड़ी मजेदार थी,
वो ऊपर नीचे भी हो रही थी और बीच-२ में अपनी गांड घुमा -२ कर घिसाई भी कर रही थी.
जल्दी ही मेरे लंड की सवारी करते हुए चाची झड़ने लगी, आआआआआआअह्ह्ह मैं आयीईईईईईईईईइ ,,,,,
उनके रस ने मेरे लंड को नहला दिया.
मेरा लंड भी आखिरी पड़ाव पर था, उसने भी बारिश होते देखी तो अपना मुंह खोल दिया और चाची की चूत में पिचकारियाँ मारने लगा.
ऋतू से भी चाचू के झटके ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुए, वो तो अपने चाचू का लंड अपनी चूत में लेकर फूली नहीं समां रही थी,
उसने भी जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया, चाचू ने भी दो चार जोर से झटके दिए और अपना रस अपनी भतीजी की कमसिन चूत में छोड़ दिया,
फिर उन्होंने अपना लंड बाहर निकला और ऋतू के चेहरे के सामने कर दिया, ऋतू ने बिना कुछ सोचे उनका रस से भीगा लंड मुंह में लिया और चूस-२ कर साफ़ करने लगी.
चाची भी मेरे लंड से उठी और खड़ी हो गयी, उनकी चूत में से हम दोनों का मिला जुला रस टपक रहा था,
वो थोडा आगे हुई और मेरे पेट पर पूरा रस टपका दिया, फिर नीचे उतर कर मेरे लंड को मुंह में भरा और साफ़ कर दिया, फिर अपनी जीभ निकाल कर ऊपर आती चली गयी और मेरे पेट पर गिरा सारा रस समेट कर चाट गयी.
ऋतू ने भी अपनी चूत में उँगलियाँ डाली और चाचू का रस इकठ्ठा करके चाट गयी.
"ये क्या हो रहा है????????????" दरवाजे की तरफ से आवाज आई...
हमने देखा तो नेहा वहां खड़ी थी, अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लिए.
हम सभी की नजर दरवाजे पर खड़ी नेहा पर चिपक सी गयी, मैं, ऋतू, आरती चाची और अजय चाचू सब नंगे हुए एक दुसरे को चाट और चूस रहे थे,
और थोड़ी ही देर पहले हम सबने चुदाई भी की थी, ना जाने कब से नेहा ये सब देख रही थी, मेरी और ऋतू की तो कोई बात नहीं पर चाचू और चाची की शक्ल देखने वाली थी, उन्होंने सोचा भी नहीं था की उनकी बेटी उन्हें "नंगे" हाथों पकड़ लेगी.
मैंने गौर से देखा तो नेहा का ध्यान चाचू के लंड पर ही था और उसके चेहरे पर अजीब तरह के भाव थे, मैं समझ गया और उठ खड़ा हुआ.
मैं : "देखो नेहा, तुमने तो वैसे भी अपने मम्मी-पापा को हमारे मम्मी पापा के साथ नंगा देख ही लिया है उस शीशे वाली जगह से, और आज हालात कुछ ऐसे हुए की हमें चाचू चाची को अपने राज में शामिल करना पड़ा." और फिर मैंने सारी बात विस्तार से बता दी नेहा को.
चाचू और चाची ने जब ये सुना की नेहा ने भी उन्हें दुसरे कमरे में रंगरेलियां मानते हुए देखा है तो वो थोडा शर्मिंदा हो गए पर फिर उन्होंने सोचा की जब उसे पता चल ही गया है तो क्यों न उसे भी इसमें शामिल कर लिया जाए.
आरती चाची जानती थी की नेहा अपने स्कूल में लड़कों को काफी लिफ्ट देती है और उसने कई बार नेहा को उसके रूम में एक साथ पढाई कर रहे लडको के साथ चुमते-चाटते भी देखा था,
उन्होंने अजय की तरफ देखा और आँखों-२ में कुछ इशारे करे, फिर वो आगे आई और नेहा का हाथ पकड़ कर वहीँ बेड पर बिठा लिया.
नेहा आंखे फाड़े हम सभी नंगे लोगो को देख रही थी, दरअसल उसका भी प्रोग्राम में दिल नहीं लग रहा था, और जब वो वापिस आई तो उसने अपने मम्मी पापा को हमारे रूम में घुसते हुए देखा, वो भी पुरे नंगे, वो समझ गयी की अन्दर क्या होने वाला है,
पर अपने मम्मी पापा के सामने वो एकदम से ये नहीं दर्शाना चाहती थी की वो भी मेरे और ऋतू के साथ चुदाई के खेल में शामिल है, इसलिए उसने खिड़की से अन्दर का सारा प्रोग्राम देखा,
अपने पापा के द्वारा ऋतू की चुदाई करते देखकर उसकी छोटी सी चूत में आग लग गयी थी, और जब मैंने उसकी माँ की चुदाई की तो उसके बर्दाश्त से बाहर हो गया और उसने वहीँ खिड़की पर खड़े-२ अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर उसकी अग्नि को शांत किया,
पर अन्दर के खेल को देखकर उसकी चूत अभी भी खुजला रही थी, इसलिए उसने तय किया की वो भी अन्दर जायेगी और इसमें शामिल हो जाएगी.
आरती ने नेहा की टी शर्ट उतार दी, नेहा किसी बुत्त की तरह बैठी थी, फिर ऋतू आगे आई और उसने उसकी जींस के बटन खोलकर उसे भी नीचे कर दिया, अब नेहा सिर्फ पेंटी और ब्रा में बैठी थी,
उसका बाप यानी अजय चाचू तो उसके ब्रा में कैद मोटे-२ और गोल चुचे देखकर अपनी पलकें झपकाना ही भूल गया. वो मुंह फाड़े अपनी छोटी सी बेटी के अर्धनग्न जिस्म को निहार रहा था, और अपनी जीभ अपने सूखे होंठो पर फिर रहा था.
मैं एक कोने मैं बैठा सबकी हरकतें नोट कर रहा था.
चाची उठी और अपने चुचे को नेहा के होंठो से चिपका दिया, नेहा ने कुछ नहीं किया, शायद वो अभी भी दर्शाना चाह रही थी की वो ये सब नहीं करना चाहती, पर अन्दर ही अन्दर उसकी चूत में ऐसी खुजली हो रही थी की अपनी माँ को वहीँ पटके और उसके मुंह में अपनी चूत से ऐसी रगड़ाई करे की उसकी सारी खुजली मिट जाए.
थोड़ी देर बाद उसने अपने होंठ खोले और अपनी आँखें बंद करके अपनी माँ का दूध पीने लगी.
ऋतू ने उसकी ब्रा खोल दी और नीचे से हाथ डालकर उसकी पेंटी भी उतार दी.
ब्रा के खुलते ही उसके दोनों पंछी आजाद हो गए, मैंने देखा उसके निप्प्ल्स एकदम खड़े हो चुके हैं, और चूत से भी रस टपक कर चादर को गीला कर रहा है, यानी वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी. अजय चाचू ने अपनी बेटी को नंगी देखा तो उनकी साँसे रुक सी गयी.
चाची ने इशारे से चाचू को आगे बुलाया, वो तो जैसे इसी इन्तजार में बैठे थे, वो लपक कर आगे आये और अपनी बेटी के दाए चुचे को अपने मुंह में भर कर लगे चूसने किसी बच्चे की तरह.
आआआआआआआआआआह्ह्ह पाआआआआअ पाआआआआआआ ....स्स्सस्स्स्सस्स्स .......
अयीईईईईईईई .....उन्होंने उत्तेजना के मारे उसके दाने पर जोर से काट मारा..
नेहा ने अपने पापा के सर को किसी जंगली की तरह पकड़ा और उनकी आँखों में देखकर अपने थूक से गिले हुए होंठ उनसे भिड़ा दिए.
चाचू के तो मजे आ गए.
अपनी बेटी के इस जंगलीपन को देखकर चाचू का लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया, खड़ा तो मेरा भी हो गया था पर लगातार 3 -4 झड़ने के बाद मैं अपने लंड को थोडा आराम देना चाहता था.
बाप बेटी एक दुसरे को ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई गेम चल रही हो और दोनों एक दुसरे से ज्यादा मार्कस लेने के लिए ज्यादा चूसने वाली गेम खेल रहे हैं.
चाचू ने अपने हाथ नेहा की गोलाइयों पर टिका दिए और उन्हें मसलने लगे.
आआआआआआअह्ह दबऊऊऊऊऊ इन्हीईईईईए पाआआआआआअ पाआआआआआआ ....
आरती चाची ने नेहा को बेड पर लिटा दिया और उसकी रस टपकती चूत पर हमला बोल दिया, ऋतू ने भी अपनी चाची का साथ दिया और वो दोनों नेहा की चूत के दोनों तरफ आधे लेट गए और बारी-२ से नेहा की चूत चाटने लगे,
ऊधर चाचू अपने बेटी के मुंह के अन्दर घुसे हुए उसका रसपान कर रहे थे, उन्होंने किस तोड़ी और थोडा नीचे खिसककर अपने होंठ से नेहा के चुचे चूसने लगे.
नेहा ने हाथ बड़ा कर अपने पापा का लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे आगे पीछे करने लगी, फिर उसने लंड को थोडा और खींच कर अपने मुंह के पास खींच लिया,
चाचू समझ गए और अपना चेहरा उसकी चूत की तरफ घुमा कर उसके मुंह पर बैठ गए और नेहा ने उनका लंड अपने कोमल मुंह में ले लिया और चूसने लगी, चाचू का चेहरा देखने लायक था,
उनके आनंद की कोई सीमा नहीं थी, आज अपनी भाभी से और फिर अपनी भतीजी से चुस्वाने के बाद अब वो अपना लंड अपनी ही बेटी के मुंह में डाले मजे ले रहे थे,
वो थोडा झुके और ऋतू और आरती को हटा कर अपना मुंह अपनी बेटी की चूत पर रख कर चाटने लगे उसकी रसीली चूत को.
बीच-२ में वो सांस लेने के लिए ऊपर आते और ये मौका ऋतू और आरती ले लेते और उसकी चूत चाटने लगते,
कुल मिला कर नेहा की चूत तीन लोग चाट रहे थे और वो अपने पापा का लंड.
चाचू जब झड़ने वाले थे तो उन्होंने एकदम से अपना लंड नेहा के मुह से निकाल लिया और वापिस ऊपर आ कर उसको चूमने लगे,
नेहा से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, उसने अपने पापा को धक्का दिया और उछल कर उनके ऊपर बैठ गयी,
अजय चाचू का फड़कता हुआ लंड नेहा की चूत के नीचे था , नेहा ने अपने पापा के दोनों हाथों में अपनी उंगलियाँ फंसाई और अपनी गांड और अपना सर नीचे झुका दिया, उसके होंठ अपने पापा के होंठो से जुड़े और चूत उनके लंड से,
पीछे से आरती चाची ने अपने पति का लंड पकड़ा और अपनी बेटी की चूत में फसा दिया और उसे नीचे की तरफ दबा दिया..
नेहा की कसी हुई चूत में उसके पापा का लंड उतरता चला गया.
आआआआआआआआआआह्ह्ह्ह उसने थोडा ऊपर होकर लम्बी सिसकारी निकाली...और अपने चुचे को अजय चाचू के मुंह में ठूस दिया...
आआआआआआआआअह्ह्ह्ह पाआआआआआआ पाआआआआआआ म्म्म्मम्म्म्मम्म......
अब चाचू का पूरा लंड उनकी बेटी की चूत के अन्दर था, नेहा ने उछलना शुरू किया और अपने पापा का लंड अपनी चूत में अन्दर बाहर करने लगी.
चाची और ऋतू नीचे बैठी बड़े गौर से इस चुदाई को देख रही थी, चाची ने हाथ आगे करके अपनी उंगलियाँ ऋतू की चूत में डाल दी, और ऋतू ने आरती चाची की चूत में.
फिर उन्होंने अपनी टाँगे एक दुसरे मैं ऐसी फंसाई की दोनों की चूत आपस में रगड़ खाने लगी, और उन्होंने बैठे -२ ही एक दुसरे की चूत को अपनी चूत से रगड़ना शुरू कर दिया.
आआआआआह अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ssssssssssss......................... अहहहः आहा हाहा हा हा हा हा अ हा हह्ह्ह म्मम्म.
ऋतू और चाची अजीब तरह से हुंकार रही थी.
पुरे कमरे में सेक्स का नया दौर शुरू हो चूका था.
मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो चूका था, पर इतनी चुदाई के कारण वो दर्द भी कर रहा था, इसलिए मैंने दूर बैठे रहना ही उचित समझा.
चाचू ने नेहा के गोल चूतड़ों को पकड़ा और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए, नेहा की सिस्कारियां चीखों में बदल गयी और जल्दी ही वो झड़ने लगी..
आआआआआअह्ह अह्ह्ह अहः अहः अ अहः अ आहा हा हा./////पपाआआआअ मैं आयीईईईइ ......ऊऊऊऊओ .....ऊऊऊऊऊऊऊऊऊ......ऊऊऊऊऊऊऊऊ..................................... आआआआआआह्ह..
और उसने अपने रस से पापा के लंड को नहला दिया. और अपने मोटे-२ चूचो को उनके मुंह पर दबा कर वहीँ निढाल हो कर गिर पड़ी.
चाचू ने उसे नीचे उतारा और उसकी टांगो को अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया और अपना लंड उसकी चूत में फिर से डाल दिया, और लगे धक्के देने,
उनका भी तीसरा मौका था, इसलिए झड़ने में काफी समय लग रहा था, पर जल्दी ही अपने नीचे पड़ी अपनी बेटी के मोटे-२ मुम्मे हिलते देखकर वो भी झड़ने लगे और अपना रस उसकी चूत के अन्दर उड़ेल दिया और उसकी छाती के ऊपर गिर कर हांफने लगे.
नेहा ने उनके चारों तरफ अपनी टाँगे लपेट ली सर पर धीरे-२ हाथ फेरने लगी.
चाची और ऋतू की चूत भी आपसी घर्षण की वजह से जल उठी और उनका लावा भी निकल पड़ा और उन्होंने झड़ते हुए एक दुसरे को चूम लिया.
मैं ये सब देखकर बेड के एक कोने में बैठा मुस्कुरा रहा था.
थोड़ी देर लेटने के बाद चाचू और चाची चले गए, उनके जाते ही ऋतू और नेहा ने एक दुसरे की चूत चाटकर साफ़ कर दी और हम तीनो वहीँ नंगे लेट गए,
दुसरे कमरे में जाकर चाची ने शीशा हटा कर देखा और अपनी नंगी बेटी को मेरी बगल में लेटे हुए देखकर वो मुस्कुरा दी.
अगले दिन सुबह हम तीनो, यानि मैं, ऋतू और नेहा नाश्ता करने के बाद पहाड़ी की तरफ चल दिए, ऋतू आगे चल रही थी, वो वहीँ कल वाली जगह पर जा रही थी, उस ऊँची चट्टान पर,
मैं और नेहा उसके पीछे थे, नेहा ने अपने हाथ मेरी कमर पर लपेट रखे थे और मैंने उसकी कमर पर, बीच-२ में हम एक दुसरे को किस भी कर लेते थे, बड़ा ही सुहाना मौसम था, आज धुप भी निकली हुई थी.
नेहा थोडा थक गयी और सुस्ताने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गयी, मैं भी उसके साथ बैठ गया, ऋतू आगे निकल गयी और हमारी आँखों से ओझल हो गयी.
नेहा ने अपने होंठ मेरी तरफ बढा दिए और में उन्हें चूसने लगा, मैंने हाथ बढ़ा कर उसके सेब अपने हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा,
उसे बहुत मजा आ रहा था, मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था, पर तभी मेरा ध्यान ऋतू की तरफ गया और मैं जल्दी से खड़ा हुआ और नेहा को चलने को कहा, क्योंकि वो जंगली इलाका था और मुझे अपनी बहन की चिंता हो रही थी,
हम जल्दी-२ चलते हुए चट्टान के पास पहुंचे और वहां देखा तो ऋतू अपने उसी पोस में बैठी थी, अपने कपडे उतार कर, बिलकुल नंगी.
"तुम क्या रास्ते में ही शुरू हो गए थे, इतनी देर क्यों लगा दी ?" उसने हमसे शिकायती लहजे से पूछा.
नेहा ने जब देखा की ऋतू नंगी है तो उसने भी अपनी लोन्ग फ्रोक्क को नीचे से पकड़ा और अपने सर से उठा कर उसे उतार दिया, वो नीचे से बिलकुल नंगी थी और वो भी जाकर अपनी बहन के साथ चट्टान पर लेट गयी,
अब मेरे सामने दो जवान नंगी लड़कियां बैठी थी, मेरा लंड मचल उठा और मैंने भी अपने कपडे बिजली की फुर्ती से उतार डाले.
नेहा ने मेरा लंड देखा तो उसकी आँखों में एक चमक सी आ गयी, वो आगे बड़ी तभी ऋतू ने उसे पीछे करते हुए कहा "चल कुतिया पीछे हो जा, पहले मैं चुसुंगी अपने भाई का लंड"
नेहा को विश्वास नहीं हुआ की ऋतू ने उसे गाली दी, पर जब हम दोनों को मुस्कुराते हुए देखा तो वो समझ गयी की आज गाली देकर चुदाई करनी है,
तो वो भी चिल्लाई "तू हट हरामजादी, अपने भाई का लंड चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आती भेन की लोड़ी, कमीनी कहीं की...." और उसने ऋतू के बाल हलके से पकड़ कर पीछे किया और झुक कर मेरे लम्बे लंड को मुंह में भर लिया.
ठन्डे मौसम में मेरा लंड उसके गरम मुंह में जाते ही मैं सिहर उठा.
"अच्छा तो तू इसे चुसना चाहती है, ठहर मैं तुझे बताती हूँ..."और ये कहते ही उसने नेहा की गांड को थोडा ऊपर उठाया और अपनी जीभ रख दी उसके गांड के छेद पर..
आआआआआयीईईईईईईई ....."वो चिल्ला उठी..और इतने में ऋतू ने एक जोरदार हाथ उसके गोल चुतड़ पर दे मारा....और अपनी एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में डाल दी...
आआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ......नहीईईईईईईईईईईई .....वहान्न्नन्न्न्न नहीईईईईईईईई.....पर ऋतू ने नहीं सुना और अपनी दूसरी ऊँगली भी घुसेड दी...उसकी आँखें बाहर निकल आई. पर उसने मेरा लंड चुसना नहीं छोड़ा...
उनकी लड़ाई में मेरे लंड का बुरा हाल था, क्योंकि अपने ऊपर हुए हमले का बदला नेहा मेरे लंड को उतनी ही जोर से चूस कर और काट कर ले रही थी...
मैंने नेहा के बाल वहशी तरीके से पकडे और उसका चेहरा ऊपर करके उसके होंठ काट डाले, वो दर्द से बिलबिला उठी " छोड़ कुत्ते ......आआआआआआयीईईईईइ ..भेन चोद..भुतनी के...आआआआआह...
वो चिल्लाती जा रही थी, क्योंकि उसकी गांड में ऋतू की उँगलियाँ थी जिससे उसकी गांड फट रही थी और ऊपर से उसके उसके होंठ काट-२ कर मैं उसकी फाड़ रहा था, उसके मुंह से लार गिर रही थी और उसके पेट पर गिरकर उसे चिकना बना रही थी,
अचानक ऋतू ने अपने दुसरे हाथ को आगे बढाकर मेरी गांड में एक ऊँगली दाल दी, मेरे तन बदन में बिजली दौड़ गयी, मैं उछल पड़ा, पर मैंने नेहा को चुसना नहीं छोड़ा, फिर मैंने अपनी बलशाली भुजाओं का प्रयोग किया और नेहा को किसी बच्चे की तरह उसकी जांघो से पकड कर ऊपर उठा लिया और उसने अपनी टांगे मेरे मुंह के दोनों तरफ रख दी, और अपनी चूत का द्वार मेरे मुंह पर टिका दिया.
ऋतू ने चूसकर उसकी चूत को काफी गीला कर दिया था, मेरे मुंह में उसका रस और ऋतू के मुंह की लार आई और मैं सड़प-२ कर उसे चाटने लगा, उसने मेरे बालों को जोर से पकड़ रखा था और मैं चट्टान पर अपनी गांड टिकाये जमीन पर खड़ा था, नेहा मेरे मुंह पर चूत टिकाये चट्टान पर हवा में खड़ी थी, और ऋतू नीचे जमीन पर किसी कुतिया की तरह अब मेरे गांड के छेद को चाट रही थी.
पूरी वादियों में हम तीनो की सिस्कारियां गूंज रही थी.
मैंने अपना हाथ पीछे करके नेहा की गांड पर रख दिया और उसकी गांड के छेद में एक साथ दो उंगलियाँ घुसा दी, अब उसे भी अपनी गांड के छेद के द्वारा मजा आ रहा था,
पिछले दो दिनों में वो मुझसे और अपने बाप से चुद चुकी थी, आज उसके मन में गांड मरवाने का भी विचार आने लगा, गांड में हुए उत्तेजक हमले और चूत पर मेरे दांतों के प्रहार से वो और भड़क उठी और वो अपनी चूत को ओर तेजी से मेरे मुंह पर घिसने लगी, और झड़ने लगी.......आआआआआआआआअह्ह्ह...ले कुत्ते ....भेन के लोडे.....पी जा मेरा रस......आआआआआआआआह्ह...
उसकी चूत आज काफी पानी छोड़ रही थी, मेरे मुंह से निकलकर चूत के पानी की बूंदे नीचे गिर रही थी और वहां बैठी हमारी कुतिया ऋतू अपना मुंह ऊपर फाड़े उसे कैच करने में लगी हुई थी.
झड़ने के बाद नेहा मेरे मुंह से नीचे उतर आई और चट्टान पर अपनी टाँगे चोडी करके बैठ गयी, मैंने अपना फड़कता हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा ही था की उसने मुझे रोक दिया ओर बोली "आज मेरी गांड में डालो....
" मैंने हैरानी से उसकी आँखों में देखा ओर उसने आश्वासन के साथ मुझे फिर कहा "हां...बाबा...चलो मेरी गांड मारो...प्लीज़ ..
" मैंने अपनी वही पुरानी तरकीब अपनाई ओर एक तेज झटका मारकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया....वो चिल्लाई..."अबे...भेन चोद..समझ नहीं आती क्या...गांड मार मेरी...चूत नहीं कुत्ते..." पर मैं नहीं रुका ओर उसकी चूत में अपना लंड अन्दर तक पेल दिया ओर तेजी से झटके मारने लगा.....
अब मेरा लंड उसकी चूत के रस से अच्छी तरह सराबोर हो चूका था, मैंने उसे निकाला, उसकी आँखों में विस्मय के भाव थे की मैंने उसकी चूत में से अपना डंडा क्यों निकाल लिया,
मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा, कुतिया वाले पोज़ में...., वो समझ गयी ओर अपनी मोटी गांड उठा कर चट्टान पर अपना सर टिका दिया,
ऋतू जो अब तक खामोश बैठी अपनी चूत में उँगलियाँ चला रही थी, उछल कर चट्टान पर चढ़ गयी ओर अपनी टाँगे फैला कर नेहा के मुंह के नीचे लेट गयी, नेहा समझ गयी ओर अपना मुंह उसकी नरम ओर गरम चूत पर रख दिया ओर चाटने लगी..
आआआआआआआआह्ह्ह....ऋतू ने अपनी आँखें बंद कर ली ओर चटवाने के मजे लेने लगी, .म्म्म्मम्म्म्मम्म .....
वो नेहा के सर को अपनी चूत पर तेजी से दबा रही थी...चाट कुतिया....मेरी चूत से सारा पानी चाट ले...आआआआआआअह्ह्ह.....भेन चोद ....हरामजादी....चूस मेरी चूत को....आआआआआह्ह्ह्ह...
नेहा ने उसकी चूत को खोल कर उसकी क्लिट को अपने मुंह में ले लिया ओर चूसने लगी, ऋतू तो पागल ही हो गयी..
ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह अह अह अह अह अह अह अह .......वो बड़बड़ाये जा रही थी ओर चुसवाती जा रही थी.
पीछे से मैंने नेहा की गांड की बनावट देखी तो देखता ही रह गया, उसके उठे हुए कुल्हे किसी बड़े से गुब्बारे से बने दिल की आकृति सा लग रहा था,
मैंने उसे प्यार से सहलाया ओर अपने एक हाथ से उसे दबाने लगा , ....नेहा ने ऋतू की चूत चाटना छोड़ा ओर पीछे सर करके बोली "अबे भेन चोद.....क्या अपना लंड हिला रहा है पीछे खड़ा हुआ...कमीने, मेरी गांड मसलना छोड़ ओर डाल दे अपना हथियार मेरी कुंवारी गांड में...डाल कुत्ते....." वो लगभग चिल्ला ही रही थी.
मैंने अपना लंड थूक से गीला किया ओर उसकी गांड के छेद पर टिकाया ओर थोडा सा धक्का मारा...
अयीईईईईईईईईईई .........मर गयीईईईईईईईईईईइ .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ..............नहीईईईईईईईइ...."मेरे लंड का टोपा उसकी गांड के रिंग में फंस गया था....मैंने आगे बढकर अपने लंड का निशाना बनाकर थूक फैंकी जो सही निशाने पर लगी, लंड गीला हो गया, मैंने एक ओर धक्का मारा....
आआआआआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह ये चीख काफी लम्बी थी...उसने अपने दांत ऋतू की चूत में गाड़ दिए, वो भी बिलबिला उठी....."हत्त्तत्त्त्त कुतियाआआआअ.......अपनी गांड फटने का बदला मेरी चूत से ले रही है........
आआआआआआआआह्ह्ह्ह ...धीरे चाट........नहीं तो तेरी चूत में लकड़ी का तना डाल दूंगी..."ऋतू ने नेहा को धमकी दी..
मेरा लंड आधा उसकी गांड में घुस चूका था....मैंने उसे निकाला ओर थोड़ी ओर थूक लगाकर फिर से अन्दर डाला..
अब मैं सिर्फ आधा लंड ही डाल रहा था, वो अपनी गांड धीरे -२ मटका कर घुमाने लगी,
मैं समझ गया की उसे भी मजा आ रहा है, नेहा की गांड मोटी होने के साथ-२ काफी टाईट भी थी, ८-१० धक्के लगाने के बाद मैंने फिर से आगे की तरफ झटका मारा......
"तेरी माँ की चूत........भोंसड़ीके ....कमीने....कुते....फाड़ डाली मेरी गांड......आआआआआआआआह्ह्ह्ह ......वो चिल्लाती जा रही थी ओर अपनी गांड मटकाए जा रही थी, मैं समझ नहीं पा रहा था की उसे मजा आ रहा है या दर्द हो रहा है.
उधर ऋतू का बुरा हाल था, चटवाने से पहले उसे बड़े जोर से पेशाब आ रहा था, पर चटवाने के लालच में वो कर नहीं पायी थी,
अब जब नेहा उसकी चूत का ताना बाना अलग कर रही थी तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ ओर उसने अपने तेज पेशाब की धार सीधे नेहा के मुंह में दे मारी,
पहले तो नेहा को लगा की ऋतू झड गयी है पर जब पेशाब की बदबू उसके नथुनों में समायी तो उसने झटके से अपना मुंह पीछे किया ओर उसकी चूत पर थूक दिया, उसकी चूत का फव्वारा बड़ी तेजी से उछला ओर उसके सर के ऊपर से होता हुआ नेहा की पीठ पर गिरा,
मेरे सामने ऋतू अपनी चूत खोले अपने पेशाब से नेहा की कमर भिगो रही थी, उसकी कमर से होता हुआ ऋतू का पेशाब, मेरे गांड मारते लंड तक फिसल कर आ गया ओर उसे ओर लसीला बना दिया, ओर मैं ओर तेजी से नेहा की गांड मारने लगा...
नेहा ने अपना मुंह तो हटा लिया था पर उसके गले से कुछ बुँदे उसके पेट में भी चली गयी थी, उसका स्वाद थोडा कसेला था, पर उसे पसंद आया,
आज वो किसी जंगली की तरह बर्ताव कर रही थी, उसने उसी जंगलीपन के आवेश में अपना मुंह वापिस बारिश कर रहे फुव्वारे पर टिका दिया, ओर जलपान करने लगी...
ऋतू ने जब देखा की उसकी बहन उसका पेशाब पी रही है तो वो ओर तेजी से झटके दे देकर अपनी चूत उसके मुंह में धकेलने लगी.
मेरा लंड भी अब काफी गीला हो चूका था, थूक, पेशाब ओर नेहा की चूत के रस में डूबकर..
वो किसी पिस्टन की तरह उसकी गांड में अन्दर बाहर हो रहा था, नेहा की गांड का कसाव मेरे लंड पर हावी हो रहा था, मेरे लंड ने जवाब दे दिया ओर उसने नेहा की गांड में उल्टी कर दी.
नेहा ने भी अपनी गांड में गर्म गर्म मलाई महसूस करते ही, झड़ना शुरू कर दिया, ओर वहां ऋतू की चूत ने भी जवाब दे दिया ओर वो भी रस टपकने लगी,
नेहा ने अपनी गांड से मेरा लंड निकाला ओर अपना मुंह ऋतू की चूत की तरफ घुमा कर अपनी गांड उसके मुंह पर टिका दी, ऋतू मेरी मलाई को चाटने लगी ओर अपना रस नेहा को चटवाने लगी,
मैं जमीन पर खड़ा हुआ अपने मुरझाते हुए लंड को देख रहा था ओर उन दोनों कुतियों को एक दुसरे की चूत चाटते हुए देख रहा था.
सारी चुदाई की महाभारत ख़त्म होने के बाद हम तीनो ने अपने कपडे पहने और नीचे की तरफ चल दिए, नेहा थोडा धीरे चल रही थी, चले भी क्यों न उसकी गांड जो फट गयी थी आज..
हम तीनो नीचे पहुंचे और देखा की टेबल पर मोनी और सोनी एक लड़के के साथ बैठी है और गप्पे मार रही है, मोनी - सोनी को देखते ही मेरे मन में एक प्लान आया,
मैंने नेहा और ऋतू को एक कोने में ले जाकर अपना प्लान बताया, ऋतू तो मेरे बारे में जानती थी की मैं कितना कमीना हूँ, नेहा के लिए ये पहला अवसर था इसलिए वो थोड़ी घबरा गयी पर ऋतू और मेरे आश्वासन देने के बाद वो भी मान गयी हमारे प्लान में शामिल होने के लिए.
हम तीनो टेबल पर पहुंचे और हाय - हेल्लो करने के बाद वहीँ बैठ गए.
सोनी : "ऋतू, ये है रेहान, ये भी अपने मोम-डैड के साथ यहाँ आया है..."
हम सबने रेहान को हाय किया.
रेहान बड़े गौर से ऋतू और नेहा को देख रहा था, वो काफी मोटा था, उसका गोल चेहरा था और बिना मूंछ की हल्की दाड़ी थी.
वो शक्ल से ही बड़ा चोदु किस्म का लग रहा था, उसके पहनावे और टपोरी स्टाइल से पता चलता था की वो ज्यादा अमीर टाइप का नहीं था. ऋतू उसपर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही थी.
पर जब मैंने नेहा को देखा तो वो उसे एकटक निहार रही थी, मेरी समझ में नहीं आया की उसे इस उल्लू में क्या दिखाई दे रहा है.
रेहान ने बताया की उसके अब्बा की रिटेल स्टोर की चैन है, जोर देने पर उसने कहा की "नॉन-वेज अाईटम की" मैं समझ गया की साला कसाई की औलाद है.
मैंने बात शुरू की.
"क्या तुम लोग कुछ ऐसी बात जानना चाहते हो अपने पेरेंट्स के बारे में जो तुमने कभी सोची भी न हो.." मैंने सोनी और मोनी की तरफ देखते हुए कहा.
"तुम्हारा क्या मतलब है....?" सोनी ने पूछा, आज स्किन टाईट टी शर्ट में वो ग़जब की लग रही थी.
"अगर मैं तुम्हे बता दूं तो तुम मेरा विश्वास नहीं करोगे..., तुम्हे मेरे साथ चल कर देखना पड़ेगा." मैंने कहा.
"और वो तुम कैसे करोगे और क्या दिखाओगे" इस बार मोनी ने पूछा, वो अपनी मचलती जवानी छोटी सी निक्कर और टी शर्ट में छुपा कर इठला रही थी.
"हम आज रात प्रोग्राम के टाइम तुम्हारे कॉटेज में आयेंगे और तुम्हे दिखायेंगे.." मैंने उस हूर परी की आँखों में देखकर कहा.
"मुझे तो ये सब बड़ा अजीब सा लग रहा है...." सोनी ने कहा.
"ये अजीब से भी ज्यादा अजीब है....मैं शर्त लगा कर कह सकता हूँ" मैंने उससे कहा.
इतने में हमारी बातें सुनकर वो चोदु रेहान बोल पड़ा "तुम कहना क्या चाहते हो..?? खुल कर बताओ...और शर्त लगाने वाली बात है तो पता तो चले की किस बात पर शर्त लग रही है" उसने अपने गंदे दांत निकालते हुए कहा.
"तुम इसमें interested हो या नहीं...बस ये बताओ" मैंने मोनी और सोनी को देखते हुए कहा.
"ये हम तभी बतायंगे जब तुम हमें पूरी बात बताओ" सोनी ने अपना फैसला सुना दिया..
"ठीक है अगर तुम सुनना ही चाहती हो तो बताता हूँ, पर ध्यान रहे, तुम मुझपर नाराज मत होना, क्योंकि मैं अपनी बात प्रूव भी कर सकता हूँ" मैं उससे कहा.
"ठीक है...बोलो" वो चोदु बोला..
"तो सुनो...जब हम सभी बच्चे रोज रात को प्रोग्राम देख रहे होते है तो तुम्हारे पेरेंट्स ग्रुप सेक्स करते हैं. " मैंने उनसे कहा, वो तीनो मेरी बात सुनकर मुझे घूर कर देखने लगे..और उनके चेहरे पर गुस्से के भाव साफ़-२ दिखाई देने लगे.
"ये क्या बकवास कर रहे हो तुम...!! हमने तुमसे दोस्ती की और तुम हमारे पेरेंट्स के बारे में ऐसी गन्दी बात कर रहे हो, वो एक दुसरे को बहुत प्यार करते है, उन्हें ग्रुप सेक्स करने की क्या जरुरत है... ??
तुमने ऐसा सोचा भी कैसे...." सोनी ने गुस्से से तमतमाकर कहा.
"हाँ ...तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसी बात करने की, हमारे पेरेंट्स के बारे में ऐसी बात करने की इजाजत तुझे किसने दी...साले...अपनी औकात में रह..अगर ये लडकियां तेरे साथ ना होती तो मैं तेरा कचूमर निकाल देता.." रेहान ने दांत पिसते हुए कहा.
"मेरा भाई जो कह रहा है वो सही है, मैं इस बात का सबूत हूँ" ऋतू ने बीच में बोलते हुए कहा.
ऋतू की बात सुनकर सोनी, मोनी और रेहान थोड़ी देर के लिए चुप हो गए और सोचने लगे.
"देखो तुम मेरा विश्वास करो, जो मैं कह रहा हूँ वो सच है, ये मैं आज रात के प्रोग्राम के समय साबित भी कर दूंगा,
और ये बात मैं तुम लोगो को इसलिए कह रहा हूँ की अब हम दोस्त हैं, और अगर तुम्हारे पेरेंट्स ऐसी कोई हरकत कर रहे हैं तो इसके बारे में तुम्हे मालुम होना ही चाहिए,,,,अगर तुम्हे ये बात हमारे पेरेंट्स के बारे में पहले मालुम चलती तो क्या तुम मुझे न बताती हमारी दोस्ती के कारण...बोलो" मैंने उन्हें समझाते हुए कहा.
"हाँ शायद मैं बताती...पर लोग ऐसी घटिया हरकतें नहीं कर सकते...खासकर हमारे पेरेंट्स..." सोनी ने अपना तर्क दिया.
"ठीक है ..फिर आज रात खुद देख लेना..और उसके बाद मैं तुम्हे एक और सीक्रेट बताऊंगा..." मैंने कहा.
"ठीक है...हम तैयार हैं...पर अगर तुम झूठ बोल रहे हो तो मैं ये सारी बात अपने और तुम्हारे पेरेंट्स को बता दूंगी." सोनी ने कहा.
"ठीक है, मुझे मंजूर है.." मैंने कहा,
"तो अब हम ठीक दो घंटे बाद प्रोग्राम वाली जगह पर मिलते हैं. " और ये कहकर सोनी और मोनी चले गए.
"मैं भी देखता हूँ की तुम्हारी बातों में कितनी सचाई है..."रेहान ने मुझे घूरते हुए कहा और ऋतू की तरफ देखकर मुस्कुरा दिया और वो भी चला गया..साला कमीना..मैंने उसकी गन्दी नजर भांप कर उसे मन ही मन गाली दी.
"क्या सच में तुम ये सब करना चाहते हो..." नेहा अभी भी डर रही थी.
"अरे तुम देखती जाओ..कितना मजा आने वाला है...तुम बस मजे लो" मैंने उसके गोल चूतडों पर हाथ मारते हुए कहा और हम भी वापिस अपने कोटेज की तरफ चल दिए.
रात को प्रोग्राम शुरू होने के बीस मिनट बाद वो सभी थोड़ी-२ देर में उठे और बाहर आकर एक जगह इकठ्ठा हो गए. रेहान बड़ा फुदक रहा था, वो जानता था की अगर मेरी बात सच हुई तो उसके तो मजे हैं और अगर झूट निकली तो मेरी बेईज्जती देखने को तो मिलेगी ही..
मैंने उन्हें समझाया की हमें बिलकुल चुपचाप रहना होगा, अगर जरा सी भी आहट हुई तो सारा खेल बिगड़ जाएगा.
हम सभी उनके कॉटेज में पहुंचे और बिना किसी आहट किये मोनी और सोनी के बेडरूम में चले गए, मैंने देख लिया था की उनके साथ वाले बेडरूम से रौशनी आ रही है, यानी वहां पक्का कोई खेल चल रहा है.
अन्दर जाने के बाद सोनी मेरे बिलकुल सामने खड़ी हो गयी और अपनी छाती ऊपर नीचे करते हुए मुझे देखने लगी और बोली "अब बताओ...क्या कह रहे थे तुम..?"
मैं आगे बड़ा और शीशा हटा कर दुसरे कमरे में देखा, मेरा अनुमान सही था. वहां दो औरतें 69 की अवस्था में एक दुसरे की चूत चाट रही थी,
मैंने गौर से देखा तो पाया , ये तो वोही कल वाली आंटी मंजू थी, जिसकी काफी मोटी गांड थी, पर आज वो किसी और जोड़े के साथ थे, और उनके पास बैठे दो आदमी अपने लंड हाथों में पकड़ कर मसल रहे थे और उन्हें देख रहे थे,,
एक तो वोही कल वाला आदमी यानी मंजू का पति और सोनी,मोनी का बाप था दूसरा कोई नया आदमी था, मैंने सोनी को कहा "ओके..यहाँ आओ और देखो"
वो उस शीशे के हटते ही आश्चर्यचकित रह गयी की ऐसी जगह उनके कमरे में हैं जहाँ से दुसरे कमरे में देखा जा सकता है, और अगर है भी तो मैं ये कैसे जानता हूँ, पर उसने सोचा ये बाद में देखेंगे अभी तो दुसरे कमरे में क्या है वो देखा जाये..
ये सोचकर जैसे ही वो आगे आई और अन्दर देखा तो उसके हाव भाव ही बदल गए, उसका मुंह खुला का खुला रह गया.
मोनी जो अपनी बहन का चेहरा देखते ही समझ गयी थी की अन्दर क्या हो रहा है, झट से आगे आई और उसे पीछे करके अन्दर देखने लगी, सोनी ने उसे रोकने की कोशिश की पर तब तक देर हो चुकी थी..
मोनी ने अन्दर देखा और वो बोली "WOW .....तुम सच कह रहे थे..."
सोनी ने उससे कहा "मोनी तुम पीछे हट जाओ, तुम्हे ये सब नहीं देखना चाहिये.."
मोनी : " अरे..सोनी देख तो , मम्मी कैसे इंदु आंटी की टांगो के बीच में उनकी चूत चाट रही है....और शर्मा अंकल और पापा कैसे अपने हाथों में अपना लंड लेकर मसल रहे हैं, कितने बड़े हैं दोनों के..." वो देखे जा रही थी और धीरे-२ बोले जा रही थी.
अपनी बहन के मुंह से लंड और चूत जैसे शब्द सुनकर स्तब्ध रह गयी, पर कुछ ना बोली...
"अरे देखो सोनी, पापा अब अपना लंड इंदु आंटी की चूत में दाल रहे हैं....वो....और मम्मी भी शर्मा अंकल को लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गयी है और उनका लंड अपनी चूत में ले कर उछल रही है.."
उनकी बातें सुनकर वो चोदु रेहान आगे आया और मोनी को साइड करके खुद देखने लगा, अन्दर का नंगा नाच देखकर उसने अपनी जींस के ऊपर से ही अपना लंड मसलना शुरू कर दिया..
"ये सब कितने मजे कर रहे हैं, उनके चेहरे देख कर लगता है की वो इन सबमे खुश हैं, कितनी सफाई से वो एक दुसरे से प्यार कर रहे है..." रेहान ने कहा.
"हाँ ...ये सब खुश हैं और इन्हें मजे भी आ रहे हैं, तभी तो इस वक़्त सभी पेरेंट्स अपने-२ कॉटेज में यही कर रहे हैं.." मैं उनसे कहा.
"ये तुम क्या कह रहे हो...सभी पेरेंट्स यही कर रहे हैं ? " सोनी ने आश्चर्य से मेरी तरफ देखते हुए कहा.
"हाँ..सभी पेरेंट्स...अगर तुम मेरे साथ आओ तो मैं तुम्हे दिखा भी सकता हूँ" मैंने उसे कहा.
"क्या सच में...मैं तो जरूर देखना चाहूंगी ..." मोनी ने मचलते हुए कहा.
"चलो फिर मेरे साथ...तुम ये सब रोज देख सकते हो अगर तुम चाहो तो.." मैंने उनसे कहा और हम सब बाहर की तरफ चल दिए.
मैंने बाहर आकर देखा और एक और कॉटेज में, जहाँ से लाइट बाहर आ रही थी, चले गए, वहां भी हम सभी चुप चाप अन्दर गए, अन्दर आकर मैंने शीशा हटाया और अन्दर देखा. वासना का नंगा नाच चल रहा था, तीन जोड़े थे वहां पर..सभी एक दुसरे की मारने में लगे हुए थे.
मोनी ने मुझे पीछे किया और अन्दर देखने लगी
"अरे...देख तो सोनी..ये आंटी कैसे अपनी चूत में उस अंकल का लंड ले रही है और दुसरे अंकल उनकी गांड में लंड डाल रहे हैं, और वो आंटी कितने मजे से आँखें बंद करके मजे से चीख रही है..." वो बुदबुदाये जा रही थी और अन्दर का हाल बताये जा रही थी, अन्दर का नजारा, सोनी, मोनी, रेहान, नेहा और रितु ने भी देखा..
मैंने नोट किया की मोनी अन्दर का नजारा देख कर काफी खुश हो रही है, पर जब मैंने सोनी की तरफ ध्यान दिया तो पाया की वो अपनी जींस के ऊपर से अपनी चूत को रगड़ रही है, उससे कण्ट्रोल नहीं हो पा रहा था, मैं समझ गया को अब इसके कपडे उतारने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.
और वो चोदु रेहान तो अपनी लार टपका -२ कर ऐसे देख रहा था की अभी दीवार फाड़ कर दुसरे कमरे में घुस जाएगा और चुदाई में शामिल हो जाएगा.
घूमकर जब वो मेरी बहन ऋतू को अपनी चुदासी नजरों से देखता तो मेरा खून खोल उठता..पर इस समय मेरा ध्यान इन दो कमसिन लड़कियों, सोनी और मोनी, पर था.
"चलो अब आगे चलते हैं, एक और कॉटेज देखते हैं" मैंने उनसे कहा.
हम सब बाहर निकल आये और इस बार मैं उन्हें अपने कॉटेज में ले आया और अपने रूम में आकर मैंने शीशा हटाया और अन्दर देखा,
वहां मम्मी और चाची नीचे जमीन पर बैठी हुई पापा और अजय चाचू का लंड चूस रही थी, और एक हाथ से अपनी-२ चूत भी मसल रही थी, मम्मी खड़ी हुई और चाचू की गोद में चढ़ कर अपनी टाँगे हवा में लटका दी और उनका मोटा और खड़ा हुआ लंड उनकी गीली चूत में उतरता चला गया,
आआआआआआआआआआआआआह...वहां से मेरी माँ की तेज आवाज आई, आवाज सुनकर सोनी आगे आई और मेरे आगे आकर अन्दर देखने लगी.
मैंने आगे बढकर उसके कंधे पर सर टिका दिया और उसकी उभरती हुई गांड पर अपने लंड का दबाव दाल दिया और कहा "ये हमारे पेरेंट्स है.."
वो विस्मय से मुझे देखकर बोली "ये क्या कह रहे हो...सही में...? कोनसे वाले..?"
"वो जो गोद में चढ़ कर मजे ले रही है वो मेरी माँ है, और जो उनकी मार रहा है वो मेरे चाचू है,
और वो नीचे मेरी चाची मेरे पापा का लंड मुंह में लेकर चूस रही है.." मैंने उसके कानो से अपने होंठ सटाते हुए कहा, मेरे होंठो का स्पर्श अपने कानों पर पाकर वो सिहर उठी.
"क्या उन्हें मालुम है की तुम इस तरह उन्हें देखते हो" उसने आगे पूछा
"उन्हें तो नहीं, पर चाचू और चाची को पता है"
"और वो गुस्सा नहीं हुए इस बात पर"
"नहीं..बल्कि ये जानने के बाद तो वो दोनों हमारे कमरे में आये और हमने भी एक दुसरे के साथ मजे किये"
"तुम मजाक तो नहीं कर रहे हो...तुम्हारे सगे चाचा चाची ने तुम दोनों के साथ ये सब किया"
"हम दोनों के साथ ही नहीं, उन्होंने अपनी बेटी के साथ भी चुदाई की" मैंने नेहा की तरफ इशारा किया, नेहा मुस्कुरा दी.
बाप ने बेटी की चुदाई की, ये बात सुनते ही सोनी के दिमाग में एक बिजली सी कौंध गयी और उसके जहन में अपने कमरे से देखा वो नजारा तैर गया जहाँ उसके पापा अपना मोटा लंड अपने हाथ में लेकर मसल रहे थे.
उसका एक हाथ बरबस ही अपनी चूत पर चला गया और वो उसे मसलने लगी.
मैंने भी मौके का फायदा उठाया और उसके मोटे चूतडो पर अपना एक हाथ टिका दिया, और मसल दिया, उसने मुझे अर्थपूर्ण नजरों से देखा पर कुछ कहा नहीं.
मोनी जो काफी देर से अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी, आगे आई और अन्दर देखने लगी, रेहान भी उसके साथ-२ देखने लगा.
"पर वो तो बड़े लोग हैं, उनकी उम्र 35 -45 के आसपास होगी, वो ये सब एक दूसरे से करते है, उन्हें तुम लोगो में और तुम्हे उन लोगो में क्या मजा आया होगा." सोनी ने मुझसे कहा.
"सभी को एक दुसरे से मजा आता है, हर व्यस्क अपने से छोटी उम्र वाले के साथ चुदाई करना चाहता है और हर टीनएजर बड़ी उम्र वाले के साथ, और मैं शर्त लगा कर कह सकता हूँ की तुम्हारे मम्मी पापा के साथ भी मैं ये सब कर सकता हूँ और वो ख़ुशी-२ कर भी लेंगे." मैंने उसकी आँखों में देखकर कहा.
"मैं ये मान ही नहीं सकती..." उसने दृढ़ता से कहा.
"हाँ जैसे तुम वो बात नहीं मान रही थी की तूम्हारे पेरेंट्स ग्रुप सेक्स करते हैं" मैंने उसका जवाब दिया.
मैंने आगे कहा "चलो लगी शर्त...अगर मैंने आज रात उनके साथ ये कर लिया तो तुम्हे कल रात यही सब मेरे साथ करना होगा."
"क्या बकवास है...इसका सवाल ही नहीं उठता" उसने मुझे घूरते हुए कहा.
मोनी ने बीच में बोलते हुए कहा "सोनी, अगर तुम्हे इतना ही विश्वास है अपने ऊपर की मम्मी पापा इसके साथ ये सब नहीं करेंगे तो शर्त लगाने में क्या प्रॉब्लम है... !!
और अगर वो कर लेते हैं तो हमें भी तो कुछ मजे लेने का अधिकार है के नहीं.."उसकी जवानी मचल रही थी.
कुछ देर सोचने के बाद सोनी ने कहा "ठीक है...जैसा तुम कहो"
"चलो फिर...चलें यहाँ से.." मैंने उनसे कहा और हम सभी बाहर निकल आये.
बाहर आकर मैं वापिस सोनी और मोनी के कॉटेज के अन्दर गया और शीशा हटा कर अन्दर देखा, वहां अभी तक वही चुदाई का प्रोग्राम चल रहा था.
"इधर आओ और मुझे बताओ, तुम्हारे मम्मी पापा कोन से है" मैं जानता तो था पर confirm कर रहा था.
"वो जो नीचे जमीन पर बैठी लंड चूस रही है वो मेरी मम्मी है और वो जो पलंग पर उस आंटी की गांड मार रहे हैं वो मेरे पापा हैं"
सोनी ने मुझसे कहा.
"ठीक है, तुम सब यहाँ वेट करो, अन्दर मैं और ऋतू ही जायेंगे" मैंने ऋतू को इशारा किया, उसकी तो चूत पिछले 1 घंटे से सुलग रही थी, अलग-२ तरह के लंड और चुदाई देखकर, मेरा इशारा पाते ही वो मेरे पीछे चल पड़ी.
मैं और ऋतू घूमकर बाहर आये और मैंने धीरे से ऋतू के कान में अपना प्लान समझाया, और फिर हम दोनों ने जल्दी से अपने-२ कपडे उतार दिए और नंगे हो गए, मैंने दरवाजा खोला और हम दोनों अन्दर आ गए.
सोनी की मम्मी, मंजू, जो शर्मा जी का लंड चूस रही थी, उसकी नजर हम दोनों नंगे भाई-बहन पर पड़ी और वो बौखला गयी और उसने लोडा चुसना छोड़ दिया और बोली "ये क्या है...कौन हो तुम दोनों और यहाँ क्या कर रहे हो..?"
"हमने सुना था की यहाँ कोई पार्टी चल रही है तो हमने सोचा की हमें भी चलना चाहिये.." मैंने उनकी आँखों में देखकर कहा.
"तुम यहाँ से फ़ौरन चले जाओ, बच्चे ...नहीं तो मैं तुम्हारे पेरेंट्स को बता दूंगी.." उसने थोडा गुस्से में कहा.
"मुझे लगता है की आपको हमें इस पार्टी में शामिल कर लेना चाहिए नहीं तो हम इस सबके बारे में सोनी और मोनी को बता देंगे.." मैंने हँसते हुए कहा.
मंजू आंटी थोडा घबरा गयी और दूसरी औरत की तरफ देखने लगी. वो समझ गयी की मैं उनके बारे मैं सब जानता हूँ.
शर्मा आंटी जो ये सब देख रही थी बोली "तुम आखिर चाहते क्या हो ?"
"ये हुई न काम की बात..." मैंने कहा "मैं तुम्हारी चूत चाटना चाहता हूँ"
"और मैं आपका लंड चुसना चाहती हूँ " ऋतू अपने मोटे-२ चुचे उछालती हुई सोनी-मोनी के पापा, पंकज की तरफ बड़ी.
"पर ये गलत है..." मंजू की आवाज आई
"अगर ऐसा है तो पहले मैं आपकी चूत चूस देता हूँ" मैंने कहा और अपना मुंह उनकी गीली चूत पर रख दिया, वो अभी ना कर रही थी पर मेरा मुंह उनकी चूत पर लगते ही उन्होंने मेरे सर को अपनी चूत पर और तेजी से दबा दिया और अपने मुंह से एक तेज सिसकारी निकाली..आआआआआआआआआआयीईईईईईइ .........mmmmmmmmmmmm....................
उधर सोनी के पापा अपनी तरफ आती एक जवान लड़की को देखकर पागल ही हो गए, ऋतू के उछालते हुए चुचे और रस टपकाती चूत को देखकर उनसे रहा नहीं गया..
और वो शर्मा आंटी को छोड़ कर ऋतू की तरफ लपके और उसे किसी छोटे बच्चे की तरह ऊपर उठा लिया और अपना मुंह सीधा ऋतू के निप्पल पर रख कर उसका दूध पीने लगे...
ऋतू के मुंह से चीख निकल गयी...आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह अंकल धीरेईईईईई ......आआआआआआआअह्ह्ह
पंकज अंकल का हाथ ऋतू की गांड के नीचे था और ऋतू उनका मुंह अपने सीने में दबा रही थी और उन्हें और ज्यादा दूध पीने को उकसा रही थी.
मैंने जब मंजू आंटी की चूत चाटना शुरू की तो उनके रस से मेरा मुंह भीग गया, वो बड़ी रसीली आंटी थी, थोड़ी देर में ही उन्होंने मुझे नीचे जमीन पर लिटाया और अपनी टाँगे मेरे सर के दोनों तरफ फैला कर मेरे मुंह के ऊपर बैठ गयी. और घिसने लगी अपनी चूत मेरे मुंह पर और तेज साँसों से सिस्कारियां लेने लगी..
शर्मा आंटी भी अपनी जगह से उठी और मेरे खड़े हुए लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, उनके चूसने के तरीके की दाद देनी होगी,
वो मेरा लंड किसी बच्चे की तरह चूस रही थी, वो सिर्फ अपने होंठो और जीभ का इस्तेमाल कर रही थी, बड़ा ही गर्म मुंह था उनका, उन्होंने अपना एक हाथ आगे किया और मेरे मुंह पर बैठी मंजू आंटी की गांड में एक साथ दो उंगलियाँ डाल दी और दुसरे हाथ से वो अपनी चूत मसलने लगी.
अपनी गांड पर शर्मा आंटी की उंगलियाँ पाकर वो तो बिफर ही गयी, मंजू आंटी ने अपनी चूत को मेरे मुंह के अन्दर तक ठूस दिया, मेरा सांस लेना भी मुश्किल हो गया, बड़ी मुश्किल से मैंने उनकी चूत को अपने मुंह से निकाला.
आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह चुसो नाआआआआआआआआआआआ वो चिल्लाई....
मैंने उसी तेजी से उनकी चूत को चुसना शुरू कर दिया.
उधर शर्मा अंकल ऋतू के पीछे गए और पीछे से उसके दोनों उभार थाम लिए और बड़ी जोर से दबा डाले, ऋतू दर्द के मारे दोहरी होगई और अपने पीछे खड़े शर्मा अंकल पर अपनी पीठ का भार डालकर उनके गले में अपने बाहें डाली और उनके होठों को अपनी तरफ घुमाकर चूसने लगी.
शर्मा अंकल के तो मजे हो गए, उन्होंने इतनी गर्म लड़की आज तक नहीं देखी थी, जो किसी जंगली बिल्ली की तरह उनके होंठ चूस रही थी,
उन्होंने ऋतू के निप्पल्स को अपनी उँगलियों में लेकर हलके-२ मसलना शुरू कर दिया, वो निप्पल्स ऋतू की कमजोरी थे, उनके उमेठे जाने से उसकी चूत में आग सी लग गयी और उसने अपनी टाँगे, जो पंकज अंकल की कमर के चारो तरफ लपेट रखी थी, उनका घेरा थोडा खोला और उनके तने हुए लंड पर पहुँच कर अपनी चूत उसपर टिका दी,
बाकी काम उनके आठ इंच लम्बे लंड ने कर दिया और वो उसकी गर्म चूत को चीरता हुआ अन्दर तक चला गया...ऋतू जो शर्मा अंकल का होंठ चूस रही थी, चिल्ला पड़ी...आआआआआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह ....मर गयीईईईईईईईईई ....... हय्य्यय्य्य्यय्य्य्य..........आआआआआआआआआआआअह ....
उसकी चीख इतनी तेज थी की मैंने भी मंजू आंटी की चूत चुसना छोड़ दी और उस तरफ देखा, पर जब उसे हवा में मजे से चुदते हुए देखा तो मैंने फिर से अपना ध्यान सोनी - मोनी की माँ की चूत पर लगा दिया.
अपनी गांड में शर्मा आंटी की उँगलियाँ और अपनी चूत पर मेरी जीभ का हमला पाकर, मंजू भी झड़ने के कगार पर पहुँच गयी और उन्होंने अपनी चूत के रस को मेरे मुंह में उड़ेल दिया और झड़ने लगी............
आआआआआआआआआह्ह्ह मैं तो गयीईईईईईईईईईईईईईईईईई........
नीचे बैठी शर्मा आंटी ने मौका देखा और मेरे लंड पर अपनी चूत को टिका दिया और नीचे होती चली गयी...आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह...........
शर्मा अंकल ने जब देखा की पंकज ने ऋतू की चूत में लंड डाल दिया है तो उन्होंने भी अपने मोटे लंड पर थूक लगायी और हवा में झूल रही ऋतू की मोटी गांड पर अपने लंड का टोपा टिका दिया,
लंड थोडा मोटा था, पर ऋतू जो उछल -२ कर पंकज का लंड ले रही थी, अपनी गांड में आये नए मेहमान को पाकर एक तेज झटके नीचे आई और से उसे भी निगल गयी,
और इस तरह वो अब एक साथ पंकज अंकल और शर्मा अंकल के लंड को अपनी चूत और गांड में लेकर हवा में उछल-२ कर चुदवा रही थी.
वो झटके से ऊपर जाती और नीचे आते हुए अपनी चूत और गांड में दो अलग-२ लंड लेकर बैठ जाती, उसे आज बड़ा मजा आ रहा था, एक साथ अपनी चूत और गांड मरवाने मैं..
आआआआअ ह अह अह अह अह हा ह अह आहा अह आहा वो लम्बी-२ सिस्कारियां ले रही थी....उसकी गांड बड़ी कसाव वाली थी, इतना कसाव शर्मा अंकल से सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपने लंड का रस उसकी छोटी सी गांड में उडेलना शुरू कर दिया...
आआआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह .......मजा आ गया...
आगे की तरफ, अपने मुंह पर ऋतू के उछलते हुए मुम्मो की मार पाकर और अपने लंड पर उसकी गरम चूत का दबाव पाकर, पंकज अंकल भी खल्लास होने लगे....उन्होंने उसके दाए चुचे को अपने मुंह में दबाया और अपना फुवारा उसकी चूत में चला दिया....आगे और पीछे से अपने दोनों छेदों में गर्म पानी पाकर ऋतू भी झड़ने लगी और उसने भी छोड़ दिया...आआआआआआआआआआआआआअयीईईईईई .............आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह
ओई माआआआआआअ...............ओह godddddddddddddddddddddddddd......
मेरे लंड के ऊपर शर्मा आंटी बड़ी देर तक उछलती रही और अंत में वो भी झड गयी और एक तरफ लुडक गयी, मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था, मंजू आंटी जो अब थोडा संभल चुकी थी वो उठी और उन्होंने अपनी गांड को हवा में उठाया और मेरी तरफ मुंह करके बोली..."चल घुसा दे...जहाँ तेरी मर्जी हो.."
मैंने उनकी मोटी गांड देखी तो मैंने अपना मुंह उनकी गांड के छेद पर लगा दिया और अपनी जीभ से उनके पीछे वाले छेद को कुरेदने लगा,
उनकी गांड बड़ी दिलकश थी, मैंने पहले ही बताया था की मैंने इतनी सुन्दर गांड आज तक नहीं देखी थी , इसलिए मैंने सोच लिया की आज मैं उनकी गांड ही मारूंगा,
मैंने अपने हाथों से उनके छेद को फैलाया और उनकी गांड के रिंग में अपनी लम्बी जीभ डाल दी, उन्होंने अपनी गांड के अन्दर मेरी गर्म जीभ पाकर अपना कसाव बढाया
जिससे मेरी जीभ उनकी गांड के अन्दर फंस सी गयी, मैंने उसे बाहर निकाला और अपने लंड पर उनकी चूत की चिनाई और थोड़ी थूक लगायी और डाल दिया गांड के छेद के अन्दर....वो बड़ी tight थी, मेरा लंड उनकी गांड के छेद से काफी मोटा था..
आआआआआआआआआआआआआह्ह्ह माआर दलाआआआआआआआआ ...आआआआआआआआयीईईईईइ....
वो बिलबिला उठी पर मैंने उनकी गांड को नहीं बक्शा और अपना पूरा लंड उतार दिया उनके अन्दर.....
"थोडा धीरे बेटा, इनका पीछे के छेद का उद्घाटन अभी दो दिन पहले ही हुआ है, अपनी शादी के २० साल तक इसने अपनी गांड नहीं मरवाई थी ..."पीछे से उनके पति, पंकज की आवाज आई.
मैं उनके दर्द का कारण समझ गया, पर उनकी चीखे सुनकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था,
इसलिए मैंने अपनी स्पीड कम करने के बजाये और तेज कर दी....
आआआआअह उन्हें भी मजा आने लगा...और तेज...और तेज...आआआआअह्ह और तेज मारो मेरी गांड........अहः अह अह अ हा हा हा हः अह अहः हा आहा ह ...........
उनकी गर्म गांड और तेज चीखों ने मेरे लंड के पसीने छुड़ा दिए और मैंने अपना पसीना उनकी गांड में छोड़ना शुरू कर दिया....आआआआआआआआआअह्ह मैंने एक लम्बी हुंकार भरी और मंजू आंटी की पीठ पर लुढ़क गया.
वो भी दोबारा झड चुकी थी.
सेक्स का नंगा नाच ख़तम हुआ तो मैंने उनसे कहा "अब हमें चलना चाहिए, हमारे मम्मी-पापा हमें ढूँढ रहे होंगे.."
और हम बाहर निकले और अपने-२ कपडे पहन कर सीधे बाहर निकल गए, हमारे पीछे-२ रेहान भी बाहर निकल आया और अपने कॉटेज में चला गया.
हम दोनों भागते हुए अपने कॉटेज पहुंचे तो हमारे मम्मी-पापा नंगे अजय चाचू के कमरे से निकल रहे थे, हम दोनों को सामने पाकर वो दोनों ठिठक कर वहीं खड़े हो गये।
"तुम इतनी रात को कहाँ से घूम कर आ रहे हो"...?? मम्मी ने हम दोनों से पूछा, वो पूरी नंगी हमारे सामने खड़ी थी, इसलिए थोडा शर्मा भी रही थी अपनी हालत पर.
"हम दोनों अपने कुछ दोस्तों से मिल कर आ रहे है" ऋतू ने अपने पापा के आधे खड़े हुए लंड को घूरते हुए कहा.
"क्या आप दोनों चाचू के कमरे से आ रहे हैं" मैंने मम्मी की तरफ देखते हुए पूछा .
"ह्म्म्म ..हम उन्हें गुड नाइट बोलने गए थे" मम्मी ने हडबडा कर कहा, उनके निप्प्ल्स तन कर खड़े हो चुके थे.
"ठीक है...गुड नाइट " मैंने कहा और अपने कमरे में चला गया.
अन्दर जाते हुए हम दोनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोकी, हम जानते थे की हमने मम्मी-पापा को रंगे हाथों पकड़ लिया है, उनकी शक्ल देखते ही बनती थी,
अन्दर आकर ऋतू ने अपने कपडे बड़ी फुर्ती से उतार फैंके और बेड पर जाकर लेट गयी, दुसरे कमरे में चाचू और चाची ने जब हमारी बात सुनी और बाद में हमें अन्दर आते देखा तो उन्होंने शीशे वाली जगह से अन्दर झाँका और ऋतू को नंगी लेटे देखकर चाचू का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और वो उसे सहलाने लगे.
मैंने भी अपने सारे कपडे उतार डाले और बेड पर कूद कर ऋतू की रसीली रसमलाई जैसी चूत पर मुंह टिका दिया.
ऋतू ने अपने चुतड ऊपर हवा में उठा दिए और मेरे मुंह में अपनी चूत से ठोकरें मारने लगी.
दुसरे कमरे में आरती चाची ने मेरा लंड मेरी टांगो के बीच से लटकता हुआ देखा तो उनसे सहन नहीं हुआ और वो दोनों नंगे ही अपने कमरे से निकल कर हमारे कमरे में आ गए
और चाची ने आते ही मेरी टांगो के बीच लेटकर मेरे लटकते हुए खीरे को अपने मुंह में भर लिया, मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी. आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह
चाचू भी अपना फड़कता हुआ लंड लेकर आगे आये और मेरे सामने लेती हुई ऋतू के मुंह के पास जाकर उसके मुंह में अपना लंड दाल दिया, ऋतू ने उसे भूखी शेरनी की तरह लपका और उसका रस चुसना शुरू कर दिया.
चाची बड़ी आतुरता से मेरा लंड चूस रही थी, उनके और ऋतू के मुंह से सपड़-२ की आवाजें आ रही थी.
तभी दरवाजा खुला और नेहा अन्दर आ गयी, वो अन्दर का नजारा देखकर बोली "मुझे तुम लोग वहां छोड़कर यहाँ मजे ले रहे हो.." और ये कहकर उसने भी अपने कपडे उतारे और कूद गयी वो भी बेड पर.
ऊपर आकर वो अपने पापा के पास गयी और अपने नन्हे होंठो से उनके मोटे-२ होंठ चूसने लगी, चाचू ने हाथ आगे करके अपनी बेटी के मोटे-२ चुचे थाम लिए और उन्हें जोर से दबा डाला.
नेहा चाचू के आगे आ कर ऋतू के मुंह के ऊपर जाकर बैठ गयी, ऋतू ने चाचू का लंड चुसना छोड़ दिया और नेहा की चूत को चाटने लगी,
चाचू का लंड अब नेहा के पेट से टकरा रहा था, नेहा जो पहले ही सोनी-मोनी के कमरे से उनके मम्मी-पापा का ग्रुप सेक्स देखकर उत्तेजित हो चुकी थी,
उससे सहन नहीं हुआ और उसने अपने पापा का लंड पकड़कर अपनी रस उगलती चूत पर टिका दिया और उसे अन्दर समाती चली गयी,
आआआआआआआआअयीईईईईईईईई पपाआआआआआआअ
... नीचे लेटी ऋतू ने इस काम को बड़ी खूबी से अंजाम दिया, लंड को चूत में धकेलने के लिए. वो अब नेहा की गांड के छेद को चूस रही थी. म्म्म्मम्म्म्मम्म
उधर अपने कमरे में जाने के बाद मम्मी को इस बात की बड़ी चिंता हो रही थी की आज वो चाचू के कमरे से नंगे बाहर निकलते हुए पकडे गए,
इस बात को वो चाचू को भी बताना चाहते थे ताकि अगर हम उनसे भी पूछे की उनके मम्मी - पापा रात के समय नंगे उनके कमरे से क्यों निकल रहे थे तो वो भी वोही जवाब दे जो उन्होंने दिया था,
ये सोचकर वो अपने कमरे से निकली और चाचू के कमरे में चली गयी, वहां जाकर उन्होंने देखा की कमरा तो बिलकुल खाली था,
तभी उनकी नजर दिवार पर गयी, शीशा नीचे पड़ा हुआ था और उस जगह एक बड़ा सा छेद था, वो आगे गयी और अन्दर झाँका,
वहां का नजारा देखकर पुर्णिमा के परखछे उड़ गए, उनका बेटा नंगा अपनी सगी बहन की चूत चाट रहा था,
और नीचे लेटी उनकी देवरानी उनके बेटे का लंड चूस रही थी,
और ऊपर उनका देवर अपनी ही बेटी को चोद रहा था और नीचे से उनकी बेटी अपनी जीभ से अपनी बहन की गांड चाट रही थी. उनकी आँखे घूम गयी ये सब देखकर.
मम्मी जल्दी से भागकर वापिस गयी और अपने कमरे से पापा को बुलाकर लायी, उन्होंने शीशे वाली जगह से अन्दर देखने को कहा,
जब पापा ने अन्दर का नजारा देखा तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी, उनका छोटा भाई अपनी बेटी को चोद रहा था, और उनका बेटा अपनी सगी बहन की चुदाई कर रहा था,
ये देखकर वो आग बबूला हो गए और मम्मी को साथ लेकर वो दनदनाते हुए हमारे कमरे में आये और चिल्लाये " ये सब हो क्या रहा है!!!!!!!!!!"
पापा की आवाज सुनकर मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो मैं स्तब्ध रह गया, पर मेरा लंड जो झटके मार-मारकर अपनी बहन को चोद रहा था, वो नहीं रुका, मैंने धक्के देते हुए हैरानी से उनकी तरफ देखा और बोला "मम्मी पापा आप....?"
उधर नेहा की चूत में उसके पापा का लंड अपनी आखिरी साँसे ले रहा था, उनसे सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपना रस अपनी बेटी की चूत में उगलना शुरू कर दिया...
नेहा ने भी आँखें बंद करके अपने पापा के गले में अपनी बाहें डालकर एक लम्बी चीख मारी .आआआआआआअयीईईईइ पपाआआआआआआआ ..
और वो भी झड़ने लगी, उनका मिला जुला रस नीचे लेटी ऋतू बड़े चटखारे ले-लेकर पी रही थी,
उसे मालुम तो चल गया था की उसके मम्मी - पापा कमरे में आ गए हैं, पर अपनी चूत में अपने भाई के लंड के धक्के और अपने मुंह पर बरसते गर्म रस का मजा लेने से उसे कोई नहीं रोक सका.
उसने भी अपनी उखड़ी साँसों से उन्हें देखा और पूछा "मोम डैड आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"
"आशु क्या तुम ये करना बंद करोगे....."मम्मी ने मेरी तरफ घूरकर देखते हुए कहा, वो एक तरह से मुझे अपनी बहन की चूत मारने से रोक रही थी.
मैं अपने आखिरी पलो में था, मैंने जैसे ही अपना लंड बाहर निकाला उसका विकराल रूप जो की मेरी बहन की चूत के रंग में डूबकर गीला हो चूका था और उसपर चमकती नसे देखकर मेरी माँ की आँखें फटी की फटी रह गयी,
लंड ने बाहर निकलते ही झड़ना शुरू कर दिया और मेरी पिचकारी सीधे ऋतू की खुली हुई चूत से जा टकराई...
चाची जल्दी से आगे आई और मेरे लंड पर अपना मुंह टिका दिया और मेरा सारा रस पी गयी,
फिर उन्होंने ऋतू की चूत के ऊपर अपना मुंह टिकाया और वहां से भी मलाई इकट्ठी करके खा गयी..और मेरी मोम की तरफ देखकर बोली "भाभी आपके बच्चे बड़े टेस्टी है..."
"आरती...तुम ये सब कैसे कर सकती हो..."उन्होंने चाची को डांटते हुए कहा.
"हमें तो इन्होने ही बुलाया था..." चाची ने सपाट लहजे में कहा.
"क्या............................" मेरी माँ का मुंह खुला का खुला रह गया.
और फिर चाची ने सारी कहानी हमारे मम्मी-पापा को सुना दी, वो अपना मुंह फाड़े सब बाते सुन रहे थे, उन्होंने ये भी बताया की हम दोनों उनके कमरे में देखते हैं और हमें उनके बारे में सब पता है की कैसे वो चारों लोग ग्रुप सेक्स करते हैं.
मम्मी-पापा ये सारी बात सुनकर शर्मिंदा हो गए पर फिर भी मम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली "तुम दोनों ने ये सब क्यों किया"
"हम भी आपके और पापा की तरह बनना चाहते थे, जब हमने देखा की आप और पापा, चाचू और चाची के साथ मिलकर सेक्स कर रहे हो और एन्जॉय भी कर रहे हो तो हमने भी ठान लिया की हम भी ये करेंगे, हमने यहाँ और लोगो को भी ग्रुप सेक्स करते देखा है और वो सब भी खूब एन्जॉय करते हैं.." मैंने उन्हें सीधे शब्दों में बताया.
"लेकिन तुम्हे ये सब नहीं करना चाहिए" मम्मी ने मुझसे रुंधी आवाज में कहा.
"क्यों नहीं करना चाहिए...मेरी चूत में हर तरह का लंड चला जाता है और मुझे उन्हें चूसने में भी मजा आता है..तो फिर ये सब क्यों नहीं करना चाहिए" अब ऋतू भी मेरे पक्ष में बोल पड़ी.
"पर ये सब गलत है, भाई बहन को आपस में ये सब नहीं करना चाहिए.." मम्मी ने फिर से कहा.
"अच्छा ......तो आप लोग जो करते हो वो गलत नहीं है क्या" ऋतू ने अपने शब्दों को पीसते हुए उनसे कहा.
चाची जो बड़े देर से ये सब देख रही थी वो मम्मी की तरफ हँसते हुए बोली "देखो भाभी, ये जो कह रहे है वो सही है, हम लोग भी कहाँ रिश्तेदारी का ख्याल रखते है, हमें भी तो सिर्फ सेक्स करने में मजा आता है, अगर ये भी वोही कर रहे है तो बुरा क्या है"
"पर ये हमारे बच्चे हैं.." मम्मी ने फिर से कहा.
"हाँ है और तभी इनके साथ ये सब करने में कुछ ज्यादा ही मजा आता है" अब की बार चाचू ने कहा और अपनी बाँहों में पकड़ी नंगी नेहा को अपने सीने से दबा दिया और आगे बोले " और मुझे लगता है की आपको भी एक बार ये सब try करना चाहिए"
मम्मी नि अपने सर को एक झटका दिया और कहा "मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है, मैं सोने जा रही हूँ, इस बारे में कल बात करेंगे"
"ठीक है बाय ..." चाची ने उनसे कहा
"बाय का क्या मतलब है...तुम लोग नहीं जा रहे क्या अपने कमरे में" मम्मी ने हैरानी से पूछा.
"नहीं अभी मुझे कुछ और भी काम है " और चाची ने हाथ बढाकर मेरे लंड को थाम लिया और दुसरे हाथ से अपनी चूत मसलने लगी.
"आरती...बंद करो ये सब" मम्मी चिल्लाई.
"अरे भाभी आप यहाँ आओ और थोडा relax करो" चाचू आगे आये और मम्मी का हाथ पकड़कर बेड पर बिठा दिया उनका झूलता हुआ लंड उनकी आँखों के सामने लटक रहा था, चाचू ने उनका मुंह पकड़ा और अपना लंड उनके मुंह में ठूस दिया और उन्हें नीचे धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और खुद उनकी छाती पर चढ़ बैठे.
"अब चुपचाप लेटी रहो और मेरा लंड चुसो..."चाचू ने मम्मी की आँखों में देखकर कहा. और आरती की तरफ देखकर बोले "डार्लिंग...मेरी थोड़ी मदद करो न..."
"हाँ हाँ क्यों नहीं .." चाची अपनी जगह से उठी और बेड के किनारे आकर मम्मी के night gown को खींच कर बीच में से खोल दिया,
उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहना था, और उनकी मोटी जांघे पकड़कर रसीली चूत पर अपना मुंह रख दिया.मम्मी के मुंह में चाचू का लंड था पर फिर भी उनके मुंह से घुटी हुई सी सिसकारी निकल गयी...आआआआअह्ह्ह्ह.
चाचू का लम्बा लंड मम्मी के मुंह में किसी पिस्टन की तरह आ जा रहा था, नीचे बैठी चाची भी अपनी लम्बी जीभ के झाड़ू से मम्मी की चूत की सफाई करने में लगी हुई थी.
चाचू ने मम्मी के ऊपर बैठे हुए उनके गाउन के बटन खोल दिए और मम्मी के मोटे चुचे ढलक कर दोनों तरफ झूल गए. उन्होंने उसे मम्मी के कंधो से थोड़ी मुश्किल से उतारा और बाकी काम नीचे बैठी चाची ने कर दिया,
उन्होंने उनकी गांड ऊपर करके उसे नीचे से बाहर खींच दिया और इस तरह मम्मी हमारे सामने पूरी नंगी हो गयी.
उन्हें इतनी पास से नंगा देखने का ये मेरा पहला अवसर था, वो किसी professional की तरह चाचू के लंड को आँखें बंद किये चूस रही थी, उनकी चूत से इतना रस बह रहा था की चाची उसे पी ही नहीं पा रही थी और वो बहकर मम्मी की गांड को भी गीला कर रहा था.
उनके मोटे-२ चुचे देखकर मेरे मुंह में भी पानी आ गया, मैंने उनके चुचे हमेशा अपने मुंह में लेने चाहे थे, घर में भी जब वो बिना चुन्नी के घुमती थी तो मेरा मन उनकी गोलाइयाँ देखकर पागल हो जाता था.
और अब जब वो मेरे सामने नंगे पड़े थे, मेरा लंड उन्हें देखकर तन कर खड़ा हो गया था, मैंने अपने हाथ से उसे मसलना शुरू कर दिया.
ऋतू ने इशारा करके पापा को अपनी तरफ बुलाया, वो थोडा झिझकते हुए उसके पास आये और हम सबके साथ आकर खड़े हो गए,
ऋतू ने अपना हाथ उनकी कमर में लपेट दिया और उनसे सट कर खड़ी हो गयी, पापा थोडा असहज महसूस कर रहे थे, हो भी क्यों न उनकी जवान लड़की नंगी जो खड़ी थी उनसे चिपककर..
हम सभी की नजर मम्मी पर गडी हुई थी, मेरी देखा देखी पापा ने भी अपना पायजामा नीचे गिरा दिया और अपनी पत्नी को अपने भाई और उसकी पत्नी के द्वारा चुद्ता हुआ देखकर वो भी अपना लंड हिलाने लगे,
उनका मोटा लंड देखकर ऋतू की आँखों में एक चमक आ गयी, वो अपने पापा के लंड को काफी दिनों से देख रही थी और मन ही मन उनसे चुदना भी चाहती थी,
आज उन्हें अपने साथ खड़ा होकर लौड़ा हिलाते देखकर उससे सेहन नहीं हुआ और उसने झुक कर अपने पापा का लंड अपने मुंह में भर लिया..
पापा के मुंह से एक ठंडी सिसकारी निकल गयी...स्स्सस्स्स्सस्स्स आआआआआअह्ह्ह
उन्होंने अपना हाथ हटा लिया, अपने सामने बैठी अपनी नंगी बेटी को देखकर उनका लंड फुफकारने लगा और वो तेजी से उसका मुंह चोदने लगे...
आआआआआआआआह्ह्ह्ह .....उन्होंने अपनी आँखें बंद करी और एक तेज आवाज निकाली.
ऋतू उठ खड़ी हुई और पापा के लंड को पकड़कर आगे की तरफ चल पड़ी, बेड पर पहुंचकर उसने पापा को नीचे लिटाया और उनकी कमर के दोनों तरफ टाँगे चोडी करके बैठ गयी, और उनकी आँखों में देखकर अपनी चूत का निशाना उनके लंड पर लगाया....और बोली...पापा प्लीस ...चोदो मुझे..
और उसने अपने मोटे चूतडो का बोझ पापा के लंड के ऊपर दाल दिया, उनका मोटा लंड अपनी बेटी की चूत में ऐसे गया जैसे मक्खन में गर्म छुरी..
आआआआआआआआआआआआअह्ह ऋतू ने एक तेज सीत्कारी ली.......उसकी आवाज सुनकर मम्मी ने अपनी आँखें खोली और पास लेटे अपने पति को अपनी बेटी की चूत मारते हुए देखा और फिर उन्होंने भी मौके की नजाकत समझी और अपनी आँखें बंद करके चाचू का लंड चूसने में मस्त हो गयी.
पापा और मम्मी ने जब एक दुसरे को देखा तो वो समझ गए की अब अपने आपको रोकना व्यर्थ है इसलिए इन हसीं पलों के मजे लो,
और जब मम्मी ने आँखें बंद करली तो पापा ने अपना ध्यान ऋतू की तरफ लगा दिया, उन्होंने अपने हाथ ऊपर उठाये और ऋतू के झूलते हुए मुम्मे अपने हाथों में भर लिए,
वो हमेशा घर पर अपनी बेटी के ब्रा में कैद और tight टी शर्ट में बंद इन्ही कबूतरों को देखकर मचलते रहते थे, आज ये दोनों रस कलश उनके हाथ में थे,
उन्होंने अपना मुंह ऊपर उठाया और उन कलशो से रस का पान करने लगे, उनके मोटे -२ होंठ और मूंछे ऋतू के नाजुक निप्पलस पर चुभ रहे थे, पर उनका एहसास बड़ा ही मजेदार था, उसने अपने पापा के सर के नीचे हाथ करके अपनी छाती पर दबा दिया और अपना चुचा उनके मुंह में ठुसने की कोशिश करने लगी,
पापा ने अपना मुंह पूरा खोल दिया और ऋतू का आधे से ज्यादा स्तन उनके मुंह के अन्दर चला गया, उनका मुंह अपनी बेटी के चुचे से पूरा भर गया, और फिर जब उन्होंने अपनी जीभ अन्दर से उसपर घुमानी शुरू की तो ऋतू तो जैसे पागल ही हो गयी, इतना मजा आजतक उसे नहीं आया था,
नीचे से पापा का लम्बा लंड उसकी चूत की प्यास बुझा रहा था और ऊपर से पापा उसका दूध पीकर अपनी प्यास बुझा रहे थे.
चाची अपनी जगह से उठी और अपनी चूत को मम्मी के मुंह के ऊपर ले जाकर रगड़ने लगी,
चाचू मम्मी के मुंह से नीचे उतर गए और उनके उतरते ही अपनी जवानी की आग में तड़पती हुई नेहा उनपर झपट पड़ी और उनके होंठ अपने मुंह में दबाकर नीचे चित्त लिटा दिया और चाचू का लंड अपनी चूत पर टीका कर उसे अन्दर ले लिया.
मैंने मम्मी की चूत के ऊपर अपना मुंह रखा और उसे चाटने लगा, मम्मी को शायद पता चल गया था की उनकी चूत चूस रहा हूँ,
उन्होंने उत्तेजना के मारे अपने चुतड़ ऊपर उठा दिये, मैंने नीचे हाथ करके उनके चौड़े पुट्ठे पकडे और अपनी दो उँगलियाँ उनकी गांड के अन्दर दाल दी और अपनी लम्बी जीभ उनकी चूत के अन्दर..
आआआआआआआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह मम्मी मचल उठी इस दोहरे हमले से...
मैं उठा और अपना लंड मम्मी चूत के छेद पर टिका दिया, आज मैं उसी छेद के अन्दर अपना लंड डाल रहा था जहाँ से मैं निकला था...
मेरे लंड का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर मम्मी तो बिफर ही पड़ी उन्होंने अपने चुतड़ फिर से ऊपर उठाए और मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर समाता चला गया..
आआआआअह उनके मुँह से हलकी-2 सिसकारीयो की आवाजें चाची की चूत से छनकर मुझे सुनायी दे रही थी...
मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी और मैं तेजी से अपनी माँ की चूत मारने लगा..
उधर ऋतू अपने आखिरी पड़ाव पर थी, वो पापा के लंड के ऊपर उछलती हुई बडबडा रही थी....आआआअह्ह्ह चोदो मुझे पापा...अपने प्यारे लंड से ....फाड़ डालो अपनी बेटी की चूत इस डंडे से....
चोदो न....जोर से....आआआह्ह्ह बेटी चोद सुनता नहीं क्या तेज मार...भोंसडीके ....कुत्ते...बेटीचोद....चोद जल्दी जल्दी....आआआआआह्ह ......दाल अपना मुसल मेरी चूत के अन्दर तक....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......और तेज और तेज और तेज.......आआआअह्ह्ह हाँ ऐसे ही.....भेन्चोद....चोद...अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह् और पापा से अपनी बेटी के ये प्यारे शब्द बर्दाश्त नहीं हुए और उन्होंने अपना रस अपनी छोटी सी बेटी की चूत के अन्दर उड़ेल दिया....ऋतू भी पापा के साथ-२ झड़ने लगी...
ऋतू को देखकर नेहा को भी जोश आ गया....वो भी चिल्लाने लगी चाचू के लंड पर कूदकर...हननं डेडी...चोदो अपनी बेटी को...
देखो ऋतू को अंकल कैसे चोद रहे है,....वैसे ही चोदो अपनी लाडली को...डालो अपना लंड मेरी चूत के अन्दर तक....ahhhhhhhhhhhh ......दाआअलूऊऊऊऊओ .....और वो भी चाचू के साथ-२ झड़ने लगी..
ऋतू पापा के लंड से नीचे उतरी और उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी,
चाची जो अपनी चूत मम्मी से चुसवा रही थी, उन्होंने अपना सर आगे किया और ऋतू की चूत से टपकते पापा के रस को पीने लगी,
मेरे लिए भी अब सब्र करना कठिन हो गया था, मैंने भी एक-दो तेज झटके मारे और अपना पानी मम्मी की चूत के अन्दर छोड दिया...
मम्मी ने अपने अन्दर मेरे गर्म पानी के बहाव को महसूस किया और वो भी जोर से चिल्ला कर झड़ने लगी.आआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह आआआआआ अह अह अ अ हहा ह अ ह हा हा हा ........
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और ऋतू जो पापा के लंड से उतर चुकी थी आगे आई और मम्मी की चूत से मेरा रस पीने लगी, अपनी चूत पर अपनी बेटी का मुंह पाकर मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी...
उन्होंने उसके सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी टाँगे खींचकर अपने मुंह के ऊपर कर ली और उसकी चूत से अपने पति का वीर्य चाटने लगी,
ऋतू की चूत को मम्मी बड़े चाव से खा रही थी, थोड़ी ही देर में उनकी चूत में दबी वो आखिरी चिंगारी भी भड़क उठी और दोनों एक-दुसरे के मुंह में अपना रस छोड़ने लगी.
"ये कितने अच्छे बच्चे हैं..." चाची ने हम तीनो बच्चो की तरफ हाथ करके कहा.. वो हमारी पर्फोर्मांस से काफी खुश थी.
"ये कुछ ज्यादा ही हो गया..." मम्मी ने बेड से उठते हुए कहा.
"क्या आपको ये सब अच्छा नहीं लगा मम्मी"...?? ऋतू ने उनसे पूछा.
"हम्म्म्म हाँ अच्छा तो लगा...पर ये सब एकदम से हुआ...मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है.." उन्होंने धीरे से कहा.
"पर हमें तो बड़ा मजा आया, क्या आपको मेरी चूत को चुसना अच्छा नहीं लगा...मेरी तो इतने दिनों की इच्छा पूरी हो गयी पापा के लंड से अपनी चूत मरवाकर...कितना मजा आया उनका मोटा लंड लेने में...क्या आपको नहीं आया भैय्या का लंड अपनी चूत में लेनेमें....बोलो.." ऋतु ने उनसे सवाल किया.
सबकी नजरें मम्मी की तरफ उठ गयी..
ऋतु ने पापा से पूछा "और पापा क्या आपको मेरी चूत पसंद नहीं आई..." ??
उन दोनों को चुप देखकर चाची ने कहा "अरे...अब आप दोनों ऐसे क्यों शर्मा रहे हैं...!!
आप दोनों को अपने बच्चो के साथ सेक्स करने में मजा आया है तो इस बात को कबूल करने में इतना झिझक क्यों रहे हो..!!
हमने भी तो अपनी बेटी नेहा को इस खेल में शामिल किया है, और उसकी चूत चूसने में मुझे तो बड़ा मजा आता है और उसके पापा भी कल से अपनी बेटी की कसी हुई चूत का बार बार तारीफ़ कर रहे हैं...."
"चलो ठीक है...अब हमें अपने कमरे में चलना चाहिए" मम्मी ने कहा.
"अरे. भाभी मुड़ मत खराब करो...अभी तो मजा आना शुरू हुआ है...अभी तो पूरी रात पड़ी है.." चाची ने कहा
साली इस चाची के बदन में आग लगी है, पूरी रात चुदवाने की तय्यारी से आई थी हरामजादी..मैंने मन ही मन सोचा.
"नहीं...अब और नहीं..चलो तुम दोनों अब चुपचाप सो जाओ...और आरती-अजय .. प्लीज़.. आप भी चलो यहाँ से.." मम्मी ने कहा.
हम सबने उनकी बात को मानना उचित समझा और अपने बेड पर जाकर रजाई के अन्दर घुस गए.
"चलो ठीक है..तुम कहती हो तो चलते हैं..चलो अजय अपने रूम में जाकर हम दोनों ही आपस में चुदाई करते हैं..."
और चाची हमारे पास आकर हमें गुड night बोली और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर मसल दिया..और बोली "काफी मजा आया..कल मिलते हैं"
सबके जाने के बाद हम तीनो अपने बेड पर नंगे रजाई में बैठे हंस रहे थे,
ऋतू बोली "मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है की हमने अपने मम्मी पापा के साथ भी चुदाई की..और इतना सब होने के बाद भी उन लोगो ने हमें फिर से इस कमरे में छोड दिया हा हा हा ...."
"और मैं सच कहूं तो तुम्हारे मम्मी पापा को भी काफी मजा आया होगा, वो अभी खुलकर नहीं बता रहे हैं पर तुम दोनों से सेक्स करके वो भी कम खुश नहीं थे..." नेहा ने अपने चूत को मेरी टांगो पर दबाते हुए कहा.
ऋतू ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़कर कहा "तो क्या तुम्हारा ये लंड अभी भी कुछ कारनामे दिखाने के मूड में है क्या..."
"मेरे "लंड के कारनामें" देखना चाहते हो तो उसे तैयार करो और फिर मैं तुम दोनों को दिखाता हूँ की चुदाई क्या होती है" मैंने उन्हें उकसाया..
"ओह....माय माय.....लगता है किसी को अपने लंड पर कुछ ज्यादा ही गुरुर हो गया है...." ऋतू ने अपनी आँखें मटकाते हुए नेहा की तरफ देखा ...
और फिर वो दोनों एक साथ बोली "और गुरुर तोडना पड़ेगा हा हा हा" और फिर जो चुदाई का खेल शुरू हुआ तो उनकी चूत के परखचे ही उड़ गए...
उस रात मैंने ऋतू और नेहा की कितनी बार चुदाई की, मुझे खुद ही नहीं मालुम..और वो दोनों बेचारी अपनी सूजी हुई चूत लेकर नंगी ही मुझसे लिपटकर सो गयी.
उधर अपने कमरे में पहुंचकर चाची ने शीशे वाली जगह पर ही खड़े होकर चाचू से लगभग तीन या चार बार अपनी चूत मरवाई...दुसरे कमरे में अपनी बेटी और अपनी भतीजी को मुझसे चुदते हुए देखकर..
अगली सुबह मैंने अपने लंड के चारो तरफ गीलेपन का एहसास पाया, कोई मेरा लंड चूस रहा था,
मैंने अपने दोनों तरफ देखा, ऋतू और नेहा दोनों अपने मोटे-२ चुचे मुझमे घुसेड़े आराम से सो रही थी, मैंने नीचे देखा तो पाया की आरती चाची मेरा लंड मुंह में लेकर चूस रही है,
मुझे अपनी तरफ देखता पाकर वो मुस्कुरा दी और मुझे गुड मोर्निंग बोलकर फिर से मेरा लंड चाटने लगी,
मेरे शरीर की हलचल पाकर ऋतू भी जाग गयी और जब उसने देखा की चाची मेरे लंड से ब्रुश कर रही है तो उसकी चूत भी सुबह की खुमारी में रस से सराबोर हो गयी,
उसने थोड़ी जगह बनाकर चाची को बेड पर आने को कहा, चाची ऊपर आई और अपनी टाँगे ऋतू के चेहरे के ऊपर करके वापिस मेरा लंड चाटने लगी,
नेहा भी अब जाग चुकी थी, अपनी माँ को सुबह-२ नंगी लंड चूसते देखकर उसके बदन में भी आग लग गयी और उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया,
मैंने अपने हाथ उसके उभारों पर रख दिए और उन्हें दबा दबाकर उन्हें और बड़ा करने लगा..नेहा के चुचों के बारे में एक बात कहना कहता हूँ, वो बड़े ही मुलायम है पर उसके एरोहोल और निप्पल उतने ही कठोर, वो किसी कील की तरह मेरे हांथों में चुभ रहे थे,
मैंने उन्हें और जोर से दबाना शुरू कर दिया, और उतनी ही बेदर्दी से उसके नाजुक होंठो को भी चुसना जारी रखा.
तभी दरवाजा खुला और हमारे पापा अन्दर आ गए, उन्होंने जब देखा की अन्दर सुबह की चुदाई की तय्यारी चल रही है तो वो चुपचाप अन्दर आये और अपने कपडे उतार कर वो भी ऊपर चढ़ गए,
चाची की चूत तो वो कई बार मार चुके थे, और कल रात उन्होंने ऋतू की भी जम कर चुदाई करी थी,
इसलिए आज उनकी नजर नेहा के कमसिन जिस्म पर थी, नेहा जो मेरे मुंह में घुसी हुई कुछ ढून्ढ रही थी, उसकी टाँगे चौड़ी करके पापा ने अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चूसने लगे.
नेहा ने जब अपनी चूत पर अपने ताऊ जी की गर्म जीभ को पाया तो उसकी उसकी रस बरसाती चूत से एक कंपकपी सी छूट गयी आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह....म्म्मम्म्म्मम्म.....हाआआआआअन्न्न ऐसे ही......जोर से.......
और वो पापा को और जोर से अपनी चूत को चूसने के लिए प्रोत्साहित करने लगी..
जवान लड़की की चूत पाकर पापा भी दुगने जोश से अपने experience का इस्तेमाल उसे करते हुए उसकी चूत की तलाशी लेने लगे.
वहां अजय चाचू की जब नींद खुली तो चाची को बगल में ना पाकर उन्होंने भागकर शीशे वाली जगह देखा और वहां का नजारा देखकर वो नंगे ही हमारे कमरे में दौड़कर चले आये,
उनकी पत्नी मेरा लंड चूस रही थी और उनके बड़े भाई उनकी बेटी की चूत चाट रहे थे और उनकी पत्नी की चूत को उनकी भतीजी साफ़ कर रही थी,
कमरे में अब सिर्फ ऋतू की चूत ही बची थी जो खाली थी, वो उसकी तरफ चल पड़े, और वहां पहुंचकर अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके ऋतू की चूत और गांड बारी-२ से चाटने लगे.
पुरे कमरे में सिस्कारियां गूंज रही थी.
पापा का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चूका था, वो खड़े हुए और नेहा की एक टांग को हवा में उठाकर अपना लंड उस छोटी सी चूत पर टिका दिया, उनका टोपा काफी बड़ा था, नेहा की छोटी सी चूत के सिरे पर वो फंस सा रहा था,
उन्होंने थोडा जोर लगाया तो नेहा दर्द से बिलबिला उठी....आआआआआआआआह्ह्ह्ह धीरे डालो बड़े पापा....धीरे.....
लंड का टोपा अन्दर जाते ही बाकी का काम उसकी चूत की चिकनाई ने कर दिया, वो उस पतली सुरंग में फिसलता चला गया..
अयीईईईईईईईईईईईईई मर गयी......और पापा ने तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए...
अह अह अह अह अह अह ...उसके मोटे चुचे मेरे सीने से टकरा रहे थे और उसके खुले मुंह से निकलती लार मेरी छाती पर टपक रही थी...
चाची भी उठ खड़ी हुई और मेरे दोनों तरफ टाँगे करके अपनी चूत को मेरे लंड पर टिकाया और नीचे बैठ गयी.
अब उनके मोटे तरबूज भी मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे, मैंने हाथ बढाकर उन्हें भी सहलाना शुरू कर दिया,
चाची थोडा और आगे हुई और मेरे सीने पर लेटी हुई अपनी बेटी नेहा के होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगी.
ऋतू जो अब तक अपनी चूत चट्वाकर काफी गर्म हो चुकी थी उसने चाचू के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपनी चूत छुडवाई और उनके लम्बे लंड को एक किस करके उनके ऊपर चढ़ बैठी,
बाकी काम चाचू ने कर दिया अपना खड़ा हुआ लंड उसकी रस टपकाती चूत में डालकर. अब हमारे कमरे में तीन चुदाई चल रही थी और सभी बड़े जोरो से आवाजें निकाल-निकालकर चुदाई कर रहे थे..
ऋतू चिल्लाई...आआआआआआह्ह्ह चाअचूऊऊऊऊऊ.......चोदो मुझे ...और जोर से......अह.........
नेहा भी बोली.....बड़े पापा......डालो अन्दर तक अपना मोटा लंड......आआआआह्ह और तेज चोदो अपनी नेहा को बड़े पापा........
चाची भी कहाँ पीछे रहने वाली थी....आआआआअह्ह आशु......डाल बेटा...अपनी चाची की चूत कैसी लगी....बता ना.....
मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा....भेन की लोडी .....कुतिया......बता कितने लोगो से मरवा चुकी है...अपनी चूत..!!...??
चाची ने उखड्ती साँसों से कहा. "बड़े लंड लिए है अपनी चूत में....पर अपनों का लेने में जो मजा है वो कहीं नहीं है....चोदो मुझे...दुनिया की हर चाची को तेरे जैसा भतीजा मिले जिसका इतना मोटा लंड हो तो मजा ही आ जाए...बिना पूछे डाल दिया कर अपना लंड मेरी चूत में कभी भी....कहीं भी...आआआआआआह्ह्ह्ह ...."
चाची लगता है मेरे लंड से कुछ ज्यादा ही इम्प्रेस हो गयी थी.
मैंने उनके होर्न अपने हाथों में पकडे और अपने इंजिन की स्पीड बड़ा दी.
तभी दरवाजा दुबारा खुला और मम्मी वहां खड़ी थी..
"तुम लोगो को कोई शर्म है के नहीं" मम्मी ने अन्दर आकर पुछा.
"हाय मोम...गुड मोर्निंग..."मैंने उनसे कहा.
उन्होंने पापा की तरफ देखा और कहा "आप तो कम से कम इन्हें रोकते, पर आप तो खुद ही यहाँ लगे हैं अपनी भतीजी की मारने में"
पापा ने जवाब दिया "पूर्णिमा, अब ये लोग हमारे कहने से रुकने वाले तो हैं नहीं, और कल जब सब कुछ हो ही चूका है तो आज इनकार करने से क्या फायदा, आओ तुम भी आ जाओ ऊपर."
"हाँ मम्मी, आप यहाँ आओ, मेरे मुंह के ऊपर मैं आपकी चूत चुसना चाहता हूँ, बड़ी प्यास लगी है मुझे..." मैंने अपनी जीभ अपने होंठो पर फिराते हुए कहा.
"हाँ भाभी ...आ जाओ ऊपर..." चाचू ने भी जोर दिया.
मम्मी ने सभी की बात सुनी और अपना सर हिलाते हुए उन्होंने अपनी हार मान ली और उन्होंने अपना गाउन वहीँ जमीन पर गिरा दिया और नंगी ऊपर बेड पर चढ़ गयी और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गयी, मेरी लम्बी जीभ उनकी चूत का इन्तजार कर रही थी, जैसे -२ वो नीचे हुई, मेरी पेनी जीभ उनकी चूत में उतरती चली गयी.
आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह उन्होंने एक लम्बी सिसकारी मारी और मैंने अपनी जीभ से उनकी क्लिट को दबाना और चुब्लाना शुरू कर दिया,
उनका मुंह मेरे लंड की तरफ था, जहाँ चाची मेरे लंड की सवारी करने में लगी हुई थी, चाची ने आगे बढकर मम्मी के मोटे जग्ग्स को पकड़ा और उन्हें फ्रेंच किस करने लगी, मम्मी अपनी चूत मेरे मुंह पर बड़ी तेजी से रगड़ रही थी.
मैं जिस तरह से मम्मी की चूत चाट और चबा रहा था उन्हें काफी मजा आ रहा था, आज अपने बीच तीनो बच्चो को शामिल करके सेक्स करने का मजा लेने में लगे थे सभी बड़े लोग.
उन्होंने अपनी दाई तरफ देखा जहाँ उनके पति अपनी भतीजी की चूत का तिया पांचा करने में लगे थे.
और बायीं तरफ उनकी लाडली बेटी अपने चाचू के लंड को ऑंखें बंद किये मजे से उछल-२ कर ले रही थी.
और उनके नीचे लेटा उनका बेटा उनकी चूत चाटने के साथ -२ अपनी चाची को भी चोद रहा था..इतनी कामुकता फैली है इस छोटे से कमरे में.
तभी चाची ने एक तेज आवाज करते हुए झड़ना शुरू कर दिया....और वो निढाल होकर नीचे लुडक गयी..
मेरा लंड उनकी गीली चूत से निकलकर तन कर खड़ा हुआ था, मम्मी ने जब अपने सामने अपने बेटे का चमकता हुआ लंड देखा तो उनके मुंह में पानी आ गया उन्होंने नीचे झुककर मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और उसे चूस चूसकर साफ़ करने लगी,
मैंने पलटकर मम्मी को नीचे किया और घूमकर उनकी चूत की तरफ आया और अपना साफ़ सुथरा लंड उनकी फूली हुई चूत पर टिका दिया...मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा...आई लव यू मोम....और अपना लंड उनकी लार टपकाती चूत में उतार दिया..
आआआआआआआआआह्ह्ह्ह म्म्म्मम्म्म्मम्म ...मम्मी ने मेरा लंड पूरा निगल लिया और मेरी कमर पर अपनी टांगो का कसाव बना कर मुझे बाँध लिया...
"बस थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहो.....मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में अन्दर तक महसूस करना चाहती हूँ...." मैं उनकी छाती पर लेता रहा और उनके अधखुले होंठो को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा.
धीरे -२ उन्होंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए, मैंने उनकी टांगो का जाल खोला और उन्हें अपने दोनों हाथों से पकड़कर उनकी टांगो को और भी चोडा कर दिया और लगा धक्के पे धक्के मारने अपनी माँ की चूत में..
उनके मुंह से बरबस ही बोल फुट पड़े...आआआआअह्ह्ह चोद मुझे बेटा....चोद डाल....और अन्दर डाल. अपना लंड....मादरचोद....चोद मुझे...भोंस्डीके...भेन चोद....चोद मुझे.....
आआआआआह्ह्ह डाल अपना खूंटे जैसा मोटा लंड अपनी माँ की चूत में....आः आह ह्ह्ह्हहहाहा आहा ह्ह्ह हा अ ह्ह्ह्हह्ह ..
मैंने भी उनकी चूत मारते हुए कहा..."ले साली रंडी....बड़ी सती सावित्री बनती है....अपने देवर से चुद्वाती है और मुझसे शर्मा रही थी...
और अब लंड डाला है तो दुगने मजे ले रही है...कुतिया कहीं की...साली रंडी..."
"हाँ मैं रंडी हूँ...तेरी रंडी हूँ मैं आज से...चोद मुझे...घर पर जब भी तेरा मन करे चोद देना मुझे...
अपने दोस्तों से भी चुदवाना अपनी रंडी माँ को....अपने टीचर्स से भी चुदवाना अपनी माँ को...शाबाश बेटा चोद मुझे..."
मम्मी पहले जितना शर्मा रही थी उतनी ही खुल गयी थी अब..
उधर पापा भी लगे हुए थे नेहा की चूत फाड़नें में ...पापा ने इतनी टाईट चूत आज तक नहीं मारी थी, नेहा के कसाव के आगे उनके लंड के पसीने छुट गए और उन्होंने अपनी बाल्टी उसकी चूत में खाली कर दी. नेहा अभी भी नहीं झड़ी थी.
चाचू के लंड को ऋतू अजीब तरीके से दबा रही थी अपनी चूत से,
उन्होंने भी अपनी जवान भतीजी के आगे घुटने टेक दिए और झड़ने लगे उसकी चूत के अन्दर.
ऋतू भी बिना झड़े रह गयी, उसने नेहा को इशारा किया और उसे अपने पास बुलाकर उसकी टांगो के बीच अपनी टाँगे फंसाकर अपनी चूत से उसकी चूत को रगड़ने लगी, दोनों की चूत जल रही थी, और जल्दी ही उन्होंने एक दुसरे की चूत को अपने रस से नहलाना शुरू कर दिया.
आआआआआआआआह्ह्ह येस्सस्सस्स बेबी ......ओह...फचक्क्क्क आआआह्ह्ह ...
मम्मी भी मेरे लंड की सवारी को ज्यादा नहीं कर पायी और उन्होंने एक दो झटके मारे और झड़ने लगी....आआआआआआअह्ह्ह्ह मैं तो गयी.....आआआआअह्ह्ह मजा आआअ गयाआआअ..... आआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह .
मैंने उनकी चूत की गर्मी महसूस करी और मैंने भी अपना रस अपनी जननी की चूत में उतार दिया.
चारों तरफ वीर्य और चूत के रस की गंध फैली हुई थी.
सबने एक दुसरे को चूमना और सहलाना शुरु किया और बारी-२ से सबकी चूत और लंड साफ़ किये और फिर सभी उठ खड़े हुए...नाश्ता भी तो करना था.
और मुझे सोनी और मोनी का ख्याल आया, कल वाली शर्त जीतने के बाद आज उनकी चूत भी तो मारनी है मुझे...
मैं, ऋतू और नेहा एक टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे तो वहां वो चोदु रेहान आ गया और हमारे साथ बैठ कर गप्पे मारने लगा, मैंने अपनी नजरें चारों तरफ दौडाई पर मुझे सोनी और मोनी कहीं न दिखाई दी.
रेहान कल वाली बात कर रहा था. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था की कल मैंने और ऋतू ने सोनी और मोनी के मोम डैड के साथ चुदाई करी, कल की चुदाई देखकर वो हमसे आज खुल कर लंड-चूत की बातें कर रहा था.
रेहान : "अरे ऋतू, कल तो मजा आ गया, मुझे लगता तो था की तुम लंड चूसने में माहिर हो पर कल देख भी लिया, तुम्हारी ब्रेस्ट बड़ी सुन्दर हैं और पीछे की गोलाइयाँ तो ग़जब की हैं, मैं तो कल से बैचैन हूं तुम्हे नंगा देखकर! "
ऋतू अपनी तारीफ़ सुनकर मुस्कुरा दी, उसके दिल में भी अब थोड़ी बहुत हलचल होने लगी थी.
नेहा जो पिछले दो दिनों से रेहान को देखकर मचल उठती थी वो बीच में बोल पड़ी "अरे तुमने अभी देखा ही क्या है, आगे -२ देखो हम क्या-२ करते हैं"
रेहान, नेहा की तरफ़ा देखते हुए : "अच्छा तो आप भी इस खेल में शामिल है, हमें भी तो बताओ की आप और क्या-२ कर सकती हैं"
"तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेकर सुबह से शाम तक तुमसे मरवा सकती हूँ" नेहा ने उसकी आँखों में देखते हुए मादक स्वर में कहा
रेहान का मुंह खुला का खुला रह गया.
ऋतू और नेहा जोर-२ से हंसने लगी.
"क्यों क्या हुआ, अब कहाँ गयी तुम्हारी बेचैनी" ऋतू ने उससे पुछा, अब वो भी नेहा के साथ-२ मजे ले रही थी.
"हंस लो, हंस लो..जब सही में मेरा लंड लोगी तो पता चलेगा की क्या मुसीबत मोल ले ली तुमने..." और रेहान भी हंसने लगा
मुझे उनकी बातों से बड़ी जलन सी हो रही थी, मुझे वो शुरू से ही पसंद नहीं था और आज वो साला मेरे सामने बैठा मेरी बहनों से चुदाई की बातें कर रहा था.
मैंने ऋतू के कान में कहा "ऋतू, इस मादरचोद को ज्यादा भाव न दो, तुम दोनों इससे दूर ही रहो.."
ऋतू भी मेरे कान में बोली "भाई...तुम क्यों जल रहे हो..मैं तो बस मजे ले रही हूँ, तुम्हे क्या मैंने कभी रोका है किसी और से मजे लेने के लिए.." उसके लहजे में थोडा गुस्सा भी था.
मैं समझ गया की उनको समझाना बेकार है, नेहा तो पहले से ही रेहान पर लट्टू थी.
मैंने जल्दी से नाश्ता किया और वहां से उठ खड़ा हुआ, मैंने नेहा से कहा "तो ठीक है तुम मजे लो, मैं तो चला"
मैं उठ कर वहां से आगे चल दिया, थोड़ी दूर चलने पर मैंने देखा की एक पेड़ के नीचे एक लड़की बैठी हुई एक किताब पड़ रही थी, मैंने सोचा चलो इस पर चान्स मारते हैं.
मैं उसके सामने पहुंचा तो उसकी खूबसूरती को देखकर मैं दंग रह गया, बला की खुबसूरत थी वो लड़की, लम्बी, गोरी, पतली कमर, छोटे-२ टेनिस बोल जितने चुचे, लम्बे बाल, काले सलवार सूट में उसका हुस्न कहर ढा रहा था.
"हाय ...मेरा नाम अशोक है..क्या मैं यहाँ थोड़ी देर बैठ सकता हूँ" मैंने उसके पास पहुंचकर कहा
उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और मुस्कुरा कर बोली "हाँ हाँ क्यों नहीं, आईये.."
मैं वहीँ जमीन पर उसके पास बैठ गया और बोला "आप यहाँ अकेली बैठी है...कोई साथ नहीं है आपके" ??
"दरअसल मैं यहाँ किसी को भी नहीं जानती, मैं अपनी फॅमिली के साथ यहाँ आई हूँ, मेरा नाम हिना है" उसने कहा
"तो क्या हुआ हिना, हमें भी यहाँ कोई नहीं जानता, पर हमने भी यहाँ कई दोस्त बनाये है, जब तक तुम ऐसे कोने में बैठी रहोगी तो दोस्त कैसे मिलेंगे.." !! मैंने उसे समझाया.
"हाँ वो तो है...पर ..मेरा स्वभाव ऐसा ही है..मुझे इन सबमे बड़ी शर्म आती है..u know .." कहते -२ वो रुक गयी.
"चलो कोई बात नहीं, अब मैं यहाँ आ गया हूँ, तो क्या तुम मेरी दोस्त बनना पसंद करोगी" ?? मैंने उसकी नशीली आँखों में देखते हुए अपना हाथ उसकी तरफ बड़ा दिया.
वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी और मेरे हाथ को थाम लिया, उसके नाजुक हाथों के ठन्डे स्पर्श से मेरा पप्पू अपनी औकात पर उतर आया. बड़ी मुश्किल से मैंने बैठे -२ उसका एंगल सही किया.
"और कोन-२ है तुम्हारी फॅमिली में..." मैंने उससे पुछा .
"मेरे मोम डैड और मेरा बड़ा भाई..रेहान" उसने कहा
रेहान का नाम सुनकर मैं चोंक गया..अच्छा तो ये उस रेहान की बहन है, अब मजा आएगा. वो साला मेरी बहनों को चोदने की सोच रहा है,
अब तो मैं भी उसकी बहन की चूत मार कर ही रहूँगा..वैसे ये हिना उसकी बहन ना भी होती तो मैं इसे छोड़ता नहीं..इतनी खुबसूरत थी वो.
मैंने वापिस घूम कर दूसरी तरफ देखा तो दूर टेबल पर बैठे ऋतू, नेहा और रेहान उठ कर ऊपर पहाड़ी की तरफ जा रहे थे,
मैं समझ गया की नेहा और ऋतू अब रेहान से चुदे बिना नहीं मानेगी, और वो उसे उसी पहाड़ी वाली चट्टान पर ले जा रहे थे..चुदने के लिए.
मैंने अपने मन में उसकी चुदाई की योजना बनानी शुरू कर दी.
"चलो हिना मैं तुम्हे यहाँ पर एक खुबसूरत जगह दिखाकर लाता हूं"
"कौन सी जगह ?" उसने पुछा.
"इस पहाड़ी इलाके की सुन्दरता वाली जगह...तुम चलो तो सही, बड़ा मजा आएगा..." मैंने उसके हाथों को पकड़ा और उसे खड़ा कर दिया.
वो मेरे साथ चल पड़ी.
मैं उससे बातें करते हुए उसी पहाड़ी की तरफ चल पड़ा.
धीरे -२ चलते हुए मैंने उन लोगो से काफी फासला बना कर रखा हुआ था, थोड़ी ही देर में हम उस जगह पर पहुँच गये,
मैं उसे चट्टान वाली जगह के बिलकुल पीछे ले गया जहाँ से दूसरी तरफ का नजारा दिखाई दे रहा था,
उस जगह पर पहुँच कर वो सही में काफी खुश हो गयी थी, वहां की ऊँचाई से पूरी घाटी नजर आ रही थी,
इस नज़ारे को देखकर उसने मेरा हाथ जोर से पकड़ लिया और मुझसे बोली "अरे वाह..क्या नजारा है, ऐसा लगता है अल्लाह ने खूबसूरती की पूरी कायनात यहाँ पर सजा कर रख दी है..." उसका शरीर मुझसे रगड़ खा रहा था और मेरा बुरा हाल हो रहा था.
तभी दूसरी तरफ से एक सिसकारी की आवाज आई....आआआआआआआआआह्ह्ह
वो रेहान की आवाज थी.
हिना का ध्यान भी उस तरफ चला गया..मैंने उससे धीरे से कहा "लगता है वहां कोई है..चलो देखते है..." मैंने उसे चुप करने का इशारा किया और उसे अपने साथ चिपका कर उसी चट्टान की तरफ चल पड़ा.
वहां एक कोने में पेड़ के पीछे छिपकर हम दोनों खड़े हो गए, घनी झाड़ियों और पेड़ की आड़ में वो लोग हमें नहीं देख सकते थे.
वहां का नजारा देखकर हिना का मुंह खुला का खुला रह गया.
रेहान वहां ऋतू और नेहा के बीच अपनी जींस उतार कर खड़ा हुआ था और उसका मोटा और लम्बा लंड वो दोनों नीचे बैठी हुई बारी-२ से चूस रही थी.
मैंने इतना मोटा लंड आज तक नहीं देखा था, मेरा लंड जो की सात इंच का था पापा और चाचू का भी लगभग बराबर ही था, पर इस साले रेहान का लगभग साड़े आठ इंच का तो होगा ही और मोटाई भी उसी के अनुसार थी, काफी मोटा था,
ऋतू की आँखों की चमक बता रही थी की उसे लोडा पसंद आया था, इसलिए वो कुतिया उसे बड़े मजे से अपने मुंह में ले-लेकर चूस रही थी.
"अरे ये तो मेरा भाई रेहान है...या अल्लाह ये क्या कर रहा है यहाँ पर, और ये लड़कियां कौन है.....तौबा-२ ..मुझे ये सब नहीं देखना चाहिए.." ये कहकर वो पीछे मुड़ कर जाने लगी.
"अरे हिना रुको तो सही....ये तुम्हारा भाई है तो क्या हुआ...वो जिन लड़कियों से ये सब कर रहा है वो दोनों मेरी बहने हैं..." मैंने उसे शांत लहजे में कहा.
वो मेरी बात सुनकर हक्की-बक्की रह गयी.
मैंने आगे कहा "देखो..हर लड़का और लड़की सेक्स करता है...हम सभी के आस पास वाले यानी, हमारे मम्मी पापा, भाई बहन , दोस्त और सभी रिश्तेदार भी...
लेकिन उनको सेक्स करते हुए देखने का अवसर तुम्हे कभी नहीं मिलता..कई बार हमारे मन में अपने ही रिश्तेदारों के लिए कई बुरे विचार आते हैं..पर उन्हें हम साकार नहीं कर सकते,
क्योंकि ये सब समाज में बुरी नजर से देखा जाता है..और आज हमें जब मौका मिला है की हम अपने भाई बहन को सेक्स करते हुए देखे तो इसे तुम मत गवाओं..
देखो और मजे लो" मेरे मुंह में जो निकला मैं बोलता चला गया उसका कोई मतलब निकला के नहीं, मुझे नहीं मालुम, पर मेरी बात सुनकर वो वहीँ खड़ी हो गयी, और उधर उसके भाई का लंड मेरी बहनों के चूसने से खड़ा हो गया.
"पर तुम ये बात किसी से न कहना...की मैंने ये सब देखा.." उसने सकुचाते हुए मुझसे कहा.
"ठीक है.." मैंने उससे कहा औए उसकी पतली कमर पर हाथ रखकर उसे अपने से चिपका लिया..
रेहान ने खड़े-२ अपनी टी शर्ट भी उतार दी.थोडा थुलथुला शरीर था उसका..
रेहान का लंड खड़ा होकर उसकी नाभि को टच कर रहा था...इतना लम्बा था उसका.
नेहा और ऋतू ने भी बैठे हुए अपनी टी शर्ट उतर दी , अब वो दोनों सिर्फ ब्रा और जींस में बैठी उसका लंड चूस रहीं थी.
नेहा ने काले रंग की ब्रा और ऋतू ने जामनी रंग की ब्रा पहनी हुई थी. बड़ी सेक्सी लग रही थी दोनों उस ड्रेस में.
रेहान ने अपने हाथ उन दोनों के पीछे रखे और अपनी कुशलता दिखाते हुए अपनी उँगलियों से एक ही झटके से दोनों की ब्रा खोल दी..उन दोनों की ब्रा उछल कर उनकी छातियों से अलग हो कर छिटक कर नीचे गिर गयी.
नेहा अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके रेहान के लंड को नीचे से ऊपर तक ऐसे चाट रही थी जैसे कोई आइसक्रीम हो...बीच-२ में ऋतू और नेहा एक दुसरे को फ्रेंच किस भी कर रही थी.
हिना की साँसे उस नज़ारे को देखकर तेज होने लगी, वो खड़ी हुई अपनी टांगो को एक दुसरे से रगड़ रही थी, मैं समझ गया की लौंडिया गर्म हो रही है.
मैंने उसे अपने आगे खड़ा कर लिया और इस तरह उसके गुदाज चुतड मेरे खड़े हुए लंड को ठोकर मार रहे थे.
मैं उसके साथ चिपक कर खड़ा हो गया, उसने इस बात का कोई विरोध नहीं किया. मैंने अपना लंड सीधा किया और उसके मोटे-२ चूतडो से चिपक कर खड़ा हो गया.
रेहान का लंड कभी ऋतू और कभी नेहा अपने मुंह में भरकर चूस रही थी, उसकी हुंकार से पता चल रहा था की उस कमीने को कितना मजा आ रहा था.
नेहा खड़ी हो गयी और उसने झट से अपनी जींस नीचे उतारी और अपनी पेंटी को भी उतार कर मादरजात नंगी हो गयी और उसने रेहान के होंठो पर अपने होंठ टिका दिए..
रेहान ने नेहा के चूतड़ों को जोर से पकड़ा और उसे चुसना शुरू कर दिया, फिर उसने अपने दोनों हाथों से उसके मोटे ताजे कबूतर पकडे और उनपर अपने दांत गड़ा दिए, नेहा की चीख निकल गयी उसके इस वहशीपन से..
आआआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह धीएरीईईईईई रेहाआआआआआआआआअन आआआआआआआह
नेहा ने अपना दूसरा स्तन अपने हाथ में पकड़ा और रेहान के मुंह में परोस दिया...उसे भी रेहान ने काट कर नेहा के निप्प्ल्स के चारों तरफ एक गहरा निशान बना दिया..
हिना की साँसे मानो अटक कर रह गयी अपने भाई के इस रूप को देखकर..
रेहान बड़ी बेरहमी से नेहा और ऋतू की छातियाँ मसल रहा था, उन दोनों की मस्ती से भरी चीखे पूरी वादियों में गूंज रही थी..
हिना ने मेरी तरफ देखते हुए कहा " ये ऐसा क्यों कर रहा है...कितनी तकलीफ हो रही होगी तुम्हारी बहन को...तुम कुछ करते क्यों नहीं...."
मैंने पीछे से उसके उरोजों पर हाथ रख कर दबा दिया...और बोला "क्या करूँ , तुम ही बोलो"
वो मेरे हाथों के कसाव से और मेरे जवाब से सहम सी गयी, पर उसने मेरे हाथों को अपनी छाती से नहीं हटाया, और फिर से आगे की तरफ देखने लगी.
मैंने उसके छोटे-२ सेबों को दबाना शुरू कर दिया, बड़े कड़क थे उसके कश्मीरी सेब, मीठे भी होंगे,
ये सोचकर ही मेरे मुंह में पानी आ गया, मैंने हाथ नीचे से घुमाकर उसके सूट के अन्दर दाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उन्हें दबाने और सहलाने लगा,
उसपर मस्ती सी छाती जा रही थी, अपने सामने अपने ही भाई का लम्बा लंड देखकर और अपने चूतड़ों पर मेरे मोटे लंड का दबाव पाकर.
मैंने दूसरा हाथ उसकी पानी टपकती चूत पर रख दिया और अपने दोनों हाथों से उसे ऊपर और नीचे एक साथ सहलाने लगा.
हिना ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपना सर पीछे करके मेरे कंधे पर टिका दिया, और अपने दोनों हाथ मेरे दोनों हाथों पर रख कर मुझे और तेजी से दबाने के लिए उकसाने लगी. उसकी चूत से किसी भट्टी जैसी गर्मी बाहर आ रही थी.
रेहान ने नेहा को काफी देर तक चूसने के बाद उसे चट्टान पर लिटा दिया और ऋतू को उठाकर अपने सीने से लगा लिया,
अब वो ऋतू के शरीर से खेल रहा था, ऋतू जो रेहान का लंड देखकर दंग रह गयी थी, वो बार-२ उसके लम्बे लंड को अपनी चूत वाली जगह से घिस रही थी,
वो जल्दी से इस मोटे डंडे को अपनी चूत में उतारना चाहती थी, ऋतू ने रेहान के होंठ चूसते हुए अपनी जींस के बटन खोने और उसे उतार दिया, हमेशा की तरह उस कुतिया ने आज भी नीचे कच्छी नहीं पहनी थी.
रेहान ने उसे भी चट्टान पर लिटा दिया और अब दोनों नंगी रंडियां अपनी टाँगे आसमान की तरफ उठाए लेटी थी, रेहान ने बारी -२ से उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया,
पहले उसने नेहा की चूत को चखा और फिर ऋतू की चूत में अपनी जीभ डाली, वो खुरदुरी चट्टान पर अपनी चूत एक खुरदुरी जीभ से चट्वाकर मचल रही थी.
फिर ऋतू से सेहन नहीं हुआ और उसने रेहान के बाल पकड़कर उसे उठाया और चिल्ला कर बोली "भोंसडीके ..दाल अपना लंड मेरी चूत में...अब सहा नहीं जाता, फाड़ दे अपने लंड से मेरी चूत को...."
पर रेहान सिर्फ मुस्कुराता रहा उसने अपना लंड उसकी चूत में नहीं डाला, बल्कि अपने रस टपकाते लंड से उसकी जांघो पर ठोकरें मारने लगा,
वो उसे तडपा रहा था, वो बोला "साली कुतिया...नीचे तो बड़ा बोल रही थी..अब देख, मेरा लम्बा लंड देखकर कैसे चुदने की भीख मांग रही है...साली रंडी कहीं की...तेरी चूत को तो मैं अपने कुत्ते से चुदवाऊंगा,
मेरा कुत्ता रेम्बो तेरी चूत को काट काटकर पूरी रात तेरी पिलाई करेगा, तब तुझे पता चलेगा की चुदाई क्या होती है..."
"हाँ हाँ चुदवा लेना मुझे अपने कुत्ते से भी पर अभी तो ये मुसल मेरी चूत में डाल न रेहान,....इतना मत तरसा....प्लीस ...." रितु उसके सामने भीख मांग रही थी.
"चल एक शर्त पर, तुझे मेरा पेशाब पीना होगा पहले" रेहान ने ऋतू से कहा.
उसकी बात सुनकर ऋतू और नेहा के साथ-२ मैं और हिना भी सकते में आ गए..
पर ऋतू ने अगले ही पल उठ कर उसके मोटे लंड को अपने हाथ में लेकर अपने मुंह का निशाना बनाया और बोली..."जल्दी निकाल अपना पेशाब..."
रेहान मुस्कुराया और थोड़ी कोशिश करने के बाद उसके पीले रंग की एक मोटी धार ऋतू के मुंह की तरफ चल दी, ऋतू के खुले मुंह ने उसे केच कर लिया और पीने लगी, पर बहाव तेज था, इसलिए जल्दी ही उसका मुंह भर गया और गोल्डन पानी उसकी छातियों से होता हुआ, चूत को भिगोता हुआ, नीचे जमीन पर गिरने लगा.
ऋतू जल्दी-२ उसके पेशाब को पी रही थी, अंत में रेहान ने मूतना बंद कर दिया, ऋतू उठी और वापिस अपनी जगह जाकर लेट गयी.
मेरे मन में ऋतू के लिए घिन्न सी आ गयी पर फिर मैंने सोचा, मैंने भी तो उसे अपना पेशाब पिलाया था, शायद लड़कियों को इसका स्वाद अच्छा लगता है.
रेहान ने आगे बढकर अपने मोटे लंड को ऋतू की छोटी सी चूत पर रखा और एक करारा झटका दिया...
आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मर्र्र्रर गयीईईईईईईई ......अभी तो रेहान का सुपाडा ही अन्दर गया था.
मैंने हिना की तरफ देखा वो बड़े ध्यान से अपने भाई को मेरी बहन को चोदते हुए देख रही थी.
मैंने हिना की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार और पेंटी को एक साथ नीचे उतार दिया.
पहले तो उसने थोडा विरोध किया पर जब मैंने अपने होंठो से उसके नर्म होंठ चूसने शुरू किये तो उसने भी अपनी रजामंदी दे डाली..
"मैंने ये सब कभी नहीं किया...प्लीस ध्यान रखना" उसने मेरे कानो में धीरे से कहा. मैं समझ गया की वो कुंवारी है.
उधर रेहान ने अपना लंड थोडा बाहर निकाला और एक और तेज झटका दिया , ऋतू की तो बुरी हालत हो गयी, उसकी चूत थोड़ी सी साइड से फट गयी, और रेहान का पूरा लंड दनदनाता हुआ उसके गर्भाशय से जा टकराया..
ऋतू की आँखें बाहर उबल कर आ गयी, उसने थोडा सीधा होकर रेहान की कमर को थाम लिया और उसे और झटके मारने से रोक दिया, पर रेहान ने उसकी एक न सुनी और उसे वापिस उसी अवस्था में लिटाकर और तेजी से धक्के मारने लगा...
ऋतू ने अपना मुंह पीछे कर लिया..नेहा जो ऋतू की बगल में लेती हुई थी उससे अपनी बहन का दर्द देखा न गया और वो उछल कर उसके ऊपर आ कर लेट गयी,
नेहा ने ऋतू के दोनों हाथों के पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर टिका दिए और उन्हें चूसने लगी दोनों के मोटे-२ चुचे एक दुसरे से रगड़ खा रहे थे , ऋतू की चूत में रेहान का लंड था और उसकी चूत के थोडा ऊपर ही नेहा की चूत थी.
नेहा के चूसने से ऋतू का दर्द थोडा कम हुआ, अब रेहान के झटकों से भी उसे मजा आ रहा था, उसने किस को तोडा और चिल्लाना शुरू कर दिया..."आआआआआआआह्ह रेहाआआआआआन ..चोदो मुझे...चोदो मेरी चूत को अपने लम्बे लंड से...और तेज...और तेज.....आआआह अह अह अह अह अ हा हहा अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...."
ऋतू को काफी मजा आ रहा था और तभी रेहान ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकल लिया ...और लंड निकालकर उसने उसे ऊपर वाली नेहा की चूत पर टिकाया और एक जोरदार झटका मारा....अब चिल्लाने की बारी नेहा की थी.."अयीईईईईईईईईईइ मर गयीईईईइ कुत्ते....कमीने....हरामजादे......कटुए....निकाल इसे मेरी चूत से बाहर.....है राम फाड़ डाली मेरी चूत...."
अब ऋतू ने उसके होंठो को पकड़ा और चूसने लगी, पीछे से रेहान ने उसकी चूत का बैंड बजाना चालू रखा....और फिर उसे भी मजा आने लगा लम्बे लंड से...
ऋतू नीचे मचल रही थी वापिस लंड निगलने के लिए, रेहान ने फिर से अपना लंड निकाला और ऋतू की चूत भर दी, और इस तरह वो लगभग 10 -12 झटके ऋतू की चूत में मारता और उतने ही नेहा की चूत में...
दोनों फुदक फुदक कर चुदवा रही थी....उनकी सिस्कारियों से पता चल रहा था की उन दोनों रंडियों को कितना मजा आ रहा था उस मुसल लंड से...
मैंने हिना के कुरते को ऊपर करके निकाल दिया, और पीछे से उसकी ब्रा भी खोल दी...अब वो भी पूरी नंगी थी,
वो शर्मा कर पीछे मुड़ी और मेरे सीने में सर छुपा कर मुझसे लिपट गयी, उसका नर्म और मुलायम शरीर मुझसे किसी बेल की भाँती लिपटा हुआ था,
मैंने जल्दी से अपने कपडे उतारे और उसके हाथों में अपना लंड थमा दिया, मेरे लंड को देखते ही उसके पसीने छूट गए, वो घबरा कर पीछे हट गयी और बोली "बाप रे बाप, इतना मोटा, मेरा भी वोही हाल होगा जो तुम्हारी बहनों का हुआ है...मेरे छोटे से छेद में तो ये नहीं जाएगा.."
"अरे हिना डरो मत, देखो ये तो हर लड़की के साथ एक न एक दिन होता ही है, और ये तो तुम्हारे भाई से थोडा छोटा ही है, आगे चलकर तुम्हे अपने भाई का लंड भी तो लेना है.." मैंने कहा.
अपने भाई के लंड को लेने के नाम से ही उसके शरीर में एक झुरझुरी से फ़ैल गयी, वो किस ख्यालों में खो गयी..और धीरे से बोली "अपने भाई का...पर ये तो गलत होगा न..."
"अरे कोई गलत नहीं है, मैं जानता हूँ तुम ये सब अपने भाई के साथ भी करना चाहती हो..क्या तुम्हे पता है, ये दोनों मेरी बहने जो तुम्हारे भाई से चुदवा रही हैं, उन दोनों को पहली बार मैंने चोदा था.." मेरे ऐसा कहने से वो मेरी तरफ हैरत भरी नजरों से देखने लगी.
फिर मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी निप्पल पर टिका दिए... स्स्सस्स्स्सस्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म .....
उसने आनंद से अपनी ऑंखें बंद कर ली, और मैंने उसकी गोरी छाती को चुसना शुरू कर दिया..
उसने मेरा सर अपनी छाती से बड़ी बेदर्दी से दबा रखा था, लगता था उस मुसलमानी लड़की के चुचे आज तक किसी ने नहीं चुसे थे, मैंने एक हाथ उसकी कसी हुई गांड पर टिकाया और उसके गुदाज पुट्ठे को मसलने लगा.
रेहान किसी जंगली की तरह बारी-२ से बड़ी तेजी से उन दोनों की चूत मार रहा था, ऋतू और नेहा ने अपने होंठ एक दुसरे से चिपका रखे थे और मजे ले लेकर वो मोटे लंड का मजा ले रही थी..रेहान ने नेहा की चूत में अपना लंड डालकर काफी तेजी से झटके दिए,
जल्दी ही नेहा ने झड़ना शुरू कर दिया और उसका रस टपक कर ऋतू की चूत को और गीला करने लगा, अब ऋतू की बारी थी, उसकी चूत पर भी रेहान ने तेज प्रहार किये और उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया..रेहान का मुसल्ल लंड अभी भी तना हुआ खड़ा था..
ऋतू और नेहा उठ कर नीचे जमीन पर बैठ गयी और रेहान ने अपना लंड हाथ में लेकर मसलना शुरू कर दिया, दोनों रंडियों ने अपने चुचे अपने हाथ में पकडे और रेहान के लंड की तरफ देखकर अपना मुंह खोलकर बारिश का इन्तजार करने लगी..
उन्हें ज्यादा इन्तेजार नहीं करना पड़ा, जल्दी ही रेहान ने एक तेज हुंकार के साथ झाड़ना शुरू कर दिया, उसने अपने लंड को ऋतू के मुंह की तरफ और फिर नेहा की तरफ घुमा घुमाकर पानी की बोछारों से उनका मुंह और चुचे भिगो डाले..
उन दोनों ने काफी माल अपने मुंह में कैच किया और बाकी अपनी छातियों पर लोशन की तरह मल लिया.
वो तीनो वहीँ जमीन पर निढाल होकर सुस्ताने लगे..
अब मैंने अपना पूरा ध्यान हिना की तरफ कर दिया.
हिना अपने पुरे शरीर को मुझसे घिस रही थी, उसकी चूत से काफी रस टपक रहा था, मैंने ज्यादा देरी करना सही नहीं समझा और उसे नीचे जमीन पर लिटा दिया और उसकी दोनों टांगो को चोडा करके अपने लंड को उसकी चूत पर टिकाया, और एक जोर का झटका मारा..
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आआआआआआआआआआआह्ह माआआआआआआर दाआआआआआआलाआआआआअ
वो बड़ी तेज चिल्लाई....
मैंने उसपर रहम नहीं खाया और एक और तेज झटका मारकर अपना पूरा साड़े सात इंच लम्बा लैंड उसकी कुंवारी चूत में उतार दिया..
आआआआआआआआआआआआआआआआह्ह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊह वो दर्द से बिलबिला उठी, उसकी चूत की झिल्ली फट गयी और खून का गर्म रसाव मैंने अपने लंड पर महसूस किया...
इस बार उसकी चीख सुनकर वो तीनो का ध्यान हमारी तरफ गया और सब भागते हुए वहां पहुँच गए.
वहां का नजारा देखते ही रेहान चिल्लाया "......अरे...आपा .....आप यहाँ.....अरे छोड़ो ये क्या कर रहे हो मेरी बहन के साथ...."
"नहीईईईईईइ....रेहान.....तुम पीछे हट जाओ......." हिना दर्द में चिल्लाई "....तुम भी तो वहां येही मजा ले रहे थे इसकी बहनों के साथ....अब वो मजा जब मैं ले रही हूँ तो तुम मुझे रोक रहे हो...आआआआआआह...."
मेरे झटको से उसके चुचे बुरी तरह हिल रहे थे, रेहान समझ गया की उसकी बहन ने सब कुछ देख लिया है उसका गुस्सा अब धीरे-२ गायब होने लगा और उसका ध्यान अपनी बहन के हिलते हुए चूचो पर केन्द्रित हो गया.
ऋतू और नेहा भी समझ गयी की मैं रेहान की बहन के साथ छुपकर उनका प्रोग्राम देख रहा था और अब रेहान की बहन को चोद भी रहा था,
रेहान की बहन की चूत में मेरा लंड जाते देखकर उनकी चूत में फिर से चींटियाँ रेंगने लगी..और वो नंगे खड़े रेहान से अपना शरीर घिसने लगी.
रेहान ने भी अपनी बला की सुंदर बहन के बारे में कई बार सोचकर मुठ मारी थी और आज जब वो मुझसे नंगी और बेशर्म होकर चुद रही थी तो उसके लंड ने अपनी बहन के बारे में सोचते हुए फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी..
अपने दोनों तरफ से दो गर्म लड़कियों के शरीर की गर्मी ने उसके लंड को खड़ा करने में मदद की. जल्दी ही उसके घोड़े जैसा लंड फिर से खड़ा हो कर फुफकारने लगा..
मैंने भी अपने धक्के हिना की चूत में तेज कर दिए...हिना अब सिस्कारियां ले-लेकर अपनी चूत मरवा रही थी,
वो हर झटके के साथ अपनी गांड भी उठा देती थी और मेरे लंड को नीचे की तरफ से टक्कर देती हुई और अन्दर तक घुसा लेती थी...
अपनी पहली चुदाई को वो काफी एन्जॉय कर रही थी...उसकी नजरें अपने भाई की तरफ ही थी, रेहान भी अपनी बहन को चुदते हुए देखकर अपने लंड को हिलाने लगा...
मैं जल्द ही अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गया और उसकी टांगो को उठा कर एक साथ 8 -10 झटके मारे, मेरे तेज झटके हिना से भी बर्दाश्त नहीं हुए और वो एक तेज चीख मारती हुई...अपने भाई की आँखों में देखती हुई...झड़ने लगी
.....आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह आआआआआआआह अह अ हः अ हः अ ह्ह्ह्हह्ह्ह ...
मैंने भी अपना रस उसकी चूत के अन्दर तक भर दिया...सच में मुझे हिना की कुँवारी कसी हुई चूत को मारने में काफी मजा आया, ....
हिना की छातियाँ तेज सांस लेती हुई ऊपर नीचे हो रही थी....रेहान की नजर अभी तक उनपर टिकी हुई थी...मैं समझ गया की रेहान भी अपनी बहन को चोदना चाहता है..
मैंने ऋतू और नेहा को इशारा किया की उसके पास से हट जाए..वो दोनों भी समझ गयी और पीछे हट कर रेहान को अपनी बहन की तरफ धकेल दिया..
मैं भी हिना की चूत से अपना लंड निकाल कर खड़ा हुआ और ऋतू और नेहा के साथ जाकर खड़ा हो गया..
रेहान आगे बढ़ा और नीचे लेटी अपनी नंगी बहन को ऊपर से नीचे तक देखा, हिना की आँखें अपने भाई को सामने नंगा देखकर मदहोश सी होने लगी...
रेहान नीचे झुका और हिना की टांगो के बीच जाकर अपना मुंह उसकी रसीली चूत पर टिका दिया... आआआआह्ह .. स्स्स्सस्स्स्स.... म्मम्मम्मम्म ... हिना ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी टाँगे हवा में उठा दी...
वो अभी-२ झड़ी थी पर अपने भाई को अपनी चूत चाटते देखकर वो फिर से गरम होने लगी, रेहान ने अपनी जीभ अपनी बहन हिना की चूत के अन्दर दाल दी, वहां पर पड़ा मेरा माल उसके मुंह से टकराया और वो उसे हिना के रस के साथ-२ चाटने लगा...
मेरे मन को बड़ा सुकून मिला, पहले तो मैंने उसकी कुंवारी बहन को चोदा और अब वो साला मेरा माल अपनी बहन की चूत से चाट रहा है...मैं होले से मुस्कुरा दिया.
रेहान ने अपनी जीभ और होंठो से उसकी सूजी हुई रसीली चूत को चाट चाटकर साफ़ कर दिया..हिना मछली की तरह जमीन पर पड़ी हुई मचल रही थी...
आआआआआआआआअह्ह्ह्ह रेहाआआआआआआन्न्न हाआआआअन्न्न ऐसे ही चुसो.......आआआआआअह्ह्ह .....भाई ऐसे ही चुसो ...............अह अ हा हा हा अह अ........अम्म्म्मम्म्म्मम्म ..... म्म्म्मम्म्म्मम्म
हिना को बड़ा मजा आ रहा था..
ऋतू ने मुझे नीचे धक्का दिया और नीचे लिटा दिया और मेरे आधे खड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी,
नेहा भी हरकत में आई और मेरे मुंह पर आकर बैठ गयी और मैं उसकी चूत को चाटने लगा...नीचे मेरे लंड के खड़े होते ही ऋतू ने मोर्चा संभाला और कूद कर अपनी चूत को लंड पर टिका दिया...
आआआआआआआआअ .........आआआआआआह्ह्ह .....और उछल-२ कर लंड के मजे लेने लगी.
रेहान भी उठा और उसने अपनी आपा की चूत पर लंड टिकाया और उसकी आँखों में देखकर एक धक्का मारा...आआआआआआअह्ह्ह ,
उसकी चूत का छेद मैंने खोल तो दिया था पर रेहान के मोटे लंड को अन्दर जाने के लिए और जगह चाहिए थी...
वो जोर से दर्द में चिल्ला उठी और अपने भाई के चेहरे को नीचे करके चूसने लगी...रेहान भी अपनी बहन के गुलाबी होंठो को बड़े मजे से चूस रहा था और अपना लंड भी उसकी चूत में पेल रहा था..
मैंने अपनी बगल में लेटी नंगी हिना के चूचो पर अपने हाथ रख दिए और रेहान की तरफ देखा...वो भी मुझे देखकर मुस्कुरा दिया..और thank you बोला...
क्योंकि मेरी वजह से ही उसे अपनी खुबसूरत बहन की चूत मारने को जो मिल रही थी...
मैंने अपने ध्यान वापस नेहा की चूत पर लगाया और उसको कुरेदने लग गया.
जल्दी ही नेहा के साथ साथ ऋतू और हिना एक - एक करके झड़ने लगी....रेहान ने भी अपना सारा रस अपनी बहन हिना की चूत में डाल दिया...
मेरे लंड ने भी झड़ना शुरू कर दिया और मैंने भी अपनी बहन ऋतू के अन्दर अपना लंड खाली कर दिया...ऋतू हांफती हुई मेरे ऊपर गिर गयी...और रेहान अपनी बहन के ऊपर..
नेहा भी झड़ने के बाद नीचे जमीन पर पड़ी गहरी साँसे ले रही थी.
सबसे पहले ऋतू उठी और अपने कपडे उठा कर लायी और पहनने लगी, और फिर नेहा और रेहान भी अपने कपडे उठाने उधर ही चल दिए,
मैंने हिना की तरफ मुस्कुरा कर देखा और उसकी आँखों में उमड़ता प्यार देखकर मैं समझ गया की वो आज काफी खुश है, हो भी क्यों न, अपनी पहली चुदाई वाले दिन ही दो-२ मोटे लंड जो खाने को मिले थे, जिसमे एक उसके भाई का भी था..
मैं सरककर उसकी बगल में आया और उसे अपनी बाँहों में भरकर भींच लिया, उसकी छातियाँ चरमरा गयी..
तभी पीछे से ऋतू की आवाज आई..."अरे भाई..अब तो छोड़ दो बेचारी को...दो बार तो चुद चुकी है..अभी भी कसर है क्या..अब भी मन कर रहा है तो मैं आऊं क्या.." और वो हंसने लगी.
मैंने उसे छोड़ा और अपने कपडे पहनकर खड़ा हो गया, हिना भी अपनी लाली छुपाते हुए अपना सलवार कमीज पहन कर तैयार हो गयी..
नीचे उतरते हुए हम सभी इकट्ठे होकर काफी हंसी मजाक कर रहे थे , अभी भी हमारे पास पांच दिन थे,
मैं सोच रहा था की इन आने वाले पांच दिनों में मैं और क्या कर सकता हूँ...सच पूछिए तो अपने पिछले अनुभवों के आधार पर मैं ये तो समझ गया था की यहाँ पर आये हर कपल के साथ चुदाई करना तो बहुत आसान है, मैं तो बस अपने तरीको को और ज्यादा कारगार बनाने के बारे में सोच रहा था.
रेहान का स्वभाव भी मेरी तरफ काफी बदल सा गया था, वो मुझे एक तरह से अब गुरु की तरह देख रहा था, क्योंकि मेरी वजह से उसे अपने इस ट्रिप में इतना मजा जो आ रहा था और चुदाई भी करने को मिल रही थी,
ऋतू और नेहा भी रेहान का लंड पाकर मानो हवा में उड़ रही थी, उनके मन में भी अब तरह-२ के लोगो से चुदवाने के विचार आ रहे थे. और हिना की तो बात ही ना पूछो, उसकी कमसिन चूत जो कली से फूल बन चुकी थी, वहां की खुजली को रोक पाना अब संभव नहीं लग रहा था.
नीचे पहुंचकर मैंने देखा की सोनी और मोनी अपने मम्मी और पापा के साथ खड़ी बातें कर रही हैं, मैंने ऋतू की तरफ देखा और उसे अपने साथ चलने को कहा, बाकी लोगो को दूर किसी टेबल पर बैठने के लिए बोला.
मैं और ऋतू वहां पहुंचे और सभी को विश किया "हाई..गुड मोर्निंग...सोनी .मोनी..कैसी हो" ऋतू ने जाते ही कहा
"हम ठीक हैं." सोनी ने मुझे देखते हुए गहरी सांस में कहा.
"ये तुम्हारे मम्मी पापा हैं क्या ?" मैंने अनजान बनते हुए कहा
"हाँ ये हैं मेरे पापा पंकज और ये हैं मेरी मम्मी मंजू" सोनी ने कहा
उसके मम्मी पापा हम दोनों को अपने सामने देखकर अवाक से रह गए.
"क्या तुम चारों एक दुसरे को जानते हो" सोनी के पापा पंकज ने हमसे पूछा,
"हाँ...हम बस यहीं घूमते हुए मिले थे...हमारी तरह के बच्चे यहाँ काफी हैं.." मैंने उनके सवाल का जवाब दिया और अपने बाकी साथियों की तरफ ,जो दूर टेबल पर बैठे थे, इशारा किया.
"चलो फिर उनके पास चलते हैं.." मोनी ने गहरी हंसी हँसते हुए कहा..
हमारे जाते ही पंकज और मंजू ने एक दुसरे की तरफ देखा और मंजू बोली "हे भगवान्..अब क्या होगा..ये दोनों तो हमारी लड़कियों को भी जानते हैं..कहीं वो हमारे बारे में उन्हें तो नहीं बता देंगे"
पंकज : "अरे नहीं डार्लिंग...तुम घबराती क्यों हो..ऐसा कुछ नहीं होगा..हमने जो मजे उन दोनों भाई बहन को कल दिए हैं वो दोबारा लेने के लिए उन्हें मालुम है की ये बाते छुपा कर ही रखनी पड़ेगी.."
"हाँ तुम ठीक कहते हो...वैसे भी उस चुलबुली लड़की की चूत जब से तुमने मारी है, उसे दोबारा लाने की बातें बार-२ कर रहे हो.." मंजू ने अपने पति को सताते हुए कहा.
"वो तो सच है...तुम भी तो उस जवान लड़के से अपनी चूत मरवाने के बाद बड़ी खुश लग रही हो...लगता है दोनों को जल्दी ही दोबारा बुलाना पड़ेगा अपने काटेज में.." पंकज ने भी हँसते हुए कहा, और वो दोनों वापिस अपने कमरे की तरफ चल पड़े...चुदाई करने के लिए.
हमारे साथ काफी दूर चलने के बाद मैंने सोनी से कहा "तो क्या ख्याल है कल के बारे में...मैंने जो कहा था वो कर दिखाया के नहीं."
"हाँ यार...तुमने तो सही में कमाल ही कर दिया, इतनी सफाई से तुम उनकी पार्टी में शामिल हो गए और चुदाई भी कर ली..मजा आ गया देखकर.." मोनी ने अपनी ख़ुशी को उभारते हुए मुझसे कहा.
"हाँ....हहमम.जो तुमने कहा वो कर भी दिखाया..पर मेरे ख्याल से वो सही नहीं था...काफी गन्दा काम किया तुम दोनों ने " सोनी बोली.
"अच्छा दीदी...तो फिर तुम क्यों अपनी चूत को रगड़ रही थी कल वो सब देखकर...मेरी चूत तो अभी तक सूजी हुई है कल की वजह से...
तुम लोगो के जाने के बाद हम दोनों ने काफी देर तक उनको फिर से शर्मा अंकल और आंटी के साथ वो दोबारा करते हुए देखा..सही में काफी मजा आया था." मोनी ने फिर से कहा.
"तो क्या तुम दोनों को अपना वादा याद है..."मैंने उन दोनों से कहा.
"अरे बिलकुल याद है...मेरी तो चूत में खुजली हो रही है कल से.." मोनी ने उत्सुकता से कहा...
"और तुम क्या बोलती हो सोनी.." ?? मैंने सोनी की तरफ देखकर कहा.
"ह्म्म्म ठीक है..मुझे पता है की मैं शर्त हार चुकी हूँ...बताओ क्या करना है" ?? आखिर सोनी ने भी अपनी हार मानते हुए मुझसे कहा.
"जो भी करेंगे तुम्हे मजा आएगा...फिकर मत करो" मैंने उसे आश्वासन दिया.
"तो ठीक है, तय रहा, हम आज शाम वाले प्रोग्राम के दोरान ही मिलेंगे तुम्हारे कमरे में, कितना मजा आएगा हम सारे तुम्हारे कमरे में होंगे और तुम्हारे मम्मी पापा साथ वाले कमरे में अपने दुसरे साथियों के साथ.." ऋतू ने सुझाव दिया.
"अरे ये तो बहुत बढ़िया आईडिया है.." मोनी ने उछलते हुए कहा.
"लेकिन अगर उन्होंने हमें पकड़ लिया तो" सोनी ने अपनी शंका जताई.
"वो कुछ नहीं कर सकेंगे...मेरा विश्वास रखो" मैंने सोनी को फिर से आश्वस्त किया, और फिर वो दोनों वापिस चले गए.
वापिस टेबल पर पहुँच कर मैंने नेहा और रेहान को भी शाम का प्रोग्राम बताया, हिना पहले ही जा चुकी थी, उसकी टांगो में दर्द हो रहा था चुदाई के बाद से ,
वो अब आराम करना चाहती थी, वो दोनों भी शाम का प्रोग्राम सुनकर काफी खुश हुए, और फिर नेहा ने कहा की वो रेहान को लेकर अपने कमरे में जा रही है...अकेले.
ऋतू और मैं समझ गए की वो और चुदना चाहती है रेहान से..इसलिए मुस्कुराते हुए हमने उसे जाने दिया. और हम दोनों दूसरी तरफ चल पड़े.
जाते हुए ऋतू ने मुझसे पूछा.."अब क्या इरादा है"
"मेरे ख्याल से हमें ये सब मम्मी-पापा को बता देना चाहिए की हम क्या कर रहे हैं...और उन दोनों को पंकज और मंजू के काटेज में भेजना चाहिए..ताकि कोई गड़बड़ हो तो वो संभाल ले." मैंने ऋतू से कहा.
"वाह क्या आईडिया है.." ऋतू ने उछलते हुए कहा और अपने मोटे आम मेरे सीने से दबाकर मुझे वहीँ खड़े-२ चूमने लगी..
"अरे संभल कर..." पास से जाती एक लम्बी और खुबसूरत सी लड़की ने हम दोनों को चुमते हुए देखा और कहा..
हमने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया और मैं एक पेड़ की आड़ में खड़ा होकर ऋतू के चुचे दबाने लगा,
यहाँ सभी लोग अपरिचित थे, अब तो ये नौबत आ गयी थी की अगर हमारे मम्मी-पापा भी अगर हमें ये सब खुले में करते हुए देख ले तो वो भी हमें कुछ नहीं कह सकते थे...इसलिए इस आजादी को हम दोनों काफी एन्जॉय कर रहे थे.
उस लड़की ने जब देखा की हम दोनों एक दुसरे को चुमते जा रहे हैं तो वो भी वहीं खड़े होकर बड़ी ही बेशर्मी से हमें देखने लगी..
मैं अपनी अधखुली आँखों से उस लड़की को भी देख रहा था, वो अपनी चूत को अपने दायें हाथ से रगड़ रही थी.
मैंने ऋतू को चुमते हुए उस लड़की को इशारे से अपनी तरफ बुलाया, वो लगभग भागती हुई हमारे पास आई तब मैंने उसको ऊपर से नीचे तक देखा,
उसने जींस और जेकेट पहनी हुई थी, लम्बी हील और बाल खुले, उसकी छाती को देखकर अंदाजा लगा सकते थे की काफी बार दबवा चुकी है,
और उसकी चोडी गांड भी इस बात की गवाही दे रही थी की काफी लंड भी ले चुकी है..उसका गोल चेहरा और मोटे होंठ देखकर मेरे मुंह में भी पानी आ गया " मैंने ऋतू के चुचे दबाते हुए उससे पूछा "क्या नाम है तेरा.."
"हम्म...मेरा नाम गरिमा है..और मैं अपने मम्मी पापा के साथ यहाँ आई हूँ" उसने अपनी चूत खुजलानी नहीं छोडी और आगे बोली "मैं तो यहाँ बोर ही हो गयी हूँ...शहर में तो मेरा बॉय फ्रेंड भी था, आशुतोष, जो मुझे रोज चोदता था, पर पिछले तीन दिनों से मेरा बुरा हाल है,
तुम दोनों को देखकर मुझे अपना यार याद आ गया, मैंने गलती करी, उसे भी अपने साथ ले कर आना चाहिए था.."
"जैसा तुम सोच रही हो ऐसा कुछ नहीं है...ये मेरा बॉय फ्रेंड नहीं बल्कि मेरा भाई है.." ऋतू ने उसकी तरफ देखते हुए कहा.
"क्याआआआआआआ...." उसकी आँखें बाहर की तरफ आने लगी ये सुनकर.
"हाँ मैं इसका भाई हूँ और हम ये मजे रोज लेते हैं..तुम्हे भी लेने है तो बोलो" मैं उसका उत्तर तो जानता था फिर भी पूछा.
"वाह तुम दोनों भाई बहन होकर ये सब कर रहे हो...मेरा कोई भाई नहीं है..और न ही कोई बहन...पर अगर होता तो मैं भी उससे चुदे बिना नहीं रह पाती.." गरिमा ने कहा और आगे आकर सीधा मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया.
मैंने अपने चारों तरफ नजर दौड़ाई, इतनी खुली जगह पर चुदाई करनी सही नहीं थी ..मैंने उन्हें इशारे से एक काटेज की ओट में आने को कहा जहाँ पर किसी की नजर हम पर नहीं पड़ सकती थी,
वहां पीछे की तरफ नदी बह रही थी,..वहां पहुँचते ही गरिमा किसी भूखी शेरनी की तरह मुझपर टूट पड़ी..ऋतू उसकी उत्सुकता देखकर दंग रह गयी...
गरिमा ने मेरे गले में अपनी बाहें डाली और मुझे चूमने लगी, और अपनी चूत को मेरे लंड वाली जगह से रगड़ने लगी, उसके होंठ बड़े नर्म थे, मैंने उसके उभारों पर हाथ रखा तो दंग रह गया उसकी मोटाई देखकर,
उसकी उम्र की लड़की के इतने बड़े तरबूज मैंने आज तक नहीं देखे थे , मैंने उसके जेकेट की जिप खोल दी, अन्दर उसने सिर्फ एक ब्रा पहनी हुई थी, जो उन तरबूजों को संभालने के लिए छोटी पड़ रही थी, वो फ्रंट से खुलने वाली ब्रा थी,
मैंने उसके हुक खोल दिए, उसके तरबूज किसी पानी भरे गुब्बारे की तरह उछल कर बाकर आकर लटक गए,
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, वो पूरी तरह वासना में डूबी हुई थी, ऋतू जो पीछे खड़ी हुई थी, उसने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए,
मैंने गरिमा की जींस के बटन खोले और उसे खींच कर नीचे कर दिया, जेकेट और ब्रा भी उतार कर नीचे पटक दी, अब वो पूरी तरह से नंगी हमारे सामने खड़ी हुई थी,
वो एक भरे हुए शरीर की मालकिन थी, उसकी फूली हुई चूत देखकर कोई भी बता सकता था की हरामजादी काफी लंड निगल चुकी है, उसका पेट बिलकुल सपाट था और गांड काफी उभरी हुई और मोटी थी.
वो झट से जमीन पर बैठ गयी और मेरी जींस के बटन खोलकर एक झटके से उसे नीचे उतार दिया, मेरा खड़ा हुआ लंड उसके चेहरे से जा टकराया,
उसकी सांप जैसी जीभ बाहर निकली और उसने मेरा नाग अपने मुंह में भर लिया और उसे बड़ी तेजी से चूसने लगी, एक हाथ से वो मेरे टट्टे सहला रही थी,
फिर उसने अपना बड़ा सा मुंह पूरा खोला और मेरी दोनों गोलियां भी अपने मुंह में भरकर चूसने लगी, बड़ा मजा आ रहा था, ऋतू भी आगे आई और हम दोनों के बीच से होती हुई गरिमा की चूत की तरफ मुंह किया और उसे चाटने लगी,
गरिमा की लम्बी सिसकारी निकल गयी..आआआआआआआआआआह्ह्ह ... पर उसने मेरा लंड चुसना नहीं छोड़ा..गरिमा अब लगभग ऋतू के चेहरे पर अपनी चूत का पिटारा खोले बैठी थी और मेरा लंड और टट्टे चूस रही थी, मैं अपनी आँखें बंद किये इस चुस्वाई के मजे ले रहा था..
गरिमा काफी गरम थी इसलिए ऋतू ने जब उसे चुसना शुरू किया तो उसकी चूत का बाँध टूट गया और उसका रस प्रवाह तेजी से बाहर आकर उसके चेहरे पर पड़ा..आआआआआआआआअह आआआआआअह आहा हा आहा अ हः.....उसकी साँसे मानो अटक ही गयी....
वो मेरा लंड पकडे हुए नीचे लेट गयी...उसकी टांगो ने जवाब दे दिया था...ऋतू बड़ी तेजी से उसकी चूत का पानी चाट रही थी,
मैंने भी झुक कर अपनी दोनों टाँगे उसके दोनों तरफ करके उसके मोटे चुचे पर बैठ गया, क्या मुलायम एहसास था, मैंने अपना पूरा भार उसपर नहीं डाला, उसने मेरा लंड चुसना चालू रखा, उसकी चूत चाटने के बाद ऋतू आगे आई और मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी, उसने आते ही मेरे सर को बड़ी बेदर्दी से पकड़ा और अपनी चूत पर दे मारा,
मैंने उसकी चूत का पानी पीना शुरू कर दिया, नीचे लेटी गरिमा अपने एक हाथ से अपनी चूत को भी सहला रही थी और फिर से गर्म होने लगी थी...
ऋतू ने एकदम से मेरा मुंह पीछे किया और मैं समझ गया की वो झड़ने वाली है...पर मेरा अंदाजा गलत निकला, अगले ही पल उसकी चूत में से एक लम्बी पेशाब की धार मेरे मुंह से आकर टकराई, मैं सकते में आ गया,
आजतक ऋतू ने ऐसा नहीं किया था, पर शायद काफी देर से उसने रोक रखा था और अब उससे सहन नहीं हुआ और उसके पेशाब की धार सीधे मेरे मुंह से टकराती हुई नीचे लेटी हुई गरिमा के ऊपर जा गिरी,
उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकाल दिया और ऊपर से आती बारिश को अपने मुंह में समेटने में लग गयी,
उसे शायद ऋतू का पेशाब मेरे लंड से भी ज्यादा टेस्टी लगा था, इसलिए उसने अपने हाथ ऊपर करके ऋतू को नीचे खींचा और अपने मुंह पर बिठा लिया और बाकी का बचा हुआ ड्रिंक सीधे वहीँ से पीने लगी, मैं पीछे हुआ और अपना लंड हाथ में पकड़कर गरिमा की चूत पर जा टिकाया.
उसने अपने दोनों चुतड ऊपर उठा दिए और बोली...दाआआआआआआआआल्लो प्लीईईईईईईईईस .......मैंने देरी करना उचित नहीं समझा और मैंने एक झटका दिया और मेरा लंड उसकी वेलवेट जैसी चूत के अन्दर तक समाता चला गया....
आआआआआआआआआआआआह्ह अह आआआआआआआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ...
वो हम दोनों भाई बहन के नीचे पड़ी मचल उठी...उसकी गांड बड़ी गद्देदार थी...मैंने नीचे हाथ करके उसकी गांड के छेद को टटोला..गरिमा की गांड का छेद भी काफी गरम था,
मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया....उसने ऋतू की चूत को चुसना छोड़ दिया और बोली "ये क्याआअ......." पर अगले ही पल मैंने उसकी गांड के छेद पर लंड टिकाया और धक्का देकर उसे अन्दर कर दिया....
अयीईईईईईईईईईईई ..... मर्र्र्रर्र्र्रर गयीईईईईईईईईईईई........वो लगभग चिल्ला उठी, उसकी गांड का छेद काफी tight था, मैंने उसे धक्के देने शुरू किये,,वो अब घांस पर अपनी कोहनियों के बल आधी लेटी हुई थी,
उसके मोटे-२ चुचे बुरी तरह हिल रहे थे....हर झटके से उसके मुंह से एक आह निकल रही थी...ऋतू साइड में लेटी हुई अपनी चूत रगड़ रही थी...
मैंने उसका अकेलापन देखा तो मैंने गरिमा को कुतिया वाले स्टाइल में आने को कहा. वो झट से उलट कर अपनी गांड हवा में उठा कर लेट गयी
और इस तरह से उसका मुंह अब नीचे लेटी हुई ऋतू की चूत पर था...
उसने अपना एक हाथ पीछे किया और मेरे लंड को पकड़कर अपनी गांड के छेद पर टिका दिया और पीछे की तरफ झटका मारकर फिर से मेरा लंड अपनी गांड में फंसा लिया..मैं उसकी कुशलता देखकर हैरान रह गया..
मैं उसकी कमर पर आधा लेट गया और आगे झूलते हुए उसके तरबूजों को दबा दबाकर पीछे से झटके मारने लगा....
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नीचे से ऋतू की चूत चुस्वाई हो रही थी और पीछे से गरिमा की गांड मरवाई..
दोनों की सिस्कारियां गूंज रही थी..आआआआआआअह अह अ हा हा हा हा हा हा......आआआआआआअह म्म्म्मम्म्म्मम्म अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......ऋतू बड़े जोर से अपनी चूत उठा उठा कर गरिमा के मुंह में ठूस रही थी...
गरिमा के निप्पल काफी बड़े थे, उसके चूचो की तरह ही,,,मैंने पीछे से उन्हें अपनी उँगलियों में भरा और जोर से मसल डाला....
आआआआआआआआआआआआआआआह्ह कुत्ते ..............मार डाला.......आआआआआआअह्ह मेरे टट्टे उसकी चूत को ठोकर मार रहे थे, जिसकी वजह से उसकी चूत की गर्मी भी बाहर निकल रही थी....
जल्दी ही ऋतू ने झड़ना शुरू कर दिया....उसकी मलाई को गरिमा ने अपनी लम्बी जीभ से चाट चाटकर साफ़ कर दिया...मैंने अपने धक्कों की स्पीड बड़ा दी और जल्दी ही गरिमा के साथ-साथ मेरी सिस्कारियां भी गूंजने लगी...और हम दोनों ने एक साथ झड़ना शुरू कर दिया..
आआआआआआआआआआआअह्ह आआआआआआआ ह्ह्ह अ हाहा अ हा ह .....म्म्मम्म्म्मम्म ....मैं तो गया...और मैंने अपना गाड़ा रस उसकी मोटी गांड में उडेलना शुरू कर दिया...
अपनी गांड में मेरे वीर्य की गर्मी पाकर उसका भी ओर्गास्म हो गया और वो भी हांफती हुई झड़ने लगी..आआआआआआअह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म मैं भी गयी......
मैंने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला तो वो झट से आगे होकर ऋतू के मुंह के ऊपर गयी और अपनी गांड से टपकते हुए मेरे रस को उसके मुंह में भरने लगी...
मैं भी खड़ा हुआ और अपना लंड ले कर उसके मुंह के पास जाकर खड़ा हो गया साफ़ करवाने के लिए...
थोड़ी देर लेटने के बाद हम तीनो ने पीछे बहती हुई नदी में जाकर ठन्डे पानी से नहाया और अपने कपडे पहन कर वापिस चल पड़े.
गरिमा को दोबारा मिलने का वादा किया और उसने भी दुगने जोश से फिर से चुदने की इच्छा जताई और वो भी वापिस अपने कॉटेज में चली गयी..
वापिस पहुंचकर हम सीधा मम्मी पापा के कमरे में गए, और उन्हें रात को पंकज और मंजू के काटेज में जाने को कहा, ज्यादा बात न बताते हुए सिर्फ ये कहा की वो एन्जॉय करेंगे...उनकी उत्सुकतता बड़ गयी, और उन्होंने शाम को वहां जाने का वादा किया.
शाम को जब प्रोग्राम के दौरान हम सभी लोग मिले और जल्दी से बाहर निकल कर एक जगह इकठ्ठा हो गए.
मैं, नेहा, ऋतू एक तरफ थे और सोनी और मोनी दूसरी तरफ. सोनी ने जींस के ऊपर स्वेटर पहना हुआ था और मोनी आज बड़ी ही सेक्सी शोर्ट स्कर्ट पहन कर आई थी, मेरा लंड तो उसको देखते ही खड़ा हो गया था.
रेहान और हिना आज नहीं आये थे, सुबह की चुदाई से हिना का बुरा हाल हो गया था, इसलिए रेहान भी उसके साथ अपने कॉटेज में ही रुका हुआ था.
हम सभी ने एक दुसरे को पूरा प्लान समझाया और सोनी-मोनी के काटेज की तरफ चल पड़े, वहां जाकर देखा की आज फिर सिर्फ एक ही कमरे की बत्ती जल रही है, बीच वाले की, हम सभी चुपचाप उसके साथ वाले कमरे में, जो की सोनी-मोनी का कमरा था, में घुस गए.
मैंने जाते ही कमरे में लटका हुआ शीशा हटाया और अन्दर झाँका, पंकज और मंजू के साथ अपने मम्मी और पापा को देखकर मैं मुस्कुरा दिया, उनके साथ एक और जोड़ा भी था, टोटल 6 लोग थे कमरे में, सभी नंगे होकर एक दुसरे के लंड और चूत चूसने में लगे हुए थे, मैंने जगह बनाकर सोनी-मोनी को भी अन्दर झाँकने को कहा.
थोड़ी देर देखने के बाद सोनी मेरी तरफ घूमी और बोली "तुम सही कह रहे थे, यहाँ सभी बड़े लोग ग्रुप सेक्स और वाईफ स्वेपिंग के लिए आते हैं, आज फिर यहाँ पर नयी पार्टी चल रही है.." उसने कबूल करते हुए कहा.
"हाँ और इसी में ही मजा है.." ऋतू ने आगे आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा. "तुम्हे इसका बुरा नहीं लगना चाहिए"
"लेकिन ये बुरा है.." सोनी ने जोर देते हुए कहा "इनको सिर्फ एक दुसरे के साथ ही ये सब करना चाहिए"
"ये तो अपने-२ देखने का नजरिया है" मैंने सोनी से कहा "और दूसरा नजरिया यहाँ है" मैंने अन्दर इशारा करते हुए कहा. "ये लोग एक दुसरे को धोखा नहीं दे रहे है और ना ही कोई एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर चला रहे हैं, वो सिर्फ सेक्स कर रहे है और मजे ले रहे हैं...बस."
"लेकिन हमारे बारे में क्या...मुझे तो इन सभी बातों से आघात लगा है" उसने धीमी आवाज में कहा.
"लेकिन क्यों????" मैंने थोडा तेज आवाज में कहा "क्या उन्होंने तुम्हारे साथ कोई बुरा बर्ताव किया, तुम्हारा ख्याल नहीं रखा, या उन्होंने तुम्हे अपने साथ मिलाने की कोशिश की..बोलो .."
"नहीं..ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.." उसने कहा
"तो फिर क्या प्रॉब्लम है...just relax ...अब हमारा टर्न है मौज लेने का" मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा.
"ठीक है..." उसने एक गहरी सांस ली और दिवार से घूम कर दूसरी तरफ सर कर लिया. "अब हमें क्या करना है"
"वेल ...सबसे पहले तो हम सभी को अपने कपडे उतार देने चाहिए.." ऋतू ने गहरी मुस्कान के साथ कहा.
ये सुनते ही मोनी ने एक झटके से अपनी शोर्ट स्कर्ट उतार दी, अन्दर उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी, और अपनी शर्ट भी उतार कर नंगी हो गयी, उसके छोटे-२ संतरे जैसे चुचे तन कर खड़े हुए थे और उनपर भूरे रंग के छोटे-२ निप्प्ल्स.. और उसकी चूत पर अभी बाल आने शुरू ही हुए थे,
गोल्डेन कलर के बाल उसकी चूत को छिपाने में असमर्थ थे, उसकी चूत अपने रस में सनी हुई लसलसा कर चमक रही थी.
"क्या तुम लोग अपने कपडे नहीं उतारोगे..." उसने मुझे अपनी तरफ घूरते हुए देखकर कहा..
"हाँ हाँ...क्यों नहीं.." और मैंने, नेहा और ऋतू ने भी जल्दी से अपने कपडे उतार डाले और नंगे हो गए.
"अरे वाह ...तुम्हारा लंड तो काफी बड़ा और सुन्दर है....क्या मैं भी इसको अपने मुंह में लेकर चूस सकती हूँ जैसे मेरी माँ तुम्हारे पापा का चूस रही है.." उसने लार टपकाते हुए कहा.
"हाँ क्यों नहीं...चूस लो..जैसा तुम चाहो " ऋतू ने मोनी के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे मेरे लंड के सामने बिठाया..."और तुम क्या अपने कपडे नहीं उतरोगी सोनी ?" उसने सोनी से पूछा जो कोने में खड़ी हुई सारा नजारा देख रही थी.
"ह्म्म्म ...मुझे थोडा समय दो..तुम लोग करो...मैं थोड़ी देर मैं उतार दूंगी..." उसने धीरे से कहा.
"ठीक है...जैसा तुम चाहो..." ऋतू ने उससे कहा और फिर मेरा खड़ा हुआ लंड पकड़कर नीचे बैठी मोनी के मुंह के पास ले जाकर बोली "ये लो मोनी...चुसे इसे.."
मोनी ने मेरे लंड पर अपने नन्हे हाथ रखकर उसे जोर से पकड़ा...उसके हाथों का स्पर्श पाकर मैं सिहर उठा..वो बड़े प्यार से उसे देख रही थी, थोड़ी देर मसलने और सहलाने के बाद वो बोली "वाह ये कितना मुलायम और गर्म है..."
"हाँ...चलो अब चुसो इसे.." ऋतू भी नीचे अपने पंजो के बल बैठ गयी और अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर मसलती हुई मोनी से बोली.
सोनी भी थोडा और नजदीक आकर खड़ी हो गयी जहाँ से उसे लंड चूसती उसकी छोटी बहन साफ़ दिखाई दे...मोनी ने अपना छोटा सा मुंह खोला और अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे लंड को उसपर विराजमान कराया और फिर जीभ के साथ-२ मेरे लंड को भी अपने मुंह में डाल
उसके गर्म मुंह में जाते ही मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी, मेरी टाँगे अपने आप मुड़ गयी आआआआआआआआआआआअह्ह sssssssssssssssss .... म्म्मम्म्म्मम्म .
मेरे लंड के चारों तरफ उसके गुलाबी होंठ कस गए और वो उसे बड़े मजे से चूसने लगी...
थोड़ी देर चूसने के बाद उसने लंड बाहर निकाला और अपनी बड़ी बहन सोनी की तरफ देखते हुए बोली "दीदी...ये तो बड़ा ही टेस्टी है..तुम भी ट्राई करो.."
सोनी का चेहरा लाल हो गया अपनी बहन को मेरा लंड चूसते हुए देखकर...वो अन्दर से तो चाहती थी पर अपने आप को रोक के खड़ी थी..मोनी फिर से मेरे लंड को बड़ी तेजी से चूसने लगी...नेहा अब मोनी के पीछे जाकर बैठ गयी और उसके स्तन दबाने लगी,
उसके निप्प्ल्स को अपनी उँगलियों में दबाकर उन्हें और फुलाने लगी..ऋतू उठकर सोनी के पास गयी और उसकी पीठ से चिपककर अपना सर उसके कंधे पर रख दिया और अपने हाथ उसके पेट पर..."मैं जानती हूँ की तुम भी ये सब करना चाहती हो..शरमाओ मत.. मैं तुम्हारी मदद करती हूँ..." और उसने उसके स्वेटर को नीचे से पकड़कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया..
सोनी ने शर्माते हुए अपनी स्वीकृति दे दी और ऋतू उसके कपडे एक-२ करके उतारती चली गयी और थोड़ी ही देर में सोनी भी हमारे सामने नंगी खड़ी थी.
मैंने अपनी आँखें खोलकर देखा और उसके सोंदर्य को देखता ही रह गया, उसकी कमर जितनी पतली थी उसके चुचे और कुल्हे उतने ही मोटे...उसके गुदाज जिस्म को देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया...
वो अपने हाथों से अपनी चूत और चुचे को छिपाने की कोशिश कर रही थी..
ऋतू उसके हाथ बार-२ हटा कर उसके अंग उजागर कर रही थी...वो बड़ी ही शर्मीली थी जबकि उसकी छोटी बहन उतनी ही खुले विचारों वाली..तभी तो वो बड़े मजे से मेरा लंड चूसने में लगी हुई थी.
नेहा भी अब मेरे सामने बैठ गयी थी और बारी-२ से मोनी और नेहा मेरा लंड चूसने लगी.
"तुम बहुत सुंदर हो सोनी...तुम्हारी ब्रेस्ट काफी सुन्दर हैं.." ऋतू ने उसके चूचो को अपने हाथों में लेकर हलके से दबाते हुए कहा.
ऋतू के द्वारा उसके निप्प्ल्स पर हाथ लगते ही उसका शरीर कांपने लगा, उसने आनंद के मारे अपनी आँखें बंद कर ली,
ऋतू उसके सामने आई और उसके गले लग कर अपना एक हाथ उसकी गांड पर ले जाकर दबा दिया, दुसरे हाथ से वो उसके निप्पल को मसलती रही. सोनी ने अपने शरीर को ऋतू के सामने ढीला छोड़ दिया.
पर थोड़ी ही देर में उसका शरीर अकड़ गया क्योंकि ऋतू ने अपना सर नीचे करके उसके निप्पल को अपने मुंह में लेकर चुसना शुरू कर दिया, उसके पुरे शरीर में करंट दौड़ गया,
वो अपने हाथों से ऋतू के सर को नीचे की तरफ दबा रही थी, ऋतू तो निप्पल चूसने में माहिर थी, वो अपने दांतों और जीभ का उपयोग कर रही थी और सोनी खड़े हुए तड़प रही थी.
जल्दी ही उसकी तड़प एक चीख में बदल गयी जब ऋतू ने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया और जोर से दबा दिया...आआआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह और उसकी चीख भी पूरी ना होने पायी थी की ऋतू ने अपनी एक ऊँगली उसकी गीली चूत के अन्दर दाल दी..सोनी की आवाज गले में ही घुट कर रह गयी..
फिर ऋतू ने उसके निप्पल को चुसना छोड़ दिया और अपना हाथ भी उसकी चूत से हटा लिया और उससे बोली "तुम्हारा शरीर सच में काफी सुंदर है और टेस्टी भी.." और उसने सोनी की चूत में डूबी वो ऊँगली अपने मुंह में डाल ली.
"ये तो सही में मुझे अच्छा लगा..." सोनी ने शर्माते हुए कहा.
"तुम अब मेरे साथ ये सब क्यों नहीं करती..." ऋतू ने सोनी से कहा.
सोनी की आँखें चौड़ी हो गयी ये सुनकर...पर फिर उसने आगे बढकर ऋतू के दांये स्तन को अपने हाथ में पकड़ा और उसे उठाकर और दबाकर उसे गौर से देखने लगी,
वो उसके स्तन से थोडा अलग था, उसने अपने दोनों हाथों से ऋतू के चूचो को दबाना शुरू कर दिया, और उसके निप्प्ल्स को भी बीच -२ में उमेठने लगी,
और फिर उसने अपना सर नीचे करके उसके एक निप्पल को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी किसी प्यासी बच्ची की तरह..ऋतू ने अपनी आँखें बंद करके अपना सर ऊपर उठा लिया, उसे बड़ा मजा आ रहा था, उसकी एक लम्बी सिसकारी निकल गयी.
म्म्मम्म्म्मम्म स्स्सस्स्स्सस्स्स.........sssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssss
ऋतू ने उसके सर को पकड़कर उसे अपने चुचे पर घुमाना शुरू कर दिया, सोनी ने अपनी बाहें ऋतू की कमर के चारों तरफ बाँध दी और चप -२ की आवाजों के साथ उसका दूध पीने लगी..
धीरे-२ सोनी ने अपना हाथ नीचे ले जाकर ऋतू की चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया, उसके ठन्डे हाथों के स्पर्श से उसका शरीर झटके मार रहा था,
सोनी ने ऋतू की चूत के ऊपर हाथ रखकर थोड़ी देर उसे दबाया और फिर अपनी बीच वाली ऊँगली उसकी चूत के अन्दर डाल दी..और फिर एक और ऊँगली अन्दर डाल कर उसकी क्लिट पकड़कर उसे धीरे २ मसलने लगी.... आआआआआआआआआह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म......
"बड़ा अच्छा लग रहा है सोनी...बस ऐसे ही करती रहोऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ." ऋतू ने आँखें बंद रखते हुए सोनी से कहा.
अपनी तारीफ़ सुनकर सोनी थोडा रिलेक्स हुई और मजे ले लेकर उसके निप्प्ल्स को चुस्ती हुई उसकी चूत को अपनी उँगलियों से चोदने लगी.
मेरे लंड का भी बुरा हाल था, दो-२ गर्म लड़कियां मेरा लंड चूस रही थी, मैंने मोनी के मुंह से अपना लंड बाहर निकाला और उसे खड़ा कर दिया और कहा "तुम तो सच में काफी अच्छे से चुस्ती हो..मजा आ गया... क्या तुम्हे मजा आया ?" ये कहकर मैंने उसके होंठो को चूम लिया..
"हाँ बड़ा मजा आया...मन कर रहा है की तुम्हारा लंड मेरे मुंह में ही पड़ा रहे और मैं इसे चुसती रहूँ ...क्या तुम भी मेरी चूत को चूस सकते हो...जैसे तुम्हारी मम्मी की मेरे पापा चूस रहे हैं..." उसने मुझे वापिस चुमते हुए कहा.
"बिलकुल चूस सकता हूँ...क्या तुम वहां देखते हुए अपनी चूत चुसवाना चाहती हो..." मैंने शीशे वाली जगह की तरफ इशारा किया.
"हाँ हाँ बिल्कुल..." उसने लगभग उछलते हुए कहा..
चलो फिर....और मैं मोनी को उस शीशे वाली जगह के पास ले गया.