8 years ago#21
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ठीक आठ बजे एम-डी और महेश पहुँच गये। 

“वेलकम सर, हैव अ सीट”, मैंने उन दोनों का स्वागत किया। 

“नमस्ते सर!” प्रीती ने भी स्वागत किया। 

“हेलो राज! हेलो प्रीती! आज तो तुम कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही हो”, एम-डी ने जवाब दिया। 

प्रीती ने लाइट ब्लू रंग की साड़ी और उसके ही मैचिंग का टाइट ब्लाऊज़ पहन रखा था। साथ ही उसने सफ़ेद रंग के पेंसिल हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे और वो बहुत ही सुंदर लग रही थी। 

“थैंक यू सर, आइये बैठिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ”, प्रीती ने किचन कि ओर जाते हुए कहा। 

“कोई जल्दी नहीं है, आओ हमारे साथ बैठो”, एम-डी ने कहा। 

प्रीती भी मेरे साथ उनके सामने बैठ गयी। मैंने स्कॉच के पैग बनाये और एम-डी और महेश को पकड़ा दिये। 

“तुम भी कुछ क्यों नहीं लेती?” एम-डी ने प्रीती से कहा। 

“सर! मैं शराब नहीं पीती, हाँ! मैं एक कोक ले लूँगी।” मैंने प्रीती को वो स्पेशल कोक पकड़ा दिया। 

प्रीती ने चीयर्स कहकर उस कोक में से एक घूँट भरा। मैं कुछ नाश्ता ले कर आती हूँ, कहकर किचन की ओर चली गयी। 

“राज तुमने उसे सब बता दिया?” एम-डी ने पूछा। 

“नहीं सर! अभी तक नहीं, पर आप चिंता ना करें मैं उसे तैयार कर लूँगा”, मैंने समझाया। 

थोड़ी देर में वो नाश्ते की प्लेट टेबल पर सजाने लगी। नीचे झुकते वक्त उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया और उसकी छाती की गहरायी दिखने लगी। एम-डी और महेश उसके भरे भरे मम्मों को घुरे जा रहे थे। प्रीती को जब एहसास हुआ तो उसने खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक कर ली। 

“ओह आज कितनी गर्मी है”, कहकर उसने अपना कोक एक ही साँस में खाली कर दिया। 

हम तीनों उस पर कोक का असर होते देख रहे थे। उसकी हालत खराब हो रही थी, “एक्सक्यूज़ में, मैं अभी आयी”, कहकर वो किचन की और बढ़ गयी। 

थोड़ी देर बाद उसकी आवाज़ आयी, “राज! जरा यहाँ आना।” 

“राज! तुमने मेरे कोक में क्या मिलाया?” उसने अपनी हालत को संभालते हुए पूछा। 

“मैंने कहाँ कुछ मिलाया है?” मैंने अंजान बनते हुए कहा। 

“मेरे सिर पर कसम खाकर कहो तुमने कुछ नहीं मिलाया, और सच-सच बताओ क्या बात है, तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो”, उसने अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा। 

अब समय आ गया था कि मैं प्रीती को सब कुछ सच सच बता दूँ। “ठीक है सुनो! मैं तुम्हें बताता हूँ। तुम्हें याद है लास्ट संडे जब मैं कंपनी की मीटिंग में गया था।” ये कहकर मैंने उसे शुरू से आखिर तक सब बता दिया सिवाय उन तसवीरों के। 

“और तुम मान गये, अपनी बीवी को उनसे चुदवाने के लिये?” उसने नाराज़ होते हुए कहा। 

“क्या करता मेरे पास कोई चारा नहीं था, इन्होंने मुझे गबन के इल्ज़ाम में जेल जाने की धमकी दे दी थी। तुम ही बताओ मैं क्या करता?” 

“मैं जेल नहीं जाना चाहता प्रीती! प्लीज़ मान जाओ और साथ दो”, मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा। 

“नहीं मैं नहीं मानुँगी! क्या तुमने मुझे रंडी समझ रखा है?” कहकर वो अपनी चूत जोरों से खुजलाने लगी। 

कोक का असर उस पर चढ़ता जा रहा था। “ठीक है! मत मानो, मैं जेल चला जाऊँगा और तुम आराम करना। पर याद रखना मेरे जेल जाने की वजह तुम ही होगी। अच्छा पत्नी धर्म निभा रही हो तुम। मैं अभी जा कर उनसे कह देता हूँ”, कहकर मैं किचन के बाहर जाने लगा। 

उसने मुझे रोका, “ठहरो! तुम यही चाहते हो ना कि मैं रंडी बन जाऊँ? तो ठीक है मैं रंडी बनुँगी और तुम्हारे बॉस से ऐसे चुदवाऊँगी कि वो भी ज़िंदगी भर याद रखेंगे। लेकिन हाँ! मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी, कि, मैं रंडी तुम्हारी वजह से बन रही हूँ”, ये कहकर वो अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगी। 

मैं मन ही मन खुश हुआ कि चलो मान तो गयी। क्या करेगी? थोड़े दिनों में सब भूल जायेगी। “ठीक है! मैं उन्हें जा कर बताता हूँ कि तुम तैयार हो गयी हो।” 

“नहीं!!! मैं खुद बताऊँगी! तुम जाओ”, उसने कहा।

मैंने कमरे में आकर उन्हें इशारे से बताया कि प्रीती राज़ी हो गयी है। दोनों ही खुश हुए और अपने ड्रिंक्स लेने लगे। दोनों ही बेसब्र नज़र आ रहे थे। 

“कितनी देर में आयेगी राज? अब नहीं रहा जाता”, एम-डी ने पूछा। 

“सर इंतज़ार करें, अभी पाँच मिनट में आयेगी”, मैंने जवाब दिया। 

ठीक पाँच मिनट बाद प्रीती कमरे में दाखिल हुई। उसकी आँखें सुर्ख लाल हो गयी थी। मैं समझ गया कि वो रोती रही थी। वो उनके सामने आकर चेयर पर बैठ गयी और खुद के लिये ग्लास में कोक लिया और उसमें स्कॉच मिलाकर एक ही झटके में पी गयी। मैं प्रीती को शराब पीते देख भौंचक्का रह गया क्योंकि उसे शराब से नफरत थी।

उसका पल्लू नीचे गिर पड़ा मगर उसने उसे वैसे ही रहने दिया। उसके मम्मे नज़र आ रहे थे। एम-डी और महेश की नज़रें उसके मम्मों पर ही गड़ी हुई थीं। उसके ब्लाऊज़ के दो बटन खुले हुए थे। 
प्रीती उनकी आँखों में देख कर बोली, “अच्छा तुम दोनों हरामी आज मुझे चोदने आये हो!! तो इंतज़ार किस बात का कर रहे हो? चलो दोनों शुरू हो जाओ।” 

वो दोनों चौंक कर मेरी तरफ देखने लगे। मैं भी प्रीती का ऐसा कहते सुनकर चौंक पड़ा था। मुझे नहीं मालूम था कि प्रीती इस भाषा में उनसे बात करेगी। 

प्रीती की बात सुनकर एम-डी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने म्यूज़िक लगा दिया। अब एम-डी प्रीती को अपनी बाँहों में भर कर गाने की ट्यून पर थिरक रहा था। जब एम-डी ने उसे किस करना चाहा तो पहले तो उसने ऐतराज़ दिखाया पर बाद में अपने होंठ एम-डी के होंठों पर रख कर चूसने लगी। एम-डी भी उसे-जोर से भींच रहा था। प्रीती की साड़ी खुलती जा रही थी। 
8 years ago#22
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मेरे मन में जलान की भावना उठी, पर इस कुरबानी के बदले मुझे जो मिलने वाला था, ये सोच कर मैं खुश हो रहा था। 

“अब मुझसे नहीं रहा जाता”, कहकर महेश प्रीती के दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़ कर भींचने लगा और अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ने लगा। महेश प्रीती की नंगी गर्दन और पीठ पर चुम्मे ले रहा था। 

नाचते हुए जैसे ही वो मेरे पास से गुजरे, मैंने प्रीती के पेटीकोट के नाड़े को पकड़ा और उसका पेटीकोट खुल गया और उसके साथ ही उसकी साड़ी। उधर महेश ने उसके ब्लाऊज़ के बाकी के बटन खोल कर उसकी ब्रा भी उतार दी। 

दोनों ही काफी उत्तेजित हो चुके थे। उन्होंने अपनी पैंटें उतार दी और अपने अंडरवीयर भी उतार दिये। एम-डी का लंड इतना मोटा और लंबा नहीं था पर महेश का लंड काफी लंबा और मोटा था पर मेरे लंड से ज्यादा नहीं। मैंने प्रीती की पैंटी में अपनी अँगुली फँसा कर उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो उन दोनों के बीच में सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई-हील सैंडल पहने बिल्कुल नंगी थी।

उसके मम्मे दबाते हुए महेश अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ रहा था और एम-डी अपना लंड उसकी चूत पर घिस रहा था। 

“मममम... कितना अच्छा लग रहा है”, कहकर प्रीती ने अपने दोनों हाथों से दोनों लंड पकड़ लिये। अब वो उन्हें धीरे-धीरे हिला रही थी। 

“महेश मुझसे अब रहा नहीं जाता, मैं अब इसे चोदना चाहता हूँ”, एम-डी ने सिसकरी भरते हुए कहा। 

एम-डी ने प्रीती को गोद में उठाकर बिस्तर पे लिटा दिया। और खुद उस पर लेट कर पहले उसके मम्मे चूसने लगा और निप्पल पर अपने दाँत गड़ाने लगा। फिर नीचे की ओर खिसक कर उसकी चूत को चाटने लगा। 

“ये आप क्या कर रहे हैं सर! मैंने आज तक किसी की चूत नहीं चाटी।” महेश ने आश्चर्य में कहा। 

“तुम्हें नहीं पता तुम आज तक क्या मिस करते आये हो”, ये कहकर एम-डी जोर जोर से प्रीती की चूत चाटने लगा और फिर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर उसे चोदने लगा। 

महेश ने प्रीती के मम्मे खाली देखे तो उन्हें पीने लगा और जोर से भींचने लगा। प्रीती ने दोनों के सिर पर दबाव बढ़ाते हुए कहा, “हाँ इसी तरह मेरी चूत चाटो, पियो मेरे मम्मों को..., भींच डालो मेरी चूचियों को।”

“ओहहहहहह कितना अच्छा लग रहा है हाँआँआँ इसी तरह चोदो... ओहहहहहह गॉड!!!! हाँआआआआआँ और अंदर तक अपनी जीभ डाल दो और जोर से चोदो.... ऊऊऊऊहहहहह मेरा छूटने वाला है.... हाँ और जोर से”, कहकर प्रीती की चूत ने अपना पानी एम-डी के मुँह पर छोड़ दिया।

मगर एम-डी ने उसकी चूत को चाटना बंद नहीं किया बल्कि और तेजी से चाटने लगा। प्रीती में फिर गर्मी बढ़ने लगी। उसने महेश के बाल पकड़ कर अपने मम्मों पर से हटाया और एम-डी के बाल पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, “अब मुझे चोदो, मुझसे रहा नहीं जा रहा।” 

उसकी टाँगें चौड़ी कर के एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसेड़ दिया। “महेश क्या शानदार चूत है, काफी टाइट भी लग रही है”, प्रीती की चूत को निहारते हुए एम-डी बोला। 

“अरे सालों!!!! ये तुम्हें क्या हो गया है”, प्रीती ने अपनी टाँगें उछालते हुए उत्तेजना में कहा, “क्या अब तुम्हारी माँ आकर बतायेगी मादरचोद!!!!! की चूत में लंड डालने के बाद क्या करना चाहिये, लंड घुसाया है तो चोदो भी।” 

प्रीती की बातें सुन कर एम-डी ने उसे चोदना शुरु कर दिया। काफी दिलकश नज़ारा था। मैंने पहले कभी प्रीती का ये रूप नहीं देखा था। 

उत्तेजना में महेश से रहा नहीं जा रहा था। उसने अपना लंड प्रीती के मुँह में देने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को हटाते हुए कहा, “थोड़ा सब्र करो... तुम्हारा भी नंबर आयेगा पहले इसके लंड को तो देख लूँ।” 

लेकिन महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और फिर अपना लंड उसके मुँह में घुसाने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को जोर से दबाते हुए कहा, “साले हरामी! एक बार बोला तो समझ में नहीं आता क्या? अबकी बार किया तो तेरे लंड को चबा कर नाश्ता समझ कर खा जाऊँगी।” 

घबरा कर महेश पीछे हट गया और फिर एम-डी के पीछे प्रीती के पैरों के पास आकर उसके सैंडल के तलवे पर अपना लंड घिसने लगा। एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था। उसका लंड प्रीती की चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। ये देख मुझ में भी गर्मी आने लगी। प्रीती का ये रूप मेरे लिये भी आश्चर्य भरा था। मैं भी अपना लंड बाहर निकाल कर उसे सहला रहा था। 

“हूँ... हाँ...” करते हुए एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था। 

“हाँ!! इसी तरह चोदो... थोड़ा और जोर से”, प्रीती के मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी। 

एम-डी जोर-जोर से अपने लंड को पिस्टन की तरह प्रीती की चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। प्रीती उन्माद के सागर में डूबी हुई थी और अपनी कमर उछाल कर एम-डी की हर थाप का जवाब अपनी थाप से दे रही थी। 

“हाँ बहुत मज़ा आ रहा है, और तेजी से इसी तरह चोदते रहो, रुकना नहीं!!!” प्रीती अपनी टाँगें उछालते हुए कह रही थी। 
8 years ago#23
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एम-डी की रफ़्तार थोड़ी धीरे पड़ी... 

“साले रुकना नहीं, मेरा छूटने वाला है... हाँ!!! चोदते रहो!!! लगता है तुम्हारा छूट गया।” 

एम-डी का पानी छूट चुका था पर वो अपना लंड प्रीती की चूत के अंदर बाहर करने की पूरी कोशिश कर रहा था। 

“हाँ!! इसी तरह चोदते रहो, मेरा छूटने वाला है अगर रुके तो जान से मार दूँगी... दो तीन धक्कों की बात है... हाँ इसी तरह ऊऊऊऊऊहहहहह..... मेरा छूट गया”, अपना पानी छोड़ कर प्रीती बिस्तर पर निढाल पड़ गयी। 

प्रीती एम-डी का चेहरा अपने हाथों में ले कर उसे किस करने लगी। जैसे ही एम-डी उस पर से उठा तो मैंने देखा कि मुट्ठी भर पानी प्रीती की चूत से निकल कर बिस्तर पर गिर पड़ा। प्रीती ने एम-डी को परे ढकेल दिया और अपनी उखड़ी साँसों पर काबू पाने लगी। 

एम-डी ने भी अपनी साँसें संभालते हुए कहा, “महेश अब तुम इसे चोदो! सच कहता हूँ, आज तक इतनी मस्त चूत नहीं चोदी।” 

“हाँ सर! चोदूँगा, पर मैं पहले इसकी गाँड मारना चाहता हूँ, इसकी गाँड ने मुझे पहले दिन से ही दीवाना बना कर रखा हुआ है”, जवाब देते हुए महेश ने पलट कर प्रीती से कहा, “रंडी पलट कर लेट!!! अब मैं अपना लंड तेरी गाँड में घुसाऊँगा।” 

मुझे आश्चर्य हुआ जब प्रीती बिना किसी आनाकानी के घोड़ी बन गयी। महेश ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाना शुरू किया, “ओईईई माँआआआ!!!!, प्रीती जोर से दर्द के मारे चिल्लायी, हरामजादे!!!! क्या मुझे मार डालेगा???? पहले इस पर कुछ लगा तो ले।” 

महेश ने उसकी गाँड पर थूक कर एक जोर का धक्का दिया और अपना पूरा लंड उसकी गाँड में समा दिया। “ओयीईईईईईईई माँआआआआआ बहुत दर्द हो रहा है”, प्रीती चिल्लायी, “साले हरामी!!!!” 

महेश थोड़ी देर के लिये रुक गया, “सर! आप भी इसकी गाँड मार के देखिये, मैं सच कहता हूँ इसकी गाँड इसकी चूत से ज्यादा टाइट और मस्त है, लगता है राज इसकी गाँड इतनी नहीं मारता”, महेश ने एम-डी से कहा। 

“चुप करो हरामजादों!!! तुम लोग कोई कंपनी की मीटिंग में नहीं हो, दर्द दिया है तो मज़ा भी देना सीखो”, इतना कहकर प्रीती पीछे की और धक्के लगाने लगी, “साले!!! अब मेरी गाँड को चोदना शुरू कर।” 

प्रीती की बातें सुन महेश ने अपना लंड जोर से उसकी गाँड में घुसा दिया। “हरामजादी! मुझे हरामी कह रही थी, ले! कितना चुदवाना चाहती है”, महेश अब जोर-जोर से उसकी गाँड को रौंद रहा था, “साली!! आज तेरी गाँड का भुर्ता ना बना दिया तो मुझे कहना।” 

करीब पाँच मिनट के बाद प्रीती चिल्लायी, “हाँ!!! ऐसे ही चोदते जाओ, मेरी चूत को रगड़ो.... चूत को रगड़ो।” 

प्रीती की बातों को अनसुना कर महेश अपना लंड उसकी गाँड के अंदर-बाहर कर रहा था। उन्हें देख कर मैं भी लंड को हिला रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो रही थी। 

“मेरी चूत को रगड़ो ना!!!” प्रीती जोर से चिल्लायी। 

महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और जोर से उसे चोदने लगा। उसकी हरकत से लग रहा था कि उसका पानी छूटने वाला है। फिर एक झटके में अपना लंड अंदर तक दबा कर वो ढीला पड़ गया। 

प्रीती ने देखा कि जब उसकी बात कोई नहीं सुन रहा है तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को रगड़ना शुरू किया और अपनी अँगुली चूत के अंदर बाहर करने लगी। उसके मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी, “हाँआआआआआँ ऐसे ही चोदो......, हाँआआआआआआँ.... बहुत मज़ा आ रहा है”, कहकर वो शाँत हो गयी। 

महेश ने अपना मुरझाया हुआ लंड प्रीती की गाँड से बाहर निकाला। प्रीती की गाँड और चूत से पानी टपक रहा था। ये देख कर मैंने भी अपना वीर्य वहीं ज़मीन पर छोड़ दिया। 

“सर! क्या गाँड थी, बहुत मज़ा आया”, महेश ने एम-डी से कहा। 

इनकी चुदाई देख कर एम-डी का लंड फिर से तन गया था। महेश के हटते ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसा दिया। “हाँ चोदो!! मेरी गाँड को चोदो, फाड़ दो इसे आज!!” प्रीती जोर से चिल्लायी। 

अगले दो घंटे तक एम-डी और महेश प्रीती को अलग-अलग तरह से चोदते रहे। दोनों थक कर चूर हो चुके थे। 

“क्या हो गया है तुम दोनों को? अपना लंड खड़ा करो, अभी मेरा मन नहीं भरा... मैं अभी और चुदवाना चाहती हूँ”, प्रीती उनके लंड को हिलाते हुए कह रही थी। 

“लगता है.... अब हमारा लंड खड़ा नहीं होगा”, एम-डी ने कहा। 

“मैं देखती हूँ... मैं क्या कर सकती हूँ”, कहकर प्रीती ने एम-डी का लंड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसना शुरू किया। 

थोड़ी देर में ही एम-डी का लंड फिर से खड़ा हो गया। “आओ!!! अब मुझे चोदो”, प्रीती ने अपनी टाँगें चौड़ी करते हुए कहा। 

जैसे ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में डाला, महेश ने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। थोड़ी ही देर में एम-डी और प्रीती झड़ कर अपनी साँसों को संभाल रहे थे। 

एम-डी के हटते ही प्रीती ने महेश से कहा, “महेश अब तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदो।” 

महेश, प्रीती के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा। 

“ओहहहहह महेश तुम कितनी अच्छी तरह से चोदते हो!!!!! आआआआआहहहह ओहहहहह।” प्रीती मज़े लेते हुए बोल रही थी। 

उसकी उत्तेजनात्मक बातों को सुन कर महेश में और जोश आ गया। वो जोर-जोर से उसे चोद रहा था। 

“हाँआआआआ इसी तरह से चोदते जाओ आआआ और जोर से हाँआँआँआआआ, अपना लंड अंदर तक डाल दो.... खूब मज़ा आ रहा है”, अपनी टाँगें उछाल कर प्रीती महेश के धक्कों का साथ दे रही थी। 

अचानक प्रीती चिल्लायी, “साले ये क्या कर रहा है.... मुझे बीच में छोड़ कर मत जाना!!! मेरा भी छूटने वाला है!!!!!” 

पर बेचारा महेश क्या करता। उसके लंड ने पानी छोड़ दिया था और मुर्झा कर प्रीती की चूत से बाहर निकल पड़ा। 

“साले हरामी!!!! तू इस तरह मुहे बीच में छोड़ के नहीं जा सकता”, प्रीती चिल्लायी, “अगर लंड से नहीं चोद सकता तो इसे अपनी जीभ से चाटकर मेरा पानी छुड़ा।” 

प्रीती की हालत देख कर महेश प्रीती की टाँगों बीच आ गया और अपनी जीभ से प्रीती की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा। 
8 years ago#24
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“हाँ इसी तरह चाटते जाओ!!! अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो... हाँ अब अच्छा लग रहा है.... चाटते जाओ आआआआहहहहह ऊऊऊऊऊऊऊहहहहह”, चिल्लाते हुए प्रीती की चूत ने पानी छोड़ दिया। 

अपनी साँसों को संभालते हुए प्रीती दोनों से बोली, “अब मुझे कौन चोदेगा?” 

“मुझ में तो और ताकत नहीं है...” एम-डी ने कहा। 

“...और मुझे भी नहीं लगता कि मेरा लंड फिर खड़ा हो पायेगा”, महेश बोला। 

“अगर अब और नहीं चोद सकते तो अपने घर जाओ” प्रीती ने उन दोनों को बेड पेर से धक्का देते हुए कहा, “हाँ जाते हुए अपनी ऐय्याशी की कीमत चुकाना नहीं भूलना!” 

क्या नज़ारा था ये। मैंने आज से पहले प्रीती को इस तरह बोलते और गर्माते नहीं देखा था। मेरा खुद का पानी तीन बार छूट चुका था। 

जब एम-डी घर जाने को तैयार हुआ तो उसने मुझे नियापेनसिआ रोड के फ्लैट की चाबी देते हुए कहा, “राज, प्रीती वाकय शानदार और कमाल की है, आज से पहले मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं आया, जब उसकी गंदी-गंदी बातें सुनता था तो मुझ में दुगना जोश चढ़ जाता था।” 

मैंने प्रीती की ओर देखा। वो अपने सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी थी और छत को बेजान आँखों से घूर रही थी। उसकी हालत को देख कर मैं डर रहा था। 

“हाँ राज! प्रीती वाकय में दमदार औरत है, कईंयों को चोदा पर प्रीती जैसी कोई नहीं थी”, कहकर महेश ने मुझे वो तस्वीरों वाला लिफाफा पकड़ा दिया, “लो राज!! आज तुमने ये सब कमा लिया है।” 

“हाँ! प्रीती कुछ अलग ही है, आज पहली बार इसने महेश को चूत चाटने पर मजबूर कर दिया”, एम-डी ने हँसते हुए कहा। 

महेश ने हँसते हुए कहा, “सर!! अब चलिये... देर हो रही है।” 

“चलिये सर! मैं आप लोगों को कार तक छोड़ आता हूँ”, मैं उनके साथ बाहर की ओर बढ़ा, “सर! प्रीती ठीक हो जायेगी ना?” 

“चिंता मत करो राज। बीते वक्त के साथ सब ठीक हो जाती हैं, तुम परेशान मत हो”, एम-डी ने मुझे आशवासन दिया। 

तस्वीरों को अपनी मोटर-साइकल की डिक्की में छुपाने के बाद मैं घर में घुसा तो देखा प्रीती बिस्तर पर नहीं थी। मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनी तो वहीं बैठ गया और प्रीती के बाहर आने का इंतज़ार करने लगा। 

थोड़ी देर बाद प्रीती नहाकर बाथरूम से बाहर निकली। उसने पारदर्शी नाइट गाऊन पहन रखा था। 

“प्रीती तुम कमाल की थी.... एम-डी और महेश दोनों खुश थे”, मैंने खुश होते हुए कहा। 

मेरी बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसने कहा, “ओह गॉड! इतना रगड़-रगड़ कर नहाने के बाद भी मुझे लगता है कि मेरे शरीर का मैल नहीं धुला है।” 

“फिक्र मत करो डार्लिंग!! थोड़े दिनों में सब ठीक हो जायेगा”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा। 

“रुक जाओ!!! मुझे हाथ लगाने की कोशिश भी मत करना”, वो बिफ़रते हुए बोली।

उसका गुस्से से भरा चेहरा और उसका बदला रूप देख कर मैं मन ही मन घबरा गया और चुप हो गया। 
संभोग की सलवटों और वीर्य के धब्बों से भरी चादर को देख कर वो रोते हुए बोली, “ओह गॉड! मैं तो इस बेड पर आज के बाद सो नहीं पाऊँगी”, और वो रोने लगी। 

“लाओ!!! मैं ये चादर बदल देता हूँ”, मैंने उसे कहा। 

“कोई जरूरत नहीं!!! आज के बाद हर रात तुम इस बिस्तर पर सोगे और मैं वहाँ सोफ़े पर”, कहकर वो तकिया और नयी चादर ले कर सोफ़े पर चली गयी। 

मैं कुछ और कर नहीं सकता था। जो होना था वो हो चुका था। शायद समय प्रीती के घावों को भर दे। मेरा मन दुखी था पर क्या कर सकता था। इन ही सब विचारों में घिरा मैं सो गया।

!!! क्रमशः !!!
8 years ago#25
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सुबह मैंने देखा कि प्रीती हाथ में चाय का कप लिये मुझे उठा रही थी, “उठो! कितनी सुबह हो गयी है, क्या ऑफिस नहीं जाना है?” उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि उसने हालात से समझौता कर लिया था। कल रात के किस्से को उसने अपना लिया था। मैं मन ही मन खुश हुआ पर ये मेरी खुशी कितनी गलत थी ये मुझे बाद में पता चला। 

मैंने उसे काफी समझाने की कोशिश की पर मेरी हर कोशिश के बावजूद उसने मेरे साथ सोने से साफ इनकार कर दिया। 

हम लोग हमारे नये नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में शिफ़्ट हो गये। घर काफी बड़ा था। एक दिन ऑफिस से घर लौटते हुए मैंने देखा कि एक ३०-३५ साल का आदमी घर से बाहर निकल रहा है। 

घर में घुस कर मैंने देखा कि प्रीती नाइटी पहने हुए है और बिस्तर काफी सलवटों से भरा पड़ा था। 

“वो आदमी कौन था जो अभी यहाँ से गया?” मैंने पूछा। 

“अरे वो? वो हमारा बनिया था”, प्रीती ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा। 

“वो हमारा बनिया तो था पर वो हमारे घर में क्या कर रहा था, और ये बिस्तर ऐसा क्यों हुआ पड़ा है?” मैंने गुस्से में कहा। 

“मुझे उसे तीन महीने का बिल देना था, और मैं उसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकती थी।” 

“तो?” मैंने पूछा। 

“तो क्या? मैंने उसका हिसाब अपनी चूत देकर चुक्ता कर दिया”, प्रीती ने एक बदमाशी भरी मुस्कान के साथ जवाब दिया। 

“तुमने क्या किया?” मैं जोर से चिल्लाया। 

“राज! चिल्लाने की जरूरत नहीं है, तुम ही हमेशा कहा करते थे कि पैसा संभाल कर खर्चा करा करो, देखो मैंने अपनी चूत से तुम्हारे कितने पैसे बचा दिये।” 

पहली बार मुझे अपने आप पर अफ़सोस हो रहा था कि मैंने उसे एम-डी के साथ क्यों सोने दिया। 

जो होना था वो हो गया। अब मुझे इस नयी प्रीती के साथ ही निभाना पड़ेगा। ज़िंदगी रूटीन की तरह चल पड़ी। प्रीती आज भी मुझे उसे चोदने नहीं देती थी, पर हाँ! मेरी तीनों एसिस्टेंट्स मुझसे बराबर चुदवाती रहती थी।

एक दिन शाम को महेश ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और मेरी तरफ एक प्रिंटेड फोर्म बढ़ाते हुए कहा कि “राज! इस भर के दे दो।” 

“सर ये क्या है? ये तो नेशनल क्लब का एपलीकेशन फोर्म है”, मैंने आश्चर्य में कहा। 

“हाँ! हमारे एम-डी तुम्हारे काम से बहुत खुश हैं, इसलिये वो चाहते है कि तुम इस क्लब के मेंबर बन जाओ।” 

मैंने खुश होते हुए फोर्म भर के दे दिया। 

करीब एक महीने बाद महेश मुझसे बोला, “राज तुम्हारी क्लब की एपलीकेशन मंजूर हो गयी है और अब तुम उस क्लब के मेंबर हो। और क्लब की परंपरा के अनुसार नये मेंबर्स को एक गेट-टू-गेदर में बुलाया जाता है.... जहाँ उनका सबसे परिचय कराया जाता है। तुम शनिवार को शाम को क्लब पहुँच जाना और प्रीती को लान ना भूलना। पार्टी शाम आठ बजे है।” 

मैंने घर पहुँच कर ये खबर प्रीती को सुनायी और पूछा, “क्या तुम चलोगी?” 

“क्यों नहीं चलुँगी?” उसने जवाब दिया। 

शनिवार को हम लोग पार्टी में पहुँचे, जहाँ एम-डी ने हमारा परिचय सबसे कराया। वहाँ उनकी वाइफ, ’मिसेज मिली’ और हमारे एक्स एम-डी की वाइफ ’मिसेज योगिता’ भी थी। एम-डी और प्रीती काफी घुल मिल कर बातें कर रहे थे और प्रीती ड्रिंक्स में एम-डी का पूरा साथ दे रही थी। पार्टी में बहुत मज़ा आया। 

घर लौटते वक्त मैंने प्रीती से पूछा, “पार्टी कैसी लगी?” 

“अच्छी थी!” उसने जवाब दिया। 

एक दिन महेश ने मुझसे कहा, “राज! इस शनिवार को प्रीती को ठीक आठ बजे क्लब भेज देना। मैं कार भेज दूँगा।” 

मैंने प्रीती को बताया और कहा, “प्रीती तुम्हें वहाँ नहीं जाना चाहिये।” 

“क्यों नहीं जाना चाहिये? अब मैं बड़ी हो गयी हूँ! एम-डी से कहना, मैं पहुँच जाऊँगी।”

शनिवार को शाम प्रीती काफी सज़ धज़ कर तैयार हो गयी। मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हें अकेले नहीं जाना चाहिये, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ।” 

“नहीं! तुम चल कर क्या करोगे? वैसे भी एम-डी की कार आ चुकी है।” उसने जाते हुए कहा, “हाँ!!! मेरा इंतज़ार मत करना, हो सकता है मुझे लेट हो जाये।” 

मैं काफी देर तक जागता रहा। करीब आधी रात को वो नशे में धुत्त हो कर लड़खड़ाती हुई घर आयी। मैं सोने का बहाना करे बिस्तर पे पड़ा रहा। मुझे सोता समझ वो भी सो गयी। सुबह उसने मुझे ढेर सारे रुपये पकड़ाते हुए कहा, “राज। इन्हें संभाल कर रखो, ये तुम्हारी राँड की पहली कमाई है।” 

मैं आश्चर्य चकित था। उससे अपने व्यवहार की माफी माँगना चाहता था मगर उसने बीच में ही कहा, “कुछ कहने की जरूरत नहीं है, अब बहुत देर हो चुकी है, तुम अपनी तीनों एसिसटेंट को चोदते हो, इस बात का मैंने तो कभी बुरा नहीं मना।” 

“कौन कहता है?” मैंने विरोध करना चाहा। 

“रहने दो! मुझे सब पता है। मुझे वो तस्वीरें मिल गयी थी जो तुमने अपनी मोटर-साइकल की डिक्की में छुपायी थीं। तुम्हारे दिल में जो आये उसे चोदो पर मेरे काम में डिस्टर्ब मत करो, जो मेरा दिल चाहेगा मैं करूँगी। मैं जिससे जी चाहेगा चुदवाऊँगी और खुलेआम शराब सिगरेट पीयूँगी... तुम्हें मुझे टोकने का कोई हक नहीं है।” 

“राज एक बात बताओ, उस रात मेरे कोक में क्या मिला था जिसकी वजह से उस रात को मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही थी?” उसने पूछा। 

अगर मुझे प्रीती को वापस पाना है तो उसे सब सच बताना ही पड़ेगा। मैंने यह सोचते हुए कहा, “क्योंकि उस कोक में उत्तेजना की दवा मिली हुई थी।” 

“इसलिये उस रात मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही थी, और चुदवाने के लिये दिल मचल रहा था..., अब समझी मैं, राज! मैं तुम्हारा ये एहसान कभी नहीं भूलूँगी।” 

इसके बाद वो हफ़्ते में तीन-चार बार क्लब जाने लगी और हर बार जाने से पहले वो स्पेशल दवा मिली शराब पीकर जाती। रात को लौटती तो शराब के नशे में चूर होकर, ढेर सारा पैसा लेकर लौटती। घर में पैसा बढ़ने लगा। 

एक दिन उसने मुझे कहा, “राज मैं चाहती हूँ कि आज तुम मुझे होटल शेराटन लेकर चलो, वहाँ एम-डी और महेश हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।” 

मैं प्रीती को लेकर होटल शेराटन पहुँचा। सूईट में एम-डी और महेश इंतज़ार कर रहे थे। हमें देखते ही एम-डी खुशी से बोला, “आओ प्रीती आओ, ये भी अच्छा है तुम राज को साथ ले आयी, पिछली बार की तरह आज मज़ा आयेगा।” 

प्रीती ने सीधे बार की तरफ बढ़ कर तीन ड्रिंक्स बनाये और हम लोगों को पकड़ा दिये और खुद के लिये शराब में स्पेशल दवाई मिला कर पीने लगी। हम लोग थोड़ी देर तक बातें करते रहे। फिर एम-डी ने कहा, “प्रीती! मैंने अपने दोस्तों से सुना है कि तुम्हारा एक अलग अंदाज़ है कपड़े उतरने का, हमें भी दिखाओ ना।” 

बिना कुछ कहे हुए प्रीती खड़ी हुई और एक झटके में अपना ड्रिंक पी कर उसने म्यूज़िक लगा दिया। फिर एक और बड़ा सा ड्रिंक बना कर एक ही साँस में गटकने के बाद अब वो म्यूज़िक पर थिरक रही थी। 

“महेश! इसे जरा ध्यान से देखना, मेरे दोस्त कह रहे थे कि ये बहुत अच्छा करती है, मैं भी देखना चाहता था।” 

प्रीती का अंदाज़ जरा ज्यादा ही निराला था। उसका झटक कर अपनी साड़ी का पल्लू गिराना और खुद से कहना, “प्लीज़ ऐसा मत करो ना मुझे शरम आयेगी।” 

मैं समझ गया वो नयी दुल्हन की तरह पेश आ रही थी जैसे उसका पति उसे नंगा करना चाहता है। वो पति और पत्नी दोनों की आवाज़ में बोल रही थी। 

“प्लीज़ मेरे कपड़े मत उतारो ना।” उसने अपने दांये हाथ से अपना पल्लू ठीक किया। 

“प्लीज़ डार्लिंग उतारने दो ना”, और अपने बांये हाथ से फिर पल्लू गिरा दिया। 

इसी तरह से अपना उत्तेजनात्मक नाटक करते हुए प्रीती अब सिर्फ़ ब्रा, पैंटी और हाई-हील सैंडल में खड़ी थी। 

एम-डी और महेश दोनों गरम हो चुके थे और अपनी पैंट के ऊपर से ही अपना लंड सहला रहे थे। 

“प्रीती! बाकी के कपड़े भी उतार दो, रुक क्यों गयी?” एम-डी ने कहा। 

“बाकी के मैंने तुम्हारे लिये छोड़ दिये हैं।” ये सुनते ही एम-डी ने खड़े होकर प्रीती को बाँहों में भर लिया और उसकी ब्रा उतार दी। वो उसके मम्मे दबाने लगा।

महेश ने भी घुटनों के बल बैठ कर उसकी पैंटी उतार दी और उसकी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा। तीनों काफी उत्तेजित हो चुके थे और लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे। 
8 years ago#26
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“प्रीती अब और मत तरसाओ, हमें चोदने दो ना प्लीज़”, एम-डी ने अपने कपड़े उतारते हुए कहा। 

“हाँ प्रीती! देखो मेरा लंड कैसे भूखे शेर की तरह खड़ा है।” महेश ने अपने कपड़े उतार कर अपना खड़ा लंड प्रीती को दिखाया। 

“ठीक है! तुम लोग मुझे चोदना चाहते हो?” प्रीती ने पूछा। 

“हाँ! हम तुम्हें चोदना चाहते हैं!!” दोनों ने साथ जवाब दिया। 

“और गाँड भी मारना चाहते हो?” उसने फिर पूछा। 

“हाँ हाँ!!!” दोनों ने फिर जवाब दिया। 

“तो ठीक है पहले पैसे कि बात तय हो जाये”, उसने एक दम प्रोफेशनल की भाषा में बात की। 

“क्या तू चाहती है कि हम तुझे चोदने के पैसे दें”, एम-डी ने चौंकते हुए कहा। 

“हाँ! याद है तुम्हें? एक दिन अपने दोस्त को तुमने क्या कहा था? दोस्त इस दुनिया में कुछ भी मुफ़्त में नहीं मिलता, अगर तुम इसे चोदना चाहते हो तो इसकी कीमत देनी पड़ेगी, सो नो पैसा, नो चूत!!!” प्रीती ने जवाब दिया। 

“पर प्रीती लास्ट बार तो हमने कोई पैसा नहीं दिया था”, एम-डी बोला। 

“आपकी याद्दाश्त खराब है शायद, लास्ट बार आपने दूसरे तरीके से कीमत चुकायी थी और वो कीमत आप आज भी हर महीने चुका रहे हैं”, प्रीती ने मेरी तरफ देखते हुए कहा। 

“ठीक है!!! कितना पैसा चाहिये?” एम-डी एकदम व्यापारी कि तरह कहा। 

“वही जो सब देते हैं, दस हज़ार एक आदमी का!” प्रीती ने जवाब दिया। 

“मगर इतना पैसा मेरे पास अभी इस वक्त नहीं है, मैं कल दे दूँगा”, एम-डी ने कहा। 

“मेरे पास भी नहीं है, मैं भी कल दे दूँगा, प्रॉमिस!” महेश भी झट से बोला। 

“सॉरी फ्रैंड्स, आज पैसा... आज चूत। अगर कल पैसा तो चूत भी कल।” कहकर प्रीती अपने कपड़े उठाने लगी। 

“ठहरो! मेरे पास मेरी चेक बुक है, मैं तुझे चेक दे देता हूँ”, एम-डी ने अपनी पॉकेट से चेक बुक निकाली। 

“मैं भी तुम्हें चेक दे देता हूँ!” महेश भी चेक निकाल कर लिखने लगा। 

“ठीक है! लेकिन एक बात याद रखना कि अगर ये चेक कल सुबह पास नहीं हुए तो मैं तुम दोनों पर मुकदमा करूँगी और देखुँगी तुम दोनों जेल में जाओ..., चाहे इसके लिये मुझे पूरे पुलीस डिपार्टमेंट से क्यों ना चुदवाना पड़े”, प्रीती ने जोर से कहा। 

“चिंता मत करो, पास हो जायेंगे”, एम-डी ने अपनी ड्रिंक का घूँट भरते हुए कहा। 

“ठीक है!” प्रीती ने भी अपना दवा मिला तीसरा ड्रिंक पूरा किया। 

“जब सब तय हो गया तो देर किस बात की है?” एम-डी ने पूछा। 

“किसी बात की नहीं, बस मुझे राज से कुछ कहना है”, प्रीती मुझे कोने में ले जाते हुए बोली, “राज! इन दोनों हरामियों को कमरे में लेकर जा रही हूँ, तुम अंदर जो भी हो रहा है, वो सब टीवी चालू कर वी-सी-आर से रिकॉर्ड कर लेना”, मैंने कुछ ना समझते हुए भी हाँ कर दी। 

“और हाँ!! ये चेक संभालो”, कहकर प्रीती दोनों को उनके लंड से पकड़ कर कमरे में खींच के ले गयी। 

उनके जाने के थोड़ी देर बाद मैंने टीवी चालू किया और देखा कि एम-डी जोर-जोर से अपना लंड प्रीती की चूत में पेल रहा था और प्रीती महेश के लंड को प्रीती मुँह में लेकर चूस रही थी। पिक्चर इतनी क्लीयर थी कि क्या कहूँ। मैं सब रिकॉर्ड करने लगा। 

दो घंटे बाद प्रीती कमरे से बाहर निकली और कपड़े पहन कर एक और ड्रिंक बनाकर पीते हुए बोली, “चलो राज! घर चलते हैं।” 

वो नशे में चूर लड़खड़ा रही थी। घर जाते वक्त उसने पूछा, “टीवी पर शो कैसा लगा और तुमने सब रिकॉर्ड कर लिया ना? ” 

जब मैंने बताया कि बहुत ही क्लीयर पिक्चर थी और मैंने सब रिकॉर्ड कर लिया है तो उसके चेहरे पर संतोष के भाव थे। उसके कहने पर मैंने अपने और उसके लिये एक-एक सिगरेट सुलगा दीं।

“प्रीती! तुमने बिना एम-डी की जानकारी के ये सब इक्यूपमेंट कैसे इंस्टाल कर लिये?” मैंने पूछा। 

“राज! तुम औरत की चूत की ताकत का अंदाज़ा नहीं लगा सकते, पहले तो होटल के मैनेजर ने मना कर दिया पर जब मैंने उससे चुदवा लिया तो वो मान गया”, उसने हँसते हुए जवाब दिया। 

“लेकिन तुम ये सब क्यों कर रही हो, तुम्हारा मक्सद क्या है?” मैंने उत्सुक्ता से पूछा। 

“पता नहीं मुझे क्यों ऐसा लग रहा है कि भविष्य में ये सब हमारे काम आयेगा। मेरा मक्सद क्या है ये समय आने पर तुम जान जाओगे”, प्रीती ने फिर हँसते हुए कहा। 

दो महीने बाद तक, सब कुछ ऐसे ही चलता रहा। प्रीती इसी तरह हफ्ते में तीन-चार बार क्लब जाती और रात को नशे में धुत्त पैसे से भरा पर्स लेकर लौटती। उसने घर पर भी शराब-सिगरेट पीनी शुरू कर दी। 

एक दिन प्रीती बोली, “राज! चलो हम कुछ दिन के लिये अपने घर हो आते हैं, तुम्हारी माताजी भी कई बार लिख चुकी हैं।” 

ये सुन कर मुझे एक बहाना मिल गया प्रीती को यहाँ से भेजने का। कुछ दिन के लिये तो इस दलदल से बाहर निकलेगी। मैंने कहा, “प्रीती तुम हो आओ, मैं काम की वजह से नहीं जा पाऊँगा।” 

हम लोगों ने बहुत शॉपिंग की। मैंने सबके लिये तोहफ़े खरीदे और प्रीती को ट्रेन मैं बिठा कर विदा कर दिया। 

एक महीने बाद आज प्रीती लौटने वाली थी। मैं उसे लेने स्टेशन पहुँचा तो देखा कि वो आ चुकी थी और मेरा इंतज़ार कर रही थी। मैंने माफी माँगते हुए कहा, “सॉरी प्रीती! ट्रैफिक में फँस गया था, आओ चलते हैं।” 

इतने में मैंने आवाज़ सुनी, “भैया”, और पीछे मुड़ कर देखा तो मेरी दोनों बहनें अंजू और मंजू हँसते हुए खड़ी थी। मैंने दोनों को बाँहों में भरके चूमा। “प्रीती! अच्छा किया जो तुम इन दोनों को साथ ले आयी, मैं इन्हें मिस कर रहा था”, मैंने कहा। 

हम लोग घर पहुँचे। अंजू और मंजू दोनों खुश थी। मेरी नयी कार और फ्लैट की बहुत तारीफ कर रही थी। हम लोग जब खाना खा रहे थे तो मैं उनसे उनके बारे में पूछने लगा। वो दोनों सब बता रही थी: घर के बारे में, अपनी सहेलियों के बारे में। 

“तुम दोनों ने एक बात तो बतायी ही नहीं”, मैंने कहा। 

“क्या नहीं बताया भैया?” अंजू ने कहा। 

“अपने बॉय फ्रैंड्स के बारे में...” मैंने हँसते हुए कहा। 

वो दोनों सोच में पड़ गयी और प्रीती की तरफ देखने लगी। फिर मंजू मुँह बनाकर बोली, “भैया आपको मालूम है कि हम ऐसी लड़कियाँ नहीं हैं।” 

“फिर तो तुम लोगों के लिये लड़के ढूँढने पड़ेंगे, है ना प्रीती?” मैंने हँसते हुए कहा। 

“मैं भी ऐसा ही कुछ सोच रही थी”, प्रीती ने जवाब दिया। 

अगले दिन तक मैं अपनी बहनों को घुमाता फिराता रहा, सिनेमा दिखाया। दोनों बहुत खुश थीं, किंतु मेरे और प्रीती में सब कुछ वैसा ही था। शायद उसने मुझे अभी तक माफ़ नहीं किया था। 
8 years ago#27
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मैं सुबह रोज़ की तरह ऑफिस पहुँच चुका था। दोपहर के करीब चार बजे प्रीती ने फोन किया और घबरायी आवाज़ में कहा, “राज तुम जल्दी घर आ जाओ, अंजू और मंजू.....।” 

मैंने घबरा कर पूछा, “क्या हुआ अंजू और मंजू को?” 

“बस तुम जल्दी आ जाओ”, कहकर प्रीती ने लाईन डिसकनेक्ट कर दी। 

मैं अपना सब काम छोड़ कर घर पहुँचा और प्रीती से पूछा, “क्या हुआ? कहाँ हैं वो दोनों?” 

प्रीती ने शरारती मुस्कान के साथ उन दोनों के बेडरूम की तरफ इशारा किया। मैंने देखा बेडरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था और उसमें से मादक सिसकरियों की आवाज़ आ रही थी। 

“क्या हो रहा है वहाँ?” मैंने घबरा के पूछा। 

“क्या हो रहा है? अरे यार, चुदाई हो रही और क्या...” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली। 

“किसके साथ?” मैं चिल्लाया। 

“एम-डी और महेश के साथ और किस के साथ...” प्रीती ने सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए जवाब दिया। 
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। एम-डी और महेश मेरी बहनों को चोद रहे थे। “उनकी हिम्मत कैसे हुई उन्हें चोदने की। मुझे उन्हें रोकना होगा....” मैं जोर से चिल्लाते हुए खुले दरवाजे की और बढ़ा। 

“अगर मैं तुम्हारी जगह होती तो उन्हें नहीं रोकती”, प्रीती ने कहा। 

“क्या मतलब है तुम्हारा? मैं यूँ ही चुपचाप खड़ा रहूँ और देखता रहूँ अपनी बहनों की बरबदी को?” मैंने गुस्से में कहा। 

“यह कोई तुम्हारे लिये नयी बात नहीं है, इसके पहले भी तुम चुपचाप खड़े अपनी बीवी को दूसरे मर्दों से चुदवाते देख चुके हो, लेकिन मेरा ये मतलब नहीं है....” उसने मुझ पर ताना कसते हुए कहा। 

“तो तुम्हारा क्या मतलब है?” मैंने पूछा। 

“ज़रा ठंडे दिमाग से सोचो, अगर तुमने एम-डी को उसके इस आनंद में बीच में ही रोक दिया तो ना सिर्फ तुम अपनी नौकरी से हाथ धो बैठोगे बल्कि इस नियापेनसिआ रोड का फ्लैट भी हाथ से जाता रहेगा जिसे तुमने अपनी बीवी की चूत कुर्बान कर के पाया है...” प्रीती ने समझाया। 

हाँ... प्रीती सच कह रही थी। मैंने सोचा, अगर एम-डी चाहे तो ये सब कर सकता था। हे भगवान! मैं क्या करूँ? क्या ऐसे ही हाथ पर हाथ धरे बैठा रहूँ। अपनी लाचारी देख मुझे रुलाई फ़ूट पड़ी। 

“अब तुम कर भी क्या सकते हो...? उन दोनों का लंड तुम्हारी दोनों बहनों कि चूत में घुस चुका है। ये सच्चाई है और इसे बदला नहीं जा सकता, मैं तो कहती हूँ कि उन लोगों का काम खत्म होने तक इंतज़ार करो...” प्रीती ने सलाह दी। प्रीती के हाथ में ड्रिंक का ग्लास था और वो सिगरेट के कश लेते हुए धीरे-धीरे ड्रिंक सिप कर रही थी।

“ओह गॉड ये सब क्या हो रहा है?” मैंने अपने दोनों हाथ हवा में उठाते हुए कहा। 

तभी मुझे अंजू की मादकता भरी आवाज़ सुनाई दी, “हाँ डालो.... और जोर से डालो... हाँआंआँआँआँ इसी तरह चोदते रहो.... बहुत अच्छा लग रहा है... हाँ मेरा छूटने वाला है....।” 

अपने कानों पर हाथ रखते हुए मैंने प्रीती से कहा, “मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है”, और मैं सोफ़े पर बैठ गया। मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे। 

इतनी देर में मुझे अंजू की तरह ही मंजू कि भी आवज़ सुनाई दी। वो भी मादकता में चिल्ला रही थी, “और ज़ोर से चोदो मुझे... हाँ इसी तरह हाँआंआंआं... बहुत अच्छा लग रहा है.... और तेजी से डालो अपना लंड... आआआआआआआआआआहहहह मेरा भी छूटने वाला है।” 

“वाह क्या टाईट चूत है.... हाँ! ले मेरे लंड को अपनी चूत में... पूरा समा ले और मेरा सारा पानी पी ले...” कहकर महेश ने उसकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया। 

मैं चुपचाप बैठा अपने आप को कोस रहा था। ना मुझे माँ ने जनम दिया होता, ना मैं यहाँ नौकरी करने आता, ना मेरी इच्छायें बढ़ती और ना ही मैं प्रीती के साथ ऐसा व्यवहार करता। इससे तो अच्छा था कि मैं पैदा होते ही मर जाता। 

“राज सुना! एम-डी अब अंजू की गाँड मारना चाहता है....” प्रीती चुलबुलाती हुई बोली। 

“अंजू! अब तुम घोड़ी बन जाओ..., मैं अब तुम्हारी गाँड मारूँगा”, एम-डी ने कहा। 

“नहीं! मैं तुम्हें अपनी गाँड नहीं मारने दूँगी, सुना है बहुत दर्द होता है...” अंजू ने जवाब दिया। 

“गाँड तो तुम्हें मरवानी पड़ेगी! हाँ, तुम्हें दर्द होगा तो मैं रुक जाऊँगा”, एम-डी ने उत्तर दिया। 

“प्रॉमिस???” 

“प्रॉमिस!!! कसम ले लो”, कहकर एम-डी ने अपना लंड अंजू की गाँड में घुसा दिया। 

“ओहहहह प्लीज़ रुक जाइये! मुझे बहुत दर्द हो रहा है”, अंजू दर्द से कराही। 

“थोड़ी देर की बात है जानू, मेरा लंड तुम्हारी गाँड में घुस रहा है”, कहकर एम-डी ने पूरा लंड उसकी गाँड में घुसा दिया। 

“ऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँ.... मर गयी....” अंजू जोर से चिल्लायी। 

“डरो मत! मेरा लंड पूरा का पूरा तुम्हारी गाँड में है, सब ठीक हो जायेगा”, एम-डी जोर से कहकर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। 

“राज... डरो मत! अंजू की गाँड तो बहुत पहले फट चुकी थी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा। 

“अब तुम्हारी बारी है गाँड में लंड लेने की....” मैंने महेश को मंजू से कहते सुना, “चलो बिस्तर पर पेट के बल लेट जाओ।” 

“नहीं मैं तुम्हें अपना इतना मोटा लंड मेरी गाँड में नहीं डालने दूँगी.... बचाओ बचाओ... भाभी!!! मुझे बचाओ.... ” मंजू जोर से चिल्लायी। 

“जितना चिल्लाना है जोर से चिल्ला, आज तेरी प्यारी भाभी भी तुझे बचाने के लिये नहीं आ सकती, तुम्हारी भाभी ने तुम्हारी गाँड मारने की पूरी कीमत मुझसे वसूल की है। मैं आज तुम्हारी गाँड मार के रहुँगा, चाहे तुम राज़ी हो या न हो। अगर खुशी से मरवाओगी तो तुझे मज़ा भी आयेगा और दर्द भी कम होगा”, महेश ने कहा। 

क्या प्रीती ने इस सब के पैसे लिये हैं? मैं फिर समझ गया कि इन सब में प्रीती का ही हाथ है। 

“ठीक है... जरा धीरे-धीरे करना, और जब मैं कहूँ तो रुक जाना”, मंजू ने महेश से विनती करते हुए कहा। 

“ठीक है तुम जैसा कहोगी... वैसा ही करूँगा”, कहकर महेश अपना लंड मंजू की गाँड पर रगड़ने लगा। 

“देखो राज! अब मंजू की गाँड भी फटने वाली है... ये फटी...... फटी...” प्रीती ड्रिंक पीते हुए मज़े ले-ले कर बोल रही थी। 

“ओहहहहह मर गयी.... हरामी साले निकाल ले.... बहुत दर्द हो रहा है”, मंजू जोर से चिल्लायी, पर उसकी आवाज़ ना सुन कर महेश ने एक करारा धक्का मार कर अपना पूरा लंड मंजू की गाँड में घुसा दिया। 

अंजू की मादक सिसकरियाँ और मंजू की दर्द भरी चीखों ने मेरा दिमाग सुन्न कर दिया था। मुझे कुछ होश नहीं था कि मैं कब तक यूँ ही बैठा सब सुनता रहा। 

जब होश आया तो देखा कि एम-डी अपनी बाँहें फैलाये मेरी तरफ बढ़ रहा था। “ओह मॉय राज! तुम कितने अच्छे हो, तुमने स्पेशियली अपनी बहनों को अपनी बीवी द्वारा बुलवाया जिससे हम उन्हें चोद के मज़ा ले सकें....” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। मैं कुछ कहना चाहता था पर मेरी आवाज़ गले में ही घुट कर रह गयी। 

“कुछ कहने की जरूरत नहीं! हमें प्रीती ने सब समझा दिया था। हम उनकी कुँवारी चूत नहीं चोद पाये तो क्या.... पर कुँवारी गाँड तो चोद ही ली। वैसे उनकी चूत बहुत टाइट थी, हमें खूब मज़ा आया। तुम्हारी इस उदारता और नेक काम के लिये तुम्हें इनाम मिलना चाहिये, क्यों महेश क्या कहते हो?” 

हमेशा की तरह महेश ने एम-डी की हाँ में हाँ मिलायी और फिर दोनों चले गये। 

अब सब कुछ शीशे की तरह साफ़ था। प्रीती ने ही सब किया था किंतु उसने अंजू और मंजू को चुदाई के लिये तैयार कैसे किया? एम-डी ने कहा कि दोनों कुँवारी नहीं थी और उस दिन ही जब मैंने उनसे बॉय फ्रैंड्स के बारे में पूछा था तो उन्होंने कहा था कि वो वैसी लड़कियाँ नहीं हैं? कई सवाल मेरे दिमाग में रह-रह कर आ रहे थे। 

इतने में मेरी सोच टूटी। अंजू और मंजू कमरे से सिर्फ सैंडल पहने ही नंगी ही बाहर आ रही थी और उनकी चूत से पानी टपक रहा था। दोनों हँसते हुए आयी और प्रीती से पूछा, “क्यों भाभी कैसा रहा?” दोनों की चाल और हाव-भाव से साफ पता चल रहा था कि उन दोनों ने भी शराब पी हुई थी।

“शानदार!!! बल्कि मैं कहुँगी लाजवाब”, प्रीती भी खुशी से बोली, “मंजू यहाँ आओ... मुझे तुम्हारी गाँड देखने दो... कहीं इसमें से खून तो नहीं आ रहा, जब गाँड मारने की बात आती है तो महेश का भरोसा नहीं कर सकती।” 

मंजू झुक कर अपनी गाँड प्रीती को दिखाने लगी। “शुक्र है!!! कुछ खास नहीं हुआ है, थोड़ी सी सूजन है... वो कुछ घंटों में ठीक हो जायेगी”, प्रीती ने उसकी गाँड को परखते हुए कहा और सिगरेट का धुँआ उसकी गाँड में छोड़ दिया। 
8 years ago#28
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“मुझे भी यही लगता है, कि कुछ लगाने की जरूरत नहीं है, इतनी सारी दवाई जो अंदर गयी हुई है”, मंजू ने हँसते हुए कहा, “भैया आपको हमारी चुदाई कैसी लगी?” 

ओह गॉड कितनी सुंदर थी दोनों। उनके उभरे और भरे हुए मम्मे और उस पर काले निप्पल गज़ब ढा रहे थे। उनकी बिना बालों की चूत ऐसे निखर रही थी क्या कहना। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि प्रीती के कहने पर ही उन्होंने अपनी झाँटें साफ़ करी होंगी। मुझे शर्म आ रही है ये कहते हुए कि उनका गोरा बदन देख कर मेरा लंड भी एक दम तन कर खड़ा हो गया था। 

“चुप रहो और जाके कपड़े पहनो”, मैं चिल्ला कर बोला। 

“देखो इसके तने हुए लंड को”, प्रीती ने मेरे खड़े लंड की और इशारा करते हुए कहा, “जाओ जा कर कपड़े पहनो इसके पहले कि तुम्हारे भैया का सब्र टूटे और ये तुम्हें चोदने लगे।” 

“मुझे बुरा नहीं लगेगा”, अंजू ने कहा, “आओ भैया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, भाभी ने बताया है कि इन्होंने जितने भी लंड का स्वाद चखा है उसमें तुम्हारा लंड सबसे जानदार और अच्छा है।” 

“हाँ भैया! हम दोनों को चोदो... हम तैयार हैं...” मंजू ने भी कहा। 

“इससे पहले कि मैं तुम दोनों की पिटायी करूँ, यहाँ से दफ़ा हो जाओ और जा कर कपड़े पहनो...” मैं जोर से चिल्लाया। वो दोनों घबरा कर रूम में भाग गयीं। 

थोड़ी देर बाद वो अपने कपड़े पहन कर आ गयी और सोफ़े पर बैठ गयी। मैंने प्रीती की तरफ देखते हुए कहा, “प्रीती!!! अब इनकार मत करना! मैं समझ गया हूँ कि इस सब के पीछे तुम्हारा हाथ है।” 

“इनकार कौन कर रहा है, बल्कि मैं तो खुश हूँ कि मैंने अकेले ही ये सब कर दिखाया”, उसने जवाब दिया। 

“लेकिन प्रीती तुमने ऐसा क्यों किया? झगड़ा तुम्हारे मेरे बीच था, उसमें मेरी बहनों को घसीटने की क्या जरूरत थी?” मैंने सवाल किया। 

“जरूरत थी राज!!! मैं भी तुम्हें उतना ही दुख देना चाहती थी जितना तुमने मुझे दिया था। मुझे मालूम है तुम अपनी बहनों से बहुत प्यार करते हो, इसलिये जो आज हुआ इसी से मेरा बदला पूरा हो सकता था”, प्रीती ने जवाब दिया। 

“लेकिन क्यों प्रीती, क्यों?” मैं धीरे से बोला। 

“भाभी!!! हम बतायें या आप बतायेंगी?” अंजू ने पूछा। 

“नहीं अंजू! मुझे ही इसका आनंद लेने दो, तुम लोग भी बैठ जाओ... इस कहानी को सुनने में थोड़ा वक्त लगेगा...” प्रीती ने कहा और अपने लिये एक ड्रिंक बना कर और सिगरेट सुलगा कर बैठ गयी।
8 years ago#29
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मैंने प्रीती से पूछा कि उसने ऐसा मेरी बहनों के साथ क्यों किया? तो उसने अपनी ज़ुबानी ये दास्तान सुनाई। 

प्रीती की कहानी:

“मेरी कहानी उस समय शुरू हुई जब तुमने मेरे जिस्म का सौदा अपने बॉस के साथ, पैसे और तरक्की के लिये किया।” 

“पूरी रात मैं सो नहीं सकी। अब मैं क्या करूँ, ये सवाल मुझे खाये जा रहा था। आत्महत्या कर लूँ ये भी ख्याल आया, किंतु आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं है। ये डरपोक लोगों का काम है और मैं डरपोक नहीं थी।” 

“फिर ख्याल आया कि तुम्हें छोड़ कर तुमसे तलाक ले लूँ, पर ये तुम्हारी सज़ा नहीं थी। तुम मुझे बदनाम कर दोगे कि मैं गंदे कैरैक्टर की औरत हूँ और तुम दूसरी शादी कर लोगे। और शायद अपनी नयी बीवी के साथ भी वही सब करोगे जो मेरे साथ किया।” 

“फिर मुझे ख्याल आया कि मुझे तुमसे बदला लेना है। मैं तुम्हें इतना जलील करना चाहती थी, जितना तुमने मुझे किया है। उस समय मेरे पास कोई उपाय नहीं थी इसलिये सोचा कि हालात को देखते हुए मैं नॉर्मल रहूँ और वक्त का इंतज़ार करूँ।” 

“मगर प्रीती! वो तो सिर्फ़ एक समय के लिये था, मैं नहीं चाहता था कि तुम वेश्याओं की तरह अपनी लाइफ गुज़ारो”, मैंने दुख भरे शब्दों में कहा। 

“कुछ भी हो, मैं वेश्या बन गयी, तुम चाहो या ना चाहो। राज या तो तुम भोले हो या नदान”, प्रीती ने जवाब दिया, “मैं जानती थी कि तुम्हारे बॉस एम-डी और महेश मुझे एक बार चोद कर छोड़ने वाले नहीं थे, वो फिर मुझे चोदना चाहेंगे और तुम्हें लालच या ब्लैक मेल कर मुझे चुदवाने पर मजबूर कर देंगे।” 

“तुम्हें याद है जब एम-डी ने मुझे क्लब पर अकेले बुलाया था? उसने अपने लिये नहीं, बल्कि अपने दोस्तों के लिये बुलाया था। मैं वहाँ पहुँची तो एम-डी ने मुझसे कहा कि प्रीती तुम अभी उम्र में छोटी हो और समझदार भी, मेरे कई दोस्त तुम्हें पाना चाहते हैं। तुम सहयोग दो तो तुम काफी अमीर बन सकती हो। मैं मान गयी, दो चार लंड और चूत में लेने से मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ने वाला था और बाकी की कहानी तुम्हें मालूम है।” 

“फिर एक दिन मुझे अंजू और मंजू का खत मिला। उसी समय मुझे अपनी मंज़िल दिखायी देने लगी। तुम अपनी बहनों से बहुत प्यार करते हो, इसलिये मैं इन दोनों को भी अपनी तरह रंडी बनाकर तुम्हें जलील करना चाहती थी। मुझे आगे क्या और कैसे करना है, इसपर सोचना शुरू कर दिया।”

“पर तुम्हें कैसे यकीन था कि तुम अंजू और मंजू को इन सब के लिये तैयार कर लोगी?” मैंने पूछा। 

“यकीन तो मौत के सिवा किसी चीज़ का नहीं है राज, पर मैं जानती थी कि मैं कामयाब हो जाऊँगी।” 

“तुम्हें इतना यकीन क्यों था?” मैंने वापस पूछा। 

“राज! तुम्हें याद है? हमारी सुहागरात के दूसरे दिन सुबह मैंने तुम्हें बताया था कि अंजू और मंजू मुझे तंग कर रही थी.... जब मैं सुबह किचन में चाय बना रही थी।” 

“हाँ मुझे याद है”, मैंने जवाब दिया। 

“उस दिन सुबह अंजू ने मुझसे पूछा, क्यों भाभी! आपको हमारे भैया का लौड़ा कैसा लगा?” 

“मैं शरमा गयी थी पर कुछ जवाब नहीं दिया।” 

“फिर मंजू ने कहा, भाभी! भैया ने आपको रात को सोने भी दिया या फिर सारी रात आपको चोदते रहे। ”

“मैं उन दोनों को डाँट कर वापस आ गयी।” 

“फिर जब भी हम तीनों अकेले होते तो ये दोनों सवाल करने लगती, कि चुदाई कैसे की जाती है, लंड कैसा होता है। लंड जब चूत में घुसता है तो दर्द होता है क्या। एक दिन मैंने हँसते हुआ कहा, लगता है तुम दोनों को चुदवाने का बहुत मन कर रहा है?” 

“पर उनके जवाब ने मुझे हैरान कर दिया, हाँ भाभी! बहुत मन करता है, अगर हमें बच्चा होने का डर ना होता तो कभी का हम लोग चुदवा चुकी होती।” 

“राज इससे तुम्हें तुम्हारा जवाब मिल गया होगा। मुझे सिर्फ़ इन्हें चुदवाने के लिये उक्साना था और ये दोनों तो तैयार ही बैठी थी इसके लिये। फिर मैंने प्लैन बनाया कि इन दोनों की कुँवारी चूत मैं अपने दोनों भाई राम और श्याम से चुदवाऊँगी। जब इन दोनों के भाई यानी तुमने मेरी कुँवारी चूत ली है तो मैं भी अपने भाइयों से तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत चुदवाऊँगी। ये एक प्रकार से जैसे को तैसा था।” 

“पर प्रीती!!! जब मैंने तुम्हारी चूत चोदी थी तो हमारी शादी हो चुकी थी”, मैंने कहा। 

प्रीती ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और अपनी कहानी जारी रखी। 

“समय सही होना चाहिये था इसलिये मैं समय का इंतज़ार करने लगी। मेरे भाइयों को भी लंबी छुट्टी मिलने वाली थी। इसलिये मैंने तुम्हें घर चलने को कहा, पर मुझे मालूम था कि काम की वजह से तुम नहीं चलोगे।” 

“कुछ भी गलत ना हो इसलिये मैं तुम्हारे वो स्पेशल दवा मिले कोक की चार बोतलें और स्कॉच की चार बोतलें अपने साथ ले कर गयी थी।” 

“वहाँ जब मैं पहुँची तो तुम्हारी बहनों को सैक्स के अलावा और कोई टॉपिक नहीं था बात करने का। मैं भी उन्हें सैक्स के बारे में बता कर उनकी चुदवाने की इच्छा और मजबूत करती रही। मैंने उन्हें मुंबई आने को भी कहा।” 

“एक दिन दोनों ने मुंबई जाने की इजाज़त तुम्हारे पिताजी से ले ली।” 

“मैं अपने घर होते हुए मुंबई आने वाली थी। सो ये दोनों भी मेरे साथ मेरे मायके आ गयी।” 

“राम ने हम तीनों को रीसीव किया और हम घर पहुँचे। मैंने देखा कि मेरे दोनों भाई तुम्हारी दोनों बहनों को बहुत ही घूर रहे थे। मैं समझ गयी कि ये दोनों भी इन्हें चोदना चाहते है। माँ और पिताजी को एक शादी में पास के गाँव में जाना था। वो हम सब को छोड़ कर दो दिन के लिये शादी में चले गये। इस बात ने मेरे प्लैन को और मजबूती दे दी।” 

“हम पाँचों घूमने जाते, सिनेमा देखते। मैंने जानबूझ कर चारों को ज्यादा समय अकेले बिताने को दिया जिससे ये लोग आपस में करीब आ सके।” 

“शाम को मैं उन दोनों के कमरे में गयी और कहा कि मैं तुम दोनों से कुछ बात करना चाहती हूँ? ” 

“हाँ दीदी कहो, राम ने कहा।” 

“क्या तुम दोनों नाज़िया को अब भी चोदते हो? ये सवाल सुनकर दोनों चौंक गये। राज! मैं तुम्हें बता दूँ नाज़िया हमारी नौकरानी का नाम है।” 

“फिर श्याम ने हिम्मत करके के पूछा कि दीदी आपको किसने बताया कि हम नाज़िया को चोदते हैं।” 

“मैं पिछले दो साल से जानती हूँ ये बात...! मैंने जवाब दिया, पर नाज़िया कहीं दिखायी नहीं दे रही।” 

“नाज़िया अपने गाँव गयी है, दस दिन में वापस आयेगी.... राम ने कहा।” 

“मैंने मुद्दे की बात पर आते हुए कहा कि अच्छा एक बात बताओ! क्या तुम दोनों अंजू और मंजू को चोदना चाहोगे, दोनों कुँवारी हैं, और कुँवारी चूत को चोदने में बहुत ही मज़ा आयेगा।” 

“अपनी जगह से उछलते हुए राम ने कहा, हाँ दीदी! हमने कई सालों से कोई कुँवारी चूत नहीं चोदी, क्या वो दोनों मान जायेंगी? ” 

“ये सब तुम मुझ पर छोड़ दो, वो दोनों तुम लोगों से चोदने की भीख मांगेंगी।” 

“ठीक है मैं फिर बाज़ार से कुछ कंडोम खरीद कर ले आता हूँ.... श्याम बोला।” 

“कोई जरूरत नहीं है, तुम दोनों अपना पानी उन दोनों की चूत में ही छोड़ देना। उन्हें कुछ नहीं होगा.... मैंने कहा।” 

“ठीक है! तुम दोनों ठीक आठ बजे हॉल में आ जाना। राम तुम अंजू को चोदना और श्याम तुम मंजू को। फिर तुम आपस में अदला बदली भी कर सकते हो। एक छोटी सी पार्टी रखी है मैंने, तुम दोनों क्या पियोगे? मैंने पूछा।” 

“ओहहहह दीदी! एक रात में दो दो कुँवारी चूत.... दीदी हम लोग बीयर पियेंगे राम ने कहा।” 

“मैंने सब इंतज़ाम कर रखा था। राम और श्याम के लिये बीयर और अंजू और मंजू के लिये तुम्हारा स्पेशल कोक और उसमें थोड़ी सी स्कॉच और मेरे लिये सिर्फ स्कॉच। मैंने नाश्ते का भी इंतज़ाम कर रखा था और अपना कैमरा भी जो तुमने मेरे जन्मदिन पर तोहफा दिया था।” 
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“सबसे पहले अंजू और मंजू एक दम सज धज कर हॉल में दाखिल हुई। भाभी हम दोनों कैसी लग रही हैं, अंजू ने एक मॉडल की तरह अपनी टाँगें हिलाते हुए पूछा। बहुत ही सुंदर और जानदार लग रही हो मेरी जान, मुझे यकीन है तुम दोनों को देख कर लड़कों का लंड खड़ा हो जायेगा।” 

“भाभी आप भी ना! दोनों शरमा गयीं।” 

“नहीं मैं सच कह रही हूँ! अच्छा तुम दोनों उनके लंड की तरफ देखना वो जब आयेंगे। मैंने कहा।”

“इतने में राम और श्याम कुर्ता पायजामा पहने हुए हॉल में आये, अरे तुम दोनों तो बहुत सुंदर और सैक्सी लग रही हो.... दोनों ने कहा। उन दोनों का लंड तंबू की तरह उनके पायजामे में खड़ा हो गया। 
देखो मैंने नहीं कहा था....। दोनों अंजू और मंजू शर्म के मारे लाल हो गयी।” 

“चलो पार्टी करते हैं, कहकर मैंने राम और श्याम को उनकी बीयर और दोनों लड़कियों को स्कॉच मिली हुई स्पेशल कोक का ग्लास पकड़ा दिया। खुद भी मैंने अपने लिये स्कॉच का तगड़ा पैग बना लिया।”

“दीदी! तुम.... ये शराब? राम ने चौंकते हुए पूछा। चारों लोग मुझे हैरानी से देख रहे थे।”

“हाँ! क्यों? मैं नहीं पी सकती क्या... मुंबई में कभी-कभी पार्टियों में सोशियलाइज़िंग के लिये पीनी पड़ती है.... मैंने झूठी सफ़ाई दी।”

“हम लोग हँसी मज़ाक और बातें करते रहे। स्पेशल कोक ने और स्कॉच ने अपना असर दिखाना शुरू किया।” 

“भाभी बहुत गर्मी है ना.... कहकर अंजू ने अपना ग्लास एक ही झटके में खतम कर दिया।” 

“हाँ भाभी! कुछ ज्यादा ही गर्मी है... कहकर मंजू भी अपनी सीट पर मचल रही थी।” 

“मैं समझ गयी कि इनकी चूत में खुजली होनी शुरू हो गयी है।” 

“तुम चारों डाँस क्यों नहीं करते? कहकर मैंने स्टिरियो पर म्यूज़िक लगा दिया।” 

“बीस मिनट तक चारों म्यूज़िक पर डाँस कर रहे थे और मैं उन्हें देख रही थी। मैंने देखा कि दोनों लड़कियाँ मदमस्त होकर डाँस कर रही थीं और अंजू एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। कोक ने और स्कॉच ने अब अपना पूरा असर दिखाना शुरू कर दिया था।” 

“पर लगता था कि मंजू की चूत में ज्यादा खुजली हो रही थी, अब मुझसे नहीं रहा जाता..... कहकर उसने श्याम को अपने और नज़दीक कर लिया और अपनी चूत उसके लंड पर रगड़ने लगी।” 

“ओह बहुत अच्छा लग रहा है.... कहकर श्याम मंजू को किस करने लगा और अपना लौड़ा ज्यादा जोर से उसकी चूत पर रगड़ने लगा।” 

“श्याम और मंजू को देख, राम ने भी अंजू को अपनी बाँहों में भर लिया.... ओह! राम मुझे किस करो ना? अंजू सिसकते हुए बोली।” 

“किसिंग करते हुए राम और श्याम दोनों के मम्मे दबा रहे थे। थोड़ी देर में दोनों ने उनके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये थे और ब्रा ऊपर को खिसका दी थी।” 

“सच में राज! देखने लायक नज़ारा था। अंजू और मंजू अपने मम्मे उन दोनों से दबवा रही थी, और मेरे भाई अपने लंड को जोर-जोर से तुम्हारी बहनों की चूत पर रगड़ रहे थे। उनके मुँह से मीठी-मीठी सिसकरी निकल रही थी।” 

“राज तुम्हें याद है...? उस दिन तुमने क्या किया था? तुम्हें जरूर याद होगा! मैंने तुम्हारी तरह ही उनके पेटीकोट का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया और उनका पेटीकोट खुल कर नीचे गिर गया। फिर मैंने उनकी पैंटिज़ में हाथ डाल कर उन्हें भी उतार दिया। दोनों बहनों ने अब सिर्फ अपने हाई हील के सैंडल्स पहने हुए थे। मेरे दोनों भाई भी कपड़े उतार कर नंगे हो चुके थे। तुम्हारा लंड कितना अच्छा लग रहा है राम! हाँ जोर से रगड़ते जाओ... अंजू ने सिसकरी भरी।” 

“जोर-जोर से अपने लंड को मेरी चूत पे रगड़ो श्याम.... मंजू ने मादकता भरी आवाज़ में कहा।” 

“अंजू की हालत खराब हो रही थी। राम अब मुझसे नहीं रहा जाता, मेरी चूत की खुजली अब बर्दाश्त नहीं होती, अब अपना लंड मेरी चूत में डालकर मुझे चोदो... वो बोली। राम तो इसी का इंतज़ार कर रहा था, वो अंजू को बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड अंजू की चूत में घुसा दिया।” 

“आआआआआआहहहह मर गयी.... अंजू दर्द से तड़पी।” 

“राम रुक गया और बोला, क्या दर्द हो रहा है?” 

“तुम मेरे दर्द की परवाह ना करो, बस मुझे जोर जोर से चोदते जाओ.... अंजू की बातें सुन राम ने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया और उसे चोदने लगा। अब अंजू कुँवारी नहीं रही थी। मैं मुस्कुरायी।” 

“अंजू के मुँह से सिसकरियाँ छूट रही थी। हाँआँआँ.... ऐसे ही.... हाय चोदो...... और जोर से हाँ..... फाड़ दो मेरी चूत को.... आआआहहहह।” 

“मुझे भी मज़ा आ रहा था। अब मैंने श्याम और मंजू की और देखा तो पाया कि श्याम को कुछ प्रॉब्लम हो रही थी। मैंने पूछा, श्याम तुम मंजू की चूत में अपना लंड क्यों नहीं डाल रहे हो? ” 

“दीदी मैं कोशिश कर रहा हूँ पर नहीं जा रहा। इसने अपनी टाँगें सिकोड़ रखी हैं। उसने कहा।” 

“मेरी समझ में नहीं आया कि क्या कहूँ..... क्या करूँ। फिर मुझे याद आया कि मेरी पहली रात में तुमने क्या किया था। मैंने श्याम से कहा, श्याम! इसकी चूत पर जोर-जोर से अपना लौड़ा रगड़ो।” 

“श्याम मंजू की चूत पर जोर-जोर से अपना लंड रगड़ने लगा। इस से मंजू में गर्मी भरने लगी, और उसने सिसकरी लेते हुए अपनी टाँगें फैला दी।” 

“अब फाड़ दे इसकी चूत... मैं चिल्लायी। मैं भी काफी ड्रिंक कर चुकी थी और नशे में थी। श्याम ने एक ही धक्के मंय अपना लंड उसकी चूत में समा दिया।” 

“ऊऊऊऊऊईईईईई माँआँआँ.... मंजू दर्द में तड़पी, पर श्याम बिना रुके जोर से और तेजी से उसे चोदने लगा।” 

“श्याम इतनी जोरों से नहीं! जरा से प्यार से चोदो...... इतना कहकर मैं आराम से अपनी ननदों की मेरे भाइयों द्वारा चुदाई देखने लगी।” 

“अंजू को सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसने राम को कस कर भींच रखा था और अपनी टाँगें उछाल कर उसकी थाप से थाप मिला रही थी, ऊऊऊऊऊऊऊऊ राम! कितना अच्छा लग रहा है, हाँआँआँ ऐसे ही...... हाय चोदते जाओ, हाँआंआंआंआं... और जोर से... ओहहहहह आहहहाहह मेरा छूटने वाला है......, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। वो अपनी उखड़ी साँसें संभालने लगी। राम ने भी दो चार जोर के धक्के मार कर उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया।” 
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