कुछ देर के बाद वो एम॰पी॰ उठा और ऋतु की फुद्दी पे हल्का सा तेल जो कि बगल के टेबल पे रखा हुआ था लगाया और साथ ही अपने कपड़े भी उतार दिए और नंगा हो गया। उस एम॰पी॰ का लण्ड कोई 5” का था और ज्यादा हार्ड भी नहीं था जो कि वो ऋतु की फुद्दी के ऊपर रखकर अंदर घुसाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन क्योंकि ऋतु अभी कुँवारी थी और उसकी सील तोड़ने के लिए भी लण्ड का पूरा टाइट होना जरूरी था जो कि उसका नहीं हो रहा था। और ना ही फुद्दी में जा रहा था।
ऋतु नीचे से चिपट रही थी, बोली- “प्लीज़्ज़ कुछ करो… डाल दो अंदर नहीं तो मैं मर जाऊँगी…”
मुझे ऋतु की ये हालत देखकर उस पे काफी तरस आ रहा था। लेकिन मैं कर भी क्या सकता था। कुछ देर तक इसी तरह करते रहने से ही उस एम॰पी॰ का लण्ड पानी छोड़ गया, जो कि मेरी छोटी बहन की फुद्दी पे गिरा और वो हाँफने लगा और बगल में गिर गया।
क्योंकि ऋतु उस वक़्त पूरी तरह से गरम हो चुकी थी, उसे बेबसी से देखने के बाद मेरी तरफ और मेरे लण्ड की तरफ देखने लगी। लेकिन मैं अभी कुछ करना नहीं चाहता था। कुछ देर के बाद वो एम॰पी॰ उठा और अपने कपड़े पहन लिए और मेरी तरफ देखकर बोला- “अभी जो हुआ किसी को बताना नहीं वरना तुम अपने घर वालों के साथ कहाँ गुम हो जाओगे किसी को पता भी नहीं चलेगा, समझे…”
मैंने उसकी बात सुनकर हाँ में सर हिला दिया तो वो बाहर निकल गया। उसके जाते ही ऋतु भी नशे में लड़खड़ती हुई बेड से उठ गई और कपड़े पहनने लगी।
तो मैंने कहा- “अभी रुको और आराम से लेट जाओ मैं करता हूँ कुछ तुम्हारा…” और साथ ही रूम से बाहर आ गया जहाँ सब लोग अब जाने की तैयारी कर रहे थे।
उन लोगों के जाते ही मैंने दीदी और पायल को ऋतु की हालत के बारे में बताया तो दीदी कुछ देर तक सोच में पड़ी रही और फिर पायल की तरफ देखकर कुछ इशारा किया तो दोनों मुश्कुराने लगी।
बाजी को इस तरह पायल की तरफ इशारा करके हँसते हुये देखकर मैंने कहा- बाजी, क्या बात है? आप पायल को क्या इशारा कर रही हो?
बाजी- भाई, एक बात तो बताओ? क्या तुम्हारा दिल नहीं करता कि तुम ऋतु के साथ पहली बार करो?
मैं- लेकिन बाजी, ये भला किस तरह हो सकता है?
पायल- क्यों भाई? हो क्यों नहीं सकता? बापू को पैसे चाहिए थे, वो उन्हें मिल गये हैं। अब ऋतु की सील जो भी खोले?
बाजी- हाँ भाई, अभी टाइम है। सोच लो अगर तुम तैयार हो तो कर लो जो करना है?
मैं- लेकिन बाजी, क्या ऋतु मान जाएगी?
पायल- “हाँ भाई, वो मना नहीं करेगी मुझे यकीन है…”
मैं- वो कैसे पायल? तुमको इतना यकीन क्यों है उस पे?
बाजी- “यार, तुम भी ना बिल्कुल पागल हो… पता भी है तुम्हें कि ऋतु इस वक़्त शराब के नशे में है और सेक्स भी उसके सर पे चढ़ा हुआ है और उसे बस लण्ड चाहिए भाई… वो चाहे जिसका भी हो…”
पायल- “हाँ भाई, अगर तुम फिर भी कहते हो तो चलो मैं ऋतु से तुम्हारे सामने ही पूछ लेती हूँ…”
मैं- “हाँ, ये ठीक रहेगा… क्योंकि इस तरह ऋतु बाद में कोई ऐतराज नहीं करेगी…” और इतना बोलते ही हम तीनों ऋतु के पास रूम में चले गये। जहाँ ऋतु अभी तक नंगी लेटी अपनी कुँवारी और छोटी सी सील-पैक फुद्दी को मसल रही थी।
बाजी ने ऋतु को इस हालत में देखा तो मेरी तरफ देखकर बोली- “लो देख लो भाई, क्या अब भी तुम्हें कोई मसला है?
मैंने बाजी को कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप ऋतु के पास जाकर बेड पे बैठ गया और अपना एक हाथ ऋतु की चूचियों पे रखकर हल्का सा दबा दिया। जिससे ऋतु ने अपनी आँखों को हल्का सा खोलकर मेरी तरफ देखा और मुश्कुराकर अपनी आँखों को फिर से बंद कर लिया। मैं ऋतु के इस रिएक्सन से समझ गया कि मैं जो चाहूँ कर लूँ, ऋतु मना नहीं करेगी। तो मैं फौरन उठा और अपने कपड़े उतार के नंगा हो गया और ऋतु की टाँगों को खोलकर बीच में बैठ गया।
बाजी- भाई, पहले अपनी छोटी बहन को थोड़ा प्यार तो करो… क्या सीधा घुसाने की सोच रहे हो?
मैं- “बाजी, आपको नजर नहीं आ रहा कि ऋतु इस वक़्त कितनी गरम हो रही है… इसे इस वक़्त जिस चीज की जरूरत है वो चूमा चाटी नहीं बलकि चुदाई है और मैं वो ही करने लगा हूँ…”
पायल- “भाई रुको जरा, मैं थोड़ा तेल लगा देती हूँ…” और तेल की बोतल से थोड़ा तेल निकालकर मेरे लण्ड पे लगाने लगी और साथ ही बोली- देखो भाई बड़े प्यार से करना, ये अभी बहुत छोटी है ज्यादा तकलीफ नहीं होनी चाहिए…”
बाजी- “हाँ भाई, पूरा ध्यान रखना कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना, ये ना हो कि कोई गड़बड़ हो जाए…”
मैं- अच्छा बाजी, आप दोनों ने जो कहा है मैं वैसे ही करूंगा और इतना बोलते ही अपने लण्ड के सुपाड़े को ऋतु की कुँवारी फुद्दी पे रख दिया और उसकी टाँगों को पूरी तरह से खोलकर हल्का सा दबाया जिससे मेरा लण्ड ऊपर की तरफ स्लिप हो गया। मैंने फिर से लण्ड को फुद्दी के सुराख पे सेट किया और दबाने लगा जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा मेरी छोटी बहन की कुँवारी फुद्दी में घुस गया और इतना होते ही ऋतु के जिश्म को हल्का सा झटका लगा और उसने अपनी आँखें खोल दीं और मेरी तरफ देखा। उस वक़्त ऋतु की आँखों में बस मुझे जनून सा नज़र आ रहा था।
मैंने ऋतु की आँखों में देखते हुये कहा- जान, दर्द तो नहीं हो रहा ना तुम्हें?
ऋतु ने मेरी आँखों में कुछ देर तक देखा और फिर अपनी आँखों को बंद कर लिया और कहा- “नहीं भाई, जो आपका दिल चाहे करो बस रुकना नहीं प्लीज़्ज़…”
मैंने ऋतु की बात सुनते ही अपने लण्ड को ऋतु की फुद्दी में और दबाना शुरू कर दिया जिससे मेरा लण्ड बड़े आराम से मेरी छोटी बहन की फुद्दी में घुसने लगा और जैसे-जैसे मेरा लण्ड अंदर जा रहा था ऋतु की आँखों से आँसू और मुँह से सस्सीए… आऐ… बस आहिस्ता प्लीज़्ज़… रुको भाई… उंनमह… थोड़ा रुको… दर्द हो रहा है…” की आवाजें निकलना शुरू हो गई थीं। ऋतु की इन आवाज़ों को सुनकर मैं रुक गया और उसकी चूचियों को अपने मुँह में भर के चूसने लगा और दबाने लगा।
जिससे ऋतु के मुँह से निकलने वाली आवाजें अब रुक गई थीं और वो हल्के से मजे में उन्म्मह… आअह्ह… सस्स्स्सीई… की आवाज कर रही थी जिससे मैं समझ गया कि अब मुझे कुछ और अंदर घुसा देना चाहिए। इतना सोचते ही मैंने अपने लण्ड को थोड़ा जोर का झटका दिया तो मेरा लण्ड ऋतु की फुद्दी में 5” के करीब घुस गया और ऋतु के मुँह से- “आऐ नहीं… रुको प्लीज़्ज़… आअह्ह… बस और नहीं करना… दर्द हो रहा है भाई प्लीज़्ज़… यहाँ ही रुक जाओ…”
उस वक़्त मेरे लण्ड को ऋतु की फुद्दी ने पूरी तरह से भींचा हुआ था जिससे मुझे भी हल्का सा दर्द हो रहा था। तभी बाजी थोड़ा आगे बढ़ी और ऋतु की फुद्दी की तरफ देखने लगी और फिर मेरे कान में कहा- “आलोक थोड़ा सा बाहर निकालकर पूरा घुसा दो। इस तरह इसे ज्यादा दर्द हो रही है…”
मैंने बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने हाँ में सर हिला दिया। तो मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकालकर फिर से ऋतु को थोड़ा मजबूती से जकड़ लिया और पूरी ताकत का एक तेज झटका लगा दिया। मेरे इस तूफानी झटके से लण्ड ऋतु की फुद्दी को पूरी तरह से खोलते हुये जड़ तक घुस गया। लण्ड के पूरा घुसते ही ऋतु के मुँह से- “अम्मी जीए आअह्ह… भाई निकालो बाहर… ऊओ मेरी फट गई भाई… मुझे नहीं करना है भाई… प्लीज़्ज़ बाहर निकालो… ऊओ बाजी… भाई को रोको प्लीज़्ज़…”
ऋतु उस वक़्त बुरी तरह से चिल्लाने के साथ रो भी रही थी कि तभी बाजी आगे बढ़ी और ऋतु की चूचियों को अपने मुँह में भर के चूसने लगी और दबाने लगी। जिससे ऋतु कुछ ही देर में शांत हो गई। लेकिन उसकी आँखों से अभी भी पानी निकल रहा था।
अब मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर से अंदर घुसा दिया जिससे ऋतु के मुँह से सस्सीए की आवाज निकल गई लेकिन वो और कुछ नहीं बोली। अभी मेरा लण्ड ऋतु की फुद्दी में पूरी तरह से फँस के जा रहा था।
कोई दो मिनट तक आराम-आराम से चुदाई करने के बाद ऋतु ने भी अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड की तरफ दबाना शुरू कर दिया। ऋतु के इस तरह गाण्ड हिला के मेरा साथ देते ही मैं समझ गया कि अब ऋतु को दर्द नहीं हो रहा, बलकि वो भी अब मजा ले रही है। तो मैंने अपनी स्पीड को थोड़ा सा बढ़ा दिया।
जिससे ऋतु के मुँह से- “आअह्ह… भाई जोर से नहीं… उंनमह… हाँ भाई बस इसी तरह प्यार से करो… उन्म्मह… ऊओ… भाई अब अच्छा लग रहा है… उन्म्मह… भाई ऊओ… मुझे कुछ हो रहा है आअह्ह…” की आवाज के साथ ही मेरे साथ लिपट गई और अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड की तरफ जोर से दबाने लगी और कुछ ही देर में- “ऊओ भाई आअह्ह… मेरा हो गया…” की आवाज के साथ ही ऋतु का जिश्म अकड़ने लगा और फिर मुझे ऋतु की फुद्दी में अपने लण्ड पे गरम लावा सा गिरता महसूस हुआ और इसके साथ ही ऋतु बेड पे गिर गई और अपनी आँखें बंद करके लंबी-लंबी सांसें लेनी लगी।
ऋतु के फारिग़ होते ही मेरे लण्ड को भी ऋतु की फुद्दी ने आसानी से जगह देना शुरू कर दिया जिससे मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही देर में मैं भी अपनी छोटी बहन की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और ऋतु ने मुझे बड़ी जोर से अपने साथ भींच लिया और हम दोनों कुछ देर तक इसी तरह एक दूसरे के साथ लिपट के लेटे रहे।
कुछ देर के बाद बाजी ने मुझे हिलाया और कहा- “भाई चलो, अब उठो काफी देर हो रही है…”
मैं ऋतु के ऊपर से उठा और जैसे ही मेरा लण्ड मेरी प्यारी छोटी बहन की फुद्दी से पुच्चहक की आवाज के साथ बाहर निकला और मैं खड़ा हुआ तो मेरी नजर ऋतु की लाल और खून और मेरी मनी से सनी हुई फुद्दी पे पड़ी तो मैं काफी परेशान हो गया।
जब बाजी ने मुझे ऋतु की फुद्दी की तरफ परेशानी से देखते हुये पाया तो तो बाजी ने कहा- “आलोक, परेशानी की कोई बात नहीं है। ये सब नार्मल है। तुम चलो अपने कपड़े पहनो मैं देखती हूँ…”
मैं बाजी की बात सुनकर अपने कपड़े पहनकर खड़ा हो गया और बोला- बाजी, अब क्या करना है?
पायल- “कमीने, अभी जो तुमने अपनी मासूम बहन के साथ जुल्म किया है उसकी सफाई करनी है…” और हेहेहेहे करके हँसने लगी।
बाजी- “पायल, क्यों आलोक को परेशान कर रही हो? आलोक तुम जाओ घर, मैं अभी इसे नहला के अपने साथ लाती हूँ…?
मैं बाजी की बात सुनकर बोला- “जी बाजी, जैसे आप कहो…” और रूम से निकलकर घर आ गया जहाँ अम्मी और बुआ बैठी हमारा इंतजार कर रही थीं।
अम्मी- आलोक, क्या बात है? तुम अकेले आए हो? सब ठीक तो है ना? तुम्हारी बहनें कहाँ हैं?
मैं- “अम्मी, वो भी आ रही हैं और बाकी सब ठीक है…”
बुआ- आलोक, क्या बात है जानू? तुम कुछ परेशान लग रहे हो? कोई मसला है क्या?
मैं- “अरे नहीं बुआ, ऐसी कोई बात नहीं है बस जरा थक गया हूँ…”
बुआ- “क्यों? क्या आज उस एम॰पी॰ की जगह तू ने अपनी बहन की सील तोड़ी है जो थक गया है…” और हेहेहेहे करके हँसने लगी।
अम्मी- “चल चुप कर कमीनी, हर वक़्त मेरे बेटे को तंग करती रहती है। मेरी तीनो बेटियां मेरे इस शेर के लिए ही तो हैं जब चाहे, जिसे चाहे, अपने पास सुला ले। इसे कोई भी मना नहीं करेगा…”
बुआ- “भाभी, मना तो मैंने भी कभी नहीं किया… लेकिन अब हमारा शेर हमारी तरफ देखता ही कहाँ हैं? जवान लौंडियों के पीछे पड़ा रहता है…”
मैं- “नहीं बुआ, ऐसी कोई बात नहीं है जैसा आप समझ रही हो…”
अम्मी- अच्छा, तो फिर कैसी बात है बता तो जरा?
मैं- “अम्मी, बस आपको तो पता ही है कि मैं खुद थक जाता हूँ इसीलिए आप लोगों को ज्यादा टाइम नहीं दे सका…?
बुआ- अच्छा जी, तो फिर कोई बात नहीं… वैसे बात क्या है? अभी तक तेरी बहनें नहीं आईं?
बाजी- “बुआ, आप कहीं और देखो तो हम नजर आयें ना…” बाजी और पायल ने जो कि ऋतु को सहारा देकर अभी रूम में दाखिल ही हुई थीं, बुआ को जवाब दिया।
अम्मी फौरन अपनी जगह से उठी और ऋतु को सहारा देकर अपने साथ ही बिठा लिया और बोली- “क्या हुआ? मेरी बच्ची ठीक तो हो ना?
पायल- “हाँ अम्मी, वैसे जिसकी सील आपका बेटा तोड़ेगा उसका हाल ये ही होना था ना…”
अम्मी हैरानी से मेरी और ऋतु की तरफ देखते हुये बोली- आलोक, पायल क्या बोल रही है? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही?
बाजी- “अम्मी, उस एम॰पी॰ हरामी से तो कुछ हुआ नहीं और ऋतु की हालत खराब कर दी थी उसने तो हमने ऋतु को ठंडा करने के लिए भाई को बोल दिया…”
बुआ- लो भाई आलोक, तुम बड़े लकी निकले पैसे किसी ने दिए और सील तुमने खोली। हाँ और हमें बताया भी नहीं कमीने…”
अम्मी- “चलो कोई बात नहीं… लेकिन अपने बापू को नहीं बताना, समझ गये तुम लोग…”
मैं- “जी अम्मी, जैसे आप बोलो…” फिर हम वहाँ से उठे और अपने-अपने रूम में आ गये।
ये कहानी यहाँ खतम होती है।