मैं मोनी को लेकर दीवार के पास गया और अपनी पीठ दीवार पर लगाकर ऊपर मुंह करके बैठ गया,
मोनी मेरे दोनों तरफ टाँगे करके खड़ी हो गयी और दुसरे कमरे में देखने लगी, मेरी नजरों के सामने अब दुनिया की सबसे छोटी चूत थी, अनखुली, गुलाबी पंखड़ियों वाली, हल्के गोल्डन कलर के बाल, और अपने ही रस में नहाकर चमकती हुई चूत..
मोनी ने अपनी वासना भरी नजरों से मुझे देखा और मैंने अपनी जीभ निकल कर उसकी पंखुड़ियों को सहलाया..वो सिहर उठी.... स्स्सस्स्स्सस्स्स......बड़ी मुश्किल से उसने अपनी चीख रोकी, अपने होंठो को दांतों तले दबाया और मेरे सर पर हाथ फेरने लगी,
मैंने उसकी चूत को अपनी उँगलियों से फैलाया और अन्दर से आती भीनी खुशबु को सूंघता हुआ अपना मुंह उसपर टिका दिया...
उसका बैलेंस बिगड़ गया और वो मेरे मुंह पर बैठ सी गयी, उसकी टाँगे कांप रही थी, उसका वजन ज्यादा नहीं था, इसलिए मैंने उसकी जांघो को पकड़ कर लगभग हवा में उठा रखा था और उसकी चूत को अपने मुंह से चोद रहा था,
उसकी हालत देखकर लगता था जैसे वो मरने वाली है..बड़े अजीब से मुंह बना रही थी वो, शायद अपनी सिस्कारियों को रोकने के चक्कर में और अन्दर से आ रही मजे की लहरों को रोकने में असमर्थ हो रही थी,
मैंने उसकी मीठी चूत को लप लपाकर चुसना और पीना शुरू कर दिया, वो अपने कूल्हों को बड़ी तेजी से आगे पीछे करके मेरे मुंह पर रगड़ रही थी,
उसके हलके बाल मेरे उपरी होंठो पर चुभ से रहे थे, उसके दोनों हाथों ने मेरे बालों को बड़ी जोर से पकड़ा हुआ था.
मेरे मुंह की तरफ ध्यान रखने से वो दुसरे कमरे में नहीं देख पा रही थी, पर जब उसकी नजर वहां गयी वो वहां का नजारा देख कर दंग रह गयी, उसकी माँ मंजू कुतिया वाले पोज़ में बेड पर थी,
उसके नीचे से मेरे पापा उसकी गांड मार रहे थे, ...और आगे से उसके पापा का लंड था उसकी माँ के मुंह में,
अपनी माँ के दोंनो छेदों को चुदते हुए देखकर थोड़ी देर के लिए वो अपनी चूत पर मेरे हमले को लगभग भूल सी गयी, अपनी माँ की कुशलता देखकर उसकी छाती गर्व से और मोटी हो गयी...
इसी बीच, ऋतू जो खड़े होकर अपनी चूत नीचे बैठी हुई सोनी से चटवा रही थी, उसने पीछे हटना शुरू किया और बेड के किनारे पर जाकर उसपर लेट गयी, सोनी उसकी चूत को चूमती हुई ऊपर तक आई और ऋतू ने उसके होंठो को जकड कर अपनी चूत का रस उसके मुंह से वापिस पीना शुरू कर दिया,
और फिर उसने सोनी को नीचे किया और खुद उसके पेट पर चढ़ बैठी..ऋतू ने अपना मुंह नीचे करके उसके निप्पल को अपने मुंह में दबाकर काट लिया...वो चीख पड़ी.. उयीईईईईइ धेरीईईईईईई ... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह पर फिर वोही चीख धीरे-२ उसकी सिस्कारियों में बदल गयी,....वो आँखें बंद किये ऋतू के सर को पकडे हलके से मुस्कुराते हुए बेड पर लेटी मचल सी रही थी..
थोड़ी देर उसके तने हुए निप्पल को चुबलाने के बाद ऋतू ने दक्षिण की तरफ जाना शुरू किया, उसके गुदाज पेट को चुमते हुए उसकी चूत के ऊपर जाकर वो उसकी चूत को निहारने लगी,
फूली हुई चूत को देखते ही ऋतू के मुंह में पानी सा आ गया और उसने अपनी लम्बी जीभ निकाली और टूट पड़ी सोनी की चूत पर..
आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह एक लम्बी सिसकारी फिर से सोनी के मुंह से निकल गयी, ऋतू बड़े मजे ले लेकर उसकी चूत का रस पी रही थी,
थोड़ी देर बाद वो ऊपर उठी और बोली " सोनी...तुम्हारी चूत तो बड़ी टेस्टी और मीठी है...मजा आ गया सच में..."
"मुझे भी ऐसा एहसास आज तक नहीं हुआ..." सोनी ने लम्बी साँसे लेते हुए कहा.
"उम्म्म्मम्म..." और ऋतू ने फिर से अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी.
मेरी जीभ भी अब काफी अन्दर तक जा रही थी मोनी की चूत में..मैंने अपने हाथों को धीरे-२ नीचे करना शुरू किया और मोनी का पेट और छोटे स्तन मेरे मुंह के आगे से होते हुए नीचे की तरफ जाने लगे,
अंत में उसकी चूत मेरे खड़े हुए लंड के बिलकुल ऊपर थी...उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी आने वाले पलों के बारे में सोचकर...उसने अपने पंजो के बल अपना आधे से ज्यादा वजन रोका हुआ था, बाकी मैंने उसकी जांघो को पकड़कर....मेरा लंड उसकी चूत के लिप्स के बीच में था,
अचानक मैंने अपने हाथों को उसकी जांघो से हटा लिया...उसे इसकी जरा भी उम्मीद नहीं थी... "ओह्ह्हह्ह ये क्याआआआअ ......" और वो अपनी चूत समेत मेरे लंड के ऊपर बैठती चली गयी...
मेरा लंड उसकी गर्म चूत में किसी लोहे के सरिये की तरह जा धंसा.....उसके गले से एक घुटी हुई सी चीख निकली. .. आआआयीईईईईईईईइ ...... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह , वो ज्यादा न चिल्लाये इसलिए मैंने आगे बढकर उसके होंठो को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा....उसकी सील टूट चुकी थी, गर्म खून बहकर मेरे लंड को गिला कर रहा था....
उसकी अंकों से आंसू बह निकले मेरा मोटा लंड लेकर..वो थोड़ी देर तक ऐसे ही बैठी रही और जब उसका शरीर कांपना बंद हुआ तो उसने अपनी आँखें खोली और बोली "अरे....तुमने तो मुझे मार ही डाला....ऐसा भी कोई करता है क्या..." और उसने प्यार से मेरे सीने पर मुक्का मारा...
मैं हंस दिया और उसके गोल कुल्हे उठाकर थोडा ऊपर किया और फिर नीचे....ऐसा 7 -8 बार करने के बाद उसे भी मजा आने लगा और वो फिर से अपने पंजो के बल बैठकर अपनी चूत को मेरे लंड के उपर कूटने लगी,
उसकी चूचियां मेरे मुंह के आगे उछल रही थी, मैंने उन्हें मुंह में लेकर चुसना शुरू किया, मेरे मुंह लगाने से उसका उछलना बंद हो गया इसलिए वो अपनी चूत को मेरे लंड पर गोल चक्की की तरह घुमाने लगी,
उसकी चूत की गर्मी से मेरा बुरा हाल हो रहा था, मेरा लंड इतनी गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया और मैंने उसकी चूत के अन्दर अपने वीर्य की पिचकारियाँ छोडनी शुरू कर दी...वो भी अपने अन्दर गर्मी पाकर झटके खाने लगी और झड़ते हुए मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने और काटने लगी..
आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मैं तो गयीईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मम्म्म्मम्म .... मजा आ गयाआआआआआआआअ.........wow ...........................वो बड़ी खुश लग रही थी.
उधर सोनी भी अपने अंतिम पड़ाव पर थी, ऋतू ने उसकी गांड में एक ऊँगली क्या डाली उसकी चूत से गर्म पानी का फव्वारा फुट पड़ा..
आआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मर्र्र्रर्र्र्रर गयीईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मम्म्म्मम्म .....
ऋतू ने सारा गर्म पानी पी लिया..
मैंने छोटी की चूत फाड़कर उसे झाड दिया और ऋतू ने बड़ी की चूत चाटकर...
मेरी गोद में थोड़ी देर तक बैठने के बाद मोनी उठी और उसकी चूत से सारा खून मिला रस मेरे पेट पर गिरने लगा,
उसने कपडे से सारा खून और माल साफ़ किया और पलंग पर जाकर लेट गयी... मैं भी उसकी बगल में जाकर लेट गया.
हम दोनों अब सोनी को ऋतू की चूत चाटते हुए देख रहे थे..
मोनी मेरे कंधे पर सर रखे अपनी बहन को ऋतू की चूत चाटते हुए देख रही थी...
उसका एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था...ऋतू भी काफी देर से गरम हो कर तड़प रही थी इसलिए उसने झड़ने में ज्यादा टाइम नहीं लिया और उसका भी रस बाहर आने लगा,
सोनी किसी कुशल चूत चाटने वाली की तरह उसका सारा रस पी गयी...मैंने गौर किया की ऋतू का रस चाटते हुए उसका एक हाथ अपनी चूत को रगड़ रहा था...
यानी वो फिर से गरम हो रही थी...उसकी कसी हुई चूत देखकर मेरे लंड ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी..
मेरी बगल में लेटी हुई मोनी समझ गयी की अब उसकी बहन की चुदने की बारी है..
नेहा जो बड़ी देर से अपनी चूत में ऊँगली डाले और दुसरो की चूत चाटकर काम चला रही थी, उठकर मेरे पास आई और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी..
मैंने उसके सर पर हाथ फेरा जैसे मेरी पालतू कुतिया हो...वो अपनी मोटी-२ आँखों से मुझे देखते हुए मेरा लंड मुंह में डाले मुस्कुराती हुई लंड चूसने लगी, वो भी अब मेरी पालतू जैसी बर्ताव कर रही थी और उसने अपनी मोटी गांड हवा में उठाकर हिलाना शुरू कर दिया,
मेरे मन में एक विचार आया और मैंने कमरे में चारों तरफ देखा और कोने में पड़े एक दुपट्टे को उठा लिया उसे लपेट कर लम्बा कर दिया और उसका एक सिरा नेहा की गांड के छेद में डाल दिया..
अब ऐसा लग रहा था की वो दुपट्टा उसकी दुम है..उसे कपडा अपनी गांड में लेने में थोड़ी तकलीफ हुई पर फिर एडजस्ट करने के बाद उसे भी मजे आने लगे.
मेरा लंड अब उसके मुंह में फूलकर फिर से अपनी औकात पर आ गया था.
मेरे पास लेटी मोनी उठ़ कर अपनी बहन सोनी के पास गयी जो ऋतू की चूत चाटने में व्यस्त थी और उसके पीछे पहुँच कर उसकी गांड में अपना मुंह लगा कर पीछे से उसकी चूत चूसने लगी,
पीछे मुड़कर जब सोनी ने देखा की उसकी सगी बहन ही उसकी चूत चूस रही है तो उसके मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी...आआआआआआआआआआआआअह
अब वो अपनी मोटी गांड मटकाते हुए मोनी से अपनी चूत चटवा रही थी और आगे से अपनी जीभ निकाल कर मेरी बहन की चूत भी चाट रही थी.
मेरा लंड अभी-२ झ़डा था इसलिए मैं जानता था की अगली बार मैं ज्यादा देर तक चुदाई कर सकता हूँ, इसलिए मैंने बेचारी नेहा की चूत का भी उद्धार करने की सोची और उसके मुंह से लंड निकाल कर उसे कुतिया वाले पोज़ में आने को कहा...वो ख़ुशी-२ अपने पैर और टांगो के बल खड़ी हो कर अपनी दुम हिलाने लगी.
मैंने उसकी मोटी गांड को एक जोरदार चांटा लगाया..उसके सफ़ेद कुल्हे पर मेरे पंजे का निशान छप सा गया. वो तड़प उठी..अयीईईईईईईईईईईईईईइ ये क्याआआआआआआअ भैईईईईईईई याआआआआआआआ .....
फिर मैंने वो दुपट्टा उसकी गांड में और अन्दर तक ठूस दिया, थोडा खींचा, वो थोडा कुनमुनाई, फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा और उस दुपट्टे को अपने हाथों से पकड़ा और एक तेज धक्का उसकी चूत में लगाया...
अपनी गांड में फंसे कपडे के खिंचाव से और अपनी चूत में आते मेरे लंड के दबाव से उसकी चीख निकल गयी
आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊऊओह ..... धीईईईरे ....... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह...
अपना लंड उसकी चूत के अन्दर तक डालने के बाद मैंने धीरे-२ धक्के लगाने शुरू किये... मेरे हर धक्के से दुपट्टा थोडा-२ करके बाहर आ रहा था...मेरे धक्को की स्पीड बढ़ती जा रही थी... अह अह अ हः अह अ ह की आवाजें गूंज रही थी कमरे में,
नेहा को एक साथ अपनी चूत और गांड से आती झनझनाहट अजीब सा मजा दे रही थी, तभी एक झटके से वो दुपट्टा बाहर निकल गया...वो चिल्लाई....डालो फिर से उसे अन्दर......प्लीस ......मैंने अगला हिस्सा थोडा और मोटा किया और उसकी गांड के अन्दर धकेल दिया..मोटाई अधिक होने की वजह से अब उसे तकलीफ हुई आआआआआआआआयीईईईईईईईईईईइ थोडा धीरे................भैयाआआआआआआ .......
मैंने उस पूंछ वाली कुतिया को फिर से चोदना शुरू कर दिया....मैं बोला....तू मेरी कुतिया है.....साली रंडी....तेरी माँ की चूत....कुतिया कहीं की....मेरे लंड को रोज अपनी चूत में और गांड में लिया कर..समझी रांड..... ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
वो भी चिल्लाई....हाँ भैयाआआआआआआ मैं आपकी पालतू कुतिया हूँ....मेरी चूत और गांड आपकी है...जब मर्जी मार लिया करो.....आआआआआआअह्ह्ह्ह मरो अपनी रांड बहन की चूत.....मारो प्लीस.....
मेरा लंड अभी काफी दूर तक जा सकता था...पर नेहा काफी देर से अपनी चूत में रस का सेलाब लिए घूम रही थी इसलिए उससे ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेरे लंड पर झड़ने लगी..आआआआआआआआआआआआअह्ह भैयाआआआआआअ मैं तो गयीईईईईईईईईईई ........
मैंने उसकी चूत में से रस से भीगा लंड बाहर निकाल लिया, वो दुपट्टा अभी भी उसकी गांड में फंसा हुआ था.
फिर मैंने इशारे से मोनी को पीछे हटने को कहा..वो समझ गयी की अब उसकी बहन चुदेगी.
मैंने सोनी की चूत में पीछे से अपना लंड लगाया वो कुछ समझ पाती इससे पहले ही मैंने एक तेज धक्का मारकर अपना आधे से ज्यादा लंड उतार दिया सोनी की चूत में....वो चीख पड़ी. आआआआआआआआआअयीईईईईईईईईई पर तभी आगे लेती ऋतू ने उसका मुंह अपनी चूत पर दबाकर उसकी चीख को शांत कर दिया...वो हांफ रही थी ...वो निढाल होकर नीचे लेट गयी जिसके कारण मेरा लंड भी बाहर निकल आया..उसके सिरे पर खून लगा हुआ था...यानी उसकी झीली भी फट चुकी थी..
मैं नीचे लेट गया और उसको अपने ऊपर खींच लिया और उसके गुलाबी और लरजते हुए होंठो को चूसने लगा..
बड़े मीठे थे उसके होंठ, मैंने नीचे हाथ करके उसके गोल चुचे थाम लिए , बड़े दिलकश थे उसके अमृत कलश, मैं उन्हें पीने लगा,
वो मचलती हुई मेरे लंड के ऊपर अपनी टाँगे मसल रही थी, उसे अब मेरा लंड फिर से अपनी चूत में चाहिए था और जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने अपने आप ही मेरे लंड को अपनी चूत पर लगाया और अन्दर ले कर दबाती चली गयी
आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ....म म्म्म्मम्म्म्मम्म वोव्वव्व्व्वव्व्व.......आआआआआआआअह्ह्ह
मेरा पूरा लंड अब उसकी कुंवारी चूत में था...मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू किये, उसके मोटे चुचे मेरे मुंह पर थपेड़े मार रहे थे,
नेहा ने अब सोनी की जगह ले ली थी और ऋतू की चूत चाट रही थी.
पुरे कमरे में ऋतू , मेरी और सोनी की सिस्कारियां गूंज रही थी, सोनी की चूत से निकलता रस मेरे लंड को भिगो रहा था.
जल्दी ही हम तीनो की सिस्कारियां चीखों में बदलती चली गयी और सभी ने एक साथ झड़ना शुरू कर दिया..
आआआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह मैं तो गयीईईईईईईईईईइ और सोनी ने अपना रस मेरे लिंग पर छोड़ दिया...मेरा लंड भी बारिश में नहाकर रस छोड़ने लगा और मैंने उसकी चूत के अन्दर एक के बाद एक कई पिचकारियाँ छोड़ दी....
आआआआआआआआआआआआआआह्ह्ह म्मम्मम्मम्म ऊऊऊऊऊऊऊओह मजा आ गयाआआआआआआअ ......
ऋतू भी मचलती हुई झड़ने लगी..आआआआआआआयीईईईईईईईई म्म्मम्म्म्मम्म ओह्ह ओह होह ओह्ह्हह्ह ....
हम सभी इतनी चीखे मार रहे थे की हमें दुसरे कमरे का ध्यान ही नहीं रहा, वहाँ दुसरे कमरे में सभी एक दुसरे की बीबियों की चूत मार रहे थे,
जब मंजू ने दुसरे कमरे से आती आवाज सुनी तो अपनी चूत से मेरे पापा का लंड बाहर निकाल कर वो शीशे वाली जगह के पास गयी जहाँ से उसे आवाजें आ रही थी,
उसने जब शीशा हटाया तो दुसरे कमरे का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए, वहां हम सभी को नंगा लेटे देखकर और अपनी दोनों बेटियों को भी हमारे साथ देखकर वो चकरा सी गयी, सोनी मेरे लंड को अन्दर लिए अभी भी मेरी छाती पर लेटी हुई हांफ रही थी..
नेहा जो बड़ी देर से अपनी चूत में ऊँगली डाले और दुसरो की चूत चाटकर काम चला रही थी, उठकर मेरे पास आई और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी..
मैंने उसके सर पर हाथ फेरा जैसे मेरी पालतू कुतिया हो...वो अपनी मोटी-२ आँखों से मुझे देखते हुए मेरा लंड मुंह में डाले मुस्कुराती हुई लंड चूसने लगी, वो भी अब मेरी पालतू जैसी बर्ताव कर रही थी और उसने अपनी मोटी गांड हवा में उठाकर हिलाना शुरू कर दिया,
मेरे मन में एक विचार आया और मैंने कमरे में चारों तरफ देखा और कोने में पड़े एक दुपट्टे को उठा लिया उसे लपेट कर लम्बा कर दिया और उसका एक सिरा नेहा की गांड के छेद में डाल दिया..
अब ऐसा लग रहा था की वो दुपट्टा उसकी दुम है..उसे कपडा अपनी गांड में लेने में थोड़ी तकलीफ हुई पर फिर एडजस्ट करने के बाद उसे भी मजे आने लगे.
मेरा लंड अब उसके मुंह में फूलकर फिर से अपनी औकात पर आ गया था.
मेरे पास लेटी मोनी उठ़ कर अपनी बहन सोनी के पास गयी जो ऋतू की चूत चाटने में व्यस्त थी और उसके पीछे पहुँच कर उसकी गांड में अपना मुंह लगा कर पीछे से उसकी चूत चूसने लगी,
पीछे मुड़कर जब सोनी ने देखा की उसकी सगी बहन ही उसकी चूत चूस रही है तो उसके मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी...आआआआआआआआआआआआअह
अब वो अपनी मोटी गांड मटकाते हुए मोनी से अपनी चूत चटवा रही थी और आगे से अपनी जीभ निकाल कर मेरी बहन की चूत भी चाट रही थी.
मेरा लंड अभी-२ झ़डा था इसलिए मैं जानता था की अगली बार मैं ज्यादा देर तक चुदाई कर सकता हूँ, इसलिए मैंने बेचारी नेहा की चूत का भी उद्धार करने की सोची और उसके मुंह से लंड निकाल कर उसे कुतिया वाले पोज़ में आने को कहा...वो ख़ुशी-२ अपने पैर और टांगो के बल खड़ी हो कर अपनी दुम हिलाने लगी.
मैंने उसकी मोटी गांड को एक जोरदार चांटा लगाया..उसके सफ़ेद कुल्हे पर मेरे पंजे का निशान छप सा गया. वो तड़प उठी..अयीईईईईईईईईईईईईईइ ये क्याआआआआआआअ भैईईईईईईई याआआआआआआआ .....
फिर मैंने वो दुपट्टा उसकी गांड में और अन्दर तक ठूस दिया, थोडा खींचा, वो थोडा कुनमुनाई, फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा और उस दुपट्टे को अपने हाथों से पकड़ा और एक तेज धक्का उसकी चूत में लगाया...
अपनी गांड में फंसे कपडे के खिंचाव से और अपनी चूत में आते मेरे लंड के दबाव से उसकी चीख निकल गयी
आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊऊओह ..... धीईईईरे ....... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह...
अपना लंड उसकी चूत के अन्दर तक डालने के बाद मैंने धीरे-२ धक्के लगाने शुरू किये... मेरे हर धक्के से दुपट्टा थोडा-२ करके बाहर आ रहा था...मेरे धक्को की स्पीड बढ़ती जा रही थी... अह अह अ हः अह अ ह की आवाजें गूंज रही थी कमरे में,
नेहा को एक साथ अपनी चूत और गांड से आती झनझनाहट अजीब सा मजा दे रही थी, तभी एक झटके से वो दुपट्टा बाहर निकल गया...वो चिल्लाई....डालो फिर से उसे अन्दर......प्लीस ......मैंने अगला हिस्सा थोडा और मोटा किया और उसकी गांड के अन्दर धकेल दिया..मोटाई अधिक होने की वजह से अब उसे तकलीफ हुई आआआआआआआआयीईईईईईईईईईईइ थोडा धीरे................भैयाआआआआआआ .......
मैंने उस पूंछ वाली कुतिया को फिर से चोदना शुरू कर दिया....मैं बोला....तू मेरी कुतिया है.....साली रंडी....तेरी माँ की चूत....कुतिया कहीं की....मेरे लंड को रोज अपनी चूत में और गांड में लिया कर..समझी रांड..... ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
वो भी चिल्लाई....हाँ भैयाआआआआआआ मैं आपकी पालतू कुतिया हूँ....मेरी चूत और गांड आपकी है...जब मर्जी मार लिया करो.....आआआआआआअह्ह्ह्ह मरो अपनी रांड बहन की चूत.....मारो प्लीस.....
मेरा लंड अभी काफी दूर तक जा सकता था...पर नेहा काफी देर से अपनी चूत में रस का सेलाब लिए घूम रही थी इसलिए उससे ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेरे लंड पर झड़ने लगी..आआआआआआआआआआआआअह्ह भैयाआआआआआअ मैं तो गयीईईईईईईईईईई ........
मैंने उसकी चूत में से रस से भीगा लंड बाहर निकाल लिया, वो दुपट्टा अभी भी उसकी गांड में फंसा हुआ था.
फिर मैंने इशारे से मोनी को पीछे हटने को कहा..वो समझ गयी की अब उसकी बहन चुदेगी.
मैंने सोनी की चूत में पीछे से अपना लंड लगाया वो कुछ समझ पाती इससे पहले ही मैंने एक तेज धक्का मारकर अपना आधे से ज्यादा लंड उतार दिया सोनी की चूत में....वो चीख पड़ी. आआआआआआआआआअयीईईईईईईईईई पर तभी आगे लेती ऋतू ने उसका मुंह अपनी चूत पर दबाकर उसकी चीख को शांत कर दिया...वो हांफ रही थी ...वो निढाल होकर नीचे लेट गयी जिसके कारण मेरा लंड भी बाहर निकल आया..उसके सिरे पर खून लगा हुआ था...यानी उसकी झीली भी फट चुकी थी..
मैं नीचे लेट गया और उसको अपने ऊपर खींच लिया और उसके गुलाबी और लरजते हुए होंठो को चूसने लगा..
बड़े मीठे थे उसके होंठ, मैंने नीचे हाथ करके उसके गोल चुचे थाम लिए , बड़े दिलकश थे उसके अमृत कलश, मैं उन्हें पीने लगा,
वो मचलती हुई मेरे लंड के ऊपर अपनी टाँगे मसल रही थी, उसे अब मेरा लंड फिर से अपनी चूत में चाहिए था और जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने अपने आप ही मेरे लंड को अपनी चूत पर लगाया और अन्दर ले कर दबाती चली गयी
[attachment=152535]
आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ....म म्म्म्मम्म्म्मम्म वोव्वव्व्व्वव्व्व.......आआआआआआआअह्ह्ह
मेरा पूरा लंड अब उसकी कुंवारी चूत में था...मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू किये, उसके मोटे चुचे मेरे मुंह पर थपेड़े मार रहे थे,
नेहा ने अब सोनी की जगह ले ली थी और ऋतू की चूत चाट रही थी.
पुरे कमरे में ऋतू , मेरी और सोनी की सिस्कारियां गूंज रही थी, सोनी की चूत से निकलता रस मेरे लंड को भिगो रहा था.
जल्दी ही हम तीनो की सिस्कारियां चीखों में बदलती चली गयी और सभी ने एक साथ झड़ना शुरू कर दिया..
आआआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह मैं तो गयीईईईईईईईईईइ और सोनी ने अपना रस मेरे लिंग पर छोड़ दिया...मेरा लंड भी बारिश में नहाकर रस छोड़ने लगा और मैंने उसकी चूत के अन्दर एक के बाद एक कई पिचकारियाँ छोड़ दी....
आआआआआआआआआआआआआआह्ह्ह म्मम्मम्मम्म ऊऊऊऊऊऊऊओह मजा आ गयाआआआआआआअ ......
ऋतू भी मचलती हुई झड़ने लगी..आआआआआआआयीईईईईईईईई म्म्मम्म्म्मम्म ओह्ह ओह होह ओह्ह्हह्ह ....
हम सभी इतनी चीखे मार रहे थे की हमें दुसरे कमरे का ध्यान ही नहीं रहा, वहाँ दुसरे कमरे में सभी एक दुसरे की बीबियों की चूत मार रहे थे,
जब मंजू ने दुसरे कमरे से आती आवाज सुनी तो अपनी चूत से मेरे पापा का लंड बाहर निकाल कर वो शीशे वाली जगह के पास गयी जहाँ से उसे आवाजें आ रही थी,
उसने जब शीशा हटाया तो दुसरे कमरे का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए, वहां हम सभी को नंगा लेटे देखकर और अपनी दोनों बेटियों को भी हमारे साथ देखकर वो चकरा सी गयी, सोनी मेरे लंड को अन्दर लिए अभी भी मेरी छाती पर लेटी हुई हांफ रही थी..
मंजू ने अपनी बड़ी बेटी को नंगे मेरे ऊपर लेटे हुए देखा और वो समझ गयी की उसकी बेटी तो चुद चुकी है, ये सोचते ही उसके मुंह से एक हांफने जैसी आवाज निकल गयी,
जिसे सुनकर मैंने शीशे वाली जगह पर देखा और मंजू आंटी को अपनी तरफ देखते हुए पाकर मैं समझ गया की उन्होंने सभी कुछ देख लिया है.
ऋतू ने भी देखा की मैं शीशे वाली जगह देख रहा हूँ तो उसने भी वहां मंजू आंटी को खड़ा हुआ देखकर अपनी चूत चाटती मोनी को और जोर से अपनी चूत पर दबा दिया, मंजू आंटी की आँखें फैलती जा रही थी अपनी बेटियों की करतूते देखकर..
सोनी ने अपनी साँसे सँभालते हुए जब देखा की मेरी नजर कहाँ है तो वहां अपनी माँ को अपनी तरफ घूरते पाकर वो भी सहम सी गयी,
मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में पड़ा हुआ उसके अन्दर अजीब तरह की तरंगे छोड़ रहा था जिससे उसे बड़ा मजा आ रहा था पर एकाएक अपनी माँ को देखकर उसने मेरा लंड अपनी चूत में मसलना बंद कर दिया जिसकी वजह से वो बाहर आ गया और वो मेरे मुरझाये हुए लंड के ऊपर से हट कर बैठ गयी.
मोनी ने जब चूत चाटना बंद किया तो उसने अपना मुंह ऊपर किया, उसका पूरा मुंह ऋतू के रस से नहाया हुआ चमक रहा था, ऋतू उसकी माँ को पहले ही देख चुकी थी इसलिए उन्हें और किलसाने के लिए उसने मोनी को ऊपर खींचा और अपने होंठो से उसके रसीले होंठ चाटते हुए अपने ही रस का स्वाद लेने लगी और बोली "क्यों मोनी...मजा आया के नहीं.."
मोनी : "अरे ऋतू दीदी, सही में आपकी चूत का स्वाद बड़ा ही नशीला है, मेरा मन कर रहा था की आपका रस निकलता रहे और मैं पीती रहूँ.."
और उसने अपनी बड़ी बहन सोनी की तरफ देखा जो शीशे वाली जगह पर अपनी माँ को देखकर सहमी बैठी थी, मोनी ने भी जब देखा की उनकी माँ उन्हें चुदते हुए देख रही है तो वो भी डर गयी और सोचने लगी की अब क्या होगा.
वो ऋतू से बोली : "अरे ये तो मोम है ....हे भगवान्, उन्होंने सब कुछ देख लिया है...अब क्या होगा.."
मैं : " अरे डरो मत, कुछ नहीं होगा"
तभी बाहर का दरवाजा खुला और मंजू आंटी और पंकज अंकल नंगे ही हमारे कमरे मैं दाखिल हुए और आते ही चिल्ला कर बोले : "ये क्या हो रहा है, क्या कर रहे हो तुम लोग ..."
मैंने कहा : "यहाँ वही हो रहा है जो आपके कमरे में हो रहा है, और हम वही कर रहे हैं जो हमने कल आप लोगो के साथ किया था...यानी सेक्स."
मंजू : "पर ये हमारे बच्चे हैं, तुम ऐसे कैसे कर सकते हो"
मैंने कहा "क्या आपने हमारी मम्मी, जिनकी चूत और गांड अभी पंकज अंकल मार कर आ रहे हैं, और पापा, जिनका लंड मंजू आंटी अपनी चूत, गांड और मुंह में लेकर आ रही है, को बताया की कल आप लोगो ने हम दोनों भाई बहन की भी चुदाई की थी...नहीं ना..?
हमने आज रात आप लोगो को अपने दुसरे फ्रेंड्स के साथ और हमारे पेरेंट्स के साथ भी ग्रुप सेक्स करते हुए देखा, कल कोई और था आपके साथ जब आपने हमारे साथ सेक्स किया था, जब आप ये सब कर सकते हो तो सोनी और मोनी क्यों नहीं कर सकती"
"ये तो पागलपन है" मंजू आंटी चिल्लाई "तुम जानते भी हो की तुम क्या कह रहे हो"
"हाँ मैं जानता हूँ की मैं क्या कह रहा हूँ" मैंने कहा "सेक्स एक बड़ी ही मजेदार चीज है, अगर आपका कोई इमोशन इसके साथ जुड़ा ना हो तो इसमें सबसे ज्यादा मजा आता है, बहुत बढ़िया है ये, एक अच्छी excercise है ये तो"
"लेकिन हमारे बच्चे ..." मंजू ने फिर से कुछ कहना चाहा..
"ये अब बड़े हो रहे हैं...हैं ना..आपको तो इनपर नाज़ होना चाहिए की आपको देखकर ये सीख रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं..क्या आपको लगता है की जो आप कर रहे हैं वो सही है..?" मैंने कहा
"हम यहाँ अपने आप को discuss नहीं कर रहे हैं" पंकज ने कहा.
पीछे से आवाज आई "क्यों नहीं कर रहे हैं...जबकि ये सब कुछ आप लोगो से जुड़ा हुआ है" उन्होंने पीछे मूड़ कर देखा तो हमारे मम्मी पापा खड़े थे, वो भी बिलकुल नंगे.
"नहीं पूर्णिमा...आप समझ नहीं रहे हैं, ये इतना आसान नहीं है हमारे लिए.." मंजू ने मेरी माँ से कहा
"ये हमारे लिए भी आसान नहीं था, लेकिन फिर हमने भी ये कबूल कर लिया की हमारे बच्चे भी हम लोगो की तरह खुले विचारों वाले हैं..इसलिए हमने ये तय किया है की इन बच्चो को हमसे ही सीखना चाहिए..ना की किसी बाहर वाले से, जहाँ से कुछ और गड़बड़ की आशंका हो.." मम्मी ने उन्हें समझाते हुए कहा.
"थेंक यू मोम..." मैंने मम्मी को कहा और उठकर उनके पास जाकर खड़ा हो गया,
"क्या आप लोगो को हमारे बच्चो के साथ कल रात मजा आया था ?" मम्मी ने मंजू से पूछा
वो शर्मा सी गयी और बोली "मैं क्या कहूँ..ये दोनों कल जब नंगे हमारे पास आये तो हमसे ना कहा ही नहीं गया.."
"आप लोग इन्हें ना भी कर सकते थे, अगर आपके मन में अपने बच्चो के लिए अच्छे विचार हैं तो दुसरो के बच्चो के लिए भी वोही विचार होने चाहिए..." मम्मी ने कहा.
"मैं आपके कहने का मतलब समझ गयी..." मंजू ने गहरी सांस लेते हुए कहा "हमें तो बस अपनी बच्चियों को एकदम से सेक्स करते देखकर यकींन ही नहीं हुआ की वो इस उम्र में ये सब कर सकती हैं...मुझे इनकी चिता हो रही थी पर लगता है ये सच में बड़ी हो गयी हैं..."
"ओह मोम....हम ठीक हैं..हमें भी ये सब करने में बड़ा मजा आया" मोनी ने आगे बढ़कर अपनी माँ से कहा.
"आशु..ऋतू..नेहा..तुम सभी चलो यहाँ से, इन्हें आपस में बातें करके अब सब कुछ निपटाने दो.." पापा ने हमसे कहा.
"ठीक है..." ऋतू बोली और हम सभी अपने कपड़े पहनने लगे, ऋतू ने मोनी से कहा "तुम लोग हमारे कमरे में आ सकते हो...अगर तुम चाहो तो.."
मोनी बोली "बिलकुल...मुझे भी काफी मजा आया आज, हम जरूर आयेंगे"
सोनी जो बड़ी देर से खड़ी हुई सब बातें सुन रही थी, उसकी समझ में नहीं आ रहा था की क्या बोले,
उसकी चूत में अभी भी मेरे लंड की सनसनाहट हो रही थी, उसके मुंह में अभी भी ऋतू की चूत का स्वाद था जिसे वो कभी भी भुला नहीं सकती थी,
उसके सामने उसके पापा नंगे खड़े थे, उनका लम्बा लटकता हुआ लंड देखकर उसकी चूत में फिर से अजीब तरह की खुजली होने लगी, उसकी माँ के मोटे स्तन देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और उनकी गीली चूत देखकर उसे चाटने का मन करने लगा...
"माँ...आप हमसे नाराज तो नहीं हो ना.." वो धीरे -२ चलती हुई अपने पेरेंट्स के पास आई, चलने से उसके मोटे-२ चुचे उछल रहे थे और उसके निप्पल्स कड़क हो कर सामने की तरफ खड़े हो गए थे..
"हम तो बस surprised हैं..." मंजू ने कहा, ना जानते हुए की और क्या बोले..
"हम आपको नाराज नहीं करना चाहते थे..." सोनी ने अपनी नंगी खड़ी हुई माँ के चारों तरफ अपनी बाहें लपेटते हुए कहा "बस ये सब करने में काफी अच्छा लग रहा था, इसलिए सब कुछ होता चला गया"
"आर यू श्योर...तुम ठीक हो.." उसके पापा पंकज ने सोनी के कंधे पर हाथ रखकर कहा..
"हाँ पापा, मैं ठीक हूँ" और सोनी अपने पापा की तरफ मुंह करके उनसे लिपट गयी, उसके पापा ने अपनी बाहें उसके चारों तरफ लपेट दी, अब उनका लंड उसकी नाभि को छु रहा था.
पंकज ने जब अपनी बाहें अपनी बेटी सोनी के चारों तरफ लपेटी तो सोनी का हाथ अपने आप ही उनके लंड की तरफ चला गया और उसने लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबाना शुरू कर दिया,
पंकज के मुंह से एक छोटी सी सिसकारी निकल गयी, वो भी बड़ी देर से अपनी नंगी लड़कियों को देखकर अपने आप पर कण्ट्रोल कर रहा था,
पर जब उसने सोनी के चुचे अपनी छाती पर महसूस किये और उसके ठन्डे हाथों ने उसके गरम लंड को पकड़ा तो उसके सब्र का बाँध टूट गया और उसने अपनी आँखें बंद करके अपनी पकड़ और बढ़ा दी अपनी नंगी बेटी की कमर पर..
उधर मंजू अपनी छोटी बेटी मोनी की तरफ बड़ी जो अपनी टाँगे चोडी करे बैठी थी, जिसकी वजह से उसकी रसीली चूत की पंखुडियां खुल कर अन्दर की दीवारों की लालिमा दिखा रही थी, और उससे पूछा "तुम तो ठीक हो ना मोनी..."
"हाँ माँ, मैं ठीक हूँ ...मुझे सही में मजा आया जब आशु ने मेरी चूत में लंड डाला और उसकी बहन ने मेरी चूत को चाटा था.." मोनी ने चहकते हुए कहा.
"उसने तुम्हे कोई तकलीफ तो नहीं पहुंचाई" मंजू ने चिंता भरे स्वर में कहा.
"नहीं माँ...ये देखो..कितनी सुन्दर दिख रही है ये, खुलने के बाद..." और उसने अपनी उँगलियों से अपनी चूत को फैला कर दिखाया.
उसकी चूत में भी फिर से खुजली शुरू हो चुकी थी. वो अपनी माँ से बोली "माँ, क्या तुम मेरी चूत को चाट सकती हो जैसे आप दूसरी आंटियों की चाट रहे थे अपने कमरे में.."
"ये तुम क्या कह रही हो.." वो बोली
"प्लीज़ मोम...क्या आपको मेरी चूत अच्छी नहीं लगी.." उसने अपनी एक ऊँगली अन्दर डाली और रस से भीगी ऊँगली को अपनी चूत के चारों तरफ मसल डाला...
"तुम काफी सुन्दर हो बेटी..."उसकी नजर सम्मोहित सी अपनी बेटी की ताजा खुली चूत को निहारने में लगी हुई थी.."पर ये सब हमें आपस में नहीं करना चाहिए"
"ओह..छोड़ो इन सब बातों को, अगर मेरी चूत सुन्दर है तो प्लीज़ चाटो इसे.." और उसने अपनी माँ का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा..
मंजू ने एक गहरी सांस ली और अपनी बेटी की चूत की तरफ झुक गयी, बाकी काम मोनी ने किया, उस सर पकड़कर उसे अपनी चूत पर टिका दिया, अपनी माँ की गर्म जीभ अपनी चूत पर लगते ही उसकी सिसकारी निकल गयी,
मंजू ने भी जब अपनी बेटी की चूत में मुंह डाला तो अन्दर से आती भीनी खुशबू से उसके नथुने फड़क उठे और उसने अपनी जीभ और होंठ का इस्तेमाल करके अपनी बेटी की चूत को चाटना तेजी से शुरू कर दिया..उसे भी अब काफी मजा आ रहा था.
अपनी माँ को छोटी बहन की चूत चाटता देखकर, सोनी भी नीचे बैठ गयी और अपना मुंह खोलकर अपने पापा का खड़ा हुआ लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, उनके लंड से अलग-२ चूत के रस की खुशबू आ रही थी,
अपनी बेटी को अपना लंड चाटते देखकर पंकज ने अपनी आँखें बंद कर ली और उसके सर को पकड़ कर उसके मुंह में लंड अन्दर बाहर करके उसके कोमल से मुंह को चोदने लगा.
हम सभी वहां खड़े ये सब देख रहे थे और उनको शुरू होते देखकर हमारे अन्दर भी कुछ हलचल सी होने लगी,
सबसे पहले ऋतू हरकत में आई और उसने पापा का लंड पकड़ा और उन्हें लंड से घसीटते हुए बेड पर जाकर लेट गयी और उन्हें अपने ऊपर गिरा लिया, पापा का खड़ा हुआ लंड सीधा ऋतू की फड़कती हुई चूत में घुस गया और ऋतू ने अपनी टाँगे पापा की कमर में लपेट कर उसे पूरा अन्दर ले लिया..
आआआआआआआआआआआअह्ह्ह पाआअपाआआआआअ .......... म्मम्मम्मम
मम्मी ने भी मुझे बेड पर धक्का दिया और अपनी चूत को मेरे लंड पर टिका कर नीचे बैठ गयी और मेरा पूरा लंड हड़प कर गयी अपनी चूत में..
उयीईईईईईईईईईईईइ .......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह... उनके मुंह से एक लम्बी सी सिसकारी निकली..
नेहा भी जाकर नीचे लेटी मोनी के मुंह पर बैठ गयी और अपनी चूत उसके कोमल से मुंह पर रगड़ने लगी.
पुरे कमरे में अब सिस्कारियां गूंज रही थी.
सोनी नीचे बैठी अपने पापा का लंड बड़े मजे ले-लेकर चूस रही थी, उसे लग रहा था जैसे उसके बाप ने उसे पैदा ही उसका लंड चाटने के लिए किया है..
अपने पापा का लंड सोनी को बड़ा ही मीठा लग रहा था, अचानक उसके पापा, पंकज से सब्र नहीं हुआ और उन्होंने उसे उठाकर अपनी बाँहों में कैद कर लिया और अपने घनी मूंछो वाले होंठ उसके कोमल होंठो पर रख दिए..
सोनी हमेशा से ही अपने पापा की घनी मूंछो की दीवानी थी, वो फ़िल्मी एक्टर कमल हसन जैसी मूंछे थी, वो उन्हें अपनी जीभ से भिगो-भिगोकर चुबलाने लगी और उनके गीले होंठो से कबड्डी खेलने लगी, दोनों में ही एक दुसरे के होंठो को दबाने और चूसने की होड़ सी लगी हुई थी,
और फिर पंकज ने अपने होंठ उसकी गर्दन से चिपकाते हुए नीचे की तरफ जाना शुरू कर दिया...अपने पापा के गीले होंठो के स्पर्श से उसका शरीर सिहर रहा था, उसके लरजते हुए होंठो से अजीब-२ सी आवाजें आ रही थी, अपनी पतली उँगलियाँ वो अपने पापा के घने बालों में गुम-घुमाकर उन्हें और उत्तेजित कर रही थी,
पापा के होंठ जब उसके खड़े हुए उरोजों तक पहुंचे तो उसकी सिहरनता और भी बढ गयी, उसके मुंह से अपने आप एक मादक चीख निकल गयी
अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह पाआआआआआआआआआआआआआपाआआआ ..... म्म्म्मम्म्म्मम्म मूऊऊऊओ ....
उसने अपनी ऑंखें नीचे करके देखा तो उसके पापा अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसके निप्पल के चारों तरफ घुमा रहे थे, उसके कठोर निप्पल और एरोहोल पर उभरते छोटे -२ दाने उनकी कठोरे जीभ से टकरा कर सोनी को और भी उत्तेजित कर रहे थे,
सोनी चाहती थी की उसके पापा उन्हें और जोर से काटे, बुरी तरह से दबाये, वो अपने साथ उनसे वहशी जैसा बर्ताव करवाना चाहती थी, पर उसके पापा तो उसे बड़े प्यार से सहला और चूस रहे थे...इसलिए उसके मुंह से कुछ अजीब से शब्द निकलने लगे..
आआआआआह पपाआआअ जोरसे चुसो नाआआआअ..अपनी सोनी कोssssssssssssssssssss.....
हां ऐसे हीईईईईई आआआआआआआह्ह काआआआआतूऊओ मेरे निप्पल को दांतों सीईईईईईए आआआआअह्ह्ह्ह
दबाओ इन्हें अपने हाथों सीईईईईई.....आआआआआआआआह्ह्ह्ह
चबा दालूऊऊऊऊ इन्हीईईईईईए मत तडपाओ....ना पपाआआआ प्लीस .......
अपनी बेटी की बातें सुनकर पंकज समझ गया की वो जंगली प्यार चाहती है, इसलिए उसने अपनी फुल सी बेटी के जिस्म को जोर से मसलना और दबाना दबाना, चुसना और काटना शुरू कर दिया.
आआआआआयीईईईईईईईईईईईई हाआआआआआन्न ऐसे हीईईईईईईईइ उयीईईईईईईईईईइ नहीईईईईईईईई .....
अयीईईईईईईईईईईईईईइ ओह्ह्हह्ह्ह्हह्ह याआआआआआआआअ पपाआआआआआ येस पपाआआआ
म्मम्मम्मम्म मजाआआआआअ आआआआआआआआअ गयाआआआआआआआअ
वो अपने पापा का सर पकड़कर अपनी छाती पर घुमा रही थी, बेरहमी से काटने की वजह से उसके सफ़ेद उरोजों पर गहरे लाल निशान बन गए थे, जिनपर उसे दर्द भी हो रहा था पर अपने पापा के साथ प्यार का खेल खेलने और मजे लेने के चक्कर में उसे ये दर्द भी मीठा लग रहा था..
पंकज ने उसके सपाट पेट को चुमते हुए नीचे की तरफ जाना शुरू किया और अंत में अपने पंजो और घुटनों के बल बैठ कर उन्होंने सोनी के एक पैर को अपने कंधे पर रख कर उसकी आग उगलती चूत के ऊपर अपना मुंह लगा दिया.
आआआआआआआआआआआआह्ह्ह पापा.......
सोनी बड़े प्यार से अपने प्यारे पापा को देख रही थी, पंकज उसकी चूत को चाटते हुए उसे एकटक देख रहा था
और जोर से पपाआआआआआ ...सोनी चिल्लाई..
और उसके पापा ने चूत चाटने की स्पीड और बड़ा दी..आज ही उसकी चूत को मैंने फाड़ा था इसलिए थोड़ी बहुत सुजन आ गयी थी उसपर, पर उसके पापा की जीभ उसकी चूत पर मरहम का काम कर रही थी, इसलिए उसे भी बड़ा ही मजा आ रहा था.
थोड़ी ही देर में उसकी चूत में फिर से वोही अजीब तरह की तरंगे उठने लगी और अचानक ही उसने अपनी चूत से अपने अन्दर का लावा बाहर उड़ेल दिया..नीचे बैठे उसके पापा को जैसे एक झटका सा लगा पर उन्होंने अपना मुंह नहीं हटाया उसकी चूत से और सारा गर्म पानी पी गए वो अपनी प्यारी सी बेटी का.
वो हवा में अटकी हुई हांफ रही थी, उसका शरीर निढाल सा हो गया और उसने अपने गोल चुचे पापा के सर से सटा दिए और गहरी साँसे लेने लगी.
पंकज का लंड अभी भी खड़ा था, उसने अपने बेटी को अपने ऊपर लिटाया और अपना हाथ नीचे करके अपना लंड उसकी नन्ही सी चूत में फंसा दिया..वो अभी अपने ओर्गास्म से संभल भी नहीं पायी थी की उसके पापा के एक तेज धक्के ने उनका पूरा आठ इंच का मोटा लंड उसकी चूत में उतार दिया...
अयीईईईईईईईईईईईईईईईई पपाआआआआआआआअ वो चिल्ला पड़ी...
सभी की नजरें उस तरफ उठ गयी, उसकी पत्नी मंजू, जो अपनी छोटी बेटी की चूत चाट रही थी, वो उठी और अपने पति से बोली "पंकज डार्लिंग....थोडा धीरे करो....अपनी ही बच्ची है...", पंकज ने उसे देखा और अपना सर हिला कर आश्वासन दिया और फिर दोनों अपने काम में लग गए.
पापा का पूरा लंड अपनी चूत में लेकर सोनी थोड़ी देर तक नम सी होकर लेटी रही और फिर पापा ने जब नीचे से धीरे-२ धक्के मारने शुरू किये तो उसके गोल चूतड भी थिरक-थिरककर अपने पापा का साथ देने लगे..
हर धक्के के साथ उसके अन्दर का आनंद और भी बढता जा रहा था, उसने अपने पापा को बेतहाशा चूमना और चुसना शुरू कर दिया...
पुछ्ह्ह्हह्ह्हह्ह .....हाआआआआन्न पपाआआआआआअ और तेज.......और तेज....और तेज....हाआआअन ऐसे ही...
आआआआआह्ह म्मम्मम्मम्म ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह हा अ हा हा हा हा हा हा.....
पंकज भी अपनी बेटी को चोदते हुए उसके चुचों का रसपान कर रहा था, जिसकी वजह से सोनी और तेजी से मचलने लगी,
उसकी चूत से फिर से एक सैलाब निकलने की तय्यारी करने लगा, पंकज ने भी जब देखा की वो झड़ने वाला है तो उसने अपना लंड बाहर निकालने की सोची पर सोनी ने उसे रोक दिया और उनकी आँखों में देखकर बोली....
नहीईईईई पपाआआआआअ...बाहर नहीईईई.....अन्दर ही डालो........प्लीज़...........
पंकज को अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ, की उसकी सगी बेटी अपने पापा का रस अपनी कमसिन चूत में चाहती है...उसने ज्यादा न सोचते हुए अपना लंड उसकी चूत में खाली करना शुरू कर दिया..
आआआआआआआआआआआअह्ह्ह वो जोर से चिल्लाये....
और एक के बाद एक कई झटके उसकी कमसिन सी चूत में देकर वो झड़ने लगे..अपने पापा का गरमागरम रस अपनी चूत में पाकर सोनी भी निहाल सी हो गयी और उसके अन्दर के सेलाब ने भी अपने पापा के लंड के ऊपर ही अपना असर दिखाते हुए झड़ना शुरू कर दिया.
आआआआआआआआआआआआह्ह पपाआआ...म्म्म्मम्म्म्मम्म ......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....मजा आ गया.....पापा...
और उसने अपने पापा को चूम लिया
थोड़ी देर लेटने के बाद वो उठी और लंड को बाहर निकाला, लंड के बाहर आते ही उसकी चूत में से ढेर सारा रस निकल कर लंड के ऊपर गिर गया,
वो नीचे हुई और लंड के चारों तरफ फैले अपने और पापा के रस को चाटने लगी और फिर रसीले लंड को अपने मुंह में लेकर चूसकर उसे भी साफ़ कर दिया, दुसरे हाथ से अपनी चूत के अन्दर के रस को भी समेटा और उसे भी चाट कर गयी..
"म्मम्मम्मम्म पापा आपका रस तो बड़ा ही मीठा है....आज से रोज सुबह मैं जूस के बदले आपके लंड का रस पियूंगी.."
पापा भी अपनी बेटी की भोली सी बात पर मुस्कुरा दिए.
मेरा लंड भी अपनी मम्मी की चूत के अन्दर काफी तेजी से आ जा रहा था, आज वो काफी खुल कर चुदाई करवा रही थी, उनके मोटे-२ चुचे मेरे मुंह पर थपेड़े मार रहे थे, मैंने उनके मोटे कूल्हों को पकड़ा हुआ था और अपनी एडियों के बल उठ कर, नीचे लेटा उनकी चुदाई कर रहा था, उनके मुंह में सिस्कारियों की झड़ी लगी हुई थी.
.उफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फ़ अआः अह अह अह अह अह अ होफ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ फक्क मीई......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाआआआआन्न ....
और अंत में उन्होंने अपनी गर्म चूत में से मलाईदार रस छोड़ना शुरू कर दिया...
आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मैं तो गयीईईईईईईईईईइ..........ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह गोड........
मैंने उन्हें नीचे लिटाया और अपना लंड निकालकर, उनकी दोनों टाँगे उठा कर, अपने लंड को उनकी गांड में लगा दिया, उनकी आँखें विस्मय से फ़ैल गयी...
मैंने जब से अपनी माँ को चुदते हुए देखा था, मैं तभी से उनकी मोती और फूली हुई गांड मारना चाहता था, आज मोका लगते ही मैंने अपना लंड टिकाया उनकी गांड के पर और एक तेज धक्का मारा.....
आआआआआआआआह्ह्ह्ह वो चिल्ला पड़ी...
उनकी गांड का कसाव सही में लाजवाब था, मैंने तेजी से झटके देने शुरू किये, गांड के कसाव के कारण और उनके गद्देदार चूतड़ों के थपेड़ों के कारण मुझे काफी मजा आ रहा था.
मेरे नीचे लेटी माँ की चूचियां हर झटके से हिल रही थी, उन्होंने उसे पकड़ कर उन्हें दबाना शुरू कर दिया और मेरी आँखों में देखकर सिस्कारियां सी भरने लगी....
आआआआआआअह्ह्ह म्मम्मम्मम ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ अह्ह्ह्ह शाबाश बेटा.....और तेज करो.....हाँ ऐसे ही......आआआह्ह्ह्ह
वो दोबारा उत्तेजित हो रही थी...मेरे हर झटके से वो अपनी गांड हवा में उठा कर अपनी तरफ से भी ठोकर मारती थी....और जल्दी ही मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैंने एक तेज आवाज निकालते हुए उनकी कसी हुई मोटी गांड में झड़ना शुरू कर दिया...
आआआआआआआह्ह मोम्म्म्म .......मैं आआयाआआआआ .....आआआआआआअह्ह्ह
उन्होंने मेरे सर के ऊपर हाथ रखा और बोली....
आजाआआआ मेरे लाआआअल्ल ..... आआआआआआअह्ह्ह और वो भी झड़ने लगी.
अपने जवान बेटे की चुदाई देखकर उनकी आँखों से ख़ुशी के मारे आंसू आने लगे और वो मुझे गले लगाये, मेरे लंड को अपनी गांड में लिए, लेटी रही.
पापा भी आज काफी खुंखार दिख रहे थे, उन्होंने ऋतू की चूत का भोसड़ा बना दिया अपने लम्बे लंड के तेज धक्को से, ऋतू तो जैसे भूल ही गयी थी की वो कहाँ है...अपने पापा के मोटे लंड को अन्दर लिए वो तेजी से चिल्ला रही थी....
आआआआआआह्ह्ह पपाआआआ और तेज मार साले.....बेटी चोद...भोंस्डीके...मार अपनी बेटी की चूत.......आआआआआआआआह माआआआअर कुत्ते........ओफ्फफ्फ्फ़ अयीईईईईईईईई
वो बडबडा भी रही थी और सिस्कारियां भी मार रही थी....
जल्दी ही दोनों अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गए और ऋतू ने अपनी टाँगे पापा की कमर के चारों तरफ लपेट ली और अपने दोनों कबूतर उनकी घने बालों वाली छातियों में दबाकर और उनके होंठो को अपने होंठो में फंसाकर वो झड़ने लगी..
आआआआआआआआआआआह्ह्ह पपाआआआआआआआअ म्मम्मम्मम्म
अपने लंड पर बेटी के गर्म रसाव को महसूस करते ही उनके लंड ने भी अपने बीज अपनी बेटी के खेत में बो दिए....
और वो भी झड़ते हुए उसके नर्म और मुलायम होंठो को काटने लगे....और उसके ऊपर ही ढेर हो गए.
उधर अपनी बेटी की चूत चाटते हुए मंजू आंटी भी काफी उत्तेजित हो चुकी थी, अपने एक हाथ से वो खुद ही खुजला कर अपनी चूत की गर्मी बाहर निकाल रही थी,
मोनी जो नीचे लेटी अपनी चूत अपनी माँ से चटवा रही थी और खुद वो नेहा की चूत को चाट रही थी, उसके शरीर के अन्दर अचानक एक सुरसुराहट सी होने लगी...
वो कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसकी चूत के अन्दर से पेशाब का एक फव्वारा सा फुट निकला और उसकी माँ मंजू के मुंह से जा टकराया...
मंजू आंटी पहले तो चोंक गयी पर फिर अन्दर से आती गर्म पेशाब की फुहारों को अपने मुंह से टकराते पाकर उन्हें भी काफी मजा आने लगा और वो अपना मुंह अपनी बेटी मोनी की चूत से थोडा दूर किये , अपनी आँखें बंद करके उस गर्म बारिश का मजा लेने लगी...
जब बारिश बंद हुई तो उन्होंने अपना मुंह दोबारा अपनी बेटी की चूत में लगा दिया..जल्दी ही मोनी के शरीर में असली वाली सुरसुराहट होने लगी...
अब वो जान गयी थी की वो झड़ने वाली है इसलिए उसने अपने ऊपर बैठी नेहा की चूत को और तेजी से चुसना शुरू कर दिया...
नेहा भी अपनी चूत पर ये तेज हमला बर्दाश्त नहीं कर पायी और वो झड़ने लगी, उसका गर्म अमृत नीचे लेटी मोनी में मुंह के अन्दर तक जा रहा था...
नेहा के झड़ते ही उसकी चूत ने भी अपना रस अपनी माँ के मुंह में दाल दिया और वो उसे सड़प-२ करके पीने लगी...
नेहा ने झड़ने के बाद नीचे उतर कर मंजू आंटी की चूत पर अपना मुंह लगा दिया और उसके अन्दर से कुछ खींचने की कोशिश करने लगी,
जल्दी ही उनका रस बाहर की तरफ खींचता चला आया और उसके मुंह से जा टकराया...वो भी उसे जल्दी से पीने लगी.
पुरे कमरे में सेक्स की खुशबू आ रही थी...सभी ने थोड़ी देर नंगे लेटे हुए बातें करी और दोबारा मिलने का वादा करके हम सभी ने अपने कपडे पहने और बाहर निकल गए.
आज के इस ग्रुप सेक्स ने हम सभी को काफी नजदीक ला दिया था..
हम सभी अपने कमरे में पहुंचे और दरवाजा खोलते ही हम हैरान रह गए, अन्दर अजय चाचू और आरती चाची के साथ रेहान और हिना थे..
अजय चाचू किसी पागल कुत्ते की तरह नंगी लेटी हिना की चूत में अपना मुसल जैसा लंड पेल रहे थे, और वो चुद्दकड़ आरती चाची तो रेहान के मुसल लंड को देखकर बिफर सी गयी और उसके मोटे लंड पर चढ़ कर अपनी बुर को बुरी तरह से रगड़ रही थी.
हम सभी को देखते ही अजय चाचू और आरती चाची मुस्कुरा दिए और बोले
"अच्छा हुआ आप लोग आ गए, ये दोनों बच्चे आशु और ऋतू को पूछते हुए आये थे और मैं और आरती चुदाई में लगे हुए थे, इन्होने बिना किसी तक्कलुफ़ के हमारे साथ शामिल होने की बात कही...और हम इन्कार नहीं कर पाए...देखो तो कैसे आरती उछल-२ कर रेहान के मोटे लंड से चुदवा रही है...और ये हिना तो बड़ी ही प्यारी है..इसकी टाइट चूत को मारकर इतना मजा आ रहा है की मैं क्या बताऊँ..."
मैंने देखा की हिना ने हम सभी की आवाजें सुनते ही अपनी ऑंखें खोली और मेरी तरफ देखकर एक आँख मार दी, उसे चाचू के लंड को अपनी चूत में डलवाने में बड़ा ही मजा आ रहा था,
उसके मोटे चुचे हर झटके के साथ आगे पीछे हो रहे थे, उसकी टाँगे हवा में थी, और हाथ सर से ऊपर...पूरी चुद्दकड़ बन चुकी थी वो पिछले दो दिनों में..
आरती चाची भी हमारी तरफ मुडी और मम्मी को देखकर बोली..."आओ दीदी...यहाँ आ जाओ...बड़ा ही मजा आ रहा है.....मेरी तो काफी दिनों से इच्छा थी की किसी मोटे लंड से चुदाई करवाऊ...और मेरी ये इच्छा आज पूरी हुई है...मजा आ गया इस मोटे का लंड लेने में..आआआआआआआअह्ह्ह्ह ."
हम सभी अभी-२ चुदाई करके आये थे, इसलिए थोडा थक गए थे, हमने ये बात चाचू को बताई और कहा तुम मजे लो हम थोड़ी देर बैठ कर आप लोगो की चुदाई देखेंगे..और फिर शामिल भी हो जायेंगे..
और वो चारों फिर से अपनी चुदाई में लग गए..
मम्मी, ऋतू और नेहा बड़े ही गौर से रेहान को आरती चाची की चुदाई करते हुए देख रहे थे और पापा एक नयी लड़की को देखकर फिर से ताव में आने लगे थे, हिना के दिलकश चुचे उनकी आँखों में एक अलग ही चमक पैदा कर रहे थे.
नेहा तो पहले से ही रेहान के लंड की दीवानी थी और आज उसकी चूत में कोई लंड भी नहीं गया था, इसलिए वो आगे बढ़ी और अपनी मम्मी के पास जाकर खड़ी हो गयी..आरती चाची ने जब देखा की उनकी बेटी बड़े चाव से उसे चुदते हुए देख रही है तो उसने उसे पुचकारकर अपने पास बुला लिया और उसे अपने झूलते हुए चुचे पर झुका कर उसके मुंह में अपना निप्पल दाल दिया...
आआआआआआआआआह्ह्ह्ह वो धीरे से चिल्लाई...
नेहा ने अपने दांतों से अपनी माँ के दाने को चुसना शुरू कर दिया...नीचे से रेहान का लंड और ऊपर से अपने दाने पर बेटी के होंठो का दबाव पाकर आरती चाची रेहान के लंड पर नाचने सी लगी....
पापा तो जैसे हिना के हुस्न को देखकर सब कुछ भूल से गए थे..वो अपने छोटे भाई को हिना की चूत मारते देखकर फिर से उत्तेजित हो गए और अपना लटकता हुआ लंड मसलते हुए उनके पास जाकर खड़े हो गए.. हिना ने जब देखा की मेरे पापा उसके पास खड़े हैं तो उसने मेरी तरफ देखा..मैंने सर हिला कर उसे इशारा किया और वो समझ गयी की ये मेरे पापा हैं...उसने मुस्कुराते हुए हाथ बड़ा कर मेरे पापा का लंड पकड़ लिया...
स्स्स्सस्स्स्स उनके मुंह से एक सिसकारी सी फुट गयी...
अपनी बेटी की उम्र की जवान लड़की अगर लंड पकडे तो ऐसा ही होता है...
फिर उसने लंड को दबाना और मसलना शुरू कर दिया..जल्दी ही उनका विशाल नाग अपने पुरे शबाब पर आ गया..हिना भी उनके लम्बे लंड को देखकर हैरान रह गयी...चाचू ने जब देखा की पापा पूरी तरह तैयार हैं तो उन्होंने हिना की चूत से अपना लंड बाहर निकाल लिया और पापा से बोले..
"भैय्या आप आ जाओ..आप मारो इस गर्म कुतिया की चूत.."
"अरे नहीं अजय...ऐसे कैसे...तुम एक काम करो..तुम नीचे लेट कर इसकी चूत मारो और मैं पीछे से इसकी गांड मरूँगा..." पापा ने कहा.
"नहीईई ... "हीना जोर से चिल्लाई "मेरी गांड में अभी तक किसी ने ऊँगली भी नहीं डाली है..अगर मारनी है तो मेरी चूत ही मारना...वहां तो बड़ा ही दर्द होगा.."
वो गांड से कुंवारी है..ये सुनते ही पापा की आँखों में एक अजीब सी चमक आ गयी..
और वो बोले "अरे बेटा...कोई बात नहीं ...अगर तुम अपनी गांड नहीं मरवाना चाहती हो तो कोई बात नहीं...हम दोनों भाई तुम्हारी चूत में ही लंड डालकर गुजारा कर लेंगे...पर क्या हम दोनों एक साथ तुम्हारी चूत तो मार ही सकते है...तुम अजय पर उलटी होकर लेट जाओ..वो नीचे से अपना लंड तुम्हारी चूत में डालेगा और फिर थोड़ी देर बाद वो निकाल लेगा और मैं पीछे से डाल दूंगा...ये तो ठीक है न..."
"ह्म्म्म जी अंकल..." उसने समझते हुए कहा.
मैं पापा की योजना समझ तो गया था पर देखना चाहता था की वो क्या करते हैं...वैसे उनकी बातें सुनकर और चुदाई देखकर मेरे लंड ने भी हरकत करनी शुरू कर दी थी..
ऋतू भी अपने होंठो पर जीभ फिर कर अपने एक हाथ को अपनी चूत पर रगड़ रही थी
अजय चाचू नीचे लेट गए और उन्होंने हिना को अपने ऊपर खींच लिया और अपना लंड वापिस उसकी चूत में डाल दिया..नीचे से लंड डालने के एंगल से लंड पूरी तरह उसकी चूत में जा रहा था..
आठ दस धक्के मारने के बाद चाचू ने अपना लंड निकाल लिया और पीछे खड़े पापा ने अपना मोटा लंड टिका दिया उसकी फुद्दी पर...और एक करार झटका मारा..
अयीईईईईईईईईईइ मर्र्र्रर्र्र्र गयीईईईईई अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह और हिना लुडक कर चाचू के ऊपर गिर गयी...
पापा का मोटा लंड उसकी कमसिन सी चूत के अन्दर घुस गया था और चूत के नए दरवाजे खुल गए थे जहाँ और किसी का लंड अभी तक नहीं पहुंचा था...उसके गुदाज चुचे चाचू के मुंह के ऊपर थे..
उनके तो मजे हो गए, उन्होंने उन चुचों को चुसना शुरू कर दिया...जिसकी वजह से हिना का दर्द भी थोडा कम हुआ...पीछे से रेलगाड़ी फिर चल पड़ी और पापा उसके मोटे चूतडों को थामे जोर-२ से धक्के मारने लगे...हिना का दर्द भी अब कम हो गया था और उसकी सिस्कारियां गूंजने लगी मजे के मारे
हम्म्म्म अ हा हा अ अह अह आः ऊओफ उफ ओफ्फोफ़ ऑफ़ ऑफ़ ऑफ़ उफ ऑफ ऑफ ऑफ़ आह आह्ह ........म्मम्मम जोर से करो ना......अंकल.....प्लीज़....और तेज मारो.....
तभी पापा ने अपना लंड निकाल दिया उसकी चूत से ... अब चाचू की बारी जो थी..
वो परेशान सी हो गयी...
लेकिन अगले ही पल चाचू ने नीचे से फिर से अपना लंड दाल दिया...और वो फिर से खो गयी चुदाई की खाई में...
.थोड़ी देर बाद जब दोबारा पापा का नंबर आया तो उन्होंने थोड़ी देर तक लंड नहीं डाला...वो चाचू के ऊपर उलटी पड़ी हुई मचल रही थी...अपनी मोटी गांड पीछे करके पापा के लंड का इन्तजार कर रही थी....
डालो ऩाSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS प्लीज़.......वो चिल्लाई...
पापा ने अपना गीला लंड इस बार उसकी गांड के छेद पर रख दिया...वो समझ गयी और चिल्लाई..
नहीईईई .....वहान्न्न्नन्न नहीईईईईईईईईइ प्लीस ........
पर तब तक देर हो चुकी थी...पापा के एक झटके ने उसे चाचू के ऊपर फिर से गिरा दिया...और इस बार पापा का लंड उसकी गांड के छेद को फाड़ता हुआ अन्दर जा धंसा...उनके लंड का सुपाडा अन्दर जाकर अटक गया था...उन्होंने रहम नहीं किया और एक और धक्का मारा...
आआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मरररर गयीईईईईईईईईइ .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
पापा के दो चार और तेज झटकों ने उसकी गांड का बैंड बजा दिया..उनका पूरा आठ इंच लंडा लंड उसकी गांड में घुस चूका था...
नीचे से चाचू ने फिर से उसके दानो से दूध पीना शुरू कर दिया...वो हिल भी नहीं पा रही थी...पापा बड़ी ही बेरहमी से उसकी गांड मार रहे थे...
अचानक चाचू ने नीचे से अपना लंड उसकी चूत में लगा दिया...और पापा के द्वारा दिए तेज झटके से उनका लंड उसकी चूत के अन्दर तक चला गया....
अब दोनों भाई उसकी कुँवारी गांड और कमसिन चूत एक साथ मार रहे थे....बड़ा ही कामुक दृश्य था...
ऋतू भी अपने पापा और चाचू की कलाकारी देखकर मंत्र मुग्ध सी उन्हें देख रही थी...उसने अपने पुरे कपडे उतार फैंके और मेरे साथ लिपट गयी.
मेरे कपडे भी कुछ ही देर में नीचे जमीन पर पड़े हुए थे..
रेहान के मोटे लंड पर बैठी आरती चाची अचानक जोर-२ से चिल्लाने लगी...
आआआआआआह्ह अह अह अह अ हा आह आह आह आह उफ उफ उफ उफ उफ आआआआआआअह्ह और तेज मार साले कुत्ते.....आआआआआअह्ह मजा आ गया....और उसने अपना रस छोड़ दिया रेहान के लंड के ऊपर...
वो हटी और नेहा ने कब्ज़ा जमा दिया उसके लंड पर...रेहान ने नेहा को नीचे पटका और अपना मुसल डाल दिया बेचारी नेहा की छोटी सी चूत में......वो मजे से चिल्लाई....आआआआआआआआअह्ह रेहाआआआआन .......म्मम्मम्म ..
ऋतू ने मुझे धक्का देकर मुझे नीचे गिराया और मेरे लंड को अपनी गीली चूत पर टीकाकार उसके ऊपर बैठ गयी...
म्म्मम्म्म्मम्म ......
और धक्के मारने लगी...मैंने अपने हाथ अपने सर के नीचे रख लिए और लंड को अपनी बहन की चूत में डाले मजे लेने लगा.
मम्मी आगे आई और गहरी सांस लेती अपनी देवरानी आरती की चूत को किसी पालतू कुतिया की तरह चाटने लगी...चाची ने भी सर घुमा कर मम्मी की चूत पर अपने होंठ टिका दिए..और दोनों 69 की अवस्था में एक दुसरे को चूसने लगे.
वहां रेहान ने नेहा की चूत को ऐसे चोदा की उसकी चीखें निकल गयी..और वो भी झड़ने लगी....
आआआआआअह्ह्ह्ह रेहाआआआआन्न मैं तो गयीईईईइ.......और वो भी गहरी साँसे लेने लगी..
साले रेहान ने दोनों माँ बेटी को चोद दिया था और फिर भी उसका मुसल खड़ा हुआ था...
उसने चारों तरफ देखा ...उसकी बहन को पापा और चाचू एक साथ चूत और गांड में चोद रहे थे...उसने हमारी तरफ देखा और पीछे आकर अपना लंड ऋतू की गांड के छेद में फंसा दिया...
ऋतू को जैसे ही रेहान के मोटे लंड का एहसास अपनी गांड के छेद में हुआ वो सिहर उठी...उसने डबल पेनेटरेशन कभी भी नहीं किया था...
उसने भी अपनी गांड के छेद को फैलाया और उसके अन्दर रेहान ने तेज शोट मारकर अपना
लंड धकेल दिया..
आआआआआआआआह्ह्ह वो चिल्ला उठी...
भले ही उसकी गांड पहले फट चुकी थी पर रेहान के मोटे लंड ने उसे और भी ज्यादा फाड़ कर रख दिया....अब पुरे कमरे में दो लड़कियां चार लंड ले रही थी एक साथ...
रेहान ने ऋतू की चूत से अपना लंड निकाल लिया...
ऋतू ने हैरानी से पीछे मुड कर देखा और रेहान ने अपना लंड उसकी चूत पर टिका दिया...
मेरा लंड पहले से ही वहां पर था...उसके मोटे लंड का एहसास पाकर मैंने अपना लंड बाहर निकालना चाहा की शायद वो मेरी बहन की चूत मारना चाहता है....
पर उसने दबाव डाल कर मेरे लंड को बाहर नहीं आने दिया..और अपना लंड उसी छेद में फंसा कर एक तेज झटका मारा....
ऋतू की चूत के धागे खुल गए....उसका मुंह खुला का खुला रह गया....
"अयीईईईईईईईईईईईइ मर्र्र गयीईई साले कुत्ते...भेन के लंड...निकाल अपना लोडा मेरी चूत से.....फट गयी....आआआआआआह्ह्ह्ह ..." उसकी आँखों से आंसू आने लगे.
उसकी नन्ही सी चूत में दो विशालकाय लंड जा चुके थे...
..उसकी चूत में तेज दर्द हो रहा था....शायद वो थोड़ी फट भी गयी थी और खून आ रहा था...
पर रेहान नहीं रुका और उसने एक और शोट मारकर अपना लंड पूरा उसकी चूत में डाल दिया...
मेरे लंड के साथ एक दूसरा लंड अब ऋतू की चूत में था..हम दोनों का लंड एक दुसरे की घिसाई कर रहा था...और दोनों की गोलियां एक दुसरे के गले मिल रही थी....
ऋतू के लिए ये एक नया एहसास था..उसकी चूत की खुजली अब शायद मिट जाए ये सोचकर मैंने फिर से नीचे से धक्के देने शुरू कर दिए...
रेहान ने भी मेरे साथ ताल मिलायी और अब हम दोनों उसकी नन्ही सी चूत में अपने-२ लंड पेल रहे थे...
दो लंड जल्दी ही अपना रंग दिखने लगे...और ऋतू की दर्द भरी चीखें मीठी सिस्कारियों में बदल गयी....
आआआआआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्म .....साले कुत्ते.....रेहान.....तुने तो मेरी चूत ही फाड़ डाली.....आआआआअह्ह्ह पर जो भी है....म्मम्मम्म मजा आ रहा है........मारो अब दोनों....मेरी चूत को....आआआआह्ह्ह्ह
और फिर तो हमने उसकी जो रेल बनायीं...जो रेल बनायीं....वो देखते ही बनती थी..
हिना की हिम्मत भी अब जवाब दे रही थी....उसकी गांड के अन्दर सबसे पहले पापा ने अपना वीर्य छोडा...आआआआआआआआअह्ह्ह्ह वाह मजा आ गयाआआ.....वो चिल्लाये....
हिना भी अपनी गांड में गर्म लावा पाकर पिघलने लगी और चाचू के लंड को और अन्दर तक घुसाकर कूदने लगी..जल्दी ही चाचू और हिना भी एक साथ झड़ने लगे...
आआआआआअयीईईईईईईइ ....म्मम्मम्म मैं तो गयी.........आआआआआअह्ह्ह्ह ..... ऊऊओफ़ गोड..
मैं भी अपनी मंजिल के काफी करीब था...रेहान का भी वोही हाल था, वो पहले ही दो चूतें मार चूका था इसलिए वो भी झड़ने वाला था...
ऋतू तो ना जाने कितनी बार झड चुकी थी अपनी चूत में दो-२ लंड लेकर....
सबसे पहले रेहान ने पिचकारी मारी...अपने लंड के चारों तरफ, ऋतू की चूत में और किसी के लंड का गर्म पानी पाकर एक अजीब सा एहसास हुआ...
मैंने भी उसी पानी में अपना पानी मिला कर उसकी चूत को भिगोना शुरू कर दिया....
दोनों के लंड से निकलता पानी उसकी नन्ही सी चूत में नहीं आ पा रहा था और वो नीचे की तरफ रिसता हुआ गिरने लगा....
मम्मी भी आरती चाची के चूसने की वजह से झड़ने लगी.
ऋतू उठी और मेरे और रेहान के लंड को एक साथ अपने मुंह में लेकर चूसने लगी...और फिर उसने पेट पर गिरे वीर्य को भी साफ़ किया..सारा रस पीने के बाद उसने जोर से डकार मारा....और हम सभी की हंसी निकल गयी...
हम सभी चुदाई करने के बाद इतने थक चुके थे की हिलने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी, पापा ने रेहान और हिना से कहा के तुम लोग आज यहीं सो जाओ.
तो रेहान बोला "नहीं अंकल इसकी क्या जरुरत है, हमारा काटेज पास ही में है, हम चले जायेंगे, और वैसे भी मम्मी पापा हमारा वेट कर रहे होंगे..हम कल फिर आयेंगे "
"अरे नहीं रेहान...मेरा मन नहीं है आज यहाँ से जाने का.." हिना ने कहा, वो अपनी चूत और गांड से रिसते हुए रस को अपनी उँगलियों से मसल रही थी. उसकी चूत में लगता है और भी खुजली बाकी थी.
मैंने रेहान से कहा "एक काम करते हैं..हम अंकल आंटी को बोल के आते हैं की तुम दोनों आज रात को यहीं रुकने वाले हो...ठीक है ना.." मैंने उन दोनों से कहा और ऋतू की तरफ देखा.
"हाँ ठीक है...तुम जाकर उनसे कह दो..अगर वो मान जाते हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है.." रेहान अपनी ख़ुशी को काबू में करते हुए बोला.
मैंने ऋतू को इशारा किया अपने साथ चलने के लिए और वो झट से कपडे पहन कर मेरे साथ बाहर की और चल दी.
बाहर काफी ठण्ड थी, सभी अपने-२ काटेज में जा चुके थे, काफी सुनसान हो चूका था सब कुछ.
ऋतू ठण्ड में अकड़ी हुई सी मेरे से चिपक कर चल रही थी, मैंने अपना हाथ उसकी कमर में डाल रखा था.
थोड़ी ही देर में हम दोनों रेहान के काटेज में पहुँच गए..मैंने दरवाजा खडकाया और अन्दर से एक बहुत ही खुबसूरत लड़की बाहर निकल कर आई...
"हाँ जी कहिये.." उसने अपनी सुरीली सी आवाज में कहा. उसने पीले रंग का सूट पहना हुआ था, एक दम गोरी चिट्टी, पतली कमर, फैले हुए कुल्हे, मोटे-२ लटकते हुए उसके चुचे जिनपर उसने चुन्नी भी नहीं डाल रखी थी,
नीचे उसकी सलवार उसकी मोटी टांगो से चिपकी हुई थी, जिसकी वजह से उसकी मोटी टांगो की सुडोलता साफ़ दिखाई दे रही थी.
"जी मैं आशु हूँ और ये ऋतू है.." मैंने कहा..
"अच्छा तो अब आये हो आप लोग...कितनी देर से इंतज़ार कर रहे थे हम दोनों आपका..." उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अन्दर धकेल लिया..ऋतू भी मेरे पीछे -२ अन्दर आ गयी.
"आ गए क्या वो लोग..." अन्दर से एक मोटी सी आवाज आई...और अगले ही पल एक भीमकाय सा इंसान बाहर आया, उसने सफ़ेद कुर्ता पायजामा पहन रखा था, पायजामा घुटनों से थोडा नीचे था, सर पर गोल टोपी, काला रंग, पेट निकला हुआ, पान वाले लाल होंठ, बिना मूंछ के लम्बी दाड़ी जिसमे आधे से ज्यादा बाल सफ़ेद थे.
"आओ -२ ... मेरा नाम रूबी है और ये हैं मेरे पति नाज़िर खान ..." उसने अपनी सुरीली आवाज में कहा.
मैं तो हैरान रह गया, मुझे लगा था की वो शायद रेहान की बड़ी बहन है पर ये तो उसकी माँ निकली..
और क्या माँ थी...साली की जवानी अभी तक बरकरार थी..उसे देखकर लगता ही नहीं था की वो दो-दो जवान बच्चो की माँ है...
और उसका पति उसके बिलकुल विपरीत था..पता नहीं ऐसे लोगो को इतनी ख़ूबसूरत बीबी कैसे मिल जाती है...
मैं सोच ही रहा था की रेहान के अब्बा बोले "मैंने दो बार फ़ोन करा था organisers के पास पर उन्होंने कहा की आज हमारे पास आने के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा है...फिर तुम कैसे आये..
और वैसे भी काफी देर हो चुकी है , हमारे बच्चे भी function से आते ही होंगे.. " पर तभी उसने ऋतू की तरफ देखा, उसको देखते ही उसके बड़े से पायजामे में एक हलचल सी हुई..
जिसे मैंने तो देखा ही, ऋतू भी देख कर कांप सी गयी.."पर अब तुम आ ही गए हो तो कुछ इन्तजाम करते हैं" उसने अपने भद्दे से लाल होंठो पर जीभ फिराते हुए कहा.
मैं समझ गया की ये दोनों हमें कुछ और समझ रहे हैं... शायद रोज शाम को यहाँ के organisers सभी को अलग-२ तरह के जोड़े उपलब्ध कराते हैं, और इनके लिए शायद आज कोई तैयार नहीं हुआ होगा..और ये लोग हमें शायद organisers के द्वारा भेजा गया जोड़ा ही समझ रहे हैं..
उसकी बीबी रूबी को देखकर तो मेरा लंड फिर से अंगडाई लेने लगा पर ऋतू के बारे में सोचते ही मैं घबरा सा गया..क्योंकि अगर इस सांड जैसे कसाई ने मेरी बहन को चोदा तो उसकी चूत का भोंसडा बन जाएगा...
और इसी लिए शायद इनके पास कोई भी जोड़ा आने को तैयार नहीं हो रहा होगा...पर तभी मेरे मन में ना जाने कैसे विचार आने लगे जिनमे ऋतू को तड़पाते हुए रेहान के पापा चोद रहे हैं और उसकी चीखों से मेरे मन में एक अजीब सा सकूँ मिल रहा है...
मेरे मन में अपनी बहन के लिए ऐसे विचार क्यों आ रहे थे...मैं भी नहीं जानता था...पर मैंने निर्णय कर लिया की आज ऋतू की चुदाई इस जानवर जैसे कसाई के लंड से करवा के रहूँगा और अपने लंड से उसकी खूबसूरत बीबी को भी चोदुंगा ...
मैंने ऋतू के कान में धीरे से कहा "ऋतू ये दोनों शायद हमें कोई और समझ रहे हैं...क्या बोलती हो..करें क्या इनके साथ भी"
"पागल हो गए हो क्या आशु...देख रहे हो इस मोटे सांड को...ये तो मेरी चूत के परखच्चे उडा देगा..ना बाबा ना...इनको सही बात बताओ और चलो यहाँ से.." ऋतू फुसफुसाई.
"अरे तुम पागल हो गयी हो क्या...इतना अच्छा मौका है...ये मोटे लोगो का लंड बड़ा ही शानदार होता है ..तुम्हे भी मजा आएगा, ...
अगर ज्यादा लम्बा हुआ भी तो संभाल लेना..तुम तो अब इन सबमे चेम्पियन हो चुकी हो...मैं जानता हूँ तुम इसको भी संभाल सकती हो..प्लीज़..
तुम्हारी वजह से मेरा चांस भी चला जाएगा...देखो तो जरा रेहान की माँ को...
कितनी सुंदर है...मान जाओ न प्लीज़...." मैंने उससे याचना करते हुए कहा
उसने थोड़ी देर सोचा...और फिर बोली "ठीक है आशु...पर मैं ये सिर्फ तुम्हारे लिए कर रही हूँ...." उसके चेहरे पर अभी भी भय था.
"मेरी अच्छी ऋतू..." और मैंने ख़ुशी के मारे उसे चूम लिया..
"ये क्या खुसर-फुसर लगा रखी है तुमने..." रेहान के पापा की कर्कश सी आवाज हमारे कानो में पड़ी.मैंने जल्दी से प्लान बनाया और कहा
"जी कुछ नहीं.....दरअसल..हम तो आपको ये बताने के लिए आये थे की रेहान और हिना आज रात को उनके दोस्तों के साथ ही रहेंगे...
उन्होंने बाहर reception पर मेसेज छोड़ा है आपके लिए ....,और हमें organisers ने आपके पास भेजा है...मौज मस्ती के लिए..." मैंने कहा
"चलो अच्छा हुआ की वो दोनों आज रात नहीं आयेंगे..." रूबी ने कहा " लगता है वो अपने उन्ही दोस्तों के पास रह गए होंगे जिनकी वो दोनों कल से बातें कर रहे थे.."
मैं समझ गया की वो हमारी ही बात कर रहे हैं.
"तुम दोनों तो काफी छोटे लगते हो...तुम्हारी शादी हो चुकी है क्या..." रबी ने मुझसे पूछा.
"जी..दरअसल हम दोनों भाई बहन है., हमारी उम्र 18 और 21 साल की है,...और हम भी यहाँ अपने मम्मी पापा के साथ आयें हैं..." मैंने धीरे से कहा.
मेरी बात सुनते ही उन दोनों का मुंह खुला का खुला रह गया..
"लाहोल विल्ला कुवत ...तुम दोनों भाई बहन हो और इन सब में कैसे शामिल हो गए .." रूबी ने कहा.
"जी ..हमारे घर में इस तरह की कोई पाबंदी नहीं है...हम सभी लोग घर में एक दुसरे के साथ चुदाई कर लेते है..." मैंने उसका उत्तर दिया.
"क्या सच में..." वो दोनों हमारे मुंह देखने लगे, उन्हें अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हो रहा था की भारत देश में भी ऐसा हो सकता है.....
पर मैंने नोट किया की घर में चुदाई करने की बात सुनते ही उन दोनों के भाव बदल से गए थे, रूबी के सूट के अन्दर से उभरते उसके उभारों पर उसके मोती जैसे निप्पल तन कर खड़े हो गए थे, और उसके पति का लंड भी पायजामे में तम्बू सा बना रहा था.
"देखा...मैं न कहता था..हमारा देश भी काफी तरक्की कर चूका है इन सब बातों में...
तुम तो मुझे ऐसे ही डांटती रहती थी, जब भी मैंने हिना के बारे में तुमसे कहा था..." नाज़िर खान ने अपनी बीबी से कहा..
मैं समझ गया की उसकी गन्दी नजर अपनी फूल सी बेटी हिना पर है और उसकी माँ रूबी को ये पसंद नहीं है.
"हम जब बाहर के लोगो के साथ ग्रुप सेक्स कर सकते हैं तो अपने परिवार में करने में क्या बुराई है..." नाजिर ने आगे कहा
"अब इन दोनों बच्चो को देखो...कितनी ख़ुशी से ये हमें अपने घर के बारे में बता रहे हैं..और तुम्हे भी तो अब ग्रुप सेक्स में काफी मजा आने लगा है...
जब से तुम बाहर से चुदवाने लगी हो, कितना आनंद आता है तुम्हे भी तो, अगर यही आनंद तुम्हे रेहान दे तो कैसा लगेगा..." नज़र खान ने जैसे उसकी कोई नस पकड़ ली हो...
रूबी की आँखों में लाल डोरे तैरने लगे कुछ सोचते हुए और उसका एक हाथ अपने आप ही अपनी चूत पर चला गया और उसे दबाने लगा...आआआआआअह उसने एक सिसकारी मारी और अपने पति की तरफ देखते हुए बोली..."वो बाते फिर कभी discuss करेंगे...
अभी तो इनके मजे लो..." और इतना कहते ही वो मेरे शरीर से किसी बेल की भाँति लिपट गयी और अपने ठन्डे और गीले होंठ मेरे होंठो पर रख कर उन्हें बुरी तरह से चूसने लगी...
नाज़िर खान भी आगे बड़ा और ऋतू को अपने से चिपका कर अपने गले लगा लिया..मैंने देखा की ऋतू उसके गले लगते हुए बुरा सा मुंह बना रही थी...शायद उसके अन्दर से आती दुर्गन्ध की वजह से.
मैंने अपने हाथ रूबी के उभारों पर टिका दिए...वो सिसक उठी...वाह क्या कमाल के चुचे थे उनके...मैंने गर्दन नीचे करी और उसके सूट के ऊपर से ही चमकते हुए मोटे निप्पल पर दांत गड़ा दिए..
अयीईईईईईईई ... स्सस्सस्सस म्मम्मम्मम्म अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
उसने अपनी गर्दन पीछे करी और मेरे मुंह को अपनी छाती पर दबा दिया...मैंने अपने गीले होंठ और जीभ से उसके दाने को चुसना शुरू कर दिया...बड़ा ही मोटा दाना था उसका..मेरे चूसने से उसका सूट पारदर्शी सा हो गया और काले रंग का दाना चमकने लगा.
उसने मुझे फिर से ऊपर खींचा और मेरे होंठो को पागलों की तरह चूसने लगी...उसके मुंह से आह आह की आवाजें आ रही थी...
अह्ह्ह चुसो मुझे....अहह उफ्फ्फ अयीई ......
मैंने उसके मोटे होंठ चूस चूसकर सुजा से दिए थे..बड़ा ही मीठा रस निकल रहा था उनमे से..होंठ चूसते हुए मैंने उसके चुचे अपने हाथों से दबाने शुरू कर दिए..और धीरे -२ अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत पर लगा दिया...
उसकी गुफा में से जैसे गरम हवा बाहर आ रही थी.. उसपर हाथ लगते ही उसके होंठो का कडापन एकदम से गायब सा हो गया..और वो नरम मलाई जैसे हो गए..अब मुझे उसके होंठ चूसने में और भी मजा आ रहा था.
मैंने नजर घुमा कर देखा तो नाजिर भी मेरी बहन ऋतू के अपने पान वाले गंदे फटे हुए होंठो से चूस रहा था..ऋतू ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी...साफ़ दिख रहा था की उसे मजा नहीं आ रहा है.
वो अपने बड़े-२ हाथों से ऋतू की छातियाँ बड़ी बेरहमी से दबा रहा था..अचानक उसके जोर से दबाने की वजह से ऋतू की चीख निकल गयी...
आआआआअह्ह ...अंकल धीरे....उसकी आँखों से आंसू निकल आये थे.
रूबी ने मेरा ध्यान फिर से अपनी तरफ खींचा और मुझे चाटने लगी..मैंने हाथ नीचे करके उसके कुरते को उठाया और सर से घुमा कर उतार दिया..उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी..और मोटे दूध जैसे स्तन उचल कर बाहर आ गए..
मैं तो उन्हें निहारता ही रह गया..क्या माल था यार..मैंने अपने हाथों से उन दोनों दुर्लभ स्तनों को पकड़ा, दबाया, नापा, और फिर अपने मुंह में डालकर उन्हें चूसने लगा..
आआआआआआह ...आआआआअह्ह .....अहह उफ्फ्फ अयीई ...
रूबी ने फिर से एक सिसकारी मारी...मैंने अपना दूसरा हाथ उसके दुसरे खरबूजे पर रख दिया और उसे मसलने लगा..बड़ा ही मीठा स्वाद था उसके मुम्मे का..मेरे मुंह में जाकर उसका निप्पल और भी बड़ा हो गया था..
आजतक मैंने सिर्फ आरती चाची का ही निप्पल सबसे बड़ा पाया था..पर ये तो उससे भी बड़ा था..मेरे मुंह में वो किसी टॉफी जैसा लग रहा था..मैं उसको चूस भी रहा था और अपने मुंह से उसकी छाती पर धक्के भी मार रहा था..
"इसे भी चुसो नाsssssssssssssssssss" रूबी ने कहा और मेरा मुंह अपने दुसरे वक्ष पर रख दिया..मैंने उसको भी उतनी ही तेजी से चुसना और काटना शुरू कर दिया...
मैंने नीचे उसकी चूत पर फिर से हाथ लगाया, वहां का एरिया पूरा गीला हो चूका था..मेरे हाथ भी चिपचिपे से हो गए..
मैंने उसकी सलवार का नाडा खोला और उसे नीचे गिरा दिया..
सलवार के नीचे गिरते ही उसने मुझे धक्का दिया और मुझे अपने पलंग पर गिरा दिया..और उसने तेजी से अपनी टांगो में फंसी हुई सलवार निकाली और काली रंग की पेंटी में खड़ी हो गयी...
बड़ी ही दिलकश लग रही थी..उसकी मोती मांसल टांगो में फंसी हुई काली कच्छी उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे थे..
उसके मोटे-२ चुचे मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे..उसने झुक कर मेरी जींस के बटन खोले और उसे जोकी समेत नीचे खींच कर उतार दिया..मेरा लम्बा और गोरा लंड देखकर उसकी आँखें चमक उठी..
उसने प्यार से उसे सहलाया..उसके ठन्डे हाथों का स्पर्श पाकर मैं कांप सा गया..और अचानक उसने गर्दन नीचे करके मेरे लंड को अपने मुंह में डाल लिया...
उन्माद के मारे मेरी आँखें बंद हो गयी और मैंने अपना एक हाथ उसके सर के ऊपर रखकर अपने लंड पर दबा सा दिया..
वो बड़ी ही तेजी से मेरे लंड को चूसने और चाटने लगी..उसके मुंह से सड़प-२ की आवाजें आ रही थी.
वहां नाजिर ऋतू की टी शर्ट उतार कर और उसके ब्रा के स्ट्रेप को कंधे से नीचे गिरा कर उसके चुचे को बड़ी ही बेरहमी से दबा रहा था...उन्होंने अपना मुंह आगे किया और अपने काले -२ दांतों से ऋतू के निप्पल को दबा कर काट दिया..
ऋतू अपने ऊपर हो रहे इन भयानक हमलो से सिसक रही थी उसके चेहरे पर उभरता दर्द साफ़ दिखाई दे रहा था..उसने याचना भरी नजरों से मेरी तरफ देखा पर मैंने उसे पुचकार कर नाजिर अंकल का साथ देने को कहा.
अचानक रूबी ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकालकर मेरी बाल्स को अपने मुंह में भर लिया..और एक हाथ से वो मेरे लंड को ऊपर नीचे भी कर रही थी..मेरी दोनों गोटियाँ उसके मुंह में घुस रही थी..वो उन्हें किसी कैंडी की तरह से चूस रही थी..
फिर उसने उन्हें भी बाहर निकाला और अपनी लम्बी जीभ से मेरी गांड के छेद को चाटने लगी...ये मेरे लिए बिलकुल नया अनुभव था..मुझे वहां बड़ी गुदगुदी सी होने लगी..उसकी गीली जीभ मेरे छेद को कुरेद रही थी..उसने अपने होंठ भी वहां पर चिपकाये...मुझे बड़ी घिन्न सी आई उनके ऐसा करने पर...लेकिन फिर थोडा -२ मजा भी आने लगा...
मेरे लंड को वो काफी तेजी से ऊपर नीचे कर रही थी..मुझे लगा की मेरा निकलने वाला है, इसलिए मैंने उन्हें एक झटका दिया और उठ खड़ा हुआ..और उन्हें बिस्तर पर गिरा कर उनकी टांगो को चोडा करके ऊपर उठा दिया..और फिर टांगो में फंसी हुई कच्छी को बड़ी बेरहमी से खींचकर उतार दिया..वो फट कर ही निकल पायी उन मोटी टांगो से..
अब मेरे सामने रूबी की सफाचट चूत थी..ऐसा लगता था की किसी कमसिन कली की चूत है जिस पर अभी तक कोई बाल भी नहीं आया है..उसके अन्दर से रस की धार बाहर आ रही थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना मुंह नीचे करके गरमा गरम चूत पर रख दिया..वो चिल्ला पड़ी
आआआआआआआआआअह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊह्ह उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ .......होय्य्य्यय्य्य्य .......म्मम्मम्म
मैंने अपनी एक ऊँगली भी डाल दी चूत में. अपने होंठो से मैंने उनकी चूत की फांको को फैलाया और बीच में से चमकते हुए क्लिट को अपनी जीभ से दबा दबाकर कुरेदने लगा....वो तो पागल सी होकर मेरे मुंह को अपनी चूत पर कण्ट्रोल करती हुई घिसने लगी..सही में यारों..इतनी गरम औरत मैंने आज तक नहीं देखी थी..
उसकी चूत में से गरम फुहारें निकल रही थी और मेरा मुंह गिला हो चूका था..पर मैंने उसकी चूत में रस को चुसना नहीं छोड़ा..
आआअयीईईईईईईईई ऑफ़ ऑफ़ ऑफ़ फक फक फक,.......मर्र्र्रर गयीईईई आआआआआआआआह्ह्ह्ह
मैं समझ गया की अगर मैंने कुछ और देर की तो वो झड़ जायेगी...इसलिए मैं उठा और अपना लंड उनकी आग उगलती हुई चूत पर लगाया और एक धक्का दिया..
उसकी चूत की चिकनाहट ही इतनी थी की मुझे ज्यादा जोर लगाने की जरुरत ही नहीं पड़ी..लंड अन्दर तक सरकता चला गया...
आआआआआआआआआआआआह्ह्ह म्मम्मम्मम्म....
आनंद के मारे उनकी आँखें बंद हो गयी और उनके चेहरे पर हलकी हंसी आ गयी थी..
मैं नीचे झुका और रूबी के गुलाबी होंठों को चूसने लगा...मैंने लंड उनकी चूत में ले जाकर छोड़ दिया था..कोई और हरकत ना पाकर उन्होंने नीचे से धक्के देने शुरू कर दिए...
उम्म्म्म चोदो ना...डाल कर रुक क्यों गए...
मैंने किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह उनका कहना माना और अपने लंड के धक्के उसकी चूत में लगाने शुरू कर दिए..
उफ़ उफ्फ्फ आह आह आह आह फक फक फक आआआआअह्ह्ह ......
म्मम्मम स्सस्सस्सस.........ओईए.........अह्ह्हह्ह
मैंने एक हाथ से उनके चुचे को मसला और दुसरे को अपने मुंह में डालकर उनका दूध पीने लगा...
पी ले ....मेरा सारा दूध पी ले..बेटा ....मेरा बच्चा....रेहाआअन .......वो चिल्लाई....
मैं रेहान का नाम सुनकर चोंक गया..
वहां नाजिर भी अपनी पत्नी के मुंह से चुदाई के समय रेहान का नाम सुनकर रुक गया और फिर कुछ सोचकर उनके चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान आ गयी..
वो समझ गए की रूबी चुद तो मुझसे रही है पर उसके ख्यालों में उनका बेटा रेहान है ...ये जानकार उन्हें कोई गुस्सा नहीं आया क्योंकि एक तरह से उनका रास्ता भी तो साफ़ हो गया था..हिना के लिए.
मैं भी सब समझ सा गया..पर मुझे इस बात से कुछ फर्क नहीं पड़ता था..वो मुझे रेहान बुलाए या आशु..मुझे तो बस उनकी रसीली चूत से मतलब था..इसलिए मैंने और तेजी से रूबी की चुदाई करनी शुरू कर दी..
आआआअह्ह अआः ऊफ़ ऊफ़ ऊफ़ ऊफ़ ......अयीईईईईई........आह्आह् आह्
नाजिर भी ऋतू की तरफ फिर से मुड़ा और उसके गोरे जिस्म को फिर से चूसने लगा...अब तक ऋतू के सारे कपडे उतर चुके थे..नाजिर ने भी अपने ऊपर के कपडे उतार दिए थे..उसका भीमकाय शरीर काफी भयानक सा लग रहा था, उसकी छाती औरतों जैसी बड़ी होकर झूल सी रही थी...
और वो ऋतू का सर पकड़कर अपने निप्पल्स को जबरदस्ती उसके मुंह में ठूस रहा था...वहां पर काफी घने बाल थे..ऋतू को उलटी सी आ रही थी, वो शायद काफी दिनों से नहाया भी नहीं था, उसके जिस्म से बड़ी ही गन्दी स्मेल आ रही थी,
ऋतू के पास और कोई चारा नहीं था उसने बड़ी मुश्किल से अपना मुंह खोला और उसके भद्दे से लटकते हुए मोटे निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगी..शरीर की गन्दी महक अन्दर जाते ही उसके नथुने फड़क उठे..पर वो कुछ भी ना कर पायी क्योंकि नाजिर ने उसके सर को पीछे से अपने सीने पर दबा रखा था. वो बेचारी अपने भाई के लिए वो सब करने को बाधित थी.
थोड़ी देर चूसने के बाद उसने ऋतू को पीछे किया..वो सांस भी नहीं ले पा रही थी...खुली हवा पाकर वो ऊपर मुंह खोलकर सांस लेने लगी..नाजिर ने अपनी पेंट को नीचे सरकाया और पूरा नंगा होकर खड़ा हो गया..
उसका लम्बा लंड देखकर तो मैं भी घबरा गया..काला सांप था एनाकोंडा जैसा...वो बुरी तरह से फुफकार रहा था...ऋतू की तो हालत ही पतली हो गयी ये सोचकर की उसे इस लंड से चुदना पड़ेगा..उसने फिर से मेरी तरफ देखा पर मैंने अपना सर घुमा लिया और रूबी के रूबी जैसे चुचे चूसने लगा..
रूबी ने मुझे नीचे किया और झटके से मेरे ऊपर आकर बैठ गयी..अब उसके उछलते हुए मोटे मुम्मे मेरे सामने थे मैंने उसकी बाँहों को पकड़ा और उसे नीचे खींचा ..
उसके दोनों खरबूजे मेरे मुंह पर आ गिरे और मैं उन्हें ऊपर उछल उछल कर पकड़ने की कोशिश करने लगा....उसे भी इस गेम में बड़ा मजा आ रहा था..मैंने हाथ नीचे करके उसकी मोटी गांड को जकड लिया और दबाने लगा..
मैंने एक ऊँगली नीचे करी अपने अन्दर जाते लंड के साथ जोड़कर उसकी चूत में डाल दी..मेरी ऊँगली पर अन्दर की चिकनाई लग गयी और मैंने वोही ऊँगली उसकी गांड के छेद में डाल दी...उसका पूरा शरीर अकड़ गया और वो और तेजी से मेरे लंड को कुचलने लगी.
वहां नाजिर खान ने ऋतू को अपने सामने बैठाया और अपना काला नाग उसके मुंह में डाल दिया..उसका सुपाडा ही इतना बड़ा था की ऋतू का मुंह फटने सा लगा..उसके मुंह में सिर्फ आगे का हिस्सा जा कर फंस सा गया..
अपने काले लंड को मासूम सी, बेटी जितनी उम्र की लड़की के मुंह में फंसा देखकर , नाजिर को बड़ा सुकून सा मिला और अगले ही पल उस कसाई ने एक तेज झटका मारा और अपना आधा लंड ऋतू के मुंह के अन्दर तक उतार दिया....
ग्गुन गूं .....गूं....की आवाज ही आ पाई ऋतू के गले से..
और उसकी आँखों से अश्रु की धार फिर से बह निकली..वो अपनी नाक से ज्यादा से ज्यादा सांस लेने की कोशिश कर रही थी पर छोड़ने का रास्ता तो बंद था इसलिए उसी रास्ते से सांस छोड़ भी रही थी..पर वो ज्यादा देर तक ऐसा नहीं कर पायी और उसने खांसते हुए नाजिर के लंड को बाहर धकेल दिया..
प्लीज़...ऐसा मत करो अंकल...वो रो रही थी...मैंने जानकर उस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और रूबी की चूत मारने में लगा रहा.
रूबी अब मुझे रेहान कह कर ही बुला रही थी...
हां रेहान चोद अपनी अम्मी को...हाँ ऐसे ही....अयिओईईइ चोद बेटा...डाल अपना लंड अपनी अम्मी की चूत में....आआह्ह हां बेटा...चोद अपनी रांड जैसी अम्मी की चूत को...
वो पागलों की तरह बड़बड़ाये जा रही थी और मेरे लंड पर उछल उछल कर उसका कचुम्बर बना रही थी....जल्दी ही रूबी की चूत ने गर्म लावा उगलना शुरू कर दिया...
आआआआआआह्ह्ह्ह बेटा......चोद मुझे......मैं तो गयीईईईईईई...
और वो गहरी साँसे लेती हुई मेरी छाती पर गिर पड़ी...
थोड़ी देर तक उसकी कमर पर हाथ फेरते रहने के बाद वो उठी और बेड पर घोड़ी बन कर लेट गयी...उसकी उठी हुई गांड बड़ी ही दिलकश लग रही थी...
मैंने उसके गांड के छेद को देखा तो मेरे लंड का ईमान डोल गया और मैंने अपना लंड उसके पीछे वाले छेद पर टिका दिया...वो समझ गयी और एक तेज धक्का पीछे की तरफ मारा और मेरा लंड अपनी कसी हुई गांड के छेद में उतार लिया...
आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मैं हलके से चिल्लाया और उसके गोल चूतड़ो को पकड़कर दबाने लगा और धक्के मारने लगा..
आआआआआआअ आःह्ह्ह ऑफ ऑफ ऊऊऊ ऊऊऊऊअ
जल्दी ही इसकी गांड के छेद में मैंने गोलियां दागनी शुरू कर दी..
आआआआआअह्ह्ह मैं गया..........आआआआआआअह्ह और मैं उनकी कमर पर चुमते हुए ढेर हो गया...
तभी मैंने एक तेज चीख सुनी...वो चीख ऋतू की थी...नाजिर उसकी चूत को बुरी तरह से चाट रहा था...
अब मैं बेड पर रूबी के साथ लेट गया और हम दोनों उन दोनों की चुदाई का खेल देखने लगे..
नाजिर तेजी से अपनी मोटी और खुरदुरी जीभ से मेरी ऋतू की चिकनी चमेली जैसी चूत को चाट रहा था..उसके बड़े से मुंह के आगे ऋतू की खुली हुई चूत किसी खिलोने की तरह लग रही थी, ऋतू की दोनों जाँघों को चौडा करके नाजिर अंकल ने अपनी घनी दाड़ी वाला मुंह उसकी चूत पर झुका रखा था ,
अपने होंठो से ज्यादा वो अपने दांतों का उपयोग कर रहे थे, और ऋतू की चूत के फैले हुए होंठो को अपने मुंह में डालकर वो ऊपर तक खींच-खींचकर छोड़ देते थे जिसकी वजह से ऋतू की चीखे निकल रही थी, उसने नाजिर के सर को पीछे की तरफ से पकड़ा हुआ था, और दर्द होने पर वो उनके बाल खींच देती थी, पर इस बात से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा था..
नाजिर ने अपनी मोटी उँगलियों से उसकी गुलाबी चूत के किवाड़ खोले और अंदर से झांकती उसकी क्लिट को अपने मुंह में भर लिया..नाजिर का मुंह अन्दर तक जाने की वजह से उसकी दाड़ी के लम्बे बाल भी उसकी चूत की भितरी दीवारों को छु रहे थे, जिसकी वजह से उसे बड़ी गुदगुदी सी हो रही थी,
पर जैसे ही नाजिर ने क्लिट को मुंह में भींचा उसकी साँसे ही रुक गयी..नाजिर ने क्लिट को अपने दांत के नीचे दबा लिया, पर काटा नहीं, पर ऋतू को लगा की वो तो गयी..उसे पीड़ा के साथ - २ मजा भी आ रहा था..उसके मुंह से एक लम्बी आनंदमयी सिसकारी निकली..
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह स्स्सस्स्स्सस्स्स म्मम्मम्मम धीरीईईईए ......अंकल...
नाजिर ने अपना मुंह ऊपर उठाया...और बोला...
"मुझे अब्बा बोलो...बेटी..." उसकी बात सुनकर मैं, रूबी और हिना तीनो चोंक गए,
मैं समझ गया की जिस तरह रूबी ने मुझे रेहान समझ कर चूदाई करवाई है उसी तरह से अब नाजिर भी ऋतू को अपनी सगी बेटी हिना समझ कर चोदना चाहता है और वो ऋतू को हिना का रोल प्ले करने के लिए कह रहा है...
मजा आएगा..मैंने सोचा..और रूबी की तरफ देखा...वो मेरे मुरझाये हुए लंड से अपनी मोटी गांड चिपकाये लेटी थी..और उनकी बातें सुनकर उसने अपनी मोटी गांड को मेरे लंड पर जोर से दबा दिया...यानी वो भी इस बात को सुनकर उत्तेजित हो रही थी.
"हाआआअन्न अब्बाआआआ ऐसे ही.....चुसो अपनी हिना की चूऊऊऊऊऊत .........आआआआआह्ह्ह " ऋतू जोर से नाजिर के बाल पकड़कर चिल्लाई...
ऋतू के मुंह से अब्बा शब्द सुनते ही नाजिर के चेहरे पर अजीब तरह का सकून आ गया, उसने अपना मुंह उसकी गीली चूत पर से उठाया और बोला..
"मेरी हिना......मेरी जान......म्मम्मम्मम " और वापिस उसकी बहती हुई चूत में डुबकी लगा कर मीठा पानी पीने लगा.
ऋतू उर्फ़ हिना बेड के किनारे पर अपनी एक कोहनी की मदद से आधी लेटी हुई बुरी तरह से मचल रही थी...
और अचानक वो जोर से चिल्लाई.....आआआआआआआआयीईइ अब्बूऊऊऊउ मैं तो गयीईईईईईईइ अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
और मैंने और रूबी ने देखा की उसकी चूत से एक फुव्वारा सा फूटा जो लगभग एक फूट ऊपर उछल कर नाजिर के मुंह को पूरा भिगो गया..
नाजिर ने अपना बड़ा सा मुंह खोलकर उडती हुई बोछारों को अपने मुंह में लेने की कोशिश की...और अंत में शांत होते ज्वालामुखी के मुंह पर फिर से अपना मुंह लगाकर अन्दर का लावा चूसने लगा..
ऋतू की हालत पस्त हो चुकी थी, वो इस बुरी तरह से आज तक नहीं झड़ी थी..
अब नाजिर ऊपर खड़ा हो गया और ऋतू को टांगो को और चोडा करके खड़ा हो गया.
अपने सामने का नजारा देखकर वो कांप गयी, नाजिर का लंड उसकी चूत के सामने खड़ा हुआ फुफकार रहा था..उस लंड का साइज़ उसके चेहरे से भी बड़ा था..
नाजिर ने अपने लंड को उस छोटी सी चूत के मुहाने पर रखा और एक धक्का मारा..
आआआयीईईईईईईईईइ वो जोर से चिल्लाई..
लंड अन्दर जाने का नाम ही नहीं ले रहा था, लंड ने केवल बाहरी दिवार पर टक्कर मारी थी जिसकी वजह से ऋतू चिल्लाई थी...उसने मेरी तरफ देखा और बोला...
"ओये लोंडे..यहाँ आ और मेरी मदद कर.." मैंने ऋतू की तरफ देखा..वो रो रही थी..
मैं उठा और उनके पास जा कर बैठ गया...मैंने देखा धक्के की वजह से ऋतू की चूत के साइड में लाल निशान बन गया है..मैं ऋतू के दर्द को समझ गया...
मैंने कांपते हुए हाथो से नाजिर के मोटे लंड को पकड़ा..वो किसी मोटे खीरे जैसा था..और काफी गर्म भी..ये मेरा पहला अवसर था किसी ओर मर्द के लंड को पकड़ने का..
मैंने उसे ऋतू की चूत के बिलकुल बीच में रखा..ऋतू ने अपने एक हाथ से मुझे कस कर पकड़ लिया और बोली...
"नहीं आशु...प्लीस...बड़ा दर्द हो रहा है..अंकल को बोलो की वहां ना डाले..." वो मेरी तरफ देखकर गिडगिडा रही थी...
पर मैंने उसकी बात को अनदेखा करते हुए नाजिर के लंड को ऋतू की चूत के बीचो बीच रख दिया और नाजिर को इशारा करके धक्का मारने को बोला...और अगले ही पल ऋतू दर्द से दोहरी हो कर मुझसे बुरी तरह से लिपट गयी...
अयीईईईईईईईईईईई मर्र्र्रर्र्र्र गयी..............अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऑफ ...
उयीईईईईईई मार दालाआआआआअ ...
मैंने लंड से अपना हाथ हटा लिया...ऋतू बुरी तरह से रो रही थी....मैंने आगे बढकर उसके चेहरे को थमा और उसके होंठो को चूसने लगा...
उसके चेहरे पर आये पसीने और आंसुओं की वजह से पूरा चेहरा गीला था, मैंने जब उसके होंठो को चुसना शुरू किया तो सारा खट्टापन मेरे मुंह में जाने लगा पर मैंने चुसना नहीं छोड़ा...
थोड़ी देर बाद ऋतू भी मेरे होंठों को चूसने लगी...वो अपने दर्द को भूल सी चुकी थी पर तभी उस कसाई ने एक और शोट मारा और अपना आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में उतार दिया...
ऋतू ने मेरे होंठो को छोड़ दिया और फिर से चिल्ला पड़ी...
अयीईईईईईईई मम्मी,.,......मरर गयीई.........अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
और फिर तो नाजिर रुका ही नहीं उसने अपना लंड पूरा बाहर खींचा और फिर से अपनी पूरी ताकत लगा कर तेज धक्का मारकर अपना पूरा 9 इंच का मोटा लंड ऋतू की चूत में उतार दिया...ऋतू की आँखों के सामने तारे घूम गए..
उसकी आँखें फ़ैल कर चोडी हो गयी...उसने नीचे झुक कर देखा तो उस दानव का पूरा लंड अपनी छोटी सी चूत में फंसा हुआ देखकर उसकी रुलाई फुट गयी....निकालो इस्से.....बड़ा दर्द हो रहा है...अंकल...प्लीज़.......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
नाजिर ने अपना लंड बाहर खींच लिया...ऋतू की सांस में सांस आई पर अगले ही पल वो पूरा लंड वापिस अन्दर डाल दिया..और इस तरह उसकी रेल गाडी जो चली फिर तो उसने रुकने का नाम ही नहीं लिया..
मेरी आँखों के सामने मेरी बहन उस कसाई के मोटे लंड से चुद रही थी, उसके मोटे -२ चुचे ऊपर नीचे हर धक्के से इतनी जोर से हिल रहे थे की लगता था की वो उसके बदन से अलग ही हो जायेंगे...
बड़े ही तेज धक्के मार रहा था नाजिर..अगले 15 मिनट तक सिर्फ ऋतू की चीखे ही गूँज रही थी उस कमरे में..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऑफ ओफ्फ्फ ओफ्फफ्फ्फ़ अयीईईईईइ म्मम्मम ओईई........अह्ह्ह्हह्ह
अह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़ नहीईई अह्ह्ह्हह्ह हयीईइ हयीईइ ओह ओह ओह ओह ओह ओह .......
ओह माय गोद्द्द्दद्द्द्द.... अह्ह्ह्ह ओह ओह हो हो हो ऊऊओह.......
और धीरे धीरे उसकी चीखें सिस्कारियों में बदलने लगी....
म्म्म्मम्म्म्मम्म अह्ह्ह्ह और तेज मारो प्लीस......अब्बूउ स्स्स्सस्स्स्स और तेज चोदो अपनी हिना को.....अह्ह्ह्हह्ह ,,,,,म्मम्मम्मम्म मजा आ गया......
अब ऋतू की चूत में वो मोटा लंड अपना कमाल दिखा रहा था..उसकी चूत को मोटे लंड के साइज़ ने अपने अन्दर फिट कर लिया था...
ऋतू ने मेरे हाथ की उँगलियों को अपने मुंह में डाला और लंड की तरह उन्हें चूसने लगी....
म्मम्मम्मम अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह याआआआअ म्मम्मम्म ........
चोदो मुझे.......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
रूबी भी उठ कर आगे आ गयी और अपने पति को ऋतू की चुदाई करते हुए देखकर, मेरी कमर से अपने मोटे मुम्मे रगड़ने लगी...
उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगी थी..उसने आगे हाथ करके मेरे लंड को थाम लिया और हिलाने लगी,
मेरा लंड खड़ा होकर ऋतू के पेट को छु रहा था, रूबी के द्वारा हिलाने से मेरे लंड का सुपाड़ा ऋतू के पेट को धक्के मार रहा था..
अह्ह्हह्ह अयीईईई ऋतू चिल्लाती जा रही थी.
मैंने भी अपना एक हाथ पीछे करके रूबी की चूत में अपनी तीन उँगलियाँ एक साथ डाल दी...वो कसमसा गयी और मेरे लंड को और तेजी से हिलाने लगी....
मेरा एक हाथ ऋतू के नर्म मुंह में था और दूसरा रूबी की गर्म चूत में.
नाजिर तो जैसे पागल ही हो गया इतनी कसी हुई चूत पाकर....
उसके हर धक्के से ऋतू के अस्थि पंजर हिल रहे थे...और अंत में उस कसाई के लंड ने झाड़ना शुरू कर दिया...वो जोर से चिल्लाया..
आआआआआआह्ह्ह ले मेरी बच्ची......मेरी हिना....ले अपने अब्बा का रस....अपनी चूत में...अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....
ऋतू तो ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी पर जब अपने अन्दर लावे का तूफ़ान आते देखा तो एक और बार झडती हुई वो चिल्लाने लगी...
आआआआआह्ह्ह अब्बूऊऊऊ लऊऊऊ अपना रस अपनी हिना की चूत में......आआआआआआह्ह्ह्ह
और तभी मेरे लंड से भी पिचकारियाँ निकालनी शुरू हो गयी और वो नीचे लेटी ऋतू के चेहरे और छाती पर गिरने लगी....
आआआआआआह्ह्ह ग्र्रीईईईए ......अम्म्म्मम्म्म्म ......
मैंने अपनी उँगलियाँ रूबी की चूत में फंसा कर उसे उठा सा लिया था...उसकी क्लिट मेरी उँगलियों में दब गयी और उसने भी अपना गरमा गरम पानी मेरे हाथ पर छोड़ दिया..
नाजिर ने अपना लंड बाहर निकाला और उसके निकलते ही ऋतू की चूत में से सफ़ेद पानी लाबकर बहार की और आने लगा...पूरा बिस्तर गिला हो गया...
फिर हम सब उठे और अपने बदन को साफ़ करके वापिस बेड पर आकर लेट गए..
अपनी इतनी क्रूर चुदाई से ऋतू से चला भी नहीं जा रहा था..उसकी चूत की परतें अभी तक खुली हुई थी...वो वापिस बिस्तर पर आकर लेट गयी..मैंने देखा नाजिर का लंड फिर से अंगडाई लेने लगा है...हम दोनों उस रात वहीँ पर रहे, मैंने रूबी की 4 बार चुदाई करी और नाजिर ने तक़रीबन 6 बार ऋतू को हिना बनाकर चोदा.
सुबह तक हम सभी एक ही बिस्तर पर नंगे पड़े हुए सो रहे थे. सबसे पहले मेरी आँख खुली.
सुबह तक हम सभी एक ही बिस्तर पर नंगे पड़े हुए सो रहे थे. सबसे पहले मेरी आँख खुली.
मैंने अपने लंड पर गीलापन महसूस किया तो मैंने नीचे देखा रूबी मेरे लंड को चूस रही थी, उसकी उठी हुई गोल गांड दिल की आकृति बना रही थी,
मैंने हँस कर उसके सर पर हाथ फेरा तो उसने मेरे लंड को छोड़ कर मेरी बाल्स को अपने मुंह में भर लिया..तभी साथ लेटी ऋतू के मुंह से सिसकारी की आवाज आई मैंने देखा तो पाया की नाजिर भी नीचे लेता हुआ ऋतू की चूत को चाट रहा है...हम दोनों भाई बहन बेड पर लेटे हुए अपनी खातिरदारी करवा रहे थे.
मैंने हाथ बड़ा कर ऋतू के दायें मुम्मे को दबाना शुरू कर दिया..मैंने नोट किया की पिछले तीन दिनों में उसके मुम्मे का साइज़ बढ़ चूका है..या शायद ये मेरा भ्रम है खेर मैंने उसके निप्पल को अपनी उँगलियों में दबाया और उन्हें उमेठना शुरू कर दिया...
वो उत्तेजना के मारे दोहरी हो कर मेरे पास खिसक आई और मेरे ऊपर आधी लेट गयी जिसकी वजह से उसके मोटे झूलते हुए मुम्मे मेरी चोडी छाती पर दब गए, उसने अपने गीले होंठो से मुझे चुसना शुरू कर दिया..
अब उसकी उभरी हुई गांड नाजिर के सामने थी, उसने कोई मौका नहीं गंवाया और अपना खड़ा हुआ लंड उसके पीछे टिका दिया, गांड पर मोटे लंड का दबाव पड़ते ही उसने नाजिर को रोकने की चेष्ठा की..पर तब तक देर हो चुकी थी
"अयीईईईईईईईईईईईईईईईइ वहां नहीईईईईईईइ " वो मेरे ऊपर झुकी हुई चिल्लाई..
नाजिर का लंड उसकी गांड के अन्दर तक जा चूका था.
उसके मुम्मे मेरे चेहरे पर झूल रहे थे, मैंने उसके निप्पल को अपने मुंह में भरा और चुसना शुरू कर दिया..
नीचे लेटी हुई रूबी भी उठ खड़ी हुई और मेरे ऊपर आकर अपनी चूत को मेरे लंड से मिलाया और बैठ गयी धम्म से..
अह्ह्हह्ह्ह्हह्हsssssssssssss एक लम्बी सिसकारी मारी रूबी ने अपनी आँखें बंद करके और ऊपर नीचे होने लगी..
मैंने एक हाथ ऊपर करके रूबी के दोनों चूचो पर फिरना शुरू कर दिया..और दुसरे हाथ से ऋतू के चुचे एक साथ दबाने शुरू कर दिए..
मैंने मन ही मन सोचा, कितना लक्की हूँ मैं, मेरे दोनों हाथों में दो दो मुम्मे हैं.
ऋतू की गांड का छेद काफी टाईट था, इसलिए उसे काफी तकलीफ हो रही थी, ऋतू ने अपना एक हाथ नीचे करके अपनी चूत की क्लिट को दबाना शुरू कर दिया, और जल्दी ही उसकी चीखें सिस्कारियों में बदल गयी.
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ अयीईइ म्मम्मम्मम्म ...
रूबी भी मेरे लंड पर उछलती हुई बडबडा रही थी
आआः रेहाआआआअन ....चोदो अपनी अम्मी को....अह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह
चोद बेटा अपनी अम्मी की चूत को...ये तेरी है...रोज चोदा कर इस्से....अह्ह्ह्ह
मैंने भी नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.
ले हरामजादी....कुतिया....अपने बेटे से चुदवाना चाहती है....साली.....भेन चोद ....रंडी साली...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह तेरी माँ की चूत....अपने रेहान का लंड लेना चाहती है अपने भोंसड़े में...हांन्न
बोल कुतिया....कब से चुदवाना चाहती है अपने रेहान से....बोल भेन की लोड़ी..तेरी माँ की चूत ...बोल कमीनी..आआह्ह्ह
मेरी गालियाँ सुनकर वो और ज्यादा उत्तेजित हो गयी...और बोली
हाआआआअन्न मैं चुदवाना चाहती हूँ रेहान सेsssssssssssss....जब से मैं उसका ऑफ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ लम्बा और मोटा लंड ओह्ह्ह आआआह देखा है जब वो सो रहा था...आआआह्ह्ह तब से मैं अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....चुदवाना चाहती हूँ....sssssssssssssssssssssss ..
चोद बेटा अपनी अम्मी को....आआआआआआआआह कर दे मेरे अरमान पुरे......आआआआआआआअह्ह्ह
मैंने उसके दोनों कबूतरों को जोर से पकड़ा और चिल्लाया..
ले फिर ....कुतिया,.,,...ले अपने रेहान का लंड अपनी चूत में.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आज तो मैं तेरी चूत का बेन्ड बजा दूंगा...भेन की लोड़ी...बड़ा शोंक हैं न बेटे का लंड लेने का...ले फिर आः आआः आआआआअह .....
और मैंने उसकी चूत में अपना लंड किसी पिस्टन की तरह अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
अपनी बीबी की बातें सुनकर नाजिर को भी जोश आ गया और वो अपने लंड को ऋतू की गांड में तेजी से डालने लगा...अब ऋतू को भी मजा आ रहा था...वो चिल्ला पड़ी...
हाआआआआन अब्बू .....और तेज डालो अपना मोटा लंड मेरी गांड में....आआआआअह चोद दो अपनी हिना की गांड ..... ये हमेशा तुम्हारी है....रोज चोदा करो मुझे अब्बू......आआआअह बड़ा मजा आ रहा है...और तेज और तेज...ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ......
वो मेरे ऊपर अधलेटी हुई चिल्ला रही थी और अपनी चूत के दाने को बुरी तरह से मसल भी रही थी...
नाजिर ने भी धक्के देते हुए बोलना शुरू कर दिया..
ले ईईईईईईईई मेरी बच्ची.....हिना.....क्या गांड है तेरी....जब भी तुझे देखता हूँ तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है......आआआआआह्ह्ह तेरी गांड में अपना लंड डालना चाहता हूँ......आआआआआह्ह ले कुतिया...अपने बाप का लंड अपनी गांड में...ले...............आआआआआआआआआआआअह्ह्ह .....
उसके धक्को की वजह से और अपनी चूत को खुद ही खुजलाने की वजह से जल्दी ही ऋतू की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया....और वो तेज आवाज करती हुई मेरे ऊपर गिर पड़ी..
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अब्बू मैं तो गयीईईईईईईईइ ......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
और उसके पानी की गर्माहट अपनी जाँघों पर पाकर नाजिर के लंड ने भी गोले दागने शुरू कर दिए ऋतू की गांड के अन्दर...
आआआआआआआअह्ह्ह ले बेटी अपने बाप का रस .........आआआआआआह्ह्ह ....
वो दोनों निढाल होकर साइड में लुढ़क गए...
अब मैंने अपना ध्यान रूबी की तरफ किया और उसके दोनों चुचे स्टेरिंग की तरह पकडे और अपना ट्रक दौड़ा दिया उसके हाईवे पर...
आआआआआआआआअह्ह्ह आआआआआआअह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ
उसकी सिस्कारियां गूँज रही थी पुरे कमरे में.
उसने अचानक अपनी कमर को पीछे किया और मेरे लंड के ऊपर झड़ना शुरू कर दिया.
मेरा लंड भी उसकी चूत की गर्मी में पिघल गया और उसके अन्दर से गर्म पानी बाहर आकर उसकी चूत में बोछारें करने लगा.
वो भी मेरे सीने पर गिर पड़ी.
हम सभी खड़े हुए और एक साथ नहाने चले गए.
अन्दर जाकर भी हमने शावर के नीचे खूब मन लगा कर चुदाई करी.
अब मुझे ये तो पता चल ही गया था की नाजिर और रूबी अपने बच्चों के साथ सेक्स करना चाहते हैं, इसलिए मेरे मन में एक बिज़नस प्लान आने लगा..
रेहान और हिना को उनके पेरेंट्स से चुदवाना काफी आसान था, पर मैं इस बार ये काम मुफ्त में नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने प्लान बनाया और ऋतू को समझाया, वो भी मेरे प्लान को समझ कर मुस्कुराने लगी.
कपडे पहन लेने के बाद हम जब चलने लगे तो मैंने नाजिर से कहा "अंकल ...आप लोगो के साथ काफी मजा आया...और रात की बातें देखकर लगता है की आप दोनों अपने बच्चों के साथ भी ये सब करने को तैयार हो...हैं न..."
रूबी बीच में ही बोल पड़ी "अरे नहीं बेटा...वो तो बस ऐसे ही...उस समय की बात कुछ और थी...हमने तुम दोनों के साथ अपनी फ़ंतासी शेयर करी है..इसका ये मतलब नहीं की हम सच में ऐसा करना चाहते हैं..."
मैंने कहा "और अगर मैं आपकी ये फ़ंतासी को सच कर दूं तो..."
"क्या सही में...तुम ऐसा कर सकते हो..." नाजिर ने अपनी गोल आँखें मेरी तरफ घुमा कर कहा.
"हाँ...मैं ऐसा कर सकता हूँ....मगर इसके लिए आपको मुझे कुछ इनाम देना होगा..." मैं बोला.
"जो तुम कहोगे वो हम देंगे...तुम जितना भी चाहो...बोलो क्या चाहिए तुम्हे...." उसने लगभग हडबडाते हुए कहा..
"एक लाख रूपए..."मैंने कुछ सोचते हुए कहा...
उसने झट से अपनी अलमारी से मुझे एक हजार के नोटों की गड्डी निकाल कर दे दी ..
मैंने उन्हें अपने काटेज का पता दिया और उन्हें एक घंटे बाद वहां आने को कहा और आगे का प्लान समझाया...
वो दोनों समझ गए और एक घंटे बाद आने का वादा करके हमें वहां से विदा किया.
मैं अब आगे की योजना बनाता हुआ अपने कमरे की तरफ जा रहा था.
मैं अपनी जेब में लाल नोटों की गर्मी पाकर फुला नहीं समा रहा था
ऋतू और मैं वापिस अपने काटेज पहुंचे
वहां का नजारा देखकर समझते देर न लगी की रात को क्या बवाल हुआ होगा वहां पर.
आरती चाची अपनी गांड चौडी करे उलटी लेटी हुई थी, उनकी गांड के छेद से अभी तक किसी का माल रिस रहा था
मेरी माँ पूर्णिमा रेहान से ऐसे चिपक कर सो रही थी जैसे की वोही उनका सब कुछ है..
रेहान माँ को अपने सीने से दबाये गहरी नींद में सो रहा था.
नेहा अपने पापा के लंड पर अपनी गांड को दबाये हुए सो रही थी और चाचू का हाथ उसके बड़े-२ मुम्मो पर था.
हिना का तो सिर्फ चेहरा ही नजर आ रहा था, वो पापा के नीचे पूरी तरह से दबी हुई छिप सी गयी थी, नंगी पड़ी हुई.
इस हमाम में सभी नंगे थे.
मैंने जोर से सभी को गुड मोर्निंग कहा.
सभी लोग जाग तो रहे थे पर आलस के मारे अपनी जगह से हिल नहीं रहे थे.
ऋतू ने वहां का नजारा देखा तो उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगी.
मेरा लंड भी अकड़ने लगा और मेरे पायजामे में टेंट बना कर खड़ा हो गया.
पर अभी इन सब बातों के लिए समय नहीं था, 1 घंटे बाद नाजिर और रूबी आने वाले थे हमारे काटेज में और उनके आने से पहले मुझे रेहान और हिना को उनके लिए तैयार करना था, पेमेंट जो ले चूका था..
सभी लोग धीरे-२ उठे और अपने कपडे पहन कर सोफे पर बैठ कर बातें करने लगे.
मैं हिना और रेहान को अपने साथ लेकर अपने कमरे में चला गया.
वहां जाकर मैंने रेहान से पूछा "और कैसा लगा तुम्हे कल रात को..."
रेहान : "भाई सच में कल रात जैसा मजा तो आज तक नहीं आया, मैं तुम्हारा ये एहसान कभी नहीं भूल पाउँगा."
मैं : "मैंने देखा तुम बड़े मजे से मेरी मम्मी के साथ लिपटे हुए सो रहे थे, कल रात कितनी बार मारी तुमने उनकी...सच बताना.."
रेहान (थोडा शर्माते हुए) : "सच बोलू तो मैंने कल रात सभी को चोदा, नेहा, उसकी माँ और हिना को भी पर जितना मजा पूर्णिमा आंटी के साथ आया, उतना किसी के साथ भी नहीं आया...उनका एक्सपेरिएंस ही ऐसा है की वो सेक्स का पूरा मजा लेना जानती है और देना भी "
हिना : "हाँ आशु, भाई जान सही कह रहे हैं, रेहान के साथ -२ मैंने भी लगभग सभी से अपनी चूत मरवाई पर जो मजा तुम्हारे पापा के साथ आया वो कहीं और नहीं.."
मैं : "मैं भी तुम लोगो को कुछ बताना चाहता हूँ, ...दरअसल कल रात हम दोनों तुम्हारे अब्बू और अम्मी के साथ थे और हमने भी उनके साथ सभी मजे लिए.." मैंने उन दोनों के चेहरों की तरफ देखते हुए कहा.
हिना : "क्याआआआआअ sssssssssssssssssssssss मतलब तुमने मेरी अम्मी को चोदा और ऋतू ने मेरे अब्बा से अपनी चूत मरवाई.."
ऋतू : "हाँ ये सच है..जैसे तुमने हमारे मम्मी पापा के साथ मजे लिए , हमने तुम्हारे मम्मी पापा के साथ लिए."
रेहान अपना मुंह फाड़े हमारी बातें सुन रहा था.
हिना ने चहकते हुए ऋतू से पूछा : "क्या सच में तुमने मेरे अब्बू के साथ मजे लिए, बताओ न, कैसा एक्सपेरिएंस रहा तुम्हारा"
ऋतू : "हाँ...मुझे तो बहुत मजा आया, तुम्हारे अब्बू जैसा लंड तो मैंने आज तक नहीं देखा, उन्होंने मेरी चूत और गांड का बेन्ड बजा दिया कल रात को, पर मजा भी बहुत आया...मेरा तो मन वहीँ अटक कर रह गया है उनके लम्बे और मोटे लंड के ऊपर..."
उसकी बातें सुनकर हिना की टी शर्ट में कैद बिना ब्रा के उसके मोटे मुम्मो पर उसके गोल-२ दाने चमकने लगे, और वो अपनी नजरें ऊपर करके कुछ सोचने सी लगी, मैं समझ गया की ये चिड़िया तो फंस ही गयी समझो..
मैं : "और तुम्हारी अम्मी के बारे में मैं क्या कहूँ....मैं तो समझा था की वो तुम्हारी छोटी बहन है, उन्होंने अपनी जवानी बड़े संभाल कर रखी हुई है, उनके मोटे चुचे और कसी हुई चूत पाकर मैं तो निहाल सा हो गया, मैंने कितनी बार उनकी चूत और गांड मारी मुझे भी पता नहीं..."
रेहान अपनी अम्मी के नंगे जिस्म के बारे में सोचता हुआ अपने लंड को वहीँ खड़े हुए मसलने लगा.
रेहान : "तुम सही में लक्की हो, तुम लोग अपने मम्मी पापा के साथ भी सेक्स करते हो और अब हमारे अम्मी और अब्बू के साथ भी कर लिया.."
मैं : "अगर ये बात है तो तुम भी क्यों नहीं लक्की बन जाते...."
रेहान : "क्या मतलब?"
मैं : "मेरा मतलब है की अगर तुम चाहो तो तुम अपनी अम्मी की चूत मार सकते हो और हिना अपने अब्बू का लंड ले सकती है अपनी चूत में.."
रेहान , हिना की तरफ देखता है और फिर मेरी तरफ देखते हुए "क्या सच में....ये हो सकता है.." !!
मैं : "हाँ...अगर तुम चाहो तो ये मुमकिन है...वैसे मैंने उन्हें एक घंटे बाद यहाँ पर बुलाया है, अगर तुम तैयार हो तो मैं तुम दोनों के मन की मुराद पूरी कर सकता हूँ...पर तुम्हे वैसा ही करना होगा जैसा मैं करने को कहूँगा..बोलो मंजूर है..?"
दोनों एक साथ बोले : "हाँ हाँ...मंजूर है..."
हम सबने हाथ मिलाया और मैंने उन्हें आगे का प्लान समझाया..
मैंने अपना प्लान पूरी तरह से उन्हें बताने के बाद बाहर आकर मम्मी, पापा, नेहा, चाचू और चाची को एक साथ बिठाया और उन्हें कल रात वाली बात बताई और उन्हें मेरे काम में सहयोग करने को कहा,
मैंने रूबी और नाजिर वाली बात बड़े मजे ले लेकर बताई, जिसे सुनकर सभी के मुंह में पानी आ गया, सभी फीमेल्स रेहान के लंड का स्वाद तो चख ही चुकी थी, अब उसके अब्बा के मोटे लंड का गुणगान सुनकर उनकी चूत फिर से पनियाने लगी.
और रूबी की जवानी के बारे में सुनकर तो पापा और चाचू अपने लंड को वहीँ खड़े हुए मसलने लगे, मैंने उन्हें कहा की अभी तो मैं हिना और रेहान को उनके पेरेंट्स से चुदवाने का वादा कर चूका हूँ,
आप लोग उनके पेरेंट्स से बाद में मजे ले लेना.मैंने उन्हें पैसो वाली बात नहीं बताई, और उन्हें कहा की वो कुछ देर के लिए कहीं चले जाएँ और दोपहर तक ही वापिस आयें,
मेरी बात सुनकर पापा ने सोनी-मोनी के काटेज में जाने का सुझाव रखा, जिसे सब ने मान लिया और वो सभी तैयार होकर बाहर निकल गए.
मैं अपने प्लान को साकार होते देखकर काफी खुश था.
मैं वापिस अपने कमरे में आया तो वहां से ऋतू की चीखों की आवाजें आ रही थी, मैं अन्दर गया तो पाया की ऋतू अपने पुरे शबाब को नंगा किये पलंग पर लेटी हुई है और हिना उसकी चूत को चाट रही है, रेहान अपने हाथ में अपना लंड पकडे अपनी बहन की मोटी गांड को मसल रहा है...
मैंने भी झट से अपने कपडे उतारे और उनके बीच कूद गया.
मैंने अपना लंड सीधा हिना की गांड के छेद पर लगाया और एक तेज धक्का मारा.
आआआआअयीईईईईईईईईईइ मर्र्र्रर्र्र्र गयी हिना चिल्लाई
और उसने ऋतू की चूत को चुसना बंद कर दिया और अपनी गांड मरवाने के मजे लेने लगी.
रेहान भी जैसे इसी इन्तजार में था, उसने ऋतू की चूत में अपना लंड टिकाया और उसके ऊपर झुक कर अपना पूरा लंड पेल दिया उसकी चूत में. ऋतू की चूत काफी देर से खुजला रही थी, रेहान का मोटा लंड पाकर वो मजे से सिस्कारियां ले लेकर अपनी चूत मरवाने लगी.
ऋतू ने अपनी मोटी टांगें उसकी कमर में लपेटी और उसके गले में बाहें डालकर उसे अपने ऊपर झुका लिया और रेहान के मोटे होंठों को चूसने लगी..
रेहान ने ऋतू को किसी खिलौने की तरह उठा लिया और पलंग पर खड़ा हो गया, ऋतू उसकी गोद में थी और रेहान का लंड उसकी चूत में, अब ऋतू अपने चुतड उछाल -२ कर अपनी चूत मरवा रही थी, और साथ ही साथ रेहान के होंठो को भी किसी कुल्फी की तरह से चूस रही थी..
मैंने थोडा आगे झुककर हिना के लटकते हुए मुम्मे पकड़ लिए और उन्हें जोर से दबा दिया..
आआआआआआआह्ह्ह्ह वो दर्द के मारे चिल्ला ही पड़ी.
मेरे आगे झुकने की वजह से मेरा लंड अब उसकी गांड के दुसरे छोर तक टक्कर मार रहा था..हिना ने अपना सर पीछे किया और अपने रस टपकाते हुए होंठो से मुझे अपना शहद पिलाने लगी, उसके नर्म होंठो को चूसते हुए, मोटे स्तनों को दबाते हुए और मखमली गांड को मारते हुए बड़ा ही मजा आ रहा था.
उसकी गांड के छेद ने मेरे मोटे लंड को किसी रबड़ की तरह से जकड़ा हुआ था, मेरा लंड उसकी गांड की गली में घस्से लगता हुआ अन्दर तक जाता और उतनी ही तेजी से बाहर निकलता..
मैंने एक हाथ नीचे करके उसकी रसीली चूत पर भी हाथ फेरना शुरू कर दिया, अपनी चूत पर हुए अचानक हमले से वो एक दम से चिल्लाई और झड़ने लगी.
आआआआआआआआअह्ह्ह ऊऊऊऊऊओह्ह अशूऊऊऊउ .......म्म्मम्म्म्मम्म मजा आ गया..........आआआआअह्ह्ह
वो निढाल हो चुकी थी, पर मेरा लंड अभी भी उसकी गांड के पेंच खोलने में लगा हुआ था, थोड़ी देर बाद उसने मेरे लंड पर फिर से अपनी गांड का दबाव देना शुरू कर दिया,
उसके थिरकते हुए चुतड देखकर मेरे लंड ने भी आखिरकार हार मान ली और मैंने पता नहीं कितने झटके देते हुए उसकी गांड में अपनी सिंटेक्स खाली कर दी.
आआआआआअह्ह्ह आआआआआघ्ह्ह ........ओयीईईईईईए ...
ऋतू भी हवा में चुदते हुए जोर से चिल्ला रही थी...ओह्ह्ह रेहान और तेज करो ना .....अपने अब्बू की तरह मारो मेरी चूत.....
आआआआअह्ह....अपने अब्बू का नाम सुनकर रेहान को और जोश आ गया और वो और तेजी से ऋतू को अपनी गोद में लेकर उछालने लगा.
और जल्दी ही दोनों एक साथ झड़ने लगे..
आआआआआआआआआह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फफ्फ्फ़ मर गयी रे....अह्ह्हह्ह रेहान......तुम्हारा लंड सही में मजेदार है...और वो रेहान को फिर से चूसने लगी..
हवा में लटकी ऋतू की चूत से रेहान का रस टपकते हुए नीचे गिरने लगा..और फिर रेहान का लंड भी बाहर आकर लटक गया, ऋतू ने नीचे झुककर उसके मोटे नल को अपने मुंह में भरा और चूसकर साफ़ कर दिया.
मैंने घडी में देखा, उनके मम्मी पापा के आने का समय हो चूका था, मैंने उन्हें फिर से सभी बाते समझाई, मेरा प्लान सुनकर वो थोडा घबरा रहे थे पर मैंने जब फिर से उन्हें रूबी की जवानी और नाजिर के लंड की याद दिलाई तो उनकी घबराहट थोड़ी कम हुई.
तभी बाहर से आवाज आई "अरे कोई है क्या..." ?? ये नाजिर अंकल की आवाज थी.
मैंने जल्दी से पायजामा पहना और बाहर आया, रूबी मेरे कहे अनुसार टी शर्ट और लॉन्ग स्किर्ट में आई थी.
मैंने उन्हें सोफे पर बिठाया. नजीर अंकल बोले "कहाँ है वो दोनों...क्या तुमने हमारे बारे में उन्हें बताया है क्या..." ??
"वो दोनों अन्दर हैं, ऋतू के साथ, दरअसल मैं आपको एक बात बताना चाहता हूँ, वो जिन दोस्तों की बात कर रहे थे, वो हम ही हैं, हिना और रेहान हमारे फ्रेंड सर्कल मैं ही हैं, और हम सभी फ्रेंड्स सभी तरह की मस्ती करते हैं" मैंने उन्हें समझाते हुए कहा.
"मस्ती का क्या मतलब...क्या तुमने मेरी हिना के साथ...." रूबी ने मेरी तरफ घूरते हुए देखा और पूछा.
"मस्ती मतलब सब कुछ...और हाँ मैंने आपकी हिना की चूत भी मारी है, पर अब इन बातों का कोई मतलब नहीं है क्योंकि आप दोनों भी तो अपने बच्चो के साथ वही सब करने आये है,
वैसे भी वो अब बच्चे नहीं रहे , दोनों जवान हो चुके हैं, और अपनी मर्जी से वो कुछ भी कर सकते हैं,
मेरा तो बस यही विचार है की जब आप लोग बाहर के लोगो के साथ सेक्स कर सकते हो और वो दोनों भी बाहर के लोगो के साथ सेक्स करते हैं तो क्यों न कभी-२ आपस में भी ये सब करो, सभी को मजा आएगा..."
"वो तो ठीक है...पर क्या तुमने उन्हें हमारे बारे में बताया है..." नाजिर ने कुछ सोचते हुए कहा.
"नहीं मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया...मैंने सिर्फ उन्हें कहा है की हमारे कुछ दोस्त आ रहे हैं थोड़ी ही देर में और हम सभी अपनी आँखों में पट्टी बांधकर सेक्स करेंगे, ताकि कोई तुम्हे न देख पाए और न ही तुम उन्हें देख पो, क्योंकि वो लोग अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हैं.." मेरी बात सुनकर रूबी और रेहान को थोडा सुकून मिला,
"पर अगर हमारी आँखों पर पट्टी हुई तो हम उन्हें कैसे देख पायेंगे...तुमने पैसे लेते हुए ये तो नहीं बताया था की हम लोगो को अपनी आँखें बंद करके उनके साथ सेक्स करने को मिलेगा.." नाजिर ने कहा.
"अरे अंकल..आप लोगो को कौन आँखें बंद करने को कह रहा है, बंध तो वो दोनों करेंगे, आप लोग ऐसे ही अन्दर चलो, उन्हें कुछ मालुम नहीं चलेगा, वो तो यही समझेंगे की आपकी आँखों पर भी पट्टी बंधी हुई है..." मैं उन्हें समझाया.
वो पूरी बात समझ गए और मैं उन्हें लेकर अन्दर चल पड़ा.
मेरे कहे अनुसार अन्दर सभी लोग अपने कपडे पहन चुके थे, और रेहान और हिना ने अपनी आँखों पर पट्टी भी बाँध रखी थी.
ऋतू सिर्फ अपनी चड्डी पहन कर खड़ी थी, ऊपर उसने कुछ भी नही पहना हुआ था
अन्दर जाते ही अपने बच्चो को देखकर उनके दिल की धड़कने तेज हो गयी.
हिना जींस और टी शर्ट में बेड के किनारे पर बैठी थी, और रेहान ऋतू के पास बैठा हुआ था.
हिना ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी, इस वजह से उसके निप्पल्स साफ़ दिखाई दे रहे थे, कमरे में उसे अपने अब्बू के आने का आभास हो चूका था, पर मेरे कहे अनुसार वो दोनों यही दिखा रहे थे की कमरे में आने वाले कोई और हैं.
मैंने कहा "अब हमारे मेहमान आ चुके हैं, यहाँ सभी ने अपनी आँखों पर पट्टी बाँध रखी है, और मैं अब आप लोगो के जोड़े बना रहा हूँ, आप लोग बिना कोई आवाज निकाले अपने साथी के साथ मजे करोगे...ठीक है.." सभी ने सहमति से गर्दन हिलाई..
मैंने रूबी का हाथ पकड़ा और बेड पर बैठे हुए रेहान के पास जाकर उनका हाथ रेहान के हाथों में दे दिया.
रूबी ने कांपते हुए हाथों से अपने लड़के का हाथ पकड़ा..वो बिलकुल ठंडा हो चूका था..
रेहान को जैसे ही अपनी अम्मी के मादक शरीर की महक आई वो उनसे लिपट गया...और अपने कई सालो के इन्तजार का अंत करते हुए उसने अपने मोटे होंठ, अपनी अम्मी के लरजते हुए ठन्डे होंठो पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा.
म्म्म्मम्म्म्मम्म आआआआअह्ह्ह रूबी के मुंह से हलकी हलकी सिस्कारियां फूटने लगी.
ऋतू भी उठी और हिना को पकड़ते हुए नाजिर के पास ले जाकर छोड़ दिया. नाजिर ने एक झटके से अपनी फुल सी बच्ची को पकड़ा और सीधा उसके मोटे चुचे दबाने लगा..
पिछले दो सालो से वो हिना के मोटे होते हुए मुम्मो को देखकर कई बार मुठ मार चूका था और उनके बारे में सोचकर ऑंखें बंद करके रूबी के स्तनों को चुस्त रहता था,
आज जब उसके सामने अपनी आँखों पर पट्टी बांधे हिना खड़ी थी और उसके बिना ब्रा के मोटे मुम्मे ऊपर नीचे होकर उसकी भूख को और बड़ा रहे थे तो उससे सेहन नहीं हुआ और वो सीधा उनपर टूट पड़ा.
अपने चुचे पर अब्बू के हमले का सामना करते हुए हिना बुरी तरह से हिल रही थी, उसके शारीर में अजीब तरह की झुरझुरी हो रही थी, वो कांप रही थी,
उसने कई बार अपने अब्बू को अपनी तरफ घूरते हुए देखा था, और उनका लटकता हुआ लंड भी उसे कई बार दिख चूका था, और रातों में अपने अब्बू के कमरे से आती चीखों ने भी उसे उनके लंड के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया था,..
आज उसके अब्बू उसके दोनों खरबूजे दबाने में लगे हुए थे..थोड़ी देर तक उन्हें दबाने के बाद नाजिर ने उसकी टी शर्ट को ऊपर खिसकाया और गले से निकल कर जमीन पर गिरा दी..
अब हिना सिर्फ जींस में अपनी आँखों पर काली पट्टी बांधे कड़ी थी, हिना के रसीले चूचो को देखकर नाजिर की नज़रों में एक अजीब सी चमक आ गयी, उसने अपना मुंह आगे किया और उसके एक चुचे को अपने मुंह में लेकर अपनी बेटी का दूध पीने लगा, हिना के शरीर में इतनी गुदगुदी हुई की उसका पेशाब निकल गया...
मैं बेड पर बैठ गया और ऋतू मेरे शरीर से चिपक कर वहां का खेल देखने लगी..
मैं अपने हाथों से ऋतू के मोटे चूचो को दबाने लगा और वहां चल रहा शो देखने लगा.
रेहान काफी उत्तेजित हो चूका था, उसने अपनी अम्मी रूबी को होंठो को चूस चूसकर लाल कर दिया था, रूबी भी उसकी बाँहों में मचलती हुई ऑंखें बंद किये पुरे मजे लेने में लगी हुई थी,
अचानक वो नीचे जमीन पर बैठ गयी और उसने एक झटके से रेहान का पायजामा उतार दिया,
रेहान का उफनता हुआ लंड अब रूबी की आँखों के सामने था, रूबी ने रेहान के मोटे लंड को गौर से देखा, वो सही में नाजिर का बच्चा था, उसका लंड भी उतना हो मोटा, लम्बा पर रंग थोडा सफ़ेद था, जबकि नाज़िर के लंड का रंग बिलकुल काला था.
उससे और सेहन नहीं हुआ और उसने झट से अपने बेटे का लंड डाल लिया अपने मुंह में और उसे चूसने लगी.
अपनी अम्मी को अपना लंड चूसता पाकर रेहान के तो मजे हो गए, उसके पट्टी बंधे चेहरे पर आती ख़ुशी साफ़ दिखाई दे रही थी, उसने रूबी के सर के पीछे हाथ रखा और बड़ी ही तेजी से उसके मुंह के अन्दर धक्के मारने लगा...
दूसरी तरफ देखा तो नाजिर ने अब हिना की जींस के बटन भी खोल दिए थे, और उसे नीचे उतारने के बाद थोडा पीछे होकर जब नाजिर ने अपनी नंगी बेटी को गोर से देखा तो उसके लंड का बुरा हाल हो गया, उसने सपने में भी नहीं सोचा था की उसे अपनी नंगी बेटी देखने को मिलेगी,
पर मेरी वजह से ये सब संभव हो पाया था, उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और अपना आभार प्रकट किया, और फिर अपने पुरे कपडे उतार कर वो भी नंगा हो गया और अपनी नंगी खड़ी हुई बेटी से जाकर लिपट गया.
अपने नंगे शरीर से अपने अब्बू के जिस्म का साथ पाकर हिना के रोयें खड़े हो गए, उसकी गीली चूत, जिसमे से अभी-२ पेशाब निकला था, बुरी तरह से गीली होकर, रस बिखेर रही थी,
नाजिर ने उसे बेड पर लिटाया और उसकी बिना बालों वाली चूत पर अपने होंठ टिका दिए और वहां का माल साफ़ करने लगा..
अपने अब्बू को अपनी चूत चूसते हुए देखकर उसके मुंह से अब्बू निकलते-२ बचा...उसने अपने दांतों तले अपनी जीभ दबाकर अपनी आवाज को ब्रेक लगाया..
अब्बब्बब्ब............अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम ........
और वो अब्बू के सर को अपनी चूत पर घिसने लगी.
वहां से आती पेशाब की दुर्गन्ध और चूत के रस की सुगंध नाजिर को बड़ी मादक लग रही थी, वो अपनी मोटी और खुरदुरी जीभ से अपनी फुल सी बेटी की चूत बुरी तरह से चाटने में लगा हुआ था..
हिना भी अपने अब्बू के लंड से खेलना चाहती थी, उसने नाजिर को बेड पर लिटाया और उनके मुंह पर अपनी चूत टिका कर अपने मुंह में उनका पाइप दाल कर चूसने लगी,
पहले तो उसके मुंह में सिर्फ नाजिर का सुपाडा ही आ पाया पर थोड़ी देर कोशिश करने के बाद वो पूरा उसके मुंह के अन्दर तक जाने लगा और वो उसे चूसने लगी..
रेहान ने अपनी अम्मी को उठाया और उनके कपडे एक झटके के साथ उतार डाले और रूबी के मोटे जग से दूध पीने लगा..
अपने बेटे को 17 सालो बाद अपनी छाती को चूसते हुए देखकर उसके मन में बेटे के लिए लाड़ आ गया और वो उसे और जोर से अपना दूध पीने के लिए उकसाते हुए उसके बड़े से मुंह में अपना स्तन ठुसने लगी..
काफी देर तक स्तनपान करने के बाद वो नीचे झुका और रस से सराबोर चूत को अपने मुंह में दबाकर चूसने लगा.
मेरे कहने की वजह से सभी अपनी चीखों और आवाजों पर नियंत्रण करे बैठे थे...इसलिए वहां सिर्फ लम्बी सिस्कारियों की आवाजें ही आ रही थी.
स्स्सस्स्स्सस्स्स म्म्म्मम्म्म्मम्म ....
रेहान की लम्बी जीभ अपनी अम्मी की चूत के हर कोने में घुसकर वहां के रस को ढूंढ ढूंढ कर पी रही थी, पर चूत की माया भी क्या होती है, वो जितना चूसता, उसकी चूत की दीवारों से और रस रिसने लगता और उसके मुंह में जाने लगता.
अपनी अम्मी की चूत को देखने के लालच में रेहान ने अपनी पट्टी थोड़ी सी खिसका दी और उसकी एक आँख अब थोड़ी सी बाहर की दुनिया को देख पा रही थी, इसलिए उसने अपनी माँ की खुबसूरत चूत को देखा तो उसे चाटने की स्पीड और तेज कर दी.
रूबी की आँखें तो मजे लेने के चक्कर में पहले से ही बंद थी.
अब दोनों बच्चे अपने अम्मी और अब्बू के लंड और चूत चूसने में लगे हुए थे..
रेहान से अब रुकना मुश्किल हो रहा था, वो उठा और अपने लंड का सुपाडा अपनी अम्मी की चूत से लगाया, अपनी चूत पर रेहान के लंड का एहसास पाकर रूबी की साँसे रुक सी गयी..उसने कुछ निर्णय किया और रेहान की आँखों की पट्टी खोल दी.
रेहान के साथ-२ हम दोनों भी हैरान रह गए.
रेहान ने जब देखा की उसकी अम्मी ने उसकी आँखों की पट्टी खोल दी है तो वो उनकी आँखों में अपने लिए उमड़ते हुए प्यार को देखकर भावुक सा हो गया और उसने नीचे झुककर अपनी अम्मी की आँखों को चूम लिया.
"रेहान, मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेना चाहती हूँ और ऐसा करते हुए मैं तुम्हारी आँखों में देखना चाहती थी..." रूबी ने रेहान के कानो में धीरे से कहा.
वहां हिना भी उठ खड़ी हुई और अपने अब्बू के खड़े हुए लंड को अपनी चूत पर घिसने लगी, उसे मोटे लंड को अपनी चूत में घुसाने में काफी दिक्कत महसूस हो रही थी,
उसकी आँखों पर पट्टी भी बंधी हुई थी, आखिरकार जब उसने चूत के छेद को लंड के बिलकुल ऊपर किया तभी अचानक उसके अब्बू ने उसके दोनों पैर खींच दिए, जिन पर उसने अपना पूरा भार डाला हुआ था,
पैरों तले जमीन निकलते ही उसके शरीर का पूरा बोझ अब्बू के पंड के ऊपर आ गिरा, और उसकी चूत किसी ककड़ी की तरह चीरती चली गयी....वो चिल्ला पड़ी....
अब्ब्बब्ब्ब्बब्ब्बू ......आआआआआह्ह्ह मैं तो गयी.....
नाजिर समझ गया की हिना जानती है की वो अपने अब्बू से चुदवा रही है, उसने हाथ ऊपर करके हिना की आँखों से पट्टी उतार दी, पहली बार दोनों की नजरें टकराई और उन्होंने एक दुसरे को गले लगा लिया...
नाजिर का मोटा लंड अपनी बेटी की चूत में फंसा हुआ था, हिना ने अपने अब्बू के होंठो को थोड़ी देर तक चूसा और फिर ऊपर उठकर अपने बाल बांधे और नए जोश के साथ अपने अब्बू के लंड पर चीखें मार मारकर कूदने लगी.
आआआआआह्ह्ह अब्बूऊउ मारो अपनी हिना की चूत....अह्ह्हह्ह्ह्ह कब से मैं आपका लंड लेना चाहती थी.....
अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह चोदो अपनी हिना को ,,,,....अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ .....अ
उनकी बातें सुनकर रेहान और रूबी भी मुस्कुरा दिए रेहान ने एक झटके से अपनी माँ की चूत में अपना लंड उतार दिया, रूबी की आँखें बाहर की तरफ उबल आई इस तेज हमले से...पर उसे मजा भी काफी आया वो चिल्ला पड़ी..
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह रहन्न्न्न ......चोद बेटा......चोद अपनी अम्मी को.....चोद अपने मुसल जैसे लंड से ....
अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
उनकी चुदाई देखकर मेरी आँखों में भी पानी आ गया, मैंने ऋतू की तरफ देखा जो अपनी कच्छी उतार चुकी थी,
मेरे देखते ही वो समझ गयी और मेरे पायजामे को नीचे करके वो किसी भूखी बिल्ली की तरह मेरे लंड पर कूद पड़ी और अपनी चूत के अन्दर मेरे लंड को लेकर जोरो से चीखें मारने लगी..
आआआआआआअह्ह्ह अशूऊउ मारो मेरी चूत.....अह्ह्ह्हह्ह फाड़ डालो .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
अब कमरे में इतनी चीखे गूंज रही थी की क्या बताऊँ.
सबसे पहले रेहान ने अपनी अम्मी की चूत में अपना लंड खाली किया..
आआआआआआह्ह्ह अम्मीईईईईइ मैं तो गया....ले अपने रेहान का रस....आआआआआअह्ह्ह्ह
आआआजाआअ बेटा.....आआआआजाआआआ.......और ये कहते हुए रूबी भी झड़ने लगी.
नाजिर सही में कसाई हो गया था अपनी बेटी की चूत पाकर, वो बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था, उन धक्को में हिना दो बार झड चुकी थी...
नाजिर ने हिना के उछलते हुए चुचे अपने मोटे हाथों में पकडे और नीचे से तेजी से धक्के मारने लगा..जल्दी ही उसका ज्वालामुखी भी फूटने लगा और उसने करीब आधा गिलास रस अपनी बेटी की चूत में खाली कर दिया.
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ग्रर्र्र्रर्र्र्र बड़ी तेज आवाजों के साथ वो गहरी साँसे लेने लगा.
मुझसे भी रुका नहीं गया और मैंने अपनी प्यारी बहन की चूत में अपना रस छोड दिया.
अब चरों तरफ गहरी साँसों की आवाजें आ रही थी, सभी अलग हुए और अपने पार्टनर के लंड को चूस कर साफ़ करने के बाद वहीँ लेट कर सुस्ताने लगे.
ये सब करते हुए दो घंटे हो चुके थे, हमारे मम्मी पापा के आने का टाइम हो चूका था. वो किसी भी वक़्त आ सकते थे.
रूबी ने उठ कर कहा की उसे तो बड़ी तेज भूख लगी है और वो उठकर कपडे पहनने लगी,
हिना भी साथ ही उठ खड़ी हुई और उनके साथ वो भी जाने के लिए तैयार होने लगी.
नाजिर अपनी मोटी आँखों से अपनी फूल सी बेटी को कपडे पहनते हुए देख रहा था, उसका मन अभी अपनी बेटी की चूत मार कर भरा नहीं था,
पर वो जानता था की उसके मोटे लंड का प्रहार उसकी बेटी ज्यादा नहीं झेल पाएगी इसलिए उसने उसे रोका नहीं और वो ये भी जानता था की अब तो उसका रास्ता खुल ही गया है, घर पर वो कभी भी उसकी चूत की चटनी बना कर पी सकता है.
उसकी नजर मेरी बगल में लेटी ऋतू की तरफ गयी जो अपनी चूत को अपनी उँगलियों से मसल कर साफ़ कर रही थी और अन्दर से मेरा गिरा हुआ माल निकाल कर अपने मुंह में ले रही थी.
उसने जब नाजिर को अपनी तरफ देखते हुए पाया तो वो मुस्कुरा दी,
नाज़िर वैसे तो कसाई की तरह चोदता था पर उसके मोटे लंड का एहसास वो अभी तक नहीं भूली थी, उसका तो फेवरेट लंड हो चूका था नाजिर का.
नाजिर अपनी बीबी रूबी से बोला, "तुम दोनों जा कर कुछ खा लो ...मैं बाद में आता हूँ..." रूबी समझ गयी की उस कसाई का मन अभी नहीं भरा है, वो मुस्कुरा दी और अपनी बेटी के साथ बाहर निकल गयी.
नाजिर ने ऋतू को इशारे से अपने पास बुलाया, ऋतू झट से उठ कर नंगी उसकी गोद में बैठ गयी...
नाजिर ने अपना मुंह सीधा उसके नर्म होंठो पर टिका दिया और उन्हें चूसने लगा, वैसे तो उसके पान वाले, मोटे और भद्दे मुंह से बड़ी ही गन्दी बदबू आ रही थी,
पर उसके मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के चक्कर में उसने उस बदबू को भी नरअंदाज कर दिया और अपनी लम्बी जीभ उसके मुंह में दाल कर और मजे देने लगी,
साथ ही साथ वो अपनी फैली हुई गांड उसके बैठे हुए लंड पर घिस भी रही थी, ताकि वो जल्दी से तैयार हो जाए और उसकी चूत को बजा डाले.
रेहान भी उठ कर ऋतू के पास आ गया और उसने अपने हाथ आगे करके उसके उभारों को थाम लिया,
ऋतू ने उसकी तरफ देखा और उसे भी अपने पास खींच लिया, नाजिर ने भी अपने बेटे को थोड़ी जगह दी और अब ऋतू नाजिर और रेहान के बीच बैठी हुई उनके लंड मसल रही थी.
मेरे लंड में भी तनाव आना शुरू हो गया, अपनी बहन को दो वेह्शियों के बीच देखकर, मैं अपनी जगह से उठा और ऋतू के सर के पास जाकर खड़ा हो गया,
उसने मेरा लटकता हुआ लंड अपने मुंह के पास देखा तो झट से उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.
अब वो एक साथ तीन -२ मर्दों के बीच बैठी हुई उनका मनोरंजन कर रही थी,
मैंने मन ही मन में सोचा , ऋतू की बच्ची आज तो तू गयी....
रेहान से अब रहा नहीं गया उसने नीचे झुककर ऋतू की चूत पर अपना मुंह लगा दिया और उसकी फैली हुई चूत की पलकों के बीच अपनी पैनी जीभ डाल कर कुरेदने लगा..ऋतू सिसक उठी..
आआआआआआआआअह्ह्ह्ह रेहाआआआआआआन्न म्मम्मम्मम
और वो रेहान को बड़े ही प्यार से देखते हुए उसके सर के ऊपर हाथ फेरने लगी, जैसे वो उसका पालतू कुत्ता हो....
नाजिर का मोटा लंड अपने पुरे शबाब में आने लगा था..उसने ऋतू के सर को एक झटके से अपनी गोद में खींचा और वो उसके लंड के ऊपर जा गिरी..आँखों के सामने काला नाग था, उसने आँखें बंद की और उसे मुंह में डाल कर चूसने लगी..
"हाआआन्न ऐसे ही चुसो....आआआआआआअह्ह्ह "
नाजिर ने कहा और अपना सर पीछे करके अपने लंड को चुस्वाने के मजे लेने लगा..
मैं ऋतू के ऊपर खड़ा हुआ उसे बाप बेटे के बीच पिसता हुआ देख रहा था, मेरे सामने ऋतू के झूलते हुए चुचे थे, मेरे मन में कुछ अलग करने का विचार आया, जो काफी दिनों से मैं सोच रहा था, उसके चुचे चोदने का....
मैंने अपनी दोनों टाँगे उसके पेट के दोनों तरफ रखी और नीचे बैठ गया और अपना लंड उसके लटकते हुए चूचो के बीच फंसा कर उन्हें पकड़ लिया और इस तरह से उसके मखमली उभारों का दबाव मेरे तने हुए लंड पर पड़ने लगा, मैंने धीरे -२ धक्के देने शुरू कर दिए...
नीचे से रेहान ने ऋतू की क्लिट को अचानक अपने मुंह में भर लिया और दांतों से दबा दिया...
वो चिल्ला पड़ी...
"आआआआआआअह्ह्ह ओयय भोंसडी के साले मार डालेगा क्या....धीरे कर...." उसकी टाँगे कांप रही थी उसके इस प्रहार से...रेहान ने सॉरी बोला और फिर से उसकी चूत में कुछ ढूँढने लग गया..
नाजिर ने भी अपने बेटे को समझाया..."अरे बेटा...जिस चीज से तुम्हे इतने मजे मिलते हैं उसे इस तरह से तकलीफ नहीं दिया करते...समझे..."
मैंने मन ही मन में कहा...साला कसाई, अपनी चुदाई के समय इन बातों का ख्याल नहीं रहता क्या..
मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू के उभारों को थाम रखा था, उसके दोनों पिंक कलर के निप्पल्स मैंने अपनी उँगलियों से पकड़ रखे थे और उन्हें दबा भी रहा था, जिस वजह से ऋतू की सिस्कारियां बड़े ही मीठे स्वर में बाहर आ रही थी...
आआआआआअह्ह्ह्ह म्मम्मम औयीईईइ ........अह्ह्ह्हह्ह ऊऊह्ह्ह ..............
ऋतू नाजिर के लंड को बड़े प्यार से चाट रही थी, उसने नीचे मुंह करके उसकी गोलियां भी अपने मुंह में भर ली और चूसने लगी...नाजिर की दोनों टाँगे हवा में उठ गयी ऋतू की इस हरकत से ...
आज तक उसकी गोटियाँ किसी ने अपने मुंह में नहीं ली थी....नाजिर नीचे लेट गया और ऋतू को अपनी गोटियाँ चाटने के काम में लगा दिया...और अचानक ऋतू और नीचे हुई और नाजिर की भद्दी सी बालों वाली गांड के छेद पर अपनी जीभ फिरने लगी...
मुझे तो बड़ी ही घिन्न आई की ऋतू ऐसा क्यों कर रही है...पर शायद उत्तेजना के नशे में उसे कुछ भी नहीं सूझ रहा था, वो तो बस नाजिर को ज्यादा से ज्यादा मजे देने के चक्कर में गंदे से गन्दा काम करने में लगी हुई थी...नाजिर को ज्यादा मजे देगी तभी तो उसे नाजिर ज्यादा मजे देगा..
अब नाजिर ने से ज्यादा सहन नहीं हुआ उसने ऋतू को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों को चूसने लगा...उसके विशाल से शरीर के ऊपर ऋतू किसी छोटे बच्चे जैसी लग रही थी, काले रंग पर गोरी लड़की..
ऋतू के बाल खुल चुके थे और उसके चेहरे को ढक कर उसे और भी कामुक बना रहे थे, ऋतू तो बस अपनी आँखें बंद करे नाजिर के होंठों को चूसने में ऐसी लगी हुई थी की उसे बाकी के दोनों लोगो का ध्यान ही नहीं रहा जैसे...
मैंने उसे ध्यान दिलाने के लिए उसके सर के ऊपर आया और अपना लंड उसके मुंह के पास ले जाकर खड़ा हो गया..उसके बाल खींचे और उसके मुंह में अपना लंड डाल कर हिलाने लगा...
नाजिर ने अपने खड़े हुए खम्बे को नीचे से अपने हाथों से अडजस्ट किया और ऋतू को उसपर बिठा दिया..ऐसा लग रहा था की ऋतू नाजिर के लंड पर नहीं किसी कुर्सी पर बैठी हुई है..
क्योंकि वो एक तरह से हवा में लटकी हुई थी और फिर नाजिर ने ऋतू के दोनों कंधो को पकड़ कर उसे नीचे की तरफ दबाया...ऋतू चिल्लाती हुई नीचे आने लगी..
आआआआआआआआअह अयीईईईईईईईईइ मरररर गयीईईईई .......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह्ह्ह ...
और अंत में उसके चुतड नाजिर के शरीर से जा टकराए और उसका पूरा लंड ऋतू की चूत में धंस सा गया...वो हिल भी नहीं पा रही थी, ये पहली बार नहीं था की वो नाजिर के लंड को अपनी नन्ही सी चूत में ले रही थी पर इस बार भी उसका लंड बड़ी ही तकलीफ दे रहा था...और यही तकलीफ ऋतू को मजा भी दे रही थी..
थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद ऋतू ने हिलना शुरू किया और अब उसके मुंह से मीठी - २ सिस्कारियां निकलने लगी...
"आह्ह्ह्हह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ म्मम्म और तेज चोदो मुझे अंकल....अह्ह्ह्ह बड़ा ही मजेदार है आपका मोटा लंड.....और तेज चोदो न.....अह्ह्हह्ह्ह्ह"
वो चिल्लाने लग गयी थी
पीछे बैठे रेहान से भी अब रहा नहीं गया और वो उठ कर ऋतू के पीछे आया और उसे अपने बाप के ऊपर लिटा दिया..ऋतू कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसने अपना मोटा लंड उसकी गांड के छेद पर टिका दिया और एक तेज धक्का मारा.....
"आआआआआह्ह्ह ....साले मोटे गेंडे...निकाल वहां से.....मैं साथ एक दोनों का नहीं कर पाउंगी....."
वो पहले भी डबल पेनेट्रेशन करवा चुकी थी पर इतने मोटे लंडो से नहीं....पर रेहान नहीं रुका और उसने एक दो और तेज धक्के मारकर अपना पठानी लंड उतार दिया उस बेचारी ऋतू की गांड में....
नीचे से उसके बाप नाजिर ने और तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए...अब उसने ऋतू को अपने बाहों में जकड रखा था और नीचे से धक्को पर धक्के मार रहा था...ऊपर से रेहान ने भी अपने धक्को की गति बड़ा दी और ऋतू की गांड के छेद को और खुला करने में लग गया...
मैं नीचे अपने पंजो के बल बैठ गया और उसके मुंह में अपना लंड दोबारा डाल दिया..
रेहान ने ऋतू के गोल चुतड़ पकडे और अपनी राजधानी एक्सप्रेस चला दी ...उसके हर झटके से ऋतू चिल्ला पड़ती थी, नीचे लेटा उसका बाप नाजिर अपने मोटे लंड को सिर्फ उसकी कमसिन सी चूत में डाल कर लेटा हुआ था, क्योंकि बाकी का काम ऋतू खुद ही कर रही थी अपने आप आगे पीछे होकर...
मैंने ऋतू के चेहरे पर इतना संतोष पहले कभी नहीं देखा था, वो सही में चुदाई में एक्सपर्ट हो चुकी थी, लंड खाने वाली,
मैं सोचने लग गया की अभी पिछले महीने तक वो सिर्फ अपनी चूत में एक डिल्डो लेकर मजे कर लेती थी और आज उसके चारों तरफ लंडो की भरमार है, वो भी नहीं जानती होगी की पिछले महीने से अब तक वो कितनी बार चुद चुकी है..
अचानक नाजिर को भी थोडा जोश आया, उसने भी नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए, ऋतू को लगा जैसे उसकी चूत का कबाड़ा बन जाएगा आज तो..
वो चिल्लाने लगी...
आआआआआह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फ़ मर्रर्रर्र गयीईईई अह्ह्हह्ह्ह्ह........
उसने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और उसपर थूक फेंककर उसे मसलने लगी,
मैंने भी अपनी आँखें बंद कर ली और मजे लेने लगा, जल्दी ही मेरा ओर्गास्म अपने चरम सीमा पर पहुंचकर वीर्य के रूप में बाहर निकल पड़ा और मैंने अपनी पिचकारियों से ऋतू के चेहरे को भिगो डाला, कई बूंदे तो नीचे लेटे नाजिर के चेहरे पर भी पड़ी जिसे ऋतू ने अपनी गुलाबी जीभ से चाटकर साफ़ कर दिया...
मैं झड़ने के बाद साइड में बैठ गया, अब मैं ऋतू को उन दोनों बाप बेटे के बीच चुदता हुआ देख रहा था.
नाजिर के मन में अलग तरीके से चोदने का विचार आया उसने रेहान को अपना लंड ऋतू की गांड में से निकालने को कहा और खुद भी ऋतू को अपने लंड से सटाए हुए खड़ा हो गया,
उसका लंड अभी भी ऋतू की चूत में फंसा हुआ था, ऋतू उसकी गोद में चढ़ कर अपनी टांगो को उसकी कमर में लपेटी और अपनी बाँहों को उसकी गर्दन में लपेटी गहरी साँसे ले रही थी,
खड़े होने के बाद नाजिर ने रेहान को इशारा किया और रेहान ने पीछे से आकर ऋतू की गांड में फिर से अपना लंड दाल दिया और इस तरह ऋतू हवा में ही दोनों का लंड लिए चुद रही थी, ये बिलकुल वैसा ही था जैसे पापा और चाचू ने ऋतू को चोदा था, पर यहाँ लंड के साइज़ थोड़े बड़े थे.
ऋतू ने अपना मुंह पीछे किया और रेहान के मुंह को पकड़ कर उसके मोटे होंठ चूसने लगी, उसके शरीर की लचक देखते ही बनती थी, हवा में लटक कर वो कलाबाजी दिखा रही थी,
रेहान ने अपने हाथ आगे करके ऋतू के चुचे अपने हाथों में पकडे और तेजी से दबाने लगा, नाजिर और रेहान दोनों ऋतू की कमर को पकड़ कर उसे ऊपर नीचे कर रहे थे..
कमरे में सेक्स का म्यूजिक चल रहा था.
अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फो ओफ्फ्फ उफ ओफ्फ्फ ऑफ़ ओफ्फ्फ ऊऊऊऊआआ याआआ ऐसे ही अआः म्मम्मम्मम्म
और तेज चोदो न मुझे.....अह्ह्ह्ह रेहान.....अंकल....मजा आ गया.......अह्ह्हह्ह....
और तेज आवाजें निकलती हुई वो झड़ने लगी, उसकी चूत में से सैलाब की तरह उसका जूस निकलते हुए नीचे जमीं पर गिरने लगा....
पर रेहान और नाजिर तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे, ऋतू झड़ने के बाद ढीली होकर हवा में लटक सी गयी पर नाजिर ने उसे अपने लंड से ऐसा जकड़ा हुआ था की वो सिर्फ हवे में उछालने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रही थी,
रेहान और नाजिर ने तो जैसे ऋतू की चूत की चटनी बनाने की कसम ही खा ली थी, ऋतू की चूत बड़ी सेंसेटिव हो चुकी थी पर उसका ख्याल कोई नहीं कर रहा था..वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी...
अह्ह्ह्हह्ह छोड़ दो न प्लीज़ .....मुझसे और नहीं होगा.......अह्ह्ह्हह्ह हैईईईइ ......अह्ह्ह्हह्ह प्लीज़ मत करो....न.......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओयीईए......मम्मी........मर्रर्रर्र गयी रे..........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...
इसी बीच अपनी चूत को लगातार घिसने की वजह से उसके अन्दर एक और ओर्गास्म बनने लगा था, जिसकी वजह से उसे दर्द में भी मजा आने लगा....
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम ऐसे ही.....करो.......अह्ह्हह्ह्ह्ह
उसके बदले हुए रूप को देखकर मुझे भी हंसी आ गयी और मेरे मुंह से निकला...साली चुद्दक्कड़....
रेहान के शरीर से पसीने निकलने लगे थे, और जल्दी ही वो भी अपने चरम स्तर पर पहुँच गया और उसने पीछे से अपनी राईफल से दनादन कई गोलियां उसकी गांड की गुफा में दाग दी...और जोर से चिल्लाने लगा...
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ले साली.......ले मेरा माल अपनी गांड में.......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .......
और उसने अपने लंड वापिस खींच लिया उसकी गांड में से, लंड के पीछे -२ उसका सारा रस भी बाहर आकर नीचे गिरने लगा....
रेहान हाँफते हुए नीचे लेट गया.
अब मैच सिर्फ ऋतू और नाजिर के बीच हो रहा था....
नजर ने अपना बेट ऋतू की गीली पिच में डाल रखा था और उसकी बाल्स को अपने हाथों में लेकर चौके छक्के मार रहा था....
तकरीबन दस मिनट के बाद उसने भी अपना लंड ऋतू की चूत में खाली करना शुरू कर दिया....
अपनी चूत में आयी बाड़ को महसूस करते ही ऋतू ने भी दूसरी बार हवा में लटके हुए झड़ना शुरू किया और नाजिर के गले में अपनी पकड़ को और मजबूत बनाते हुए चिल्लाने लगी....
हन्न्न्नन्न्न्न .......म्मम्मम्मम मजा आ गया.......आआआह्ह्ह अंकल .....अह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फफ्फ्फ़ .....