मैं नीचे बैठे हुए देखा की नाजिर का लंड धीरे से फिसलकर ऋतू की चूत से बाहर निकल गया और नाजिर ने ऋतू को नीचे उतार दिया, वो तो निढाल सी होकर नीचे गिले फर्श पर बैठ गयी और नाजिर के लटकते हुए लंड को अपने मुंह में भरकर उसे साफ़ करने लगी....दुसरे हाथ से वो अपनी फूली हुई चूत और गांड को मसल रही थी...
हम सभी ने अपने कपडे पहने और बाहर आकर बाकि लोगो के साथ खाना खाने लगे, ऋतू से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था, पर खाना भी जरुरी था..
उसकी हालत देखकर रूबी और हिना मुस्कुरा दी, वो समझ गयी की रेहान और नाजिर ने आज ऋतू की काफी बजायी है.
हम सभी ने एक साथ खाना खाया और वापिस अपने काटेज में आ गए..
अगले तीन दिनों तक हम सभी ने हर तरीके से एक दुसरे को कितनी बार चोदा बता नहीं सकता..
और अंत में वो दिन भी आ गया जब हमें वापिस जाना था..
मैंने हिना और सोनी-मोनी का नंबर ले लिया ताकि कभी जरुरत पड़ने पर उनसे मिल सकूँ.
मुझे इतना मजा आज तक नहीं आया था, मैंने इस टूर पर ना जाने कितनी चुते चोदी थी, मैं गिनती भी नहीं कर पा रहा था.
वापिस जाते हुए मैं कार मैं बैठा सोच रहा था की कैसे विशाल और सन्नी को ऋतू की चूत दिलाई जाए और इसके लिए कितना चार्ज किया जाए....मैं तो ये भी सोच रहा था की मम्मी को भी इसमें शामिल कर लेना चाहिए...देखते है.
तभी मम्मी के फोन की घंटी बज उठी और उन्होंने कहा "अरे...दीपा का फोन है..." और ये कहते हुए उन्होंने फोन उठा लिया और बाते करने लगी.
दीपा मम्मी की छोटी बहन है, यानी हमारी मौसी ...वो मुम्मी की तरह ही गोरी चिट्टी है, बाल कटे हुए, दुबली-पतली ,
पर उनके चुचे देखकर मेरे मुंह में हमेशा से पानी आ जाता था, वो इंदौर में रहती है और उनके पति सरकारी जॉब करते हैं, उनके दो बच्चे हैं अयान और सुरभि दोनों लगभग हमारी ही उम्र के हैं.
मैं गोर से उनकी बाते सुनने लगा.
बात ख़तम होने के बाद मम्मी ने खुश होते हुए कहा "अरे सुनो..दीपा आ रही है अपने परिवार के साथ, वो लोग भी छुट्टियों में घुमने के लिए शिमला गए थे और वापसी में वो लोग कुछ दिन हमारे पास रुकना चाहते हैं और दिल्ली देखना चाहते हैं...."
मुम्मी की बात सुनकर पापा बड़े खुश हुए, उनकी नजर हमेशा अपनी साली पर रहती थी,
ये मैंने कई बार नोट किया था, पर दीपा मौसी बड़े नकचड़ी स्वभाव की थी, वो पापा की हरकतों पर उन्हें डांट भी देती थी, इसलिए पापा की ज्यादा हिम्मत नहीं होती थी...
पर अब बात कुछ और थी, मम्मी पापा हमारे साथ खुल चुके थे इसलिए वो खुल कर बात कर रहे थे हमारे सामने..
पापा बोले "इस बार तो मैं इस दीपा की बच्ची की चूत मार कर रहूँगा...बड़े सालों से ट्राई कर रहा हूँ...भाव ही नहीं देती साली..."
मम्मी ने कहा "अजी सुनो...तुम ऐसा कुछ मत करना...वो पहले भी कई बार मुझसे तुम्हारे बारे में बोल चुकी है और इस बार तो उसके साथ सभी होंगे,
उसके बच्चे और उसका पति गिरीश भी....तुम ऐसी कोई हरकत मत करना जिससे उसे कोई परेशानी हो...समझे..."
देखेंगे.... पापा ने कहा और ड्राइव करने लगे..
जल्दी ही हम सभी घर पहुँच गए और सीधे अपने कमरे में जाकर बेसुध होकर सो गए, ऋतू मेरे साथ मेरे कमरे में ही सो रही थी, नंगी, पर हमारे में इतनी भी हिम्मत नहीं थी की चुदाई कर सके, सफ़र में काफी थक चुके थे.
मैं नंगा अपने बिस्तर पर ऋतू के साथ बेसुध सो रहा था.
सुबह करीब 9 बजे के आस पास मेरी आँख खुली, ऋतू उल्टी लेटी हुई थी और उसने अपनी एक टांग मोड़ कर अपने पेट से चिपका रखी थी,
जिसकी वजह से फैली हुई मोटी गांड की फेलावट काफी सुन्दर लग रही थी जिसे मेरा लंड खड़ा हो चूका था, मैंने अपने लंड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया , मैं अब सुबह-२ ऋतू की गांड मारना चाहता था.
तभी मम्मी की आवाज आई, "ऋतू... आशु ...उठ जाओ ...देखो कितना टाइम हो गया है..." और ये कहती हुई वो अन्दर आ गयी, वैसे तो अब उनके सामने भी मैं ऋतू की चूत मार सकता था पर ना जाने मुझमे कैसी झिझक सी आ गयी और मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगा.
मम्मी अन्दर आई तो उन्होंने देखा की ऋतू तो बेसुध नंगी पड़ी हुई है और मैंने अपने लंड पर चादर डालकर उसे ढक सा लिया था, जिसकी वजह से उन्हें मेरा खड़ा हुआ लंड न दिखाई दे जाए...
वो बेड के पास आई और मेरे सर पर हाथ फेरकर धीरे से बोली "उठ जा मेरे राजकुमार...सुबह हो गयी है..." और उन्होंने नीचे झुककर मेरे माथे को चूम लिया,
उनके झुकते ही उनकी साडी का पल्लू नीचे गिर गया और उनके गीले बाल मेरे चेहरे से आ टकराए, वो सीधा नहाकर आ रही थी, और उनमे से बड़ी ही मादक सी महक आ रही थी,
मेरे चेहरे पर गीलापन आते ही मैंने उठने का नाटक किया और बोला "मम्मी...प्लीज़ सोने दो न..." पर तभी मैंने उनके ब्लाउस से बाहर निकलते गोरे -२ चुचों को देखा तो मेरी आँखें झट से खुल गयी,
मम्मी ने भी जब मुझे अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया तो उनके होंठों पर भी एक गहरी मुस्कान तैर गयी..
वो बोली "ओये बदमाश क्या देख रहा है...कल रात को ऋतू के साथ तेरा मन नहीं भरा क्या.." उन्होंने साथ लेटी नंगी ऋतू की तरफ इशारा करते हुए कहा.
"अरे नहीं मम्मी, रात को तो हम इतने थक गए थे की कुछ करने की हिम्मत ही नहीं थी, बस कपडे उतारे और सो गए..." मैंने मासूमियत से कहा.
"अच्छा जी...तभी आपको सुबह - सुबह शरारत सूझ रही है.." और ये कहते हुए उन्होंने चादर के अन्दर हाथ डालकर मेरा फनफनाता हुआ लंड पकड़कर जोर से दबा दिया..
"आआआह्ह्ह मम्मी...." मेरे मुंह से कराह निकल गयी उनके ठन्डे हाथों का स्पर्श अपने गर्म लंड पर पाकर.
मैंने उनकी कमर में हाथ डाला और उनको अपने ऊपर खींच लिया...उनके ब्लाउस से आधे बाहर निकले हुए चुचे सीधे मेरे मुंह के ऊपर आ टकराए...और मैं उन्हें चाटने लगा.
"ओह्ह्ह...बेटा.....छोड़ो ना...इतनी सुबह नहीं...." वो बोल कुछ रही थी पर उनका शरीर कुछ और हरकतें कर रहा था उन्होंने अपनी आँखें बंद करी और मेरे बालों को पकड़कर अपनी छाती से मेरा सर कुचल सा दिया.
इतनी नशीली वो आज तक नहीं लगी थी, सुबह -२ वो जैसे मेरे लिए ही नहाकर तैयार हो कर आई थी, उनके मोटे मुम्मो को मैंने चाट चाटकर पूरा गिला कर दिया, और जल्दी ही मैंने उनके ब्लाउस के हूक खोल डाले और उनकी सफ़ेद रंग की ब्रा मेरे सामने थी,
मैंने इनकी ब्रा के स्ट्रेप कंधो से उतार दिए और दोनों छातियाँ उछल कर बाहर आई और मैंने उनके उभरे हुए दानो को एक एक करके चुसना शुरू कर दिया...
मम्मी की हालत बड़ी अजीब हो रही थी, उन्होंने शायद सोचा भी नहीं था की मैं सुबह -२ उनके साथ ऐसी हरकत करूँगा जिसकी वजह से चुदाई के रास्ते बनते चले जायेंगे..
अब उनसे भी सहन नहीं हो रहा था.. उन्होंने अपनी साडी पेटीकोट समेत अपने घुटनों तक मोड़ी और उछल कर मेरे ऊपर बैठ गयी,
उन्होंने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी, मैंने अपना लंड सीधा किया और उन्होंने आग उगलती हुई चूत सीधा मेरे लंड के ऊपर रख दी और धम्म से नीचे बैठ गयी..
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्म्मम्म्म्मम्मsssssssssss...." उन्होंने अपनी आँखें बंद की और आनंद के सागर में गोते लगाने लगी
चुदने की इतनी उत्सुकता मैंने आज तक किसी में नहीं देखी थी..उन्होंने अपने कपडे भी ढंग से नहीं उतारे थे.उनके ब्लाउस से बटन खुले हुए थे पर ब्रा अभी तक बंधी हुई थी, पर उनके उभार बाहर निकल कर उछल कूद मचा रहे थे,
उनकी कॉटन की साडी को भी उन्होंने उतारने की जहमत नहीं उठाई थी..पिछले कई दिनों की चुदाई के बावजूद भी उनमे चुदने की कितनी आग थी वो देखते ही बनती थी.
वो जोर से चिल्ला रही थी..."ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ आः अह्ह्ह अहह अहह अह ह अह हा अह्ह्ह्ह अहहह ..." और तेजी से हांफ भी रही थी.
साथ लेटी ऋतू की तरफ मैंने देखा तो पाया की वो अभी भी बेसुध होकर सो रही है, उसे बेड पर हो रही चुदाई से कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था.
मैंने हाथ आगे करके ऋतू की चोडी गांड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया..और दुसरे हाथ से मम्मी के उछलते हुए चुचे को पकड कर जोर से दबाने लगा.
मम्मी भी मेरे दुसरे हाथ को ऋतू की गांड के ऊपर थिरकता देखकर मुस्कुरा दी..फिर उनके मन में ना जाने क्या आया की वो एकदम से मेरे लंड से उतर गयी और घोड़ी बन कर अपनी गांड उठा कर लेट गयी,
मैं उठा और उनके पीछे जाकर अपने गीले लंड को उनकी रसीली चूत में फिर से डाल कर जोर से धक्के देने लगा और उनकी गांड के गुदाज मांस को अपने हाथों से दबाने लगा.
मम्मी ने ऋतू की टांगो को खोला और उसकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया और उसे चूसने लगी.
मैं भी उनकी इस हरकत से हैरान रह गया.
शायद उन्हें प्यास लगी थी और वो ऋतू की चूत का रस पीकर अपनी प्यास बुझाना चाहती थी..
ऋतू को जैसे ही अपनी चूत पर मम्मी के होंठो का गीला आभास हुआ वो हडबडा कर उठ गयी उसकी नजरें सीधा अपनी चूत को चाटती मम्मी पर गयी और उनके पीछे खड़े होकर चूत मारते हुए मुझपर.
उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी, उसने सोचा भी नहीं था की इतनी सुबह चुदाई का खेल शुरू हो गया है, और मैं मम्मी की चूत तो मार ही रहा हूँ, मम्मी भी उसकी चूत को चूसकर उसे अपने साथ चुदाई के इस खेल में शामिल होने को उकसा रही है..
पर उसकी सोचने समझने की शक्ति ख़त्म होने लगी, क्योंकि मम्मी द्वारा उसकी चूत को चाटने की वजह से उसके शरीर में उत्तेजना की तरंगे उठने लगी थी और उसने अपने एक निप्पल को उमेठते हुए दुसरे हाथ से मम्मी के सर को अपनी चूत पर और तेजी से दबा दिया और उन्हें और जोर से अपनी चूत को चाटने के लिए उकसाने लगी.
येस्स्स्स.ममीईईइ....चतूऊऊओ अह्ह्ह्हह्ह म्म्म्मम्म्म्मम्म .......
बड़ा ही कामुक दृश्य था, ऋतू का नंगा शरीर नीचे पड़ा हुआ मचल रहा था और मम्मी उसकी चूत में से अमृत रूपी रस को चाटने में लगी हुई थी, कमरे में सिर्फ ऋतू की सिस्कारियां और मम्मी के मुंह से निकलती सड़प - २ की आवाजें निकल रही थी.
मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी और मम्मी के मोटे कूल्हों को पकड़कर अपनी गाडी दौड़ा दी उनकी चूत के हाईवे पर...
ऋतू के चेहरे को देखकर लगता था की वो जल्दी ही झड़ने वाली है, वो अपना सर ऊपर करके बैठ गयी और मम्मी के सर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी चूत पर घिसने लगी, उसने अपने दोनों हाथ नीचे ले जाकर मम्मी के दोनों मुम्मे पकड़ लिए और उन्हें जोर से दबाने लगी, उसके अपने चुचे मम्मी के सर के ऊपर थे.
अपनी चूत में मेरे लंड की घिसाई और अपने चुचों पर अपनी बेटी के हाथों की सिकाई ने जल्दी ही रंग दिखाया और वो चिल्ला चिल्लाकर झड़ने लगी...
स्स्सस्स्स्सस्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फफ्फ्फ़ मरररर गयीईईई अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....
उनकी चीख सुनकर ऋतू की चूत ने भी उनका साथ दिया और वो भी अपनी माँ के साथ साथ अपनी चूत से गर्म रस के फुव्वारे निकलने लगी..
मैंने भी आज्ञाकारी बेटे की तरह अपनी माँ की चूत के रस की गर्मी को अपने लंड पर पाते ही अपने लंड का दूध उनकी चूत में अर्पण कर दिया.
हम सभी हाँफते हुए बेड पर लेट गेर और एक दुसरे के शरीर से खेलने लगे.
मम्मी ने टाइम देखा तो जल्दी से खड़ी हो गयी और बोली "तुम्हारे चक्कर में तो काफी देर हो गयी..आशु चलो तैयार हो जाओ, तुम्हे पापा के साथ रेलवे स्टेशन जाना है, मौसी को लेने.."
मैंने ऋतू की तरफ देखा, वो अपनी चूत में उँगलियाँ डाले ना जाने किस दुनिया में खोयी हुई थी, मम्मी ने अपने कपडे ठीक किये और बाहर निकल गयी,
मैं भी उठा और सीधा बाथरूम में जाकर अपने सारे काम निपटाए और तैयार होकर नीचे चला गया, ऋतू भी अपने कमरे में जा चुकी थी नहाने के लिए.
मैंने और पापा नाश्ता करने के बाद स्टेशन की तरफ निकल गए.
मौसी लगभग ३ सालों के बाद दिल्ली आ रही थी, मेरे जहन में उनके बच्चों की तस्वीर थोड़ी धुंधली सी थी,
उनका बेटा बिलकुल काला था, अपने पापा जैसा, और बेटी भी मरियल सी थी, वो दोनों देखने में अपनी मम्मी जैसे बिलकुल भी नहीं लगते थे अब उनके बच्चे भी बड़े हो चुके होंगे..ये सोचते -२ कब उनकी ट्रेन आई पता ही नहीं चला.
ट्रेन प्लेटफार्म पर आकर रुक गयी
मैं और पापा उनके डब्बे के पास जाकर उनके बाहर आने का इन्तजार करने लगे.
सबसे पहले मौसी बाहर निकली, उन्हें देखकर तो मैं दंग रह गया, उन्हें मौसी कहना गलत होगा क्योंकि वो किसी कॉलेज की लड़की जैसी लग रही थी,
उतनी ही सुन्दर, पतली, टी शर्ट से उभरते उनके गोल गप्पे और टाईट जींस पहनने के कारण उनके चूतड़ों की गोलाई साफ़ देखी जा सकती थी,
ऊपर से नीचे तक वो लेटेस्ट फेशन से लबालब थी. पापा भी हैरानी से अपनी प्यारी साली को देखकर पलके झपकाना भूल से गए, दीपा जब पास आई तो उन्होंने पापा की आँखों के सामने चुटकी बजायी और उन्हें निंद्रा से जगाया और हंसने लगी.
पापा ने दीपा से हाथ मिलाया और उन्हें अपने गले लगा लिया, दीपा इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी, उसके एक हाथ में हेंड बेग था और दुसरे में पानी की बोतल,
इसलिए उसके उभरे हुए उभार सीधा पापा के सीने से जा टकराए और पापा ने भी मौके का फायदा उठाते हुए उन्हें जोर से अपनी छाती से दबा लिया.
पीछे से मौसी के पति हरीश अंकल बाहर आये और उनके पीछे -२ उनके दोनों बच्चे भी.
दोनों काफी बदल चुके थे, खासकर उनकी बेटी सुरभि जो अपनी माँ की तरह ही फेशन में डूबी हुई सी थी,
उसने भी जींस पहन रखी थी और उसके ऊपर टी शर्ट, उसके उभार नाम मात्र के थे पर उसके कुलहो की चौडाई देखकर उसकी जवानी का अंदाजा लगाया जा सकता था,
नहीं तो उसकी लगभग सपाट छाती को देखकर तो यही लगता था की वो शायद 10th में ही होगी..पर वो असल में कॉलेज के दुसरे साल में थी.
उसका भाई अयान काफी बदल गया था, और मोटा भी हो गया था..उसने मुझे देखते ही "यो ब्रथर..." कहते हुए गले लगा लिया.
सुरभि ने भी मुझसे हंस कर हाथ मिलाया और मैंने हरीश अंकल के पैर छुए और मौसी की तरफ बड़ा उनके पैर छूने के लिए तो उन्होंने मुझे गले से लगा लिया..
उनके नर्म मुलायम गोले मेरी गर्दन से मिल कर फुले नहीं समाये..मैंने मोसी पीछे खड़े पापा को आँख मारी और पापा मेरे साथ गहरी हंसी हंस दिए.
हम सभी ने सारा सामान उठाया और बाहर आकर कार में बैठ गए और घर की तरफ चल दिए.
घर पहुंचकर मम्मी ने दरवाजा खोला और अपनी बहन को देखते ही उस से लिपट गयी.
"अरे दीपा...तू तो बिलकुल नहीं बदली...पहले जैसी ही सुन्दर है..लगभग १ साल के बाद देख रही हूँ मैं तुझे.." मम्मी ने कहा.
और फिर मम्मी ने अपने जीजाजी और दोनों बच्चो को भी मिलकर उन्हें अन्दर ले जाकर बिठाया और चाय बनाकर ले आई.
सभी लोग बैठ कर बातें कर रहे थे, तभी ऊपर से ऋतू भी नीचे आ गयी और सबसे मिलने के बाद वो भी वहीँ बैठ गयी.
मैंने नोट किया की अयान ऋतू के मोटे चुचे देखकर बार -2 अपनी नजरें उधर ही ले जा रहा था. ऋतू भी उसे अपनी तरफ बार बार देखते पाकर समझ गयी की उसके एटम बोम्ब कुछ कमाल दिखा रहे हैं..
शाम को सभी बाहर घुमने गए और एक अच्छे से रेस्तरा में खाना खाया और अगले दिन कहाँ -२ जाना है इसका प्लान भी बनाया.
हरीश अंकल ने कहा की उन्हें अपने चाचा को मिलने के लिए मेरठ जाना है इसलिए वो कल घुमने नहीं जा पायेंगे,
मौसी और बच्चो ने उनके साथ जाने के लिए पहले से ही मना कर दिया था सो उन्होंने कहा की वो सुबह -२ चले जायेंगे और शाम तक वापिस आ जायेंगे.
रेस्तरां से वापिस आते - आते 11 बज चुके थे, वो लोग लम्बे सफ़र से आये थे और थक चुके थे, मम्मी ने कहा की सुरभि ऋतू के साथ और अयान मेरे साथ सो जाएगा, दीपा मौसी और हरीश अंकल गेस्ट रूम में जाकर सो गए.
रात को मुझे सोते हुए नींद नहीं आ रही थी, मैंने देखा की अयान सो चूका है तो मैं चुपके से उठा और छेद से ऋतू के कमरे में झाँका, वो दोनों सो चुकी थी,
मैं सुबह से उसकी चूत मारने के चक्कर में था, पर मौका नहीं मिला था, मेरा लंड अकड़ कर डंडे जैसा हो चूका था, मैं दबे पाँव बाहर आया और ऋतू के कमरे में दाखिल हो गया.
उसके बेड के पास आकर मैंने देखा की दोनों गहरी नींद में सो रही हैं..
मैंने ऋतू को हलके से हिलाया और वो जाग गयी, उसने मेरी तरफ हैरानी से देखा और बोली "भाई...तुम यहाँ क्या कर रहे हो..किसी ने देख लिया तो.."
"कोई नहीं देखेगा..." मैंने कहा और ऋतू के ऊपर झुककर उसके होंठों को चूम लिया.
मैंने देखा की साईड में लेटी हुई सुरभि गहरी नींद में सो रही है, मैंने पहली बार उसका चेहरा इतने पास से और गोर से देखा, उसके होंठ बड़े ही मोटे थे, जो उसके पतले शरीर से बिलकुल मेच नहीं करते थे, उसके चेहरे का कटाव बड़ा ही दिलकश था,
उसने टी शर्ट पहन रखी थी और शायद अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी, क्योंकि उसके ना के बराबर स्तनों के ऊपर लगे छोटे - छोटे निप्पल्स टी शर्ट के अन्दर से भी साफ दिखाई दे रहे थे.
ऋतू ने मेरा चेहरा अपनी तरफ खींचा और बोली "अपनी आँखों से ही चोद डालोगे क्या इसे भाई...." और हंसने लगी.
मैंने अपना ध्यान वापिस ऋतू की तरफ किया और उसे चूसने और चाटने लगा.
ऋतू बोली "भाई..हमें ये सब अभी नहीं करना चाहिए...अगर सुरभि उठ गयी तो क्या होगा..."??
ये नहीं उठेगी, ये सब काफी थके हुए हैं, सुबह से पहले नहीं उठेंगे...मैं सुबह से तड़प रहा हूँ तुम्हारी चूत मारने के लिए...मुझे और मत तडपाओ...मुझसे और सब्र नहीं होता.." और ये कहते हुए मैंने ऋतू की टी शर्ट को ऊपर किया और उसके मोटे ताजे गुब्बारों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा.
ऋतू ने भी अब विरोध करना छोड दिया और मेरे सर को पकड़कर अपनी छाती से दबा लिया और दुसरे हाथ से मेरे लंड को मेरे पायजामे से बाहर निकालकर दबाने लगी. जल्दी ही हम दोनों नंगे होकर एक दुसरे के शरीर को चूस और दबा रहे थे.
वो उठ कर खड़ी हुई और 69 की पोज़िशन में आकर मेरे लंड को निगल गयी और अपनी महकती हुई चूत को मेरे मुंह पर दे मारा. हम दोनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी सिस्कारियां अपने मुंह में दबाई.
मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ डाली और अपनी दो उँगलियाँ उसकी गांड के छेद में डाल दी और मजे से उसका रस पीने लगा..
ऋतू भी बड़ी उत्तेजित होकर मेरे लंड को बड़ी तेजी से अपने मुंह की थूक से भिगोकर चूस रही थी..उसने थोडा और पीछे होकर मेरी गांड के छेद पर भी अपनी जीभ फेरी और अपने होंठों से उस छेद को भी चूसने लगी, ऋतू पहली बार मेरी गांड के छेद को चूस रही थी, उसके ठन्डे होंठों के स्पर्श से मेरी कंपकंपी छूट गयी और मैंने और तेजी से ऋतू की चूत को चाटना शुरू कर दिया.
अब हम दोनों हल्की हल्की सिस्कारियां भी ले रहे थे.
ऋतू उठ खड़ी हुई और घूमकर मेरे ऊपर आई और अपने होंठ मेरे होंठो से जोड़कर उन्हें चूसने लगी, उसके मुंह में काफी गीलापन था और उसके होंठों में काफी नमी थी..मैंने उसके दोनों मोटे चुचों को अपने हाथ में पकड़ा और उसके निप्पल्स को दबाते हुए उसके दोनों जग्स को मसलने लगा.
ऋतू ने एक हाथ नीचे किया और मेरे लंड को अपनी चूत से सटाया और उसपर बैठती चली गयी.
हमारे दोनों में मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी एक दुसरे के मुंह में.
मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर रखे और नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.
मैंने पास लेटी सुरभि की तरफ देखा और मेरे मन में एक शरारत करने की सूझी, मैंने हाथ आगे किये और सुरभि के छोटे से निप्पल्स को अपनी उँगलियों में भर लिया..अपनी हथेली उसके छोटे से उभारों पर रखी और उन्हें दबाने लगा..मैंने इतने छोटे स्तन आज तक नहीं दबाये थे, पर उनकी कठोरता महसूस करके मुझे काफी मजा आया. वो मोटे चुचों की तरह मुलायम नहीं थे, बल्कि किसी कसरती शरीर की तरह कठोर थे.
ऋतू ने जब मुझे ऐसी हरकत करते देखा तो वो घबरा गयी की कहीं सुरभि की नींद न खुल जाए पर मैंने उसे समझाया की ऐसा नहीं होगा और वो फिर से अपने काम में लग गयी.
मेरे लंड से पिचकारियाँ छुटने वाली थी..
मेरे साथ -२ ऋतू भी झड़ने के काफी करीब थी..सबसे पहले मेरे लंड ने पिचकारियाँ मारनी शुरू की..
मेरा एक हाथ ऋतू के चुचे पर था और दूसरा सुरभि के., उत्तेजना के मारे मैंने उन दोनों को काफी तेजी से दबा डाला..
मैंने इतनी तेज दबाया की ऋतू की चीख ही निकल गयी और साथ ही साथ सुरभि की भी और वो नींद से जागकर हडबडा कर बैठ गयी...
सुरभि ने कुछ देर अपनी ऑंखें मद्धम बल्ब में देखने के लायक करी और अपनी आँखें मलते हुए हमारी तरफ देखा..
मैं और ऋतू अपना मुंह फाड़े उसकी तरफ देख रहे थे.
उसने जब देखा की ऋतू नंगी मेरे ऊपर सवार है तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी.
"ये...ये ..क्या कर रहे हो तुम दोनों.." उसने हकलाते हुए पूछा
हमारे मुंह से कुछ नहीं फूटा.
वो समझ चुकी थी की कमरे में हमारे बीच क्या चल रहा था..पर उसे इस बात का बड़ा ही आश्चर्य था की हम भाई बहन एक दुसरे की चुदाई कर रहे हैं.
"तुम दोनों ये गन्दा काम कैसे कर सकते हो ..तुम तो भाई बहन हो" उसने हम दोनों को हैरानी भरी नजरों से देखते हुए कहा.
ऋतू जो अपने चरम स्तर पर थी और झड़ने ही वाली थी उसने अपनी स्पीड कम नहीं की..और हल्की चीख मारकर वो मेरे लंड पर अपना रस छोड़ने लगी.
आआआआआआअह्ह्ह म्मम्मम ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओ गोड.... अह्ह्ह और हांफती हुई मेरे सीने पर गिर गयी.
मैंने अपनी तेज नजरों से देखा की सुरभि अब हमारी चुदाई को देखकर हैरान नहीं बल्कि उत्तेजित हो रही है..और ये बात उसके टी शर्ट में उभरते हुए मटर के दानों के द्वारा मुझे पता चली.
झड़ने के बाद ऋतू ने अपनी आँखें खोली और सुरभि से कहा "तुम ठीक कहती हो सुरभि...ये सब भाई बहन के बीच नहीं होना चाहिए...लेकिन हम क्या करें ...न तो मेरा कोई बॉय फ्रेंड है और ना ही इसकी कोई गर्लफ्रेंड ..
और हमें एक दुसरे की कई बातें अच्छी लगती है जिसकी वजह से हमने एक दुसरे को ही अपना बॉय फ्रेंड और गर्लफ्रेंड मान लिया है और ये सब करते हैं...
और हमारे घर पर इस तरह की कोई रोक टोक भी नहीं है, तुम ही बताओ, आज के जमाने में कोई बिना सेक्स के रह सकता है क्या...बोलो" ??
सुरभि कुछ समझ नहीं पा रही थी की ऋतू ऐसा तर्क क्यों दे रही है..पर जब ऋतू ने सेक्स के बारे में अपनी राय रखी तो उसे भी लगा की शायद ये कुछ गलत नहीं है..
ऋतू ने आगे कहा "क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है ? तुमने कभी सेक्स किया है या नहीं..." और ऋतू ये कहती हुई मेरे लंड से उतर गयी और सुरभि का हाथ पकड़ लिया.
सुरभि कुछ देर के लिए सकुचाई और फिर एक गहरी सांस लेकर बोली "तुम शायद ठीक कह रही हो दीदी..हाँ मेरा एक बॉय फ्रेंड है वो मेरे ही कालेज का लड़का है और उसका नाम रजत है पर सभी उसे राईडर के नाम से बुलाते हैं, क्योंकि उसकी बाईक पर हमेशा कोई न कोई लड़की राईड करती रहती है,
और मैंने पिछले 6 महीनो में उसके साथ कई बार सेक्स भी किया है..और सच कहूँ तो जब भी वो मुझे छूता है मुझे एक नशा सा हो जाता है और जब भी मैं उसका "वो" देखती हूँ तो मैं बेबस सी हो जाती हूँ और और...." ये कहते हुए उसकी आँखों में गुलाबी डोरे तेरने लगे और उसकी सांस फूलने लगी...वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी..उसकी चूत में से रिसते रस की खुशबु मेरे नथुनों तक आ रही थी.
उसकी हालत देखकर मेरे मुरझाये हुए लंड में फिर से कड़कपन आने लगा, मौके का फायदा उठाकर ऋतू ने सुरभि का हाथ पकड़कर मेरे गीले लंड पर रख दिया.
सुरभि के साथ -२ मुझे भी एक झटका सा लगा, पर उसके मुलायम और पतले हाथ अपने लंड पर पाकर मुझे बड़ा ही मजा आया.
वो पिछले दस दिनों से अपने बॉय फ्रेंड से दूर थी और सेक्स की लत की वजह से उसकी हालत भी काफी पतली हो चुकी थी, मेरे और ऋतू के बीच चलती चुदाई को देखकर पहले ही उसकी चूत से पानी निकल रहा था पर ऋतू ने जब उसका हाथ मेरे लंड पर रखा तो उसकी चूत में जैसे आग सी लग गयी और उसने मेरे लंड को अपनी पतली उँगलियों के बीच कस कर दबा दिया.
"वोंव...तुम्हारा ये कितना बड़ा है..." और वो मेरे लंड पर अपने हाथ को ऊपर नीचे करने लगी.
"इसे लंड कहते हैं..." ऋतू ने उसके चेहरे के पास अपना मुंह ले जाकर कहा और उसकी चूत पर अपना हाथ रख दिया.
"म्मम्मम्म....मुझे पता है...ये लंड होता है..." और उसने अपनी चूत पर रखा ऋतू का हाथ अपने हाथों के नीचे दबा दिया और बहकती हुई आवाज में बोली "और इसे चूत कहते हैं....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह " और वो सिस्कारियां लेने लगी.
मुझे पता नहीं था की ये चुहिया सी दिखने वाली लड़की इतनी गर्म भी हो सकती है..ये गर्म है तभी तो इतनी आसानी से हमारी बातों में आकर तड़प रही है. मजा आएगा इसकी चूत मारकर...ये सोचते हुए मैं मुस्कुरा उठा.
ऋतू ने उससे पूछा "अच्छा एक बात बताओ...क्या अपने बॉय फ्रेंड के अलावा भी तुमने किसी के साथ सेक्स किया है...या करना चाहती हो.." ??
सुरभि ने झट से अपनी आँखें खोली और ऋतू की तरफ देखने लगी, वो शायद कुछ सोच रही थी ..
वो धीरे से बोली "दरअसल...ये मेरा दूसरा बॉय फ्रेंड है, पर सेक्स मैंने पहली बार इसके साथ ही किया था, मेरा पहला बॉय फ्रेंड तो सिर्फ बाते करने में, मूवी दिखाने और खिलाने पिलाने में ही लगा रहता था,
जबकि मेरी दूसरी सहेलियों के बॉय फ्रेंड उनके साथ सेक्स के पुरे मजे लेते थे, जिसे सुनकर मुझे कुछ होने लगता था, इसलिए मैंने उस चुतिया को छोड़ दिया और अपनी सहेली के एक पुराने बॉय फ्रेंड के साथ, जिसने मेरी सहेली की काफी चुदाई करी थी, दोस्ती कर ली..
और तब से मैंने जाना की इतने समय तक मैं किस मजे से महरूम रही थी..हमने लगभग हर जगह चुदाई की है, उसके घर पर, हमारे कॉलेज में, क्लास में, कार में, और कई बार अपने घर में भी जब मम्मी पापा नहीं होते...
पर मैंने कई बार अपने भाई को, जिसे मेरे बॉय फ्रेंड के बारे में सब पता है, अपनी तरफ तरसती नजरों से देखते हुए देखा है...और सच कहूँ तो मैं भी कई बार ये सोचती हूँ के उसके साथ भी.....पर वो मेरा भाई है ये सोचकर मैं कुछ कर नहीं पाती...पर तुम लोगो को देखकर लगता है की मुझे भी एक बार उसके साथ ट्राई करना ही चाहिए.." उसने लगभग अपने सारे राज हम दोनों के सामने खोल दिए.
इस पूरी बातचीत के दोरान उसने अपना हाथ मेरे लंड से नहीं हटाया.
ऋतू भी उसकी चूत की मालिश उसके पायजामे के ऊपर से करने में लगी हुई थी.
मैं समझ गया की ये चिड़िया तो अब चुदी ही समझो.
मैंने एक हाथ ऊपर करके उसके निप्पल को पकड़ लिया..उसके निप्पल के नीचे कुछ नहीं था, नाम मात्र के चुचे थे उसके, पर निप्पल बड़े - 2 थे,
मैंने उन्हें अपनी उँगलियों से उमेठना शुरू कर दिया, उसने आनंद के मारे अपनी आँखें बंद कर ली और मेरे हाथ को पकड़कर अपनी छाती पर दबाने लगी.
मैंने उसके सर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा, वो किसी चुम्बक की तरह मेरी तरफ खींचती चली आई और मेरे मुंह के ऊपर आकर मेरे होंठों को बड़ी ही बेदर्दी से चबाने लगी..मैंने इतने जंगलीपन की कल्पना भी नहीं की थी उससे..
उसका एक हाथ मेरे लंड पर टिका था और दूसरा मेरे सर के ऊपर..
उसके मुंह का स्वाद बड़ा ही मीठा था, उसके होंठों से निकलता रस किसी बंगाली मिठाई की याद दिला रहा था..मैं भी अपनी पूरी ताकत से उसके नर्म और गर्म होंठों को चूसने में लग गया.
पीछे बैठी ऋतू ने सुरभि की टी शर्ट को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके गले से निकाल दिया.
अब वो ऊपर से नंगी थी.
मैंने उसकी छाती की तरफ देखा, वो बिलकुल सपाट थी, पर उसपर उगे काले निप्पल बड़े ही दिलकश लग रहे थे..मुझसे सब्र नहीं हुआ और मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसके मोटे निप्पल को अपने मुंह में डाल लेकर चूसने लगा.
उसके शरीर में जैसे एक करंट सा दौड़ गया, वो अपनी चूत को मेरी जाँघों से घिसने लगी, जिसकी वजह से मुझे उसकी चूत से निकलते पानी का एहसास हुआ.
वो लगभग लेट सी गयी थी.
ऋतू ने उसके पायजामे को नीचे से उतार दिया, उसने नीचे चड्डी भी नहीं पहनी हुई थी, मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत की हालत देखकर मुझे उसपर तरस आ गया, वो बिलकुल भीग चुकी थी और चुदने के लिए मानो भीख मांग रही थी. उसकी चूत की बनावट बड़ी ही सुन्दर थी, हलके-२ बाल थे उसपर, बिलकुल नयी नवेली सी चूत थी, उसे देखकर मुझे सोनी की चूत की याद आ गयी, वो भी बिलकुल ऐसी ही थी...
सुरभि के मुंह से लार निकल रही थी, जो मेरे सीने पर आकर गिर रही थी, वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी.
वो नीचे झुकी और मेरे लंड को अपने मुंह में डालकर चूसने लगी.
वो बीच-२ में मेरे लंड को काट भी रही थी.
ऋतू आराम से पीछे बैठकर हम दोनों की गुथम गुथा देख रही थी.
मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रखा, मुझे लगा की मेरा हाथ झुलस जाएगा, इतनी गर्मी निकल रही थी वहां से.
मैंने देर करना उचित नहीं समझा और उसे घुमा कर अपनी तरफ कर लिया, वो समझ गयी की चुदने का टाइम आ गया है, वो मुझ से ज्यादा व्याकुल थी अपनी चूत मरवाने के लिए ,
उसने बिना कोई वक़्त गंवाए मेरे लंड को पकड़ा और उसे अपनी चूत के दरवाजे पर रखकर एक तेज झटका मारा और मेरा आधे से ज्यादा लंड अपनी चूत में ले गयी..
अह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह मर्र्र गयी रे....वो इतने जोर से चिल्लाई की मुझे लगा शायद नीचे तक आवाज गयी होगी..
ऋतू ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोली..."धीरे बोलो...तुम तो मरवाओगी .."
"मैं क्या करूँ...जब भी लंड मेरी चूत में जाता है तो मेरे मुंह से बड़ी तेज आवाजें निकलती हैं...ये मेरे बस में नहीं है..मैं क्या करों...अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह " वो फिर से उतनी ही जोर से चिल्लाई..सेक्स के पुरे मजे लेने वाली लोंडिया थी वो..
मुझे भी अब डर लगने लगा, मम्मी पापा की तो कोई बात नहीं , अगर मौसी ने उसकी आवाज सुन ली तो क्या होगा..
मैंने उसे अपने तरफ खींचा और उसके होंठों को
अपने मुंह में दबाकर चूसने लगा, ताकि उसकी आवाज बाहर ना जाए.
मैंने नीचे से एक तेज झटका मारा और अपना पूरा लंड उतार दिया अपनी मौसेरी बहन की चूत में. उसकी आँखें बाहर की तरफ निकल आई, उसकी चूत में शायद इतनी अन्दर आज तक कोई लंड नहीं गया था.
मेरे मुंह में फंसकर भी उसकी आवाज काफी तेज निकल रही थी, पर पहले से थोडा कम थी.
वो मेरे मुंह को चूसते हुए चिल्ला रही थी.
अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फो फ्फ्फोफ़ फ फ़ो फोफ फ ऑफ़ फ फफफफ फफफफ गग्ग ग गग्ग गम्मम्मम्म ...
मैंने एक हाथ पीछे करके उसकी गांड के छेद में अपनी ऊँगली दाल दी ..
मेरा इतना करते ही जैसे उसकी चूत में रखा गर्म पानी का गुब्बारा फट गया और वो जोर जोर से चिल्लाती हुई मेरे लंड पर झड़ने लगी..
मैंने अपने हाथ से उसका मुंह दबाया और उसकी चीख दबाई.
मेरे लंड पर जैसे किसी ने पानी का डब्बा खाली कर दिया हो..इतना झड़ी थी सुरभि आज.
जैसे ही मैं झड़ने के करीब आया, वो चिल्लाई.."नहीं मेरे अन्दर नहीं..." मैं समझ गया की वो प्रेग्नेंट होने के डर से ऐसा कह रही है , मैंने झट से उसे अपने लंड से उतारा और उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भरकर चुसना शुरू कर दिया..जल्दी ही मैंने एक के बाद एक कई धारे उसके मुंह में छोडनी शुरू कर दी, वो मेरा सारा माल चाट कर गयी..
पीछे बैठी ऋतू ने ताली मारकर उसकी चुदाई की प्रशंसा की.
उसके बाद सुबह 5 बजे तक मैंने दो बार और ऋतू और सुरभि की चूत मारी और अंत में थक हारकर मैं वापिस अपने कमरे में आकर सो गया.
अगली सुबह मैं जल्दी ही उठ गया, मैंने देखा की अयान अभी तक खर्राटे भर रहा है, मैंने टाइम देखा तो 8 बजने वाले थे, मैं उठा और छेद में से दुसरे कमरे का हाल देखा, मुझे विश्वास नहीं हुआ जो मैंने वहां देखा, ऋतू और सुरभि 69 के आसन में लेटी हुई एक दुसरे की चूत चाट रही थी..
एक ही रात में काफी खुल गयी थी सुरभि हमारे साथ..
मैं अचरज में पड़ गया, क्योंकि मैं वहां से सुबह 5 बजे के आस पास ही वापिस आया था और मुझे लगा की वो दोनों अब तक घोड़े बेच कर सो रही होंगी..
मैं झट से दरवाजा खोल कर उनके कमरे में गया.
वहां सेक्स का आखिरी दौर चल रहा था, मेरे पहुँचते ही ऋतू के साथ साथ सुरभि ने भी अपना रस छोड़ दिया..
और इस बार भी सुरभि अपने ओर्गास्म के होते ही बड़े जोर से चिल्लाई..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फो फूऊफ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ अह्ह्हह्ह्ह्ह यीईईइ
उसकी चीख बड़ी ही तेज थी..मैं घबरा गया..
मैं झट से उसके पास पहुंचा और उसका मुंह दबा कर उसे शांत किया..
पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
उसकी आवाज सुनकर मम्मी भागकर ऊपर आ गयी.
उन्हें लगा की किसी को करंट लगा है..
कमरे में पहुँचते ही उन्होंने देखा की ऋतू बेड पर लेटी हुई है और सुरभि अपनी चूत उसके मुंह पर रखे उसकी चूत को चूस रही है, और मैंने सुरभि के मुंह को दबा रखा है.
मम्मी को देखते ही सुरभि की सिट्टी पिट्टी ग़ुम हो गयी..
मम्मी सारा माज़रा समझ गयी.
शुक्र है और किसी ने सुरभि की आवाज नहीं सुनी.
मम्मी अन्दर आ गयी और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.
सुरभि की हालत देखने वाली थी.
मम्मी ने मुस्कुराते हुए बेड के पास आकर मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा "तो ये सब चल रहा है...और तुमने इस बेचारी सुरभि को भी अपने खेल में शामिल कर लिया.."
सुरभि अपनी मौसी के इस रवेय्ये को देखकर हैरान थी.
मैंने उसकी परेशानी दूर की..
मैंने कहा "देखो सुरभि, तुम परेशान मत हो, मैंने तुमसे कहा था न की हमारे परिवार में किसी तरह की कोई रोक टोक नहीं है, इसलिए हम सभी एक दुसरे के साथ एन्जॉय करते हैं..
और ये कहते हुए मैंने मम्मी को अपनी तरफ खींचा और उनके होंठों को चूसते हुए उनके दांये मुम्मे को सूट के ऊपर से ही दबाने लगा.
मम्मी ने मेरा पूरा साथ दिया और अपनी बहन की बेटी की परवाह न करते हुए मेरा लंड पकड़कर उसे दबाने लगी.
सुरभि सब समझ गयी की हमारे घर में क्या क्या चलता है.
मैंने मम्मी के होंठो को चूसते हुए उनके कुर्ते को नीचे से पकड़कर उतारने लगा तो उन्होंने रोक दिया "अरे नहीं आशु...अभी नहीं, नीचे सब उठने ही वाले हैं..बाद में करेंगे..." पर मैंने उनकी एक न सुनी और उनका कुरता उतार दिया.
ऋतू पीछे बैठकर और सुरभि ऑंखें फाड़कर हमारा खेल देख रही थी.
मैंने मम्मी की ब्रा के हुक खोल दिए और उनके लोटे लुडक कर बाहर आ गए, मैंने झट से उनके दानो पर कब्ज़ा कर लिया.
मैंने नोट किया था की मम्मी को सुबह -२ सेक्स करने में बड़ा मजा आता है, कल भी उन्होंने मेरे कमरे में जो सेक्स किया था, मुझे अभी तक याद था उनका उतावलापन.
इसलिए उन्होंने ज्यादा विरोध नहीं किया आज भी, जबकि उनकी भांजी उनके सामने बैठी थी, पर उन्हें तो सिर्फ अपनी चूत में हो रही खुजली की चिंता थी.
मम्मी के बड़े-२ चुचे देखकर सुरभि हैरान रह गयी, उसने इतने बड़े चुचे कभी नहीं देखे थे.
मैंने उन्हें दबाना, चुसना, काटना शुरू किया और मम्मी ने मचलना, तड़पना और सिसकना.
मैंने उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया और उनकी ईलास्टिक वाली पायजामी उतार डाली, और उसके बाद उनकी काली पेंटी भी..
मम्मी की महकती हुई चूत मेरे सामने थी, मैंने झट से अपना मुंह उनकी चूत में डाल दिया और सुबह का नाश्ता करने लगा.
मम्मी की आँखें बंद थी और वो धीरे-२ सिस्कारियां लेती हुई मेरे सर के बालों में अपनी उँगलियाँ घुमा रही थी.
स्सस्सस्स म्मम्मम्मम अह्ह्ह्हह्ह ओयीईई .......
ऐसे ही बेटा....अह्ह्ह्हह्ह और तेज चुसो...हन्न्न्न वहीँ पर......शाबाश,.,अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म
सुरभि बिलकुल मम्मी के सर के पास बैठी हुई थी, उसने इतना कामुक दृश्य नहीं देखा था और ना ही माँ बेटे का ऐसा प्यार.
मेरे चाटने से मम्मी के मोटे मुम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे, मेरे मुंह के हर झटके से उनके मोटे गुब्बारे ऊपर होते और फिर नीचे..
उन्हें हिलता हुआ देखकर सुरभि के मुंह में पानी आ गया और वो सम्मोहित सी होकर उनपर झुक गयी और अपनी मौसी के दांये मुम्मे को मुंह में भरकर उसे चूसने लगी..
मम्मी ने जैसे ही सुरभि के होंठों को अपनी छाती पर महसूस किया तो उनके आनंद की सीमा न रही उन्होंने अपनी ऑंखें खोली और सुरभि को अपने सीने पर और तेजी से दबा कर उसे अपना दूध पिलाने लगी.
ऋतू भी उठ खड़ी हुई और दूसरी तरफ से आकर मम्मी के बाएं मुम्मे पर अपना मुंह लगा कर उसे चूसने लगी.
अब चीखने की बारी मम्मी की थी.
हय्य्यय्य्यय्य्य्य अह्ह्हह्ह्ह्हह्हssssssssssssssssssssss स्स्स्सस्स्स्स.........म्मम्मम्मम्म
उन्हें इतनी तेज चीखता पाकर मैं फिर से डर गया..पर मम्मी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने खुद पर काबू पाकर ऋतू और सुरभि के सर अपने मुम्मों पर और तेजी से दबा डाले.
मैं नीचे से उनकी चूत का रस पी रहा था और ऊपर से वो दोनों उनका दूध.
मम्मी के तो मजे हो गए सुबह-२.
मम्मी से और सब्र नहीं हुआ और वो उठी और घोड़ी बन कर अपनी गांड हवा में उठा दी और पीछे देखकर बोली..."आ जा बेटा...अब सहन नहीं होता...डाल दे अपनी माँ की चूत में अपना लंड...प्लीस....."
वो तड़प सी रही थी..
मैंने उन्हें तडपना उचित नहीं समझा और अपना लंड उनकी चूत के पास ले जाकर रखा, बाकी काम मम्मी ने कर दिया, पीछे की तरफ धक्का लगाकर और निगल गयी एक ही बार में मेरे पुरे लंड को..
मम्मी के दोनों तरफ बैठी हुई ऋतू और सुरभि हमारी चुदाई को देख रही थी..
मेरे मन में अपनी एक और इच्छा पूरी करने की बात आई.
मैंने ऋतू और सुरभि को इशारे से मम्मी की ही तरह गांड उठा कर लेटने को कहा.
वो दोनों भी मम्मी के दोनों तरफ उनकी ही तरह घोड़ी बन कर लेट गयी.
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मैंने उन दोनों की चूत के अन्दर अपनी उँगलियाँ डाल दी और तेजी से हिलाने लगा.
मेरी उँगलियाँ ऋतू और सुरभि को चोद रही थी और मेरा लंड मम्मी की चूत को.
अचानक मैंने अपना लंड मम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया.
मम्मी ने हैरानी से पीछे मूढ़ कर देखा, मैंने उनकी चूत में अपनी उँगलियाँ डाल दी और अपना लंड सुरभि की चूत में सटाया और एक तेज झटका मारा.
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम्म और उसने भी मेरा लंड निगल लिया अपनी चूत में.
अब मैं सुरभि की चूत को पीछे से मार रहा था.
15 - 20 झटकों के बाद मैंने उसकी चूत से भी लंड बाहर निकला और ऋतू के पास जाकर उसकी अधीर सी चूत में पेल दिया..
मेरे सामने तीन चूतें थी जो हवा में अपनी मोटी गांड उठाये मेरे लंड का इन्तजार कर रही थी.
मैं बारी-२ से तीनो की चूत मार रहा था.
सच में इतना मजा तो आज तक नहीं आया था मुझे.
जल्दी ही मम्मी ने आवाजें निकालनी शुरू कर दी, मैं समझ गया की वो झड़ने वाली हैं.
"अह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ऑफ अह्ह्ह बेटा ऐसे ही औउ और तेज बेटा...मार अपनी माँ की चूत हान्न्न ......हन्न्न्नन्न अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म "
और उन्होंने मेरे लंड पर अपना सफ़ेद लिसलिसा पानी छोड दिया...
मैंने अपना लंड बाहर निकला और ऋतू की चूत में तब तक घिसा जब तक उसकी चूत का जिन्न पानी बनकर बाहर नहीं आ गया..
वो भी चिल्लाती हुई मेरे लंड को भिगोने लगी..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह हह्ह्ह्ह अह्ह्ह म्मम्मम्मम मजा आ गया...भाई .......
मैंने पिछली रात 4 बार चोदा था इन दोनों को, इसलिए मेरा लंड जल्दी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था.
मैंने अपना गीला लंड सुरभि की चूत में फंसाया और उसे भी उसके अंजाम तक पहुंचा दिया.
अपने ओर्गास्म के समय वो चिल्ला पड़ी, पर इस बार ऋतू तैयार थी उसके लिए, उसने सुरभि के मुंह पर अपना मुंह लगा दिया और उसकी चीख को वहीँ दबा दिया.
घ्न्नन्न्न्न नं,,,,,, म्मम्मम ग्न्न्नन्न्न्न ......म्मम्मम्म ....घ्ह्ह्हह्ह्ह्ह ..... उसकी गुर्राहट सुनाई दे रही थी ऋतू के मुंह से.
तीन चूतें एक साथ मारकर मैंने अपनी एक और फ़ंतासी पूरी कर ली थी आज.
अब मेरा लंड उन तीनो के रस में नहाया हुआ खड़ा था, वो तीनो मेरे सामने बैठ गयी और बारी-२ से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.
मम्मी बीच में बैठी थी और ऋतू और सुरभि उनके दांये बांये.
मैंने अपने लंड के डंडे से उनके होंठों को मारा और उनकी आँखों पर, गालों पर, नाक पर, माथे पर उसे घिस घिसकर मजे लेने लगा.
वो तीनो भी मेरे लंड को बारी-२ से चूस रही थी और एक दुसरे से छिनकर ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने मुंह में रखकर मुझे स्वर्ग सा एहसास दे रही थी.
जल्दी ही उन तीनो की मेहनत रंग लायी और मैंने अपना रस निकालना शुरू कर दिया.
सबसे पहली धार मैंने मम्मी के मुंह पर मारी दूसरी सुरभि के और तीसरी ऋतू के..उन तीनो ने अपना मुंह खोल रखा था और मेरे लंड से निकलती बारिश की बूंदों को अपने मुंह में इकठ्ठा कर रही थी...मैं आज तक इतना नहीं झड़ा था.
अपनी आखिरी बूँद मैंने सुरभि की ठ़ोड़ी पर निचोड़ दी.
उनके चेहरे देखने लायक थे. बर्फ की सफ़ेद चादर सी बिछ गयी थी तीनो के चेहरे पर.
ऋतू ने मम्मी के चेहरे को चाटना शुरू किया, सुरभि समझ गयी और उसने ऋतू के चेहरे को चाटकर चमका दिया, मम्मी ने भी बारी-२ से दोनों के चेहरे से अमृत इकठ्ठा किया और पी गयी और इस तरह से उन तीनो का पेट भर गया.
मम्मी ने अपने कपडे पहने और बोली "चलो अब जल्दी से नहा धो लो और नीचे आ जाओ, हमें आज घुमने जाना है.."
मैंने अपने कपडे पहने और अपने कमरे में आकर बाथरूम में चला गया और नहाकर बाहर आया.
मैंने अयान को उठाया और उसे नहाने भेज दिया.
नीचे आकर देखा तो हरीश अंकल मेरठ जाने के लिए निकल रहे थे, उनके जाने के बाद हम सभी ने इकठ्ठा नाश्ता किया और हम घुमने निकल गए.
पुरे रास्ते सुरभि मुझसे चिपकी रही , वो मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थी..कल से आज तक वो करीब 5 बार मेरा लंड अपनी चूत में ले चुकी थी. और अभी भी उसकी चूत कुलबुला रही थी मेरे लंड की गर्मी पाने के लिए.
मैंने नोट किया की पापा का सारा ध्यान दीपा आंटी की तरफ था, दीपा आंटी भी पापा की नजरों को भांप चुकी थी, पर उन्हें मालुम था की उनका जीजा ऐसा ही है, उसपर हमेशा से गन्दी नजर रखता है, पर वो कर भी क्या सकती थी..
उस दिन हम लाल किला घुमे, क़ुतुब मीनार गए और कनाट प्लेस भी गए और वहां से पालिका बाजार, जहाँ से हमने काफी खरीदारी करी.
शाम को खाना खाकर हम सभी वापिस घर आ गए.
दीपा मौसी ने अपने पति को फ़ोन किया तो पता चला की हरीश अंकल रात को वहीँ रहेंगे..
थोड़ी देर बाद हम सभी सोने के लिए ऊपर की तरफ चल दिए..
मैंने किचन में खड़े पापा को मम्मी से कहते हुए सुना "आज तो मैं किसी भी हालत में दीपा की चूत मारकर रहूँगा...अगर मानेगी तो ठीक नहीं तो रेप कर दूंगा साली का..." मम्मी उन्हें समझा रही थी पर पापा कुछ समझने को तैयार नहीं थी.
मैं समझ गया की आज तो दीपा मौसी चुद कर ही रहेगी..
मैंने मम्मी पापा की बातें सुनी, सब कुछ सेट हो चूका था...पापा ने मम्मी को पूरी तरह से बोतल में उतार लिया था..
मैंने भागकर ऋतू के पास गया और उसे सारी बात बताई, मैंने सोचा की ऋतू को गुस्सा आएगा पर वो तो ख़ुशी के मारे उछल ही पड़ी और बोली "अरे वह...दीपा मौसी की चुदाई और वो भी पापा से...मजा आयेगा..."
मैंने कहा "पर दीपा मौसी पापा को घांस नहीं डालती...पापा उनके साथ जबरदस्ती करने की बात कर रहे थे.."
"यानी रेप.....तब तो और भी मजा आएगा...मैं ये सब देखना चाहती हूँ... " उसने ख़ुशी से उछलते हुए कहा.
"और सुरभि और अयान का क्या करेंगे...." मैंने ऋतू से कहा.
"तुम्हारे पास नींद की गोलियां है न...आज उन्हें गोली दे देते हैं..." उसने कहा. "उन्हें आज जल्दी सुला देते हैं...तुम सुरभि के पास जाओ और मैं अयान के पास जा रही हूँ.."
मैंने उसे नींद की गोली दी और वो कोल्ड ड्रिंक में मिला कर हम दोनों चल दिए...
हम दोनों जल्दी से एक दुसरे के कमरे में चल दिए..
ऋतू के कमरे में पहुंचकर मैंने देखा की सुरभि अभी - २ अपने कपडे चेंज करके बिस्तर पर बैठी थी...मुझे देखते ही वो भागकर मेरे पास आई और मुझसे बेल की तरह लिपट गयी और मुझे चूमने लगी...
पुरे दिन से वो मेरे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती थी..पर अभी मेरे पास समय नहीं था, मैंने उसे अपने से दूर किया और कहा..."देखो सुरभि...मुझे अभी नीचे जाना है, स्टोर रूम से कुछ सामान निकलवाना है मुझे मम्मी के साथ...
मैं तो बस तुम्हे ये कोल्ड ड्रिंक देने आया था, तुम मेरा इन्तजार करो मैं 1 घंटे में आ जाऊंगा.." और मैंने उसे कोल्ड ड्रिंक दे दी जिसमे मैंने नींद की गोलियां डाल रखी थी, उसने बिना कुछ कहे उसे पी लिया और बोली "मैं काफी थक गयी हूँ, पर तुम्हारा लंड लिए बिना मैं सोने वाली नहीं हूँ...तुम जाओ...और जल्दी आना...
"ये कहकर वो बेड पर लेट गयी, गोली ने अपना असर दिखाना शुरू किया और उसकी आँखें बंद होने लगी..जल्दी ही वो सो गयी..
मैंने सोचा, ना जाने ऋतू ने अयान को गोली दी होगी या नहीं..मैं छेद के पास पहुंचा और वहां से अपने कमरे में झांककर वहां का नजारा देखने लगा..
दुसरे कमरे में ऋतू जब कोल्ड ड्रिंक लेकर पहुंची तो अयान अपनी मौसेरी बहन को देखकर खुश हो गया, उसने ऋतू जैसी सेक्सी लड़की आज तक नहीं देखी थी...
ऋतू ने टी शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी..जिसमे से उसकी गोरी टाँगे बड़ी ही दिलकश लग रही थी..वो जब से यहाँ आया था ऋतू को ही घूरे जा रहा था, ऋतू भी ये सब जानती थी, उसने सोचा चलो आज अयान से थोडा पंगा लिया जाये..
उसने अयान से उसके कालेज के बारे में बाते करनी शुरू कर दी, और अंत में बात लड़की पर आकर रुकी, ऋतू ने उससे पूछा "क्या तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है ?"
वो घबरा गया और बोला "नही...नहीं तो दीदी..."
ऋतू उसकी हालत देखकर मुस्कुरा उठी.
"यानी तुमने आज तक किसी को किस्स भी नहीं किया है..." ऋतू ने हैरानी से पूछा...
"किस्स...अम्म्म नहीं तो ...मैंने नहीं किया..." वो अब हकला रहा था..
"करना चाहते हो....." उसने आगे होकर कहा और अपनी एक टांग उठा कर अपनी दूसरी टांग के नीचे दबा ली जिसकी वजह से उसकी मोटी जांघे उजागर हो गयी, उसकी मोटी टांग देखकर अयान की साँसे रुक सी गयी...
वो बोला "हान्न्न्न ...पर किसको करूँ...." उसने ऋतू से पूछा.
"मुझे....." ऋतू ने अपना चेहरा आगे किया और अपनी आँखें बंद कर ली..
अयान ओ विश्वास नहीं हुआ की ऋतू ने उसे चूमने की इजाजत दे दी है, वो कल से अपनी इस सेक्सी बहन को देखकर पागल हुए जा रहा था और अब ऋतू खुद ही उसे चूमने का निमंत्रण दे रही है उसने बिना किसी देरी के उसके चेहरे को पकड़ा और उसके नर्म मुलायम मलाई जैसे होंठों को चूसने लगा..वो बड़े ही मीठे थे....
उसने आज तक किसी को चूमा नहीं था, उसे ऐसा लगा जैसे वो स्वर्ग में हो...वो बावला सा होकर ऋतू के होंठों पर टूट सा पड़ा और उन्हें चूसने और काटने लगा...
ऋतू को भी बड़ा मजा आ रहा था अपने नौसिखिये भाई से किस्स करवाने में...पर वो जानती थी की इसके आगे और किसी बात का समय नहीं है, नीचे वाली फिल्म भी तो देखनी थी उसको...
उसने अयान को पीछे धकेला और बोली..."वाह भाई...तुम तो काफी अच्छी तरह से किस्स कर लेते हो..."
अयान ने आगे बढकर उसे अपनी बाँहों में भींच लिया और अपना मुंह नीचे करके उसके उरोजों को काटने लगा..ऋतू ने उसे हटाया और बोली "अरे...रुको...अभी नहीं....
मैं जरा देख कर आती हूँ की सब सो गए हैं या नहीं...तब तक तुम ये कोल्ड ड्रिंक पियो.." और अयान ने उसके हाथों से कोल्ड ड्रिंक ले कर एक घूंट में पी ली और बोला..."ठीक है...तुम जल्दी जाओ और जल्दी आओ...मैं तुम्हारा इन्तजार करूँगा....
और ये कहकर वो बेड में घुस गया , ऋतू बाहर निकल कर अपने कमरे में आई और सुरभि को सोता पाकर मेरे पास आई और मेरे कमरे में झांककर देखा, वहां अयान भी नींद के आगोश में पहुँच चूका था.
"बड़े मजे कर रही थी अयान के साथ...." मैंने उसे छेड़ते हुए कहा..
"तुम क्यों जल रहे हो....आज अगर दीपा आंटी को चुदते हुए नहीं देखना होता न तो मैं अयान का कुंवारापन अपनी चूत में घोल कर पी जाती..." उसने मुस्कुराते हुए कहा.."पर वो फिर कभी...अभी तो जल्दी से नीचे चलो.." और हम दोनों नीचे चल दिए.
वहां गए तो पाया, मम्मी पापा , दीपा आंटी के साथ बैठे उनके कमरे में गप्पे मार रहे हैं..
मैं ऋतू के साथ कूलर के पीछे छिप गया और खिड़की से अन्दर झाँकने लगा.
दीपा : "इनको भी मेरठ जाना जरुरी था क्या...और वहां रहने की ना जाने इनको क्या सूझी...."
पापा : "अरे साली साहिबा...आप क्यों घबरा रही हैं...मैं हूँ न...आप घबराइए नहीं.."
दीपा : "आप हैं तभी तो घबराहट हो रही है..." और वो हंसने लगी..
मम्मी : "भाई आप दोनों जीजा साली बाते करो...मैं तो चली, मुझे तो बड़ी नींद आ रही है..."
और वो उठ कर अपने कमरे में चली गयी और दरवाजा बंद कर लिया.
दीपा आंटी को थोडा अजीब सा लगा अपनी बहन के बर्ताव की, वो अपने पति को रात के समय अपनी बहन के कमरे में क्यों छोड़ गयी...पर वो कर भी क्या सकती थी, वो मेहमान जो थी..
वो दोनों फिर से एक दुसरे से बाते करने लगे..
दीपा : "मैं तो आज बहुत थक गयी हूँ जीजू...मेरा पूरा बदन दुःख रहा है "
पापा : "कहो तो दबा दूं...." और उन्होंने दीपा आंटी की जांघ पर अपना हाथ रख दिया और उसे दबाने लगे..
दीपा : "ये क्या कर रहे हैं आप..." वो गुस्से से चिल्लायी...."आपकी इन्ही हरकतों की वजह से मैं आपके घर आने से कतराती हूँ...अब रात काफी हो चुकी है..मुझे सोना है..आप प्लीज़ अपने कमरे में जाओ"
पापा :"जानेमन...क्यों नाराज होती हो...मैं तो सिर्फ तुम्हारा बदन दबा कर तुम्हारा दर्द दूर कर रहा हूँ...." और ये कहते हुए पापा ने उन्हें अपने सीने से लगाया और उनकी कमर पर हाथ फेरते हुए उनकी गर्दन को चूमने लगे..
दीपा आंटी के गुस्से की सीमा न रही...वो चिल्ला पड़ी...."दिदीई दीदी ....कहाँ हो आप...दीदी....
मैं और ऋतू...मम्मी के कमरे से बाहर आने का इन्तजार करने लगे...पर वो बाहर ना आई..मैं समझ गया की पापा ने उन्हें सब कुछ पहले से समझा दिया है...
पापा ने गहरी हँसी हँसते हुए कहा "तुम्हारी दीदी तो सो गयी...मान जाओ दीपा...आराम से मेरे साथ मजे लो...नहीं तो मुझे तुम्हारे साथ जबरदस्ती करनी पड़ेगी..." और उन्होंने दीपा आंटी के कंधे से उनका गाउन पकड़कर फाड़ दिया जिसकी वजह से उनकी काली ब्रा के स्ट्रेप दिखने लगे..
दीपा आंटी को विश्वास नहीं हुआ की पापा उनके साथ ऐसा भी कर सकते हैं...वो सकते में आ गयी..तब तक पापा ने उनके गले से लटकता हुआ कपडा खींचा और उसे भी फाड़ दिया..
दीपा आंटी के गोरे चुचे काली ब्रा में कैद हुए उजागर हो गए, इतने कसे हुए और मोटे, गोरे चुचे मैंने आज तक नहीं देखे थे...तभी तो पापा दीवाने थे अपनी इस साली के..
मैंने ऋतू की तरफ देखा , वो बड़े ही मजे से पापा के इस रूप को एन्जॉय कर रही थी.
दीपा आंटी के आंसू निकल आये , उन्होंने अपने हाथ जोड़कर पापा से कहा "प्लीज़...जीजू...मुझे छोड़ दो...मैं आपसे अपनी इज्जत की भीख मांगती हूँ....प्लीज़ मुझे छोड़ दो..."
पर पापा ने एक न सुनी और दीपा आंटी को बेड पर गिरा कर उनके ऊपर सवार हो गए और उनके दोनों हाथ दबाकर उन्हें जकड़ लिया.
दीपा आंटी बेबस सी होकर उनके नीचे मचलने लगी..
पापा ने नीचे होकर उन्हें चूमना चाह तो दीपा आंटी ने अपना मुंह दूसरी तरफ कर लिया...पापा ने जबरदस्ती उनका चेहरा अपनी तरफ घुमाया और उनके होंठों को अपने मुंह में ले जाकर चूसने लगे..
दीपा आंटी के मुंह से गूऊन्न गोऊँ की आवाजें निकल रही थी...
पापा ने अपने दुसरे हाथ से उनकी ब्रा के स्ट्रेप को खींचा और उसे भी तोड़ डाला...और अपना एक हाथ अन्दर डालकर उनके फुले हुए गुब्बारे जैसे मुम्मे को बाहर निकाल लिया...
मैं तो अपनी मौसी के उस गुब्बारे को देखकर दंग रह गया...बड़ा ही दिलकश था उनका मुम्मा..
पापा ने अपना मुंह नीचे किया और उनके निप्पल को अपने मुंह में डालकर चूसने लगे..और जोर से काट लिया उनके निप्पल पर...दीपा आंटी तड़प उठी...
मेरे मुंह में भी पानी आ गया , मेरा भी मन कर रहा था की भाग कर जाऊं और शामिल हो जाऊं पापा के साथ, और जम कर चुदाई करूँ दीपा आंटी की...
दीपा आंटी जोर-२ से चिल्लाने लगी...मुझे लगा की हमारे पडोसी न सुन ले उनकी आवाजें,.....
आंटी का एक हाथ पापा की गिरफ्त से छुटा तो उन्होंने एक झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया पापा के मुंह पर...पापा बिलबिला उठे...वो बोले..."साली...कुतिया...मैं तुझे प्यार से समझा रहा था...पर लगता है तेरे साथ जबरदस्ती करनी ही पड़ेगी..."
और फिर पापा ने दीपा आंटी की ब्रा पूरी तरह से खींच ली और उसे निकाल कर उनके मुंह में ठूस दिया...ताकि वो ज्यादा न चिल्ला सके...दीपा आंटी छटपटा रही थी....पापा ने उन्हें उल्टा किया और उनके हाथ पीछे करके बाँध दिए...
उन्हें सीधा किया और उनका गाउन एक ही झटके में फाड़कर उतार दिया...
नीचे उन्होंने चड्डी नहीं पहनी हुई थी...लम्बे-२ बाल थे उनकी चूत पर...मैंने इतना घना जंगल आज तक नहीं देखा था चूत का...आज तक सभी को बिना बालों के या थोड़े बहुत बालों के ही देखा था...
पापा ने उन्हें पीठ के बल लिटाया और खड़े होकर अपने कपडे उतारने लगे....और जल्दी ही वो नंगे खड़े थे अपनी साली के सामने..
उनका काला नाग अपने पुरे शबाब पर था...जिसे देखकर दीपा आंटी की आँखें चौडी हो गयी और उनके चेहरे पर भय साफ़ दिखाई देने लगा... लगता था उन्होंने इतना लम्बा लंड आज तक नहीं देखा था.
पापा ने फिर से नीचे झुककर दीपा आंटी के मुम्मो को चूसा और धीरे-२ नीचे आकर उनकी चूत के सामने अपना मुंह ले जाकर उसे बड़े प्यार से देखा और अपने हाथो से उनकी चूत के कपाट खोले और अपनी जीभ दाल दी उनकी चूत में...
बड़ा ही घना जंगल था वहां....पर दीपा आंटी की चूत से निकलता पानी मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था...यानी उनकी चूत पानी छोड़ रही थी....कभी-२ शरीर अपने दिमाग की बात नहीं मानता..उनके साथ जबरदस्ती हो रही थी, पर ये बात उनकी चूत को कौन समझाए..
पापा बड़ी देर तक उनकी चूत को चूसते रहे...
आंटी का चीखना चिल्लाना बंद हो गया था...पर वो अभी भी बीच-२ में अपना विरोध जताने के लिए उन्हें धकेल रही थी..
अंत में पापा से रहा नहीं गया और उन्होंने खड़े होकर अपने लंड को दीपा आंटी की चूत से सटा दिया...
आंटी सर हिला -२ कर उन्हें ऐसा करने से मना कर रही थी...पर पापा ने एक ना मानी और रोती हुई दीपा आंटी की चूत में अपने लंड का एक तेज झटका मारा....
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ...आंटी चिल्लाई और उनके मुंह से उनकी काली ब्रा निकल कर बाहर आ गयी...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह छोड़ दो मुझे प्लीस.......बड़ा दर्द हो रहा है....जीजू......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .......
उनका चेहरा पूरा लाल हो चूका था...सच में उन्हें काफी दर्द हो रहा था....
पर पापा नहीं रुके और उन्होंने एक और झटका मारा और अपना पूरा लंड उतार दिया दीपा की चूत में.....
आंटी की आँखें बाहर की तरफ निकल आई....उनका मुंह खुला का खुला रह गया...
हाआआआआआआ...........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फफ्फ्फ़ .....मर्र्र गयीईईइ .......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
उन्हें बड़ी तकलीफ हो रही थी, एक तो पापा ने उनके हाथ पीछे बाँध रखे थे और ऊपर से उनके लंड का साइज़ भी काफी बड़ा था उनकी चूत के लिए..इसलिए उन्हें काफी तकलीफ हो रही थी...
वो तड़प रही थी.....नीचे पड़ी हुई...पर वो कुछ ना कर पा रही थी...
पापा ने होंठों को अपने मुंह में रखा और चूसने लगे....और साथ ही साथ नीचे से अपने धक्को की स्पीड भी बड़ा दी....
बड़ा ही कामुक दृश्य था....पापा बड़ी ही तेजी से उनकी चूत में अपना लंड पेल रहे थे....और उनके होंठों को चूम भी रहे थे....
अह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फो फफो ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ म्मम्म .......
मैंने नोट किया की दीपा आंटी की सिस्कारियां निकल रही है....
मैं समझ गया की पापा के लंड के आगे उनका स्वाभिमान हार गया....
पापा ने भी जब उनकी सिस्कारियां सुनी तो अपना मुंह हटा लिया उनके मुंह से...
अब सिस्कारियां और तेज आने लगी...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म ओग्ग्ग्ग.....ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्हो ह ओह ओह ह हो ..... अह्ह्ह म्मम्म
दीपा आंटी अपनी नजरें नहीं मिला पा रही थी पापा से...पर अपने अन्दर से आती उत्तेजना की तरंगों पर उनका काबू नहीं था...
पापा ने मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देखा और अपना लंड निकाल लिया उनकी चूत से..
मेरे साथ-२ दीपा आंटी भी चोंक गयी...पर कुछ ना बोली....
पापा ने अब उनके हाथ भी खोल दिए थे. ..
पापा ने झुक कर उनके दाए चुचे को अपने मुंह में भरा और चूसने लगे....
अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह .....हंन्न्न्न ...... म्मम्म उन्होंने पापा के सर को पकड़ा और उनके बालों में उँगलियाँ फेरने लगी...
दीपा आंटी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी..पर शर्म के मारे कुछ बोल नहीं रही थी...
वो अपनी चूत वाले हिस्से को उठा उठा कर पापा के लंड से घिस रही थी.....पर पापा उसे अनदेखा करते हुए उनका दूध पीने में व्यस्त थे....
अंत में दीपा आंटी से रहा नहीं गया और वो लगभग चिल्ला पड़ी...
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह जीजू.......क्या कर रहे हो.....डालो न उसे अन्दर......म्मम्मम्मम " उसने मचलते हुए कहा..
"क्यों अब क्या हुआ....पहले तो बड़े नखरे दिखा रही थी...अब क्या चाहिए तुझे...बोल......??" पापा ने भी मजे लेते हुए कहा..
"जीजू प्लीज़....सताओ मत...मैं माफ़ी मांगती हूँ....प्लेअसे डालो न अपना लंड....मेरी चूत में....अह्ह्हह्ह " दीपा आंटी ने आखिर बोल ही दिया जो पापा सुनना चाहते थे...
आंटी के मुंह से लंड निकलने की देर थी, पापा ने ठोंक दिया अपना मुसल फिर से उनकी चूत में...
आंटी चिल्ला पड़ी ,
पर इस बार आनंद के मारे
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म वह्ह्ह.....क्या लंड है आपका.....दीदी हमेशा आपके लम्बे लंड की तारीफ़ करती थी...इसलिए मुझे डर लगता था....अह्ह्ह्हह्ह ....
मैंने सिर्फ अपने पति का लंड लिया है....जो पांच इंच का है...अह्ह्ह्ह ...इसलिए डरती थी....आपसे....हमेशा से....हाआअ..........पर सही में...आज जितना मजा मुझे आज तक नहीं आया....अह्ह्हह्ह.....चोदो मुझे जीजू....
चोदो अपनी साली....को...अह्ह्ह्ह और सजा दो मुझे इतने सालो से जो सलूक मैंने आपके साथ किया है.....उसके लिए सजा दो मुझे.....मेरी चूत...को...अह्ह्ह्ह.....फाड़ डालो..
आज मेरी चूत...ये तुम्हारी है...... डालो... और तेज....और अन्दर तक....अह्ह्ह्ह...ऐईइफ़..फ फ फुक फुक फुक फु .......उनके मुंह से थूकें निकल कर उछल रही थी उत्तेजना के मारे...
मेरा लंड स्टील जैसा हो चूका था...
मैंने ऋतू के पायजामे को नीचे सरकाया और डाल दिया उसकी बहती हुई चूत में अपना लंड पीछे से...
अब दीपा आंटी पुरे मजे लेकर चुद रही थी...अह्ह्ह अह्ह्ह.....और तेज्ज......अह्ह्ह्ह जीजू....मारो अपनी दीपा की चूत आज....अह्ह्ह....चोद दो मुझे.....मैं तुम्हारी हूँ......हांन्न .......और तेज....और तेज....ओग ओग ओग ओह ...."
और अपनी प्यारी और सेक्सी साली की चुदाई देखकर पापा के लंड ने जल्दी ही जवाब दे दिया और वो झड़ने लगे अपनी साली की चूत के अन्दर ही....
अपने अन्दर लावा महसूस करते ही दीपा आंटी ने अपनी टाँगे पापा की कमर में लपेट ली और अपना भी रस छोड़ दिया पापा के लंड के ऊपर....
अह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़...मर्र्र गयी रे....अह्ह्ह्ह मजा आ गया.........
और दोनों एक दुसरे को चूमने लगे..
मैंने भी इतना उत्तेजक नजारा देखकर अपना वीर्य अपनी बहन की चूत के अन्दर छोड़ दिया....बड़ी मुश्किल से ऋतू ने भी झड़ते हुए अपनी चीख दबाई...
तभी मम्मी के कमरे का दरवाजा खुला और वो वापिस उनके कमरे में आ गयी..
मैं चोंक गया मम्मी को वापिस पापा और मौसी के पास जाता देखकर..
कमरे का दरवाजा खुलता देखकर जैसे ही दीपा मौसी ने मम्मी को देखा वो सकपका गयी...उन्हें उम्मीद नहीं थी की मम्मी वापिस आएगी..
दीपा मन ही मन सोचने लगी, जब बुलाया था तब तो आई नहीं अब क्या करने आई है..
मम्मी ने पेटीकोट और ब्लाउस पहना हुआ था, वो शायद अपने कमरे में गयी थी और साडी उतारने के बाद दुसरे कमरे में चल रही अपनी बहन की चुदाई को कान लगा कर सुन रही थी..और उसके ख़त्म होते ही वो वापिस आ गयी.
मम्मी ने उससे पूछा : "क्यों दीपा...कैसी रही...मैं कहती थी न की इनका लंड बहुत ही लम्बा है...तेरी चूत के परखच्चे उड़ा देगा..मजा आया के नहीं"?? और ये कहते हुए वो पापा की तरफ देखते हुए हंसने लगी.
दीपा मौसी समझ गयी की उनके रेप में मम्मी की रजामंदी भी शामिल है...
पर अब इस जबरदस्ती की वजह से ही दीपा जान पायी थी की पापा का लंड सही में कितना मजा देता है..जिससे वो कितने समय से वंचित थी..
दीपा : "अच्छा दीदी...तो आप भी इस साजिश में शामिल थी...पर कुछ भी हो, जीजू की जबरदस्ती की वजह से मैं आज जान पायी की आप इतने सालों से कितना मजा लेती आ रही हैं...
और आज ये मजा जब मुझे मिला तब मैंने जाना की लम्बे लंड की क्या वेल्यु होती है, मैंने आज तक सिर्फ अपने पति हरीश के लंड से चुदाई करवाई है जो लगभग पांच इंच का है, मैंने पहली बार इतना बड़ा लंड देखा और चुदी भी....."
मम्मी : "अभी तुने देखा ही क्या है...अगर तुने आशु का लंड देख लिया तो पागल ही हो जायेगी..."
ये मम्मी ने क्या बोल दिया...मैं सोचने लगा.
दीपा : "आशु का....इसका मतलब तुम आशु का लंड देख चुकी हो..."
मम्मी : (हँसते हुए) "देख ही नहीं चुकी...ले भी चुकी हूँ अपनी इस चूत में" उन्होंने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा.
दीपा आंटी की हैरानी की सीमा न रही...
मम्मी ने आगे कहा :"तुम इतना हैरान मत हो...तुम तो जानती हो की सेक्स के बारे में मैं हमेशा से कितनी अडवांस रही हूँ...
तुम्हे जानकार ताज्जुब होगा की मैं और तेरे जीजू कई सालों से दुसरे विवाहित जोड़ो के साथ अदला बदली का खेल खेलते हैं...जिसमे हम दोनों को बहुत मजा आता है..और अब हमने अपने बच्चो को भी इसमें शामिल कर लिया है...जिसकी वजह से हमें और भी मजा आने लगा है .."
दीपा आंटी हैरानी से खड़ी हुई मम्मी की बाते सुन रही थी, उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था जो मम्मी उनसे कह रही थी.
दीपा : "तुम्हारे बच्चे....यानी आशु के साथ साथ तुम लोगो ने ऋतू को भी...." और उन्होंने हैरानी से पापा की तरफ देखा..
पापा : "हाँ साली साहिबा...ऋतू को भी चोद चूका हूँ मैं...और तुम्हारी दीदी आशु का लंड ले चुकी है अपनी चूत में कई बार..."
दीपा : "मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है जो तुम कह रहे हो..." उन्होंने अपना सर हिलाते हुए कहा..
मम्मी :"अगर विश्वास नहीं हो रहा है तो रुको मैं अभी बताती हूँ ..." और उन्होंने खिड़की की तरफ देखकर आवाज लगायी "आशु...ऋतू...अन्दर आ जाओ...मैं जानती हूँ तुम वहां खड़े हो..."
मैं और ऋतू ये सुनकर चोंक गए, मम्मी को कैसे पता चला की हम दोनों वहां खड़े है...ये सोचते हुए हम दोनों बाहर निकले और अन्दर आ गए..
दीपा आंटी हमें इतनी रात को इस हालत में देखकर चोंक गयी...वो और पापा बिलकुल नंगे थे, दीपा आंटी ने जैसे ही मुझे देखा उन्होंने चादर उठा कर अपने सीने के आगे लगा ली और अपना नंगापन छुपाने की असफल कोशिश करने लगी..
मम्मी ने उन्हें ऐसा करते देखकर कहा :"छुपाने की कोई जरुरत नहीं है दीपा...ये दोनों पिछले आधे घंटे से तुम्हारी चुदाई देख रहे हैं और इन दोनों ने तुम्हे नंगा देख ही लिया है तो अब इस चादर से अपने शरीर को ढकने का कोई फायदा नहीं है..." मम्मी ने दीपा से कहा.
पर दीपा आंटी ने चादर नहीं छोड़ी..
मैंने और ऋतू ने दीपा आंटी को देखा और धीरे से कहा "हाय...आंटी..." और नीचे की तरफ देखने लगे..
मम्मी :"तुम्हे क्या लगा....तुम दोनों छुपे हुए हो...खिड़की से बाहर निकलती रौशनी की वजह से तुम्हारी परछाई पीछे की तरफ काफी दूर तक जा रही थी, और बाहर निकलते हुए मैंने उसे देख लिया था...पर तुम दोनों भी अपनी मौसी की चुदाई देख लो...इसलिए मैंने तुम्हे परेशान नहीं किया..."
ऋतू : "ओह्ह..मम्मी....आप कितनी अच्छी हैं...." और वो जाकर अपनी मम्मी से लिपट गयी और मम्मी के होंठो को चूम लिया.
मम्मी काफी देर से दीपा और अपने पति की चुदाई को दुसरे कमरे से कान लगा कर सुन रही थी, जिसकी वजह से वो काफी गर्म हो चुकी थी...
ऋतू ने जैसे ही उनके नर्म और मुलायम होंठों को चूमा, मम्मी ने उसको कस कर अपनी बाँहों में लपेटा और उसके होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी..
साथ ही साथ उन्होंने ऋतू के चुचे भी उसकी टी शर्ट के ऊपर से ही दबाने शुरू कर दिए...
ऋतू ने भी नीचे झुककर मम्मी के ब्लाउस को खोला और उनका दांया लोटा पकड़कर बहार निकला और उसमे से जलपान करने लगी..
पापा बड़े मजे से अपनी गुंडी बेटी की हरकतें देख रहे थे और खुश हो रहे थे..
दीपा आंटी तो हैरानी से अपना मुंह फाड़े ऋतू और अपनी बहन की कामुक हरकत देख रही थी...
पापा ने उनको कहा :"देखा दीपा...हमारे परिवार में हम सभी एक दुसरे से कितने खुले हुए हैं...सेक्स के मामले में..."
मम्मी ने दीपा की तरफ देखा और हाँफते हुए बोली..." अहह मम्म .... और मैं तुम्हे कह रही थी ना आशु के लंड के बारे में..ओफ्फ्फ .देख लो तुम भी अह्ह्ह्ह उसके लंड को....अह्ह्ह और अपनी आँखों से यकींन कर लो...म्मम्मम्म " ऋतू उनके तरबूजों का रस पी रही थी और उन्हें बड़ा ही मजा आ रहा था...
मम्मी के लटकते हुए रसीले फल देखकर और उनकी बातें सुनकर मेरा लंड मेरे पायजामे में तम्बू बना कर खड़ा हुआ था...दीपा आंटी की नजर मेरी ही तरफ थी...बल्कि मेरे लंड पर थी..टेंट को देखकर ही वो समझ गयी थी की अन्दर क्या माल भरा हुआ है...
वो किसी रोबोट की तरह चलती हुई मेरे पास आई और मेरी आँखों में देखने लगी...मैंने उनकी आँखों में वासना के बादल उमड़ते हुए देखे...
बड़ी ही सुन्दर आँखें थी उनकी...बिल्ली जैसी...हरे रंग की...उनके होंठ लरज रहे थे, कुछ कहने के लिए...उनका एक हाथ चादर को थामे उनकी छाती के सामने था...दुसरे हाथ को उन्होंने अचानक मेरे लंड पर रख दिया...और उसे खींचने लगी अपनी तरफ...
स्स्स्सस्स्स्स....अह्ह्ह्हह्ह मेरे मुंह से सिसकारी सी निकल गयी...
बड़ी ही तेज पकड़ थी उनकी...जैसे ट्रेन रोकने के लिए जंजीर खींच रही हो...
मम्मी ने ऋतू के मुंह को अपने दुसरे चुचे पर रखते हुए कहा :"दीपा...ऐसे तुम्हे क्या मालुम चलेगा...बाहर तो निकालो इसके नाग को....म्मम्मम हाँ ऋतू ऐसे ही...." और फिर से ऋतू की तरफ ध्यान लगाकर उससे अपने मुम्मे चुस्वाने लगी...
दीपा आंटी ने मम्मी की बात सुनी और उन्होंने अपने दुसरे हाथ से मेरे पायजामे को पकड़ा और उसे नीचे कर दिया...
उनके ऐसा करते ही मेरा लंड उछल कर बाहर आ गया...
पर इसके साथ ही उनके उस हाथ से वो चादर भी नीचे हो गयी और जमीन पर गिर गयी....जिसका शायद उनको कोई एहसास ही नहीं हुआ..
वो अपनी फटी आँखों से मेरे लम्बे और मोटे लंड को घूर रही थी और मैं अपनी फैली हुई आँखों से उनके नर्म मुलायम मांस से भरे हुए मुम्मे देख रहा था...
ये वोही मुम्मे थे जिनको देखकर मेरे मुंह में अक्सर पानी आ जाया करता था...आज वो मेरे सामने झूल रहे थे...
दीपा आंटी ने अपना दूसरा हाथ भी मेरे लंड पर रखा और उसे बड़े ही गौर से देखने लगी...
उन्होंने मम्मी की तरफ देखा और बोली. : "तुम सही कह रही थी दीदी...इसका लंड तो अपने पापा से भी थोडा बड़ा और मोटा है...और साथ ही साथ ये कितना गोरा भी है..."
और ये कहते हुए वो मेरे सामने नीचे बैठ गयी और उसको अपने हाथो से दबा कर, मसल कर...घुमा कर अच्छी तरह से देखने लगी...
उनका मुंह सूखने सा लगा था मेरे लंड को देखकर...उनकी व्याकुलता बता रही थी की वो मेरे लंड को चुसना चाहती हैं...
वो बार बार अपनी नजरें ऊपर करके मेरी तरफ देख रही थी...और फिर मम्मी की तरफ...और पलंग पर लेटे हुए पापा की तरफ ...वो कुछ डीसाइड करने की कोशिश कर रही थी...उनके हाथ कांप रहे थे मेरे लंड को पकडे हुए...
मैंने उनकी व्याकुलता को शांत करने के लिए खुद ही पहल की और थोडा आगे आकर अपना लंड उनके लाल होंठों के पास ले गया...वो किसी भूखी शेरनी की तरह से झपटी मेरे लंड पर और उसे पूरा निगल गयी अपने मुंह में....
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओग्ग्फफ्फ़.. धीरे आंटी.... मुझे उनके दांत चुभ रहे थे...
पर उन्होंने एक न सुनी और अपनी स्पीड को और तेज करते हुए मेरे मुसल से तेल निकालने की तैयारी करने लगी...
मैंने पीछे हुआ और सोफे पर बैठ गया...दीपा आंटी ने मेरा लंड नहीं छोड़ा...और पीछे होते हुए सोफे के सामने घुटनों के बल बैठकर मेरे लंड को चूसने लगी...
मैंने अपनी टाँगे चोडी कर ली थी...जिसकी वजह से उनके दोनों मुम्मे मेरी अंदरूनी जाँघों से टकरा रहे थे और मुझे बड़ी ही गुदगुदी का एहसास करा रहे थे...
उन्होंने मेरा लंड चूसते हुए मेरी आँखों में देखा ...बड़ी ही कामुक लग रही थी वो उस समय...
तभी मैंने मम्मी की चीख सुनी...अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म हां......ऐसी ही ......म्मम्मम.......
मैंने देखा की ऋतू ने अपने और मम्मी के सारे कपडे उतार दिए हैं और उन्हें बेड पर लिटा कर उनकी चूत को चूस रही है...
पापा ये सब बड़े गौर से देख रहे थे और अपना लंड मसल कर उसे फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे..
अचानक दीपा आंटी उठी और मेरी गोद में चढ़ गयी...उन्होंने अपनी दोनों टाँगे मोड़ कर मेरी जाँघों पर चड़ा दी और मेरे मुंह को चूसने लगी...
मैंने उनके लाल होंठों को अपने दांतों से काटा, चूसा, और साथ ही साथ उनके दोनों पपीतों को भी अपने दोनों हाथों से खूब रोंदा...
बड़ा मजा आ रहा था...मेरे मुंह में अपने होंठ डाले हुए ही उन्होंने अपना एक हाथ पीछे किया और मेरे लंड को अपनी चूत के मुहाने पर टिकाया ...
उनकी चूत से रस की नदी बह रही थी...पापा का वीर्य भी निकल रहा था अभी तक...इसलिए काफी गीली चूत थी...
मेरे लंड को जैसे ही उन्होंने अपनी चूत से सटाया...मैंने नीचे से एक झटका ऊपर की तरफ दिया और उनके कंधे पकड़कर उन्हें नीचे की तरफ धकेला...
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ग्न्नन्न्न्नन्न म्मम्मम्मम ओह्ह्हह्ह्ह्ह गोड...... म्मम्मम ....
फच्च् की आवाज के साथ मेरा पूरा लंड उनकी कसी हुई चूत के अन्दर तक चला गया...उन्होंने अपने बाहें मेरी गर्दन में लपेटी, मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए..
अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अहह अह्ह्ह ऑफ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फो फक्क मी फक्क फु....अह्ह्हह्ह वो मेरे कान में सिस्कारियां लेकर बोल रही थी..
फिर उन्होंने अपना सर पीछे की तरफ कर दिया, मैंने उनकी कमर पर अपनी बाहें लपेटी हुई थी, वो हवा में झूल सी गयी और उनके लम्बे बाल नीचे मेरे पैरों को छूने लगे...
पीछे झुकने की वजह से उनकी छाती उभर कर मेरे मुंह के सामने पूरी तरह से उजागर हो गयी...मैंने अपना मुंह लगा दिया उनके चुचे पर और पीने लगा सोमरस वहां से...
मैंने देखा की पापा भी अब उठ खड़े हुए हैं और बेड के किनारे पर खड़े होकर उन्होंने ऋतू की गांड को हवा में उठाया और पीछे से ही उसकी रस टपकाती हुई चूत में अपना लंड पेल दिया...
कितना अजीब इत्तेफाक था...मेरा लंड दीपा मौसी की चूत में था जिसमे से अभी तक पापा का रस निकल रहा था...और पापा का लंड ऋतू की चूत में जहाँ से भी अब तक मेरा रस निकल रहा था..
ऋतू अपनी गांड हवा में उठाये पापा से चुद रही थी और पलंग पर लेटी हुई मम्मी की चूत को चाटकर उनका रस भी पी रही थी...
दीपा आंटी मेरे लंड पर बैठे हुए उछलने लगी...जिसकी वजह से उनके दोनों बुब्बे मेरी आँखों के सामने ऊपर नीचे होने लगे...मैं आराम से अपने हाथ अपने सर के ऊपर रखकर बैठ गया और दीपा आंटी को बिना हिले चोदने का आनंद लेने लगा...
जल्दी ही दीपा आंटी की चीखे पुरे कमरे में गूंजने लगी...
"अह्ह्हह्ह्ह्ह हाण....ओफ्फफ्फ्फ़ ......आशु.....बड़ा मोटा लंड है तेरा....अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ.....
मार ले अपनी मासी की चूत....तेरे बाप ने भी मारी है...तू भी मार ले....अह्ह्ह्हह्ह ....तेरी माँ सही कह रही थी....बड़ा लम्बा लंड है तेरा......अह्ह्ह्हह्ह.....म्मम्मम्मम्म ....म्म्मम्म्म्मम्म अह्ह्ह्ह इ आई एम् कमिंग ..... अह्ह्हह्ह्ह्ह "
और इतना कहकर उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और अपनी छाती में छुपा लिया मुझे किसी छोटे बच्चे की तरह और मैंने महसूस किया की मेरे लंड पर जैसे उनकी चूत ने अन्दर से गर्म पानी फैंका हो.....उनका गरमा गर्म रस मेरे लंड से होता हुआ नीचे सोफे पर गिरने लगा.....
उनका ओर्गास्म ख़त्म होने के बाद उन्होंने बड़े प्यार से मुझे देखा और मेरे माथे को चूम लिया...
मैं अभी तक झडा नहीं था...
मैंने उनकी गांड पर हाथ रखा और उन्हें उठा लिया...
मेरा लंड अभी तक उनकी चूत में धंसा हुआ था...वो भी मेरी ताकत देखकर हैरान रह गयी की कैसे मैंने उन्हें किसी कागज़ की तरह अपनी गोद में उठा लिया..मैं उनको लेकर बेड तक गया और उन्हें धीरे से वहां लिटा दिया..उनकी बहन के साथ....
मम्मी ने जब देखा की दीपा उनके साथ लेटी है...तो उन्होंने अपना एक हाथ उसके मुम्मे पर रख दिया और उसे दबाने लगी...
दीपा आंटी ने भी अपना एक हाथ मम्मी के चुचे पर रखा और उसे दबाने लगी..मैंने अपना लंड सही तरह से सेट किया दीपा आंटी की चूत में और उनकी टाँगे उठा कर धक्के लगाने लगा...
अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ऑफ ऑफ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ... ग्गग्ग्ग म्मम्मम .....
पापा भी मेरे साथ खड़े हुए ऋतू की चूत का बेंड बजा रहे थे...
ऋतू अपने मुंह से बड़ी ही तेजी से मम्मी की चूत को चाटने में लगी हुई थी...
सबसे पहले मम्मी की चूत ने जवाब दिया..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऋतू.......मैं तो गयी.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ अह्ह्ह्हह्ह स्स्स्सस्स्स्स
उनकी चूत से उनका रस काफी ऊपर तक उछला....वो जब भी काफी उत्तेजित होती थी तो उनका रस फुव्वारे जैसे बाहर निकलता था....
मैं ये सब पहले भी देख चूका था...ऋतू के लिए पहला अवसर था अपनी माँ की चूत से निकलते फुव्वारे में नहाने का...उसका पूरा चेहरा भीग गया...
पर जल्दी ही उसने अपनी लम्बी जीभ से सारा माल इकठा किया और चट कर गयी...
पापा ने भी ऋतू की गांड पर अपने हाथ टिकाये और दौड़ पड़े खड़े खड़े....
जल्दी ही उन्होंने अपनी मेराथन दौड़ में प्रथम आते हुए अपना लंड का झंडा लहरा दिया ऋतू की चूत में और झड़ने लगे...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऋतू.......मैं भी आया....अह्ह्हह्ह्ह्ह........ऊऊऊऊ ऊऊऊऊओ ऊऊऊओ फुक्क........... और वो ऋतू की चिकनी कमर पर झुक गए और उसे चूमने लगे...
ऋतू ना जाने कितनी बार झड चुकी थी ...अपनी माँ की चूत चाटते हुए और अपने बाप का लंड लेते हुए...
मैंने भी दीपा आंटी के दोनों चुचे पकडे और दे दना दन शोट मारने लगा उनकी चूत में.
मेरे रस के निकलते ही उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में समेट लिया..
अह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह दीपा आंटी.....म्मम्मम अह्ह्हह्ह .... ओफ्फफ्फ्फ़..
वो मेरे सर पर हाथ फेर रही थी....बस बेटा...हो गया....हो गया.....शांत हो जा.....हो गया....म्मम्मम....
मैं उनके मोटे चुचे पर अपना सर रखे हांफ रहा था...मेरा लंड उनकी चूत में पड़ा हुआ वहां के हसींन नजारों की फोटो ले रहा था.
"ये...ये क्या हो रहा है....." पीछे से आवाज आई...
हम सभी ने दरवाजे की तरफ देखा...अयान खड़ा हुआ था और हैरानी भरी नजरों से सभी को देख रहा था...खासकर अपनी माँ को.
दीपा आंटी ने जैसे ही अपने बेटे को देखा कमरे में उनकी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी, उन्होंने अपने बच्चो के बारे में सोचा भी नहीं था और चुदाई में लगी हुई थी..
और अयान उन्हें ऐसे घूर कर देख रहा था जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो..
सच में अजूबे जैसी ही थी दीपा आंटी की नंगी जवानी, कोई एक बार देख ले तो बार बार देखे..और ये तो उनका जवान लड़का था, जिसने घर पर भी ना जाने कितनी बार अपनी लचकती हुई माँ की जवानी को देखा होगा..
पर जब आज वोही चीज एकदम नंगी पड़ी थी तो उसके तो होश ही उड गए , पर इसके साथ ही जब उसने देखा की उसकी माँ तो मजे से हम सभी के साथ चुदने में व्यस्त है तो उसके सारे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी..
दीपा आंटी ने अपना नंगापन फिर से उसी चादर से छुपाया और अपने बेटे से बोली "अरे ...अयान तू तू....क्या कर रहा है....यहाँ..."
अयान ने हकलाते हुए कहा "वो...वो तो मैं ऋतू...ऋतू को ढूँढ़ते हुए...आया था..."
मैं समझ गया की उसपर दवाई का असर जल्दी ख़त्म हो गया और जब उसने देखा की कमरे में कोई नहीं है, और सोने से पहले ऋतू ने उसके साथ और भी कुछ करने की बात कही थी तो वो ऋतू को ढूँढ़ते हुए उसके कमरे में गया और फिर नीचे आया, जहाँ से कमरे में हम सभी की चुदाई देखकर वो अब अपना लंड पायजामे में उठाये खड़ा था ...
ऋतू ने उसकी हालत देखी और अपने पापा और मम्मी की तरफ देखकर उन्हें अपनी आँखों से समझाते हुए कहा..
"हाँ अयान ...मैं तो तुम्हे भूल ही गयी थी...चलो मैं चलती हूँ तुम्हारे साथ...."
और वो नंगी ही आगे आई और अयान को पकड़कर ऊपर की तरफ ले गयी.
दीपा आंटी ने चादर छोड़ दी और धम्म से बैठ गयी बेड पर और बोली "अब क्या होगा...अयान ने मुझे आप लोगो के साथ नंगा देख लिया है...वो क्या सोच रहा होगा..मेरे बारे में..."
पापा ने उससे कहा "अरे दीपा, तू क्यों चिंता करती है...जब उसने देख ही लिया है तो अब कर भी क्या सकती हो तुम....पर शायद तुमने देखा नहीं वो तुम्हे नंगा देखकर उत्तेजित हो रहा था..."
दीपा : "मतलब...?"
मम्मी : "मतलब ये मेरी प्यारी बहना...तुम्हारा बेटा तुम्हारे नंगे जिस्म को देखकर अपने आप पर काबू नहीं रख पाया...और उसका लंड खड़ा हो गया था..." मम्मी ने मुस्कुराते हुए अपनी नंगी बहन के गले में बाहें डालकर कहा.
दीपा आंटी कुछ देर तक अपनी बड़ी-२ आँखों से मम्मी और पापा को घूरती रही...और बोली "ऐसे कैसे....वो मेरा बेटा है...वो मुझे देखकर क्यों उत्तेजित होगा...भला.."
मम्मी :"क्यों नहीं होगा...हर बेटा अपनी माँ को देखकर उत्तेजित होता है...खासकर जब माँ तुम्हारे जैसी हो...या फिर मेरी जैसी...इसका उदाहरण तुम्हारे सामने है..." और मम्मी ने मेरी तरफ इशारा करके मुझे बुलाया..
"ये देखो ...मेरा बेटा आशु जब भी मुझे देखता था तो उसका भी यही हाल हो जाता था...पर वो डर के मारे और मैं शर्म के मारे कुछ कह नहीं सकती थी...
पर जब से हमारे विचार मिले हैं और हम सभी आपस में एक दुसरे से खुले हैं, तब से मैं रोज चुदी हूँ अपने प्यारे बेटे के इस शानदार लंड से..."
और उन्होंने मेरे लटके हुए लंड को अपने कोमल हाथों में लिया और दबाना शुरू कर दिया...ना जाने क्या जादू था उनके हाथों में, मैं अभी-२ झड़ा था दूसरी बार, पर उनके जादुई हाथों में आते ही मेरे लंड ने हवा में उठना शुरू कर दिया और जल्दी ही मेरे पेट से टक्कर मारने लगा...
"तुमने शायद नोट नहीं किया, उसके पायजामे में लंड खड़ा होकर टेंट बना रहा था..शायद आशु जितना तो होगा ही उसका लंड..." मम्मी ने दीपा आंटी के सामने लम्बे लंड का चारा डाला..
दीपा : "क्या सच में...तुमने देखा क्या...क्या वो वाकई में काफी बड़ा था..."
मम्मी मेरे सामने बैठ गयी और मेरे लंड को चुमते हुए अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी और बीच-२ में बोली "मैं सही कह रही हूँ दीपा...उसका लंड सही में काफी लम्बा था...
तुम्हारे पति जैसा छोटा नहीं है उसका लंड..." और फिर से मेरे लंड को मुंह में डाला और चूसने लगी..
"मैं देखना चाहती हूँ...उसका लंड..." उन्होंने जैसे किसी सम्मोहन में बंध कर कहा...
अपने बेटे के लंड की लम्बाई की कहानी सुनकर उनकी चूत के मुंह में फिर से पानी आ गया था...
मैंने उनसे कहा "अगर आप देखना चाहती हैं तो चलो ऊपर...ऋतू उसे मेरे कमरे में लेकर गयी है...आपको मैं उसका लंड दिखता हूँ...जिसका मजा ऋतू ले रही है इस वक़्त...."
दीपा : "पर कैसे...वो मेरे सामने ऋतू के साथ कैसे करेगा...."
मैं : "आप चलो तो सही उन्हें हमारे बारे में कुछ नहीं पता चलेगा..."
और मैंने मम्मी के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपना लंड छुड़ाया...वो तो मेरे लंड को छोड़ ही नहीं रही थी...उनका पेट अभी तक नहीं भरा था...
पर मेरे और पापा के कहने पर उन्होंने अनमने मन से मेरे लंड को बाहर निकाला और हम सभी नंगे ही ऊपर की तरफ चल दिए..
मैंने ऊपर जाकर अपने कमरे में झाँका तो पाया वो दोनों वहां नहीं थे...मैं समझ गया की ऋतू उसे अपने कमरे में ले गयी है..पर वहां तो सुरभि सो रही है..
मैंने सभी को अपने कमरे में ले जाकर चुप रहने को कहा और दीवार वाले छेद से ऋतू के कमरे में झाँका..मेरा अंदाजा सही था..वो दोनों वहीँ पर थे..
मैंने दीपा आंटी को इशारा करके छेद से देखने को कहा और खुद कान लगा कर उनकी बाते सुनने लगा..
अयान : "ऋतू दीदी...आप मुझे यहाँ क्यों ले आई..यहाँ तो सुरभि सो रही है...अगर वो उठ गयी तो ग़जब हो जाएगा..."
ऋतू : "अरे...फ़िक्र मत करो भाई...ये नहीं उठेगी...और अगर कमरे में कोई और भी हो जिसके उठने का डर लगे तो इसी में तो असली अड्वेंचर है..."
अयान :"वो तो ठीक है..पर नीचे क्या हो रहा था...मैंने तुम सभी को नीचे नंगा देखा था..एक साथ...मम्मी को भी..."
ऋतू :"तुम कब बड़े होगे अयान....इतना सब कुछ देख लिया फिर भी पूछ रहे हो...तुम्हे क्या लगा...हम सभी नंगे खड़े होकर कव्वाली गा रहे थे...
अरे भाई चुदाई चल रही थी उस कमरे में...और एक बात सुनो...हमारे घर में, सेक्स के बारे में सभी एक दुसरे से काफी खुले हुए हैं...
मैं पापा के साथ और आशु भाई के साथ सेक्स कर लेती हूँ, भाई भी मम्मी के साथ और मेरे साथ सेक्स करते हैं..इसमें काफी मजा आता है...
और पापा तुम्हारी मम्मी के साथ सेक्स कर रहे थे, जिसे देखने के लिए मैंने तुम्हे नींद की गोली दी थी..और नीचे जाकर हम भी उस सामूहिक चुदाई में शामिल हो गए,
पर तुम्हारी नींद जल्दी खुल गयी और तुम वहां आ गए..और तुमने वो सब कुछ देख लिया...और अभी तक चुतिया की तरह पूछ रहे हो की वहां हम सभी नंगे क्या कर रहे थे..." और ये कहकर वो हंसने लगी..
अयान ने भी अपने सर को खुजलाते हुए कहा "हाँ मैं समझ तो गया था, पर मैंने इस बात की कभी कल्पना भी नहीं की थी की आप सभी लोग सेक्स कर रहे होंगे...खासकर मम्मी के बारे में तो मैंने कभी नहीं सोचा था ऐसा.."
दीपा आंटी और मैं बारी बारी से ऋतू और अयान को देख रहे थे छेद से......
ऋतू :"पर तुम्हारी नजर हट ही नहीं रही थी अपनी मम्मी के नंगे जिस्म से...और तुम्हारा लंड भी खड़ा हो गया था..उन्हें देखकर..
मुझे तो तुमने देखा भी नहीं..मैं भी तो नंगी खड़ी थी वहां पर..." ऋतू ने अयान का लंड उसके पायजामे से पकड़ लिया..
अयान के मुंह से एक लम्बी और ठंडी सी सिसकारी निकली...स्स्स्सस्स्स्स ऋतू.....सच कहूँ तो....मैं अपनी मम्मी के नंगे जिस्म को कई बार सोचकर मुठ मार चूका हूँ....
और अक्सर घर में जब भी वो ब्लाउस और पेटीकोट में घुमती है तो मेरा बुरा हाल हो जाता है...और आज तो मैंने जब उन्हें अपने सामने नंगा देखा तो मेरी आँखें हटी ही नहीं उनपर से..."
मैंने दीपा आंटी की तरफ देखा...वो अपने बेटे के दिल की बातें सुन रही थी बड़े गौर से...
मैंने देखा उनकी एक ऊँगली अपनी चूत के अन्दर थी...मतलब अपने बेटे का इकबालिया बयां सुनकर गर्म हो रही थी वो साली दीपा आंटी...
ऋतू : "यानी तुम अपनी माँ की चूत मारना चाहते हो....है न..."
अयान : "काश ऐसा हो जाए...पर अभी तो तुम मेरे इस लंड का हाल चाल ठीक करो...और इतना कहकर उसने अपने लंड से पायजामे को नीचे सरका दिया और अपना लंड दिखाया ऋतू को...
उसका लंड देखकर ऋतू के साथ साथ दीपा आंटी के मुंह से भी आह सी निकल गयी....
मैंने दीपा आंटी को हटाया और देखा अयान का लंड...वो काफी लम्बा था, मेरे और पापा के लंड से भी लम्बा, पर बिलकुल पतला..उसके लंड पर नसें चमक रही थी...
और उसके टट्टे काफी लटके हुए से थे...और काफी बड़े भी..काफी गोरा रंग था उसके लंड़ का..उस ऋतू चुद्दकड़ के मुंह में तो पानी आ गया अयान के लम्बे लंड को देखकर..और वो झट से नीचे बैठी और निगल गयी उसे पूरा एक ही बार में..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अयान ने एक लम्बी सिसकारी ली और ऋतू के बालों को पकड़कर उसके सर को दबा लिया और अपना लंड आगे पीछे करने लगा उसके मुंह में...
दीपा आंटी और मैं बारी बारी से ऋतू और अयान को देख रहे थे...
मम्मी और पापा बड़े आराम से बेड पर लेटे हुए एक दुसरे के नंगे शरीर को अपने हाथों से सहला रहे थे..वो लोग चुदाई से काफी थक चुके थे..
मेरा नंगा जिस्म दीपा आंटी के शरीर से घिसाई कर रहा था..कभी वो मेरे सामने होती छेद में अपनी आँखें लगाये और उनकी मोटी गांड मेरे लंड से टच करती और कभी मेरे पीछे होती जब उनके झूलते हुए मुम्मे मेरी कमर की घिसाई करते...
अचानक ऋतू उठी और अयान को फ्रेंच किस करने लगी....उन दोनों में जैसे एक दुसरे के होंठों को काटने की होड़ सी लगी हुई थी...बड़े बैचेन हो रहे थे दोनों एक दुसरे की जीभ को पकड़ने के लिए...
अयान के दोनों हाथों में ऋतू के शानदार ब्रेस्ट थे...जिन्हें वो बड़े मजे से दबा रहा था..वो नीचे झुका और उन दोनों को बारी बारी से अपने मुंह में लेकर चूसने लगा...
ऋतू तो जैसे मरने के कगार पर पहुँच गयी....अयान का कद काफी लम्बा था, 6 फुट से भी ज्यादा का होगा वो..
इसलिए ऋतू उसके कंधे तक ही आ पा रही थी...इसलिए उसने ऋतू को अपनी गोद में उठाने के लिए उसकी गांड को पकड़ा और ऋतू उचल कर अपनी टाँगे लपेट कर चढ़ गयी उसके घोड़े पर...
और अपनी चूत के नीचे ठोकर मार रहे लंड को निशाना बनाकर बैठ गयी उसके लम्बे और पतले लंड पर....
घप्प से वो लम्बा लंड ऋतू की रसीली चूत के अन्दर सरकते हुए उसके गर्भाशय से जा टकराया..
स्स्सस्स्स्सस्स्स म्म्मम्म्म्मम्म आःह्ह्ह अयाआआआन हम्मम्मम्म क्या लंड है तुम्हारा.......मजा आ गया...
इतना अन्दर तो आज तक कोई भी नहीं गया....और उसने अपनी बाहें लपेट दी अयान के गले में और उछल कर घुड़सवारी करने लगी....
"अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फ्फ ऑफ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ म्मम्म और तेज मारो अयान.... अह्ह्ह्ह हां ऐसे ही....म्म्मम्म्म्मम्म हाआन्न्न फुक्क्क्क मीई हार्ड.........अह्ह्हह्ह्ह्ह "
और उसने अपना मुंह आगे करके अयान के होंठों पर कब्ज़ा किया और उन्हें चूसने लगी...
अयान ने ऋतू की गांड के छेद में अपनी ऊँगली डाली और उसे अन्दर बाहर करने लगा....
ऋतू के तो जैसे कुत्ते फेल हो गए अयान की इस हरकत से, उसकी रसीली चूत में लम्बे लंड की थिरकन से और अपनी गांड में उसकी लम्बी ऊँगली की चुभन से वो झड़ने लगी हवा में ही......
उसने अपना सर पीछे हवा में लटका दिया और झूल गयी अयान की बाँहों में....और उसके गोल मटोल से चुचे हवा में तन से गए और जैसे अयान को कह रहे हो...आओ न ..पी लो मुझमे से मेरा दूध........
और अयान ने किया भी ऐसा ही...अपना सर नीचे किया और मुंह लगा कर मेरी बहन का दूध पीना लगा...चपर चपर...करके...
ऋतू झड चुकी थी अयान के लंड के ऊपर ही...पर अयान था की उसे जैसे कोई शक्ति मिली हुई थी जल्दी ना झड़ने की...
वो तो लगा हुआ था और धपा धप मार रहा था ऋतू की चूत को हवा में ही...
मैं भी उसकी इच्छा शक्ति देखकर दंग रह गया....जल्दी ही वो थक गया और उसने ऋतू को नीचे उतारा और उसे बेड पर लिटा दिया....अपनी बहन सुरभि के साथ,
सुरभि तो घोड़े बेचकर, नींद की गोली लेकर सो रही थी....बेसुध सी..उसने टी शर्ट और स्किर्ट पहना हुआ था...जो उसकी जाँघों के ऊपर चड़ा हुआ था और टी शर्ट भी उसके पेट को नंगा करे ऊपर चड़ी हुई थी...
अपनी अर्धनग्न बहन को उसी बिस्तर पर लेटे देखकर अयान के लंड ने एक दो और झटके मारे और ऋतू की चूत में फिर से घुसने के बाद वो चल पड़ा फिर से एक नयी राह पर...
ऋतू का ओर्गास्म हो चूका था...उसका पूरा शरीर पसीने से लथपथ हुआ पड़ा था अयान के सामने..
पर अयान की ताक़त के आगे और अपनी चूत में होती लगातार घिसाई के द्वारा उसका ओर्गास्म फिर से बनने लगा और वो जोर से चिल्लाने लगी...
हाआन्न्न्न मारो मेरी चूत अयान.....इसी तरह...बड़ा लम्बा लंड है तुम्हारा.....मजा आ गया...हा ..... ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़.......चोदो मुझे ....अपने लम्बे और प्यारे लंड से.....अह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ....म्मम्मम और तेज...भाई...हननं ऐसे..ही....अह्ह्हह्ह ..... ओह्ह्ह्ह अयांन्न...मैं तो गयी रे.......अह्ह्हह्ह्ह्ह ....
अपने सामने जवानी के ज्वर भाटे में तड़पती ऋतू को देखकर अब अयान के लंड का पारा भी अपने चरम स्तर पर पहुँच गया...और उसके अन्दर से गरमा गर्म रस निकलने लगा ऋतू की चूत में.....
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऋतू....दीदी......मैं तो गया.....अह्ह्हह्ह .............और वो हुंकारता हुआ ऋतू के पसीने से भीगे मुम्मो पर लुडक गया...
दीपा आंटी की चूत में से मानो बरसात हो रही थी अपने बेटे का लंड देखकर और उसकी जबरदस्त चुदाई को देखकर....
उन्होंने मेरी तरफ देखा....और फिर बेड पर लेटे मम्मी और पापा की तरफ...और बोली....मैं जा रही हूँ....अपने बेटे का लंड लेने...
और वो निकल गयी मेरे कमरे से ऋतू के कमरे की तरफ...
मैं और मम्मी पापा दोनों भी दीपा आंटी की हिम्मत देखकर हैरान रह गए..कहाँ तो वो डर रही थी की उनके बच्चे क्या सोचेंगे उनके बारे में और कहाँ ये अब खुद ही चुदने के लिए चल पड़ी है अपने बेटे के लम्बे लंड से..
मैंने मम्मी पापा की तरफ देखा और मुस्कुरा दिया और फिर से देखने लगा छेद से की क्या होता है दुसरे कमरे में..
अयान और ऋतू एक दुसरे को चूम रहे थे.
ऋतू : "वाह अयान कमाल का लंड है तुम्हारा...झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था..साला...." और उसने नीचे झुककर उसके लम्बे लटके हुए लंड को चूम लिया..
अयान : "मैंने भी इतनी सुन्दर लड़की की चूत आज तक नहीं मारी...मेरी क्लास में एक लड़की है जिसके साथ मैंने सेक्स किया है...
पर जितना मजा तुम्हारे साथ आया है उतना आज तक नहीं आया...
सच में ऋतू तुम मजे लेना भी जानती हो और देना भी.." और ये कहकर वो दोनों फिर से एक दुसरे के होंठों को चूसने लगे..
तभी बाहर का दरवाजा खुला और दीपा आंटी नंगी अन्दर आई.
उन्हें देखते ही अयान चोंक गया..ऋतू बड़े आराम से लेटी हुई उन्हें देखने लगी.
अयान : "मम्मी......आप....यहाँ....क्या कर रही है...."
दीपा : "मैंने सब देख लिया है अयान...और तुमने भी नीचे लगभग सब कुछ देख लिया था...इसलिए अब मुझे नहीं लगता की हमें एक दुसरे के सामने कोई पर्दा रखना चाहिए..." ये कहते हुए वो मटकते हुए आगे आने लगी..
जैसे जैसे वो पास आ रही थी, उसके मोटे चुचे ज्यादा साफ़ दिखाई देने लग रहे थे..
अयान ऋतू के सामने अपने घुटनों के बल बैठा था बेड पर, और उसका लंड लटक रहा था, उसके सामने,
उसकी नजर अपनी माँ के मोटे उरोजों पर टिकी हुई थी, अपनी माँ के मोटे चुचों की थिरकन को देखकर उसके लटके हुए लंड में फिर से जान आने लगी...
ऋतू उसके लंड के नीचे बैठी हुई हैरत से देख रही थी की कैसे उसका लंड हवा में उठता चला जा रहा है...अपनी नंगी माँ को देखकर...यही तो सच्चा प्यार होता है माँ बेटे का.
दीपा : "बेटा मुझे गलत मत समझना...मुझे माफ़ कर दो...पर परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती चली गयी की मैं नीचे वो सब....कर रही थी...." और उन्होंने अपनी आँखें झुका ली.
अयान आगे आया और अपनी माँ के कंधे को पकड़कर बोला : "अरे ....नहीं माँ...आप ऐसा क्यों बोल रही है....मैं सब समझता हूँ ....
मैंने कई बार आपके और पापा के कमरे से छुप कर आप दोनों की बातें सुनी है...और मैं जानता हूँ की आप कैसे रातों में तड़पती रहती हैं...और पापा आपको पूरा सुख नहीं दे पाते..."
उसकी बात सुनकर दीपा आंटी के साथ-२ मैं भी अचरज में आ गया...यानी उसका लोडू पति न सिर्फ लंड के मामले में छोटा है बल्कि ...चूत मारने में भी ढीला है.
दीपा : "अगर तुम्हे वो सब पता ही है तो तू अब अच्छी तरह समझ सकता है न ..... "
अयान : "हाँ मा....मैं समझता हूँ...और मैं वादा करता हूँ की मैं अब आपको कभी दुखी नहीं होने दूंगा..."
और उसने आगे बढकर अपनी नंगी माँ को गले लगा लिया.
दीपा आंटी उसके निप्पल तक आ रही थी, थोड़ी छोटे कद की थी वो..और अयान का लंड लगभग उनके लटके हुए स्तनों को छु रहा था..
दीपा आंटी ने भी अपनी बाहें अपने बेटे की कमर में लपेट दी और उसकी छाती को चूम लिया.
अयान ने सोचा भी नहीं होगा की उसकी किस्मत ऐसे चमकेगी...दुनिया की सबसे सेक्सी लड़की ऋतू की चूत मारने के बाद अब उसकी अपनी माँ, जिसके बारे में सोचकर ना जाने उसने कितनी बार मुठ मारी होगी, अपने आप उसके पास आई थी, चुदने के लिए, और आगे के लिए चुदाई का रास्ता खोलने के लिए..
वो ये सोच ही रहा था की तभी दीपा आंटी, जो काफी देर से अपने बेटे के लंड को दूर से देखकर भूखी लोमड़ी की तरह लार टपका रही थी, नीचे झुकी और पंजो के बल बैठकर अपने बेटे के लंड को पकड़ लिया.
अयान का लंड अभी -२ झड़ा था, पर जैसे ही उसकी माँ ने उसका लंड पकड़ा, उसे लगा की अभी बरसात हो जायेगी, उसके लंड में से...उसके शरीर में एक झुरझुरी सी दौड़ गयी.
मम्मी और पापा भी उठ कर आगे आये और मुझसे पूछा... "क्या हो रहा है वहां...हम भी तो देखे..."
और मम्मी ने जब देखा की दुसरे कमरे में उनकी बहन नीचे बैठकर अपने बेटे का लंड पकड़े बैठी है तो वो बड़ी खुश हुई और बोली....चलो वहीँ चलकर देखते हैं अब...." और हम सभी वहां से निकल कर दुसरे कमरे में आ गए.
अयान ने जब हम सभी को आते देखा तो उसने एक स्माईल पास की हमें ...मैं पीछे आकर कुर्सी बार बैठ गया और मम्मी पापा सोफे पर..ऋतू भी उठी और नंगी उठकर मेरी गोद में आ गयी..
दीपा के हाथ कांप रहे थे अपने बेटे के लंड को पकड़कर...वो बड़े गौर से उसकी बनावट देख रही थी,
उसने सपने में भी नहीं सोचा था की उसके बेटे का लंड इतना लम्बा होगा, वो तो सोचती थी की ये सब वंशानुगत होता है, यानी छोटे लंड वाले का बेटा छोटे लंड वाला...पर आज वो समझ गयी थी के ये सब गलत है.
उसको सोचता पाकर मम्मी ने दीपा आंटी से कहा "अरे दीपा सोच क्या रही है....अब तो तेरा बेटा लंड लटकाए खड़ा है तेरे सामने, चल शुरू हो जा..और ले ले अपने बेटे ला लंड अपने मुंह में..."
दीपा आंटी ने अपनी बहन की बात मानी और अयान के लंड को एक चुम्मा दिया और अगले ही पल अपने मोटे होंठों से ढक लिया उसके लम्बे लंड को..
अयान की आँखें बंद होने लगी, अपनी माँ के लाल होंठों को देखकर.. वो पहले से ही मरता था, पर आज उन्ही होंठों ने जब उसके लंड को चूमा तो वो मानो हवा में उड़ने लगा..
उसने बड़े प्यार से अपनी माँ के बालों को पीछे किया और उनकी आँखों में देखकर बोला "माँ...तुम सच में बहुत सेक्सी हो..." अपनी तारीफ़ सुनकर दीपा में जैसे जोश आ गया और उसने जल्दी से अपने मुंह को अयान के लंड पर घिसना शुरू कर दिया.
मैंने मम्मी की तरफ देखा, वो अपनी चूत को घिस रही थी...और पापा को देखा तो पाया उनका ध्यान दीपा और अयान पर नहीं बल्कि बेड पर सो रही सुरभि की तरफ था...मैं समझ गया की चोदु पापा का लंड इस नयी चूत को देखकर मचल रहा है..
उन्होंने भी मुझे अपनी तरफ देखते हुए पाया तो मैंने उनसे कहा...."पापा बड़ी मस्त है सुरभि भी...ट्राई करो..."
पापा ने मम्मी की तरफ देखा और फिर दीपा की तरफ...और फिर बेड पर आकर बैठ गए..
दीपा आंटी समझ गयी की उनका जीजा अब उनकी बेटी की चूत भी मारेगा...माँ का दिल ये सोचकर डर गया की उनके मोटे लंड से कमसिन सुरभि का क्या हाल होगा...
मैंने उनका डर ख़त्म करते हुए कहा..."दीपा आंटी...आप चिंता मत करो....सुरभि अब उतनी भी बच्ची नहीं रही जितना आप समझ रही हो...
वो मेरा लंड ले चुकी है...और काफी मजे भी कर चुकी है..."
दीपा आंटी चोंक गयी, वो तो समझती थी की उनकी बेटी वर्जिन है...उसके चुचे भी नहीं निकले अभी तक...
पर चुचों का चूत से क्या लेना देना...वो तो जवान हो चुकी होगी न...कोई बात नहीं...कर लेने दो इन्हें भी मजे...अभी तो उन्हें अपने बेटे के लंड से ज्यादा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था..
और वो फिर से अयान के लंड को चूसने में व्यस्त हो गयी.
पापा ने बेड पर जाकर सुरभि की टी शर्ट के ऊपर से ही उसके निप्पल्स को पकड़ा और उन्हें दबाने लगे...उभार तो ना के बराबर थे उसके...पर निप्पल बड़े ही ग़जब के थे...
पापा ने उसकी टी शर्ट को गले तक ऊपर उठा दिया और नीचे झुककर उसके निप्पल पर अपनी जीभ फेरने लगे.
अपने शरीर से छेड़खानी पाकर वो भी कुनमुनाने लगी...वो गहरी नींद में थी, दवा का असर काफी हुआ था उसपर...पर नींद में भी उसका शरीर अपने साथ होते नए खेल को समझ रहा था...
उसके दोनों अंगुरदाने ऊपर उठ कर लगभग कंचे जैसे बड़े हो गए...पापा ने अपने दांतों से उसे काटना शुरू कर दिया...
अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम ...सुरभि नींद में भी सिस्कारियां ले रही थी.
अयान ने अपनी माँ को खड़ा किया और उनके होंठों को चूसने लगा..और अपने हाथों से उनके मोटे मुम्मों को दबाया और उनसे खेलने लगा.
और फिर उसने नीचे झुककर अपनी माँ के मुम्मे को अपने मुंह में डाला और चूसने लगा.
दीपा आंटी खड़े खड़े चीखने सी लगी....
अह्ह्हह्ह्ह्ह हां बेटा...चूस इन्हें....आज कितने सालों के बाद तुने इन्हें चूसा है....अह्ह्ह्हह्ह पी ले अपनी माँ का दूध.....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ले बेटा.....इसे भी पी....ना प्लीज़......अह्ह्हह्ह्ह्ह शाबाश....म्मम्मम्मम ओफ्फ्फ ओह्ह्ह्ह मार डाला.......म्मम्मम्म.......क्या कर रहा है...अह्ह्ह्हह्ह अयाआआअन .....कुछ कर बेटा......मुझे कुछ हो रहा है.......हन्न्नन्न्न्न ......ओह्ह्हह्ह म्मम्मम्म...."
दीपा आंटी खड़ी हुई डांस सी कर रही थी..
ऋतू मेरी गोद में बैठी हुई थी और अपनी मोटी गांड को घिस रही थी मेरी जांघ पर...
मैं उसके मोटे चुचे को मसल रहा था..बैठे हुए..
मम्मी अपनी चूत को घिस रही थी....जोर जोर से.
पापा ने सुरभि की स्कर्ट नीचे खींच दी और उसकी ब्लेक कलर की कच्छी भी उतार दी...अपने सामने उन्होंने जब कसी हुई चूत देखी तो उनकी जीभ बाहर निकल आई और उन्होंने उसकी गीली चूत को साफ़ करना शुरू कर दिया.
अह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम.....अफ्फ्फफ्फ्फ़ ओह्ह्ह्ह...... और ये कहते हुए अचानक वो उठ बैठी...
कमरे में चारों तरफ नंगे लोग बैठे थे..
वो समझी की वो कोई सपना देख रही है...उसने अपनी आँखें मली और फिर से चारों तरफ देखा...अपने हाथ पर चुटकी काटी और तब समझी की ये तो सच में हो रहा है...
उसकी मौसी सोफे पर आधी लेटी हुई अपनी चूत में ऊँगली मार रही है.
ऋतू मेरी गोद में बैठी अपना शरीर मुझसे घिस रही है...और सामने ही उसका सगा भाई उसकी माँ के साथ.....उसने फिर से अपनी आँखों को मला और देखा....
उसका भाई माँ के साथ नंगा खड़ा हुआ है और वो दोनों एक दुसरे को बुरी तरह से चूम रहे हैं....और ये कौन है...उसकी चूत जो चाट रहा हो....और अचानक पापा ने ऊपर मुंह करके उसे देखा और बोले...."उठ गयी सुरभि बेटा ..लेट जा...और मजे ले..."
वो सब समझ गयी ...की अब सभी लोग एक दुसरे से खुल चुके हैं...इसलिए उसने भी शर्माना उचित नहीं समझा और अपने भाई और माँ के सामने होने की परवाह किये बिना उसने अपने गले से टी शर्ट उतारी और पूरी नंगी हो गयी और पापा के सर को जोर से पकड़ा और दबा दिया अपनी चूत पर और जोर से चिल्लाई....
अह्ह्हह्ह्ह्ह मोसा जी......चुसे इसे.....बड़ा मजा आ रहा है.....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
साली कितना चीखती है ये....बड़े जोर से चीख मारती है....पर अब कोई डर नहीं था हमें...किसी के भी आने का...क्योंकि सभी लोग तो थे यहाँ पर...
और मैं अपने खड़े हुए लंड को घुमाकर ऋतू की चूत के पास ले गया...वो थोडा ऊपर हुई और मेरे लंड को अपनी चूत पर टिकाया और बैठ गयी उस पर...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....पर उसकी नजर अभी भी अयान और मौसी पर थी.
अयान ने अपनी माँ को उठाया और बेड पर ले जाकर लिटा दिया...दीपा आंटी ने अपनी टाँगे हवा में उठाई और अपने सामने खड़े हुए अयान से बोली " बेटा अब सहन नहीं होता...चोद दाल आज अपनी माँ को अपने इस शानदार लंड से...."
अयान बोला : "हाँ माँ...आज मैं तुझे ऐसा चोदुंगा की तू अपनी सारी परेशानी भूल जायेगी...और आज के बाद मैं तुझे कभी दुखी नहीं रहने दूंगा..." और ये कहते हुए वो नीचे झुका और अपना लंड टिका दिया अपनी माँ की चूत पर.
पापा ने भी सुरभि को लिटाया और बेड के दूसरी तरफ जाकर खड़े हो गए उसकी टांगों के बीच..
एक तरफ अयान खड़ा हुआ था और दूसरी तरफ पापा, बीच में दीपा आंटी और उनकी बेटी सुरभि थी,...दोनों के सर एक दुसरे के कूल्हों को छु रहे थे....
अयान ने जब देखा की उसकी बहन सुरभि भी पापा के लंड को लेने को तैयार है...वो कई बार अपनी बहन के बारे में सोचकर भी मुठ मार चूका था...आज वो उसके सामने नंगी पड़ी हुई चुदवा रही थी...
पर आज उसका ध्यान अपनी माँ की तरफ ज्यादा था...सुरभि को फिर कभी चोदुंगा....और ये सोचते हुए उसने अपना लंड घुसा दिया अपनी माँ के अन्दर...
और दूसरी तरफ से पापा ने भी डाल दिया अपना मोटा लंड सुरभि की चूत में...ऋतू तो पहले से ही ले चुकी थी मेरे लंड को अपने अन्दर...और मम्मी की उँगलियाँ ही काफी थी उनके लिए अभी तो...
और फिर जो कमरे में चीखों का सिलसिला चला....मानो गाँव में डकेती पड़ रही हो...इतना शोर आ रहा था...सबसे ज्यादा सुरभि चीख रही थी..
सुरभि : "अह्ह्हह्ह्ह्ह अंकल......और अन्दर.....डालो......वाह.....कितना मोटा लंड है आपका.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह चोदो मुझे........और तेज मारो.....मुन्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......ओगग्ग्ग्ग ओफ्फफ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह......अ और तेज ......अह्ह्हह्ह .....म्मम्मम ...... ओग्ग्ग्ग......मैं तो गयी.....अह्ह्हह्ह....."
उसके झड़ते ही पापा ने भी अपना बीज बो दिया उसकी चूत में..
दीपा आंटी : "हाँ बेटा...ऐसे ही चोद....अह्ह्हह्ह आज्ज्ज मुझे पता चला की....अह्ह्ह्ह मेरे बेटे का लंड.....कितना लम्बा है.....अब तो मैं रोज चुदुंगी....अह्ह्ह्ह...मेरे राजा ....बेटा......अझ्ह्ह्हह्ह चोद मुझे...अपनी माँ को...अपनी रंडी माँ.को.....अह्ह्ह...."
अयान : "हाँ....ले मेरा लंड.....हनन....तू मेरी रंडी है....आज से.....अह्ह्ह ओग्ग्ग ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ ओ.....मैं जब चाहूँगा...तेरी चूत मारूंगा....मा.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह रोज मारूंगा......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....म्मम्मम्म...मैं आया माँ........." और ये कहते हुए उसने अपना वीर्य अपनी माँ की चूत में छोड़ दिया...दीपा आंटी भी झड़ने लगी साथ ही.
ऋतू सिर्फ सिस्कारिया ले रही थी...वो घूम गयी और मेरी कमर के चारों तरफ अपनी टाँगे लपेट ली..मैं कुर्सी पर बैठे हुए ही उसके मोटे मुम्मों में मुंह छुपाये उसकी चूत मारने लगा....
अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह हाँ आशु,....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह और तेज....मारो....अह्ह्हह्ह मैं तो गयी.....मर्र्र्रर्र्र गयी रे......
और उसने अपना नल मेरे लंड के ऊपर खोल दिया और मेरा लंड उसके रस के साथ साथ अपने रस को भी बीच में मिला कर नहाने लगा.
मम्मी भी अपना रस निकल चुकी थी सोफे पर..
उसके बाद तो पूरी रात कमरे में सेक्स का ऐसा खेल चला की क्या बताऊँ...
मम्मी ने भी अयान का लंड लिया...दीपा आंटी ने मुझसे और पापा से एक साथ चूत और गांड मरवाई ...
सुरभि ने भी अपने भाई से चूत मरवाई और मैंने मम्मी के साथ साथ सुरभि को भी खूब चोदा...
सुबह कब हुई पता ही नहीं चला.
सुबह मेरे कानो में मम्मी की आवाज आई.."अरे...उठ जाओ सब लोग...जीजू आने ही वाले होंगे..."
उनकी बात सुनते ही जैसे कमरे में भूचाल सा आ गया...मैंने घडी में देखा दस बजने वाले थे...दीपा मौसी नंगी पड़ी हुई थी पापा के ऊपर और अयान और सुरभि लिपटे हुए थे एक दुसरे के नंगे जिस्मों से ..
ऋतू मेरी जांघों के बीच फंसी हुई थी...सब लोग नंगे थे..मम्मी की बात सुनते ही दीपा मौसी जल्दी से उठी और नंगी ही भागी बाथरूम में..पापा भी पानी बचने के चक्कर में अपनी साली के साथ ही नहाने के लिए चल पड़े..
सुरभि और अयान ने जल्दी से अपने कपडे पहने..सुरभि के चेहरे पर ना जाने किस किसका वीर्य लगा हुआ था...सो उसने अपना मुंह धोया और साफ़ सुथरी होकर बैठ गयी..
ऋतू पर कोई असर नहीं हो रहा था..वो तो बेसुध पड़ी हुई थी..
मैंने रात के बारे में सोचा तो पाया की सबसे ज्यादा बार ऋतू ही चूदी थी कल रात, इसलिए बेचारी थक गयी है..मैंने उसे उठाना उचित नहीं समझा और मैं भी नहाने के लिए अपने कमरे में चल दिया.
आधे घंटे बाद सभी लोग नीचे नाश्ते की टेबल पर इकठ्ठा हुए..आज दीपा मौसी को वापिस जाना था पर उनका और बच्चों का मन नहीं था अभी जाने का,
सभी यही सोच रहे थे की कैसे कुछ दिन और रुका जाए यहाँ...तभी मम्मी के दिमाग में एक आईडिया आया और वो बोली..."मैं जानती हूँ की इन्हें कैसे और रोक सकते हैं..." उनके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी..
"कैसे...बताओ ना दीदी...." दीपा मौसी ने मचलते हुए पूछा..
"इस तरह से..." और ये कहते हुए मम्मी ने अपनी साडी का पल्लू गिरा दिया नीचे..और उनके 36 साइज़ के मुम्मे ब्लाउस से झांकते दिखे सभी को..
दीपा मौसी ने निराश होते हुए अपने मुम्मो की तरफ इशारा करते हुए कहा "अरे रहने दो दीदी ...वो इन्हें नहीं देखते तो तुम्हारे क्या देखेंगे..उन्हें सेक्स में कुछ ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है..."
बीच में ही ऋतू बोल पड़ी.."अगर नहीं है तो करवा देंगे...अगर मम्मी कम पड़ गयी तो मैं भी तो हूँ न..." उसने अपने गोल मटोल चुचों को मसलते हुए कहा..
"और मैं भी तो हूँ न..." सुरभि भी बोल पड़ी..
दीपा मौसी ने हैरानी से अपनी बेटी की तरफ देखा पर कुछ न बोली..वो जान चुकी थी की उनकी बेटी अब बड़ी हो चुकी है..उसकी चूत में भी वही आग लगती है जो उनकी चूत में लगती है..
आखिर उनकी ही बेटी है...और इस खुजली को मिटाने के लिए उसे अपने बाप से ही क्यों न चुदना पड़े अब..
पर दीपा आंटी कुछ और दिन यहाँ रहना चाहती थी...अपने स्वार्थ के लिए..मजे के लिए..मेरे, अयान और पापा के मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए..
और इसके लिए वो अपने पति को अपनी बहन , बेटी और भांजी के साथ भी शेयर करने के लिए तैयार थी..और वैसे भी वो सेक्स में कुछ ज्यादा रूचि नहीं लेता था..वो देखना चाहती थी की इनके हुस्न का जादू चलता भी है उनपर या नहीं..
लगभग एक घंटे बाद हरीश अंकल मेरठ से वापिस आ गए..वो नहा धोकर नाश्ता करने बैठ गए, मम्मी उनको खाना परोस रही थी..
पापा को ऑफिस में जरुरी काम से जाना था सो वो चले गए., दीपा आंटी दुसरे कमरे में बैठी हुई टीवी देख रही थी,
और मैं सोफे पर बैठा हुआ मोबाइल गेम खेल रहा था और सुरभि मुझसे चिपकी बैठी हुई थी, अयान और ऋतू ऊपर अपने कमरे में ना जाने क्या कर रहे थे..
मम्मी ने अपने जीजू को बड़े प्यार से नाश्ता कराया..बीच-२ में मैं उन दोनों को तिरछी निगाहों से देख भी रहा था..आखिर मम्मी ने अपने हुस्न का जादू अपने जीजू पर चलाना शुरू कर ही दिया..
"अरे जीजू...आप ये एक और परांठा लो न..." मम्मी ने जबरदस्ती उनकी प्लेट में परांठा डाला..
"नहीं पूर्णिमा...दीदी...और नहीं...रहने दो...पूरा पेट भर गया है..." उन्होंने मना किया.
पर मम्मी ने जबरदस्ती उनके हाथ को पकड़ा और परांठा डाल दिया..और ये सब करते हुए उनकी साडी का पल्लू नीचे गिर गया..
हरीश अंकल की आँखों के सामने मम्मी के दुधिया कलश उजागर हो गए..मम्मी ने उन्हें पहले से ज्यादा बाहर निकाल रखा था...
सिर्फ उनके एरोहोल का दिखना बाकी था..पर उन्होंने ऐसा जताया की कुछ हुआ ही न हो...और जिद्द करती रही उनसे परांठा खाने की..बिना अपना पल्लू ठीक किये..
और हरीश अंकल अपनी फटी हुई आँखों से इधर उधर देखते हुए, की कोई और तो नहीं देख रहा उन्हें और उनकी साली को, वो परांठा खाने लगे जबरदस्ती..
अपनी साली को नाराज नहीं करना चाहते थे..नहीं तो शो ख़त्म होने का डर था..मम्मी ने भी अपने जीजू को भूखी नजरों से अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया तो उन्होंने मन में सोचा...कौन कहता है की इन्हें सेक्स में रूचि नहीं है...
और ये सोचते हुए उन्होंने अपने जीजू के लंड की तरफ देखा...जहाँ उनकी पेंट में होती हलचल देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए..
मम्मी को हरीश अंकल हमेशा से ही अच्छे लगते थे...पर ज्यादा काम की वजह से, कम कमाई और छोटा शहर होने की वजह से उनपर बुढ़ापा जल्दी असर कर गया था...
वो थोड़े कमजोर से दिखते थे, कानो के ऊपर बाल भी सफ़ेद थे, चेहरा दुबला पतला सा था, बिना दाढ़ी और मूंछ के वो काफी स्मार्ट लगते थे.
मम्मी को पापा की मूंछों से भी काफी ऐतराज रहता था, उन्हें हमेशा से क्लीन शेव वाले लोग ही पसंद आते थे...और अपने जीजू भी मम्मी को इसी वजह से काफी पसंद थे..
जल्दी ही उन्होंने नाश्ता ख़त्म कर दिया , मम्मी ने उनसे कहा..आप जाकर थोडा आराम कर लो, मैं चाय भिजवाती हूँ..अभी.." और ये कहकर उन्होंने ऋतू को आवाज लगायी..अंकल गेस्ट रूम में चले गए..
ऋतू दोड़ती हुई आई, मैंने देखा की उसने कसी हुई टी शर्ट पहनी हुई है...और नीचे सफ़ेद रंग की छोटी सी निक्कर ..बड़ी दिलकश और सेक्सी लग रही थी वो..
मम्मी ने उसे कुछ समझाया और चाय लेकर अंकल के पास भेजा और खुद अपनी बहन दीपा के पास जाकर बैठ गयी और उन्हें अभी तक की बात बताने लगी..
मैं छुप कर ऋतू के पीछे गया और देखने लगा..
ऋतू चाय लेकर हरीश अंकल के पास गयी और उनसे इधर उधर की बातें करने लगी..
अपनी साली के हुस्न को देखकर उनका लंड अभी तक तना हुआ था और उनकी बेटी को ऐसी ड्रेस में देखकर तो उनका छोटा सिपाही झटके ही मारने लगा...
उन्होंने अपने लंड वाले हिस्से को न्यूज़ पेपर से ढका और चाय पीने लगे बड़ी मुश्किल से..
मेरे पीछे सुरभि भी खड़ी होकर अन्दर कमरे का नजारा देख रही थी, खिड़की से...
ऋतू अपनी टाँगे मोड़कर ऊपर बैठ गयी और उसकी मोटी जांघे हरीश अंकल की आँखों के सामने चमकने लगी..
और उसके बीच कपडे के ऊपर से ही ऋतू की चूत का ताजमहल देखकर हरीश अंकल के होश ही उड गए..और उनका चेहरा पसीने से नहा गया.
ऋतू ने उन्हें ऐसी हालत में देखा और पूछा.."अरे अंकल...क्या हुआ..आप को इतना पसीना क्यों आ रहा है..."
अंकल : "पसीना...कुछ..नहीं...ऐसे ही..गर्मी है न..." उन्होंने हडबडाते हुए कहा..
ऋतू : "गर्मी ...आज तो बिलकुल भी नहीं है...रात को तो हम सभी रजाई में सोये थे..आप को क्यों गर्मी लग रही है.." उसने मुस्कुराते हुए उनकी आँखों में देखकर कहा.
उनसे कुछ कहते नहीं बना..
ऋतू उठकर उनकी गोद में आकर बैठ गयी और अपनी बाहें डाल दी उनकी गर्दन में..और बोली "क्या हुआ अंकल...आपकी तबियत तो ठीक है न..." ऋतू का दांया चुचा उनके चेहरे से टकरा रहा था..
अंकल : "हाँ...हाँ..मैं ठीक हूँ...तुम ठीक से बैठो न...यहाँ.." उन्होंने बेड की तरफ इशारा किया , वो घबरा रहे थे की कोई कमरे में ना आ जाए..
ऋतू : "मैं ठीक हूँ...अंकल..आप भूल गए..जब मैं बचपन में आपके घर आती थी तो आपकी गोद में बैठकर ही खाना खाती थी..और कहानियां भी सुनती थी.."
अंकल : "बेटा ऋतू...अब तुम बच्ची नहीं रही हो...अब तुम..ममम जवान हो गयी हो.." उन्होंने हकलाते हुए कहा..
उनकी हालत देखने लायक थी..एक जवान लड़की छोटी सी निक्कर में उनकी गोद में बैठी हुई थी और उसके चुचे उनके कंधे और मुंह को छु रहे थे.
ऋतू : "अच्छा...मैं जवान हो गयी हूँ...सच में...मैं भी सब को यही कहती हूँ...पर मम्मी पापा अब तक मुझे बच्ची समझते हैं...
आप ही बताओ की मैं आप को कहीं से बच्ची लगती हूँ क्या..." और उसने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए अंकल के कान के ऊपर उँगलियाँ फैरानी शुरू कर दी..
हरीश अंकल का चेहरा उत्तेजना के मारे लाल हो चूका था..पर वो डर रहे थे की बाहर सभी लोग बैठे हैं, उनकी बीबी भी और बच्चे भी, ऐसे हालत में वो कोई गलत काम नहीं करना चाहते थे..पर लंड के आगे सभी मजबूर हो जाते हैं..
उन्होंने कहा.."कोन कहता है..तुम बच्ची हो...लगती तो पूरी जवान हो...मैं चेक करता हूँ...तुम दरवाजा बंद कर आओ..नहीं तो कोई आ जाएगा.."
ऋतू झट से उठी और अपनी मोटी गांड उछालती हुई दरवाजा बंद करके वापिस आ गयी और वापिस अपने अंकल की गोद में बैठ गयी.
"अब बताओ...मैं जवान हूँ या नहीं..." उसने अपनी गांड को अंकल की गोद में मसलते हुए कहा..
अंकल ने इस बीच अपना लंड अडजस्ट कर लिया था..पर ऋतू की गांड का मुलायमपन पाकर उनके लंड ने फिर से बगावत कर दी और वो उछलने लगा..
अंकल ने ऋतू के चेहरे पर हाथ रखा और धीरे -२ उसे नीचे ले जाकर उसकी गर्दन तक ले आये और थोडा और नीचे ले जाकर उसके उभारों के ठीक ऊपर ले आये..
ऋतू की साँसे तेज होने लगी थी...मेरे पीछे खड़ी हुई सुरभि की साँसे भी दौड़ने लगी..अपने पापा की हरकतों को देखकर..
हरीश : "तुम्हारी...चेस्ट..मतलब...ब्रेस्ट...का साइज़..क्या है..." उन्होंने धीरे से पूछा.
ऋतू ने शान से अपनी छाती बाहर निकाली और बोली "34b .."
"ह्म्म्म......" उन्होंने कुछ सोचते हुए कहा.."पर लगता तो नहीं है..की ये इतने बड़े हैं..
ऋतू ने नाराज होने का नाटक किया और बोली "क्या मतलब...मैं झूठ बोल रही हूँ क्या...एक मिनट रुको..." और उसने झट से अपनी टी शर्ट उतार दी..
अन्दर उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी नेट वाली...और उसके अन्दर से उसके उफनते हुए अर्धनग्न स्तन, बिलकुल सफ़ेद रंग के, मानो चिल्ला कर अंकल को बुला रहे हो...
अंकल के तो होश ही उड़ गए ...इतने पास से अपनी साली की बेटी के चुचे देखकर..नेट के बीच से उसके गुलाबी निप्पल्स झाँक रहे थे, जो तन कर ब्रा की जाली फाड़ कर बाहर आने को तैयार थे..
"अब बोलो...अंकल...क्या कहते हो...अब भी विश्वास नहीं हुआ ..." वो किसी बच्चे जैसा बर्ताव कर रही थी...
और अंकल बेचारे सोच रहे थे की ऋतू सच में अपने बचपने में है और वो क्या कर रही है उसे भी पता नहीं है...
पर ये बात तो हम सब लोग जानते थे की वो कितनी बड़ी चुद्दक्कड़ है और वो उन्हें लुभाने के लिए ये सब नाटक कर रही हैं यहाँ...
ताकि मैं कुछ और दिन नयी चूतों का मजा ले सकू..और वो लंडो का..
दोस्तों अपडेट पढिए और मज़े लिजिए ... और अपडेट पसंद आया हो तो कमेन्ट भी जरूर किजिएगा
अगला अपडेट भी आज रात में शीघ्र ही