7 years ago#41
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थका सा मैं घर पहुचा ,शहर के भीड़ भाड़ ने मुझे बहुत ही थका दिया था ,आज काजल घर में ही मौजूद थी,
मेरे आते ही उसने मेरा स्वागत एक बड़े ही मनमोहक मुस्कान से किया,और मैं बस उसे देखता ही रह गया….

यही वो औरत है जो कुछ दिनों में ही एक बिकाऊ लड़की की तरह व्यवहार करने वाली है ,ना जाने किसका बिस्तर गर्म करेगी,लेकिन वो मेरी बीवी है,जो बहुत ही मासूम है,जो मुझे इतने प्यार के देख रही थी,काजल को ये सब सहना पड़ रहा है और मैं सबकुछ जानते हुए भी उससे कोई भी बात शेयर नही कर सकता,कितनी बड़ी बदकिस्मती थी मेरी,जिसे मैं दिलोजान से प्यार करता था,जिसे मैं शायद दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करता था,जिसके एक मुस्कान से मेरी पूरी थकान दुर हो जाती ,जिसके चहरे के नूर पर मैं दुनिया की हर दौलत लुटा सकता था,उसके ही दुख को जानकर भी मुझे अनजानों से व्यवहार करना पड़ रहा था,जिसे कभी दुख ना पहुचने की कसमे मैंने खाई थी वही मेरी जान इतने खतरे में जा रही थी और मैं उसे बस देखने के सिवा क्या कर रहा हु,इंतजाम भी किया तो बस देखने का…..
उसके दर्द को देखकर कैसे मैं खुस हो पाऊंगा,एक बारी तो मेरे मन में आया की मैं सबकुछ उसे बता दु पर,अपने को बहुत मुश्किल से काबू में कर पाया,और मुस्कुराने की कोसीस में ही मेरे आंखों से कुछ बून्द गिर गए,मैं भी इंसान हु और कब तक मैं अपनी भावनाओ को काबू में रखता ……..
मेरे आंखों का पानी तो काजल के जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन थी,वो तो हर खतरे को खुद ही सहन करना चाहती थी,मुझतक कोई भी आंच आये ये उसे मंजूर नही था,और अचानक मेरी आंखों में आया पानी ???????
वो दौड़ती हुई मेरे पास आयी और मेरे गालो को अपने हाथो से सहलाने लगी…..
“जान क्या हुआ ,”उसने बहुत ही करीब से मुझे देखा वो मेरी आंखों में कोई सच तलाशने लगी थी ,
“क्या हुआ बताओ ना क्यो रो रहे हो कुछ हो गया क्या “अब तो उसका भी गाला भर गया था,
उसकी मसुमियत और मेरे लिये उसका प्यार देखकर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई और उसके बालो में हाथ फेरता हुआ उसकी आंखों में झांका ,वो असीम प्यार से भरी हुई गीली आंखे जो मेरा दुख देख भी नही सकती थी,
“i love you जान “
मेरे मुह से फूटे वो कुछ शब्दो ने काजल को मेरे ठीक होने का कोई भी आश्वासन नही दिया 
“प्लीज् बताओ ना क्या हुआ,कोई प्रॉब्लम है क्या “
“हा बहुत बड़ी प्रॉब्लम है …….”
वो सांस रोके मूझे देखने लगी,
“प्रॉब्लम ये है की ………….”
मेरी खामोशी उसके लिए जान लेवा थी 
“की मुझे तुमसे प्यार हो गया है,और कुछ भी हो जाय मैं तुम्हे खोना नही चाहता “
काजल ने मुझे के अजीब नजरो से देखा उस नजर में प्यार था ,लेकिन शिकायत भी थी,और वो मुझसे लिपट गई ,
“किसने कहा की आप मुझे खो दोगे “
“मेरे दिल ने “
“झूट बोलता है आपका ये दिल ,मैं आपकी हु जान ,ये जिस्म ये सांसे ,ये मन ये रूह सबकुछ आपका है ,और दुनिया की कोई भी ताकत मुझे आपसे अलग नही कर पाएगी,मैं आपके लिए अपनी जान भी दे दूंगी….”
काजल के बातो में वो सच्चाई और प्यार था जो मेरे दिल को चीरता हुआ सीधे मेरे रूह तक पहुचा...वो मुझसे ऐसे लिपटी थी जिसे कोई सांप किसी पेड़ से ,कोई अमरबेल के लताओं की तरह उसका बदन मेरे बदन से मिल गया था….
मैं उसके सर पर हाथ फेर रहा था और अपनी आंखे बन्द किये उसके सर पर अपने सर को टिका दिया ,उसके बालो की नाज़ुकता मेरे गालो को सहला रही थी,वो सुबक रही थी ,और उसके आंसू मेरे कंधे को भिगो रहे थे,मैं उसके सर पर एक चुम्मन दिया और उसे अपने से अलग करने को उसकी बांहे पकड़ी लेकिन वो मुझसे अलग होने को तैयार नही थी मेरे होठो में भी एक मुस्कान आयी और मैं उससे लिपट गया….
कुछ देर तक हम ऐसे ही लिपटे रहे ,
वो मेरे आंखों में देखने लगी 
“आपके मन में ये कहा से आया ,”उसकी प्यारी आवाज ने मुझे उसके गालो पर किस करने को मजबूर कर दिया,कितनी अजीब है काजल जब प्यार दिखाए तो इतनी प्यारी है और जब गुस्से में आये तो …..फाड़ ही देती है..
“बस मुझे कुछ काम से बाहर जाना पड़ेगा कुछ दिनों के लिए ,मैं जाना तो नही चाहता लेकिन ऊपर से बहुत ही प्रेशर है,मिश्रा जी से बात की पर वो भी कुछ नही कर पाएंगे,”
बेचारी काजल क्या बोलती ,ये प्लान तो मिश्रा का ही था,अगर मैं यहां रहता तो काजल कैसे शहर जाकर रहती,लेकिन मिश्रा को ये नही पता था की मैं उसके प्लान को समझ गया हु और वहां के इंचार्ज से बात करके सेटिंग कर चुका हु,की मैं वहां कम ही आऊंगा,काम कितना लंबा चलेगा मुझे बताया नही गया था ,और कोई जिम्मेदारी का काम भी नही था,वरुण को सम्हालने को मेरे पास रेणु थी ,बाकी डॉ ने सेटिंग कर रखी थी,मिश्रा और मैं दोनो ही एक गेम खेल रहे थे ,बस मिश्रा मुझसे कुछ कदम पीछे था.
“कितने दिनों के लिए जाओगे …”इसबार काजल ने अपना सर झुका लिया शायद उसे इस बात की ग्लानि थी की उसके कारण मुझे बाहर जाना पड़ रहा है,
“पता नही ,कोई फिक्स टाइम तो नही बताया गया है,वही से काम करने का आदेश दिया गया है,ऐसे वहां सब सेटिंग हो गई है,रखना खान सब लेकिन काश तुम मेरे साथ चल सकती ...ये होटल का काम “
काजल अब भी अपना सर नीचे किये हुई थी,उसकी आंखों से पानी की कुछ बूंदे फिर से निकल गई ,
“अपने साथ रेणु और वरुण को भी ले जाने को कह रहे थे लेकिन तुम्हारे लिए प्रॉब्लम हो जाएगी इसलिए मैं माना कर दिया”
वो अब भी सर गड़ाए थी शायद नजर मिलाकर झूट बोलना उसके लिए आसान नही था,
“नही जान आपको उनकी जरूरत पड़ेगी,और मेरी फिक्र मत कीजिये मैं कुछ दिनों के लिए होटल में शिफ्ट हो जाऊंगी,वहां भी तो हर तरह की फेसिलिटी है और गेस्ट लोगो के साथ टाइम का पता भी नही चलता.”
“जान अगर तुम्हे कोई प्रॉब्लम हो तो मैं मना कर दूंगा,भाड़ में जाय ऐसी नॉकरी “
इसबार काजल ने सर उठाया वो सचमे रो रही थी ,उसकी आंखों में पानी भरा हुआ था,वो मेरे नजर में देखने लगी,शायद इस बार वो सच बोलने वाली थी,
“क्या पता जान की आपके इस काम से इतने लोगो की जिंदगी सुधार जाय,कोई बहुत मुसिबित में होगा तो ,आपको जाना चाहिये ….”काजल ने बातो ही बातो में अपने इस मिशन में जाने की वजह बता दी थी,..
“तुम्हारे बिना कैसे रहूंगा अकेला”
वो मेरे होठो पर अपने होठो को ले आती है,
“मैं आपसे दूर ही कब रहूंगी ,”वो फुसफुसाकर बोली 
उसके होठो की नरमी और महकती सांसो ने मेरे होठो का दीवार खोल दिया और उसकी जीभ मेरे होठो में धसती चली गई,वो गीले गीले होठ पंखुड़ियों से नाजुक मैं उसे बस चूसने लगा,उसके जीभ को अपने जीभ से छेड़ने लगा,वो अपना प्यार मुझपर बरसने लगी और मैं उसके प्यार की हर एक रस को अपने अंदर ले जाने दिया…….
उसके गुलाबी साड़ी से झलकता उसका यौवन शायद किसी को भी दीवाना बना देता पर मेरे लिए तो वो प्यार की एक मूरत थी जिसकी मैं पूजा करता था,हम दोनो ही अपने को एक दूसरे के होठो में दबाये जा रहे थे,मेरा हाथ उसके सर के पीछे चला गया था और उसकी बालो में फंसकर मेरी उंगलिया उसे अपनी ओर और जोरो से खिंच रही थी वही हाल काजल की उंगलियों का भी था,जब सांसे उखड़ी तब तक आंखों में आया पानी सुख चुका था और उसकी जगह एक प्यारे मुस्कान ने ले ली थी,
हम दोनो ही एक दूसरे के चहरे को देख रहे थे,
“मुझे कल ही जाना है”मैंने उसके चहरे का रंग बदलते देखा वो कुछ मायूस सी हो गई ,
“ह्म्म्म “
“तो आज रात ….”मेरे होठो की शरारत ने काजल के चहरे पर एक मुस्कान ला दी और वो मेरा हाथ खिंचते हुए सीधे बैडरूम में ले गई जैसे मुझसे ज्यादा उसे जल्दी हो ,मैंने ना ही अभी हाथ पैर ही धोया था ना ही कुछ खाया था,वो सीधे मुझे बिस्तर में ले जाकर बिठा दी,मैं उसके हुस्न को देखता ही रह गया,
पिंक साड़ी में पिंक टाइट ब्लाउज़ ,जिससे उसके तने स्तनों की सुंदरता झांक रही थी,और नंगा पेट जो दूधिया सा चमक रहा था,भरा हुआ होने के कारण वो बहुत ही कामुक लग रहा था,कमर से नीचे भी उसने बड़े सलीके से साड़ी को मोड़ा था,उसके जिस्म का हर मोड़ दिखाई दे,साड़ी में भी कमाल की हसीना लग रही थी,मांग में हल्का सिंदूर था और हाथो में कुछ चूड़ियां,चहरा ………………..
चहरे पर नजर जाते ही सब कुछ भूल जाने का दिल करता ,वो मासूमियत और प्यारी सी हँसी,बालो की कोमलता और होठो की वो शरारते,मेरी जान किसी जन्नत के हूर से कम ना थी,बड़ी काली आंखों में सब कुछ लुटाने का समर्पण वो प्यार की दरिया थी,और मैं एक प्यासा ….
वो मेरे ऊपर झुकी मैं उसके जिस्म को हाथ लगता उससे पहले ही उसने मुझहे रोक दिया और पलटकर दर्पण के पास गई,वो अपने बेग से सिंदूर की डिबिया और अलमारी से चूड़ियां निकलने लगी,पिक कलर की ही चूड़ियों से उसने अपने हाथो को भर लिया और माथे में लगे हल्के सिंदूर को उसने गढ़ा कर लिया जब वो पलटी तो उसके बाल खुले हुए थे और वो कयामत की सुंदर लग रही थी ,मेरा मुह उसे देखकर ही खुल गया जो खुला ही रहा ,वो मुझे ऐसे देखता पाकर कुछ शर्मा गई और धीरे से मेरे पास आकर मेरे सामने खड़ी हो गई,मैं मेरा सर उसकी कमर के पास था,वो नीचे देखती हुई खड़ी थी ,मेरा मुह अनायास ही उसके नंगे नाभि पर चला गया और..
“आह “
वो मेरे सर को अपने हाथो से पकड़ ली,मैं उसके पेट पर हल्के हल्के से अपने होठो को चलाने लगा,वो भी मेरे बालो को सहलाती हुई हल्के से अपनी ओर दबाने लगी,
मैं उसके गालो को छुमने को उठा और उसके सर को पकड़कर अपनी ओर खिंचा वो मेरे साथ ही गिरती चली गई अब मैं बिस्तर में पड़ा था और काजल मेरे ऊपर ,हमारी नजरे मिली और बस वो शर्मा गई ,और अपने होठो को मेरे होठो के पास ला दिया,इशारा समझकर मैंने भी अपने प्यार को बंधनो से मुक्क्त किया और उसके होठो को भरते हुए बस उसमे ही खो गया……
उसके बिखरे हुए बाल मेरे चहरे पर आ रहे थे,और उसका दमकता हुआ चहरा मुझे उत्तेजित कर रहा था,उसकी सांसे मेरी सांसो से टकराकर दोनो के अंदर जा रही थी,और मेरा हाथ उसके गद्देदार नितंबो को सहला रहा था,वो हल्के से आहे लेने लगी और मैं उसके ब्लाउज़ के छोरो को पकड़ उसे कंधे से नीचे उतारने लगा,उसके कन्धे भी दमकते हुए मेरे सामने प्रगट हो रहे थे,काजल ने अपना हाथ पीछे कर ब्लाउज़ की चैन खोल दी उसके चहरे पर एक उत्तेजक मुस्कान फैल गई जो जिसने मुझे उसके कंधे को किस करने पर मजबूर कर दे रहा था,मैं उसके कंधों को अपने मुह में भरा और उसका ब्लाउज़ और भी नीचे हो गया मैं उसे अब उतार ही देना चाहता था पर उसे पूरी तरह से निकलना मुझे पसंद नही आया ,मैं उसके सीने के गौरव उन दो आमो के बीच की खाई को चूमने लगा,उसके चूड़ियों की आवाज तेज हो रही थी वो मेरे सर को पकड़ कर उसे जोरो से दबा रही थी,उसके ब्रा की कप भी मेरा साथ देते हुए कुछ सरक गई ऐसे भी वो बहुत ही मुश्किल से उन तरबूजों को सम्हाल के रखा था,उसके दूधिया स्तन कमरे मे फैली बल्ब की रोशनी से उजागर हो रहे थे,और उसके वो भूरे से निप्पल अपनी अकड़ में तने जा रहे थे मेरे मुह से आने वाली हवा ने उसके उजोरो को सहलाया और उसके रोम छिद्र भी खड़े हो गए,काजल के पूरे शरीर में एक सिरहन सी दौड़ी और वो थोड़ी गहरी सी सांसे लेकर एक आह भर पाई,
मेरे जीभ अनायास ही उसके निप्पलों पर चले गए,और हाथो से मैंने कब उसके ब्रा को खोल कर फेक दिया मुझे पता ही नही लगा,वो साड़ी में कमर तक लिपटी थी और उसका ऊपर का बदन पूरी तरहः से नंगा हो गया था,उसके ब्लाउज़ को भी फेक दिया गया था,मैं अभी भी कपड़े में था जो शायद काजल को बर्दास्त नही हो रहा था,मैं भी अपने जिस्म से उसके जिस्म की गर्मी को महसूस करना चाहता था ,और उसने मेरे कपड़ो को एक एक कर उतार दिया ,मैं पूरी तरह नंगा बिस्तर में पड़ा था और मेरी जान ने कमान सम्हाल ली थी वो मेरे जिस्म के हर एक इंच को अपने होठो से नाप रही थी,अब सिसकिया लेने की बारी मेरी थी,मैं सिसकिया भर रहा था और वो मुझे अपने प्यार से नहला रही थी ,
उसके होठ जब मेरे तने लिंग पर गए तो वो एक ही बार में उसे अपने अंदर ले ली,वो उसे ऐसे प्यार कर रही थी जैसे की वो उसे खाना चाहती हो ,वो प्यार ही था की मैं इतना उत्तेजित होकर भी अपने को निकलना नही चाहता था,लेकिन इंसानी शरीर कब तक बर्दास्त करता मेरा फुहार उसके गले में चला गया,काजल को जब इसका आभास हुआ उसने मुझे मुस्कुराते हुए देखा,उसके होठो के मेरे वीर्य की कुछ धारे बाहर को आने को हुई लेकिन काजल को जैसे ये मंजूर ही नही था वो झट से उसे चाट गई…और अब हल्के अकड़े से लिंग को एक दो बार ऐसे चूसा जैसे की बचा हुआ रस भी निकल देना चाहती हो ..
अब बारी मेरी थी मैंने कमान सम्हाल ली थी और काजल के साड़ी को निकलने लगा,मैं उसके चहरे से पैरो तक उसे चाटना चाहता था,उसके मांग का सिंदूर फैल चुका था ,बाल बिखरे हुए थे,हाथो की चूड़ियां अब भी खनक रही थी और कपड़ो की हालत कुछ ठीक नही थी,मैं उसे चूमता गया और मेरा हाथ उसके कपड़ो को उसके जिस्म से अलग करने लगा,जब मैं उसके कमर के नीचे पहुचा तो बस एक पिंक कलर की झीनी सी पेंटी का बस अवरोध था,पहले मैं उसके पैरो की एड़ियों तक गया और फिर वापस आकर उसके पेंटी पर नाक लगाई,वो एक मनमोहक खुसबू से भरी थी काजल की यही खासियत थी की वो अपने अन्तःअंगो का भी बहुत खयाल रखती थी वहां से कभी भी बदबू नही आती वो हमेशा ही उसे साफ करती,मैं पेंटी को हल्के से अलग किया और उसके गुलाबी मटर के दाने को अपने होठो में लेकर सहलाने लगा,काजल उतेजना में अपना सर पटक रही थी और मेरे बालो को हाथो में फंसा कर उसे दबा रही थी,मैं भी तब तक उसे नही छोड़ने वाला था जब तक की वो अपना रस ना निकाल दे,और काजल भी अपना संयम खो कर मेरे चहरे को भिगोने लगी बहुत सा रस मैंने अपने अंदर भी ले लिया,ऐसे तो ये सब मुझे पसंद नही था,पर प्यार और उत्तेजना जब साथ हो तो सब कुछ अच्छा लगने लगता है,
काजल की सांसे टूट रही थी और मेरी भी हालत ठीक नही थी,पर अभी तो बस एक ही बारी हुई थी आज तो पूरी रात हमे एक दूजे के अंदर बितानी थी,जैसे ही हम थोड़े नार्मल हुए काजल ने मुझे खाना खाने को कहा ,वो एक थाली में खाना ले आयी हम दोनो ही नंगे थे वो मेरे गोद में बैठ गयी,मेरा लिंग अकड़ाने लगा और वो ऊपर होकर उसे अपने योनि में जगह दे दी ,वो भी गीली थी लेकिन खाना ?????
“तुम मुझे खिलाओ मैं तुम्हे खिलता हु”
उसके होठो पर मुस्कान आ गई थी,मैं दीवार से लगा बैठा था मेरे ऊपर काजल थी ,मेरा लिंग काजल की भीगी रसीली योनि में समाया था वो हल्के से हिल भी जाती लेकिन ज्यादा नही ,मैंने एक टुकड़ा रोटि का तोड़ा और उसे खिलाया,वो उसे चबाई और मेरे सर को पकड़ अपनी ओर खिंच लिया,
हमारे होठ मिले और वो टुकड़ा उसके मुह में मेरे मुह और मेरे मुह से उसके मुह में जाने लगा,आखिर में कोन उसे अपने पेट में ले गया ये तो हमे नही पता लेकिन हम प्यार के ऐसे भवर में डूब गए थे जहा भूख के मायने नही थे और लगभग पूरा खाना हमने ऐसे ही खाया,और हम इतना गर्म हो गए थे की हमने थाली किचन तक पहुचने की भी फिक्र नही की ,ना ही पोजिशन बदलने की वो मेरे ऊपर ऐसे ही कूदने लगी उसके गद्देदार नितम्भ मेरे कमर में टकरा कर एक सुखद अनुभूति देते थे,मैं भी हल्के हल्के धक्के कमर ऊपर कर देता था,लेकिन जब वेग बढ़ा तो हमसे सहा नही गया और हम बिस्तर में गिर पड़े,मैं काजल के ऊपर था और उसके चुदड़ो पर धक्के लगता हुआ उसके योनि में अपने लिंग को जोरो से धक्के लगाने लगा ,उसकी पीठ पर मेरा पूरा शरीर बिछा हुआ था,और दोनो ही गहरी सांसे ले रहे थे,
ये खेल यू ही रात भर चला,ना जाने कितनी बार मैं काजल के अंदर गिरा और ना जाने कितनी बार काजल के अपने रस से मेरे लिंग को भिगोया,कोई भी पोज़िशन बनाने को कोई भी मेहनत नही करनी पड़ रही थी वो बस हो रहा था,पूरा बिस्तर हमारे प्यार का गवाह बन रहा था और फिर पूरा कमरा ,..........
7 years ago#42
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अध्याय 42
मैं सुबह से ही निकल गया साथ में वरुण और रेणु भी थे,कजल ने भरी हुई आंखों से मुझे बिदाई दी,उसका चहरा देख कर मुझहे भी रोना आ गया था….
मैं अपनी गाड़ी में बैठा अपने मोबाइल को निकलता हु सोचा था की डॉ को मेसेज कर प्लान के बारे में कुछ पूछ लेता हु,तभी मुझे याद आय की यार काजल का मेसेज चेक किया जाय,
रॉकी के कुछ मेसेज आये थे ,पहला मेसेज मेरे निकलने से पहले का था,
‘so ready फ़ॉर एडवेंचर ‘
काजल ने उसका कुछ रिप्लाई नही किया था,रिप्लाई मेरे जाने के बाद किया गया था,
‘ह्म्म्म ‘
बस इतना ही रॉकी ने शायद तुरंत मेसेज किया 
‘ओके आज कुछ शॉपिंग करनी है फिर शाम से क्लब चलेंगे ‘
‘किस चीज की शॉपिंग ?’
“अरे यार तुम्हारे लिए कुछ सेक्सी लिंगरिस लेना होगा ना ,ताकि तुम कहर ढा सको ‘
रॉकी ने साथ ही कुछ स्माइल्स भी भेजे थे,
‘नही कोई जरूरत नही है मेरे पास काफी है’
‘अरे नही कुछ और सेक्सी टाइप ‘
‘क्या होता है और सेक्सी आखिर में तो उतारना ही है’
काजल ने गुस्से वाले स्माइल्स भेजे 
‘तुम खुस नही हो क्या बोलो तो प्लान केंसल करे ‘
‘नही मैं ठीक हु पर ….छोड़ो ठीक है चलते है शॉपिंग के लिए ‘
‘कब आएंगे विकास सर ‘
मैं तो पड़ के चौक गया साला मुझे मेसेज में भी सर बोल रहा है,शायद कभी काजल ने उसे इस बात के लिए डांटा रहा होगा वरना अपनी आइटम के पति हो कौन सर बोलता है,
“क्या पता जब भी आएंगे तो पता चल जायेगा,मैंने रेणु को बोल रखा है की जब आओगे तो बता देना ‘
‘चलो अच्छा ही मैं आधे घंटे में पहुचता हु ,ऐसे आज पहन क्या रही हो “
रॉकी ने फिर से स्माइल भेजी 
‘क्या पहनू बताओ अब तो तुम मेरे पति बनकर जा रहे हो ‘
रॉकी ने वो आंखों में दिल वाली बहुत सी स्माइल भेजी 
‘वो काली वाली साड़ी ,कातिल लगती हो और साथ में हर चीज मैचिंग हर चीज मतलब हर चीज …’
इस बार काजल भी हँसी (जैसा उसने स्माइल में भेजा था)
‘ठीक है मैं रेडी हो रही हु ‘
‘मैं आधे घंटे में पहुचता हु ‘
अभी मुझे निकले 15 मिनट ही हुए थे,मैं मोबाइल एक साइड में रख एक गहरी सांस ली …..
दिल में अजीब सी चुभन हो रही थी और साथ ही उत्तेजना में लिंग भी खड़ा हो रहा था,एक अजीब सी कसीस ,चुभन ,जलन,लेकिन सब के साथ एक उतेजना और मजा भी था,
रेणु आगे वरुण के साथ बैठी थी,दोनो बातो में मसलुफ थे,दोनो के बीच क्या हुआ था वो मेरे लेपटॉप में रेकॉर्ड पड़ा था लेकिन उसे देखने का समय ही मुझहे नही मिल पा रहा था,
अब रेणु जैसा हुस्न और वरुण का जवान खून मिले तो कुछ तो होना ही था,
वहां भी मुझहे एक अच्छा बंगले नुमा घर दिया गया था,ऐसे तो घोर जंगल था लेकिन बड़ा ही सुहानी सी जगह थी ,यहां से शहर की दूरी भी उतनी ही थी जितनी की केशरगढ़ से थी,सबसे अच्छी बात थी की बाजू वाला गांव ठाकुरो का था,जो की डॉ के अच्छे दोस्त थे,वीर और बाली ठाकुर ,वो मुझसे मिलने आने वाले थे,
दूसरे बाजू था तिवारियो का गांव ….खेर मुझे क्या करना है,मुझे तो अपनी तैयारी करनी थी,
यहां नॉकरो के लिए एक कमरा था,वरुण का बोरिया बिस्तर वही डाल दिया गया था,और अंदर दो बेडरूम था जिसमे एक में मैं और एक में रेणु का समान रख दिया गया था,वरुण मिश्रा का जासूस था जो जासूसी छोड़कर रेणु के घाघरे में घुस बैठा था ,मेरे लिए इससे काम और भी आसान हो गया क्योकि मिश्रा वरुण को मेरे साथ भेजकर निसफ़क्र था ,और रेणु उसे अपने से अलग ही नही जाने देती थी,
मैंने फोन कर सबसे पहले फोन काजल को किया वो शहर के लिए निकल चुकी थी ,और आज से वही होटल में रहने वाली थी ,दूसरा काल मलीना को किया गया ,वो डॉ के पास पहुच चुकी थी घर में बोल चुकी थी की किसी रिसर्च वर्क के लिए बाहर जा रही है,वो दो दिन पहले से निकल चुकी थी ,तीसरा काल डॉ को किया जिसने बताया की वो इकबाल से मेरी मीटिंग फिक्स करा दिया है,
मैं वहां से निकल कर उस गांव में घूमने लगा ,गांव कम ये कस्बे सा था,अपने ऑफिस के बंदे जिसका नाम सुरेश था से मिल कर काम की सभी बाते भी हो चुकी थी,रात होने को थी की मेरे ऑफिस में ही एक गाड़ी आकर रुकी वहां से कुछ लोग ऑफिस में घुसे जिसे देख कर मेरे ऑफिस का स्टाफ खड़ा हो गया,
“अरे ठाकुर साहब आप यहां आइए आइये कुछ परेशानी है क्या “
वहां के मेन इंचार्ज की भी जुबान थोड़ी लड़खड़ा गई थी,6फुट 2इंच के गोरे से दो बंदे जिनके माथे में लाल रंग का तिलक था ,और चहरे में किसी राजा की तरह तेज ,सामान्य कपड़ो में थे लेकिन फिर भी खानदानी लग रहे थे ,चौड़ी छाती और बड़ी मांसल भुजाओं के मालिक ये दोनो देखने से ही इनकी शक्ति का अहसास हो रहा था,मैं अपने कुर्सी में बैठा ही था जिसे देखकर इंचार्ज को पसीना आ गया,वो ना मुझे कुछ बोल सकता था ना ही उन्हें,
“ये नए है आज ही आये है,इन्हें यहां कुछ स्पेसल काम से भेजा गया है,ऑफिसर है वन विभाग के “
उसने जिसे सफाई देते हुए कहा ,उनके और मेरे चहरे पर एक मुस्कान आ गई,वो मेरी तरफ बढ़े और मैं भी खड़ा होकर उनका स्वागत किया वो मुझसे हाथ मिलाकर मेरे सामने के चेयर में बैठ गए,एक बैठा लेकिन दूसरा पीछे हाथ बांधकर खड़ा रहा ,उनके साथ ही एक काले रंग का आदमी भी था,डील डौल से वो भी इनका भाई भी लग रहा था लेकिन शायद वो उनका सेवादार था,वो भी दूसरे के साथ पीछे हाथ बांधकर खड़ा रहा ,,,,
बैठे हुए शख्स ने इंचार्ज से कहा ,
“ये हमारे मित्र है …”
उनके जान में जान आई 
“जाइये कुछ चाय वगेरह लाइये “
मैंने सुरेश से कहा वो झट से वहां से निकल गया 
,चेयर में बैठे शख्स ने कहना शुरू किया ,
“मेरा नाम वीर ठाकुर है और ये मेरा भाई बाली ,और साथ में ये मेरा भाई कलवा है हम खून से तो भाई नही लेकिन दिल से भाई ही है….”
“मैं विकास “
“हा डॉ ने बताया था ,हम आपकी क्या मदद कर सकते है ,”
“मुझे बाजू बल चाहिए …”
“देखिए बाजू बल तो आपको इकबाल भी दिला सकता है,हमसे आपको जो भी मदद चाहिए होगी आप एक बार बोल दीजिएगा,जो काम आप करना चाहते है वो समाज के लिए बहुत जरूरी है और हम चाहकर भी इसे नही कर पा रहे है,ड्रग्स के डीलरों को तिवारियो का समर्थन मिला हुआ है और वो हमारे मुकाबले में बहुत ज्यादा ताकतवर है खासकर शहर में उनके बहुत ज्यादा वफादार है ,तो हम आपकी मदद छुपकर ही करे तो ये आपके और हमारे दोनो के लिए बेहतर होगा,”
“जी मैं आपकी बात समझ सकता हु,”
“हमारा प्रभाव इस क्षेत्र में ज्यादा है ,यहां हमरे रहते आपको कोई भी परेशानी नही होगी,बाकी इकबाल और डॉ के रहते आप चिंता मत कीजिये ,बस जिस लड़की को आप इस काम में लगा रहे है उसकी फ़ोटो आप हमे दे दीजिएगा ताकि हम उसकी सुरक्षा कर पाए …”
मैं अपने जेब से मलीना की फ़ोटो निकल कर उसे दे दिया ,
“ठीक है हमारे आदमी इसपर नजर रखेंगे “
“जी बिल्कुल बाकी जो भी हो आप हमे सूचित करे “
“जी “
सुरेश चाय लेकर आ चुका था,सभी चाय पीकर वहां से विदा लेते है,सुरेश एक चैन की सांस लेता है,
“अरे सर आप तो बड़ी पहुच वाले लगते है ,”
“क्यो “
“ठाकुरो से आपकी दोस्ती है ,मिश्रा जी आपके लिए सिफारिश करते है ,वाह …”
मैं हस पड़ा 
“बस यार दोस्ती है सबसे ,तू कहा से हो और ऐसे क्यो कांप रहे थे”
“मैं भी इसी इलाके का हु सर और कांपु कैसे नही ये ठाकुर है ,आजकल तो इनसे जमीदार तिवारी भी काँपते है ,जानते है वीर ठाकुर की शादी तिवारियो की बेटी से हुई और इतना लड़ाई झगड़ा हुआ की तिवारियो के छोटे बेटे वीरेंद्र की भी जान चली गई …. और सुरेश की आंखों में कुछ आंसू आ गए …”
“अरे तुम्हे क्या हो गया ???”
मुझे सचमे समझ नही आया था,
“सर वीरेंद्र की पत्नी आरती मेरे मामा की लड़की है ,हम बचपन से साथ ही खेले थे उस बेचारी की क्या गलती थी शादी को अभी कुछ ही महीने तो हुए थे,मानता हु की ठाकुरो का दिल बहुत बड़ा है और तिवारी तो है ही कमीने पर जब भी वीर को देखता हु ना जाने आरती क्यो चहरा सामने आ जाता है,मैं लाचार हु सर मैं कुछ तो कर नही सकता, …”
सुरेश की आंखों में आंसू थे ,मैं उठकर उसे गले से लगा लेता हु जिससे शायद उसे थोड़ी शांति मिले ….
“तुम्हे क्या लगता है ये ठाकुर भरोसे के लायक है “
वो मुझे प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगा 
“सर वो तो आपके दोस्त है ना “
“हा दोस्त है पर कोई सगे तो है नही ना “मैं हँसते हुए कहा 
“अगर कोई जिम्मेदारी का काम इन्हें दिया जाय तो “
“सर आपको जो करना है कीजिये लेकिन मुझे इनसे दूर ही रखियेगा ,ये है तो बड़े अच्छे लेकिन वो साला बाली और कलवा एक नम्बर के कमीने भी है ,खासकर लड़कियो के मामले में,मुझे तो उनका चहरा भी देखना पसंद नही है….”
“चलो ठीक है कोई बात नही ,और मैं शायद सीधे साइट विजिट करूगा ,तुम्हारी जरूरत पड़ेगी तो काल कर लूंगा ,”
“ठीक है सर आप जैसा समझे वैसे भी मेरी यहां ज्यादा जरूरत पड़ती है ,”
मैं वहां से निकल कर अपने क्वाटर में आया ,समान जमा दिया गया था,साफसफाई भी हो चुकी थी और खाना भी रेडी था,
मैं खाना खा ही रहा था की काजल का काल आ गया ….
“हैल्लो जान खाना खा लिए “
“हा अभी बैठा हु और तुम “
“अभी खाई ,आपका काम वहां कैसे चल रहा है ,”
“आज ही तो आया हु जान ,सब कुछ जम चुका है ...बस तुम्हारी बहुत याद आ रही है “
काजल कुछ देर को रुक गई शायद उसके आंखों में भी आंसू आ चुके होंगे 
“मुझे भी ………”
थोड़ी देर तक दोनो ही कुछ नही कह पा रहे थे,मुझे उस सन्नाटे में कुछ आवाज आई जो काजल के तरफ से थी ,शायद किसी ने दरवाजा खोला था,पानी बहने की आवाज थी मानो बाथरूम की डोर खोली गई हो और फिर बंद की गई हो …
“कुछ तो कहो “
मैंने खामोशी तोड़ी 
“आप मुझसे मिलने आओगे ना “
“जान कुछ ही दिनों की बात है ...तुम यहां आ जाना “
“कब आउ…”
काजल सच में रो पड़ी थी 
“अभी “
“मैं आ रही हु “
फोन काट दिया गया …
मेरे दिल ने जोर का झटका दिया सचमे काजल आ रही है ,मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था,अभी रात के 9 बज रहे थे और ये जंगल था ,शाम यहां मुर्दो जैसे होती है और रात इतनी डरावनी और घनी की आपको अपना हाथ भी ना दिखे मैं सचमे डर गया और तुरंत ही काजल को काल लगाया …
इस बार काजल ने थोड़ी देर में काल उठाया …
“बस एक घंटा मैं और रॉकी आ रहे है…..”
“अरे सुनो तो …….”
मैं कुछ बोलता इससे पहले ही काल कट हो चुका था ,मैं फिर से काल करता हु 
“बेटू रात बहुत हो चुकी है तुम कल आ जाना …”
मैंने एक ही सांस में कहा ….
“सर वो रूम में तैयार हो रही है …”
इसबार रॉकी ने काल उठाया था,
“तो तुम कहा हो “
“सर मैं तो अपने कमरे में था ,काजल ने मुझे जल्दी बुलाया और आपके पास जाने को बोला वो ऐसे बोली की मैं मना नही कर पाया ,मैं उसके रूम के बाहर खड़ा हु मुझे फोन देकर बोली की अगर आपका काल आये तो बोलना की बस एक घंटे में पहुच जाएंगे ….”
मैं जानता था की रॉकी अपने नही काजल के रूम में ही था,लेकिन मेरे लिए ये कोई विषय नही था,
“साले चूतिये हो क्या तुम लोग अभी आओगे और एक घंटे में कैसे पहुच जाओगे यहां मजाक है क्या,जानते हो कितना खतरा है यहां पर “
मैं गुस्से में आ गया था,
“सर काजल को कैसे समझाऊ ,मेरी बात तो वो सुनती नही कल एक क्लाइंट से इम्पोर्टेन्ट मीटिंग भी है और ये है की …”
मैं जानता था की किस क्लाइंट से मीटिंग थी ...पर मैं अब क्या बोलू मैं थोड़ा शांत हुआ की की काजल की आवाज आई ,
और वो फोन ले ली 
“जान मैं बस निकल रही हु ,और कुछ मत कहना बस एक घंटे,रॉकी बहुत अच्छी बाइक चलता है ,”
“रॉकी को दे “
“जी सर “
“अगर काजल को कुछ हुआ तो तेरे गांड में सरिया घुसा दूंगा ….”
उधर से कोई भी रिप्लाई नही आया और काल कट गया….

7 years ago#43
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अध्याय 43
सुनी सी राह हो और किसी का इंतजार हो तो एक एक पल सदियों से लगते है,हल्की हवा के झोंके भी दर्द देने लगते है,और अगडाइयो में एक चुभन होती है,
घड़ी का वो कांटा आज पहली बार मुझे अपने होने का अहसास दिला रहा था,वो हर टक टक में मेरी बेताबी का इन्तहां लेने पर आमादा था,
“क्या हुआ साहब “
रेणु भी मेरे पास आकर बैठ गई 
“कुछ नही काजल आने वाली है “
रेणु ने अपनी नजर थोड़ी चौड़ी कर दी 
“अभी “
“हा “
“सच में साहब दीदी आपसे कितना प्यार करती है …”
मैं उसके चहरे को देखने लगा ,वो बड़ी मासूम सी लग रही थी ,ना जाने कौन सी ताकत होती है जो किसी भी का व्यवहार बदल देती है ,यही लड़की है जो कभी अपनी अदाओं से मेरे सामने मचला करती थी और आज यही है जो इतनी सभ्य और संस्कारी सी लग रही है,
दो चहरे होना शायद कोई मिथक नही है लेकिन ये पूरी तरहः से सच भी नही है,असल में माहौल और जिंदगी की मजबूरियां होती है ,कुछ आदते कुछ संस्कार जो हमे अलग अलग स्थानों में अलग अलग चहरे दिखाने पर मजबूर कर देते है…
सच ही कहा है हमारे पूर्वजो ने की जिंदगी एक माया है एक नाटक है और हम इसके किरदार...
कही वो लड़की एक बदचलन लड़की का किरदार निभाती है तो कही एक संस्कारी औरत बन जाती है ,कही कठोर तो कही नरम ,
मैं अपनी सोच में डूबा हुआ उसके चहरे पर थम गया था,वो मुझे ऐसे देखता पाकर थोड़ी शर्मा गई 
“क्या हुआ साहब “
“कुछ नही आज तू अलग लग रही है,लगता है वरुण का नशा चढ़ रहा है ,
वो थोड़ी शरमाई ...
“ थैंक्यू जो आपके कारण ऐसा लड़का मुझे मिला “
वो शर्मा गई थी 
“कैसा “
मैं भी थोड़ी शरारत के मूड में था 
“वो बहुत अच्छा है और अब तो समझ लो मेरा दीवाना हो गया है ,सोच रही हु इससे ही शादी कर लू “
मैं आंख फाडे उसे देखेने लगा इतनी जल्दी वो इसका दीवाना हो गया आखिर क्या कर दी …
“साहब आपको एक बात बताऊ मिश्रा जी रोज उसको फोन करते है और आपके बारे में पूछते रहते है,ये भी उनसे बहुत झूट बोलता है ,की वो आपके साथ है,प्लीज सम्हाल लेना अगर मिश्रा जी कुछ बोले तो …”
मेरे चहरे पर एक मुस्कान आ गई 
“अच्छा बड़ी फिक्र हो रही है ..ठीक है और उसे बोलना की जब भी मिश्रा का फोन आये तो यही बोल दे की वो मेरे साथ है और मैं किसी काम में बिजी हु …”
“ठीक है साहब और एक बात और उसे मिश्रा ने आपकी जासूसी करने के लिए ही भेजा है ,पता नही मिश्रा को आपसे क्या ऐसा काम है ….लेकिन वो मुझे सब बताता है ..”
वो इठलाते हुए बताती है…
“ह्म्म्म ठीक है,उसे तो नही पता की तुम मुझे ये सब बताती हो “
“नही साहब मैं पागल हु क्या “
“और तुम्हारी मेडम को भी पता नही चलना चाहिए “
“जी साहब लगता है आपका उस मलीना से कोई चक्कर है ,साहब एक चीज बोलू काजल दीदी आपसे बहुत प्यार करती है उन्हें धोका मत देना ..”
उसकी आंखे बता रही थी की वो सच बोल रही है …
“मेरा कोई भी चक्कर नही है और काजल तो मेरी जान है ये तो तू भी जानती है ……”
तभी गाड़ी के रुकने की आवाज आती है,शायद दोनो पहुच गए थे,
काजल टी शर्ट सुर जीन्स में थी ऊपर एक जैकेट पहने हुए थी ,वो भागती अंदर आयी और मुझे देख कर वो दरवाजे में थी ठिठक गई,दोनो के नजर मिले और उसकी आंखे भीग गई……
वो हल्के पैरो से चलते हुए मेरे पास आई मैं अपनी जगह पर खड़ा उसे अपनी ओर आते देख रहा था,दोनो की नजर बस एक दूसरे की नजरो में ही खोई थी ,उसके पायल के थोड़े से घुंघरू हल्के हल्के से आवाज कर रहे थे,जैसे जैसे वो मेरे पास आती वो आवाज थोड़ी और बढ़ रही थी ,
इतने देर का इंतजार और अचानक ही जब वो सामने हो ……..दिल की धड़कने भी थोड़ी बढ़ ही जाती है ,वो आकर मेरे सामने खड़ी हो गई ,हम एक दूसरे को देखने के सिवा और कुछ भी नही कर रहे थे,उसका चहरा मेरे चहरे के पास आया और हमारे होठ मिल गए,मेरे हाथ अनायास ही उसके बालो में फसकर उसके चहरे को अपनी ओर खिंच रहे थे,और मेरी जीभ उसके होठो से अंदर किसी अस्तित्व की तलाश में जा चुके थे……..
हम काफी देर तक युही एक दूसरे से लिपटे हुए बस एक अहसासों की दरिया में डुबकी लगा रहे थे,पूरी दुनिया जैसे खो चुकी थी और समय कि कोई सीमा नही थी ,समय मानो खो गया था…..
जब हम एक दूसरे से अलग हुए मैंने सामने रॉकी को पाया उसके चहरे पे पसीना था,इस ठंड के मौसम में वो जंगलो से गाड़ी चलता हुआ आया था ,नियम के अनुसार उसे अभी ठंड में गुल्फ़ी बन जाना था लेकिन उसके चहरे का पसीना कुछ कहानी कह रहा था ,शायद एक जलन तो उसके सीने में भी उठी होगी,लेकिन मुझे उसपर कोई गुस्सा नही था,मेरे मन में उसके लिए कोई भी बुरा भाव नही था,ना जाने क्यो आज वो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था,उसने मेरी जान को मुझतक लाने के लिए इतनी मेहनत जो की थी ,मैं आगे बढ़कर उसके सामने अपना हाथ बढ़ाया,दोनो के हाथ मिले उसके हथेलियों से निकलने वाला पसीना मुझे उसकी मनोदशा का बयान कर रहा था,
“सॉरी यार मैंने तुम्हे जो भी कहा उसके लिए”
“कोई बात नही सर समझ सकता हु “
उसकी बात में ना ज्यादा एनर्जी थी ना ही ज्यादा हल्कापन …
मैं रॉकी को बैठने को कहा और रेणु से गर्म गर्म चाय बनाने,रेणु के होठो में हल्की मुस्कान थी …
और मैं काजल की तरफ देखा 
“बहुत प्यार आ रहा था जान सॉरी ,आपसे कभी अलग नही रही ना तो अजीब लग रहा था…”
वो अपने कान पकड़कर बोलती है…
मैं उसके पास जाकर फिर से उसके गालो में एक किस ले लेता हु ,
ठंडा मौसम ,नरम बिस्तर और गर्म हमदम ये तो हर कोई चाहेगा,और आज मुझे सब मिल गया,आज फिर से हम उसी अवस्था में थे जैसे कल थे,एक दूसरे पर पूरा प्यार लुटाने को तैयार,ऐसे जैसे कल हम रहेंगे ही नही ,
सच ही है जो आज ही होता है ,और कल कभी आता ही नही,जो आज में जी लिया उसकी जिंदगी ही कुछ और होती है,वो आज में ही अभी में ही अपनी पूरी ताकत लगा देता है ,कल जाने रहे ना रहे ये मौसम ना रहे वो हमदम ना रहे….
काजल के माथे के पसीने की एक एक बून्द मेरे प्यार की ताकत का सबूत था,हर झटका इतना गहरा था की और उसकी आहे इतनी तेज की माहौल में बस हमारे प्यार की दांस्ता ही गूंज रही थी,शायद ये आवाजे वरुण के कमरे तक भी पहुच रही होंगी जहा रॉकी सोया था,
काजल के नर्म मख्खन की तरह योनि में मेरा कठोर लिंग जैसे पिघला जा रहा था,
आलिंगन के गर्म अहसास में नग्गे जिंस्मो की प्यास बुझ रही थी और प्यार प्यार और प्यार……..
सुबह की पहली किरण से पहले ही मेरी नींद खुली और मैंने काजल के चहरे को देखा जो किसी मासूम से बच्चे की तरह मुझसे लिपटी हुई थी,उसके होठो पर हल्की सी चुम्मन देकर मैं उठा मेरी नजर उसके मोबाइल में पड़ी ,अब मुझे उसके मोबाइल को छूने की जरूरत ही नही थी वो काम मैं अपने मोबाइल से ही कर सकता था,मैं अपने मोबाइल को निकल कर उसका वाट्सअप देखने लगा,रॉकी के कुछ मेसेज थे साथ ही मिश्रा जी के भी 
रॉकी: आज के बाद मुझे यहां मत लाना ,तुम वहां अय्याशी कर रही हो और मैं इस ड्राइवर के साथ सो रहा हु ,उसने गुस्से वाली स्माइल साथ में भेजी थी ,मुझे उसपर थोड़ी हँसी आयी ,
मिश्रा ने काजल को बस मेसेज कर यही पूछा था की तुम वहां क्यो जा रही हो,उससे ज्यादा कुछ भी नही…
मैं फिर मोबाइल साइड में रख काजल को कस लिया इसबार वो थोड़ी कसमसाई और मेरे से लिपट गई,सुबह के अकड़े हुए लिंग ने उसकी योनि में अपना रास्ता बनाया और वो जैसे जाग गई ,मेरे बालो को सहलाती हुई मुझे खुद से जोड़ ली ,वो अभी भी अलसाई थी और मैं अभी भी निढल ही था,हल्के हल्के धक्कों ने हमे धीरे धीरे गर्म किया…..
आज कजल का अपने मिशन पर पहला दिन था और मुझे भी टाइगर और इकबाल से मिलना था,काजल कहा से शुरुवात करने वाली थी मुझे नही पता लेकिन मेरे लिए शहर जल्दी से जल्दी पहुचना बहुत जरूरी था,मैं साया बनकर काजल के साथ रहना चाहता था जो की शायद पॉसिबल ना हो पाए इसलिए अपने प्लान पर जल्द ही अमल करना बहुत जरूरी हो गया था,मैं इंतजार करने लगा की काजल कब वहां से निकलेगी,मेरे लिए एक बाइक का जुगाड़ ठाकुर साहब ने कर दिया था,जो टिपिकल बुलेट थी…
सोच रहा था की अब शायद वो cuckold वाली कहानी मेरे साथ होने वाली है,मैं बहुत नर्वस भी था और उत्तेजित भी,मैं इसे सोचकर ठंडा पड़ जाता और कभी गर्म भी हो जाता,काजल को किसी के साथ कैसे देख पाऊंगा ये खयाल ही रोंगटे खड़ा कर देता था,मुझे अपनी मजबूरी पर हताशा भी हो रही थी और वो करना जरूरी भी था,मैं चाहता तो सब से मुह मोड़कर घर में बैठ सकता था मुझे पता था की काजल वापस मेरे पास ही आएगी और मेरी होकर ही रहेगी पर फिर भी मैं घर में ही बैठकर नही रह सकता था,मैं कैसे इसे देख पाऊंगा,क्या मैं उत्तेजित हो जाऊंगा,या फिर मैं नर्वस हो जाऊंगा,या मैं सभी दायरों को छोड़कर काजल के सामने आ जाऊंगा,या मैं मिशन को बीच में छोड़ घर आ जाऊंगा,या मैं काजल के ऊपर ही गुस्सा निकल दूंगा..सब सोचकर मेरा सर फटा जा रहा था,काजल के जाने के बाद से मैं घर से निकलने की हिम्मत भी नही जुटा पा रहा था,इसका एक ही रास्ता मुझे दिखा वो था डॉ चुतिया..मैंने उसे तुरंत ही फोन लगाया 
“कहा पहुचा एक घंटे में ******* यहां मिल इकबाल से मिलने जाना है “
“यार डॉ “........मेरी आवाज में एक उदासी थी 
“यार मैं समझ नही पा रहा हु की क्या करू ,” मैंने उसे अपनी सारी तकलीफे एक ही सांस में बता दी 
“हम्म्म्म तू आजा और अपनी भावनाओ को साथ लेकर ही आ यहां उसकी बहुत जरूरत पड़ेगी,और वही कर जो तेरा दिल कहता है,मैं तुझे अब और नही समझूंगा,तुझे अगर काजल के ऐसा करने से कोई प्रॉब्लम हो तो तू उसका विरोध कर देना और मजा आये तो मजा लेना ,दिल हमेशा सही राह दिखता है मेरे दोस्त ,अपनी भावनाओ की कद्र करो उसके साथ चलो सफर थोड़ी मुश्किल जरूर हो जाती है पर समाज का हर बंधन जो तुम्हारे विचारों को,भावनाओ को बांध कर रखता है वो टूट जाएगा,और तुम स्वतंत्र महसूस करोगे,काजल का दुसरो के साथ संबंध बनाना तुझे इसलिए गलत नही लगता क्योकि तू इसे गलत समझता है वो इसलिए गलत लगता है क्योकि समाज इसे गलत मानता है….अभी तू समाज के बंधे नियम में चल रहा है और असली आजादी तुझे तब मिलेगी जब तू इन नियमो के बाहर जाकर अपनी संवेदनों को फैलाएगा,अपनी भावनाओ की इज्जत कर मेरे दोस्त ,वो तुझे लड़ा भी सकती है और उत्तेजित भी कर सकती है जो उस समय तुझे ठीक लगेगा वही करना….चल अब जल्दी आ जा …”
डॉ की कुछ बाते दिमाग के ऊपर से चले गई पर इतना तो समझ आ गया की कुछ भी गलत और सही नही होता,उसे गलत और सही समाज और हमारे पूर्वाग्रह (prejudices) बनाते है,और मुझे दोनो से बाहर आना होगा तभी मैं अपनी और काजल की मदद कर पाऊंगा,मैं अब बिना देर किये ही घर से निकल गया…….. 

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