8 years ago#51
यही उन दोनों ने किया। अपने हाई-हील सैंडलों को छोड़कर दोनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और उन्होंने व्हिस्की के नीट पैग बनाकर उसमें दवा की एक-एक शीशी मिला ली और पीने बैठ गयीं। मैंने भी बिना दवा का व्हिस्की का पैग बनाया और उन्हें देखने लगा और उनकी चूत में खुजली होने का इंतज़ार करने लगा।
आधे घंटे में ही व्हिस्की और दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया। अब वो अपनी चूत घिस रही थीं। थोड़ी देर में ही वो इतनी गर्मा गयी कि दोनों ने मुझे पकड़ कर मेरे कपड़े फाड़ डाले और मुझे नंगा कर दिया।
प्रीती ने सच कहा था। दो घंटे में ही लंड का पानी खत्म हो चुका था और उसमें उठने की बिल्कुल जान नहीं थी, चाहे डंडे के जोर से या पैसे के जोर से। इस का एहसास होते ही वो एक दूसरे की चूत चाटने लगीं।
मैं थक कर सो गया। रात में मेरी नींद खुली तो मुझे उन दोनों की सिसकरियाँ सुनायी दे रही थी। अभी रात बाकी थी। मैंने देखा कि रजनी नकली लंड को पकड़े प्रीती की गुलाबी चूत के अंदर बाहर कर रही थी।
उन्हें देख कर मेरे लौड़े में जान आनी शुरू हो गयी। पर मैंने चोदने कि कोशिश नहीं की और वापस लेट गया और सोचने लगा।
दो साल में ही मैंने काफी तरक्की कर ली थी। आज मैं कंपनी का डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर हूँ, अपना बंगला है, गाड़ी है। सब कुछ तो है मेरे पास। प्रीती जैसी सुंदर और सैक्सी चुदक्कड़ बीवी और साथ में कंपनी की हर महिला करमचारी है चोदने के लिये। मैं भविष्य के बारे में सोचने लगा। आने वाले दिनों में दो कुँवारी चूतों का मौका मिलने वाला था, ये सोच कर ही मन में लड्डू फुट रहे थे। उन दोनों की कुँवारी चूत के बारे में सोचते हुए ही मैं गहरी नींद में सो गया।
सुबह मैं सो कर उठा तो देखा कि मेरी दोनों रानियाँ, सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी, एक दूसरे की बंहों में गहरी नींद में सोयी पड़ी थी, और उनका काला दोस्त रजनी की चूत में घुसा हुआ था।
दोनों को इस अवस्था में देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। लेकिन मैंने सोच कि पूरा दिन पड़ा है चुदाई के लिये..... क्यों ना पहले चाय बना ली जाये।
उन्हें बिना सताये मैं कमरे से बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगा। चाय लेकर मैंने उनके बिस्तर के पास जा कर उन्हें उठाया, “उठो मेरी रानियों! गरम चाय पियो पहले, मेरा लंड तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा है।”
प्रीती अंगड़ाई लेते हुई बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी, “थैंक यू डार्लिंग, तुम कितने अच्छे हो, सारा बदन दर्द कर रहा है, कल काफी शराब पी ली थी और रात भर चुदाई की हम दोनों ने”, और उसने रजनी के निप्पल को धीरे से भींच दिया, “उठ आलसी लड़की! देख चाय तैयार है।”
“अरे बाबा उठ रही हूँ! उसके लिये मेरे निप्पल को इतनी जोर से दबाने की जरूरत नहीं है”, रजनी ने उठते हुए कहा, “अब बताओ! क्या प्रोग्राम है?”
“प्रोग्राम ये है कि पहले गरम-गरम चाय अपने पेट में डालो और फिर मेरा गरम लंड अपनी चूत में डालो”, मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा।
“राज, मेरी चूत में तो बिल्कुल नहीं! बहुत दर्द हो रहा है”, प्रीती ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
“और मेरी चूत में भी नहीं, देखो कितनी सूजी हुई है”, रजनी ने अपनी चूत का मुँह खोल कर दिखाते हुए कहा।
“फिर तो तुम दोनों की गाँड मारनी पड़ेगी”, मैंने कहा।
“नहीं! गाँड भी सूजी पड़ी है और दर्द हो रहा है, तुम चाहो तो हम तुम्हारा लंड चूस सकते हैं”, रजनी ने कहा।
चाय पीने के बाद उन्होंने मेरे लंड को बारी-बारी से चूसा और मेरा पानी निकाल दिया। उन दोनों को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा।
“गुड मोर्निंग आयेशा, क्या एक कप गरम कॉफी लाओगी मेरे लिये”, मैंने अपनी सेक्रेटरी से कहा।
“गुड मोर्निंग सर! मैं आपके लिये अभी कॉफी बना कर लाती हूँ”, आयेशा ने कहा।
हाँ दोस्तों! ये वो ही आयेशा है जिसे एम-डी और महेश ने उसके बाप की जान बख्शने के एवज में उसे खूब कसके चोदा था। आयेशा मेरी सेक्रेटरी कैसे बनी उसकी कहानी कुछ ऐसी है।
मेरे डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाये जाने के दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मेरे लिये नया केबिन तैयार था। मेरा केबिन ठीक एम-डी के केबिन के जैसा था। मैं एम-डी के केबिन में गया तो देखा कि एम-डी ने अपने लिये सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है। “सर! ये क्या आपने कोई सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है?” मैंने पूछा।
“राज! मैंने पहले नसरीन को अपनी सेक्रेटरी बनाया था, लेकिन मिली ने जलन की वजह से उसे हटवा दिया। मुझे इससे कोई फ़रक नहीं पड़ा कि चुदाई मेरी सेक्रेटरी की हो या दूसरे डिपार्टमेंट की लड़की की, इसलिये मैंने उसे शिफ़्ट कर दिया, तुम चाहो तो अपने लिये नयी सेक्रेटरी रख सकते हो। हम उसे मिलकर चोदा करेंगे”, एम-डी ने जवाब दिया।
मैंने सेक्रेटरी के लिये पेपर में इश्तहार दे दिया। एक दिन एम-डी का पुराना नौकर असलम मेरे पास आया, “सर मैंने सुना है कि आप नयी सेक्रेटरी की खोज में हैं। सर! मेरी बेटी आयेशा ने अभी सेक्रेटरी कोर्स का डिप्लोमा लिया है। आप उसे रख लिजिये ना।”
8 years ago#52
उसकी बातें सुन आयेशा का चेहरा मेरी आँखों के सामने आ गया। उसकी गुलाबी चूत मेरे खयालों में आ गयी... जब मैंने उसे चोदा था। मेरा उसे फिर चोदने को मन करने लगा। “ठीक है! उसे सब अच्छी तरह समझा देना कि खूब मेहनत करनी पड़ेगी? और उसे सुबह सब सर्टिफिकेट्स के साथ भेज देना..... उसका इंटरव्यू लिया जायेगा?”
“थैंक यू सर”, असलम ये कहकर चला गया।
उसकी जाते ही मैंने एम-डी को इंटरकॉम पर फोन किया, “सर! मैंने सेक्रेटरी रख ली है..... अपने असलम कि बेटी..... आयेशा को।”
“ये तुमने अच्छा किया! मैं भी उसे दोबारा चोदना चाहता था”, एम-डी ने खुश होते हुए कहा, “कल जब वो आये तो मुझे बुला लेना.... साथ में इंटरव्यू लेंगे।”
दूसरे दिन आयेशा अपने सब सर्टिफिकेट लेकर ऑफिस पहुँची। मैंने एम-डी को उसके आने की खबर दी और उसके सर्टिफिकेट चेक किये। सब बराबर थे। “आयेशा! अब तुम्हारा असली इंटरव्यू शुरू होगा, अपने कपड़े उतारो”, मैंने कहा।
“ओ!!! तो अब आप मुझे चोदेंगे, बहुत दिन हो गये जब आपने मुझे चोदा था, है ना?” आयेशा हँसते हुए बोली।
अपने कपड़े उतारते हुए जब उसने एम-डी को अंदर आते देखा तो बोली, “सर! ये भी मुझे चोदेंगे? फिर से दर्द नहीं सहन कर पाऊँगी।”
“तुम डरो मत..... ये तुम्हें दर्द नहीं होने देंगे, तुम अपने कपड़े उतारो”, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
सफ़ेद रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडलों को छोड़ कर वो अपने बाकी सब कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी तो एम-डी उसका इंटरव्यू शुरू किया।
“ओहहह सर! कितना अच्छा लग रहा है”, आयेशा ने सिसकरी भरी, जैसे ही एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत में डाला।
“हाँआँआँआँ जो...उउ...र से.... और जोर से , मज़ा आ रहा है......... हाँआँआँ किये जाओ...... मज़ा आ रहा है..... मेराआआआ छूट रहा है.......” चिल्लाते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।
“ओह सर! मज़ा आ गया! आप कितनी अच्छी चुदाई करते हैं”, आयेशा ने एम-डी को चूमते हुए कहा, “आपने पहली बार मुझे इतने प्यार से क्यों नहीं चोदा।”
“वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
मैंने और एम-डी ने बारी-बारी से आयेशा को कई बार चोदा। एक बार तो हम ने उसे साथ साथ चोदा। तीन घंटे की चुदाई के बाद हम थक चुके थे। मैंने पूछा, “सर! क्या सोचा इसके बारे में?”
“कुछ फैसला करने के पहले मैं आयेशा से एक सवाल करना चाहता हूँ?” एम-डी ने कहा।
“सर.... मैं आपके सवाल का जवाब कल दूँगी.... अभी मेरी चूत सुज़ चुकी है”, आयेशा बोली।
“नहीं! सवाल का जवाब तो तुम्हें देना ही होगा”, एम-डी ने उसकी बात काटते हुए कहा, “क्या तुम अच्छी कॉफी बनाना जानती हो?”
“दुनिया में सबसे अच्छी सर!” आयेशा ने हँसते हुए कहा।
“ठीक है राज! इसे रख लो और चुदवाना इसका सबसे जरूरी काम होगा!” एम-डी ने कहा।
“ठीक है सर!”
इस तरह आयेशा मेरी सेक्रेटरी बन गयी।
“ये आपकी कॉफी सर!” आयेशा कॉफी लाकर बोली।
“थैंक यू, अब तुम जा सकती हो?” मैंने आयेशा से कहा।
“सर! पक्का आपको कुछ और नहीं चाहिये?” आयेशा ने पूछा।
“नहीं! अभी तो कुछ नहीं चाहिये बाद में देखेंगे”, मैं उसका इशारा समझता हुआ बोला, “हाँ! जरा मीना को भेज दो!”
“मीना को क्यों? उसमें ऐसा क्या है जो मेरे में नहीं?” आयेशा की आवाज़ में जलन की बू आ रही थी।
मैं अपनी सीट से उठा और उसके पास आकर उसके दोनों मम्मों को जोर से भींच दिया। “छोड़िये सर! दर्द होता है!” आयेशा दर्द से बोली।
8 years ago#53
“दबाया ही इसलिये था, सुनो आयेशा! इस कंपनी में जलन की कोई जगह नहीं है, तुम मुझे पसंद हो इसलिये तुम यहाँ पर हो, समझी? मुझे ऑफिस की दूसरी लड़कियों का भी खयाल रखना पड़ता है...... समझ गयी? अब जाओ और मीना को भेज दो।”
मैंने मीना को एक जरूरी काम दिया और अपने काम में जुट गया। काम खत्म करके मैं एम-डी के केबिन में पहुँचा और उसे रिपोर्ट दी।
“तुमने अच्छा काम किया है राज! आओ सुस्ता लो और एक कप कॉफी मेरे साथ पी लो।” एम-डी ने मुझे बैठने को कहा।
“सर! आपने कभी मिली और योगिता को वो स्पेशल दवा पिलायी है?” एम-डी ने ना में गर्दन हिला दी।
“सर! पिला के देखिये...... सही में काफी मज़ा आयेगा!” मैंने कहा।
“मुझे शक है कि वो दवाई के बारे में जानती हैं.... इसलिये शायद पीने से इनकार कर दें”, एम-डी ने कहा।
“फिर हमें कोई दूसरा तरीका निकालना होगा...” मैंने सोचते हुए कहा, “सर आपके पास वो उत्तेजना वाली दवाई तो होगी ना?”
“हाँ! वो तो मेरे पास काफी स्टोक में है, क्यों क्या करना चाहते हो?” एम-डी ने पूछा।
“सर! आप अपने घर पर शनिवार को एक पार्टी रखें जिसमें मैं और प्रीती भी शामिल हो जायेंगे। मैं प्रीती को प्याज के पकोड़े बनाने को बोल दूँगा और वो इसमें वो दवाई मिला देगी”, मैंने कहा।
“प्याज के पकोड़े? हाँ ये चलेगा! उन्हें पकोड़े पसंद भी बहुत हैं, लेकिन राज तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी। तुम्हें मालूम है कि दोनों कितनी चुदकाड़ हैं, और इस दवाई के बाद मैं तो उन्हें एक साथ नहीं संभल पाऊँगा, दोनों एक दम भूखी शेरनी बन जायेंगी”, एम-डी ने कहा।
“सर! आप चिंता ना करें! मैं उन्हें संभाल लूँगा”, मैंने एम-डी को आशवासन दिया।
शनिवार की शाम को हम एम-डी के घर पहुँचे। प्रीती ने सब को ड्रिंक्स सौंपी और नाश्ते के साथ प्याज के पकोड़े भी स्नैक में टेबल पर रख दिये।
“प्याज के पकोड़े....! ये तो मुझे और योगिता को बहुत पसंद हैं”, इतना कह कर मिली ने प्लेट योगिता की तरफ कर दी। हम सब अपनी ड्रिंक पी रहे थे। योगिता और मिली ड्रिंक्स के साथ मजे से पकोड़े खा रही थी। थोड़ी देर में दवाई और ड्रिंक्स ने अपना असर एक साथ दिखाना शुरू किया और उनके माथे पर पसीने की बूँदें छलकने लगी।
मैंने देखा कि दोनों अपनी चूत साड़ी के ऊपर से खुजा रही थी। “सर! क्यों ना हम वो काम डिसकस कर लें जो आपने ऑफिस में बताया था”, मैंने एम-डी से कहा।
“हाँ! तुम सही कहते हो, चलो सब स्टडी में चलते हैं”, एम-डी अपनी सीट से उठते हुए बोला।
जब तक दोनों औरतें स्टडी में दाखिल होतीं, दोनों जोर-जोर से अपनी चूत खुजला रही थी।
“क्या हुआ तुम दोनों को? चूत में कुछ ज्यादा ही खुजली मच रही लगती है?” एम-डी जोर से हंसता हुआ बोला।
“योगिता! मुझे विश्वास है ये सब इसी का किया हुआ है, जरूर इसने अपनी वो दवाई किसी चीज़ में मिला दी है”, मिली बोली।
“जरूर दवाई पकोड़ों में मिलायी होगी, इसका मतलब राज और प्रीती भी मिले हुए हैं”, योगिता बोली।
“अब इन बातों को छोड़ो! मेरी चूत में तो आग लगी हुई है”, मिली ने बे-शरमी से अपनी सड़ी उठा कर चूत में अँगुली करते हुए कहा, “योगिता! तुम राजू को लो..... मैं देखती हूँ राज क्या कर सकता है।”
दोनों मिल कर हमारे कपड़े फाड़ने लगीं। “इतनी जल्दी क्या है मेरी रानी?” एम-डी ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा।
“साले हरामी... तूने ही मेरी चूत में इतनी आग लगा दी है और तुझे ही अपने लंड के पानी से इसे बुझाना होगा”, मिली जोर से चिल्लाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर मुझे सोफ़े पर खींच के ले गयी।
“आआआहहहहह!!!” मिली सिसकी जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत में प्रवेश किया। कुछ सैकेंड में एम-डी भी मेरी बगल में आकर योगिता को जोर से चोद रहा था। हम दोनों की रफ़्तार काफी तेज थी और थाप से थाप भी मिल रही थी।
“हाँआँआआआआआआ राज!!!!!!! और जोर से चोदो”, मिली मेरी थाप से थाप मिला रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी।
“रा......आआआआआआ......ज साले....... मैंने कहा ना कि मुझे जोर से चोद......., हाँ ऐसे और जोर से...... हाआँआँआँ ये मेरा छूटा........” कहते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।
थोड़ी देर बाद योगिता भी “ओहहहहहहह आआहहहहहहहहह” करती हुई झड़ गयी। हमने भी अपना लंड उनकी चूतों में खाली कर दिया। तीन घंटे तक हुम चुदाई करते रहे और हमारे लौड़ों में बिल्कुल भी जान नहीं बची थी।
मगर उनकी चूत की खाज नहीं मिटी थी। “योगिता अब क्या करें! मेरी चूत में तो अब भी खुजली हो रही है”, मिली ने पूछा।
“खुजली तो मेरी चूत में भी हो रही है, आओ मेरे कमरे में चलते हैं, और मेरे काले लंड से खुजली मिटाते हैं,” योगिता ने मिली का हाथ पकड़ कर कहा और दोनों ऊँची हील की सैंडलें खटखटाती दूसरे कमरे में चली गयीं।।
8 years ago#54
“सर! कैसा रहा?” मैंने एम-डी से पूछा।
“बहुत ही अच्छा, आज पहली बार मैंने एक बार में इतनी चुदाई की है, बिना साँस लिये। दोबारा फिर ऐसा ही प्रोग्राम बनायेंगे”, एम-डी ने जवाब दिया।
जब हम घर जाने के लिये तैयार हुए तो रास्ते में प्रीती ने पूछा, “कैसा रहा राज?”
“बहुत अच्छा रहा..... तुम बताओ क्या खबर है?” मैंने उससे पूछा।
“खबर कुछ अच्छी भी है और कुछ बुरी भी! ये सब तुम्हें रजनी कल बतायेगी... मेरा तो इस समय नशे में सिर घूम रहा है...।”
अगले दिन रजनी घर आयी तो मैंने उससे पूछा, “अब बताओ कल क्या हुआ था?”
“तुम्हारे स्टडी में जाने के बाद मैंने और प्रीती ने सोच क्यों ना थोड़ा समय टीना और रीना के साथ बिताया जाये”, रजनी ने बताना शुरू किया, “इतने में हमें मिली आँटी की चींख सुनाई दी।”
“ये मम्मी इतना चींख क्यों रही है.... टीना ने पूछा।” हम तो उनके चींखने की वजह जानते थे लेकिन प्रीती ने सलाह दी कि चलो चल कर देखते हैं वहाँ क्या हो रहा है।
टीना, प्रीती और मैं खड़े हो गये पर रीना हिली नहीं..... “क्या तुम्हें नहीं चलना है?” टीना ने पूछा। रीना ने जवाब दिया कि “तुम चलो दीदी, मैं आपके पीछे पीछे आ रही हूँ।”
हमने स्टडी की खिड़की में से झाँक कर देखा तो दोनों औरतें सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी होकर तुम लोगों से चुदाई में मस्त थीं। तुम दोनों का लंड दोनों की चूत के अंदर बाहर होता साफ दिख रहा था। ये नज़ारा देख टीना शर्मा गयी और उसके चेहरे पे लाली आ गयी। थोड़ी देर में उसके शरीर में गर्मी भर गयी और उसकी साँसें फूलने लगीं।
इतने में प्रीती ने पीछे से उसकी छाती पर हाथ रख कर उसके मम्मे भींचने शुरू कर दिये। रीना अभी तक आयी नहीं थी, मैं प्रीती को वहाँ अकेले छोड़ कर रीना को बुलाने चली गयी, “प्रीती तुम चालू रखो।”
प्रीती ने बात को चालू रखते हुए कहा: टीना की साँसें फूल रही थीं...... “मैं उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाने लगी।”
“ओह दीदी..... अच्छा लग रहा है”, उसकी सिसकरी निकल पड़ी।
“अच्छा लगता है ना… और करूँ?” मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा।
“हाँ दीदी!!!!! बहुत अच्छा लग रहा है..... और करो।” वो सिसकी, मैं उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगी।
“ओह दीदी !!!!!!” वो जोर से चींखी।
“ज़रा धीरे वरना कोई सुन लेगा.....” कहकर मैं अपनी अँगुली से उसे चोदने लगी और तब तक चोदती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी।
“चुदाई अच्छी लग रही है ना?” मैंने पूछा।
“हाँ दीदी! बहुत अच्छी लग रही है”, उसने शर्माते हुए कहा। मैंने उसकी चूत को रगड़ना चालू रखा।
“चुदवाने को दिल करता है? मैंने पूछा।
“हाँ दीदी!!!! मुझे चुदवाने को बहुत दिल करता है।” टीना ने शर्माते हुए कहा।
उसी समय तुम योगिता की चूत में अपना लंड पेलने जा रहे थे, “दीदी देखो ना राज का लंड कितना मोटा और लंबा है.....” उसने कहा।
“तुम कहो तो तुझे भी राज से चुदवा दूँ....” मैंने उसकी चूत को और रगड़ते हुए पूछा।
“राज जैसा सुंदर मर्द मुझ जैसी साधारण दिखने वाली लड़की को भला क्यों चोदेग?” उसने कहा।
“मैं कहुँगी तो तुम्हें चोदेगा....” मैंने जवाब दिया।
“तो फिर कहो ना, उसे आज ही मुझे चोदने को कहो.....” वो खुश होते हुए बोली।
“इतनी जल्दी क्या है चुदवाने की, अभी तुम छोटी हो?”
“छोटी कहाँ दीदी!!!!! थोड़े महीनों में मैं इक्कीस साल की हो जाऊँगी....” उसने जवाब दिया।
“इक्कीस का होने तक इंतज़ार करो”, मैंने उसे समझाया।
“प्रॉमिस?” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। “प्रॉमिस! मेरी जान, राज का लंड तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदे........ ये मेरा तुम्हारे जन्मदिन पर तोहफ़ा होगा.......” मैंने उसे चूमते हुए कहा।
रजनी अभी तक आयी नहीं थी और ना ही रीना आयी थी, “टीना! चलो रजनी और रीना को देखते हैं कि वो क्या कर रहे हैं.....” कहकर हम दोनों वापस उनके कमरे में आ गये।
“रजनी! अब तुम राज को बताओ क्या हुआ”, प्रीती ने कहा।
रजनी ने कहना शुरू किया, “राज!!! जब मैं रीना के कमरे में पहुँची तो देखा कि वो वैसे ही बैठी हुई है जैसे हम उसे छोड़ कर गये थे।”
8 years ago#55
“रीना हम लोग तेरा इंतज़ार कर रहे थे, तुम आयी क्यों नहीं??? तुम नहीं जानती कि तुमने क्या देखने से मिस कर दिया?” मैंने उससे कहा।
“क्या मिस कर दिया?” उसने कहा।
“यही कि किस तरह तुम्हारे पापा और राज हमारी मम्मियों को चोद रहे थे.....” मैंने हँसते हुए कहा।
“दीदी मुझे चुदाई में कोई इंटरस्ट नहीं है!!!” उसके इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।
“चुदाई में इंटरस्ट नहीं है???? तुझे पता है एक मर्द किसी औरत को क्या सुख दे सकता है?” मैंने कहा।
“मुझे मर्द जात से नफ़रत है, सब के सब मतलबी होते हैं”, वो गुस्से में बोली। मैं मन ही मन डर गयी कि किसी ने इसके साथ रेप तो नहीं कर दिया।
“तुझे किसी ने चोद तो नहीं दिया?” मैंने पूछा।
“नहीं दीदी! मुझे किसी ने नहीं चोदा..... मैं अभी तक कुँवारी हूँ!” उसने जवाब दिया।
“तो फिर किसने तुम्हें मर्दों के बारे में ऐसा सब बताया है?”
“मेरी इंगलिश टीचर ने!!!” उसने जवाब दिया।
“तुझे नहीं पता कि मर्द का शानदार लंड औरत को कितने मज़े दे सकता है?” मैंने कहा।
“उससे ज्यादा मज़ा औरत के स्पर्श से मिलता है..... मुझे मालूम है”, उसने जवाब दिया।
“तुम्हारी इंगलिश टीचर तुम्हें छूती है क्या? कहाँ?” मैंने पूछा।
उसने शर्माते हुए अपने मम्मों की तरफ देखा। मैंने उसके मम्मे ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किये। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे हाथ के स्पर्श से ही उसके निप्पल खड़े हो गये। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को भींचा, उसके मुँह से सिसकरी निकल पड़ी, “हाँ ऐसे ही!”
“क्या वो सिर्फ़ यही करती है या और कुछ भी?” मैंने फिर पूछा।
“नहीं वो मेरी.....” कहते हुए रीना रुक गयी।
“चलो बोलो क्या वो तुम्हारी चूत भी छूती है?” मैंने उसे दोबारा पूछा।
“हाँ दीदी!!! वो मेरी चूत भी छूती है!!!” रीना थोड़ा से मुस्कुराते हुए बोली। मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ दिया।
“क्या ऐसे?” मैंने पूछा।
“ओह दीदी हाँ, आपका हाथ कितना अच्छा लग रहा है!!!” वो कामुक होकर बोली।
“वो और क्या करती है?” मैंने फिर पूछा।
“कभी वो मुझे चूमती है और कभी....” इतना कह कर वो फिर शर्मा गयी, मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अपने दाँत उसके निप्पल पर गड़ा रही थी।
“ओहहहह दीदीईईई!!!!” उसके मुँह से सिसकरियाँ फ़ूट रही थीं, मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी। मैं तब तक उसकी चूत चाटती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी इतनी देर में ही प्रीती और टीना रूम में आ गये।
“क्या तुमने उससे पूछा नहीं कि उसने ये सब कैसे सिखा?” मैंने रजनी से पूछा।
“आज यहाँ आने से पहले मेरे बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसकी फ्रैंड सलमा ने एक दिन उसे बाथरूम में पकड़ कर चूमा था। उसे मज़ा आया था। सलमा की हरकत बढ़ती गयी और अब वो रीना की चूचियों को भी चुसती थी और रीना को भी मज़ा आता था और रीना भी उसकी चीचियों को चूसती थी। एक दिन सलमा उसे उनकी इंगलिश टीचर के यहाँ ले गयी जिसने उसे औरत के स्पर्श का खूब मज़ा दिया और मर्दों के बारे मैं भड़काया। मेरे बहुत कहने पर भी वो मानने को तैयार नहीं हुई। राज!! टीना तो तैयार है पर रीना नहीं मानेगी लगता है।”
“अभी उसे इक्कीस साल का होने में बहुत टाईम है..... तब तक तुम सिर्फ़ उस पर नज़र रखो, कोई रास्ता निकल आयेगा, अगर नहीं निकला तो स्पेशल दवाई तो है ही। उसकी चूत हर हाल में फटेगी”, प्रीती ने कहा।
समय गुज़रता गया.............
8 years ago#56
एक दिन ऑफिस में शाम को जब काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, “सर! मेरे भाई का कॉलेज में एडमिशन हो गया है...... इससे घर के खर्चे बढ़ गये हैं, इसलिये मैं अपसे एक रिक्वेस्ट करने आयी हूँ।”
“अगर तुम तनख्वाह बढ़ाने की बात लेकर आयी है तो मैं पहले से ही ना कर रहा हूँ।”
“नहीं सर! तनख्वाह की बात नहीं है, अगर आप मेरी माँ को नौकरी दे सकें तो मेहरबानी होगी, मैंने सुना है एच.आर डिपार्टमेंट में जगह खाली है, मेरी मम्मी वहाँ कुछ साल काम कर चुकी है।”
“मैं इस बारे में सोचुँगा”, मैंने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी मम्मी काम के बारे में तो जानती है लेकिन क्या वो कंपनी कि दूसरी पॉलिसी के बारे में जानती है?”
“तो क्या आप मेरी मम्मी को भी चोदेंगे?” मीना ने चौंकते हुए पूछा।
“तुम्हें पता है कि कंपनी की पॉलिसी क्या है और कंपनी का डी.एम.डी होने के नाते मैं पॉलिसी नहीं बदल सकता”, मैंने जवाब दिया, “लेकिन तुम अभी अपनी मम्मी से कुछ ना कहना...... मुझे पहले एम-डी से बात कर लेने दो।”
मैंने एम-डी को फोन लगाया और बताया।
“उसे रखना है तो रख लो! काफी मेहनती औरत है और चोदने के लिये भी अच्छी है। तुम्हें उसे चोदने में मज़ा आयेगा। मैंने कई बार उसे चोदा है और दोबारा भी चोदना चाहुँगा, पर मीना को क्या कहोगे?” एम-डी ने कहा।
“सर! मैं मीना को बता चुका हूँ कि अगर वो यहाँ पर कम करेगी तो मुझे उसे चोदना पड़ेगा।”
“ठीक है! तुम उसे कल बुला लो”, एम-डी ने फोन रखते हुए कहा।
शाम को जब मैं घर पहुँचा तो प्रीती घर पर नहीं थी। जैसा कि हफ़्ते में दो तीन बार होता था.... प्रीती जरूर किसी क्लब में गुलछर्रे उड़ा रही थी। देर रात वो नशे में धुत्त लड़खड़ाती हुई कार से उतरी तो मैंने कुछ बात करना मुनासिब नहीं समझा। सुबह जब वो उठी तो मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हारे लिये एक खबर है।”
“तुम्हारे लिये भी मेरे पास एक खबर है, लेकिन पहले तुम बोलो!” प्रीती बोली।
“मीना ने सिफ़ारिश की है कि मैं उसकी माँ को काम पर रख लूँ...... एम-डी ने भी हाँ कर दी है।”
“जाहिर है तुम उसे चोदोगे!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तुम्हें कंपनी की पॉलिसी का तो पता है!”
“राज! मैं देख रही हूँ कि इन दिनो तुम चुदी हुई चूतों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हो, इसमें कहीं मुझे ना भूल जाना”, प्रीती हँसी।
“तुम्हें और तुम्हारी चूत को कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरे लिये स्पेशल हो। तुम तो जानती हो कि मुझे चोदने में कितना मज़ा आता है। अगर मेरे पास साठ साल की बुढ़िया भी काम माँगने आये तो मैं उसे भी बिना चोदे काम नहीं दूँ। हाँ... अब तुम बताओ क्या खबर है?”
“घर से खत आया है.... राम और श्याम की शादी पक्की हो गयी है”, प्रीती खुश होते हुए बोली।
“मुबारक हो तुम्हें! क्या वो दो बहनों से शादी कर रहे हैं?”
“नहीं दोनों अलग परिवार कि लड़कियाँ हैं”, प्रीती बोली।
“तुम कितने दिन के लिये जाना चाहती हो?” मैंने पूछा।
“एक महीना तो लग ही जायेगा।”
“एक महीना! इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रह सकुँगा।”
“ऑफिस में इतनी सारी लड़कियाँ हैं चोदने के लिये, एक महीना कहाँ बीत जायेगा कि तुम्हें एहसास भी नहीं होगा”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“लड़कियाँ तो आज भी हैं.... पर तुम तो जानती हो कि रात को मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।”
“मेरे बिना या मेरी चूत के बिना!” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“प्रीती! अब ये अच्छी बात नहीं है....” मैंने नाराज़गी जाहिर की।
“अरे बाबा! नाराज़ मत हो..... मैं जानती हूँ, इसलिये मैंने रजनी से कह दिया है कि वो रोज़ शाम को तुम्हारे पास आ जाया करेगी और कभी-कभी रात को भी रुकेगी।”
“ठीक है!!! कब जाना चाहती हो?”
“मैंने कल सुबह की फ्लाइट की टिकट बुक करा ली है”, प्रीती ने जवाब दिया।
दूसरे दिन प्रीती को एयरपोर्ट छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा तो मिसेज महेश को मेरी वेट करते देखा, “आयेशा!! जरा मिसेज महेश को मेरे केबिन में भेजना?”
मिसेज महेश वाकय काफी आकर्शित महिला थी। उनकी उम्र पैंतालीस के आसपास होने के बावजूद शरीर गठीला था, भरे हुए मम्मे और लंबे बाल। उन्होंने काली रंग की साड़ी, मैचिंग का ब्लाऊज़ और काले ही रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे था। दिखने में काफी सुंदर लग रही थी।
मैं उनके सर्टिफिकेट्स देखने लगा। इतने में एम-डी ने केबिन में कदम रखा।
“हाय अनिता! कैसी हो? कई दिनों से तुम्हें नहीं देखा”, एम-डी ने कहा। मिसेज महेश एम-डी से मिलने के लिये उठीं तो एम-डी ने उन्हें बाँहों में भर लिया और उनकी छाती दबा दी।
“अनिता! राज तुम्हारे सर्टिफिकेट्स देख चुका है, अब वो तुम्हारी चूत देखना चाहता है। चलो कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ जिससे इंटरव्यू शुरू किया जा सके”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“क्या आप हर केंडिडेट का इंटरव्यू उसे चोद के लेते है?” अनिता ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ये हमारी कंपनी की पॉलिसी है, चलो अब झिझको मत.... वैसे भी तुम बगैर कपड़ों में और ज्यादा सुंदर दिखती हो और मुझे पता है तुम्हारी चूत चुदाई के लिये हमेशा तैयार रहती है”, एम-डी ने कहा। अनिता थोड़ा शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी और अचानक वो रुक गयी।
“तो इसका मतलब है, मीना को नौकरी देने से पहले आप लोग......?” अनिता ने पूछा।
“हाँ अनिता!!! खूब अच्छी तरह चोद-चोद कर ही मीना को काम पर रखा है, चलो अब तुम भी तैयार हो जाओ, आज तुम्हें एक ऐसे लौड़े से चुदवाने को मिलेगा जो तुम्हारे स्वर्गवासी पति के लौड़े से भी बड़ा है।”
“तब तो मैं जरूर देखुँगी!!!” अनिता ने तेजी से अपने कपड़े उतारे और सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयी। थोड़ी देर में हम तीनों ही नंगे हो चुके थे। “ओहहह...ऊऊऊ सर! ये तो वाकय में बहुत मोटा है”, अनिता मेरे लंड को पकड़ सोफ़े पर लेटती हुई बोली।
“सर! ज़रा धीरे से चोदियेगा”, मैंने अपने पति के मरने के बाद इतने बड़े लंड से नहीं चुदवाया है।
“जैसा तुम कहोगी मेरी जान!” कहकर मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक पेल दिया।
“ऊऊऊऊऊऊ मर गयीईईई... अनिता चींखी, सर धीरे से चोदिये ना।”
मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा, “हाँ सर! ऐसे ही...” अनिता भी अपने चूतड़ उछाल कर मज़े लेने लगी।
एम-डी हम दोनों की चुदाई देख रहा था। उसने फोन उठाया और कुछ कहा। थोड़ी देर में मीना केबिन में आयी। एम-डी ने उसे शाँत रहने को कहकर कपड़े उतारने का इशारा किया।
8 years ago#57
थोड़ी देर में एम-डी ने नंगी मीना को मेरे बगल में लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया। “ऊऊऊह सर! थोड़ा धीरे से, मीना सिसकी।”
अपनी बेटी की आवाज़ सुन कर अनिता ने मुँह घुमा कर देखा कि मीना भी उसे ही देख रही थी। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को देख रही थीं और हम दोनों उन्हें चोद रहे थे।
थोड़ी देर में ही वो अपने कुल्हे उछाल कर हमारी थाप से थाप मिला रही थीं। उनके मुँह मादक आवाज़ें निकल रही थी।
“हाँ सर!!!!! मुझे जोर से चोदो”, अनिता ने मुझे जोर से बाँहों में भरते हुए कहा, “हाँआँआँ ऐसे ही!!!!!! हाँ और जोर से!!!!!!!!”
“ओहहहहहह हाँआँआँ....... हाँआँ...... ऊऊऊहहहह....” मीना भी चिल्लाये जा रही थी, “हाँ सर चोदो मुझे!!!!! जोर से!!!!!! मेरा छूटने वाला है!!!!”
एम-डी ने सच कहा था, अनिता की चूत सही में चुदक्कड़ थी, वो एक अनोखे अंदाज़ में अपनी चूत की नसों से लंड को जकड़ लेती थी। मुझे अपने लंड के पानी में उबाल आता दिखा और मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैंने एक एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
अनिता ने भी महसूस किया और बोल पड़ी, “ओहहहह राज सर! रुकिये मत..... चोदते जाइये!!!!! डाल दो अपना पानी मेरी चूत में.... मैं भी झड़ने वाली हूँ।” मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाया और अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी।
“ओहहहहह कितना अच्छा लग रहा है”, वो सिसकी जैसे ही मेरी पहली पिचकारी छूटी, “मेराआआआआ भी छूट रहा है...... हाँआँआँआँ”, अपना बदन ढीला छोड़ कर वो अपनी साँसें संभालने लगी।
वहाँ बगल में मीना अपने कुल्हे उछाल कर एम-डी का साथ दे रही थी, “ओहहहह..... सर!!! मेरा छूटाआआ!!!!” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। एम-डी ने भी दो चार धक्के लगा कर अपने वीर्य की बरसात उसकी चूत में कर दी। हम चारों अब ढीले पड़े अपनी साँसें काबू में कर रहे थे।
“मम्मी मुझे माफ़ कर दो, मुझे आपको पहले बता देना चाहिये था”, मीना ने अनिता से माफी माँगते हुए कहा।
मुझे समझ में नहीं आया कि वो अपनी चुदाई की माफ़ी माँग रही थी या अपनी माँ की चुदाई पर। “कोई बात नहीं मीना!!! जो होना था सो हो गया”, अनिता ने मीना को बाँहों में भरते हुए कहा।
“ओह मम्मा!!!! मुझे उम्मीद है आपको यहाँ काम करके मज़ा आयेगा”, मीना बोली।
“जरूर मज़ा आयेगा!!!! जब राज जैसा लंड मिल जाये चुदवाने के लिये तो किस औरत को मज़ा नहीं आयेगा”, अनिता ने बेशर्मी से कहा।
“चलो बहुत हो गया”, एम-डी ने कहा, “अब यहाँ आओ और हमारा लौड़ा चाट कर साफ़ करो।”
दोनों रेंग कर हमारे घुटनों के बीच आ कर अपनी जीभ से हमारा लौड़ा चाटने लगीं और फिर मुँह में ले उसे जोरों से चूसने लगी।
अनिता चुदवाने में ही माहिर नहीं थी, बल्कि लंड चूसने में भी उसका जवाब नहीं था। वो अपने मुँह को पूरा खोल कर लौड़े के जड़ तक ले जाती और जोरो से चूसते हुए अपने मुँह को ऊपर उठाती। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। दोनों माँ बेटी का सिर हमारे लौड़े पर हिल रहा था।
मेरा लंड फिर एक बार झड़ने के लिये तैयार था, “अनिता जोर जोर से चूसो........ मेरा छूटने वाला है।” मेरी आवाज़ सुन कर अनिता और जोरों से चूसने लगी। “मेराआआआ छूट रहाआआआ है!!!!!” मैं चिल्लाया।
अनिता मेरे लंड का सारा पानी पी गयी और एक बूँद भी उसने बाहर नहीं गिरने दी। अभी भी वो मेरा लंड चपड़-चपड़ कर के चूस रही थी। उधर एम-डी ने भी अपना पानी मीना के मुँह में छोड़ दिया।
“राज! जरा आयेशा को ड्रिंक्स लाने के लिये बोलना”, एम-डी ने कहा।
थोड़ी देर में आयेशा चार ग्लास, बर्फ और व्हिस्की की बोतल लेकर आयी। एम-डी ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके मम्मे दबाते हुए कहा, “राज! ये तो बहुत चुदासी लग रही है...... लगता है तुम इसे आजकल चोदते नहीं हो?”
“नहीं सर! इसे अपनी चुदाई का हिस्सा बराबर मिलता रहता है, लेकिन ये चुदाई को दवाई समझती है कि खाना खाने के बाद दिन में तीन बार लेनी चाहिये”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“लगता है इसकी चूत की प्यास मुझे ही बुझानी पड़ेगी!” एम-डी ने उसकी सलवार नीचे खिसका कर उसकी चूत में अँगुली डालते हुए कहा।
“सर! ये तो बहुत अच्छी बात है, आप मुझे अभी चोदेंगे या बाद में?” आयेशा खुश होते हुए बोली।
“अभी मुझे कुछ काम है, तुम ऐसा करो... शाम को पाँच बजे आ जाओ”, एम-डी ने कहा।
आयेशा के जाने के बाद मैंने और एम-डी ने बाकी का इंटरव्यू अनिता और मीना की गाँड मार कर पूरा किया। अपने कपड़े पहनते हुए अनिता बोली, “अब मैं समझी कि क्यों महेश इंटरव्यू मिस नहीं करना चाहता था।”
समय गुज़रने लगा, मेरी चुदाई भी हमेशा कि तरह चल रही थी, ऑफिस में लड़कियाँ थी और घर पर रजनी शाम को आ जाती थी। कभी-कभी शबनम और समीना भी घर आ जाती थीं।
8 years ago#58
एक दिन अनिता ने मुझसे कहा, “सर! क्लर्क की पोस्ट के लिये नयी लड़की रखनी पड़ेगी।”
“क्यों पहले वाली कहाँ गयी?” मैंने पूछा।
“दो दिन हुए उसने नौकरी छोड़ दी।”
“मुझे क्यों नहीं बताया कि वो छोड़ के जा रही है, कम से कम आखिरी बार उसकी चूत तो चोद लेता।”
“सर! छोड़ने के पहले वो आपके ही साथ थी।”
“मुझे नहीं मालूम!!! आगे से ये तुम्हारी जवाबदारी है कि कोई लड़की नौकरी छोड़े तो मैं उसकी चूत गाँड और मुँह अपने वीर्य से भर दूँ। अब नयी लड़की के लिये पेपर में इश्तहार दे दो।”
“वो सब मैं कर चुकी हूँ और एक लड़की को सलैक्ट भी कर लिया है। आप सिर्फ़ इतना बता दें कि उसका इंटरव्यू कब लेना है... सो मैं उसे समझा कर ले आऊँ”, अनिता ने आँख मारते हुए कहा।
“ठीक है! कल शाम पाँच बजे उसे बुला लो और एम-डी को भी इंटरव्यू के बारे में बता देना”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन अनिता एक २५-२६ साल की लड़की को साथ लिये ऑफिस में दाखिल हुई। मैंने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा, वो सही में सुंदर थी, गोरा रंग, नीली आँखें, पतली कमर, लंबी टाँगें और उसके मम्मे काफी बड़े थे। ऐसा लग रहा था अभी उसके कुर्ते को फाड़ कर बाहर आ पड़ेंगे।
“सर! ये ज़ुबैदा है!!! अपने एच-आर डिपार्टमेंट में क्लर्क की पोस्ट के लिये...” अनिता ने परिचय कराया।
इतने में एम-डी ने भी केबिन में कदम रखा। “अनिता अब तुम शुरू कर सकती हो!” एम-डी ने कहा।
अनिता ने ज़ुबैदा के सर्टिफिकेट दिखाने शुरू किये। ज़ुबैदा अपने पिछले काम के एक्सपीरियेंस बता रही थी कि इतने में अनिता ने ज़ुबैदा से पूछा, “क्या तुम कुँवारी हो?”
ज़ुबैदा को ऐसे प्रश्न की आशा नहीं थी, “हाँ! मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ।”
“देखो ज़ुबैदा! सच-सच बताना, कारण.... हमारी कंपनी अपने हर एम्पलोयी का मेडिकल चेक अप कराती है...... सो अगर तुम झूठ बोल रही होगी तो तुम्हारा झूठ वहाँ पकड़ा जायेगा”, अनिता ने कहा।
ज़ुबैदा कुछ वक्त सोचती रही और फिर धीमी आवाज़ में कहा, “नहीं!!! मैडम मैं कुँवारी नहीं हूँ।”
“तुमने अपनी कुँवारी चूत को कब और कैसे चुदवाया?” अनिता ने पूछा।
“मैडम, ये मेरा पर्सनल मामला है, इससे आपको क्या करना है?” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“हमारी कंपनी का असूल है कि वो अपने करमचारी की हर बात की जानकारी रखती है..... सो डरो मत...... बताओ!!” अनिता ने कहा।
“ये कुछ साल पहले की बात है, मेरे अम्मी और अब्बा घर पर नहीं थे। मेरा बॉयफ्रेंड उस दिन मेरे घर पर आया और जबरदस्ती मेरी कुँवारी चूत चोद दी”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“क्या तुम्हें चुदवाने में मज़ा आया।”
“पहली बार तो बहुत दर्द हुआ था और मज़ा भी नहीं आया। लेकिन बाद में मज़ा आने लगा। तीन महीने तक हम पागलों की तरह चुदाई करते रहे पर एक दिन वो मुझसे झगड़ा कर के चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने कहा।
“तुमने कभी अपनी गाँड मरवायी है?” अनिता ने पूछा।
“यही तो झगड़े की जड़ थी, एक दिन वो मेरी गाँड मारना चाहता था..... मैंने मना किया तो उसने मेरे साथ जबरदस्ती करनी चाही पर मैंने उसे अपनी गाँड नहीं मारने दी, वो झगड़ कर चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने बताया।
“तुम्हें चुदवाने का दिल करता है?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम! बहुत करता है।” ज़ुबैदा ने शर्माते हुए कहा।
“तो क्या करती हो!” अनिता ने पूछा।
“जी मोमबत्तियों और खीरे-बैंगन से काम चाला लेती हूँ बस!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“तो ठीक है अपने कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ।”
“क्या सर मुझे चोदेंगे?” ज़ुबैदा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।
अनिता ने उसके कंधों पर हाथ रख कर कहा, “ज़ुबैदा मैंने तुमसे कहा था ना कि तुम्हें तन मन से काम करना होगा, तो तुम्हारा तन मैनेजमेंट के लिये बहुत स्पेशल है”, इतना कह कर अनिता भी अपने कपड़े उतारने लगी।
ज़ुबैदा अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो अनिता ने उसे रोक दिया। अनिता उसकी झाँटों को पकड़ कर बोली, “ज़ुबैदा! कल ऑफिस आओ तो ये झाँटें तुम्हारी चूत पर नहीं होनी चाहिये, तुम्हारी चूत एक दम चिकनी और सपाट होनी चाहिये मेरी चूत की तरह.... और हमेशा हाई-हील के सैंडल पहने रखना..... जैसे आज पहने हुए हो।”
“हाँ मैडम!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“ठीक है अब बिस्तर पर लेट जाओ!” अनिता ने उसे कहा, और एम-डी की तरफ पलटते हुए बोली, “सर! अब ये अपने फायनल इंटरव्यू के लिये तैयार है।”
“राज! तुम इसकी चूत चोदो..... मैं बाद में इसकी गाँड फाड़ुँगा”, एम-डी ने कहा।
जब ज़ुबैदा सोफ़े पर लेट गयी तो मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मेरे खड़े लंड को देख कर ज़ुबैदा बोली, “मैडम! इनका लंड कितना बड़ा है!”
मैंने उसकी टाँगें उठा कर मेरे कंधों पर रख लीं और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया, “आऊऊऊऊ सर!!!! धीरे.... लगता है”, वो सिसकी। मैं धीरे-धीरे उसे चोदने लगा।
थोड़े धक्कों में उसे मज़ा आने लगा और वो सिसकारी भरने लगी, “ओहहहहहह आआआआहहहहहह।”
“क्यों अच्छा लग रहा है ना?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम!!! बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ”, वो सिसकते हुए बोली।
उसकी बात सुनकर मैं पूरी ताकत से उसे चोदने लगा। मैंने रफ़्तार भी बढ़ा दी।
“हाँआँआँ सर!!!! ऐसे ही चोदो, और जोर से सर!!!! हाँआँआँ आआआहहहहह ऊऊऊओओहहहहह”, वो सिसक रही थी। मैं भी जोर से चोद रहा था और हमारी साँसें फूल रही थीं।
“ओहहहहह मैडम!!!!!! कितना अच्छा लग रहा है........ मैं तो गयीईईईईई”, वो चिल्ला रही थी और मैं अपने आपको ना रोक सका और उसे अपनी बाँहों में भींचते हुए उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी। थोड़ी देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम अलग हो गये।
8 years ago#59
“क्यों अच्छा था ना?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम!!!! बहुत अच्छा लगा, इतना मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“ठीक है... अब घोड़ी बन जाओ और अपनी गाँड मरवाने के लिये तैयार हो जाओ।”
“नहीं मैडम!!!!! प्लीज़ मेरी गाँड में नहीं”, ज़ुबैदा मिन्नत करते हुए बोली।
“मुँह बंद करो और मैं जैसा कहती हूँ वैसा करो”, अनिता ने उसे डाँटते हुए कहा, “अपना सिर नीचे कर और चूतड़ों को थोड़ा उठा दे।” ज़ुबैदा ने बात मान ली। अनिता झुक कर उसकी गाँड चाटने लगी और दो-तीन मिनट तक उसकी गाँड में अपना थूक भर दिया।
“सर!!! इसकी गाँड अब तैयार है”, अनिता ने एम-डी से कहा। ज़ुबैदा का शरीर काँप रहा था। एम-डी ने उसके पीछे आकर उसकी टपकती चूत में अपना लंड डाल दिया। ज़ुबैदा का शरीर थोड़ा संभला तो एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा दबा दिया।
“ओह सर!!!! प्लीज़ नहीं, सर बहुत दर्द हो रहा है, रुक जाइये प्लीज़ वरना मैं मर जाऊँगी।” मगर ज़ुबैदा की बात पे ध्यान ना देते हुए एम-डी ने और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।
“ओओओहहहह मैडम!!!! आआआ...आप ही इन्हें रोकिये ना!!!” ज़ुबैदा चींखती रही और चिल्लाती रही पर एम-डी अब तेजी से उसकी गाँड मारने लगा। और तब तक मारता रहा जब तक उसका पानी नहीं छूट गया। ज़ुबैदा का मुँह दर्द के मारे लाल हो गया था और आँखों से आँसू बह रहे थे।
“बहुत अच्छे!!!! अब तुम कंपनी में काम करने लायक हो गयी हो”, अनिता ने ज़ुबैदा का हाथ पकड़ कर उसे सोफ़े पर से खड़ा करते हुए कहा, “ज़ुबैदा अब तुम राज सर का लंड चूसो और इनका पानी निगल जाना समझी!!!”
ज़ुबैदा मेरे पैरों के बीच आ गयी और मेरा लंड जोर से चूसने लगी।
“सर! मैं ड्रिंक्स मंगा लूँ?” अनिता ने एम-डी से पूछा। एम-डी ने गर्दन हिला कर हाँ कर दी।
“आयेशा! चार ग्लास और व्हिस्की लाना”, अनिता ने इंटरकॉम पर कहा।
“अभी लायी मैडम!” आयेशा ने जवाब दिया।
“ओहहहहह ज़ुबैदा..... जोर-जोर से चूसो..... मेरा छूटने वाला है....” मैंने कहा।
जब ज़ुबैदा मेरे लंड से छूटे पानी को पी रही थी उसी समय आयेशा व्हिस्की लिये केबिन में आयी। मैंने देखा कि वो एक दम नंगी थी। आयेशा ने कुछ कहना चाहा तो अनिता ने उसे चुप रहने का इशारा करके केबिन से जाने के लिये कहा।
आयेशा व्हिस्की और ग्लास रख कर केबिन से चली गयी।
“ज़ुबैदा! तुमने देखा आयेशा ने क्या पहन रखा था?” अनिता ने पूछा।
“मैडम!! वो तो बिल्कुल नंगी थी, उसने हाई-हील सैंडलों के अलावा कहाँ कुछ पहन रखा था”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“अच्छा है.... तुमने देख लिया। ये यहाँ का नियम है..... कोई भी हायर मैनेजमेंट से तुम्हें बुलाये तो तुम्हें इसी तरह आना है।”
ज़ुबैदा कुछ देर तक सोचती रही फिर हँसते हुए बोली, “हाँ मैडम, मैं समझ गयी। आप कहें तो मैं ओ~फिस में हर वक्त ऐसे ही बिल्कुल नंगी सिर्फ हाई-हील के संडल पहने रहने को तैयार हूँ!”
“वेरी-गूड! ऑय लाइक योर स्पिरिट!” अनिता हंसते हुए बोली।
हम चारों जब दो-दो पैग व्हिस्की पी चुके तो अनिता ने कहा, “ज़ुबैदा! अब तुम एम-डी के ऊपर लेट कर उनका लंड अपनी चूत में ले लो, और पीछे से राज सर तेरी गाँड मारेंगे।”
“पर मैडम! राज सर का इतना बड़ा लंड मेरी छोटी गाँड में कैसे जायेगा?” ज़ुबैदा बोली। उसकी नीली आँखें नशे में बोझल थीं।
“वैसे ही जायेगा जैसे वो मेरी गाँड में, आयेशा की गाँड में और कंपनी की हर लड़की की गाँड में घुस चुका है। तुम लेकर तो देखो.... दो-दो लंड से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मज़ा आयेगा।” अनिता ने उसे समझाते हुए कहा।
एम-डी सोफ़े पर लेट चुका था। ज़ुबैदा उसके ऊपर चढ़ कर अपने हाथों से एम-डी का लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद पे लगाकर बैठती हुई आगे को झुक गयी। एम-डी का लंड उसकी चूत में पूरा घुस चुका था।
मैंने ज़ुबैदा के पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा सा अंदर घुसाया तो वो जोर से चिल्लायी पर मैंने और एम-डी ने उसे दोनों तरफ से चोदना ज़ारी रखा। थोड़ी देर में ही हमारा पानी झड़ गया।
“कुछ और सर?” अनिता ने एम-डी से पूछा।
“नहीं! अभी कुछ नहीं”, एम-डी ने जवाब दिया।
“ठीक है ज़ुबैदा! तुम कपड़े पहन कर बाहर इंतज़ार करना.... मैं तुम्हें ऑफिस का काम समझा दूँगी”, अनिता ने कहा। ज़ुबैदा जब कपड़े पहन कर जाने लगी तो एम-डी ने उससे पूछा, “ज़ुबैदा! अब जबकि तुम दो-दो लंड का स्वाद चख चुकी हो तो अब चाहोगी कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड वापस आ जाये?”
“सर! जब इतने शानदार दो लंड हैं तो मुझे उसके पिद्दु जैसे लंड की कोई जरूरत नहीं है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया और अपनी सैंडल खटखटती बाहर निकल गयी। व्हिस्की के सुरूर के कारण उसकी चाल में थोड़ी सी लड़खड़ाहट थी।
ज़ुबैदा के जाने के बाद एम-डी ने कहा, “अनिता! तुम कमाल की हो, क्या कहते हो राज?”
“हाँ सर! मुझे लगता है कि आज के बाद हर इंटरव्यू में हमें अनिता को शामिल करना चाहिये, और इसे इनाम भी देना चाहिये”, मैंने एम-डी से कहा।
मेरी बात सुनते ही अनिता खुशी से उछल पड़ी और बोली, “सर! मैं अपनी चूत ले कर अपना इनाम लेने कब हाज़िर होऊँ?”
“आज नहीं! कल शाम को आना और ज़ुबैदा को भी साथ में लाना”, मैंने कहा।
दूसरे दिन अनिता ज़ुबैदा के साथ दाखिल हुई। दोनों ने कपड़े नहीं पहन रखे थे, सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए थीं। आज ज़ुबैदा की चूत एक दम चिकनी और सपाट दिख रही थी। बालों का कहीं भी नामो निशान नहीं था। मैं और एम-डी ने दो घंटे तक दोनों की चूत और गाँड मारते रहे।
पंद्रह दिन बाद प्रीती अपने भाइयों की शादी अटेंड कर के वापस आ गयी।
8 years ago#60
प्रीती के वापस आने के बाद हम लोग खाना खाकर बिस्तर पर लेटे थे, “और बताओ प्रीती शादी कैसी गयी?”
“राज! ये कोई भी वक्त है सवाल करने का, तुम्हें पता है तुम्हारे लंड के बिना मेरी चूत की क्या हालत हो रही है”, प्रीती अपनी चूत को खुजाते हुए बोली।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, “मैं जानता हूँ मेरी जान!” मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
“अच्छा अब चिढ़ाना बंद करो और मेरी कस कर चुदाई करो”, प्रीती अपने कपड़े उतारते हुए बोली।
मैंने जमकर उसकी चुदाई की और प्रीती इसी बीच चार बार झड़ी। सच कहता हूँ, प्रीती जैसी चूत किसी की भी नहीं थी। जब हम थक कर लेट गये तो मैंने दो सिगरेट जलाते हुआ पूछा, “अब बताओ सब कैसा रहा?” और एक सिगरेट प्रीती को दे दी।
“हाँ..... सब अच्छा रहा, मेरी दोनों भाभियाँ सिमरन और साक्षी बहुत ही सुंदर हैं। सिमरन, राम की बीवी, थोड़ी पतली है और उसकी चूचियाँ भी छोटी नारंगी जैसी हैं और वहीं साक्षी, श्याम कि बीवी, भरी-भरी है और चूचियाँ तो मानो दो खरबूजे लटक रहे हों”, प्रीती ने कहा।
“तुम ये सब मुझे बताकर उकसाने की कोशिश क्यों कर रही हो?” मैंने कहा।
“क्यों ना उकसाऊँ? कोई एक बार की चुदाई से तो तुम मुझे छोड़ने वाले नहीं हो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा, “अच्छा अब तुम बताओ पीछे से कैसा रहा...? क्या रजनी बराबर आती रही है?”
“हाँ! रजनी बराबर आती थी और शबनम, समीना और नीता भी अक्सर आ जाया करती थीं।” फिर मैंने उसे अनिता और ज़ुबैदा के इंटरव्यू के बारे में बताया।
“लगता है तुम्हें अनिता के रूप में एक हीरा हाथ लग गया है?” प्रीती ने कहा।
“हाँ! मैं भी ऐसा ही सोच रहा हूँ”, मैंने कहा।
एक दिन प्रीती बोली, “राज! आज कुछ अच्छी खबरें हैं।”
“सबसे पहली बात, मेरे भाई अपनी बीवियों के साथ हमारे पास रहने आ रहे हैं”, प्रीती ने कहा।
“तो वो दोनों चुदकड़ हमसे मिलने आ रहे हैं....” मैंने हँसते हुए कहा।
“क्या तुम अब भी नाराज़ हो कि मेरे भाइयों ने तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत फाड़ी थी?”
“नहीं! बिल्कुल भी नहीं, उनकी जगह कोई भी होता तो वही करता, उन्हें कुँवारी चूत चोदने का मौका मिला और उन्होंने चोदा”, मैंने कहा, “अच्छा अब दूसरी बात बताओ?”
“बात ये है कि तुम्हारी बहनें अंजू और मंजू भी अपने पति, जय और विजय के साथ उसी समय हमारे पास आ रही हैं”, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
“क्या इन सब को साथ में इकट्ठा करना ठीक रहेगा? जबकि जो कुछ मेरी बहनों और तुम्हारे भाइयों के बीच हुआ?” मैंने कहा, “और क्या तुम टीना का जन्मदिन भूल गयी। इतनी भीड़ में कैसे उसे चोदूँगा?”
“नहीं! मैं नहीं भूली हूँ!” प्रीती ने मेरे लंड को चूमते हुए कहा, “विश्वास रखो मेरे राजा! टीना की कुँवारी, सील बंद चूत का उदघाटन तुम ही करोगे।”
प्रीती कुछ सोच में पड़ी हुई थी। उसके होंठों को चूमते हुए मैंने पूछा, “क्या सोच रही हो?”
“कुछ अच्छा और कुछ शरारती”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“मैं भी तो सुनूँ।”
“देखो राज! मैं एक हिसाब बराबर करने की सोच रही थी, जैसे मेरे भाइयों ने तुम्हारी बहनों को चोदा है उसी तरह तुम्हारी बहनों के पति जय और विजय को भी मेरे भाइयों की बीवी सिमरन और साक्षी को चोदने का मौका मिलना चाहिये”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन इससे मेरी बहनों का कुँवारापन तो वापस नहीं आ जायेगा”, मैंने कहा।
“हाँ.... उनका कुँवारापन तो मैं वापस नहीं ला सकती लेकिन कुछ भी नहीं से कुछ तो अच्छा है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन तुम ये सब करोगी कैसे?”
“ये सब मैं उनके आ जाने पर सोचुँगी”, प्रीती ने जवाब दिया, “और दूसरी बात..... तुम भी मेरी दोनों भाभी, सिमरन और साक्षी को चोद सकते हो।”
“और एक बात..” वो कुछ कहती उसके पहले मैंने कहा, “अब ये मत कहना कि तुम अपने भाइयों और मेरी बहनों के पतियों से चुदवाना चाहती हो?”
“नहीं मेरे भाइयों से तो नहीं...... हाँ! जय और विजय से जरूर चुदवाना चाहुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“कब आ रहे हैं ये लोग?”
“सोमवार की सुबह मेरे भाई लोग और उसी दिन शाम को तुम्हारी बहनें”, प्रीती ने कहा।
“क्या तुम जय और विजय को राम और श्याम के बारे में बताओगी?” मैंने पूछा।
“अगर जरूरत पड़ी तो ही बताऊँगी, इसलिये मैंने मेरे भाइयों को और तुम्हारी बहनों को साफ लिख दिया है कि वो आपस में उसी तरह मिलें जैसे पहली बार मिल रहे हों”, प्रीती ने बताया।
“लगता है तुमने सब सोच रखा है”, मैंने कहा, “लेकिन टीना उनके आने के दो हफ़्ते बाद इक्कीस की हो जायेगी, उसे दिया वचन कैसे पूरा करोगी?”
“उसकी तुम चिंता मत करो, तुम्हें एम-डी के सामने ही टीना की कुँवारी चूत चोदने के मौका मिलेगा..... ये मेरा तुमसे वादा है”, प्रीती ने कहा।
सोमवार को राम और श्याम आ गये। उनकी पत्नियाँ सिमरन और साक्षी दोनों खुबसूरत थीं। मेरा लंड तो उन्हें देखते ही खड़ा हो गया। मुझसे उनका परिचय कराने के बाद प्रीती ने उन्हें उनका कमरा दिखाया और अपने भाइयों को खुद के बेडरूम में आने को कहा, कि उसे कुछ बातें करनी हैं।
थोड़ी देर बाद हम चारों हमारे बेडरूम में इकट्ठा हुए। प्रीती ने बात की शुरुआत की, “अच्छा राम और श्याम! मैं तुम लोगों से कुछ पूछना चाहती हूँ, और इसका जवाब मुझे सच-सच देना?”
“हाँ दीदी!” दोनों जवाब दिया।
“राम तुम बताओ, शादी के वक्त क्या सिमरन कुँवारी थी?”
मुस्कुराते हुए राम ने कहा, “हाँ दीदी! एक दम कुँवारी थी।”
“तुम्हें कैसे मालूम कि वो कुँवारी थी? कई लड़कियाँ शादी से पहले चुदवा लेती हैं पर बाद में नाटक करती हैं, जैसे कुँवारी हों”, प्रीती ने पूछा।
“नहीं दीदी! ऐसा नहीं था! जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसा था तो उसे सही में दर्द हुआ था और खून भी बहुत गिरा था”, राम ने जवाब दिया।
“ठीक है, और तुम श्याम! साक्षी के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?” प्रीती ने पूछा।
“साक्षी भी कुँवारी थी दीदी! उसकी चूत की झिल्ली भी एकदम मंजू...” श्याम कहते हुए रुक गया और शर्म से गर्दन झुका ली।
“श्याम! शरमाओ मत और बताओ, राज को उसकी बहनों की चुदाई के बारे में सब मालूम है”, प्रीती ने कहा।
“साक्षी का इतना खून नहीं गिरा था, जितना सिमरन का गिरा था, जैसे राम ने बताया।”