भाभियों के साथ गाँव में मस्ती (Completed)
भाभियों के साथ गाँव में मस्ती***** *****कहानी शुरू करते हैं किशोर के शब्दों में।
मेरा नाम किशोर है और मैं बिहार के पटना में रहता हूँ। मेरा गाँव पटना से 40 कि॰मी॰ दूर था।
जहां पे ये अनोखी घटना घटी।
मैं अपना परिचय देता हूँ, मेरी उम्र 22 साल, हाइट 5’9”, वजन 70 किलो, एथलेटिक बाडी, लण्ड का साइज 7” है। तो अब मैं कहानी पर आता हूँ।
बात आज से एक साल पहले की है। उस टाइम मेरी उमर 21 साल थी। उन दिनों में अपने पुराने गाँव में गया हुआ था। जिसकी आबादी करीब 3000 लोगों की थी।
गाँव में मेरे चाचा-चाची, उनके तीन बेटे और उन तीनों की बीवियां रहते हैं।
ये कहानी उन भाभियों से ही जुड़ी है। मेरी बड़ी भाभी का नाम राशि, उम्र 30 साल, रंग गोरा, फिग साइज 35-29-36;
दूसरी भाभी प्रीति, उम्र 26 साल, रंग मीडियम सांवला सा, फिग 34-26-34;
तीसरी और छोटी भाभी का नाम सोनिया, उम्र सिर्फ 24 साल, एकदम गोरी-गोरी और सेक्सी, फिग 36-26-36, और एकदम भारी चूतड़।
मुझे ये मालूम नहीं था की वो सब बहुत सेक्सी हैं। क्योंकी गाँव में दरअसल इतनी आजादी नहीं होती है। लोग बहुत संकुचित रहते थे। औरतों को बाहर जाना कम रहता था, सिर्फ सब्ज़ी ही लाने जाते थे या कभी तालाब पे पानी भरने या कपड़े धोने।
हमारे अंकल के घर के पीछे ही एक तालाब था जो की सिर्फ 100 फुट ही दूर था। बीच में और किसी का घर नहीं था। सिर्फ कुछ पेड़ पौधे थे।
हमारी भाभी रोज उधर ही कपड़े धोने जाती थी। सभी भाभियां कम बाँट लेती थी। कोई रसोई, तो कोई कपड़े धोने का, तो कोई बर्तन और सफाई का।
जैसे ही मैं गया उन सभी लोगों ने मुझे बड़े प्यार से आमंत्रित किया।
मेरी भाभियां मजाक भी करने लगीं की बहुत बड़ा हो गया है, शादी के लायक।
तो मैं जाकर सभी से मिलने के बाद सोचा थोड़ा फ्रेश होता हूँ। मैंने अपनी बड़ी भाभी से बोला- मुझे नहाना है।
उसने बोला- इधर नहाना है या तालाब पे जाना है?
मैं- अभी इधर ही नहा लेता हूँ तालाब कल जाऊँगा।
वो बोली- “ठीक है…” और उसने पानी दे दिया।
मैं सभी भाभियों को देखकर उतेजित हो गया था तो मैंने बड़ी भाभी को याद करते हुए मूठ मारी और स्नान करके जैसे ही वापस आया,
बड़ी भाभी बोली- क्यों देवरजी इतनी देर क्यों लगा दी? कही कोई प्राब्लम तो नहीं? अगर हो तो बता देना, शायद हम आपकी कोई मदद कर सकें? ऐसा बोलकर सभी भाभियां हँसने लगीं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और खुशी भी।
दूसरे दिन सुबह मैं 7:00 बजे उठा। ब्रश करके नाश्ता किया।
तभी बड़ी भाभी कपड़े की पोटली बना के तालाब पे धोने को जा रही थी। वो बोली- “चलो देवरजी, तालाब आना है क्या?”
मैं तो वही राह देख रहा था कि कब मुझे वो बुलाएं। मैंने हाँ कहा और उपने कपड़े और तौलिया लेकर उनके साथ चल पड़ा। रास्ते में भाभी खुश दिख रही थी। उसने थोड़ी इधर-उधर की बातें की। जब हम तालाब पहुँचे।
ओह्ह… माई गोड… मैं क्या देख रहा हूँ? मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गईं। वहां पे 10-15 औरतें थी और उन सब में से 6-7 ने तो ऊपर ब्लाउज़ नहीं पहना था, मेरे कदम रुक ही गये थे।
तो भाभी ने पीछे मुड़ के देखा और बोली- क्यों देवरजी क्या हुआ, रुक क्यों गये?
मुझे मालूम था की वो मेरे रुकने की वजह जानती थी, लेकिन जानबूझ कर मुझे ऐसा पूछ रही थी। मैं बोला- “भाभी यहाँ पर तो…” बोलकर मैं रुक गया।
भाभी ने पूछा- क्या? यहाँ पर तो क्या?
मैंने बोला- सब औरतें नंगी नहा रही हैं, मैं कैसे आऊँ?
वो बोली- तो उसमें शर्माने की क्या बात है? तुम अभी इतने बड़े कहां हो गये हो, चलो अब, जल्दी करो।
मैं तो चौंक कर रह गया। वहां जाते ही सभी औरतें मुझे देखने लगी और भाभी को पूछने लगी- कौन है ये लड़का? बड़ा शर्मिला है क्या?
भाभी ने बोला- ये मेरा देवर है और शहर से आया है। अभी-अभी ही जवान हुआ है इसलिए शर्मा रहा था, तो मैंने उससे बोला की शर्माओ मत, ये सब बाद में देखना ही है ना। और सब औरतें हँसने लगीं।
मुझे अब पता चला की गाँव में भी औरतें माडर्न हो गई हैं, और गंदी-गंदी बातें करती हैं।
उनमें से एक ने मेरी भाभी को बोला- क्यों रे, देवर से हमारा परिचय नहीं कराएगी क्या?
फिर भाभी ने उन सभी से मेरा परिचय करवाया। मेरा ध्यान बार-बार उन नंगी औरतों के चूचे पे ही चला जाता था। तो वो भी समझने लगी थीं की मैं क्या देख रहा हूँ?
उनमें से एक मीडियम क़द की 26 साल की औरत ने मुझे बोला- क्यों रे तूने आज तक कभी चूची नहीं देखा जो घूर रहा है?
मेरी भाभी और दूसरी सभी औरतें हँसने लगी। मेरी भाभी ने बोला- “हाँ शायद, क्योंकी घर पे भी वो मेरे चूचे को घूर रहा था। इसलिए तो उसे यहाँ पे लाई ताकी खुल्लम खुल्ला देख सके।
और मुझसे बोला- देवरजी, देख लेना जी भर के, बाद में शहर में ऐसा मोका नहीं मिलेगा…”
और सब औरतें हँसने लगी। अभी ऐसी बातों से मेरे लण्ड की हालत खराब हो गई थी।
तभी मेरी भाभी ने कहा- देवरजी कब तक देखोगे? आप यहाँ पे नहाने आए हैं नहीं की चूचे देखने।
मेरी हिम्मत थोड़ी खुल गई- “भाभी, अभी ऐसा दिखेगा तो कोई भला नहाने में टाइम बरबाद क्यों करेगा?”
भाभी- ठीक है फिर देखो। लेकिन वो तो नहाते हुए भी तो देख सकते हो तुम।
ये आइडिया मुझे अच्छा लगा। लेकिन तकलीफ ये थी की पानी में कैसे जाऊँ। क्योंकी मेरा लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था।
तभी भाभी ने बोला- सोच क्या रहे हो कपड़े निकालो और कूद पड़ो पनी में।
मैं- “ठीक है भाभी…” कहकर मैंने भी शर्म छोड़ दी, जो होगा देखा जाएगा। सोचकर मैंने अपना शर्ट और पैंट उतार दिया। अब मैं सिर्फ फ्रेंच कट निक्कर में ही था। उसमें से मेरा 8" इंच का लण्ड साफ दिख रहा था। वो भी उठा हुआ।
लण्ड का टोपा निक्कर की किनारी से थोड़ा ऊपर आ गया था तो वो सभी औरतों को भी दिखा, तो भाभी और सभी औरतें मुझे घूरने लगी।
भाभी- देवरजी, ये क्या तंबू बना रखा है अपनी निक्कर में?
मैं- क्या करूं भाभी, आप सभी ने तो मेरी हालत खराब कर दी है।
भाभी- भाई साहब, आप मेरा नाम क्यों ले रहे हो, मैंने तो अभी कपड़े उतरे भी नहीं।
मैं- “हाँ, वही तो अफसोस है…” और मैं हँसने लगा।
भाभी- लगता है आपकी शादी जल्द ही करनी पड़ेगी।
सभी औरतें हँसने लगी। और मैं पानी में चला गया। मुझे वहाँ पे बड़ा मजा आ रहा था। सोच रहा था की हमेशा ही मेरे दिन ऐसे ही कटें, इतने सारे बोबों के बीच। मुझे मूठ मारने की इच्छा हो रही थी, लेकिन मैं सभी के सामने नहीं मार सकता था, वो भी पानी में।
.सभी औरतें हँसने लगी। और मैं पानी में चला गया। मुझे वहाँ पे बड़ा मजा आ रहा था। सोच रहा था की हमेशा ही मेरे दिन ऐसे ही कटें, इतने सारे बोबों के बीच। मुझे मूठ मारने की इच्छा हो रही थी, लेकिन मैं सभी के सामने नहीं मार सकता था, वो भी पानी में।
शायद मेरी परेशानी भाभी समझ रही थी और उन्होंने मुझसे मजाक में कहा- “देवरजी, आपका जोश कम करो वरना निक्कर फट जाएगी…”
उधर ऐसी गंदी मजाक से मेरी हालत और खराब हो रही थी, लेकिन उन लोगों को मस्ती ही सूझ रही थी। भाभी ने नीचे बैठकर कपड़े धोना चालू किया।
उसकी बैठने की पोजीशन ऐसी थी की उसके घुटने से दबके उसके चूचे ब्लाउज़ से बाहर आ रहे थे। और दोनों चूचों के बीच की बड़ी खाई दिखाई दे रही थी।
ब्लाउज़ उसके चूचों को समाने के लिए काफी नहीं था। उसका गला भी बहुत बड़ा था, जिससे उनकी आधी चूचियां बाहर दिख रही थी।
चूचियां क्या गजब थी, मानो दो हवा के गुब्बारे, वो भी एकदम सफेद जिसे देखकर बस पूरा खाने को दिल कर जाए। मैं लगातार उनके चूचे देखे जा रहा था तब पता नहीं कब भाभी ने मेरे सामने देखा और हमारी नजरें मिली।
जिससे भाभी बोलीं- “मुझे पता है देवरजी आप मेरी भी चूचियां देखना चाहते हैं। तभी तो बार-बार घूर रहे हैं…” बोलकर हँस पड़ी, और बोली- “लो आपकी ये इच्छा मैं अभी पुरी कर देती हूँ…”
वैसा बोलकर उन्होंने अपने पैरों को सीधा किया और मेरी तरफ देखकर ही मेरे सामने अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी। ब्लाउज़ क्या तंग था की उनको शायद हुक खोलने में मुश्किल हो रही थी। और वो मेरी तरफ देखकर बार-बार मुश्कुरा रही थीं। फाइनली उसका टाप का हुक खुल गया, उसके बाद दूसरा, तीसरा, करके चारों हुक खोल दिए। और उसने ब्लाउज़ वैसे ही रहने दिया।
उनके चूचे कपड़ों से ढँके थे, लेकिन उनकी लम्बी लकीर दिख रही थी, जो किसी के भी लण्ड का पानी छोड़ने के लिए काफी थी। उसने मेरी तरफ मुश्कुराकर खुद ही उपने चूचे को दोनो हाथों से सहलाया और दो साइड से ब्लाउज़ अलग कर दिया। बाद में उसने अपने कंधे ऊपर करके ब्लाउज़ उतार फेंका।
अब उसके हाथ पीछे की और गये और उसने अपनी ब्रा का हुक भी खोल दिया। वाउ… ब्रा उसके हाथों में थी और उनके दूधिया चूचियां हवा में लहराने लगीं। चूचियां भी जैसे हवा में आजाद होकर फ्री महसूस कर रही हों, वैसे हिलने लगीं। उनके निपल मीडियम साइज के और एकदम काले थे, और दोनों चूचों के बीच में कोई जगह नहीं थी, और एक दूसरे से अपनी जगह लेने के लिए जैसे लड़ाई कर रहे हों। वो नजारा देखने लायक था। मेरी आँखें वहां से नजरें हटाने का नाम नहीं ले रही थीं।
उन्होंने वो देख लिया और बोली- क्यों देवरजी अब बराबर है ना? हुई तसल्ली?
मैं बस हैरान होकर देखे ही जा रहा था। बाकी औरतें उनकी ये हरकत से हँसने लगी। मेरा लण्ड अब मेरे काबू में नहीं था।
तभी एक चाची जो कि करीब 30 साल की थी उसने भाभी को कहा- “क्यों बिचारे को तड़पा रही हो? ऐसा देखकर तो बिचारे के लण्ड से पानी निकल रहा होगा…”
बात भी सही थी उनकी, शायद वो ज्यादा अनुभवी थी, इसलिए आदमी की हालत समझती थी। वैसे मेरी भाभी भी कोई कम अनुभवी नहीं थीं, लेकिन वो मजा ले रही थी।
मैंने भाभी को बोला- भाभी, आप मत तड़पाओ मुझे, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है।
वो बोली- क्यों रहा नहीं जा रहा है? मतलब, क्या हो रहा है?
मैं भी बेशरम होकर बोला- भाभी मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है।
वो हँसती हुई बोली- “सबर करो देवरजी, उसका इलाज भी मेरे पास है, देखते है की कैसे नहीं बैठता है आपका वो… लण्ड…” और वो फिर कपड़े धोने लगी।
मैं फिर उसकी और दूसरी औरतों के चूचे देखते हुए फिर से नहाने में ध्यान लगाने लगा, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उन सभी के चूचों और जांघों के बीच में ही अटक जाता था। कई औरतों का पेटीकोट तो घुटने तक ऊपर उठे होने की वजह से उनकी जांघें साफ-साफ दिख रही थीं और चूचे घुटनों में दबने से इधर-उधर हो रहे थे। तभी मैं नहाने का छोड़कर मूठ मारना चाहता था कहीं पेड़ के पीछे।
मैंने भाभी को बोला- “भाभी, मैं अब थक गया हूँ और मुझे भूख भी लगी है तो मैं घर जा रहा हूँ…”
भाभी बोली- “अभी से क्यों थक गए तुम? और भूख लगी है तो तुम्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। इधर ही तुम अपनी भूख मिटा लो…” ऐसा बोलकर उसने बाजूवाली को बोला- “क्यों रे रसीला, तेरे चूचे में अभी दूध आ रहा है कि नहीं?”
रसीला ने जवाब दिया- हाँ, राशि भाभी, आ रहा है।
भाभी बोली- जरा इसका तो पेट भर दे, अपनी गोदी में लेकर।
तो बाकी सब औरतें हँस पड़ीं। मैं तो हैरान रह गया।
तभी रसीला की आवाज आई- “आओ भैया इधर…”
मैं शर्मा रहा था।
तो रसीला मुझसे बोली- “शर्माने की क्या बात है? तुम्हारे भैया भी तो रोज ही पीते हैं। अगर एक दिन तूने पी लिया तो कोई खतम थोड़े ही होगा, बहुत आता है इसमें…”
अब आगे......
मैं धीरे-धीरे आगे बढ़कर उसके पास गया, वो पैरों को मोड़कर बैठ गई और अपनी गोद में मेरा सिर रखने को बोला।
मैंने वैसा किया। क्योंकी अब मेरे पास कोई और चारा नहीं था। मेरे निक्कर में से वो बार-बार मेरा टोपा दिख रहा था।
मैं जैसे ही गोद में लेटा, उसने अपने ब्लाउज़ के बटन खोलना चालू किया, एक, दो, तीन, करके सभी बटन खोल दिए और ब्लाउज़ को दूर हटाके अपने एक हाथ में चूचे को पकड़ा। उसका निपल खुद दबाया तो जैसे एक फुव्वारे की तरह दूध की धार मेरे पूरे चेहरे को भिगो गई।
मुझे बहुत ही मजा आया तो मैंने भी निपल को दो उंगली में लेकर दबाया तो फिर से वैसे ही दूध की पिचकारी उड़ती हुई मेरे चेहरे को भिगोने लगी। अब मैंने मेरा मुँह निपल के सामने रख दिया और उसे फिर से दबाने लगा, तो मेरे मुँह में उसके शरीर का अमृत जाने लगा।
और उसका स्वाद… वाउ… क्या मीठा था, एकदम मीठा। मैं वैसे ही निपल को दबाने लगा पर दूध पीने लगा।
फिर बाद में रसीला ने अपना निपल धीरे से मेरे मुँह में दे दिया और बोला- “अब चूसो इसे…”
मैं तो उसे चूसने लगा। सोचा की ऐसे ही पूरी जिंदगी दूध ही पीता रहूं। मेरे मुँह में दूध की धारा बह रही थी। जैसे ही चूसता, पूरी धार मेरे मुँह में आ जाती।
मुझे उसका दूध पीने में बहुत ही मजा आ रहा था। और वो भी अपनी दो उंगलियों में निपल लेकर दबाती ताकि और दूध मेरे मुँह में आ जाये। थोड़ी देर पीने के बाद जब उस चूची में दूध खतम हो गया, तो मैंने भाभी को वो बताया।
रसीला ने दूसरी तरफ सोने का बोला और दूसरा चूची मेरे मुँह में दे दिया। दूसरे चूचे से दूध पीते वक्त मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैं अपने हाथ से दूसरे चूचे की निपल अपनी दो उंगलियों में लेकर दबा देता था। जिससे रसीला की एक मादक आवाज आती थी- “आह्ह… आऽऽ…”
ये देखकर भाभी भी उधर बैठे-बैठे अपनी चूचियां दबा देती थी। शायद उसे भी सेक्स करने का मन कर रह था।
दूसरी सभी औरतें अपने काम में से टाइम निकाल के हमें देख लिया करती थीं। तभी रसीला की दूसरे चूचे में भी दूध खतम हो गया।
जब मैंने बताया तो, वो बोली- “अभी आधा लीटर पी गये, अब तो खतम होगा ही ना…”
उनके ऐसे बोलने से सभी औरतें हँस पड़ीं। उसकी बात भी सही थी। मैं आधा लिटर तो पी ही गया होऊँगा, और मेरा पेट भी भर गया था, लगता था शायद शाम तक मुझे खाना ही नहीं पड़ेगा।
तभी राशि भाभी बोली- देवरजी, भूखे तो नहीं ना अब? वरना और भी है। चाहो तो और दूध का इंतेजाम कर देती हूँ…”
मैंने बोला- “नहीं भाभी, मेरा पेट बिल्कुल भर गया है…”
अभी भी मैं रसीला की चूची चूस रहा था, तो रसीला भाभी से बोली- “राशि, लगता है ये मेरे चूचे ऐसे नहीं छोड़ेगा, तुम इसे मेरे घर लेकर आना, इसको पूरा भोजन और चोदन करा दूँगी…”
राशि भाभी हँसकर बोली- हाँ वो ठीक रहेगा, लेकिन अभी तो हमारा मेहमान है।
फिर मैं दूध पीते-पीते रसीला के पेटीकोट के नारे पे अपना हाथ ले जाने लगा, जिसे देखकर रसीला बोली- “अभी नहीं, घर आना आराम से करेंगे…”
मैंने बोला- सिर्फ एक बार मुझे तुम्हारी वो देखनी है।
रसीला बोली- वो मतलब?
मैं- मतलब आपकी चूत।
रसीला- “देखकर भी क्या करोगे? इधर तो कुछ होने वाला नहीं…”
मैं- “हो भले ना, लेकिन पता तो चलेगा की पूरी दुनियां जिसमें समा चुकी है वो चीज कैसी होती है?”
रसीला ये सुनकर हँस-हँस के पागल हो गई और मेरी भाभी को बोली- “देखो राशि, ये क्या बोल रहा है? उसे मेरी चूत देखनी है, और बोलता है की मुझे वो देखना है जिसमें पूरी दुनियां समा चुकी है…”
ये सुनकर रसीला और दूसरी सब औरतें हँसने लगी।
राशि- “हाँ, तो बता दे ना, वो भी क्या याद करेगा, और रोज तेरे नाम की मूठ मारता रहेगा…”
रसीला- अरे… मेरे होते हुए क्यों मूठ मारेगा बिचारा, कल ले आना मेरे घर, धक्के ही लगवा दूँगी।
राशि- ठीक है, लेकिन अभी का तो कुछ कर।
रसीला- “हाँ… अभी तो मैं उसे मेरी मुनिया के दर्शन करा देती हूँ। ताकि उसके मुन्ने को पता चले की कल उसे कौन से ठिकाने जाना है,
और अभी मैं उसका केला चूस के रस पी लेती हूँ, गुफा में कल प्रवेश कराऊँगी…” ऐसा बोलकर उसने अपना पेटीकोट कमर तक ऊंचा कर दिया और अपनी रेड कलर की जालीदार पैंटी उतारने ही वाली थी।
तभी मैंने कहा- रहने दो मैं उतारूँगा।
रसीला- हाँ भाई, तू उतार ले।
उसके ऐसा बोलते ही मैंने अपना हाथ उसकी चूत पे रख दिया और उसकी चूत का उभार महसूस करने लगा। पहली बार मैं किसी औरत की चूत छू रहा था, उसका उभार भी क्या गजब था जैसे वड़ापाव जैसा,
और बीच में एक लकीर जैसी थी और दोनों साइड एकदम चिकना-चिकना गोल था। मुझे तो स्वर्ग जैसा अनुभव लग रहा था।
मैंने साइड में से उंगली डालकर उसकी पैंटी को खींचकर उसकी लकीर को महसूस किया। वो तो बस मेरे सामने ही देख रही थी, और मैं उसकी चूत की दुनियां में जैसे डूब गया था।
रसीला बोली- ऐसे ही चड्डी के ऊपर से ही देखोगे, या उतारकर भी देखना है?
मैं जैसे होश में आता हूँ- “हाँ भाभीजी…” और ऐसा बोलकर मैंने उनकी पैंटी नीचे सरकाई, और उतार फेंकी,
ओह्ह… माई गोड… भगवान्… अब समझ में आया की सभी मर्द चूत के पीछे क्यों भागते है, शायद मैं भी उन लोगों की दुनियां में आ गया था।
उसकी चूत एकदम साफ थी, मुझे मालूम था की औरतों को भी झांटें होती हैं, लेकिन फिर भी मैंने भोला बनकर रसीला को पूछि- “भाभीजी, मैंने तो सुना था की औरतों की भी झांटें होती हैं, लेकिन आपको तो नहीं है…”
रसीला हँसकर बोली- “हाँ होती है ना… लेकिन मैंने आज ही साफ की थी, शायद मेरे पति से ज्यादा लकी तुम हो जो उससे पहले तुमने मेरी बिना झांटों वाली चूत देख ली…”
बस मैं तो उसकी चूत पे हाथ फेरने लगा और देखने लगा। हर एक कोना देखना चाहता था मैं, तो मैंने उनकी टाप से लेकर बाटम तक चूत को महसूस किया, जैसे मैंने चूत की दोनों फाॅके खोली, बीच में दो होंठ जैसा लगा। मैंने अंजान बनकर रसीला को पूछा- भाभीजी, ये बीच में लटकता हुआ क्या है?
रसीला- उसे चूत के होंठ कहते हैं।
मैं आश्चर्य से- क्या इसे भी होंठ कहते हैं?
रसीला- हाँ मेरे राजा, इसको चूसने से औरत को इस होंठ से भी ज्यादा मजा आता है।
मैं- तो क्या मैं इसे अभी चूस लूँ?
रसीला- नहीं, अभी सिर्फ देखो। कल घर आकर जो करना है करना, मैं मना नहीं करूँगी, इधर सब आते-जाते रहते हैं।
मैं- ठीक है, लेकिन मेरे इस केले का तो कुछ कर दो।
रसीला- ठीक है, मैं अभी ही इसका रस निकाल देती हूँ।
मैं- “तो देर किस बात की है, ले लो तुम मेरा केला…”
ऐसा बोलते ही उसने मेरी निक्कर नीचे उतार दी और मेरा फड़फड़ाता हुआ लण्ड हाथ में पकड़ लिया।
ये मेरा पहली बार था इसलिए बहुत गुदगुदी हो रही थी। उसने मेरे टोपे की चमड़ी को ऊपर-नीचे किया। पहली बार मैं किसी और से मूठ मरवा रहा था, वो भी किसी औरत से, मेरा लण्ड काबू में नहीं था।
मैंने उसे बोला- “जल्दी करो, मुझसे रहा नहीं जाता है…”
रसीला बोली- रुको, इतनी भी क्या जल्दी है? अभी तो सिर्फ हाथ ही लगाया है, जब मुँह लगाऊँगी तो क्या होगा?
मैं अंजान बनते हुए- क्या इसे भी मुँह में लिया जाता है?
रसीला- “हाँ…” और ऐसा बोलकर वो मेरे लण्ड की चमड़ी ऊपर-नीचे करने लगी और मूठ मारने लगी।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उधर राशि भाभी ये सब देख रही थी। जब मेरा ध्यान उसपे पड़ा तो मेरा शर्म से मुँह लाल हो गया।
मैं रसीला के हर एक स्ट्रोक का आनंद उठा रहा था। रसीला के मूठ मारने से मेरी उत्तेजना और बढ़ गई थी, और वीर्य की एक बूँद टोपे पे आ गई। ये देखते ही रसीला ने मेरा मूठ मारना छोड़ दिया।
एक बार तो मुझे लगा की वो ऐसे मुझे क्यों आधे रास्ते पे छोड़ रही है। लेकिन तुरंत ही वो मेरे लण्ड पे झुक गई, और मेरा टोपा अपने मुँह में ले लिया।
मेरे तो जैसे होश उड़ गये, और इतना मजा आने लगा कि अब मैं सातवें आसमान पे था। धीरे-धीरे उसने मेरा पूरा लण्ड मुँह में भर लिया और चप-चप चूसने लगी।
मेरी तो हालत खराब होती जा रही थी। रसीला कभी मुँह में जीभ फेरती, तो कभी छाप-छाप करके चाटती थी। जीभ से मेरे गोटे भी चूसने लगी। फिर से उसने मेरे लण्ड को मुँह में भर लिया और जड़ तक चूसने लगी।
अब मेरा सब्र का बाँध टूटने वाला था, मुझे लगा की मेरा वीर्य निकले वाला है, मैंने रसीला को बोला- “भाभीजी छोड़ो अब, मेरा निकलने वाला है…”
लेकिन, मुझे आश्चर्य हुआ, क्योंकी रसीला सुना अनसुना करके मेरा लण्ड चूसती रही। अब मुझे क्या था, मैं तो बिंदास होकर आनंद लेने लगा। अब मेरा पूरा बदन सिकुड़ने लगा।
भाभीजी को मालूम हो गया और वो और जोर से चूसने लगी। तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। वीर्य सीधा उसके गले में जाने लगा। मेरा लण्ड ऐसे 7-6 झटके मरता रहा, लेकिन उसने मेरा लण्ड छोड़ा नहीं और पूरा वीर्य पीने लगी। बाद में मेरे लण्ड को पूरा चाट-चाट के साफ किया।
फिर अपने होठों पे जीभ फेरते हुए बोली- “आपका पानी तो बहुत मीठा है…”
मैं- होगा ही ना… पहली बार आपने चखा है।
रसीला- कैसा लगा देवरजी?
मैं- बहुत अच्छा, ऐसा मजा मैंने पहले कभी नहीं लिया था, आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी।
रसीला- “अभी सही जन्नत तो बाकी है। वैसे आपका लण्ड भी बहुत मस्त है, मेरे पति का तो सिर्फ अंगूठे जैसा है, जब की आपका तो पूरा डंडा है डंडा…”
मैं- हाँ, वो तो है। मुझे अब पता चला की पूरी दुनियां चूत में क्यों डूबी हुई है?
तभी राशि भाभी बोली- “चलो देवरजी, अब बहुत मजा किया, घर जाने में देर होगी तो कही सासू माँ इधर ना आ जाएं?”
रसीला बोली- जाओ मेरे राजा, कल आना, बाकी की जन्नत भी देख लेना।
और बाद में भाभी बोली- “चलो देवरजी, बस दो मिनट… मैं नहा लेती हूँ, बाद में हम चलते हैं…”
मैं- “भाभी, मुझे भी आपके साथ नहाना है…”
राशि- ठीक है, तुम भी आ जाओ।
मैं वैसे ही नंगा उनके पास चला गया, सभी औरतें मुझे ही देख रही थी। मैं अब पानी में घुस गया।
भाभी ने किनारे पे बैठकर मेरे सामने ही कामुक स्टाइल में पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, पेटीकोट ‘सर्र्र्र्रर’ से नीचे गिर गया। मैं तो देखकर हैरान था… लगता नहीं था की वो दो बच्चों की माँ थी। पतली कमर नीचे जाते ही इतने चौड़े कूल्हों में समा जाती थी की बस। उनके कूल्हे एकदम बड़े और गद्देदार थे और चूत वाला हिस्सा पूरा गीला था। शायद कपड़े धोने से उनकी पैंटी गीली हो गई थी। पैंटी एकदम गीली और सफेद होने की वजह से उसकी चूत की लकीर साफ दिख रही थी।
तभी उसने मेरे सामने ही अपनी पैंटी को उतारने के लिये, दो साइड से दो उंगलियां डालकर पैंटी को धीरे-धीरे नीचे उतारना चालू किया। वाओ… क्या नजारा था… उसकी चूत चमक रही थी, एकदम सफाचट, जैसे अभी ही शेविंग की हो वैसी। बीच में से उसके होंठ बाहर दिख रहे थे, जैसे बुला रहे हों की आओ मुझे चूसो। होंठों के साइड की मुलायम दीवारें जो की एकदम चिकनी दिख रही थीं और वो नीचे जाकर आदृश्य हो जाती थीं, और गाण्ड के छेद से मिल जाती थीं। चूत की दीवारें इतनी दबी हुई थी की, ऐसा लगता था जैसे पहले कभी वो चुदी ही ना हो।
धीरे-धीरे वो मेरी तरफ बढ़ रही थी और फाइनली पानी में घुस गई। भाभी ने पानी में आते ही मुझसे बोला- “एक चूत से जी नहीं भरा, जो दूसरी देख रहे हो? सारे मर्द ऐसे ही होते हैं…”
मैं- “तो उसमें गलत क्या है? भगवान ने चूत बनाई ही इसलिये है ताकी मर्द उसे देख सकें, चाट सकें और फाड़ सकें…”
राशि- “हाँ देवरजी, मेरी चूत में भी बहुत खुजली होती है, और तुम्हारे भैया से वो मिटती ही नहीं, क्या तुम मेरी खुजली मिटाओगे?”
मैं- “भला, आपका ये गद्देदार शरीर कोई मूरख ही होगा जो चोदने को ना बोले?”
राशि- “ठीक है, मैं आज घर जाकर तुम्हें मजे कराती हूँ। रात को तुम तैयार रहना…”
मैं- हाँ भाभी, लेकिन अभी आपका नंगा बदन देखकर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा। देखो रसीला भाभी के चूसने के बावजूद भी ये फिर से खड़ा हो गया है।
राशि- “लण्ड होता ही ऐसा है, गड्ढा देखा और हुआ खड़ा…” और वो जोर से हँसने लगी।
मैं- भाभी, क्या मैं आपके चूचे छू सकता हूँ?
राशि- अरे, ये भी कोई पूछने की बात है क्या? छुओ क्या चूसो जितना चूसना है उतना।
फिर मैंने सीधा ही मेरे मुँह में भाभी का निपल भर लिया और दूसरे हाथ से पानी में उसकी योनि ढूँढ़ने लगा, और वो मुझे तुरंत मिल गई, एकदम चिकनी गीली-गीली सी।
जैसे ही मैंने निपल चूसा, मेरे मुँह में दूध की धारा बहने लगी, ये मेरे लिए आश्चर्यजनक था।
तो मैंने मुँह हटा के भाभी को पूछा- “आपके चूचे में भी दूध आ रहा है…”
राशि- हाँ, क्यों कैसा लगा उसका टेस्ट?
मैं- बहुत बढ़िया। लेकिन… तो फिर अपने मुझे रसीला का दूध क्यों पिलाया? आपके पास भी तो था ना?
राशि- ये मैं तुम्हें सर्प्राइज देने वाली थी, और वैसे भी इसी बहाने आपको दूसरी औरत के चूचे का मजा भी देना चाहती थी।
मैं- “भाभी, आप मेरा कितना खयाल रखती हैं…” और ऐसा बोलकर मैं फिर उनका दूध पीने लगा।
उधर रसीला भी ये सब देखकर गरम हो गई थी, वो हमारे बाजू में आई और बोली- “कम पड़े तो बोलना, इसमें फिर से भर गया है…”
मैं- “वाओ… मुझे आज घर पे खाना नहीं पड़ेगा, ऐसा लगता है…” बोलकर मैं कभी राशि के और कभी रसीला के चूचे चूस रहा था। इतना दूध तो मैंने अपनी माँ का भी नहीं पिया होगा।
दोनों की 36” की चूची पूरा दूध से भरी थी, और मैं उसे चूस-चूस के खाली कर रहा था। दूध का टेस्ट एकदम मीठा और थोड़ा साल्टी था।
तभी राशि ने बोला- “मजा आ रहा है ना देवरजी?” और ऐसा बोलकर मेरे मुँह में ली चूचियों को खुद दबा-दबा के मुझे पिलाने लगी, जिससे निपल से निकलती हर पिचकारी मेरे मुँह में गुदगुदी कर रही थी।
मुझे लगा की मैं सारी उमर बस दूध ही पिता रहूं। और मैं राशि भाभी की चूत में उंगली डालकर उसे छेड़ देता तो उसकी ‘आह्ह’ निकल जाती।
थोड़ी देर बाद जब दूध पी लिया तो भाभी बोली- “चलो अब चलते हैं, बाकी घर जाकर करेंगे…”
रसीला भी नहाके बाहर निकल गई, अपने शरीर को तौलिया से पोंछा, और ब्रा पहनने लगी, बाद में ब्लाउज़, पैंटी, पेटीकोट, और फिर साड़ी।
राशि बोली- “लगता है देवरजी नंगी लड़की देखकर आपका मन अभी नहीं भरा है, आपका कुछ करना पड़ेगा?” और अचानक वो मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी।
भाभी में भी इतनी वासना भरी हुई थी, जैसे बरसों की प्यासी हो। वो तो रसीला से भी अच्छा चाट रही थी, कभी पूरा लण्ड मुँह में लेकर जीभ का स्पर्श करती तो मेरे आनंद की सीमा नहीं रहती। ऐसे ही चूसने के बाद मेरा वीर्य निकलने की तैयारी ही थी तो भाभी को मैंने बोला। लेकिन उसने भी मेरे लण्ड को निकाला नहीं और चूसना चालू रखा। दो मिनट बाद मेरा शरीर अकड़ गया और मेरा लण्ड-रस भाभी के मुँह में ही छूटने लगा। वो गटागट मेरा सारा वीर्य पी गई।
बाद में मेरे सुपाड़े को साफ करके बोली- “अभी कैसा लग रहा है देवरजी?”
मैं- “भाभी आप बहुत अच्छी हैं, मुझे बहुत मजा आया, बस एक बार आपको चोदना है…”
भाभी मुश्कुराके बोली- “वो भी हो जाएगा, बस थोड़ा धीरज रखे…” बाद में भाभी और मैं फटाफट नहाकर बाहर निकल गये और कपड़े पहनकर घर की ओर चल दिए।
जब वहां से नहाने के बाद हम घर पहुँचे, तो दूसरी दोनों भाभियां राशि भाभी को देखकर मुश्कुरा दीं।
शायद उनको अंदाजा था राशि भाभी के इरादों का, और उनमें से प्रीति भाभी मुझे बोली- “क्यों देवरजी, कैसी लगी हमारी बहती हुई नदी?” और वो धीमे-धीमे हँसने लगी।
मुझे तो आश्चर्य हुआ उसकी डबल मीनिंग की बात सुनकर।
तभी वो तीसरी और छोटी भाभी सोनिया बोली- “प्रीति, लगता है देवरजी ने हमारी नदियों में डुबकी नहीं लगाई है, लगाई होती तो कुछ ज्यादा खुश होते?”
अब मैंने स्माइल देकर बोला- “भाभी, ऐसा नहीं है। अभी तो सिर्फ मैंने नदी को दूर से देखा ही है, डुबकी लगानी बाकी है…”
वो दोनों मेरी बात को सुनकर हँस पड़ी, और सोनिया बोली- “तो जल्दी ही लगा लेना, कहीं पानी सुख ना जाए?”
मैं- नहीं भाभी, मैंने नदी ध्यान से देखी है, और उसका पानी सूखने वाला नहीं है।
राशि भाभी आश्चर्य से मुझे देखने लगी और प्रीति और सोनिया को बोली- “लगता है एक ही दिन में नदी को नाप लिया है देवरजी ने। लेकिन शायद उन्हें मालूम नहीं की इन गहरी नदियों में कई लोग डूब भी जाते हैं…”
मैं- हाँ, लेकिन मैंने गोता लगाना सीख लिया है।
तभी दादी आ गई और हम सब दूसरी बातें करने लगे। दादी के आने से मैं भाभी को बोला- “भाभी, मैं थोड़ा गाँव में घूमकर आता हूँ…”
भाभी के बदले दादी बोली- “हाँ, जा बेटा, थोड़ा ध्यान रखना बेटा, और दोपहर को टाइम पे 12:00 बजे से पहले घर आ जाना…”
मैं- “ठीक है दादी जी…” कहकर मैं बाहर चला गया।
गाँव में पदार था, जहां मेन बस स्टैंड होता है और बुजुर्ग लोग बैठने आते हैं। वहां जाकर एक पान की दुकान से मैंने सिगरेट लिया।
हालाँकि मैं सिगरेट रोज नहीं पीता, लेकिन कभी महीने में एकाध बार पी लेता हूँ। थोड़ी देर इधर-उधर घूमने के बाद मैं 12:00 बजे घर वापस आ गया।
आकर खाना खाया। और बाद में सोनिया भाभी बर्तन धोने लगी, तो उसके भारी स्तन घुटनों से दबने से आधे बाहर छलक रहे थे। शायद वो मुझे जानबूझकर दिखा रही थी। क्योंकी जैसे ही दादी जी आई, उसने अपना पैर सही कर लिया और चूचियों को ढँक दिया। दादी के जाने क बाद उसने मुझे एक सेक्सी स्माइल दी।
मैं भी मुश्कुरा दिया।
तभी, प्रीति भाभी मेरे सभी भाइयों का टिफिन पैक करके आई और खेत में देने जा रही थी।
तभी दादी ने प्रीति को बोला- प्रीति बेटा, जरा किशोर को भी साथ ले जा, वो भी खेत देख लेगा।
मेरे मन में तो अंदर से लड्डू फूटने लगे, शायद प्रीति भी खुश थी क्योंकी पलटकर मेरे सामने मुश्कुरा दी। मैं तो तैयार ही था। तो चल पड़ा अपनी मस्त चुदक्कड़ भाभी के साथ।
घर से निकलते ही प्रीति ने मुझसे पूछा- क्यों देवरजी, कोई गर्लफ्रेंड है की नहीं?
मैं- नहीं भाभी।
प्रीति- क्यों?
मैं- कोई मिली ही नहीं।
कुछ देर शांति के बाद उसने मुझसे पूछा- “कैसा रहा आज का नदी का स्नान? रशि भाभी ने सिर्फ नहलाया या कुछ और भी?” बोलकर वो रुक गई।
मैं- कुछ और का मतलब?
प्रीति- ज्यादा भोले मत बनो, जब तुम पदार में घूमने गये थे तो राशि ने हम दोनों को सब बताया था।
अब हैरानी की बारी मेरी थी, ये लोग आपस में सब शेयर करते हैं। आश्चर्य भी हुआ लेकिन मैंने अपने आपको शांत रखते हुए बोला- “आप सब जानती हैं, फिर भी क्यों पूछ रही हैं?
लगता है आप भी भूखी हैं राशि भाभी की तरह?”
अब उसके चेहरे पे मुश्कान आ गई, उसे शायद मेरे ऐसे जवाब का अंदाजा नहीं था। फिर भी वो बोली- “हाँ, मैं भी भूखी ही हूँ, तुम्हारे भैया कहां रोज चढ़ते हैं मेरे ऊपर?”
मुझे उसकी ऊपर चढ़ने वाली देसी भाषा पे आश्चर्य हुआ। लेकिन सोचा गाँव की भाषा में ऐसे ही बोलते होंगे, चढ़ना और उतरना, जैसे ट्रेन हो।
मैं- तो आप क्या करती हैं, अपनी जवानी को शांत करने के लिए?
प्रीति- “और क्या? कभी कभी हम तीनों मिलके एक दूसरे की चाट देते हैं, कभी गाजर तो, कभी मूली डालकर अपनी आग शांत करती हैं।
वैसे आपको पता नहीं होगा, मेरे पति नामर्द हैं, राशि को और सोनिया को बच्चा हुआ लेकिन मुझे नहीं हो रहा…”
मैं- क्यों, किसमें प्राब्लम है?
प्रीति- मैंने चोरी छुपे मेरा चेकअप कराया, वो नार्मल आया। वो अपनी चेकअप के लिए राजी ही नहीं हैं।
मैं- भाभी उससे बच्चा नहीं होता, लेकिन चुदाई तो हो ही सकती है ना?
प्रीति- “हाँ, लेकिन ऐसा होने के बाद हमारे संबंध में वो मिठास नहीं रही, जो पहले थी।
वो भी उसकी चिंता में दुबले होते जा रहे हैं। और जब महीने में एकाध बार चोदते भी हैं तो बस दो मिनट में झड़ जाते हैं।
और दोनों भाई भी तुम्हारी और भाभियों की चुदाई कभी-कभी ही करते हैं, क्योंकी उनको उसमें दिलचस्पी नहीं,
और ऐसे ही बातों बातों में हम सभी देवरानी-जेठानी को एक दूसरे की हालत पता चली और धीरे-धीरे हम मिलकर आनंद उठती हैं।
जब तुम घर आए तो हमें थोड़ी आशा की किरण दिखी की शायद हम तुमसे चुद जाएं…”
मैं- “भाभी, आप फिकर नहीं करना, अब मैं आ गया हूँ और सबको चोदकर रख दूँगा…”
मेरी इस बात पे प्रीति की हँसी निकल गई।
मैं- भाभी, एक सवाल पूछूं आपसे? ये एम॰सी॰ क्या होता है?
प्रीति- “वो हर एक औरत को होता है। जब एक महीना होता है तो औरत का बीज बनता है, और अगर बच्चा नहीं ठहरता है, तो एम॰सी॰ में निकल जाता है।
लेकिन अगर बच्चा रह गया तो एम॰सी॰ नहीं आता है…”
मैं- वो दिखने में कैसा होता है?
प्रीति- बस लाल रंग का खून ही होता है, लेकिन उस टाइम औरत को पेड़ू (पेट का नीचे का और चूत के ऊपर का हिस्सा) में दुखता है,
मैं- भाभी, भगवान ने ये स्तन बहुत अच्छे बनाए हैं, मर्दों के लिए। दिल करता है की बस दबाते ही रहें और उसमें से दूध पीते ही रहें।
प्रीति हँसते हुये- “हाँ वो तो है ही, सभी मर्दो को वही पसंद होता है, औरतों में। वैसे क्या तुमने राशि का दूध पिया?”
मैं- हाँ।
प्रीति- कैसा लगा?
मैं- बहुत मीठा, भाभी क्या आप मुझे अपना दूध पिलाओगी?
प्रीति- धत्त… पागल कहीं का, दूध ऐसे थोड़े ही आता है?
मैं-तो?
प्रीति- अरे वो तो बच्चा पैदा होने के बाद आता है।
मुझे ये मालूम नहीं था। सोचा आज ये नया जानने को मिला। मैंने कहा- “तो आप भी माँ बन जाओ ना?”
प्रीति- “मैं तो तैयार ही हूँ, लेकिन तुम्हारे भैया…”
मैं- लेकिन मैं तो हूँ ना?
प्रीति- वो तो मैं भूल ही गई, लेकिन कहीं उनको शक पड़ा तो?
मैं- शक कैसे पड़ेगा? क्योंकी उन्होंने खुद की चेकअप कराई नहीं है और अपने को बराबर ही मान रहे हैं।
प्रीति- “हाँ वो सही है। मैं तुम्हारा बच्चा पैदा करूँगी और आपको दूध भी पिलाऊँगी…”
मैंने रास्ते में कई बार उनकी चूचियों को भी दबा दिया था, होंठ भी छुआ और गाण्ड पे भी हाथ फिराया।
वो नाराज होने वाली तो थी नहीं, और बातों बातों में खेत भी आ गया।
तभी भाभी ने सबको खाना खिलाया, और सब फिर से काम में लग गये। तीनों भाई में से बड़े भाई को खाने के बाद तुरंत शहर जाना था, किसी काम से तो वो निकल गये। बीच वाले भाई यानी की प्रीति के पति खेत में चले गये काम करने के लिए, और सबसे छोटे ट्रैक्टर रिपेयर कराने के लिए चले गए।
अब आगे......
अब खेत में सिर्फ प्रीति के पति ही थे, लेकिन वो बहुत दूर थे।
हमारे खेत में हमारा 3 रूम किचेन का मकान भी था, जिसमें ही हमने खाना खाया था। भैया के जाने के बाद मैंने भाभी को पूछा- क्यों क्या खयाल है आपका?
वो बोली- किस बारे में?
मैं- चुदाई के बारे में।
वो बोली- यहाँ पे?
मैं- “हाँ, तो उसमें क्या है? भैया भी अभी खेत में दूर हैं, और वैसे भी वो मुझे छोटा ही समझ रहे हैं, अगर चोदते वक्त आ भी गये तो उन्हें मुझ पर शक नहीं होगा। हम गेट बंद करके सोएंगे…”
प्रीति भाभी खुश होकर बोली- “ठीक है, मैं गेट बंद करके आती हूँ…”
फिर वो जैसे ही गेट बंद करके आई, मैंने उसको बाहों में ले लिया, उनकी साड़ी का पल्लू पकड़कर साइड में कर दिया, भाभी ने पीले कलर का ब्लाउज़ पहना था। मैंने उसके चूचे दबोच लिए।
प्रीति बोली- आआआहहह्र...“धीरे देवरजी, मै भागी नहीं जा रही हूँ, इधर ही रहूंगी…”
मैंने उसके चूचों के बीच में मेरा मुँह घुसा दिया और उसकी महक लेने लगा, दोनों हाथों से उसे मेरे मुँह पे दबाने लगा। क्या मस्त अनुभव था, इतने मुलायम गुब्बारे जैसे थे की बहुत मजा आ रहा था और क्या मादक खुशबू थी। चूचे एकदम टाइट थे, और खड़े हुई दिख रहे थे। पीले कलर के ब्लाउज़ में से उसका टाप का हिस्सा थोड़ा डार्क दिख रहा था।
मैंने मजाक में पूछा- “भाभी, ये ब्लाउज़ इधर काला क्यों है?”
प्रीति शर्मा गई और बोली- “खुद ही देख लो, मेरी नजर वहां तक नहीं जा रही है…”
मैं- उसके लिए मुझे इसे खोलना पड़ेगा।
प्रीति बोली- “तो खोलो ना किसने रोका है? मैं तो अपना सब कुछ तुमसे खुलवाना चाहती हूँ…”
मैं बहुत उत्तेजित हो गया और उसके हुक को सामने से खोलने लगा, एक, दो, तीन, करके सब हुक खोल दिया। मुझे मालूम था की उन्होंने नीचे ब्रा नहीं पहनी है, क्योंकी तभी वो ऊपर का हिस्सा काला लग रहा था। फिर जैसे संतरे का छिलका निकालते हैं, वैसे मैंने धीरे से ब्लाउज़ के दोनों हिस्सों को चूचों पर से हटाया। वाह्ह… क्या नजारा था, प्रीति की चूचियां तो राशि भाभी से भी टाइट थीं, क्योंकी उनको अब तक बच्चा नहीं हुआ था। एकदम सफेद-सफेद, उसकी नाक थोड़ी डार्क और निपल छोटे-छोटे चने के दाने जैसे, और एकदम कड़े थे। जैसे बोल रहे हो की आओ, और मुझे चूसो।
मैं तो कंट्रोल नहीं कर पाया और सीधा बिना सोचे ही मुँह में निपल लेकर चूसने लगा। मैं एक चूची चूस रहा था और चूसते-चूसते दबा भी रहा था, दूसरे हाथ से दूसरी चूची के निपल को दो उंगलियों में लेकर दबा रहा था।
भाभी के मुँह सी धीमी-धीमी सिसकियां निकल रही थीं। धीमे-धीमे उसपे सेक्स का नशा चढ़ने लगा और सिसकियां भी बढ़ने लगीं।
अब प्रीति बेफिकर होकर- “आह्ह… आह्ह… ओह्ह… और चूसो देवरजी, काट लो पूरा…” करके आनंद ले रही थी।
मैंने उसे बेड पे लिटाया और साड़ी उतार फेंकी, पेटीकोट उतारने की जरूरत नहीं थी, उठाने का ही था। जैसे ही मैं उठाने के लिए हाथ बढ़ाया।
अचानक प्रीति को क्या हुआ की उसने मुझे धक्का देकर सुला दिया, और खुद बेड से नीचे उतरकर सामने खड़ी हो गई। उपना पेटीकोट उठाया और दो उंगली डालकर पैंटी उतार दी। फिर जोर से पलंग पे चढ़ के पेटीकोट फैलाकर सीधे मेरे मुँह पे बैठ गई।
जिससे मुझे बाहर का कुछ दिख नहीं रहा था, क्योंकी चारों और पेटीकोट था और सामने उसकी वो सेक्सी पेट।
वाउ… मैं तो उसके वो सेक्सी अंदाज से हैरान रह गया। तभी मैं और कुछ सोचू, उससे पहले ही उसने मेरा सिर पकड़कर सीधे उसकी चूत में दबा दिया। मैं भी कहां पीछे रहने वाला था। मैं तो उसकी फांकों को खोलकर जीभ से सटासट चाटने लगा। क्या रस टपक रहा था उसका, एकदम चिपचिपा लेकिन सवादिष्ट भी। मैं तो बस चाटता ही रहा और वो अपनी चूत चटवा रही थी मजे से।
तभी वो बोली- मुझे मूत लगी है। क्या आप मेरा मूत पियोगे?
मैंने कहा- हाँ भाभी, आपकी इतनी सुंदर चूत का मूत भी कितना सवादिष्ट होगा। प्लीज़्ज़… जल्दी से मेरे मुँह में धार छोड़ दो।
वो बोली- छीः… गंदे कही के, मैं तो मजाक कर रही थी।
मैं- ये गंदा नहीं होता, आयुर्वेद भी बोलता है इसके लिए।
तो प्रीति चुप हो गई, और सीधे उसने धार लगा दी- “सीईईईईईईई सुर्रर…” करके उसका मूत मेरे मुँह में जा रहा था। वो जो मूतने की आवाज थी वो बड़ी सेक्सी थी- “सीईईईईईईईई सुर्रर…”
मैं तो बस बिना रुके उसके मूत को पी रहा था। जब उसने खतम किया तो मैं आखिरी बूँद तक उसे चाट गया, जिससे प्रीति की चूत और साफ हो गई।
प्रीति ने उपना पेटीकोट उठाकर मेरे मुँह को देखा, जब नजरें मिलीं तो प्रीति शर्मा गई और धीमे-धीमे मुश्कुराने लगी।
अब उसकी हालत खराब थी, एकदम से गनगना गई..
वो बरदास्त करने की हालत में नहीं थी। उसने अचानक उठाकर मेरे अंडरवेर पे हमला किया और तुरंत ही मेरा लण्ड निकालकर उसका मूठ मारने लगी। मेरा लण्ड एकदम टाइट था और लोहे की तरह गरम भी। प्रीति ने दो चार बार हिलाने बाद तुरंत ही मुँह में ले लिया।
मेरा 8" इंच का लौड़ा उसके मुँह में पूरा नहीं जा रहा था फिर भी वो 5 इंच तक अंदर लेकर चूस रही थी।
मैंने भाभी को बोला- मुझे भी मूतना है।
प्रीति लण्ड बाहर निकालकर बोली- “मेरे मुँह में ही मूत लो। तुमने मेरा मूत पिया तो मैं भी तुम्हारा पियूंगी…” और ऐसा बोलकर फिर से मेरा लण्ड मुँह में ले लिया।
मैंने तो अपने स्नायु ढीले छोड़ दिये, तो तुरंत मुतना चालू हो गया। मूत की धार सीधे उसके गले में जा रही थी। मेरा मूत पीते वक्त उसने मेरा 5 इंच तक का लण्ड मुँह में डालकर रुक गई थी, तो मेरा मूत सीधा ही उसके गले में जा रहा था। मूतना खतम होते ही प्रीति हाँफने लगी। क्योंकी उसने सांस रोक रखी थी। थोड़े टाइम बाद फिर से मेरा 8" इंच का लौड़ा चूसने लगी।
मैंने प्रीति को बोला- मुझे चोदना भी है, ऐसे ही करती रही तो मुँह में ही झड़ जाऊँगा।
प्रीति बोली- कोई बात नहीं, मेरे मुँह में ही झड़ जाओ आप।
उसके ऐसे बोलते ही मैं उसका सिर पकड़कर उसका मुँह चोदने लगा। वो ‘आह्ह… ओह्ह…’ कर रही थी, क्योंकी उसकी आवाज गले में ही दब जाती थी। और फिर मैंने स्पीड बढ़ाई और मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी।
सारा विर्य लंड़ चूसके सीधा गटक गई। मेरे लण्ड से एक भी बूँद को बाहर नहीं गिरने दिया और चूसना चालू ही रखा, जैसे थकती ही नहीं थी। प्रीति लण्ड एसे चूस रही थी, जैसे की उसे बहुत टेस्ट आ रहा हो।
और फिर से मेरे लौड़े को सहलाने लगे। तभी वो पलटी और लण्ड चूसते-चूसते ही मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी।
अब हम अब 69 पोजीशन में थे। मुझे पता था की मुझे अब क्या करना है? मैं भी चूत को चाटने लगा। चूत की दोनों पंखुड़ियों को अलग-अलग करके चूसने लगा और उसकी क्लिटोरिस के दाने पे जीभ फेरने लगा। उसकी सिसकियां अब बढ़ रही थीं और वो बड़ा आनंद ले रही थी। मेरा भी लौड़ा अब दूसरी बार गोली बारी के लिए तैयार था।
प्रीति शायद समझ गई थी तो वो अब सीधे लेट गई और मुझे अपनी ऊपर खींच लिया। वो खुद टाँगें चौड़ी करके लेटी हुई थी, मुझे दोनों टांगों के बीच में ले लिया।
अब मैंने उसके होंठ चूसना चालू किया। उसके होंठ पे चिकनाई लगी हुई थी, जो की मेरे वीर्य की थी। तभी मैंने अपने वीर्य का स्वाद चखा। मैं बस उसके होंठों को चूसे जा रहा था। मैं उसके कान के पीछे भी चूम लेता तो, वो अकड़ जाती थी। शायद वो प्रीति की सबसे ज्यादा सेन्सिटिव जगह थी। मैं कभी उसकी कान की लोलकी चूस लेता था, कभी उसकी गर्दन पे भी चूम लेता था।
धीरे-धीरे मैं नीचे की ओर बढ़ा, मैंने उसके हाथों को फैला दिया, और उसकी कांखें (आर्म्पाइट्स) सूंघने लगा। दोस्तों, औरतों की कांखों की खुशबू बहुत अच्छी होती है, एक नशा करने वाली, जो हमें आकर्षित करती है उनके प्रति। उसकी खुशबू ऐसी मदहोश कर देने वाली थी की मैं उसे चाटने ही लगा। बारी-बारी दोनों बगलों को चाटने के बाद मैं उसके चूचे पर आया। मैं एक चूची के निपल को चूस रहा था और दूसरी चूची के निपल को उंगली में लेकर दबा रहा था।
धीरे-धीरे उसकी आवाज बढ़ने लगी- “डार्लिंग अब मत तड़पाओ मुझे, बस भी करो। अब चोद भी दो। अह्ह… उईईईई… माँऽ ओह्ह… डियर प्लीज़्ज़… डालो ना। आह्ह… ओह्ह… माई गोड… उईईई माँऽ…” और वो आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं- “प्लीज़्ज़… डालो ना राजा, मत तड़पाओ अब…” करके अपनी कमर हिलाकर मुझसे चुदवासी हो गई।
लेकिन मैं उसे और तड़पाना चाहता था, तो मैंने चूचियों को चूसना चालू ही रखा। अब मैं उसके योनि त्रिकोण पे आ गया, उसकी योनि को भी चूसने लगा साथ में चूचियां भी दबा रहा था।
तभी प्रीति भड़की और मुझे नीचे गिरा दिया और बोली- “साले भड़वे पता नहीं चल रहा है तेरे को? कब से बोल रही हूँ तेरे को चोदने के लिये…”
मैं तो देखता ही रह गया उसके मुँह से गाली सुनकर। और वो मेरे ऊपर चढ़ गई और पेटीकोट को चारों और फैलाकर उसने मेरा लण्ड एक हाथ से पकड़ा और धीरे धीरे मेरे लण्ड पे बैठने लगी।
लण्ड फचक करते हुए उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुस गया। उसके साथ ही उसकी हल्की सी चीख भी निकल गई- “उईईईई… माँऽऽ” और वो उसी हालत में दो मिनट बैठी रही। क्योंकी उसको थोड़ा दर्द भी हुआ था, पहली बार इतना बड़ा लण्ड ले रही थी। थोड़ी देर शांत बैठी रही।
फिर उसने धीमे-धीमे ऊपर-नीचे होना चालू किया और मुझसे अपनी प्यासी मुनिया चुदवाने लगी।
मैं उसके चूचों को दोनों मुट्ठियों में लेकर भींचने लगा, कभी निपल के दाने को दो उंगली में लेकर दबा देता तो, उसकी सीस्स्स… उईई माँऽऽ थोड़ा धीरे मेरे राजा…” बोलती और ‘आह्ह उम्म्म्म’ करके मुझे चोदने लगी।
जब लण्ड अंदर या बाहर जाता फचाफच की आवाज आती थी जो मुझे पागल करने के लिए काफी थी। धीमे-धीमे उनकी स्पीड बढ़ रही थी।
मैं समझ गया की वो अब झड़ने वाली है, तो मैं भी नीचे से सहयोग देता हुआ शाट लगा देता था। ऐसे घचाघच चोदने से मैं भी अब चरम सीमा के नजदीक था। वो अब स्पीड में ऊपर-नीचे होने लगी और अचानक उसने मेरी छाती को भींच लिया और ठंडी पड़ गई।
लेकिन मैं अभी झड़ा नहीं था, तो मैंने उसे सीधा लिटाया और घचाघच शाट मारने लगा..
जिससे मैं भी तुरंत ही झड़ गया। मैंने उससे पूछा भी नहीं की वीर्य कहां पे गिराऊँ? क्योंकी मुझे ही तो उसे माँ बनाना था। अभी वो सेफ पीरियड में भी नहीं थी तो मैंने पिचकारी अंदर ही छोड़ दी। मेरे गरम वीर्य की धार से वो उपने कूल्हों को इधर-उधर करने लगी, शायद उसे बहुत मजा आया।
फिर मैंने 5-6 झटकों के बाद वीर्य छोड़ना बंद किया, और थोड़ी देर उसको किस करने लगा और बालों को सहलाने लगा।
वो बहुत ही खुश होकर बोली- “तुम अब पूरे मर्द बन गये हो, मुझे तुम्हारे बेटे की माँ बनने में खुशी होगी। हम रोज एक बार किया करेंगे ताकि बच्चा रह जाए…”
मैं बोला- “ठीक है भाभी, हम ऐसा ही करेंगे…”
प्रीति भाभी को चोदने के बाद हमने कपड़े पहने और घर गये। घर आते ही राशि और सोनिया भाभी दोनों ने मजाक करना चालू कर दिया।
राशि भाभी तो मुझे डाँटने का ढोंग करते हुए बोली- “देखो किशोर तुमने मुझे धोखा दिया और मेरे से पहले उसकी ले ली। इतना भी सबर नहीं कर सकते थे?” और हँसने लगी।
फिर बाद में बोली- “कोई बात नहीं, अभी रात होने दे तो, देखना मैं तेरी कैसे बजाती हूँ?”
अभी शाम के 5:00 बज रहे थे, क्योंकी हमारी चुदाई में ही हमारे दो घंटे लग गये थे और एक घंटा चलकर आने में लगा था।
गाँव में शाम को 5-5:30 बजे ही खाना बनाना चालू कर देते हैं और 6:30 तक खा लेते हैं। 8 बजे तो सब सो जाते हैं। यहाँ पे ये मेरी पहली रात ही थी। मेरे सोने का इंतेजाम हाल में किया गया। क्योंकी घर में 3 कमरा, एक बड़ा हाल, किचेन और बड़ा आँगन था।
चाचा-चाची हाल के बाजू में आँगन में सोए हुए थे। उनकी उमर 65-70 साल के आस-पास थी तो उन्हें थोड़ा कम दिखता था और नींद भी गहरी थी दोनों की।
मैं हाल में सोने के लिए गया। मेरे मझले और छोटे भाई घर पे ही थे। मझले वाले भाई खेत में ही थे आज और छोटे भाई ट्रैक्टर रिपेयर करके आ गये थे।
सिर्फ बड़े भाई ही शहर से नहीं आए थे, क्योंकी वो शहर से रात को नहीं निकले, वहीं किसी रिश्तेदार के घर रुक गये थे और फोन करके भाभी को बता दिया था।
रूम में जाते वक़्त मेरी प्रीति भाभी और सोनिया भाभी मुँह बिगड़ा हुआ था, क्योंकी आज वो मेरे से मजे नहीं ले सकती थी। मुझसे साॅरी बोलकर वो दोनों मुँह बिगाड़ के अंदर चली गईं। क्योंकी अंदर उन्हें वही पुराना लण्ड और वो भी छोटा सा मिलने वाला था।
उधर राशि भाभी मेरे पास आई और हँसकर बोली- “आज रात को तुम्हारे हल को मेरा खेत जोतना है , तो थोड़ा सो लो…”
मैं भी खुश हो गया, और सो गया।
रात को मेरे लण्ड को कोई चूस रहा हो वैसा मुझे लगा, वो कोई और नहीं राशि ही थी। मैंने सोने का ढोन्ग चालू रखा और वो जोर से चूसने लगी।
अब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं राशि का सिर पकड़कर अपने लण्ड को स्पीड में अंदर-बाहर करने लगा।
राशि भी खुश थी और लपालप लण्ड चूस रही थी। फिर चूसना छोड़कर वो धीरे से बोली- “रूम में आ जाओ। वहां तुमसे टांगें चौड़ी करके चुदवाती हूँ, चलो…”
मैं उनके पीछे चला गया। रूम में जाते ही मैंने सीधे ही उनके चूचे पे हमला किया और जोर से दबा दिया। उसकी चीख निकलते-निकलते रह गई, शायद चीख दबा दी थी ताकि कोई उठ ना जाए।
राशि बोली- “धीरे से देवरजी…”
मैं तो बस पागलों की तरह उनके चूचे दबा रहा था। चूचे दबाने से उनकी पारदर्शी नाइटी के ऊपर दूध की धारा बहने लगी। क्योंकी उनके बच्चे ने करीब 3 घंटे पहले दूध पिया था और अब वो पूरा दूध से भरा हुआ था।
मैं तो बस बहते दूध को देखता ही रह गया। जैसे ही चूची दबाता, दूध की पिचकारी नाइटी के ऊपर से होकर दूर तक गिरती थी। मैंने सीधा नाइटी के ऊपर मेरा मुँह लगा दिया और दूध पीने लगा।
राशि मेरी ये हरकत देखकर धीरे-धीरे मुश्कुरा रही थी। उधर नाइटी होने के बावजूद मेरे मुँह में पूरा दूध बह रहा था।
अब मैंने नाइटी को ऊपर करके उतार दिया और सीधा चूची को चूसने लगा। उनके मुलायम निप्पल मेरे मुँह में एक अजीब सा आनंद दे रहे थे, जैसे कोई मुलायम रब्बर हो।
जैसे ही मैं अपने दांतों में निपल दबाता, राशि की हल्की सी सिसकारी निकल जाती थी, और वो जोर से मेरा सिर पकड़कर चूचे को मेरे मुँह पे दबा देती थी। मुझे मेरे चेहरे पे वो मुलायम गुब्बारा बहुत अच्छा लगता था। मैं तो बस गटागट दूध पी रहा था।
मैंने अपने दूसरे हाथ से दूसरे चूचे को दबाना भी चालू रखा था। लेकिन उसका दूध नीचे गिर रहा था। वो देखकर मेरे मन में एक आइडिया आया।
मैंने राशि भाभी को बोला- भाभी, ये साइड का बरबाद जा रहा है। क्यों ना हम आपके दूध को किसी बर्तन में इकट्ठा करें?
राशि बोली- “ठीक है…” और वो रसोई घर में जाकर एक गिलास लाई।
अब जैसे ही वो अपनी चूची दबाकर दूध निकालने जा रही थी, मैंने उसे रोका और बोला- “मैं निकालूँगा…”
उसने हँस के वो गिलास मुझे दे दिया। अब मैं उनके चूचे को हाथ में लेकर दबाता था और नीचे गिलास का मुँह रख दिया, अब दूध का स्प्रे गिलास में होने लगा। मैं उसके नरम-नरम चूचे दबा के जैसे ही हाथ वापस लेता वो फिर से अपनी पुरानी स्थिति में आ जाते।
वो एक अलग आनंद था। धीरे-धीरे वो चूची खाली हो गई जिससे आधा गिलास भर गया था। अब मैं दूसरे चूचे पे गया और उसका भी पूरा दूध निकाल दिया। अब पूरा गिलास भर गया था।
मैं जैसे ही ग्लास को मुँह पे लगाता, भाभी बोली- “रुको, बोर्नविटा नहीं पियोगे?” बोलकर उस दूध में उसने बोर्नविटा मिला दिया। शायद वो गिलास लाते वक्त ही बोर्नविटा साथ में लाई थी।
मैं तो बहुत खुश था। अब मैं वो दूध पीने लगा और उसमें से थोड़ा उन्हें भी पिलाया। उसको भी खुद के दूध का टेस्ट अच्छा लगा। अब बारी लण्ड चूत को शांत करने की थी।
मैंने नाइटी पूरा निकाल दिया था, अब वो सिर्फ पैंटी में थी। अब मैं उसकी चूत को ऊपर से महसूस करना चाहता था।
मैंने चूची चूसना चालू रखा और मेरे दूसरे हाथ को चूचे से हटाकर चूत पे ले गया। वो मखमली पैंटी एकदम चिकनी थी, और हाथ फिराने से उसकी चूत की लकीर साफ महसूस होती थी। मैं वो लकीर में मेरी एक उंगली ऊपर-नीचे करके घिसने लगा।
जिससे राशि को मजा आने लगा, और उसकी सिसकियां बढ़ने लगीं, और मुँह से ‘आह्ह… आह्ह… उम्म्म्म’ की आवाजें आने लगी।
पैंटी की साइड के किनारे से मैंने पैंटी को थोड़ा खिसकाया और असली चूत को महसूस किया। वो गीली हो गई थी। मैंने मेरी उंगली से उसके छेद को टटोला। गीला होने की वजह से मिरी उंगली धीरे से उसमें घुसा दी।
राशि के मुँह से एक कामुक सिसकी निकल गई और उसने पेट को ऊपर उठा लिया, शायद वो अब चुदने को तैयार थी। लेकिन अभी तो उसे तड़पाना था, जब तक की वो खुद मुँह से बोले की मेरे राजा मुझे अब चोद दो।
मैंने उंगली को अंदर-बाहर करना चालू किया और निपल को चूसना भी चालू रखा। वो मेरे बालों में अपने हाथ घुमा रही थी, और सिसकियां ले रही थी। उधर मैं बार-बार चूची बदल-बदलकर दोनों निपलों को चूसता था। उंगली भी अंदर-बाहर हो रही थी।
फिर मैं चूची को चूसना छोड़कर उसकी पैंटी पे गया और उसकी चूत की खुशबू सूंघने लगा। वाह्ह… क्या महक थी। एकदम फ्रेश और मदहोश कर देने वाली। मैं तो पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूमने लगा।
अब राशि कंट्रोल में नहीं थी और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर चूत पे दबा रही थी। अपनी जांघों को भी मेरे सिर से भींच देती थी। उसकी जांघें भी एकदम मुलायम सी थीं, और मैंने उन जांघों को मेरे दोनों हाथों से पकड़कर चूत में पूरा मुँह सटा दिया। मैं उसकी जांघों को दूर नहीं जाने दे रहा था, जिससे वो कभी-कभी अपनी कमर उचका देती थी।
पेट तो बार-बार इतना ऊपर उठाती की जैसे वो लण्ड मांग रही हो। वो शायद अब मेरा लण्ड अपनी चूत में महसूस करना चाह रही थी। अब मैंने उसकी जांघों को छोड़कर उसकी पैंटी को उतार दिया, और उसके ऊपर उल्टा हो गया जिससे मेरा लण्ड उसके मुँह के पास था।
राशि मेरा इतना बड़ा लण्ड देखकर जैसे चौंक गई और बोली- “देवरजी, इतनी उमर में इतना बड़ा लण्ड?”
मैं- हाँ भाभी, मूठ मार-मार के बड़ा हो गया है।
राशि हँसने लगी, और मेरा इरादा समझ के उसने लण्ड की चमड़ी को ऊपर-नीचे करके लण्ड का टोपा उसके मुँह में ले लिया। मैं अब अकड़ गया क्योंकी लण्ड के टोपे पे जीभ के टच से मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया। वो धीरे-धीरे उसे चूसने लगी। पहले सिर्फ टोपे को चूसा, लेकिन बाद में पूरा का पूरा लण्ड मुँह में ले लिया और मैं भी उधर उसकी चूत के होंठों को चूस रहा था।
चूत के होंठों के साइड में मांसल गोल उभार ऐसा था की बस मैं देखता ही रहा। एकदम चिकना और वो नीच गाण्ड में मिल जाता था। लकीर इतनी टाइट थी की लगता था की भैया उसे चोदते नहीं थे। मैं उसकी पूरी लकीर के ऊपर से लेकर नीचे गाण्ड तक जीभ फेर रहा था।
बाद में मैंने जीभ से उसको चोदना चालू किया। मैंने अपनी जीभ को गोल बनाया और अंदर-बाहर करने लगा। जीभ एकाध इंच अंदर जाती और बाहर आती। जिससे उसकी वासना और बढ़ गई।
राशि अब होश में ना थी। अब तक शांत राशि अब बोल रही थी- “प्लीज़्ज़… चोद दो मुझे राजा… आह्ह… और ना तड़पाओ आह्ह… उई माँऽऽ ओह्ह… धीरे चूस राजा, बस चोद मुझे प्लीज़्ज़… ओह्ह… माँ उई माँऽऽ इस्स्स्स्स… आह्ह…” करके वो अब तड़प रही थी।
अब मुझे उसपे तरस आ गया। मैंने चूत को चूसना रोक के अब उसकी टांगों को अलग किया और उसके ऊपर चढ़ गया।
मैं पहले ही प्रीति भाभी को चोद चुका था, इसलिए राशि का छेद ढूँढ़ने में तकलीफ नहीं हुई। सीधा उसकी चूत पर लण्ड रखा दिया, और एक हल्का धक्का मारा। जिससे उसकी एक हल्की सिसकी निकल गयी और मेरा एक इंच जितना लण्ड उसकी चूत में था।
मैंने उसे होंठों पे किस करना चालू किया और हाथों से चूचे दबाना। राशि जब नीचे से कूल्हे उठाने लगी, तो मैं समझ गया की वो अब धकाधक चुदना चाहती है। मैं थोड़ा ऊपर हुआ और मेरा एक इंच फँसा लण्ड बाहर निकाल लिया और जोर से एक बार फिर शाट मारा।
जिससे उसके मुँह से सिसकी निकल गई- “आह्ह… उई माँ धीरे… मेरे राजा…”
मैंने फिर से लण्ड बाहर निकाल के फिर से शाट मारा जिससे मेरा लण्ड अबकी बार 3 इंच अंदर चला गया।
राशि तो बस मस्ती से भर गई, और उसकी सिसकियां रूम में गूंजने लगी। फिर मैंने और एक आखरी शाट मारा जिससे मेरा पूरा 8" इंच का लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
वो मेरे लण्ड के टोपे को उसके गर्भाशय तक महसूस कर रही थी। उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलना चालू ही थाीं।
अब मैं पूरा लण्ड बाहर निकालता और पूरा एक ही झटके में घुसा देता। जिससे उसके पेट और कूल्हे ऊपर उठ जाते थे। अब मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी चालू की, और फचाफच की आवाज के साथ चुदाई होने लगी। उसकी चूत के पानी से चिकना होकर मेरा लण्ड आसानी से अंदर-बाहर जा रहा था। उसकी चूत की दीवारें इतनी टाइट थी की मेरे लण्ड पे अच्छा दबाव महसूस होता था, जैसे की किसी कुँवारी लड़की को चोद रहा हूँ।
मैंने जोरदार शाट मारने चालू रखे जिससे अब वो बेकाबू होकर मेरे कंधे पर नाखून गाड़ना चालू किया, और अचानक उसने मुझे भींच लिया और मेरी गाण्ड पे हाथ से पकड़कर दबा दिया। उसका पानी निकल रहा था।
अब मैं भी चरम सीमा पे था और कुछ 5-6 झटकों के बाद मेरे लण्ड ने भी अंदर होली खेलनी चालू कर दी, और पिचकारी सीधे उसके गर्भाशय से जा टकराई।
राशि मेरा गरम वीर्य जाने से चिहुंक उठी, और खुद कूल्हे उठाकर मेरी गाण्ड को भींचने लगी। मैं उसको किस करता हुआ उसके ऊपर सो गया। मैं भी अब थोड़ा थक गया था।
राशि भी मेरे बालों को सहलाती हुई बोली- “मेरे राजा, वाह… तू ने तो कमाल कर दिया, इतना मजा आज तक मेरे पति ने भी मुझे नहीं दिया, और तुम्हारा वो गरम वीर्य, वाउ… मेरी चूत के अंदर ऐसी स्पीड से छूट रहा था जैसे की पिस्टल से गोली।
तूने तो मेरे पूरे शरीर को हल्का कर दिया। तू तो इतनी छोटी सी उमर में भी एक मर्द से कम नहीं…”
उसकी ये बात सुनकर मैं शर्मा गया। मैंने नाइट लैंप की रोशनी में उसकी चूत को देखा। वो चुदाई से एकदम सूज गई थी। मुझे खुशी हुई राशि को संतुष्ट देखकर।
राशि बोली- “आपको पता है, मैंने आज तक मेरे पति के होंठ और लण्ड को नहीं चूसा है, न ही उसने मेरी चूत को चाटा है, मालूम है क्यों?”
मैं- क्यों?
वो बोली- क्योंकी वो मादरचोद सिर्फ अपनी हवस मिटाने के लिए ही मेरे ऊपर चढ़ता है, और खुद का पानी निकलने के बाद साइड होकर सो जाता है।
कभी ये नहीं सोचता की उसकी बीवी को मजा आया की नहीं? उसका पानी छूटा की नहीं? बस उसका निकल गया तो काम खतम, और वो अपनी सफाई भी नहीं रखते हैं। जिससे मुझे उनका लण्ड लेना पसंद नहीं है।
वैसे उसने कभी मुझे दिया भी नहीं है मुँह में लेने को। और मैंने कभी बोला भी नहीं…”
मैं- भाभी, गाँव में ऐसा ही होता है, लोगों को सेक्स की पूरी जानकारी नहीं रहती। और भैया ठहरे किसान, उनको बस फसल उगाना मालूम है…”
जिससे राशि हँस पड़ी, और बोली- “चलो अब कपड़े पहन के बाहर सो जाओ, कहीं तुम्हारी चाची जाग ना जाएं…”
फिर मैंने उसे कपड़े पहनाए और खुद के कपड़े पहने।
तभी वो बोली- “रुको, मैं तुम्हारे लिए दूध लाती हूँ…”
मैं- “उसकी क्या जरूरत है? आपके पास भी तो है…”
राशि हँसती हुई बोली- “ठीक है, यही पी लो…” क्योंकी उनके चूचे वापस दूध से भर गये थे।
फिर मैंने दस मिनट उसका दूध पिया, फिर उसे किस करके मैं सोने चला गया।
रात को करीब तीन बजे मैं राशि भाभी को चोदकर मैं सोया था। थक भी गया था, मेरी आँख सुबह सीधे 9:00 बजे ही खुली। तब तक मेरे दोनों भाई खेत पे चले गये थे। मेरे बड़े भाई तो अभी शहर से आए नहीं थे, शायद आज आने वाले थे।
***** *****
सुबह उठते ही देखा की...सोनिया भाभी वहां से गुजरी और मादक नजरों से मुझे देखा और सेक्सी अंदाज में पूछा- “क्यों देवरजी, रात को बहुत थक गये थे क्या?”
मैं- हाँ भाभी।
वो- क्यों, राशि भाभी ने तुमसे बहुत मजदूरी करवाई क्या?
मैं- नहीं, बस एक गोल ही किया था।
सोनिया फिर अपने पेटीकोट के ऊपर से उसकी मुनिया को भींचती हुई बोली- मेरी कब लोगे आप?
मैं- मैं तो तैयार ही हूँ, आपकी मुनिया को मेरे मुन्ने से मिलवाने के लिए। बस आप कुछ प्लान बनाओ।
सोनिया बोली- मैं कुछ ना कुछ जुगाड़ करती हूँ। आप अपने मुन्ने को सहलाओ और बता देना की उसकी मुनिया रानी उसे जल्दी ही मिलने वाली है।
मैं- “और आप भी अपनी मुनिया के आजू-बाजू में उगी घास काट देना, क्योंकी मेरा मुन्ना जंगल में जाने से डरता है…”
सोनिया हँसने लगी, और बोली- “ठीक है, जैसी आपके मुन्ने की मर्ज़ी…” और काम में लग गई।
उधर प्रीति भी कल से मेरा लण्ड चखने के बाद बेताब थी। वो मेरे बाजू में आई और बोली- “क्यों रे देवरजी, पेट भरा की नहीं राशि से?”
मैं- हाँ भाभीजी, पूरी चूची निचोड़-निचोड़ के दूध पिया।
प्रीति- हाँ भाई, अभी तुम्हारे दिन हैं, मजे करते रहो। अब मेरी दुबारा कब बजाओगे?
मैं मजाक करते हुए- आप बोले तो अभी पटक के मारूं आपकी?
वो- नहीं नहीं, अभी नहीं। बाद में मेरे राजा। तूने तो मेरी चूत में वो आग लगा दी है की बुझती ही नहीं।
मैं- मेरा फायर फाइटर तैयार ही है, आप बस बुला लेना।
बाद में प्रीति सेक्सी मुश्कान देकर काम में जुड़ गई।
मेरी चाची बाहर थी आँगन में, तो वो कुछ सुन नहीं सकती थी। अब मैं ब्रश करके नाश्ता कर लिया। नाश्ते के वक्त राशि भाभी मेरे बाजू में ही बैठी थी, और दोनों भाभियां काम में लगी थी।
राशि ने मुझे नाश्ता देते हुए कहा- क्यों देवरजी, आज आपको आना है मेरे साथ, नहाने के लिए, तालाब पे? उधर रसीला भी आपका इंतेजार कर रही होगी…”
कहानी जारी रहेगी... बस आप लोगों के रिप्लाय का इंतज़ार है बेसब्री से..
अब आगे...
मैं- “ठीक है भाभी, आप धोने के कपड़े तैयार रखो। मैं नाश्ता करके आता हूँ। और आप बाद में मुझे रसीला के घर पे छोड़ देना…”
राशि मुश्कुरा दी- “बहुत चोदू हो गये हो राजा, कहीं इसकी आदत लग गई तो शहर वापस जाकर तकलीफ होगी…”
मैं- “मैं, यहाँ महीने में एक-दो दिन आ जाया करूँगा, संडे को छुट्टी होगी तब, आप हैं तो मुझे कोई परेशानी नहीं…”
बाद में हम दोनों तालाब पे चले गये, रास्ते में हमने तय किया की आज मैं भाभी से मस्ती ना करूं और नहाकर तुरंत ही रसीला के घर चला जाऊँ।
रसीला का घर रास्ते में जाते वक्त ही उसने मुझे दिखा दिया। जाते वक्त हम दो मिनट उधर रुके।
तभी राशि भाभी ने रसीला से पूछा- क्या कोई है घर में?
रसीला- नहीं, वो खेत पे गये है ..और सास ससुर रिश्तेदारी में गये हैं।
राशि भाभी- ठीक है, मैं देवरजी को अभी तालाब पे नहलाकर भेजती हूँ, तेरा खेत जोतने के लिए।
रसीला- “मैं तो कब से आप लोगों का इंतेजार कर रही थी। और इनके लिए मैंने अपनी मुनिया भी सजाकर तैयार रखी है… और वो भाभी के सामने देखी, और दोनों हँस पड़े।
मैं- “मैं अभी आता हूँ और देखता हूँ की कब तक आपकी मुनिया रोती नहीं है? उसका पानी ना निकाला तो मेरा नाम भी किशोर नहीं…”
जिस पर दोनों हँस पड़ी।
फिर हम तालाब चले गये। उधर और औरतें भी कल की तरह कपड़े धो रही थीं।
मुझे देखकर एक लता नाम की औरत जो की करीब 32 साल की थी वो बोली- “क्यों रे इधर क्या कर रहा है? रसीला के घर नहीं जाना है क्या, दूध पीने?”
मैं- “भाभी, मैं दूध पीता ही नहीं, निकालता भी हूँ, वो भी भोस के अंदर से। अगर आपको भी मेरा पीना है तो बोलना…”
लता तो सुनकर शर्मा ही गई और हँसकर फिर से कपड़े धोने लगी। फिर नीचे देखकर बोली- “मेरी ऐसी किस्मत कहां ...
मै- अरे मेरी प्यारी भाभी , आप तो हुक्म करो बस...
लता भाभी ने शर्मा कर मुँह छिपा लिया..
मैं कपड़े निकालकर पानी में जा रहा था और वो छुपी नजरों से मुझे देख रही थी।
मैं- लेकिन मुझे तो लगता है की आपने कुछ छोड़ा नहीं है?
वो- क्यों?
मैं- अभी ही तो आप मेरे लण्ड को घूर रही थीं, और आपकी इमारत ही बता रही है की यहाँ पे कितने मजदूरों ने काम किया है?
लता शर्म से लाल हो गई, कहा- “हाँ, कभी-कभी मस्ती हम भी कर लेते हैं। अगर थोड़ा टाइम मिले तो हमारे खेत में भी बारिश कर दो…”
मै- ठीक है भाभी , कर देंगे आपका भी कम , आप जैसा कहें... पर अभी तो मुझे रसीला भाभी के खेत में बारिश करने जाना है,
मैं फटाफट नहाकर बाहर निकला। वैसे तो मुझे भूख नहीं लगी थी लेकिन रसीला को चोदते वक्त ताकत मिलती रहे, इसलिए मैंने राशि भाभी को बोला- “मुझे थोड़ा दूध पीना है…”
जिसे सुनकर बाकी की औरतें हँसने लगी। कुछ एक-दो आज नई भी थीं, जो कल हाजिर नहीं थीं।
राशि बोली- “क्यों नहीं, इधर आ जा…” कहकर अपनी गोद में मेरी सिर रखकर अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी, और अपना एक स्तन बाहर निकालकर मुझे मुँह में दे दिया।
मैं भी छप-छप करके दूध पीने लगा। थोड़ी देर दोनों चूचों से दूध पीकर मैंने भाभी को बोला- “अब मैं चलता हूँ…”
राशि अपना ब्लाउज़ बंद करते हुए बोली- “देवरजी, शाम को ही आना। आज मैं चाची से बोल दूँगी की तुम तुम्हारे दोस्त के यहाँ बाजू के विलासपुर में गये हो…”
मैं खुश होकर- “ठीक है भाभी…” और निकल पड़ा। रास्ते में दुकान से कंडोम का पैकेट लेता गया, जो की मेरे पास अब समाप्त हो गये थे। उसका घर नजदीक आ गया था।
मैंने आजू बाजू में देखा कहीं कोई मुझे देख तो नहीं रहा है उसके घर में जाते हुए।
रसीला गेट पे खड़ी मेरी राह देख रही थी। मुझे देखकर अंदर आने को बोला।
मैं जल्दी ही अंदर घुस गया। मैंने देखा की उसने एक पतले कपड़े का ब्लाउज़ पहना था, जिसके अंदर उसने ब्रा भी पहनी थी जिसके अंदर मुझे चूचों की गोलाईयां दिख रही थीं। लेकिन उसकी स्ट्रिप्स कंधे पे नहीं जाती थीं। इस का मतलब? ओह्ह… वाउ उसने स्ट्रैपलेश ब्रा पहनी थी।
उस विचार से ही मेरा लण्ड टाइट हो गया। उसके ऊपर उसने पतली चुन्नी डाली थी जो की उसके दोनों चूचों को ढँकने के लिए काफी नहीं थी, उससे उनकी सिर्फ एक ही चूची ढकी हुई थी। दूसरी अपनी उंचाई दिखा रही थी। नीचे उसकी नाभि बिल्कुल खुली दिखती थी,
उसका छेद ऐसा था की मन करे तो उसी में लण्ड पेल दो। नाभि से नीचे उसका कोमल पेड़ू का प्रदेश चालू होता था जो सिर्फ पेटीकोट के नीचे चूत को जा मिलता था।
उसने पेटीकोट इतना नीचा पहना था की बस चूत ही दिखनी बाकी थी। अगर एक उंगली से पेटीकोट नीचे खींचे तो वो चूत की लकीर भी दिख जाए।
उसका नाड़ा साइड में था जो की अंदर घुसाया हुआ था। ब्लाउज़ का गला भी गहरा था, जिससे उसकी ब्रेस्ट लाइन आधी जितनी दिखती थी, और आधे चूचे बाहर दिख रहे थे।
चूचे के उपरी हिस्से पे ब्लाउज़ सिर्फ निपल को ही ढँक रहा था, क्योंकी निपल के आजू बाजू का पिंक एरिया, जिसे अरोला बोलते हैं वो, दिख रहा था।
निपल के एरिया में ब्लाउज़ थोड़ा गीला दिख रहा था, क्योंकी आपको मालूम है की उसे भी दूध आता था। जो मैंने पिया भी था। उसके चूतड़ क्या गजब के थे पतली सी 29” की कमर से उसका कटाव सीधा ही 36” हो जाता था।
सोचिए… 36” की गाण्ड के दो गुब्बारे कैसे दिखते होंगे? वो दो गुब्बारे इतने नजदीक थे की शायद वो किसी को भी भींचने के लिए काफी थे।
और उसका सबूत उसने मुझे अभी ही दे दिया। क्योंकी वो गुब्बारे की टाइट क्रैक में उसका पेटीकोट, पैंटी के साथ फँस गया था। लेकिन उसकी पैंटी की लाइन गुब्बारे पे तो दिख नहीं रही थी। मतलब क्या उसने पैंटी नहीं पहनी थी?
मैं रसीला के बदन को घूरने में इतना डूब गया की उसने मुझे जगाया, हिलाकर बोली- लो पानी पियो।
मैं होश में कहा था। मैंने थोड़ा पानी पिया और ग्लास को साइड में रख दिया। वो मेरे सामने खड़ी थी और मैं पलंग पे बैठा था। मैंने सीधे ही उसके चूतड़ की गोलाईयों को मेरे दोनों हाथों से खींचकर उसको मेरे करीब खींच लिया जिससे उसकी चूत की मादक खुशबू मेरी सांसों में जाने लगी।
उसके चूतड़ क्या गजब के नरम थे, एकदम नर्म। जिसे छूकर कोई भी आदमी अपनी पूरी ज़िंदगी उसे पकड़े हुए ही बिता दे।
मैं उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा, और चूत को पेटीकोट के ऊपर से ही सूंघने लगा। मेरी इस हरकत से वो भी उत्तेजित हो गई, और मेरे सिर को अपनी चूत पे दबाकर रगड़ने लगी। चूत क्या गजब थी। वहां पे शायद उसने झांटे, साफ करके कोई पर्फ्यूम लगाया था तो वो दोनों की काकटेल खुशबू मेरा लण्ड उठा रही थी।
अब मैंने उसे पलटा और मेरे मुँह को उसके चूतड़ों में डाल दिया। चूतड़ की लाइन इतनी गहरी थी की अगर वो खड़ी रहे तो पूरी उंगली भी लाइन में ना घुसा पाए, इतनी टाइट।
मैं तो बस बारी-बारी दोनों गुब्बारों को मेरे मुँह से किस कर रहा था और सूंघ रहा था। मैंने मेरे हाथ को आगे ले जाकर उसकी चूत वाले हिस्से पे रख दिया। मैं चकित था। वहां पे पैंटी पहनी लगती थी, तो फिर पीछे क्यों दिखती नहीं थी?
मैंने हाथ को चूत पे लेकर उसके ढलाव पे फेरने लगा और चूत को महसूस करने लगा। उधर पैंटी एकदम छोटी सी ही लगी। पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत पे हाथ फेरने में मुझे मजा आ रहा था। वो भी मेरी हर एक हरकत को एंजाय कर रही थी। मैंने उसकी मखमल सी चिकनी गाण्ड को सूंघना और मुँह फेरना चालू रखा।
रसीला भी अब मस्ती में आ गई थी, और हल्की हल्की सिसकी ले रही थी।
उसकी चूत को सहलाते हुए दूसरा हाथ मैं उसकी गाण्ड की दरार में घुसाने लगा। वो चिहुंक पड़ी और उसके कूल्हे खुद ही उत्तेजना में आगे बढ़ गये। मैंने महसूस किया की गाण्ड में डोरी जैसा कुछ था। ओह्ह… माई गोड… उसने एक विदेशी टाइप डोरी वाली पैंटी पहनी थी, जो आगे चूत को ढँकती है और पीछे सिर्फ डोरी जैसी होती है, इसलिये वो पैंटी की डोरी उसकी गाण्ड के अंदर घुसी हुई थी। मुझे तो मुझसे ज्यादा नशीब वाली वो पैंटी लगी जो हर वक्त उसकी गाण्ड को सूंघ सकती थी।
वाउ… ये खयाल आते ही मेरा लण्ड पूरा तन गया और मुझे उसकी गाण्ड मारने का विचार आने लगा। लेकिन मुझे पता नहीं था की उसने कभी मरवाई है या नहीं? इसलिये मैंने सीधे ही उसको पूछ लिया- “भाभी आपने कभी गाण्ड मरवाई है?”
रसीला चौंक कर- क्यों रे, इसमें थोड़े ही डालते है। ये गंदा होता है।
मैं- भाभी, गाण्ड को अगर साबुन से धोकर अंदर थोड़ा तेल डालकर मारा जाए तो वो चूत से भी ज्यादा मजा देती है।
रसीला आश्चर्य से- क्या? ऐसा भी करते हैं लोग?
मैं- हाँ भाभी, शहर में तो ये आम बात है। मेरे कई दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड की चूत और गाण्ड दोनों ही मारते हैं।
रसीला- ओह्ह… वैसा क्या? मुझे ये सब मालूम नहीं था, क्योंकी इससे पहले मैंने किसी और शहरी से चुदवाया नहीं है।
मैं- भाभी, मुझे तो आपके ये गुब्बारे देखकर अभी पहले आपकी गाण्ड मारने को दिल कर रहा है।
रसीला- नहीं, मुझे गाण्ड नहीं मरवानी। भला इतने छोटे छेद में ये इतना बड़ा कैसे जाएगा? मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा तुम्हारी बातों पे। वो तो गाण्ड फाड़ ही देगा।
मैं- नहीं भाभी, कुछ नहीं होता। मेरे सभी दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड की रोज ही तो मारते हैं। उनकी क्यों नहीं फटी? पहली बार तो सबको ही दर्द होता ही है। जैसे आपको चूत में भी हुआ होगा। हुआ था की नहीं?
रसीला- “वो तो है, लेकिन वो तुम्हें गंदी तो नहीं लगेगी ना… वैसे मैंने अभी ही साबुन से धोई है, झांटें साफ करते वक्त…” उसे बाद में पता चला की वो क्या बोली तो वो शर्मा गई।
मैं- तो फिर ठीक है। मुझे अब सिर्फ तेल ही डालना होगा आपकी गाण्ड में, जिससे चिकनी हो जाए।
वो सुनकर रसीला के मन में गुदगुदी होने लगी और उत्तेजना से उसने मेरा सिर अपनी छाती में दबा दिया। वाह… वो भी क्या एहसास था।
मैंने उससे बोला- “आप तेल लाओ…”
रसीला तुरंत किचेन में उठकर गई और तेल लेकर आई। वो तेल उसने एक पिचकारी में भरा था जो की सिलाई मशीन को तेल देने के लिए इस्तेमाल होती है। उसकी पतली सी छेद वाली डंडी मुझे दिखाकर बोली- “देखो इससे तेल डालने में आसानी होगी, और पूरा अंदर तक जाएगा…”
मैं तो ये देखकर हैरान रह गया। क्योंकी ऐसी स्मार्टनेस तो शहर की औरतों में भी नहीं होती। मैंने उसे बोला- “आपकी गाण्ड मारने से पहले मुझे थोड़ा स्तनपान तो करा दे…”
रसीला बोली- “क्यों नहीं…” उसके दोनों लड़के स्कूल गये थे, और छोटी बच्ची सो रही थी जो की दो साल की थी।
मैंने रसीला को पूछा- क्या आप अभी भी बच्चे को दूध पिलाती हैं?
रसीला- हाँ, तभी तो आ रहा है। नहीं तो बंद ना हो जाता।
मैं आश्चर्य से- “क्या ऐसा होता है की दूध ना पिलाएं तो बंद हो जाता है? मुझे तो लगता था की एक बार बच्चा हो जाने के बाद पूरी ज़िंदगी आता है…”
रसीला हँस-हँस के पागल हो गई और बोली- “अरे ऐसा थोड़े ही होता है पगले। दूध आना चालू रखने के लिए पिलाना या उसे रोज निकालना पड़ता है।
मैं- तो क्या भाभी, आपकी बच्ची पूरा दूध पी जाती है?
रसीला- नहीं रे, वो तो आधा भी नहीं पीती। बाकी का ऐसे ही ब्लाउज़ में से निकलता रहता है।
मैं- क्या भैया आपका दूध पीते हैं?
रसीला- नहीं, उसे ये पसंद नहीं है।
मैं- हाँ… लेकिन आपको तो इतना सारा दूध आ रहा है तो आप बरबाद क्यों कर रही हो?
रसीला- तो क्या करूं, तुम ही बताओ?
आप दिन में उसे निकालकर एक बर्तन में रखते रहिए, और फिर उसकी चाय बनाइए।
रसीला चौंक कर- अरे पागल, इसकी थोड़ी चाय बनाते हैं, वो तो भैंस के दूध से बनाते हैं।
मैं- लेकिन भाभी, अपने कभी कोशिश किया है क्या? आप ऐसे ही सोचेंगी तो कैसे बनेगी चाय? एक बार ट्राइ तो कीजिए, और चखिए भी। अगर अच्छी लगे तो रोज उतना दूध कम लेना पड़ेगा, और भैया का हेल्थ भी अच्छा हो जाएगा।
ऐसा सुनकर रसीला हँसकर मुश्कुरा दी। और बोली- ठीक है मैं ट्राइ करूँगी।
मैं- बाद में क्यों? अभी ही करते हैं। मैं भी तो देखूँ की आदमी के दूध की चाय कैसी होती है?
उसका मुँह शर्म से लाल हो गया। मंद-मंद मुस्कुराते हुई बोली- ठीक है।
फिर क्या था उसने थोड़ा झुक कर उसकी छाती मेरे आगे कर दी। जैसे योगा में छाती को आगे लेते हैं, वैसे। मैं तो बस उसके ये सेक्सी अंदाज से हिल गया।
मेरा लण्ड पैंट में समा नहीं रहा था। मैं उसकी छाती से पल्लू हटाकर उसके ब्लाउज़ का हुक खोलने लगा। लेकिन वो बहुत कसे थे, क्योंकी उसने अपनी छाती आगे को निकाली हुई थी, तो ब्लाउज़ उसके सीने पे टाइट हो गया था।
रसीला शायद मेरी हालत समझ गई, और वैसे ही रही। वो शायद मेरा टेस्ट ले रही थी की मैं उसे खोल पाता हूँ या नहीं? लेकिन मैंने पहला हुक खोलने के लिए ब्लाउज़ के दोनों साइड को पकड़कर खींचा और हुक को खोलने लगा। जिससे उसकी चूचियां एक दूसरे से भिड़ गईं और बीच की खाईं एकदम कम हो गई, जिसमें अगर एक उंगली भी घुसाना चाहें तो ना घुसे, और अंत में हुक खुल गया।
उसके बाद दूसरा, तीसरा करके सब हुक खोल दिया। अब उसके कबूतर रिंग वाली स्ट्रैपलेश ब्रा में कैद थे।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही हाथ फेरा तो वो कबूतर जैसे फड़फड़ाने लगे। रसीला अब आकर मेरे दोनों ओर पैर फैलाकर मेरी गोद में बैठ गई, और मेरे होंठों से अपने होंठ भींच लिए। मैं भी उसके रसीले होंठ चूसने लगा।
अब मैंने मेरी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे वो चूसने लगी। मैंने किस करते हुए मेरे हाथ पीछे लेजाकर उसके कबूतरों को आजाद करने के लिए ब्रा का हुक खोल दिया। अब ब्रा मेरे हाथों में थी। करीब 10 मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूसने के बाद हम अलग हुए तो वो हाँफने लगी, और गहरी सांसें लेने लगी।
फिर मैं उसके चूचे को हाथ में पकड़कर सहलाने लगा, और मुँह में लेकर थोड़ा दूध भी टेस्ट किया।
मैंने थोड़ा सा दूध टेस्ट करके, उसको बोला- “भाभी बर्तन लाओ। अब हम आपका दूध निकालते हैं…”
वो मेरे को एक सेक्सी मुस्कान देकर मेरी गोद में से खड़ी हुई और रसोई घर में जाकर एक बड़ा सा बाउल लेकर आई। उसने वो बाउल को पकड़ा और चूची को दबाने लगी।
मैंने बोला- “लाइए मैं निकालता हूँ…” और ऐसा बोलकर मैं उसकी चूची को दबाने लगा और उसमें से दूध निकालने लगा
जब मैं चूची को दबाता तो दूध की कई छोटी पिचकारियां निकलतीं और अलग-अलग दिशा में दूध उड़ता था। मैंने बर्तन को नजदीक रख दिया ताकि दूध बाहर ना उड़े। ऐसा करके मैं दूध निचोड़ने लगा। दोनों चूचों में से दूध निचोड़ा तो करीब ½ लीटर जितना दूध निकाला।
अब वो मेरे सामने दूध दिखाकर बोली- “तुम्हारी बात सही है, अगर इतना सारा दूध है तो चाय जरूर बनेगी। चलो रसोई में चलते हैं” बोलकर वो ऐसे ही सिर्फ पेटीकोट में ही रसोई में जाने लगी।
मैं उसके मटकते हुए चूतड़ देखने लगा, तो रसीला मुड़कर बोली- “मुझे पता है तुम्हें मेरे चूतड़ पसंद है, घूरो मत, बाद में मेरी गाण्ड मार लेना…” बोलकर हँस पड़ी।
मुझे उसकी ऐसी सेक्सी बातें सुनकर बहुत जोश चढ़ रहा था। मैं भी उसके साथ रसोई में चला गया। उसने दूध उबलने को रख दिया और अंदर चाय की पत्ती और चीनी डाला, और मेरी तरफ देखकर मुश्कुराती हुई बोली- “मैं भी पहली बार ही बना रही हूँ। पता नहीं कैसी लगेगी?”
मैं- “तुम्हारे दूध से बनेगी तो मीठी ही होगी…” फिर थोड़ी देर में चाय बन गई। ओह्ह… माई गोड… क्या टेस्ट था। एक चुस्की ली तो उसका स्वाद जैसे मेरे मुँह में ही रह गया। बहुत मस्त टेस्ट था, और वो अगर पी लें तो भैंस के दूध की चाय ही भूल जाएं, एकदम बढ़िया। मैंने उसे तुरंत गले लगाकर थैंक यू बोला।
रसीला बोली- थैंक यू किस बात का?
मैं- “तुम्हारे दूध की इतनी स्वादिष्ट चाय पिलाने का, मैं तो पूरी ज़िंदगी तुम्हारा ये टेस्ट नहीं भूल सकता…” और उसको सीधा ही लिप-किस करने लगा।
रसीला भी मेरा साथ देने लगी, और फिर से अपना पेटीकोट चारों ओर करके मेरी गोद में मेरे सामने की तरफ उसका सीना रहे,
वैसे दोनों पैरों को अलग-अलग करके बैठ गई। जिससे मेरे लण्ड से उसकी मखमली सी चिकनी चूत टच होने लगी। उसकी गाण्ड मेरी जांघों पे थी, जो की बिना कपड़े की एकदम खुली थी। क्योंकी उसकी पैंटी तो पीछे से डोरी वाली होने की वजह से पूरी गाण्ड खुली थी और वो डोरी सिर्फ उसके छेद को ही ढँकती थी।
वो भी उत्तेजना से भरी मेरे ऊपर बैठकर मेरे को किसी भूखी कुतिया की तरह चूम रही थी।
मैं भी अब पागल हो गया था उसे चोदने को। तो मैंने उसे गोद में से किस करते हुए बेड पे सुला दिया, जिससे उसकी टाँगें घुटने से मुड़ी हुई थीं, और मैं उसकी टांगों के बीच में था। तभी उसने मेरी टी-शर्ट को नीचे से पकड़कर निकाल दिया और मैंने उठाकर मेरी पैंट निकाल दिया।
मेरा लण्ड अब निक्कर में तंबू बना रहा था। रसीला ऐसा देखकर तुरंत खड़ी हुई और घुटने के ऊपर बैठकर फटाफट मेरा निक्कर खींचकर नीचे कर दिया। मैं समझ गया की वो भी सेक्स के लिए तड़प रही थी।
उसने मेरा इतना बड़ा लण्ड देखकर बोला- “हाय राम… इतना बड़ा? ऐसा लण्ड मैंने आज तक नहीं देखा…” और फटी-फटी आँखों से उसे देखने लगी, और मेरे लण्ड का सुपाड़ा मुँह में ले लिया।
मैं भी अब स्वर्ग का आनंद ले रहा था और उसके मुँह की गहराई में लण्ड पेल रहा था। वो पहले मेरा टोपा ही ले रही थी, लेकिन जब मैंने उसका सिर पकड़कर धक्का मारा तो वो समझ गई और आधे से ज्यादा लण्ड चूसने लगी।
मुझे लण्ड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था, क्योंकी उसके मुँह के अंदर की गरमाहट मेरे लण्ड को महसूस हो रही थी। होंठों की रिंग में टोपे के नीचे का मेन हिस्सा घिस रहा था, जिससे एक चूत जैसा आनंद मिल रहा था। मैंने मुँह चोदना चालू रखा। लेकिन मैं मुँह में झड़ना नहीं चाहता था। मुझे तो उसकी गाण्ड में ही झड़ना था।
इसलिये मैंने थोड़ी देर में लण्ड बाहर निकाल लिया और उसे धक्का देकर सुला दिया, उसके पेटीकोट की डोरी खींच दी, जो की हमारी प्रेमक्रीड़ा के बीच में आ रही थी। डोरी खींचकर मैंने उसकी पैंटी को सूँघा तो मेरे नथुनों में उसकी मादक महक भर गई।
रसीला की रसीली चूत एकदम गीली हो गई थी और लण्ड माँग रही थी।
मैंने उससे बोला- “मैंने बोला था ना की तुम्हारी मुनिया को रुला दूँगा। देख ये कैसे आँसू बहा रही है…”
ऐसी कामुक हालत में भी वो मुस्करा दी और बोली- “हाँ मेरे राजा, तुममें तो जादू है । तुम्हारे सिवा किसी और ने मेरी मुनिया को ऐसे रुलाया नहीं है…”
फिर मैंने उसकी डोरी वाली पैंटी भी उतार फेंकी। मैं एकदम नजदीक जाकर चूत देखने लगा की कैसी दिखती है? मैंने उसकी चूत के होंठों को छुआ और उंगली उसकी दरार में फेरने लगा।
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अब तक आप ने पढ़ा...
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ऐसी कामुक हालत में भी वो मुश्कुरा दी और बोली- “हाँ मेरे राजा, तुममें तो जादू है। तुम्हारे सिवा किसी और ने मेरी मुनिया को ऐसे रुलाया नहीं है…”
फिर मैंने उसकी डोरी वाली पैंटी भी उतार फेंकी। मैं एकदम नजदीक जाकर चूत देखने लगा की कैसी दिखती है? मैंने उसकी चूत के होंठों को छुआ और उंगली उसकी दरार में फेरने लगा.....
अब आगे...
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रसीला सिसकियां ले रही थी, और लगातार उपने कूल्हे ऊंचे करके मेरे बाबूराव को चोदने के लिए निमंत्रित कर रही थी।
मैंने धीरे से एक उंगली उसके छेद में डाल दी। चूत गीली होने की वजह से और उसके अनुभवी होने की वजह से वो आराम से अंदर चली गई।
उधर उसका पति खेत जोत रहा था और इधर मैं उसकी बीवी का।
मैं उंगली को आगे पीछे करने लगा और चूत को उंगली से चोदने लगा। अब मैंने और एक उंगली साथ में जोड़ दी जिससे उसकी चूत और चौड़ी हो गई, और धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर करने लगा।
दो उंगली जाने से उसे और मजा आ रहा था। मैं जोर-जोर से उंगली आगे पीछे करता रहा..
जिससे उसकी उत्तेजना बहुत बढ़ गई और वो कमर उचका के मेरा साथ देने लगी। उसके मुँह से- “आह्ह… आह्ह… उईईइ माँऽ” जैसी सिसकियां रुकने का नाम नहीं ले रही थीं। रसीला ने खुद मेरे हाथ को पकड़कर और स्पीड बढ़ा दी और झड़ गई।
अब मेरी बारी थी। उसकी चूत झड़ने की वजह से एकदम गीली थी, तो मैंने मेरी वो गीली उंगली धीरे से उसकी गाण्ड के छेद में डाली।
लेकिन वो बड़ी टाइट थी। फिर भी मैं उंगलियां चूत के पानी में डुबोकर गीली करते हुए बार-बार उसकी गाण्ड के छेद में डाल रहा था।
जिससे उसके मुँह से हल्की सी चीख भी निकल जाती थी, क्योंकी पहली बार उसकी गाण्ड चुद रही थी, तो वो छेद चूत से ज्यादा टाइट होगा ही।
मैंने करीब 5 मिनट तक चूत के पानी से उंगली गीली करके कोशिश की तब जाकर उसकी गाण्ड में वो घुसी।
एक बार उंगली घुसने के बाद मैंने मेरी उंगली को आगे पीछे करना चालू किया। जिससे उसको मजा आने लगा, और वो उसकी गाण्ड के फूल को कभी खोलती और कभी बंद करती।
धीरे-धीरे मेरी उंगली उसकी गाण्ड में आसानी से आने-जाने लगी तो, मैंने और एक उंगली डाली। वो भी पहले नहीं गई लेकिन लगातार कोशिश करने के बाद वो भी जाने लगी।
मैं खुश था और वो भी ये सब देख रही थी और एंजाय कर रही थी। फिर वो बोली- “किशोर मुझे तो लगता ही नहीं था की तुम मेरी गाण्ड में उंगली डाल पाओगे। क्योंकी मेरी गाण्ड का छेद बड़ा टाइट है।
लेकिन तुमने तो कमाल कर दिया…”
मैं- “अभी देखो ये लण्ड भी इतनी ही आसानी से घुसाऊँगा की आप जन्नत की सैर करेंगी…” कहकर मैंने वो तेल की डिब्बी लेकर उसकी नोक को उसकी गाण्ड में डाल दिया।
वो आराम से चली गई क्योंकी आलरेडी दो उंगली से उसका छेद अब थोड़ा चौड़ा हो गया था। फिर मैंने पिचकारी मार के उसकी गाण्ड तेल से भर दी।
डिब्बी की नोक निकलते ही गाण्ड थोड़ी सिकुड़ी और थोड़ा तेल बाहर गिर गया। लेकिन मुझे तो सिर्फ चिकनाई हो उतना ही चाहिए था।
अब मैंने हाथ में थोड़ा तेल लेकर लण्ड पे लगा दिया, मूठ मारने लगा ताकि सभी जगह पे तेल लग जाए।
फिर मैंने डिब्बी साइड में रखकर रसीला को घोड़ी बनने को बोला। क्योंकी गाण्ड मारने के लिए वो पोजीशन बेस्ट है। दूसरे पोजीशन में छेद पूरा खुलता नहीं है।
जैसे ही वो घोड़ी बनी, मैं उसके पीछे घुटनों के बल खड़ा हो गया।
मैंने उसका छेद ध्यान से देखा, थोड़ा गुलाबी और सुंदर था। उसपे मैंने उंगली फिराई तो उसका फूल अंदर सिकुड़ गया, जैसे चूहा किसी बिल में।
अब मैंने मेरा तेल से गीला टोपा उसके फूल पे रखा और उससे बोला- “भाभी, गाण्ड के फूल को थोड़ा ढीला छोड़ देना, जैसा आप टायलेट के वक्त करती हैं…” कहकर मैंने उसके छेद पे थोड़ा जोर का शाट मारा, लेकिन वो थोड़ा आगे को हो गई।
वो बोली- दुख रहा है किशोर।
मैं- “थोड़ा धीरज रखिए। कुछ नहीं होगा। बस मैं जैसे बोलूँ वैसा करिए…
” फिर मैंने बोला- “जैसे ही मैं धक्का मारूं आप अपनी गाण्ड के फूल को खोल देना…”
रसीला बोली- ठीक है।
फिर मैंने उसकी गाण्ड पे एक जोरदार धक्का मारा तो मेरे लण्ड का टोपा उसकी गाण्ड में फँस गया।
उसके मुँह से एक चीख निकल गई, और बोली- “उईईईई माँऽ ... सीईईईईईई..
निकल साले मादरचोद, मुझे गाण्ड नहीं मरवानी, भड़वे…”
मैं- “अरे रानी, अभी कुछ नहीं होगा। बस अंदर घुस ही गया है, और फिर तेल की वजह से वो इतनी मुश्किल से घुसा था वरना घुसता ही नहीं…
” फिर मैंने अपने बाडी को पीछे करके टोपे को बाहर खींचा और फिर एक शाट मारा जिससे उसकी फिर चीख निकल गई, लेकिन अब वो मुझे कोई गाली नहीं दी।
शायद इस बार उसे मजा आ रहा था। लण्ड दो इंच जितना घुस चुका था, तो मैंने अपनी कमर को हिलाना चालू किया। फिर उसको भी मजा आने लगा।
कमर हिलाने से लण्ड को आगे का रास्ता मिलता रहता था, जिससे वो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। और फिर ऐसे ही आगे पीछे करने से मेरा लण्ड अब पूरा गाण्ड में जा रहा था और मेरी दोनों गोटियां उसके कूल्हों को छू रही थीं।
रसीला बोली- “वाह रे मेरे राजा… तू तो मास्टर है। तूने तो बड़ी आराम से मेरी गाण्ड में डाला, पता ही नहीं चला की कब पूरा घुस गया।
सिर्फ टोपे के जाते वक्त मुझे दर्द हुआ था। मेरी गाण्ड में भी बहुत खुजली हो रही थी तो मैं मरवाना चाहती ही थी तुझसे। तूने बड़े आराम से लण्ड डालकर मेरी इच्छा पूरी कर दी…”
मैं उसकी बातों को सुनता हुआ अपनी मस्ती में मस्त होकर घचाघच उसकी गाण्ड को चोद रहा था। गाण्ड चोदते वक्त मैं उसकी चूत में भी उंगली डालकर हिला रहा था।
वो भी उत्तेजना के मारे आह्ह… उह्ह…
ओहहहहहहहहह् ....सीईईईईईई.....और ना जाने क्या-क्या बोलकर मेरे को उकसा रही थी।
मैं उसकी पतली कमर पकड़कर घचाघच शाट मार रहा था। फिर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी। क्योंकी अब मेरा पानी भी निकलने वाला था, तो घचाघच चोदता रहा।
तभी मेरा बाँध टूट गया और मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ना चालू कर दिया।
पिचकारी की धार इतनी तेज और गरम थी की जैसे ही अंदर गई, वो मस्ती में गाण्ड को लण्ड पे रगड़ने लगी। और 10-12 झटकों के बाद लण्ड शांत होकर अंदर ही सो गया। क्योंकी आज मैंने उसे कुँवारी गाण्ड में मेहनत करवाई थी तो, वो भी थक गया था।
फिर मैंने रसीला की गाण्ड से लण्ड निकाला और वाशरूम में चला गया। लण्ड धोकर आया तो मैंने देखा कि वो नंगी ही टाँगें चौड़ी करके लेटी थी।
मेरे लण्ड ने फिर से अंगड़ाई ली और जागने लगा क्योंकी उसका पसंदीदा रास्ता जो था, वो उसे दिख गया था तो वो अब मूड में आएगा ही।
फिर मैंने अपने लौड़े को उसके मुँह पे रख दिया, तो वो समझ गई और लण्ड को चूसने लगी। रसीला हाथों से मेरी गोटियों को भी हिला देती थी।
फिर मैंने मेरे दोनों हाथों से उसके नरम और मांसल चूचियों को दबाने लगा, तो दूध निकलकर उसके चूचों पे और पेट पे बहने लगा।
वो भी पूरे सेक्स के नशे में थी और मेरे दबाने का आनंद ले रही थी।
अब मैं उसके ऊपर 69 मुद्रा में आकर उसकी चूत चाटने लगा, और वो मेरा लण्ड चूसने लगी। उसे चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था, क्योंकी इससे पहले किसी ने उसकी चूत को चाटा ही नहीं था।
वो मजे से लोलीपोप की तरह मेरे लण्ड को पूरा का पूरा अंदर लेकर चूस रही थी। अब मेरा लण्ड फिर से उसकी मन-पसंद जगह में जाने को बेताब था। फिर मैंने चूसना छोड़कर उसको फिर से घोड़ी बनाया।
रसीला बोली- क्या फिर से गाण्ड मारने का इरादा है?
मैं- “नहीं, ये मेरा बाबूराव , अब उसकी पसंदीदा जगह में जाने को खड़ा हुआ है, जिसका वो कल से इंतेजार कर रहा था…”
रसीला भी हँसकर बोली- “तो दिखा दो ना उसे इसका रास्ता, बाकी का काम वो खुद कर लेगा…”
और फिर क्या था, मैंने उसकी चूत के छेद पे मेरा टोपा रखा और एक धक्का मारा, जिससे मेरा एक इन्च लण्ड अंदर चला गया। और उसके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई- ‘आह्ह…’
फिर मैंने उसे थोड़ा बाहर खींचकर और एक धक्का मारा जिससे वो चूत की दीवारों को चीरता हुआ 5’ इंच तक अंदर घुस गया।
और रसीला के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई, बोली- “धीरे राजा, इतना बड़ा मैंने कभी नहीं लिया है…”
मैंने फिर से लण्ड पूरा बाहर खींचकर एक जोरदार शाट मारा की वो चीखी- “उईईईई माँऽ, आह्ह… उह्ह… इस्स्स… थोड़ा धीरे मेरे राजा…”
और फिर मैं थोड़ी देर रुका और चूचियों को पीछे से हाथ डालकर पकड़कर दबाने लगा, अब मेरे लण्ड ने उस गुफा में अपनी जगह बना ली थी।
फिर मैंने मेरी अंदर-बाहर करना चालू की और धीरे-धीरे आगे पीछे करके मेरी गाण्ड हिलाकर शाट मारने लगा।
अब तक के कामुक वातावरण में रसीला इतनी उतेजित हो गई थी की 10-12 धक्कों के बाद झड़ गई।
मैंने अपने धक्के चालू ही रखे, और घचाघच धक्के मारने लगा। मेरी स्पीड राजधानी एक्सप्रेस जितनी तेज थी, जिससे वो दुबारा से उत्तेजित होकर उसके चूतड़ों को आगे-पीछे करके मेरा साथ देने लगी। और फिर… और 30-35 शाट के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
आज मेरे लण्ड ने तीनों छेदों का मजा लिया था। अब चूत चुदाई के बाद तो वो और भी निखर गया था, जैसे की एक बार और।
रसीला अब सीधी लेट गई तो मैंने उसकी चूत में लण्ड डाले ही किस्सिंग चालू कर दिया। और वो भी मेरे होंठ चूस रही थी। फिर थोड़ी देर मैंने उसके चूचे को फिर से चूसकर दूध पिया,
क्योंकी हमारी चुदाई को दो घंटा हो गया था और उसकी चूची में फिर से दूध भर गया था।
तो टूट पड़ा चूचों पर और जम कर दूध पिया ..
फिर मैंने थोड़ा दूध उसकी बेटी के लिए भी छोड़ दिया। और उसके ऊपर से उतरकर उसे निहारते हुए बोला- कैसा लगा रसीला भाभी?
रसीला बोली- “बहुत मजा आया, मैंने अपनी जिंदगी में कभी ऐसा मजा नहीं लिया है…”
फिर मैं स्माइल देकर उसे किस करके बाय बोला और उसने मुझे फिर से मिलने का वादा लिया।
मैं फिर से तालाब नहाने चला गया, और नहाकर घर गया। जब घर पहुँचा तो शाम के 5:00 बज रहे थे।
घर आते ही मैं सीधा राशि भाभी के रूम में घुस गया, और राशि भाभी को बोला- “भाभी मुझे भूख लगी है। थोड़ा दूध पिला दो ना…”
उसने बाहर झांक के देखा, चाचीजी मंदिर गई हुई थी। तो बोली जरा जल्दी करना चाची कभी भी आ सकती है,
और वो अपना ब्लाउज़ खोले लगी। फट से एक चूची मेरे मुँह में दे दिया। मैं भी और टाइम बरबाद ना करके फटाफट उसको चूसकर दूध पीने लगा।
10 मिनट मैंने पिया, तभी कुछ आहट हुई तो भाभी ने चूची मेरे मुँह से निकाल के ब्लाउज़ नीचे कर दिया और तुरंत नीचे का एक हुक बंद करके अपना पल्लू ढँक दिया।
उसने इस तरीके से और इतनी जल्दी ये सब किया की किसी को लगेगा भी नहीं की वो अभी ही मुझे दूध पिला रही थी।
अब मैं बाहर आकर खटिया पे आराम करने लगा। भूख थोड़ी शांत हो गई थी, तो पता नहीं कब थकान से मुझे नींद आ गई।
एक घंटे बाद मुझे सोनिया भाभी उठाने आई और धीरे से बोली- उठिए देवरजी, मेहनत कम किया कीजिए वरना थक जाएंगे।
मैं- क्या करूं भाभी, मेरे ऊपर अभी इतनी सारी भाभियां मेहरबान हैं की मैं किसी को ना नहीं बोल सकता।
सोनिया- तो आज आपने अपने मुन्ने को कौन सा बिल दिखाया, राशि का या प्रीति का?
मैं- दोनों का ही नहीं। आज मैंने राशि भाभी की सहेली रसीला का बिल चौड़ा किया।
सोनिया आश्चर्य से- “देवरजी, घर में इतनी सारी मुनिया आपके मुन्ने को रिझाने के लिए हैं, और आप बाहर की मुनिया को खुश कर रहे हो?”
मैं- नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं, मैं तो आप तीनों की मुनिया से खुश ही हूँ, लेकिन आज तो आपको पता ही है की सभी भाई साहब घर पे थे तो मैं आपकी मुनिया को कैसे खुश करता?
सोनिया- हाँ, वो तो है। मैं भी तो आपके मुन्ने को एक नया बिल दिखाना चाहती हूँ लेकिन मोका ही नहीं मिलता।
मैं- भाभी, कल कुछ करते हैं। लेकिन एक बात बताऊँ भाभी?
वो बोली- क्या?
मैं- आपका दूध का डिब्बा बहुत बड़ा है, मन करता है की बस।
वो- बस क्या?
मैं- बस उसको चूसकर उसका दूध पिता ही रहूँ।
दोस्तों, आप लोगों को तो पता ही है की राशि और सोनिया दोनों को, छोटे बच्चे होने की वजह से, दूध आता था। मैंने राशि का तो पी लिया था अब इसका ही बाकी था।
सोनिता बोली- तो चूसो ना, कौन मना कर रहा है?
मैं- भाभी, कल कुछ जुगाड़ करो ना? राशि भाभी का मीठा दूध पी लिया बस आपका पीना चाहता हूँ।
सोनिया बोली- कल तो होने दे, मैं भी प्यासी हूँ। कल जरूर कुछ करेंगे।
मैं- “ठीक है…” और ऐसा बोलकर मैंने धीरे से उसके चूचे को दबा दिया।
सोनिया बोली- “अभी नहीं…”
फिर हम उठ गये और रात का खाना खाने चले गये। आज रात को तो कुछ होने वाला था नहीं और वैसे भी मैं दिन में इतनी सारी चुदाई से थक गया था तो रात को आराम से सो गया।
अपडेट दे दिया है ...
आप की राय एवं सुझाव का इंतज़ार रहेगा
अब आगे....
दूसरे दिन मैं सुबह हमेशा की तरह 9:00 बजे उठा और मुँह धो लिया। मुझे अच्छी सी नींद आ गई थी और पूरी थकान उतर गई थी।
अब मैं फिर से आज दो शाट मारने को तैयार था। मुझे भूख बहुत लगी थी तो रोज की तरह मैं राशि भाभी को ढूँढ़ने लगा, लेकिन वो दिखाई नहीं दी।
तभी वहां प्रीति भाभी आई तो मैंने उससे पूछा की राशि भाभी कहां हैं?
प्रीति बोली- “क्यों ऐसा क्या काम है जो तू उसे ही ढूँढ़ रहा है?”
मैं- वो… भाभीजी मुझे बहुत भूख लगी थी, इसलिए।
प्रीति- “तो अब समझी मैं, की उसे क्यों ढूँढ़ रहे हो? वो बाहर गई है, पड़ोसी के घर। लेकिन तेरा काम मैं अभी कर देती हूँ…” वैसा बोलकर उसने सोनिया को आवाज लगाई- “सोनिया जरा यहाँ आओ तो…”
सोनिया फटाफट आई, और बोली- क्या है भाभी?
प्रीति- जरा देवरजी को भूख लगी है उसे शांत तो कर दे।
सोनिया हँसते हुए- “हाँ, भाभी…” और मेरी ओर देखकर बोली- “चलो आप मेरे कमरे में जाओ, मैं अभी चाची को देखकर आती हूँ…”
फिर क्या था, मैं तो उसके कमरे में चला गया।
थोड़ी देर बाद सोनिया आई और बोली- “आज अभी तुम्हारी चाची भी पड़ोस में कथा सुनने जा रही हैं, राशि भाभी भी उसको साथ देने उससे सीधा जुड़ जाएंगी…” और फिर मेरी ओर आँख ममैंरके बोली- “देखो, भगवान ने खुद हमारा जुगाड़ कर दिया ना?”
मैं- “हाँ भाभी, वो तो है…” अब मुझे भी भगवान पे बहुत भरोसा हो गया था, की वो सब सही ही करता है।
फिर सोनिया भाभी प्रीति भाभी से बोली- “भाभी, आप दोनों ने तो अपनी अपनी भूख शांत कर ली है देवरजी से, लेकिन मैं एक ही बाकी थी, क्या मैं भी आज वो भूख मिटा लूं?”
प्रीति भाभी- हाँ, वो भी कोई पूछने की बात है? तुम दोनों तुम्हारे कमरे में जाओ और जो करना है दोपहर तक जल्दी कर लेना। बाद में सासू माँ आ जाएंगी।
मैं तो ये सुनकर बहुत खुश था।
जैसे ही वो कमरे में आई, उसने अपनी साड़ी उतार फेंकी। और फिर वो खुद ही उसकी चूची पे हाथ फेरने लगी, जैसे बड़े पेट वाले खाने के बाद पेट पे फिरते हैं।
सोनिया बोली- “देख, इसे ही घूर रहा था ना कल? आज ये तेरे सामने है…” और वो पूरी गोलाईयों पे अपना हाथ फेरने लगी।
उसने दोनों हाथों की बिच वाली उंगली से उसके टाप वाले हिस्से को टच किया, जहां निपल होती है। और सिर्फ उसी दो उंगली से उसने अपनी चूचियों पे दबाव दिया, जैसे टिचुन टिचुन।
उसकी वो गुब्बारे जैसी नरम चूचियां ऐसे प्रेस हो रहा थीं जैसे की मखमल। फिर पूरी हथेली उसने अपने चूची पे रख दी और खुद के होठों को दांतों में दबाकर उसे सहलाने लगी, जैसे बता रही हो की देखो मेरे पास क्या है?
मैं तो उसका ये सेक्सी अंदाज देखता ही रह गया। अब उसने एक हाथ से चूची को सहलाना चालू रखकर, दूसरे हाथ को उसकी दोनों टांगों के बीच ले गई, और पूरी हथेली उस पे रख दी।
वाउ… क्या नजारा था। मैंने इतनी सेक्सी लड़की आज तक नहीं देखी थी।
उसका फिगर का साइज 36-26-36 था, जो की बहुत मस्त था। कोई हिजड़ा भी उसको चोदने को मचल जाए, तो मेरी क्या औकात थी।
फिर उसने स्टाइल में फिर से दोनों चूचे मेरे सामने ऐसे बाहर निकाले जैसे बोल रही हो, कि आओ और इसे चूसो। फिर वो थोड़ा झुक गई और पीछे मुड़ गई। जिससे अब उसकी गाण्ड मेरी तरफ थी।
वाउ… उसकी 36” की गाण्ड क्या गजब की थी। सोनिया अपने चूतड़ों को हिलाने लगी। जिससे उसके बड़े-बड़े कूल्हे लेफ्ट-राइट होने लगे। फिर उसने हिलाना बंद करके थोड़ा और नीचे झुक के नीचे पेटीकोट के किनारे को पकड़ा और ऊंचा उठाने लगी।
जिससे धीरे-धीरे उसकी मांसल जांघें दिखने लगीं, और ऊंचा उठाने से उसकी गाण्ड मेरे सामने थी, एकदम सफेद-सफेद और चिकनी। इतनी चिकनी की बस उसके कूल्हों को चूमते ही रहो। वाह… भगवान ने उसे क्या खूबसूरती दी थी।
मुझे मालूम नहीं था की सोनिया जब कपड़े उतारेगी तो ऐसा गजब का सेक्सी बदन होगा।
फिर उसने अपने हाथ को पीछे लेकर उसे गाण्ड पे रख दिया और दोनों कूल्हों को अलग करने के लिए उसे दोनों साइड खींचने लगी, जिससे उसकी गाण्ड पे से पैंटी और अंदर घुस गई, और उसके पूरे कूल्हे दिखने लगे।
बाद में उसने गाण्ड को सहलाया और फिर सीधी हो गई। फिर उसने एक हाथ से अपना पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, जिससे पेटीकोट सर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर से नीचे गिर गया। फिर पेटीकोट में से टाँगें निकाल के उसने पेटीकोट को साइड में रख दिया। अब भी वो घूमके मेरी साइड गाण्ड करके ही खड़ी थी। उसकी पिंक कलर की पैंटी से उसके चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे।
अब वो ब्लाउज़ और पैंटी में थी। उसने अब मेरी तरफ मुँह किया और मेरे सामने एक सेक्सी स्माइल दिया, और बोला- कैसा लगा मेरा स्टाइल?
मैं- “बहुत अच्छा, मुझे अब भी यकीन नहीं होता है की मैं इतनी सुंदर परी को नंगा देख रहा हूँ और अब भगवान की बनाई हुई इस सुंदर सी चूत को चोदने जा रहा हूँ…”
सोनिया अपने हुश्न की तारीफ सुनकर बहुत खुश हुई और मेरी सामने और नजदीक आ गई। अब वो मेरे सामने अपनी नशीली आँखों से आँखें मिलकर अपने हाथ को ब्लाउज़ पे ले गई और उसके हुक पे अपना हाथ रखा।
फिर थोड़ा मुस्कुराई और धीरे से एक हुक खोला… फिर दूसरा… फिर रुक गई और नीचे मुड़ी जिससे उसकी गले की खाईं और ब्लाउज़ से आधे बाहर छलकते स्तन से मेरी नजर हट ही नहीं रही थी। जी करता था कि अभी ही चूम लूँ और हाथों से मसल दूं।
लेकिन मैं भी उसकी सेक्सी हरकतों का आनंद उठाना चाहता था जो की एक स्ट्रेपटीज़ शो से कम नहीं था।
फिर उसने एक उंगली अपने मुँह में डाली और चूसी, और ऐसे मुड़े हुए ही वो उंगली उसके स्तन की गहरी खाईं में डाली।
वाह… क्या दृश्य था? क्या अदा थी उसकी? और अब वो फिर से खड़ी हुई और हाथों से दोनों स्तन सहलाने लगी, और अपनी छाती को लेफ्ट-राइट हिलाया तो उसके स्तन डोलने लगे।
मेरे लण्ड का हाल बहुत बुरा हो गया था, मन करता था की उसकी माँ चोद डालूं। साली कालगर्ल से भी बढ़िया तरीके से मुझे उकसा रही थी। फिर उसने उपने बाकी के हुक खोले और दोनों हाथों को ऊपर करके ब्लाउज़ उतार फेंका।
अब उसके गोरे-गोरे स्तन पिंक पारदर्शी ब्रा में कैद थे, जो की आधे ही ब्रा में थे, बाकी के बाहर छलकते थे। ब्रा भी क्या गजब थी… उसकी नोक पारदर्शी थी, जिसकी वजह से वहां पे काला-काला रंग दिख रहा था, जो की उसके निपल थे।
अब उसने ब्रा पहने हुए ही दोनों स्तनों को हाथों में भर लिया और दोनों को साथ में ऐसा दबाया की दूध की धार ब्रा के ऊपर से होती हुई सीधी मेरे चेहरे पे छू गई।
जिससे अब उसकी हँसी निकल गई और बोली- “देखा, मेरी पिचकारी में कितना दम है। अब तेरी पिचकारी भी देख लेते हैं। लेकिन पहले मेरे इस फड़फड़ाते कबूतरों को तो आजाद कर दे…” और ऐसा बोलकर अपने हाथों को पीछे लेकर ब्रा के हुक को खोल दिया।
और ब्रा को साइड में फेंकने ही वाली थी की मैं बोला- “लाओ, मुझे दो, मुझे उसे सूंघना है…” कहकर उसके हाथों से ब्रा लेकर मेरी नाक पे रखा और सूंघने लगा।
सोनिया सेक्सी अदा से देखने लगी। उसके सफेद-सफेद स्तन अब हवा में आजाद होकर लहरा रहे थे। उसके निपल अंगूर के साइज के थे। क्योंकी दूध पिलाने से वो बड़े हो गये थे।
मेरा सब्र अब नहीं रहा तो मैंने उन दोनों चूचों को मेरे हाथों में थाम लिया और सहलाकर उसकी गर्माहट और मुलायमपन महसूस करने लगा। माई गोड… वो इतने नरम थे की बस उसे चोदने का मन नहीं कर रहा था।
तो मैं उसे धीरे-धीरे दबाने लगा। उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी थीं। फिर मैंने उसके एक स्तन पे मेरे होंठ रख दिए, और जीभ से उसे छेड़ने लगा। उसके निपल के आजू बाजू के गुलाबी एरोला समेत उसका निपल मैंने मुँह में ले लिया।
फिर हल्के से उसे दबाया तो, ‘आह्ह’ मेरे मुँह में अमृत की धारा बहने लगी। उसका सौंदर्य किसी को भी पागल करने को काफी था। एक बच्चा होने के बावजूद भी उसकी कमर सिर्फ 26” ही थी और कमर का कटाव किसी कैटरीना कैफ से ज्यादा होगा लेकिन कम नहीं था। उस कटाव के बाद उसकी गाण्ड फट से चौड़ी हो जाती थी, जो की बहुत कम औरतों को होती है।
अब मैंने उसकी कमर से हाथ डालकर उसके दोनों कूल्हों को मेरी हथेली में भर लिया और उसे सहलाने लगा।
उसका दूध तो मैं चूस ही रहा था लेकिन साथ में उसकी गाण्ड भी सहला रहा था। गाण्ड की चमड़ी एक छोटे बच्चे के जैसी नरम-मुलायम थी। फिर मैं उसकी गाण्ड की दरार में मेरी उंगली फेरने लगा। उधर चूची में से लगातार दूध चूसना चालू ही था। मैं बारी-बारी दोनों चूचियों को चूस रहा था, ताकि दोनों निपल को एक-समान आनंद मिले।
अब मैंने उकसाते हुए कहा- क्या आप मेरी पिचकारी से होली खेलना नहीं चाहेगी?
सोनिया उत्तेजना से पागल थी ही, और ये सुनते ही उसने मेरे मुँह से चूचियों को छुड़ाकर नीचे झुक के मेरी पैंट की जिप और हुक खोल दिया और पैंट को नीचे खींचकर चड्डी के ऊपर से लण्ड को भींच दिया।
फिर सीधा मुँह लगा दिया और किस करने लगी। फिर चड्डी भी निकल दी और लण्ड की लम्बाई देखकर वो हड़बड़ा गई। उसके मुँह से निकल गया- “ओ बाप रे… इतना बड़ा? लगता है ये मेरी फाड़ ही देगा…”
मैं बोला- क्या फाड़ देगा आपकी?
सोनिया शर्माती हुई- “चूत…” और फिर उसने लण्ड का टोपा मुँह में लिया और उसका प्री-कम जीभ से चाटने लगी।
उसकी जीभ के स्पर्श से मेरे लण्ड में एक कंपन सा आ गया, और मेरा लण्ड उत्तेजना से फट से सीधा पेट में चिपक गया। वो ये देखकर और डर गई, क्योंकी अब वो पूरी लम्बाई में था, और बोली- “मुझे नहीं चुदवाना है। मेरी चूत का तो भोसड़ा बना दोगे तुम। मैं सिर्फ तुम्हारी मूठ मार दूँगी…”
मैं- “अरे भाभी… आपके अकेले के पास ही थोड़ी चूत है, जो फट जाएगी? मैं राशि और प्रीति भाभी दोनों को चोद चुका हूँ। कुछ नहीं होगा, तो डरिये मत और मेरे लण्ड का मजा लीजिए…” और ऐसा बोलकर मैंने मेरा 3-4 इंच जितना लण्ड उसके मुँह में ठूंस दिया। जिससे वो उन्ह-उन्ह करने लगी, और मैं धीरे-धीरे उसके मुँह को चोदने लगा।
जब सोनिया थक गई, तो मेरा लण्ड मुँह से निकालकर सीधा उल्टा घोड़ी की पोजीशन में आ गई। मैंने फट से लण्ड का टोपा उसकी चूत के छेद पे रख दिया और उसकी पतली कमर को पकड़ा।
उसकी गाण्ड इतनी बड़ी थी की, उसकी कमर पकड़ते ही और टोपा गाण्ड में लगाते ही जैसे मैं कोई हीरोइन को चोद रहा हूँ, वैसा अहसास होने लगा, और फिर मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया। लेकिन मेरा टोपा फिसलकर बाहर आ गया। मुझे लगता था की वो सही थी, उसने आज तक इतना बड़ा लण्ड नहीं लिया था।
मैंने फिर से टोपा छेद पे रखकर और कमर पकड़ कर जोर से धक्का मारा, जिससे मेरे लण्ड का टोपा जगह बनाकर चूत में फँस गया। लेकिन उससे उसकी चीख निकल गई। मेरी तो गाण्ड फट गई की बाहर कोई सुन ना ले। लेकिन तुरंत ही मैं रुक गया और पीछे से उसके स्तन मेरे दोनों हाथों में लेकर सहलाने लगा।
स्तन सहलाने से उसको फिर से मस्ती चढ़ने लगी। उसके मुँह से हल्की सी- “अह्ह… उह्ह… इस्स्स… प्लीज़्ज़… अब डालो…” जैसी सिसकियां निकलने लगीं।
फिर क्या था मैंने थोड़ा टोपा बाहर खींचकर फिर और एक जोरदार शाट मारा तो मेरा लौड़ा करीब 4” इंच जितना घुस गया और वो छटपटाने लगी। फिर मैंने धीरे-धीरे आगे पीछे मेरी कमर को हिलाना चालू किया, तो उसे मजा आने लगा।
मुझे उसकी चूत की दीवारों का मुलायम और गरम स्पर्श मेरे लण्ड पे एक अजीब सा आनंद दे रहा था। उसकी चूत की टाइटनेस इतनी थी की जैसे मैं उसको पहली बार ही चोद रहा हूँ, और वो भी जैसे सुहागरात मना रही हो, वैसे एंजाय करने लगी।
अब मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और उसे फचा-फच चोदने लगा। उसकी आवाजें रूम में गूँज रही थीं, और वो चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी। मेरे हर शाट पे उसके कूल्हे हिल रहे थे। कूल्हे इतने नरम थे की और वासना भड़का रहे थे।
मेरी स्पीड इतनी थी की हर धक्के पे कूल्हों पे मेरी जांघें टकराने से फट-फट की आवाजें आ रही थीं। और फिर इतनी स्पीड में वो और ज्यादा झेल ना पाई और कूल्हे पीछे करके झड़ गई। और मेरे लण्ड ने भी फक्क से पिचकारी छोड़ दी। 5-7 धक्कों के बाद मेरा लण्ड शांत हो गया, और मैं उसकी चूत में लण्ड डाले ही उसके ऊपर सो गया।
वो अभी भी हाँफ रही थी। फिर मैंने उसे थोड़ा सो किस किया और उसके बालों से खेलने लगा। थोड़ा दूध फिर से पिया। ये सेक्सी चुदाई में टाइम का पता ही नहीं चला और दो घंटे कब बीत गये पता ही नहीं चला।
फिर वो पलटी और हम लिप-किस करने लगे।
सोनिया बोली- “देवरजी, थैंक्स आपने तो मेरी बगिया को पानी से हरी भरी कर दिया। आप जब तक हो तब तक हम रोज ही करेंगे और जवानी का मजा लूटेंगे…”
मैं- “वो तो है भाभी। मैं आप तीनों को रोज जब भी टाइम मिले संतुष्ट किया करूँगा, और एक बात पुछू भाभी?”
वो बोली- क्या?
मैं- भाभी, आज तक मैंने सिर्फ आप तीनों को ही चोदा है पर किसी कुँवारी लड़की की चूत नहीं मारी। क्या कुँवारी चूत भी ऐसी ही होती है?
सोनिया- नहीं देवरजी, कुँवारी चूत तो और भी टाइट होती है, और पहली बार तो खून भी निकलता है।
मैं- “ओह्ह…” मुझे ये मालूम नहीं था। फिर मैं सोचने लगा।
सोनिया जैसे मुझे भाँप गई, और बोली- “क्या सोच रहे हो? कुँवारी चूत भी मारने की इच्छा हो गई क्या?”
मैं- सच बोलूँ तो हाँ भाभी।
सोनिया बोली- “मैं देखती हूँ, कुछ जुगाड़ करती हूँ आपके लिए। लेकिन बाद में कहीं हमें मत भूल मत जाना…”
मैं- नहीं भाभी, ऐसा भला हो सकता है कभी, की सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को ही मैं मार डालूं?
सोनिया- “इतनी सी छोटी सी उमर में भी बड़ी-बड़ी बातें कर लेते हो आप…”
फिर हम ऐसे ही बातें करते रहे, और फिर रूम से बाहर निकले।
जैसे ही हम बाहर निकले, राशि भाभी ने पूछा- “क्यों किशोर, कैसा रहा? मजा आया की नहीं? अगर ना आया हो तो बोलना और भी तरीके हैं हमारे पास…” बोलकर हँसने लगी।
मैं- “मजा तो आएगा ही ना भाभी। इतनी सारी मुनियों का प्यार जो मिल रहा है मेरे मुन्ने को…” और फिर ऐसे ही मजाक में बातें होती रहीं।
इस तरह तीन दिन में चार-चार भाभियों (राशि, प्रीति, सोनिया और राशि की सहेली रसीला) को चोदने के बाद मैं तो जैसे चोदने में मास्टर बन गया था। अब मैं अपने लण्ड को लंबे समय तक झड़ने से रोक सकता था, और सामने वाली के दो गोल हो जायें तब तक अपना एक शाट ही चालू रख सकता था।
अब तक आपने पढ़ा…
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मैं- “मजा तो आएगा ही ना भाभी। इतनी सारी मुनियों का प्यार जो मिल रहा है मेरे मुन्ने को…” और फिर ऐसे ही मजाक में बातें होती रहीं।
इस तरह तीन दिन में चार-चार भाभियों (राशि, प्रीति, सोनिया और राशि की सहेली रसीला) को चोदने के बाद मैं तो जैसे चोदने में मास्टर बन गया था। अब मैं अपने लण्ड को लंबे समय तक झड़ने से रोक सकता था, और सामने वाली के दो गोल हो जायें तब तक अपना एक शाट ही चालू रख सकता था।
अब आगे… …
दूसरे दिन सुबह में मुझे सोनिया भाभी ने जल्दी उठाया। चाचा और चाची दोनों आज बिल्कुल सबेरे ही शहर चले गये थे, रिश्तेदारों के यहाँ पर, कुछ बेचना था।
तभी सोनिया भाभी आकर मुझे बोली- “देवरजी, कैसी कटी रात? सपने में भी किसी को चोदा या नहीं?”
सुनकर सभी भाभियां हँसने लगी। मैं भी हँस दिया।
सोनिया बोली- चलो आप तैयार हो जाओ, आपको मेरे साथ मेरी माँ के घर जाना है।
मैंने पूछा- कहां है वो?
सोनिया बोली- “इधर ही आधे घंटे का रास्ता है, मैंने तुम्हारे भैया को बोल रखा था, इसलिए वो मोटरसाइकल छोड़ गये हैं, हमारे लिए…”
मैं- “लेकिन वो… आज तो भाभी आप मुझे वो…” बोलकर मैं रुक गया।
सोनिया समझ गई और बोली- “देवरजी, टेन्शन मत लो। आप सिर्फ मेरे साथ चलो। बाकी का काम मेरे ऊपर छोड़ दो…”
फिर मैं और भाभी साथ में नहाए। नहाते वक़्त भी बहुत मस्ती की। और मेरा पसंदीदा ब्रेकफास्ट (सीधा चूची का दूध) राशि भाभी और शोनिया भाभी से किया। और हम एक ही रूम में तैयार हो गये। उसने मेरे सामने ही कपड़े बदले। फिर हम बाइक पे उसकी माँ के गाँव जाने को निकले। रास्ते में वो मेरे से चिपक के बैठी थी, जिससे उसके भरी-भरी चूचियां मेरी पीठ पे दबती रहती थीं।
फाइनली जब हम वहां पहुँचे तो उनके घरवालों ने हमारा स्वागत किया। फिर जनरल बातें होती रही। थोड़ी देर बाद भाभी कहीं बाहर निकली और पीछे मुड़कर मेरे को स्माइल दिया। तो मुझे पता लग गया की मेरा काम करने ही जा रही है।
थोड़ी देर के बाद जब वो वापस आई तो मुझे अगूठा दिखाकर ‘काम हो गया’ बोला, जिसका मतलब था की मेरा काम होने वाला है।
दोपहर को खाना खाने के बाद हम आराम करने के लिए अलग कमरे में चले गये।
भाभी भी वहीं पे आ गई, और बोली- “देवरजी, लण्ड थाम के रखिये, उसकी तो आज फटने वाली है…”
मैं- “मैं तैयार ही हूँ भाभी, फाड़ने के लिए…”