8 years ago#1
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बहन की ननद

मैं किसी काम से चंडीगढ़ गया हुआ था। तो उस दिन वो काम किसी वजह से नहीं हुआ। चंडीगढ़ में मेरी बड़ी बहन रहती है। तो मैं रात को देर होने की वजह से उस के घर रुक गया। उसी दिन मेरी बहन के घर उसकी ननद आई हुई थी उस का नाम रेमु है, वो अपने पति के साथ मुंबई में रहती है वो कुछ दिनों के लिए वहां आई हुई थी। वो देखने में काफी सुंदर है
आहिस्ता - आहिस्ता क़दम उठाती हुई आगे बढ़ी, लगा जैसे बदन के सारे जोड़ ज़ंजीरें तोड़, ठुमक रहे हों और रोएँ-रोएँ से उमंगों का सोता फूट रहा हो. बदन इतना हलका जैसे धुनी हुई रुई का गोला. सामने आईने में नज़र आते अपने सरापे पर उसने नज़र डाली. एक निख़ार, एक सम्मोहन, एक हुस्न, एक लावण्य उसके पूरे वजूद को दमका रहा था. कोई जलन, कोई ज़ख़्म, कोई दाग़, किसी तरह का कोई स्याह निशान कहीं मौजूद नहीं था बल्कि बदन पर फ़िसलते हाथों ने अहसास दिलाया जैसे वह फूल की तरह मुलायम और ख़ुशबूदार है.

अपने दोनों हाथ उठाकर उसने भरपूर अँगड़ाई भरी, बदन में छाई गहरी मस्ती फूलों से भरी डाल जैसे झरी. उँगलियों को बालों के बीच फँसाकर उसने दोनों हाथों से माथे पर झुक आये बालों को पीछे की तरफ समेटा और पलकें झपकाईं. लंबे बालों के गुच्छे उसके नितंब पर लहराए. उसके होठों पर मुस्कान फैल गई. सारा बदन अनजानी गुदगुदाहट से भर गया.






और उसकी चूचीयां काफी बड़ी हैं उसकी चूचियां देखकर ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था लेकिन उस दिन वो और भी स्मार्ट लग रही थी। हम दिन में ही एक दुसरे से पूरी तरह घुल - मिल चुके थे। मैंने कई बार उसकी तरफ आँख भी मारी लेकिन वो कोई शिकायत करने की बजाए मुस्कुराने लगती थी। वो जब भी मेरे पास से निकलती अपने चूतड़ो को और तेज हिलाने लगती थी।

हम सभी रात को खाना खाने के बाद टीवी देखने लगे। मैंने देखा कि रेमु का ध्यान टीवी पर कम और मेरी तरफ़ ज्यादा है। मैंने एक दो बार उसकी आंखों में आंखें डाली तो उसने अपना ध्यान टीवी की तरफ़ कर लिया। जीजा जी को सुबह जल्दी ऑफिस जाना था इसलिए वो अपने कमरे में जाकर सो गए। दीदी को भी नींद आ रही थी इसलिए थोड़ी देर बाद वो भी दुसरे कमरे में जाकर सो गई और जाते हुए रेमु को भी अपने कमरे में सोने के लिए बोल गई। रेमु को भी दीदी के कमरे में ही सोना था। लेकिन रेमु नहीं गई। थोड़ी सी ठण्ड महसूस होने लगी मैंने रजाई अपने पैरो पर ढक ली। उस कमरे में सिर्फ मुझे ही सोना था, इसलिए वहां एक ही रजाई थी। 

रेमु ने भी अपने पैर उसी रजाई से ढक लिए। बैठे बैठे मेरा पैर अकड़ गया तो मैंने ज्यों ही अपना पैर हिलाया तो मेरा पैर रेमु के पैर से थोड़ा सा लगा मेरे अंदर करंट सा दौड़ गया और मेरा लण्ड खड़ा हो गया लेकिन उस ने कुछ नहीं कहा तो मैंने हिम्मत करके अपना पैर थोड़ा सा बढ़ाया और उस के पैर से थोड़ा और छुआ दिया, तो भी वो कुछ नहीं बोली। हम कुछ देर ऐसे ही बैठे रहे तो मैंने फिर अपना हाथ उस के पैर पर रख दिया और धीरे धीरे उस की जांघों पर ले आया लेकिन वो फिर भी कुछ नहीं बोली और टी वी देखती रही।

मैं अपना हाथ उसकी जांघों पर फिराता रहा और फिर मेरा हाथ उसकी सलवार के नाड़े तक पहुँच गया। जैसे ही मैंने उसके नाड़े को खींचना चाहा तो उस ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ गुस्से से देखा और बोली- यह क्या कर रहे हो?

उसकी यह बात सुन कर मैं डर गया और आराम से बैठ गया कैन वह दीदी से न कह दे ,मेरी तो हालत ख़राब हो गई की दीदी को पता चलेगा तो वह मेरे बारे में क्या सोचेंगी एयर कही उन्होंने घर में बता दिया तो क्या होगा ,सोच -सोच कर मेरी हालत ख़राब हो रही थी । थोड़ी देर बाद वो उठ कर अपने कमरे में सोने के लिए चली गई ,तो मेरी थोड़ी जन में जन आई और उस के जाने के कुछ देर बाद मैं भी टीवी बंद करके अपने कमरे में सोने के लिए चला गया। मैं जा कर बेड पर लेट गया, मैं रात को सिर्फ अंडरवीयर और बनियान में सोता हूँ। मेरा लण्ड खडा होने के वजह से बहुत देर मुझे नींद नहीं आई,और दर के मारे भी नींद नहीं आ रही थी , काफी देर बाद मैं सो गया।

करीब रात के २ बजे मुझे लगा कि कोई मेरे पास लेटा है जो मेरे लण्ड को हाथ में लिया हुआ है और हिला रहा है।

समझ में नहीं आया कि इतनी रात में कौन हो सकता है ? घर में तो दीदी और उसकी ननद हीहैं!

दीदी के बारे में तो मै ऐसा सोच भी नहीँ सकता . आखिर घबराते हुए मैंने ऑंखें खोली तो वैसे अँधेरे में दिख तो नहीं रहा था पर लगा की शायद वह कोमल थी।
उसे देख कर मेरी जान सूख गई कि ये कैसे आई ,मेरा हलक सूखने लगा किअब कौन सी मुसीबत टूटने वाली है l
तभी 

वो बोली कि मैं बाहर तुम पर गुस्सा हुई मुझे माफ़ कर देना, तुमने मेरा नाडा जब खोलने की कोशिश की तब से उत्तेजन्ना वश सो नही पाई तो आखिर मई तुम्हारे पास आ गई ,मैंने सोचा अब चाहे कुछ भी अब मैं तुम से चुदः कर ही शांत हो पाऊँगी , मैं कब से तुम से चुदाई करवाने की सोच रही थी, मेरा सपना आज पूरा करोगे न ।

मैं ने कहा "अरे रात में तुम मेरे पास क्यों आई हो ,किसी को पता चल गया तो ?"

उसने कहा," दिन में तो बहुत कुछ कर रहे थे अब क्या ?
जब मैं खुद आ गई हूँ तो भी तुम्हे दर लग रहा है ,वाह जी वाह !"

मैंने कहा," वो बात नहीं है ."

"तो क्या बात है "उसने पुछा .
मैंने कहा ,"अरे दिन में तो मैं मजाक कर रहा था ".
उसने कहा ,"अच्छा जी ! ये बात है .''
तभी उसने मेरा लंड पकड़ कर कहा ,"की दिन में ये भी मजाक में ही खडा था .''

इसका कोई जवाब मेरे पास नहीं था .
मैंने अपनी झेंप कम करते हुए कहा ,"अरे ! दीदी भी सो रहीं है कहीं उन्हें न पता चल जाये ".

8 years ago#2
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फिर मैंने भी उस की चूची हलके
से दबाया और फिर उन्हें अपनी मुठ्ठियों में 
भरने की कोशिश की पर उनका आकर इतना था
की वे मेरे हाथों में नहीं समां रही थी ,मुझे अहसास
हो रहा था कि मानों मेरे हाथो में थोडा नर्म 
आकर के कड़े और इतने हलके जैसे धुनी
हुई रुई के गोले है जिन्हें बहुत ही हुनर
और कारीगरी से आज के लिए बनाया गया है.
धीरे धीरे मेरे हाथ उसके बदन पर भटकने लगे 
और उसके कंधो से अपनी यात्रा करते हुए नितम्बो 
तक के सफ़र पर निकल पड़े ,इस सब से उसकी सांस 
की गति बड़ा चुकी थी अब उसने मेरे हाथ पकड लिए 
और उन्हें दबाने लगी । अब मैंने अपने हाथों में उसके हाथ ले कर 
धीरे -धीरे सहला ने लगा फिर उसकी कलाईयों को सलाते हुए उसके कन्धों 
तक पहुँच गया फिर धीरे से अपने हाथ उसकी कान्खो में घुसा दिए जिससे वह 
चिहुंक उठी ,

अब मैंने अपने हाथ धीरे धीरे उसके बदन पर फेर रहा था ,पर जन बूझकर 
हाथ उअसके स्तनों पर नहीं ले जा रहा था ,उसके पेट ,स्तनों के किनारे से ले जाकर 
कांख तक और फिर वहां से पुन निचे ले जा रहा था जिससे वह बार बार
कसमसा -कसमसा कर रह जा रही थी .

फिर मैंने उसे नंगा कर दिया,

उस ने मुझे नंगा कर दिया और शुरू हो गया हमारी चुदाई का कारनामा-

वो बोली- ठीक है !
और वो मुझे देखने लगी और अपने कपड़े खोलने
लगी, पूरे कपड़े उतारे लेकिन
पेंटी नहीं उतारी और मुझे
कहा- लो मैंने पूरे कपड़े उतार दिए, अब आप
भी कपड़े पहन कर मुझे जाने दीजिए !
मैंने कहा- नहीं ! तुमने पूरे कपड़े
नहीं उतारे !
और मैं उसके पास गया, पेंटी पर हाथ लगाया और
बोला- यह कौन उतारेगा ?
तो बोली- भैया प्लीज़ ! आपने
क़हा था कि मेरे पास नहीं आओगे !
तो मैंने क़हा- मैं तेरे पास
अपनी मर्ज़ी से नहीं आया,
तुमने
पेंटी नहीं उतारी तो मैंने
सोचा कि मैं ही उतार देता हूँ !
तो बोली- छोड़ो मुझे और जाने दो !
मैंने कहा- रानी, अभी तो शुरुआत है !
मैंने उसको बाहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। और एक
चूची मुँह लेकर चूसने लगा और एक हाथ से
उसकी पेंटी उतारने लगा।
पेंटी को घुटनों तक ले आया और हाथ
को उसकी चूत पर रखकर बोला-
कितनी प्यारी चूत है !
ऐसी चूत
तो मेरी दीदी क़ी
भी नहीं है।
अब मैं उसके मुँह को पकड़ कर चूमने लगा और उसका मुँह
खोलकर जीभ अंदर डाल कर घुमाने लगा। एक हाथ
उसकी चूत पर ही फिरा रहा था। अब
चूत से भी पानी आने लगा था और मेरे
हाथ गीले हो गए। मैंने गीला हाथ उसे
दिखाते हुए कहा- रमु, देखा अब तेरी चूत
भी साथ दे रही रही है !एक बार में एक चूची को मुंह
में दबाया और दुसरे को हाथ से मसलता रहा . थोडी देर
में दूसरी चूची का स्वाद लिया .
चुचियों का जी भर के रसोस्वदन के बाद अब
बारी थी उन के महान बुर के दर्शन का .
ज्यों ही में उन के बुर पास अपना सर ले गया मुझसे
रहा नही गया और मैंने
अपनी जीभ को उनके बुर के मुंह पर
रख दिया . स्वाद लेने की कोशिश
की तो हल्का सा नमकीन सा लगा ।
मजेदार स्वाद था . अब में पूरी बुर को अपने मुंह में
लेने की कोशिश करने लगा .
दीदी मस्त हो कर
सिसकारी निकालने लगी


फिर मैं उसकी चूची चूसने लगा और उसे दबाने लगा।
जब भी मैं उसकी चूची दबाता, वो आह-आह करती। 
फिर मैं एक हाथ से उसकी चूची दबा रहा था और एक हाथ से उसकी चूत सहला रहा था।
वो मेरा लण्ड अपने दोनों हाथो में ले कर हिला रही थी और कह रही थी-
उसके पति का लण्ड काफी छोटा है, उसने आज तक उसको संतुष्ट नहीं किया, 
आज तुम मुझे संतुष्ट जरुर करना ! पहले
अपनी बाहों से पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया ।अब
वो मेरे सामने एकदम
नंगी पड़ी थीं । पहले मैंने
उनके खुबसूरत जिस्म का अवलोकन किया ।दूध सा सफ़ेद बदन।
चुचियों की काया देखते
ही बनती थी ।
लगता था संगमरमर के पत्थर पे किसी ने गुलाब
की छोटी कली रख दिया हो।
उनकी निपल एकदम लाल थी। सपाट पेट।
पेट के नीचे मलाईदार सैंडविच की तरह
फूली हुई बुर .





यह कह कर उसने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और उसे लोलीपोप
की तरह चूसने लगी। फिर मैंने उस को सीधा लिटा दिया और उस पर सवार हो 
गया। जैसे ही मैंने उस की चूत पर अपना लण्ड रख कर एक धक्का दिया और मेरा
थोड़ा सा लण्ड उस की चूत में गया वो चिल्लाई और कहने लगी कि इसे बाहर निकालो
और मुझे धक्का मारने लगी।
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