माँ बेटे का अनौखा रिश्ता
जैसे ही रीमा ने उछलना बंद किया वैसे ही मैंने अपने चूतड हिलाने की कोशिश की पर रीमा के चूतडो का भार मेरी जाँघो पर होने से मैं इतनी आसानी से अपने चूतड नंही हिला पा रहा था। तो मैंने रीमा से कहा माँ अब तुम थोडा सा आगे झुक जाओ जिससे तुम्हारे चूतड खुल जायेंगे और गाँड के छेद मे लंड डालने मे मुझे आसानी होगी। रीमा मेरी बात मान कर आगे को झुक गयी जिससे उसकी मोटी मोटी उभारदार गोल गोल चूचीयाँ पेंडूलम कि तरह मेरे सामने लटक गयी। जैसे किसी पेड पर फल लटकते है रीमा का मस्ताना बदन पेड था और उसकी चूचीयाँ रसीला फल। गाँड मारने के साथ साथ मे उस रसीले फल को भी खाने को इच्छुक था। रीमा के झुकते ही चूतड का बोझ मेरे लंड पर से हट गया और मेरा लंड गाँड में धडा धड घुसने के लिये तैयार था। मैंने रीमा की कमर को कस के अपने हाथो मे जकडा और अपने चूतड उछलने शुरु कर दिये मेरा लंड रीमा की गाँड मे घुसने लगा रीमा के चूतड खुल गये जिसकी वजह से मुझे रीमा की गाँड मारने मे आसानी हो रही थी। रीमा ने अपने हाथ मेरी छाती के दोनो और रख दिये और पूरी तरह से मेरे बदन पर झुक गयी। ओह मेरे लाल मार मेरे गाँड साले भोसड चोद और जोर लगा कर चोद मेरी गाँड मेरी गाँड मार मार कर चूत जैसे चौडी कर दे मेरे मादरचोद। बजा मेरी गाँड का बाजा भोसडी की औलाद रंडी के पूत चोद और जोर से उसके मुँह एक भी सेंकड के लिये बंद नंही हो रहा था पता नंही क्या क्या गालियाँ बकते हुये अपनी गाँड का बाजा बजवाअ रही थी।
रीमा के आगे झुकने से उसकी मोटी पपीते जैसी चूचीयाँ मेरे मुँह के सामने लटक गयी और उसके अंगूरी घुडियाँ एक दम तन कर खडी हो गयी थी। लो माँ लो मेरा लंड अपनी गाँड मे तुम्हारा ये मादरचोद बेटा आ गाँड चोद रहा है तुम्हारी मोटे मोटे चूतडो वाली गाँड वाह क्या मस्त टाईट छेद है तुम्हारी गाँड का कैसे कस के जकड रखा है इसने मेरे लंड को जैसे इसका कोई बिछडा हुया बेटा हो मेरे लंड तो तुम्हारी गाँड मे रगड रगड घिस जायेगा श्याद। भोसड चोद बोल कम गाँड मार तेरे माँ तो मरी जा रही है आज तो रगड रगड के परखच्चे उडा दे मेरी गांड के। मैं और भी जोश के साथ गाँड मारने लगा मैं रीमा की लटकती चूची को मुँह मे भरा और उसकी घुडियाँ चूसने लगा पूरी घुंडी को मुँह मे भर कर पीने लगा मैं घुडी और उसकी आस पास का हिस्सा मुँह मे भरा और जोर जोर से चूस रहा था। चूची चूसे जाने का असर रीमा की चूत पर होने लगा। जो की रीमा के झुके होने के कारण मेरे पेट से रगड खा रही थी। रीमा की चूत गर्म हो रही थी उसकी गर्मी का अहसास मे अपने पेट पर कर रहा था। रीमा भी अपने चूतड कस के दबा कर अपनी चूत मेरे पेट के निचले हिस्से पर रगडने कि कोशिश कर रही थी। ताकि उसकी चूत को थोडी राहत मिल सके। साले भोसडी की औलाद तेरी माँ को गाँड मरवाने का मजा दे बहनचोद मेरी सेवा कर गाँडू मुझे बहुत मजा आता है गाँड मे लंड लेने मे कर दे निहाल मुझे ओह रगड जोर जोर से रगड अपनी चूत मेरे पेट पर रगडते हुये रीमा ने कहा। मैने एक चूची हो चूसते हुये दूसरी चूची को बेरहमी से मसलना शुरु कर दिया और अपने चूतड जोर जोर से उछाल रहा था रीमा तो पूरी मेरे उपर झुक गयी ताकि वह अपनी चूचीयो के सेवा करवाते हुये अपनी गाँड मरवा सके। फिर तो हमारा यह सिलसिला चल निकला मैं रीमा की गाँड जबरदस्त धक्को से मारता रहा और साथ ही साथ उसकी चूची को ज्यादा से ज्यादा मुँह मे भर कर चूसता। और चूचीयाँ बदल बदल कर एक के बेरहमी से कुटायी करता।
रीमा भी अपनी चूत मेरे पेट पर रगड रही थी पेट पर चूत रगड कर वह झडने के काफी करीब आ गयी। ओह मेरे गाँडू बेटे ओह्ह आह्ह्ह क्या चोदा तूने मुझे ओह्ह बस अब मेरा माल निकलने ही वाला है गाँडू ओह मेरा आय मेरे लाल ओह चोद मादरचोद चोद मेरी गाँड रे ओह्ह्ह मैं गयी कह कर रीमा की चूत झडने लगी। रीमा बहुत बार झड चुकी थी इसलिये इस बार उसकी चूत मे इतना रस नंही था पर फिर भी उसके रस से मेरा पेट थोडा सा गीला हो गया। रीमा अपने आप को मेरे उपर न रख सकी और उसने अपना सारा भार मेरे उपर डाल दिया। मैंने उस समय उसकी एक चूची मुँह मे घुसा रखी थी जो और भी ज्यादा मेरे मुँह मे घुस गयी। रीमा के बदन मे झडने के कारण झुरझुरी हो रही थी ओर वह मुझसे चूची चुसवाते हुये मेरे उपर पडी रही। जब रीमा के बदन मे जान आयी तो उसने अपनी चूची मेरे मुँह से निकाली और बोली ओह मेरे राजा बेटा मेरा गाँड इतनी जबरदस्त मार कर तूने मेरी बहुत ही सेवा की है तेरी माँ को अपने मादरचोद बेटे से गाँड मरवाने मे बहुत मजा आया मेरे लाल। तूने तो गाँड मार मार कर मेरा बदन हिला कर रख दिया मेरे लाल बहुत सुख मिला आज मुझे गाँड मरवा कर। ओह माँ माजा तो मुझे भी आ रहा है बहुत तुम्हारी कसी हुयी गाँड मारने मे। मेरे लंड को बहुत सुख मिल रहा है ओह मेरे बेटे तो और मार लियो मेरे गाँड में कब मना कर रही हूँ। अभी तो रात बाकी है और मैं भी कंही नंही भागी जा रही है और वैसे भी आज तेरा मजा लेने की आज ये आखरी रात है कल से तो तेरे गुलाभी भरे तडपने के दिन शुरु होने वाले है और तेरी माँ तुझे तडपाने के पूरे मजे लेगी पता नंही तुझे झडने को मिले भी या नंही इसलिये ले ले जितना मजा लेने है आज। रीमा की बात सुन कर मेरे बदन मे सिहरन दौड गयी मैं जानता था कि रीमा जो कहती है वह कर सकती है। इसका मतलब तो यही था मेरे लंड की खैर नंही। चल अब मे गाँड मरवा कर बहुत थक गयी हूँ अब थोडा आरम करते हुये गाँड मरवाऊंगी चल अब तू निकाल ले मेरा लंड मेरी गाँड मे से। आपका लंड कैसे माँ अरे भोसडचोद तू मेरा गुलाम है तू ये लंड मेरे मजे लिये हुया न तो मेरा हुया कि नंही ये अलग बात है कि ये तेरे बदन पर लगा है पर है तो मेरा तो अपना नंही कहूगी तो किसका बोलूंगी बोल बात तो ठीक है माँ तो फिर अब चल नखरा मत कर और लंड निकाल गाँड मे से।
रीमा की बात सुनकर मैंने अपना लंड रीमा की गाँड से निकाल लिया मेरा मन बिल्कुल भी ऐसा करने को नंही कर रहा था पर रीमा के बात मान कर मैंने लंड निकाल लिया। अब मुझे आराम करते हुये गाँड मरवानी है इसलिये अब मैं चित लेट जाती हूँ कह कर रीमा बिस्तर पर लेट गयी। रीमा ने गहने अभी भी पहने हुये थे कोई अप्सरा लग रही थी पूरी। फिर उसने पास से दो तकिये उठा कर अपनी कमर के नीचे रख लिये जिससे उसकी गाँड उपर उठ गयी। रीमा ने अपनी टाँगे मोड कर अपनी छाती से चिपका लीये और अपनी जाँघे पकड कर चौडी कर के खोल दी। अब रीमा की गाँड का भूरा भूरा छेद ठीक मेरी आँखो के सामने था। आ जा बेटा घुसा दे लंड अपना मेरी गाँड मे आज तूने अपनी माँ को दिन भर बहुत मजा दिया है। अब तू भी मेरी गाँड मारने का मजा ले ले। मैं रीमा को इस रूप मे देख कर और भी मस्ता गया क्या नजारा था रीमा के दोनो भारी मोटे चूतड पूरी खुले हुये थे और उसकी कसी गाँड उनके बीच मे से अपना दरवाजा खोल कर मेरे लंड को अपने अंदर बुला रही थी क्योकि उसकी इच्छा अभी पूरी नंही हुयी थी। भोसडचोद निहार क्या रहा है मेरी गाँड चल अब घुसा भोसडीके। रीमा की बात सुनकर मैंने अपने दोनो घुटने रीमा के चूतडो के दोनो और जमाये और अपना लंड रीमा की गाँड से सटा दिया। फिर अपने हाथ रीमा की जाँधो पर रखे और अपने चूतडो को जोर से आगे को धकेला जिससे मेरे लंड का सुपाडा रीमा की गाँड मे घुस गया। फिर मैंने झुक कर रीमा के मुँह को पकड कर उसके होंठो को अपने मुँह मे ले लिया और चूमने लगा। रीमा भी मेरा पूरा साथ देते हुये कस के मेरे होंठो को चूमने लगी। फिर मैंने रीमा के शरीर पर अपना पूरा भार डाल दिया और एक जोरदार धक्का लगाया और एक ही बार मैं मेरा पूरा लंड रीमा की गाँड मे समा गया।
एक दम से पूरा लंड अंदर घुस जाने से रीमा मचल उठी पर मैंने उसके होंठो को नंही छोडा और चूसता ही रहा। मैंने अपने हाथो से रीमा के बदन के अगल बगल रखे और उसके कस के जकड कर उसके होंठो को चूसने लगा। साथ ही जोरदार घक्के लगाते हुये उसकी गाँड मारनी शुरु कर दी। इसतरह रीमा पूरी तरह मेरे नीचे दब गयी। उसकी टाँगे पूरी चौडी हो चुकी थी और मैं जम कर उसकी चुदायी कर रहा था साथ ही उसके होंठ भी पीता जा रहा था। मैं अपनी जीभ रीमा के मुँह मे घुसेड कर उसकी मुँह की लार अपनी जीभ मे लपेट कर चूस लेता उसका ये मुख रस मुझे और उत्तेजित कर रहा था। रीमा भी पूरी उत्तेजित होकर मुझे अपना रस पीला रही थी। इस जबर्दस्त गाँड मरायी मे रीमा को भी मजा आ रहा था क्योकी वह भी अपने चूतड हिलाने की कोशिश कर रही थी। पर मेरे निचे दबी होने की वजह से जोर जोर से अपने चूतड नंही हिला पा रही थी पर पूरा मजा ले रही। उसकी गाँड मारने मे मुझे इतना मजा आ रहा था की लग रहा था की लंड बंधा होनेपर भी मैं झड जाऊंगा।
फिर मैं थोडा रफ्तार बदल बदल कर चोदने लगा कभी जोर से उसकी गाँड मारता तो कभी धीरे प्यार से। पर उसके मुँह को मैंने नंही छोडा और उसके मुह का थूक और लार मैं पीता रहा। मैंने अपने हाथ रीमा की चूचीयो पर रखे और उनको जोर जोर से मसलने लगा। रीमा जोर से करहाने लगी क्योकी मैं पूरी बेरहमी से उसकी चूचीयाँ मसल रहा था। पर उसके करहाने की आवाज मेरे मुँह मे दब कर रही गयी। मैं तो जैसे पागल हो गया था और रीमा की गाँड मारे जा रहा था। रीमा ने अपना बदन पूरे मेरे उपर छोड दिया था और कुछ और दर्द में भी मजे ले रही थी। रीमा की चूत भी पूरी गीली हो चुकी थी और मेरे पेट को गीला कर रही थी। मेरी झांटे उसकी चूत से रगड खा रही थी जिससे उसको और मजा आ रहा था। मैं काफी देर तक रीमा के गाँड इसी तरह रफ्तार बदल कर मारता रहा। रीमा भी मेरी झाँटो की रगडायी से दो बार झड चुकी थी। फिर उसकी चूचीयाँ पकड कर जोर जोर से उसकी गाँड मारने लगा। मैंने अब उसका मुँह छोड दिया था। हाय रे मर गयी रे बेटा तूने तो मुझे झडा झडा कर थका दिया। क्या मजा दिया है रे मेरे लाल अपनी माँ को। बेटा अब मैं थक गयी हूँ बेटा अब तो निकाल ले अपना लंड मेरी गाँड से हाय रे मेरी गाँड भी तूने दर्द कर दी। अपने नीचे दबा कर जो तूने मेरी रगडायी करी खुश कर दिया तूने अपनी माँ को ओह मेरे लाल मेरे बदन का पोर पोर दर्द कर रहा है पर इसी दर्द मे मजा आया तेरी माँ को। और कल मैं इस दर्द भरी मस्ती का अहसास तुझे करवाऊंगी।
माँ मारने दो ना मुझे तुम्हारी गाँड मुझे बहुत मजा आ रहा है तुम्हारी गाँड मारने मे आज पूरी रात तुम्हारी गाँड मार कर मैं मजा लेना चाहाता हूँ। अरे मारने दूँगी राजा मेरे पर अभी थोडी देर के लिये तो अपना लंड निकाल मेरे अंदर से। ठीक है कह कर मैंने मन मारकर एक जोरदार धक्का रीमा की गाँड की गहरायी तक लगाया और अपना लंड निकाल लिया और उठ कर रीमा के बगल में लेट गया। हम दोनो का शरीर पसीने मे भर गया था जबकि ऐसी चल रहा था। बेटा मेरे लाल आज तो तूने मुझे झडा झडा कर खुश ही कर दिया। आज पहली बार ऐसा लगा की चुदायी के बाद मेरी चूत और गाँड की खुजली कुछ कम हुयी नंही तो इतने सालो से ऐसा कभी भी नंही हुआ। माँ मुझे भी तुम्हारी गाँड मारने मे बहुत मजा आ रहा था मन कर रहा था कि बस मारता रहूँ। बेटा सच बता तूंने जो मुझे आज सुहाग रात मे जो मुझे तोहफा दिया है क्या वो सच है बेटा सच बता तू सही मे जिंदगी भर के लिये मेरा गुलाम बनकर रहेगा। तू मेरे साथ दिल्ली चल कर रहेगा जिंदगी भर के लिये। जैसा मैं कहूँगी वेसा करेगा। मैंने रीमा कि तरफ देखा और बोला माँ मैं तो हमेशा से यही चाहाता था कि तुम्हारी जैसे कोयी औरत मिले और मैं जिंदगी भर उसकी गुलामी कर संकू और जब तुमने खुद मुझसे पूछा तो जैसे मुझे स्वर्ग मिल गया हो और मैने तुमको हाँ कह दी। मैं बस अब तुम्हारा गुलाम बन कर हे जिंदगी जीना चाहाता हूँ। बेटा औरत की गुलामी के क्यी रूप होते है और औरत गुलाम से बहुत कुछ ऐसा करा सकती है जिसमे गुलाम की बहुत बेज्जती हो और यंहा तक कि जिस लंड के मजे के लिये मर्द गुलाम बनने की इच्छा रखता है उस लंड को ही मजा न मिले तुझे तो पता होगा इंटरनेट पर फेमडोम की कितनी जानकारी है क्या तू वह सब चाहाता है कि तुझे कुछ चीजे नंही पंसद। हाँ माँ मैंने सब पढा है और मैं सबके लिये तैयार हूँ तुम जो चाहो वह कर सकती हो मैं कभी भी मना नंही करूंगा। मैं जानता था कि यह कहने के बाद मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल सकती थी पर मैं रीमा के प्यार में इस तरह पागल हो गया था कि मुझे उसके रूप के सामने आज कुछ भी दिखायी नंही दे रहा था।
रीमा ने मेरा चेहरा अपने हाथो मे लेकर चूम लिया और बोली बेटा तू चिंता मत कर तेरी माँ तुझे बहुत प्यार से रखेगी तुझे किसी भी चीज की कमी नंही होने देगी मेरे लाल। तेरे लंड को इतनी चूते दिलाउंगी कि कोई गिनती ही नंही रहेगी। तेरी बात सुनकर अब मैं बहुत खुश हो गयी हूँ बेटा चल अब तेरी ये रंडी माँ तुझे झडायेगी। पर तुमने तो कहा था माँ की तुम पूरी रात मेरे लंड को खडा रखना चाहाती हो। हाँ मेरे लाल पर तेरी माँ आज बहुत खुश है। और ये तेरा ईनाम है मुझे खुश करने का। माँ अगर आपको मुझको ईनाम देना है तो आप अब उल्टी होकर लेट जाओ और मुझे जी भर कर आपकी गाँड मारने दो जब मेरा मन करेगा मैं अपना नाडा खोल कर खुद ही झड जाउंगा। ठीक है माँ। हूँ मेरे चूतडो से कुछ ज्यादा ही प्यार है मेरे लाडले को चल आज की रात मेरी गाँड तेरी जितनी मारनी है मार ले ले मैं उल्टी होकर लेट जाती हूँ। रीमा ने मेरे माथे का एक चुम्बन लिया और लेट गयी। मैंने उसके पास से तकिये उठा कर उसके पेट के नीचे रख दिये जिससे रीमा के चूतड और भी उपर हो गये।
ले बेटा मेरी गाँड मार ले अब मैं बिल्कुल तैयार हूँ। रीमा ने अपनी टाँगे खोल ली और अपने शरीर हो बिल्कुल ढीला छोड दिया। मैंने अपने हाथो से रीमा के चूतड खोले और उसकी गाँड को पहले जी भर के देखा और एक बार चूम लिया फिर अपने लंड को रीमा की गाँड पर लगा कर एक जोरदार घक्का मारा मेरा लंड एकदम फिसल कर आधा उसकी गाँड मे घुस गया। फिर उसकी माँसल कमर अपने हाथो मे पकड कर मैंने एक धक्का और मारा और मेरा पूरा लंड उसकी गाँड की जड तक उतार दिया। उसकी चूतड मेरी जाँघो से सट गये। मैं रीमा के उपर लेट गया और उसकी गर्दन पर एक चुम्बन ले लिया। बेटा अब मैं बहुत थक गयी हूँ मेरी गाँड अब तेरी है मार और मजे ले कह कर रीमा ने अपनी आँखे बंद कर ली। रीमा की पीठ का थोडी देर चुम्बन लेने के बाद मैंने रीमा के कंधे पकड कर जोर जोर से उसकी गाँड मारनी शुरु कर दी। मेरा लंड को पूरा अंदर तक घुसा कर उसकी गाँड मार रहा था। मेरा लंड आसानी से उसकी गाँड मे अंदर बाहर हो रहा था। और मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मैं कफी देर तक रीमा की गाँड इसी तरह से मारता रहा। जब थक जाता तो रुक जाता और रीमा की पीठ चूमने लगता और फिर थोडी देर बाद रीमा के गाँड की चुदायी शुरु कर देता। रीमा मेरे घक्के खाते खाते सो गयी थी। देर तक गाँड मारने की वजह से गाँड और मेरे लंड के बीच घर्षण बढ गया था इसलिये मैंने अपना लंड निकाल कर रीमा के चूतड चौडे करके उसकी गाँड पर मुँह लगा कर चाट कर फिर से गीली कर दी। और अपना लंड घुसेड दिया। करीब रात चार बजे तक रीमा कि गाँड मारता रहा। मेरा मन तो नंही कर रहा था मुझे बहुत नींद आ रही थी। इसलिये मैंने अपना लंड रीमा की गाँड से बाहर निकाला और एक बार जी भर कर रीमा की गाँड को निहारा और फिर मेरे लंड पर बंधा नाडा खोल दिया। मुझे ऐसा लगा फिर से मुझमे जान आ गयी। अब मैं झडना चाहाता था। मैंने रीमा की गाँड मे लंड डाला और जोर जोर से चोदने लगा।
मैं झडने के बिल्कुल करीब था। मेरे लंड का सुपाडा फूल कर और भी मोटा हो गया था और उसकी गाँड की दिवारो से रगड खा रहा था। मैंने अपने हाथ रीमा के नीचे डाल कर उसकी चूचीयाँ पकड कर जोर जोर से धक्का मार रहा था। फिर अचानक मेरे शरीर एकदम जोर से अकड गया और मेरे लंड से वीर्य की धारा बह पडी और रीमा की गाँड भरने लगी। मेरी आँखे मजे के अहसास मे बंद हो गयी। मैंने रीमा के बदन को कस के जकड लिया और झडता रहा। इतनी देर तक चोद कर मैं बहुत थक गया और इतनी जोर से झडा की बस जैसे स्वर्ग मे पहुँच गया हूँ। पूरा झडने के बाद मेरा बदन ढीला पड गया और मैं रीमा के बदन पर लेट गया। मैं इतना थक चुका था की मुझे कब नींद आ गयी मुझे पता ही नंही चला।
गतांक आगे ……………….
अगले दिन मुझे पता नंही कितनी देर तक मैं सोता रहा। सुबह मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे लंड से खेल रहा है और मेरा लंड मस्त खडा था। कोई बडे प्यार से अपने मुलायम हाथो से मेरे लंड को पुचकार रहा था और कभी चूम लेता। मेरे लंड के खडे होने से मेरी आँखे खुल गयी। मैंने देखा मैं बिस्तर पर चित लेटा हुया था और रीमा मेरी टाँगो के बीच घुटनो के बल बैठी थी और मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर प्यार से चूम और सहला रही थी। रीमा की भारी चूचीयाँ उसके बदन से नीचे लटक रही थी जैसे पेड पर से फल लटकते हैं। दिन काफी निकल आया था शायद दोपहर हो चली थी। रीमा ने मेरे शरीर मे हरकत देखी तो अपनी आँखे मेरी आँखो मे डाल कर बोली उठ गया बेटा। तू सो रहा था तो मैंने सोचा चल थोडी देर तेरे लंड से खेल लिया जाये। नंगा लंड बडा ही प्यारा लग रहा था। कह करे रीमा ने लंड के सुपाडे को चूम लिया। देख मैंने कैसे इसको प्यार करके खडा कर दिया।
रीमा ने मेरा लंड के सुपाडे को मुँह मे लेकर चाटने लगी। अपनी जीभ मेरे सुपाडे पर फिरा रही थी। मैं काफी देर तक सोया था इस लिये रीमा के लंड चुसना मुझे बडा अच्छा लग रहा था। और रीमा लंड भी बहुत अच्छा चूसती थी। अभी सिर्फ अपने हाथ से खेल और चूम कर ही उसने मेरा लंड इतना खडा कर दिया था। इसतरह से उठना मुझे बहुत अच्छा लगा। रीमा मेरे लंड को चूसने के साथ साथ मेरी बाल्स के साथ भी खेल रही थी। मेरी बाल्स को अपनी मुलायम उंगलियो मे पकड कर होले से सहला रही थी। उसका प्यार भरा स्पर्श पाकर मेर लंड मचल रहा था। रीमा की चूचीयाँ मेरे जाँघो से टकराती और उसकी कडी घुडियाँ जब मेरी जाँघो को छूती को एक मस्ती के लहर मेरे शरीर मे दौड जाती। रीमा अभी तक सिर्फ मेरे लंड के सुपाडे पर ही अपनी जीभ चला रही थी। और अपनी जीभ के नोक से उसको छेड रही थी। बिच मे कभी उसको चूस भी लेती। मेरी नींद अब पूरी तरह से खुलने लगी थी। ये मस्ती भरा नजारा देख कर कब तक सोता।
माँ तुम बहुत अच्छा लंड चुसती हो क्या अच्छा तरीका है नींद से जगाने का। तुम्हारे लंड को चूसते ही मेरी नींद खुल गयी। तेरा ये मुसल भी तो अच्छा है कल तूने मेरी इतनी सेवा की तो मुझे भी तो तेरा ख्याल रखना है। कह कर रीमा ने आधा लंड अपने मुँह मे घुसेड लिया और चूसने लगी। अब वह जोर जोर से चूस रही थी। मेरा लंड एकदम टनटना गया था। रीमा जोर जोर से मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर बाहर कर के चूसने लगी। धीरे धीरे वो ज्यादा से ज्यादा लंड अपने मुँह मे लेती जा रही थी। अब मैंने भी अपने चूतड हिलाने शुरु कर दिये थे और जोर से रीमा का मुँह चोदना चाहाता था। रीमा ने अपने हाथ मेरी जाँघो पर फेरे और जोर जोर से अपनी जीभ मेरे लंड पर चलाने लगी। मैंने भी अपने चूतड हिलाने शुरु कर दिये। मेरा लंड रीमा के मुँह के अंदर बाहर होने लगा। और रीमा के मुँह की नमी और गर्मी पा कर एक दम तन गया।
रीमा समझ गयी मेरा लंड अब मस्त खडा हो गया है और मेरी नींद भी खुल गयी है। उसने एक आखरी बार मेरा लंड जोर से चूस कर लंड को मुँह मे से निकाल दिया। ये क्या किया माँ मुझे बहुत मजा आ रहा था। थोडी देर और चूसती तो मैं झड जाता। तो मेरी मर्जी तू मेरा गुलाम है की नंही जो मेरा मन करेगा वही करूगीं बोल कि कल ऐसे ही मुझे खुश करने के लिये कह दिया था। हाँ माँ मैं आपका गुलाम हूँ ठीक अगर आपका मन यही है तो मुझे कोई ऐतराज नंही है। ठीक है तेरा ये टनटनाया हुआ लंड देख कर मुझे बडा अच्छा लगता है। रीमा ने प्यार से मेरे लंड को सहालाते हुये कहा। चल अब तुने मेरा गुलाम बनने का फैसला कर लिया है तो तुझे मेरे साथ दिल्ली चलना पडेगा और अपनी नौकरी छोडनी पडेगी। और दिल्ली मे मैं तुझको जिंदगी भर अपना पालतू कुत्ता बना कर रखूंगी बोल कर पायेगा मेरे लिये ये। रीमा ने ये बात एक दम से कही जब मेरा लंड पूरा खडा था। ये फैसला लेना थोडा मुशकिल था
मैनें रीमा के नंगे बदन के तरफ देखा उसका मदमस्त रुप और बदन देख कर फैसला करना आसान हो गया। मैं बडी उमर की औरत का दिवाना था और रीमा के रूप मैं मुझे बहुत ही मस्त माल मिल रहा था तो मैं कैसे छोड सकता था। मैंने रीमा के हाथ अपने हाथ मे लिये और उनको चूमता हुआ बोला मुझे मंजूर है माँ मैं आज ही अपनी बॉस को फोन कर के बता देता हूँ की मैं नौकरी छोड रहा हूँ। हाँ माँ मैं तैयार हूँ तुम्हारे साथ दिल्ली मे रहने को। मेरी बात सुनकर रीमा की आँखो मे चमक आ गयी और वह मुस्कुरा कर बोली ठीक है तो चल अभी फोन कर अपनी बॉस को और बोल के तू नौकरी छोड रहा है। मैं अभी फोन तुझे ला कर देती हूँ। रूम मे कोर्डलस फोन था रीमा उठ कर अपने चूतड मटकाते हुये टेबल तक गयी और फोन उठा लायी। उसके मटकते चूतड का नजारा मेरे लिये जन्नत के नजारे से कम नंही था। फोन मुझे देते हुये बोली ले कर फोन अपनी बॉस को और हाँ तू चिंता मत कर जाने से पहले मैं तुझको सब कुछ बताउंगी की मैं तुझको कैसे रखूंगी अपने पास मेरे मन की सारी बात तुझे बता दूंगी अगर तुझे पंसद ना हो तो तू मना कर देना पर मुझे पूरा यकिन है की तू जरुर आयेगा दिल्ली इसिलिये तेरे से फोन करा रही हूँ। अब मैं भी मस्त हो चुका था और रीमा के साथ रहने की बात से ही मैं खुश था मैंने अपनी बॉस को फोन किया और बोला मैं नौकरी छोड रहा हूँ पहले तो उसने मुझे मनाने के बहुत कोशिश की नौकरी मत छोडो पर फिर मान गयी और बोली ठीक है पर हम लोग तुम्को बहुत याद करेगें। सोमवार को आकर मुझसे बात करना तुम्हारा जल्दी ही छुट्टी करा दूंगी तकी तुम्को दिक्कत ना हो। मैंने उसको धन्यवाद किया और फोन काट दिया।
जब मैं फोन कर रहा था रीमा मेरे लंड को पकड कर खेल रही थी कभी मुँह मे लेकर चूसती तो कभी चाटती और कभी मेरे बाल्स को चाटती। और पूरे समय उसने मुझे बिल्कुल गर्म रखा। जब मैंने फोन रखा तो वह बहुत खुश हुयी और बोली चलो अब तुम्हारी जिंदगी का अच्छा समय शुरु हो रहा है। मैं आज बहुत खुश हूँ मुझे तेरे जैसे गुलाम की ही जरुरत थी और आज मेरी वह जरूरत पूरी हो गयी। रीमा मेरी गोद मैं बैठ गयी और मेरे गले मे हाथ डाल कर मेरे होंठों को चूम लिया। चल बेटा आज तुझे और ऐसे मजे कराउंगी की याद रखेगा। पर तेरे लिये तो आज दोहरी खुश खबरी है तू बडी उमर की औरतो का रसिया है ना और वह भी ऐसी औरत जो थोडी मोटी और भारी बदन के औरत हो जैसे की मैं। हाँ माँ वह तो मैं हूँ। अगर तेरे को ऐसी जगह नौकरी करने को मिले जंहा पर तेरे बॉस कोई मेरे जैसी औरत हो। तब तो माँ मैं काम ही नंही कर पाऊंगा सारे दिन मेरा लंड खडा रहेगा और खडे लंड के साथ मैं कैसे काम करूगाँ। पर अगर तेरा काम ऐसा हो जिसमे तुझे अपना लंड खडा ही रखना हो तो। ऐसे काम का मतलब तो ये हुआ की मेरे काम मे मुझे चुदायी करनी होगी। बिल्कुल सही मेरे लाल मेरा हाथ अपने मम्मो पर रखते हुये रीमा बोली। चल जरा इनको मसल और मैं उसकी चूचीयाँ मसलने लगा। मैंने तेरे लिये ऐसा ही काम ढूंढ लिया है। मेरी एक सहेली है माला जो दिल्ली मे एक कम्पनी चलाती है वह विधवा है। तो उसको तेरे जैसे जवान लंड के सख्त जरूरत है तकी वह उसकी चूत की भूख मिटा सके। मैंने उससे बात कर ली है और तेरी नौकरी उसकी यहाँ पक्की कर दी है। तेरा काम होगा उसकी चूत की सेवा करना दिनभर ओफिस मे जैसे वह कहे। बोल है न मस्त नौकरी।
बोल करेगा मेरी सहेली के यहाँ नौकरी। मैं रीमा की चूचियाँ जोर जोर से मसल रहा था जिसका असर उस पर हो रहा था उसकी चूत गीली हो रही थी जिस्से मेरी जांघे भी गीली हो रही थी। माँ जब मैंने अपने आप को आपका गुलाम मान लिया है तो फिर मुझसे पूछने की कोई जरूरत नंही आप जैसा कहोगी मैं वैसा करूंगा और अगर मैं कुछ काम पूरा नंही कर पाया तो आप जो सजा दोगी मुझे मंजूर है। तो ठीक है तो आज अभी से मैं तुझसे कुछ नंही पूछूंगी सिर्फ हुक्म दूंगी। वैसे भी मैंने माला को हाँ कह दी थी।
बिल्कुल ठीक किया माँ तुमने जब मैं अपका गुलाम बन ही चुका हूँ तो मेरी इच्छा कोई मायने नंही रखती आप को जो ठीक लगे करीये माँ। रीमा की बडी बडी चूचीयाँ दबाते हुये मैंने कहा। रीमा ने मेरा लंड अपने बदन से दबा रखा था और वह भी मस्ती मैं मचल रहा था। चल कल मैंने तुझको लंड काबू मे रखने की शिक्षा दी थी आज तेरी परीक्षा है। आज तुझे बिना झडे पूरे दिन मेरी चूत की सेवा करनी होगी तभी रात को झडने दूंगी और अगर तो बीच मे ही झड गया तो तेरा लंड नाडे से बांध कर रखूगी जब तक मैं यहाँ हूँ और झडने नंही दूगी समझ गया। हाँ माँ मैं बिल्कुल बिना झडे आज आपकी सेवा करूंगा तूने मुझे कल इतना मजा दिया इसलिये मैंने तेरे लिये एक इनाम भी सोच रखा है मुझे पता है कि तुझे इनाम बहुत पंसद आयेगा। आपने कुछ अच्छा ही सोचा होगा माँ मैंने रीमा की घुडी मसलते हुये कहा। हाँ बहुत ही मस्त सोचा है मैंने तेरे लिये। चल अब बहुत खेल लिया मेरी चूचीयो से मेरी चूत भी एक दम गीली कर दी तूने। मैंने अपने आप को कितनी देर से रोक के रखा है पर अब नंही रुका जा रहा अब मुझे मूतना है चल लेट जा बिस्तर पर मैं तुझे अपनी चूत का शरबत पीलाऊगी। मूत पीने के नाम से ही मेरा लंड मचल गया। मूत मेरे लिये किसी शराब से कम नंही था और मेरे लिये रुकना बिल्कुल नमुमकिन था। रीमा जल्दी से मेरी गोदी से उतर कर खडी हो गयी और मैं बिस्तर पर लेट गया। रीमा आयी और मेरे चहरे के दोनो और अपने पैर रख कर खडी हो गयी। फिर औरत जैसे पेशाब करती है ऐसे बैठ गयी।
बाहर और कोई नही था और मैं दरवाजा खोल कर खद हो गया मेरा लंड एक दम खडा था रजनी खाने के ट्राली लेकर अंदर आ गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया। रजनी ने होटल की वेट्रस की ड्रेस पहन रखी थी। जो की एक काले रंग की बहुत ही तंग स्कर्ट जिसमे बगल में एक सिल्ट था। वह स्कर्ट उसके बदन से एक दम चिपकी हुयी थी। रजनी भी रीमा की तरह एक भरे जिस्म के औरत थी और लगता था उसकी जाँघे मोटी थी क्योकी वह स्कर्ट के अंदर बडी मुश्किल से समा रही थी। रजनी ने ५ इंच हील की काले रंग की सैडल पहन रखी थी वह भी पेंसिल हील। और उसने काले रंग की स्टाकिंग भी पहन रखी थी। उसके उपर उसने सफेद रंग की स्लीवलस कमीज पहन रखी थी। उसकी कमीज के आगे के ३ बटन खुले हुये थी जिससे उसकी चूचीयो का कटाव साफ दिखायी दे रहा था। साथ ही साथ उसकी सफेद रंगी ब्रा भी दिख रही थी। ये बटन श्याद उसने जानबूझ कर खोले थे। उसने गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी उसके लंबे बाल जूडे में बंधे थे उसकी चूचीया भी रीमा की तरह भारी थी। उसकी बडी चूचीयाँ उसकी कमीज में नही समा पा रही थी। रजनी ने गले मे एक मोतीयो के माला पहन रखी थी जो उसकी चूचीयो तक आ रही थी। रजनी खाने की ट्रे लेकर आगे बढी तो मुझे पीछे से रजनी का चूतड दिखायी दिया। क्या मस्त चूतड था रजनी का रीमा से भी भारी चूतड थे रजनी के मैं तो उसके चूतड नंगे देखने ले लिये मचल उठा और वह जब हाय हील के सैडल पहन कर चल रही थी तो उसके चूतड मस्त मटक रहे थे। मैं भी रजनी के पीछे चलने लगा और मेरी नजर उसके चूतडो पर ही थी रजनी ने पीछे मुड कर कहा तो मेरे चूतड निहार रहे हो दीपक बेटा तुम्हारी माँ से बडे है मेरे और मस्त भी। बडा मजा देंगे तुमको।
रजनी ट्राली को डायनिंग टेबल तक ले गयी और उसे वंहा खडा कर दिया फिर रीमा के तरह मुड कर बोली लो दीदी ले आयी आपका खाना। बडा ही मस्त छोकरा है तुम्हारा दीदी क्या लंड है इसका देखो और बहुत ही चुदक्क्ड है साला आते ही मेरे चूतड निहार रहा था। रजनी रीमा के पास गयी और रीमा ने भे उसको गले लगा लिया मैं भी दूर से दोनो को मिलते हुये देख रहा था एक नंगी देह और दूसरी कपडो मे लिपटी आग मेरे लंड का तो बुरा हाल था और रीमा ने कहा था की मैं अपने लंड को सम्भाल के रखू नंही तो मेरा क्या हाल होगा उससे मेरा बदन सिहर गया था। दोनो की चूचीयाँ आपस में चिपक गयी थी। दोनो के चूचीयाँ दूसरे की चूचीयो के दबाने के कोशिश कर रही थी। गले मिलने के बाद दोनो ने अपने होंठ दूसरे के होंठों पर रखे और चूम लिया चुम्बन ज्यादा गहरा नंही था पर मेरे लिये यह पहला अनुभव था औरतो को आपस में चुम्बन लेते हुये देखने का। तेरी शिफ्ट खत्म हो गयी क्या रीमा ने पूछा हाँ और आज मेरी छुट्टी है तो कल सुबह तक मैं फ्री हूँ चुदने चूदाने के लिये। और तू ऐसे ही अपनी कमीज के बटन खोल के आ गयी रास्ते मैं किसी ने पूछा नंही तुझसे अरे अभी तेरे दरवाजे पर आकर खोले है मैं तो पूरी उतार कर आना चाहाती थी पर क्या करूं मुझे डर था कि कंही तेरा ये बेटा मेरी चूचीयाँ देख कर डर न जाये इसलिये सिर्फ तीन बटन खोले मैंने। और देख ३ बटन खोलने का ही तेरे बेटे के लंड का क्या हाल है सीधे ब्रा में छुपी चूचीयाँ दिखाती तो क्या हाल होता बिना छुये ही झड जाता बेचारा। और इसका सारा माल बर्बाद हो जाता इस जवान माल को हम इस तरह बर्बाद थोडी होने देते बोलो। धीरे धीरे खोल कर दिखायेंगे इसको जिससे इसे मजा आये और हमें भी रजनी ने कहा। रीमा ने रजनी की चूची उपर से ही दबाते हुये कहा हाँ मेरी जान तू ठीक कह रही है बडा मजा लेंगे इस लौंडे के साथ।
रजनी के हाथ भी रीमा पर चल रहे थे और वह रीमा की नंगी चूचीयो से खेल रही थी। और प्यार से उनको सहला रही थी। चल अब बहुत गर्म हो गये हम दोनो चल मैं अब खाना लगाती हूँ मिल कर खायेंगे। ठीक है। चल रे दीपक अपनी माँसी की मदद कर रीमा ने कहा ये मेरे बहन जैसी है तो तेरी माँसी हुयी न और इसकी चूत तेरे लंड की माँसी आज हम दोनो बेटो का उनकी माँसीयो से मिलन करायेंगे। वैसे तेरी माँसी मस्त है न हाँ माँ बहुत ही मस्त माँसी है चल फिर अपनी माँसी से गले मिल ले पहले अभी तक नंही मिला ना हा माँ चल रजनी जरा गले तो लग मेरे नंग धडंग बेटे से। रजनी ने थोडा आगे बढ कर अपने हाथ खोल लिये और मुझे गले लगने को कहा मैं चल कर रजनी के पास तक गया मेरा लंड उपर निचे हिल रहा था फिर मैंने रीमा की बाँहो के निचे से हाथ डाल कर रजनी को गले लगा लिया। रजनी ने भी मुझे अपनी बाँहो मे भर लिया आजा मेरे लाल लग जा गले अपनी माँसी के। रजनी ने कस के मुझे अपनी बाँहो मे जकड लिया था और उसकी मोटी चूचियाँ मेरी छाती मे चिपक कर दब गयी थी। मेरे हाथ रजनी की पीठ पर चल रहे थे और उसके माँसल बदन का अहसास मे अपने हाथो से कर रहा था। रजनी भी अपने हाथ मेरी पीठ पर चला कर मेरे नंगे बदन को महसूस कर रही थी। मेरा लंड एक दम तन कर खडा था और रजनी की स्कर्ट में छेद बनाने की कोशिश कर रहा था।
मैं अपना हाथ उसके चूतडो तक ले गया और उसके चूतड को महसूस करने लगा। क्या मोटे और गोल मटोल चूतड थे रजनी की रजनी का रंग काला था और उसके काले चूतड सोच कर मेरे लंड मे तूफान उठ गया था। मुझे काले रंगे के चूतड बहुत पंसद थे। भारी चूतडो वाली औरत मुझे बहुत भाती थी। रजनी का थोडा पेट भी निकला था इसका मतलब उसकी नाभी भी बडी गहरी होगी ये सोच कर ही मेरे शरीर में एक मस्ती की लहर दौड गयी। उसकी गहरी नाभी में जीभ घुसा कर चाटने के इच्छा मेरे अंदर जन्म लेने लगी। फिर मैंने रजनी के चूतड को हाथ मे पकड कर मसल दिया बडा ही मांसल चूतड था रजनी का दबाने में मजा आया। रजनी की कपडो मे लिपटे जिस्म को अपने नंगे जिस्म से लिपटा कर मुझे बडा ही अच्छा महसूस हुआ। रजनी भी कम नंही थी और अपने हाथो मेरे नंगे बदन पर चला रही थी और मेरे चूतड जांघे और कमर को छू कर उसको प्यार से सहला रही थी। जैसे एक औरत अपने मर्द को उत्तेजित करने के लिये करती है।
रीमा नंगी ही हुम दोनो को निहार रही थी और अपने हाथो से अपनी चूचीयो से खेल रही थी हमारा मिलन उसको उत्तेजित कर रहा था। और उसकी घुंडिया एक दम तन कर खडी थी। थोडी देर हम दोनो ऐसे ही एक दूसरे के आलिंगन मे बधे रहे और मैं रजनी के मस्त चूतडो को सहलाता हुआ उसके बदन का अहसास उसको अपने से चिपका कर करता रहा। मेरे लंड जो के एक दम तन कर खडा था और उसमे से थोडा सा पानी जो मूत्र छिद्र से निकल रहा था रजनी की स्कर्ट पर लग रहा था। अरे मेरे प्यारे बेटे अपनी माँसी को एक चुम्बन नंही देगा क्या क्या तू अपनी माँसी से पहली बार मिल रहा है और तूने मुझे अभी तक प्यार भरा एक चुम्बन भी नंही लेने दिया अपनी माँसी पंसद नंही आयी क्या मेरे लाडले रजा बेटे को। नंही माँसी आप तो बहुत ही सुंदर हो ले लो मेरा चुम्बन और जो करना है करो मै तो आपका बेटा ही हूँ क्या अपने बेटे को चुम्बन लेने के लिये आपको पूछना थोडी ही पडेगा। ये तो आप का हक है जो आपकी मर्जी वोह कर सकती है मेरे साथ। ये क्या मेरे लाल मैं सिर्फ सुंदर हूँ एक सेक्सी मस्तानी चुदक्कड औरत नंही लगती क्या तेरे को क्या माँसी के इस माँसल भरपूर मोटे जिस्म से तुझे प्यार नंही है क्या मेरा ये मस्ताना बदन जो कपडो मे नंही समा पता और बाहर निकलने को बेताब है तुझे प्यारा नंही है। तेरी माँ तो कहती है तुझे थोडी मोटी औरतें पंसद है फिर भी तूने मुझे सिर्फ सुंदर कहा या फिर इस बात से घबरा रहा था कि कंही माँसी क्या कहेगी अगर तूने ऐसे शब्दो का इसतमाल किया बोल बेटा रजनी की बात सुन कर मैं तो थोडा सकपका गया बात भी ठीक थी मैंने इसलिये उसकी सुंदरता का पूरा वर्णन नंही किया था की पता नंही रजनी क्या सोचे मेरे बारे मैं मैंने अपना सर हिला कर उसकी बात में अपने सहमती जाहिर कर दी।
अरे मेरी बहन के शर्मीले बेटे अपनी माँसी के सामने नंगा खडा है और उसके कपडो मे कैद बदन को देखकर ही तेरे लंड का ये हाल है जो कि तेरे माँसी को तेरी सारी कहानी बयान कर रहा है फिर भी तू शर्मा रहा है। अरे मेरे लाडले अपनी माँ माँसी से भी कोई शर्म करता है क्या बोल तू जो भी बोलना है तुझे और जो भी करना है तुझे कर अब कभी शर्माना नंही समझा। रीमा बहन तुमने लगता है इसकी शर्म अभी तक निकाली नंही है तभी तो देखो अभी भी लडकियो की तरह शर्मा रहा है। लगता है हम दोनो को मिल कर इसकी ये शर्म दूर करनी होगी। हाँ रजनी तू सही कह रही है कल से कह रही हूँ इसको कि इतनी शर्म काहे की पर सुनता हि नंही अब तू आ गयी है न निकाल दे इसकी शर्म। हम दोनो अभी भी एक दूसरे के आलिंगन मै बधें अभी भी खडे थे। ला अब चुम्बन तो दे की चुम्बन भी नंही देगा अपनी माँसी को पहले ही इतना तडपाया है तूने मुझे और अपनी माँ को इतने सालो हमसे दूर रहा और अब चुम्बन भी नंही दे रहा। मैं भी रजनी के होठों का चुम्बन लेने को बेताब था। रजनी के होंठ रीमा की तरह थोडे मोटे तो नंही थे पर फिर भी रस भरे थे। मैंने अपने चेहरे को आगे बढाया और रजनी के होंठो पर रख दिया और उसके होंठो का एक चुम्बन ले लिया। ये हुयी न कुछ मेरे बेटे जैसी बात सीधा मेरे होंठो पर चुम्बन लिया तूने। चल अब मैं तुझे प्यार करूगी। रजनी ने फिर मेरे चहरे पर चुम्बनो की बौछार कर दी मेरे गाल माथे पर कयी चुम्बन लिये जिससे उसकी लिप्सटिक के निशान मेरे चहरे पर बन गये।
गतांक आगे ……………….
देख कितना सुंदर लग रहा है न हमारा लाल हाँ रजनी तू ठीक कह रही है। चल अब दूर हटो तुम दोनो एक दूसरे से बडी भूख लगी है हम लोग अब खाना खाते है बडी भूख लगी है खाने के बाद दोनो प्यार से मिलना ठीक है। हम दोनो का मन तो नंही था अलग होने का पर पेट पूजा करना भी जरूरी था क्योकी बडी जोर से भूख जो लगी थी। तकी आगे होने वाली कारवाही के साथ पूरी तरह से न्याय किया जा सके। रजनी ने मेरे होठों का फिर से एक चुम्बन लिया और और मैंने उसके मोटे चूतड को हलके से मसला और हम दोनो अलग हो गये। फिर हम तीनो ने मिल कर खाना टेबल पर लगाया और दोनो ने मुझे अपने बीच मे बैठने को कहा रीमा तो पहले से ही नंगी थी पर रजनी ने अपने कपडे नंही उतारे और फिर हम ने मिल कर खाना खाया। इस बीच रजनी रीमा से पूछती रही की कल क्या हुआ और रीमा उसको बता रही थी पर जान बूझ कर उसने मूत पीने वाली बात रजनी हो नंही बतायी। और दोनो औरतो ने बडे ही प्यार से मुझे अपने हाथो से खाना भी खिलाया जैसे वो दोनो अपनी ममता मुझ पर लुटाना चाहाती हों।
वैसे रीमा दीदी ये तो नांसाफी है तुमने कल पूरे दिन अपने बेटे के साथ अकेले मजा किया और मुझे तुम्हारे साथ मिल कर मजा लेना होगा मैं तो ठीक से मिल भी ना पाऊंगी अरे मेरी जान नाराज क्यो होती है अभी खाना खा ले फिर तुम दोनो आपस में ढंग से मिल लेना और भोग लेना एक दूसरे को अच्छे से मैं बेठ कर देखूंगी और जब। और फिर अभी तो मेरा लल्ला यंही है कुछ दिन मेरे जाने के बाद बुला लियो अपने घर और जी भर के भोगना एक दूसरे को। ठीक है दीदी बात तो सही है चल जैसे तू बोले। और ये तो मेरा बेटा है माँ ही तो सिखायेगी इसको चुदायी तभी तो तेरे को मजा दे पायेगा कल तक तो बेचारे ने नंगी औरत तक नंही देखी थी चोदना तो दूर की बात है इसलिये इसको कुछ ज्ञान तो देना ही था ना नही तो तू बोलती कैसी माँ है इतना बडा हो गया लडका और अभी तक चूत चोदना भी नंही आया बोल बोलती की नंही। वह दोनो इसतरह की बाते कर रही थी और साथ ही साथ खाना भी खा रही थी और मेरे लंड के साथ भी खेल रही थी कभी रजनी मेरे लंड को हाथ मे पकड लेती तो कभी रीमा दोनो ने मेरे लंड को एकदम मस्त खडा कर रखा था। वह दोनो मुझे बिल्कुल गर्म रखाना चाहाती थी और मैंने कल देखा ही था की रीमा को लंड को तडपाने में कितना मजा आता था और मुझे लंड पर कंट्रोल सिखाने के लिये उसने मेरा लंड नाडे से भी बाँध दिया था। लगता आज भी दोनो का मेरे साथ वही करने का इरादा था पर श्याद मैं भी यही चाहाता था क्योकी मुझे भी तडपने में बहुत मजा आता था।
हम लोगो ने इसी तरह मस्ती की बांते करते हुये खाना खत्म किया और बाथरूम मे जाकर अपने हाथ धोये रजनी से सारे बर्तन ट्रे में रखे और ट्रे को कमरे के बाहर रख दिया और दरवाजे पर डू नॉट डिस्टर्ब का बोर्ड लगा दिया। अब हम लोगो को कोई भी तंग नही करेगा। और हम आराम से मजा कर सकते है चलो सोफे पर बैठते है रीमा ने कहा और खुद जाकर छोटे सोफे पर बैठ गयी और रजनी और मैं बडे सोफे पर। लो अब तुम दोनो शुरु हो जाओ फिर मत कहना की मुझे समय नंही दिया हाँ बेटा मिल ले ढंग से अपनी मासी से बडा रस है इसके बदन मे पी ले रसीला आम। रजनी और मैं एक दूसरे के बगल में बैठे थे मैंने अपने हाथ रजनी की जांघो पर रखे और उसकी और देखते हुये प्यार से उसकी जांघो पर हाथ फेरने लगा। हम दोनो के दूसरे की तरफ देख रहे थे दोनो की आँखो मे वासना भरती जा रही थी रजनी ने भी अपना हाथ मेरी नंगी जाँघ पर रख दिया था और प्यार से मेरी जाँघ को सहला रही थी उसका हाथ धीरे धीरे मेरे लंड की तरफ बढ रहा था और इन सब हरकतो के कारण अभी भी पूरी तरह मस्त तन कर एक सिपाही की तरह खडा था।
मैं भी रजनी की स्कर्ट को धीरे धीरे उपर खिसका रहा था जिससे मैं उसकी जाँघो को सही से स्पर्श कर सकूं। रजनी ने काले रंग की स्टाकिंग भी पहनी हुयी थी मैंने उसकी स्कर्ट को थोडा सा उपर कर दिया और उसकी स्टाकिंग मै कैद मोटी जाँघो पर हाथ फेरने लगा ज्यादा उपर मैं उसकी स्कर्ट को नंही कर पाया क्योकी उस्की स्कर्ट काफी टाईट थी। रजनी का हाथ भी अब मेरे लंड पर था और वह अपनी उंगलियो से उसे प्यार से सहला रही थी। कभी लंड के उपर अपनी उंगलियाँ चलाती तो कभी लंड के नीचे तो कभि मेरे टट्टो पर। रीमा की तरह रजनी को भी श्याद लंड से खेलना बहुत पंसद था। हम दोनो पूरा समय लेकर एक दूसरे के बदन का मजा लेना चाहते थे। बडा मस्त हो रहा है तेरा लंड मुझे देखकर अभी तो मैं नंगी भी नंही हुयी अभी तेरा ये हाल है तो नंगी हो गयी तो क्या होगा झड तो नंही जायेगा मुझे नग्न रुप में देख कर नंही माँसी माँ ने कल मुझे लंड खडा रखने की अच्छी शिक्षा दी है अब मैं काफी देर तक अपने लंड को संयम मे रख सकता हूँ और मैं पूरी कोशिश करूंगा की आपको पूरा मजा देने के बाद ही मेरा लंड झडे आपको बिल्कुल भी निराश नंही करूंगा माँसी। चल देखते है रीमा दीदी बडा ही आज्ञाकारी बेता है तुम्हारा देख कैसे बोल रहा है की अपने पर पूरा संयम रखूंगा रीमा की तरफ देखते हुये रजनी ने कहा रीमा सोफे पर बैठी हम लोगो को देख रही थी और अपने हाथ अपने नंगे बदन पर फिरा रही थी उसकी घुडियाँ तन कर खडी हो गयी थी। इसका मतलब था वह हम दोनो को देख कर गर्म हो रही थी।
हाँ मेरे अच्छे भाग्य की मुझे दीपक जैसा बेटा मिला जो अपनी माँ से इतना प्यार करता है कि अपने मजे पर भी काबू रखने को तैयार है। रजनी और मैं एक दूसरे के बहुत पास बैठे थे मेरी जांघे रजनी की टाँगो से स्पर्श कर रही थी। और उसकी स्टाकिंग मे लिपटे पैरो पर मेरे नंगे पैरो का स्पर्श मुझे बहुत भा रहा था और मेरे लंड को उत्तेजित भी कर रहा था। मैंने रजनी के स्कर्ट के अंदर अपना हाथ डाला और उस्की स्कर्ट को खींच कर और भी उपर कर दिया जिससे एक तरफ से उसकी स्टाकिंग जहाँ बेल्ट से जुडी थी वह दिखायी देने लगा और उसकी काली मोटी जांघे भी नग्न हो गयी। रजनी की जांघे रीमा से भी मोटी थी अगर मैं कहूँ की रजनी का बदन रीमा के बदन से हर जगह पर मोटा था तो गलत ना होगा बहुत से लोग रजनी को मोटी और बेडोल कहते पर मेरे लिये तो वह किसी अप्सरा से कम नंही थी। और आज हम दोनो वासना के पूजारी एक दूसरे को भोगने के लिये तैयार थे। मैंने रजनी की टाँगो पर अपनी टाँग रगडते हुये उसकी नंगी जांघ पर अपने हाथ को फिराने लगा मैं अपने उगलियाँ उसकी जांघ पर फिरा रहा था और कभी अपने पूरी हाथ से उसकी जांघ सहलाने लगता। इसका सीधा असर शायद उसकी चूत पर हो रहा था क्योकी अब उसके हाथ भी मेरे लंड पर जबर्दस्त जोर जोर से चल रहे थे। हम दोनो से एक दूसरे की तरफ देखा हम दोनो की आंखे नशीली हो चुकी थी और वासना की गर्मी मे धध्क रही थी। मैंने उसकी आंखो मे देखा फिर उसके होंठो की तरफ देखा जो मस्ती मे थोडे कपकपा रहे थे जो चूमे जाने को बेताब थे और रस से भरपूरे भर चुके थे और कह रहे थी आओ कोई मर्द तो आओ और अपने होंठो मे हमको भर लो और हमारे रस को पी लो।
मैं भी उनका रस पीने को बेताब था अब उन लाल लाल होंठो से दूर रहना मेरे लिये बहुत कठिन था। मैंने अपना दूसरा हाथ रजनी के गर्दन पर रखा और उसकी गर्दन पर हाथ फेरने लगा जैसे मैं उसे जता देना चाहाता था की अब मैं क्या करने वाला हूँ। वह भी मेरी इच्छा हो समझ गयी थी इसलिये उसने एक हाथ से मेरा लंड हाथ मे थामा और प्यार से धीरे धीरे मुठ मारने लगी और एक हाथ मेरी छाती पर फिराने लगी। उसकी मुलायम उंगलिया मेरी घुंडियो से भी टकरा रही थी जो कि उत्तेजना के कारण एक दम खडी हो गयी थी। थोडी देर हम दोनो एक दूसरे को निहारते रहे और जब काबू करना बिल्कुल मुश्किल हो गया तब मैंने अपने हाथो से उसकी गर्दन को अपनी और खींचा जिस्से उसका चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल पास आ गया और उसके कपकपाते होंठ बिल्कुल मेरे होंठो के सामने थे। मैंने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिये हमारे होंठ से होंठ मिल गये और हम कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे की आँखो मे आँखे डाल कर चुप चाप एक दूसरे को देखते रहे होंठो के गर्मी हमारे बदन की प्यास को और जगा रही थी। फिर मैने रजनी के होंठो का एक चुम्बन लिया और अपना हाथ उसकी जांघो से हटा कर उसकी मोटी कमर पर रख दिया और उस्की कमर को सहलाते हुये मैंने उसके होंठो पर फिर से अपने होंठ रखे और बेतहाशा उसे चूमने लगा। वह भी मुझे चूम रही थी उसने एक हाथ मेरी कमर में डाल कर मेरी पीठ सहला रही थी और दूसरा हाथ अभी लंड पर था जिस्से वह मेरे लंड का मुठ मार रही थी।
मैं उसके होंठो को अपने होंठो मे भर कर चूस रहा था कभी दोनो होंठ अपने होंठो मे भर कर चूमता तो कभी एक होंठ को रजनी भी मेरे होंठो को साथ ऐसा ही कर रही थी हम दोनो एक दूसरे के प्यार मे पागल हो रहे थे। उसकी लिप्सटिक मेरे होंठो पर लग गयी थी। मैं होंठ चूसते हुये अब उसकी कमर मसलने लगा था उसकी कमर में काफी माँस था जिसको मसलने मे मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी गर्दन से निकाल कर उसके बदन पर फेरने लगा कमर पीठ फिर मेरा हाथ जाकर उसकी मोटी चूचीयो पर ठहरा। मैंने पहले उसकी चूचीयो के मोटायी को अपनी हाथ से महसूस किया ये जानने को कोशिश की की उसकी चूचीया कितनी बडी और भारी है। उसकी चूची बहुत ही मोटी थी जो कि मेरी हथेली में नंही समा पा रही थी। थोडी देर अपना हाथ उसकी चूचीयो पर फिराने के बाद मैंने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया और फिर से उसकी गर्दन पर ले गया। और फिर मैंने उसके चेहरे को और अपनी तरफ खीच लिया हम दोनो के होंठ एक दूसरे से कस कर चिपक गये और रजनी ने तो मस्ती मे अपनी आँखे ही बंद कर ली। हम करीब १ मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे के होंठो से होंठ चिपकाये रहे क्या मस्ती थी रजनी हाथ कभी भी नंही रूका और मेरे लंड हो हिलाता ही रहा। फिर हमारे लिये साँस लेना थोडा मुश्किल हो गया तो हम एक दूसरे से अलग हुये।
बडी अच्छा चुम्बन लेता है तू तो मेरे रोम रोम मे मस्ती भर दी तेरे चुम्बन ने रजनी ने कहा हाँ रजनी ये तो बिना सिखाये ही इतना अच्छा चुम्बन लेता है लगता है ये इसके खून में है लगता है इसकी माँ बहूत बडी रंडी है जब ये पेट मे था तब भी जम कर अपने ग्राहको को खुश करती होगी तभी तो ये भी चुम्बन लेना पेट में ही सीख गया। तभी मुझे सिखाना नंही पडा ठीक कहती हो दीदी बडा ही अच्छा चुम्बन लेता है साला भोसडे की औलाद मन करता है कि बस अब चुम्बन लेते ही रहो तो और चुम्बन दो न माँसी अभी तो बस शुरुवात है बात तो तू ठीक कह रहा है वैसे भी तेरे ये रीमा माँ और मैं दोनो ही रंडीयाँ है और अगर अच्छा चुम्बन ना मिले तो हम गर्म ही नंही होती। तो मैं आपको और भी अच्छा चुम्बन दूंगा माँसी और अच्छी तरह से गर्म कर दूंगा तकी आप पूरा मजा ले सको चूदायी का हाँ चुदायी के लिये तुझे मुझे गर्म तो करना ही पडेगा तभी तो मजा आयेगा रंडी को बिना गर्म करे चोदेगा तो फिर मजा नंही आयेगा। हाँ माँसी ये तो आपने बिल्कुल सही कहा वैसे भी हम मर्दो को असली मजा तो रंडी के साथ ही आता है वह क्यों भला मेरे लाल वह इसलिये माँसी क्योकी रंडी पूरी तरह खुल कर पूरा सहयोग करते हुये जो चुदाती है तभी तो कहते है जो औरत अपने मर्द के साथ बिस्तर पर रंडी होकर चुदाती है उनके मर्द गुलाम बन कर रहते हैं अपनी औरत के जैसे मैंने अपनी रीमा माँ को वचन दिया है कि मैं जिंदगी भर उनका गुलाम बन कर रंहूगा सच दीदी रजनी ने पूछा।
हाँ रजनी दिया तो है मेरे लाल ने मुझे ये उपहार और ये है भी बडा आज्ञाकरी गुलाम बडी मुश्किल से मिलते है ऐसे मस्त चोदू गुलाम वाह दीदी तुम तो बहुत ही भाग्यवान हो की तुमको ऐसा जावान मर्द मिला वह भी इस उमर में हाँ और प्यार भी बहुत करता है ये मुझे मैं तो बहुत खुश हूँ कि मैंने इसे चुना। चलो दीदी मैं भी तो देखू इसमे क्या है की तुमने इसको चुना चल ले मेरी दीदी के गुलाम चुम्बन दे बडा मन कर रहा है। हम दोनो अभी भी एक दूसरे से चिपके बैठे थे और फिर हमारे होंठ एक दूसरे से चिपक गये। फिर मैंने अपने होंठ खोले और रजनी के दोनो होंठ अपने मुँह मे भर लिये और उनको चूसने लगा जैसे कोई रसीला आम हो और में उसका रस पी रहा हूँ। मैं रजनी के होंठो को जोर जोर से चूसने लगा मैं उसके होंठो पर अपना थूक लगता और फिर वही थूक चूस लेता रजनी को श्याद ये बहुत अच्छा लग रहा था इसलिये उसने अपने आप को थोडा ढीला छोड दिया और और खिसक के और मेरे पास आ गयी थी उसने अपना हाथ मेरी कमर मे डाल कर मुझे अपने और करीब कर लिया था श्याद वह मुझसे पूरी तरह चिपक कर बदन की गर्मी का अहसास करना चाहाती हो। मेरा हाथ भी उसकी कमर और पीठ पर चल रहा था और उसकी कमर हो कभी कभी मैं मसल कर उसके माँसल बदन का मजा लेता। रजनी के दोनो होंठ मैंने अपने मुँह मे भर रखे थे और उसको छोडने का मेरा कोई इरदा नंही था जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी कैंडी को तब तक नंही छोडता जबतक की वह खत्म न हो जाये मेरा बस चलता तो मैं श्याद मस्ती में उसके होंठो को चबा कर खा ही जाता।
काफी देर तक मैं उसके होंठो को मुँह मे भर कर चूसता रहा और रजनी किसी मूर्ती की तरह अपने होंठो को चुसवाती रही फिर मैंने उसके होंठो पर जीभ फिराना शुरु कर दिया उसके उपरी होंठ पर जीभ फिराता तो कभी निचले होंठ पर तो कभी होंठो के बीच जैसे मैं कोई कुत्ता हूँ और हड्डी चाट रहा हूँ। थोडी देर उसके होंठो के चाटाने के बाद मैंने उस्के होंठो के बीच अपनी जीभ घुसा दी और रजनी ने भी अपने होंठो को खोल कर मेरी जीभ का स्वागत किया और मैंने अपनी जीभ उसके दांतो मे फिरानी शुरु कर दी और उसके और उसकी लार को अपनी जीभ कर समेटने लगा। थोडी देर उसके दांतो पर जीभ फिराने के बाद मैंने उसकी लार को पी लिया। और अपनी जीभ फिर से उसके मुँह मे घुसेड दी रजनी मुझे जो मैं कर रहा था वह करने दे रही थी लगता था उसे इस तरह चुम्बन मे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसके होंठो के नीचे अपनी जीभ फिरानी शुरू कर दी और पहले उसके उपर वाले होंठ को अपने होंठो मे भर लिया और जीभ से उसका होंठ कुरेदने लगा साथ ही साथ अपने होंठो मे दबे उस होंठ की मोटायी का भी अंदाजा मैं लगा रहा था। मैं अपनी जीभ से उसके होंठ को अपने थूक को उसके थूक और लार से मिलाता और फिर उसके होंठ को चूस कर पी जाता बडा ही प्यार भरा चुम्बन था मेरा रजनी को जो मुझे बहुत भा गयी थी। उसका उपरी होंठ चूसने के बाद मैंने उसके नीचले होंठ के साथ भी यही किया और उसके थूक और लार को पीया मेरे लंड को भी थूक पीना बहुत भा रहा था क्योकी वह रजनी के हाथ मे कैद मस्ती मे उछल रहा था।
उसके होंठो का रस अच्छे से चूसने के बाद मैंने रजनी के मुँह मे अपनी जीभ घुसेड दी जिससे मेरी जीभ रजनी की जीभ से जा टकरायी। और हम दोनो आपस मे एक दूसरे की जीभ से जीभ लडाने लगे कभी हम एक दूसरे जीभ को दूसरे जीभ के चारो और घुमाते तो कभी जीभ के नीचे रगडते और फिर जब थूक और लार जमा हो जाता तो चूस कर पी लेते। अब तो रजनी भी जोश मे आ गयी थी और वह भी मेरे मुँह मे अपनी जीभ घुसेड कर मेरी जीभ से मेरा थूक भी पी रही थी। और जब हम दोनो लार चूसते तो एक दूसरे के होंठो को भी मुँह मे भर लेते। रीमा हमारा ये गहरा और लम्बा चुम्बन देख कर गर्म हो रही थी और खुद ही अपनी चूचीयाँ जोर जोर से मसल रही थी। श्याद उसे हमारा कल का चुम्बन याद आ रहा था। रजनी और मैं पागलो की तरह एक दूसरे के होंठ से होंठ भीडा रहे थे। मस्ती की लहर हम दोनो के बदन मै दौड रही थी। ये गहरा चुम्बन हम दोनो के बीच पनप रहे वासना भरे प्यार का संकेत था जो एक अधेड उमर की औरत को मेरे सामने अपनी सारी शर्म भूल कर नग्न होकर चुदवाने को प्रेरित कर रहा था। रजनी की चूत की गर्मी इतनी ज्यादा थी की वह भारतीय नारी अपनी लज्जा छोड कर रंडी बन चुकी थी और जावान मर्दो से चुदाती फिरती थी ताकी वह अपनी गर्म चूत को शांत रख सके और उसको थोडा सकून मिले। हम दोनो करीब दस मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे के होंठो को चूसते हुये थूक का आदान प्रदान करते रहे मेरा तो बिल्कुल भी मन नही था रजनी के होंठो को छोडने का पर अपने लंड के हाथो मे विवश था क्योकी अब मेरा लंड मेरे सपनो की रानी रजनी को नग्न रूप के देखने को बेताब था। मैंने आखरी बार रजनी के होंठो को अपने मुँह मे भरा और चूस कर उसे अपने से अलग कर दिया मजा आ गया आपके होंठ चूसने का माँसी आपके होंठ बडे ही रसीले है मन करता है बस इनको चूसता ही रहूँ पूरी दिन पर क्या करे हमारे पास उतना वक्त नंही है इसलिए जल्दी ही आपके होंठो को छोडना पडा