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ऋतु की आत्मकथा_Ritu Ki Aatmkatha

ए एक लड़की ऋतु की कहानी है। ऋतु एक खूबसूरत फिगर वाली बहुत प्यारी सी लड़की है। उसके साथ मेरा कई बार सेक्स करने का इत्तेफाक हुआ। मेरी नजर में हर रंडी के पीछे कोई ना कोई कहानी होती है। ऐसी कहानी को सुनाने के लिए मैंने उससे रिक्वेस्ट की, और बार-बार उसके पास जाता रहा। उसके पास जाने की दो वजहें थीं। एक तो वो सेक्स में बहुत मजा देती थी और दूसरा उसकी कहानी सुनाने के लिए उसे मजबूर करना।

एक दिन उसने मुझे अपनी कहानी सुनाई। जो कि मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ। इस कहानी में नाम और जगहें बदल दी गई हैं ताकि लोगों की पहचान को छुपाया जा सके। तो आइये ऋतु की जबानी उसकी कहानी सुनते हैं और मजा लेते हैं।


हाय, मेरा नाम ऋतु है और मेरी उमर 22 साल है। मेरा फिगर 32डीडी-28-36 है। मेरा ताल्लुक ताजमहल की नगरी आगरा से है। आज मैं अपनी ज़िंदगी का एक भयानक सच आपको सुनाने जा रही हूँ। हो सकता है कि आपको कुछ सबक मिले। 

मैं खूबसूरत दिखने वाली लड़की एक रंडी बुन चुकी हूँ। मेरे घर वाले और आस-पास के लोग ये नहीं जानते कि मैं क्या हूँ और क्या करती हूँ। मैं आपको ज्यादा इंतजार नहीं करवाती और सीधा कहानी पे आती हूँ। 

मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूँ। घर में मेरे अलावा एक छोटा भाई है जो मुझसे 4 साल छोटा हैं, और मेरे मम्मी पापा। ये सब उस वक्त शुरू हुआ जब मैं 19 साल की थी और जवानी मुझ पे टूट कर आई थी। उस वक्त मेरा फिगर 32सी-26-32 था। साफ रंग और कद 5’4” था। जहाँ भी जाती तो हर कोई एक बार से दूसरी बार मुझको जरूर देखता। मुझे हर तरफ अपने जिश्म पे निगाहें चुभती महसूस होतीं। हमारे घर में सबके कमरे अलग-अलग थे। निचले हिस्से में 3 कमरे और एक गेस्टरूम जबकि ऊपर के हिस्से में एक स्टोर बाकी खाली छत थी। मैं जब घर से बाहर निकलती तो बड़ी सी चादर लेकर चलती थी। 

मेरी एक बहुत क्लोज फ्रेंड जिसका नाम भावना है। उसका घर मेरे घर से 15 मिनट की ड्राइव पे है। वो अक्सर मेरे घर आती थी या मैं उसके घर चली जाती थी। वो भी मेरी तरह मध्यम वर्गीय परिवार से है और उसका कोई भाई या बहन नहीं है। उसकी माँ की मौत हो चुकी है। वो और मैं इकट्ठे स्कूल जाते और एक ही कालेज में प्रवेश भी लिया। मेरे और उसके सबजेक्ट भी कामन थे। हम गर्ल्स स्कूल और कालेज में थे, और लड़कों से हमेशा दूर ही रहे। 

मैं और भावना अक्सर आपस में किस्सिंग और रगड़ाई करते थे। हम लेज़्बियन्स नहीं थीं लेकिन एक दूसरे को मजा देने के लिए अक्सर एक दूसरे की चूचियों को रगड़ते और किस्सिंग करते। हमने एक दूसरे को कई बार टापलेस भी देखा है। लेकिन एक हद से आगे नहीं बढ़े, ताकि हमारे बीच दोस्ती का रिश्ता खराब ना हो। हमने कभी अपनी शलवार नहीं उतारी। बस शलवार के ऊपर से एक दूसरे को रगड़ करके झाड़ देते थे। अक्सर शनिवार रात को मैं उसके या वो मेरे घर आ जाती और हम साथ में पढ़ाई भी करते और एक दूसरे की आग को ठंडा भी करते। हम अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे। 

लेकिन हमें क्या पता था कि हमारे पीछे बुरी दुनियां के लूटेरे सिर उठाए खड़े हैं। 

हमारी बर्बादी तब शुरू हुई जब हमने छुट्टियों में ट्यूशन सेंटर जाय्न किया। मुझे और भावना को पापा ने रिक्शा लगवा दिया। हम शाम 4:00 बजे घर से जाते, 4:30 से 7:30 बजे तक हमारी क्लासेस होती और 8:00 बजे हम घर आ जाते। रिक्शे वाला एक 45 साल का आदमी था जिसकी बहुत मजबूत बाडी थी और काफी सेहत मंद था। 

वो पहले भावना को लेने जाता और फिर मुझे लेकर के अकडमी ले जाता, और ठीक इसी तरह हमारी वापसी भी होती। हम आपस में हँसी मजाक करते ट्यूशन जाते और इसी तरह छेड़-छाड़ करते वापस आते। अक्सर वो रिक्शा ड्राइवर (कामरान), जिसको सब कामी कहते थे, हमें घूरता रहता लेकिन हम अपनी मस्ती में मस्त होते थे। हम उसको कामीचाचा कहते। 

एक दिन मैंने ब्लैक लांग स्कर्ट पहनी और उसके ऊपर आरेंज हाफ स्लीव्स शर्ट पहनी हुई थी। और अंदर स्किन कलर ब्रा और पैंटी। और ऊपर बड़ी सी ब्लैक चादर ली हुई थी। स्कर्ट मेरे पाँव तक थी और गर्मियां थीं तो किसी के देखने का सवाल ही पैदा नहीं होता था कि मैंने नीचे क्या पहना है। 

जैसे ही मैं रिक्शा में बैठी तो भावना ने मुझे चिपका लिया और मेरे गालों पे किस कर दी। मैं शर्मा गई। और उसको पूछा- क्या कर रही है? 

उसने कहा- अपनी जान को प्यार कर रही हूँ। और क्या? 

मैं शर्मा कर उसकी टांग पे हल्का सा थप्पड़ मारकर बैठ गई। 

हम चल पड़े ट्यूशन की तरफ। भावना ने मेरी चादर के अंदर हाथ घुसा दिया और मेरी चूचियों को मसलने लगी। पहले तो मैंने मना किया लेकिन फिर मैं भी इस जोखिम भरे काम का मजा लेने लगी। आहिस्ता-आहिस्ता उसने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए, और मेरी चूचियां को ब्रा के ऊपर से दबाने लगी। मेरी आँखें मजे में बंद हो गईं। तब उसने एकदम से मेरी चादर सामने से हटा दी। मैं जब तक उसको संभालती तब तक वो अपना काम कर चुकी थी। 

मेरी चूचियां खुली हवा में सिर्फ़ ब्रा में सांस ले रही थीं। मुझे हवा अपनी चूचियों पे महसूस हो रही थी और अजीब बात ये कि वो तनकर खड़ी और सख़्त हो गईं। मैंने भावना का हाथ हटाकर जल्दी से अपनी शर्ट के बटन बंद कर दिए और ठीक से चादर लेकर बैठ गई। 

कुछ दिन यूँ ही गुजरते रहे। रोज हम एक दूसरे से छेड़छाड़ करते। वो कभी मेरी चूचियां को दबाती, कभी मुझे किस कर देती, पब्लिक प्लेस में भी जहाँ सब के देखे जाने का डर भी होता था और मजा भी खूब आता। 
एक दिन रिक्शे वाले ने हमें एक पेनड्राइव दी कि इसके वीडियोस जाकर देख लेना और फिर मुझे इस नंबर 09141***** पे काल करना। अगर तुम चाहती हो कि मैं किसी को कुछ ना कहूँ तो जैसे मैं कहता हूँ वैसा ही करो। इसी में तुम लोगों की भलाई है।

पहले तो हमें उसकी बात समझ में नहीं आई कि वो क्या कह रहा है। लेकिन जब घर आकर वो वीडियोस देखी तो हमारी आँखें और मुँह हैरत से खुल गए। क्योंकि उसमें हमारी रोज की छेड़छाड़ को रेकार्ड किया हुआ था। हमें नहीं पता कि उसने रिक्शे में कैमरा लगाया हुआ था। मैंने उसके दिए हुये नंबर पे काल की। 

मैं- ह…ह हेल्लो क…क कामीचाचा… 

उधर से- कौन?

मैं- कामीचाचा म…मैं ऋतु बोल रही हूँ। 

कामी- अरे मेरी रंडी… कैसी है? सुना कैसी लगे क्लिप? मजा आया ना? 

मैं- “कामीचाचा, प्लीज़्ज़… ऐसे मत कहो…” 

कामीचाचा- क्यों ना कहूँ रंडी? तेरी माँ की चूत मारूं साली रोज मेरे सामने बैठकर तुम ऐसी हरकतें करती थीं। अगर इतनी आग थी तो मुझे कहना था?

मैं उसकी बात सुनकर कुछ ना बोल पाई। मुझे बहुत शरम भी आ रही थी और गुस्सा भी। 

कामीचाचा- अब बोलती क्यों नहीं है रे? 

मैं- जी चाचा… 

कामीचाचा- अब सुन रे मेरी रंडी। जो मैं कहूँ तुम दोनों को वैसे ही करना होगा। ठीक है?

मैंने भावना की तरफ सवालिया नजरों से देखा। उसने भी हाँ में सिर हिला दिया। 

कामीचाचा- बोल ना और दूसरी रंडी से भी पूछकर बता कि वो क्या कहती है? 

मैं और भावना इकट्ठे बोले- ठीक है चाचा जैसे आप कहोगे हम वैसे ही करेंगे। 

कामीचाचा- तो फिर ठीक है। कल मैं ऋतु को लेने आऊँगा और भावना को लेने परसों आऊँगा। कल भावना कोई बहाना बनाकर छुट्टी करेगी। ठीक। 

मैं- जी ठीक है। 

कामीचाचा- कल तू सफेद सूट पहनेगी, बिना ब्रा और पैंटी के। और वोई काली चादर ले लेना। और खबरदार कोई चालाकी की तो तुम्हारी ये सारी वीडियोस पब्लिक में बाँट दूँगा। 

मैं- नहीं न…न्नाहीं च…च…चाचा जैसे आप कहोगे हम वैसे ही करेंगे। 

चाचा- तो फिर ठीक है कल मैं तुझे लेने शाम को 2:00 बजे आऊँगा। घर वालों से क्या कहना है मुझे नहीं पता। और तेरी वापसी कल रात 9:00 होगी। ठीक है?

मैं- जी ठीक है। 

कामीचाचा- और सुन रंडी। अपनी चूत के बाल अच्छे से साफ कर लेना। नहीं तो तेरे साथ बहुत बुरा करूँगा मैं। 
मैं- जी अच्छा। 

कामीचाचा- अच्छा अब रखता हूँ। मुझे बहुत काम है। 

और फोन बंद हो गया। मैं भावना की तरफ और वो मेरी तरफ भीगी नजरों से देख रही थी। हमें नहीं पता था कि हमारी ये थोड़ी सी छेड़छाड़ हमें इस मोड़ पे भी ला सकती है।

रात को मैंने अम्मी को बता दिया कि मुझे असाइनमेंट मिली है और मुझे शाम को 2:00 बजे जाना है। भावना की तबीयत ठीक नहीं है वो नहीं जा रही। और मैं 9:00 बजे तक आऊँगी। अम्मी ने ओके कह दिया। और पापा ने रिक्शावाले को फोन करके टाइमिंग बता दी।

अगले दिन क्या होगा? ये सोच-सोच के मेरा बुरा हाल था। अगले दिन मैं ठीक शाम को 1:50 बजे तैयार हो गई। और बड़ी सी चादर ले ली कि अम्मी ना देख सकें कि मैंने क्या पहना हुआ है? कामीचाचा के कहने के मुताबिक मैंने ब्रा-पैंटी नहीं पहनी थी। मेरा सूट मेरे जिश्म से चिपका हुआ था और उसमें से मेरा पूरा जिश्म नजर आ रहा था। ठीक 2:00 बजे रिक्शेवाले ने आकर दरवाजा खटकाया। मैं अम्मी को बाइ बोलकर निकल गई। 

यहाँ से मेरी बर्बादी शुरू हो गई। रिक्शे में बैठते ही कामीचाचा ने रिक्शा आगे बढ़ा दिया। मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज थी कि जैसे कोई ट्रेन हो। 

थोड़ा आगे जाकर चाचा ने मुझसे कहा- क्यों रंडी किन सोचों में गुम है?

मैं- “प्लीज़ चाचा, मुझे ऐसे मत बोलो। प्लीज़ मैं आपकी बेटी जैसी हूँ…” 

चाचा गुस्से से- चुप कर रंडी… जो पूछा है उसका जवाब दे… जैसे मैंने कहा था वैसे कपड़े पहने हैं?

मैं सहम कर- ज्ज्ज्ज्जीईईई… 

चाचा- हमम्म्मम… अच्छी बात है। मेरी बात इसी तरह मानेगी तो बहुत मजा आएगा तुझे… अब चल अपनी चादर उतारकर एक तरफ रख दे। मैं भी तो देखूं तेरा जलवा? 

मैंने चुपचाप चादर उतारकर एक तरफ रुख दी। अब मैं सिर्फ़ पतली सी शलवार कमीज में रिक्शा में बैठी हुई थी। कामीचाचा मेरे ट्यूशन सेंटर की बजाए मुझे कहीं और लेकर जा रहा था। मेरा दिल कर रहा था कि शोर मचाऊँ लेकिन उससे कुछ नहीं होना था। उल्टा मेरी अपनी बदनामी हो जाती।


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करीब 20-25 मिनट बाद हम एक छोटे से घर के सामने पहुँच गए जिसके दरवाजे पर ताला लगा हुआ था। उसने जाकर दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुला लिया। ये एक 80 मीटर का छोटा सा घर था जिसमें दो कमरे और एक बाथरूम था। उसने मुझे एक चारपाई पे बिठा दिया और पंखा चालू कर दिया। उसने मुझे पानी पिलाया तो मेरे अंदर जैसे एक सकून सा उतर गया। क्योंकि मुझे सख़्त प्यास महसूस हो रही थी। 

तभी कामीचाचा बोले- देख लड़की, मैं आज तुझे यहाँ चोदने के लिए लाया हूँ, और कल तेरी सहेली को चोदूँगा। अगर तुम चुपचाप मेरा साथ दोगी और जैसे मैं कहूँगा वैसे करती रहोगी तो देखना तुम्हें बहुत मजा आएगा। वरना मैं तुम्हारा वो हाल करूँगा कि तुम्हें खुद पे भी रोना आएगा। अब फैसला तुम्हारे हाथ में है। चुपचाप मेरा साथ देना है या? 

मैं बुरी तरह से घबराते हुये- च…चाचा प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ हमें छोड़ दो… हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। म…मैं आ…आपसे वादा करती हूँ कि आइन्दा ऐसा कुछ नहीं होगा। 

वो कहकहा लगाकर हँसने लगा “हाहाहाहाहाहा” काफी देर बाद उसकी हँसी रुकी तो वो घूरते हुये बोला- “देख रंडी, मैं तुझे और तेरी सहेली को चोदकर ही रहूंगा। मैंने आज तक तुम जैसी माल नहीं देखा है। मैंने अभी शादी भी नहीं की, क्योंकि मुझे तुम जैसी कोई लड़की मिली ही नहीं। तुम लोगों के लिए बेहतर होगा कि चुपचाप जैसे होता है होने दो…” 

मैं चुपचाप नीचे देखते हुये आँसू बहाने लगी। तभी उसने मुझे बाजू से पकड़कर खड़ा कर दिया और दूसरे कमरे में ले गया। वहाँ जमीन पे एक पुराना सा गद्दा बिछा हुआ था। उसने अंदर जाते ही टांग मारकर दरवाजा बंद किया और मुझे खींचकर अपने गले लगा लिया। 

ये पहला मोका था कि मैं किसी मर्द के गले लगी थी। तभी उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया, मेरे माथे पे, गालों पे, गर्दन पे किस करने लगा। मैं ना चाहते हुये भी मदहोश होने लगी और मेरी चूचियों के निपल्स भी खड़े होने लगे। तभी उसने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए, और मेरे होंठों को वहशियाना तरीके से चूसने और चाटने लगा। 

मैं अपने आस-पास से बेखबर आसमान में उड़ रही थी। अचानक उसने मेरी कमीज को पकड़कर उतारना शुरू कर दिया। मैंने उसकी सहूलियत के लिए हाथ ऊपर उठा दिये। उसने मेरी कमीज निकालकर एक तरफ फेंक दी और मेरी शलवार भी उतारकर मुझे गद्दे पे लिटा दिया। 

मैं इतनी मदहोश थी कि वो जैसे कर रहा था मैं वैसे उसका साथ दे रही थी। उसने मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया और आहिस्ता-आहिस्ता नीचे की तरफ सफर करने लगा। मेरी छातियों पे पिंक निपल पूरी तरह से खड़े हुये थे। उसने मेरी चूचियों को चूमना शुरू कर दिया। मेरी हालत और भी खराब होने लगी। मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं। वो मेरी चूचियों को मज़े से चूस और चाट रहा था। 

मेरी चूत में चींटियां सी रेंग रही थीं और अजीब सी बेचैनी हो रही थी। दिल कर रहा था कि कोई चीज जल्द से जल्द मेरी चूत में घुस जाए। 

मैं- “कामीचाचा… आआहह… उउफफफ्फ़…” कहकर उनसे लिपटी जा रही थी। 

फिर उन्होंने मेरी चूचियों से नीचे नाभि की तरफ जाना शुरू किया। और मेरे पेट और नाभि को चाटने लगे। तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। बिना चूत को छुये उन्होंने मुझे किस्सिंग करते हुये झाड़ दिया था। (यहाँ मैं एक बात कहना चाहूंगा कि चाहे कोई भी लड़की हो। जब कोई मर्द उसको शिद्दत से चूमता है और किस्सिंग और रब्बिंग करता है तो वो झड़ती जरूर है। आजमा कर देख लें।)

मैंने उनके सिर को पकड़कर ऊपर उठाया, और उनको बेखुदी में चूमने लगी। उनके चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी। मुझे अब कोई झिझक, कोई शरम महसूस नहीं हो रही थी। बलकि कामीचाचा पे प्यार आ रहा था। मैंने उनको अपनी दोनों टांगों में कसकर दबोच लिया। अभी उन्होंने अपने कपड़े नहीं उतारे थे। 5 मिनट बाद वो मुझसे अलग हुये और अपने कपड़े उतारने लगे। उनका जिश्म पहलवानों की तरह था क्योंकि वो बहुत मेहनत करते थे। 

पत्थर की तरह सख़्त जिश्म मैं देखती रह गई। जैसे ही मैंने उनका लण्ड देखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई भूत देख लिया हो। उनका लण्ड तनकर खड़ा हो गया था और झटके खा रहा था, 10” इंच लंबा और 4” मोटा होगा। उन्होंने मुश्कुराकर मेरी तरफ देखा। 

कामीचाचा बोले- क्यों मेरी रंडी… कैसा लगा मेरा हथियार?

मैं- चाचा आ…आप्प का लौड़ा तो बहुत ब्ब…ब्बड़ा है। 

कामीचाचा- हाहाहाहाहा… बड़े लण्ड से ही तो मजा आता है मेरी जान। आज तेरी चूत को मैं इसी से खोलूंगा। उसके बाद रोज तू मेरे लण्ड के लिए मिन्नतें करेगी।

मैं बहुत ज्यादा घबरा गई इतना लंबा लण्ड देखकर। तभी उसने तेल की बोतल से ढेर सारा तेल मेरी चूत पे लगाया और अपने लण्ड पर भी। मैं अपनी खैरियत की दुआयें माँग रही थी और दूसरी तरफ आने वाले पलों को सोचकर मेरी चूत में अजीब सनसनाहट भी हो रही थी। कामीचाचा मेरी टांगों में आकर बैठ गए और मुझे चूमना शुरू कर दिया और मेरी चूचियां को चाटने लगे। मेरा जिश्म फिर से गरम होने लगा और मेरी बेचैनी बढ़ने लगी। नीचे उनका लण्ड मेरी चूत पे रगड़ रहा था। मैं बेचैन होकर अपनी कमर को उचकाने लगी। मेरी चूत से पानी बह रहा था। 

मैं- उऊहह… म्*म्म्मम… आआअहह… काम्म्म्मिी छ्छाचाअ… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… ऊऊऊओह… कर रही थी।

कामीचाचा- क्या हुआ मेरी रांड़?

मैं- “काम्म्मीई चाचहा… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… कुछ करो…” 

कामीचाचा- क्या करूँ मैं? चोद दूँ तुझे?

मैं- हान्न्*न… 

कामीचाचा- अगर तेरी चूत फट गई तो फिर?

मैं- कोई बात नहीं, फटने दो। प्लीज़्ज़… इसको अंदर डाल्ल दो। 

कामीचाचा- तुझे मैं तब चोदूँगा जब तू मेरी रंडी बनेगी। 

मैं- हान्न्*ण… मैं रंडी बनूँगी। 

कामीचाचा- मैं जिससे बोलूंगा चुदवाएगी?

मैं- हाआनन्न। 

चाचा ने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैं मदहोशी में उनके होंठों को चूम चाट रही थी। उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पे रखा हुआ था। तभी उन्होंने मेरे होंठों को अपने मुँह में भरकर एक जोर का धक्का मारा। उनका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ मेरी सील से जा टकराया। मेरी आँखें बाहर आ गई और मेरे मुँह से जोर की चीख चाचा के मुँह में ही दब गई। आँखों से आँसू निकलने लगे। ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने मोटा रोड मेरी चूत में घुसा दिया हो। 

तभी चाचा ने लण्ड टोपी तक बाहर निकाला, मेरे होंठों को छोड़ दिया और पूरे जोर से लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया। आवाज बंद हो गई और मैं बेहोश सी होने लगी। तभी उन्होंने कसकर 3-4 धक्के और लगाये और उनका पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। 

मेरा दिमाग़ झन्ना गया और मैं बेहोशी से वापस होश में आ गई और जोर से चीख पड़ी। और जोर-जोर से रोने लगी- “आआआह्ह… उउफफफ्फ़… चाचा… आआअह्ह… अम्म्म्मीई। मुझे बचाओ… आआआईई… मैं मर जाऊँगी चाचा… आआअहह… उउइईई…” मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे। चाचा मेरी चूचियां को फिर से चूमने चाटने लगे। मैं दर्द से कराह रही थी। 

कामीचाचा- बस मेरी जान हो गया। तूने मेरा पूरा लण्ड ले लिया है। जितना दर्द होना था हो गया। अब मजा लेगी तू सारी ज़िंदगी। 

मैं- चाचाअ… प्लीज़ बाहर निकाल लो। मैं मर जाऊँगी… प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ मुझे छोड़ दो। 

लेकिन उनकी गिरफ़्त इतनी सख़्त थी कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। और केवल उउफफफ्फ़… आआअहह… ऊऊऊओह… करके सिसकारियां ले रही थी। धीरे-धीरे मेरा दर्द कम होने लगा। और मेरी चूत फिर से गीली होने लगी। मैंने अपनी बाहें फिर से चाचा के गिर्द कस लीं। 

चाचा को भी पता चल गया कि मुझे मजा आ रहा है। उन्होंने आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। वो 2-3 इंच लण्ड बाहर निकालते और फिर से पूरा अंदर डाल देते। जैसे ही उनका लण्ड अंदर आता। मेरे मुँह से आआआह्ह… निकल जाती। मेरी चूत में अभी भी बहुत दर्द था लेकिन उसके साथ मजा भी आ रहा था। 
चाचा ने 10 मिनट तक बड़े आराम से चोदा, और मेरा पानी निकल गया। मैं उस वक्त आसमान में उड़ रही थी। इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ। मैंने चाचा के गिर्द अपनी टांगों को लपेट लिया। वो मुझे किस करते जा रहे थे और मुझे चोदते जा रहे थे। उन्होंने अपनी स्पीड अब बढ़ा दी और अपना आधे से ज्यादा लण्ड निकाल-निकालकर मुझे चोदने लगे। 

5 मिनट बाद मैं दूसरी बार झड़ गई। मेरे मुँह से आआअह्ह… चाचा… ऊऊह्ह… उउम्म्म्मम… उउफफफ्फ़… उउईईई माँ आआआआ… ऊऊऊह्ह… और्रर तेज़्ज़्ज़्ज़ की आवाजें निकल रही थीं। और मैं उनको चूमे जा रही थी। मुझे आस-पास का कोई होश नहीं था। मैं बस मजे में डूबी जा रही थी। दिल चाह रहा था कि ये मजा कभी खतम ना हो। और चाचा भी कहाँ रुक रहे थे। वो एक तजर्बेकार आदमी मुझे एक ही आसन में चोदे जा रहे थे। 
उनका लण्ड जड़ तक मेरे अंदर समा रहा था। मेरा जिश्म अजीब सी तरंग से भर गया था। मैं अपनी कमर उठाकर उनका साथ दे रही थी। उन्होंने पूरा 30 मिनट तक मुझे तेजी से चोदा और मेरे अंदर ही झड़ गए। इस बीच मैं दो बार झड़ी थी। चाचा झड़ने के बाद मेरे ऊपर गिर कर लंबी-लंबी सांसें लेने लगे। 

मैं उनके बालों में उंगलियां फेर रही थी, और उनके गालों पे किस कर रही थी। हमारा जिश्म पशीने से भीग चुका था। 5 मिनट बाद वो मेरे ऊपर से हटकर बराबर में लेट गए। मेरे जेहन में एक सुकून सा छा गया और मैं वैसे ही टांगें फैलाए बेसुध सी लेटी रही। पता नहीं कितनी देर हो गई। 

फिर चाचा ने मुझे आवाज दी- रंडी सो गई है क्या?

मैं- उउन्न्नह… क्या हुआ चाचा?

कामीचाचा- क्यों मजा आया?

मुझे शरम सी आने लगी। मैंने चाचा की तरफ देखा और मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया। वो तो मेरी इस अदा पे जैसे खिल गए। 

चाचा- रंडी, अभी तो बड़े मजे से चुदवा रही थी। अब शर्मा रही है। उन्होंने मुझे करवट दिला कर पीछे से चिपका लिया। उनका लण्ड अभी भी आधा-खड़ा होकर मेरे चूतरों से टकरा रहा था।

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मुझे अजीब सी गुदगुदी और शुरूर महसूस हो रहा था। दिल कर रहा था कि बस ऐसे ही पड़ी रहूं। अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था। तभी चाचा उठे और मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मुझे लेकर बाथरूम की तरफ चल दिए। मेरी आँखें अभी भी बंद थीं। बस जो वो कर रहे थे, मैं चुपचाप महसूस कर रही थी। उन्होंने मुझे गुसलखाने में लेजाकर खड़ा कर दिया, और मेरी टांगें खोलकर चूत को पानी से धोने लगे। उनके हाथ लगाने से ही मेरी हालत खराब होने लगी। 

मेरी चूत साफ करने के बाद चाचा ने मुझे पानी का डब्बा दिया और बोले- “चल रंडी अब मेरा लण्ड तू साफ कर जल्दी, फिर तुझे और भी चोदना है। आज तेरी चूत को मैं पूरा खोल दूंगा ताकि आइन्दा तुझे किसी का लण्ड लेने में तकलीफ ना हो…”

मैं- चाचा, प्लीज़्ज़ मैं नहीं कर सकती साफ। मुझे शरम आ रही है। 

चाचा-कामी- “चल अब नाटक बंद कर और जल्दी कर। आज तुझे मैं बहुत चोदूँगा…” और ये कहते हुये चाचा ने मेरा हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे रख दिया। उसपर मेरी चूत का खून और थोड़ा सफेद-सफेद पानी अभी भी लगा हुआ था। 
मैंने पानी डालकर उनके लण्ड को धोना शुरू किया। चाचा ने मेरा हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे आगे पीछे करना शुरू कर दिया (जैसे मूठ लगाते हैं), ऐसा करने से उनका लण्ड बिल्कुल साफ हो गया। 

फिर चाचा मुझे उठाकर वापस कमरे में ले आए और बिस्तर पर लिटा दिया। खुद वो थोड़ी देर के लिए बाहर चले गए। 

मैं वैसे ही नंगी लेटी रही, और छत को देख रही थी। मैं अपनी ज़िंदगी के पिछले कुछ दिनों के बारे में सोच रही थी कि हम हँसी मजाक करते-करते इस मोड़ पे पहुँच गए हैं कि हमें एक रिक्सेवाले से चुदवाना पड़ रहा है। 

लेकिन दूसरे ही पल एक अजीब सा मजा आने लगा कि इतना जबरदस्त आदमी मिला है चोदने को कि जिसने जिश्म की गर्मी को एकदम से शांत कर दिया है। चूत में भी अजीब सी गुदगुदी शुरू हो गई। मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पे जा पहुँचा और मेरी सिसकी निकल गई, दर्द और मजे की वजह से। मैं चाचा के लण्ड को याद करती हुई अपनी चूत को सहलाने लगी। 

मेरे जिश्म की बेकारारी बढ़ने लगी और दिल कर रहा था कि जल्दी से चाचा का लण्ड मेरे अंदर आ जाए। और मैं फिर से चुदवाऊँ। मेरे जिश्म पे मेरा इख्तियार नहीं रहा। जेहन में सिर्फ़ एक ही बात थी और वो थी चाचा का मोटा और बड़ा लण्ड। 

तभी चाचा घर में दाखिल हो गए, उनके हाथ में एक पैकेट था। वो शायद कुछ खाने के लिए लाए थे। मुझे देखकर मुश्कुरा दिए। मैं अभी भी बेशर्मी से अपनी चूत को मसल रही थी। वो मेरे नजदीक आ गए और बालों से पकड़कर सिर ऊपर किया और मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लगे। 

फिर मुझसे अलग होकर बोले- क्या हुआ रंडी? अपनी चूत क्यों सहला रही है?

मैं भारी सांसें लेती हुई- “चाचा प्लीज़्ज़ आ जाओ ना मुझे चोद दो। प्लीज़्ज़…” 

चाचा- अच्छा चोदूँगा। पहले उठकर कुछ खा ले। 

मैं हाँफते हुये- “नहीं, पहले मुझे चोदो…”

चाचा भी मैदान में आ गए। जल्दी से अपने कपड़े उतारकर अपने लण्ड पे तेल लगा लिए और खुद नीचे लेटकर मुझे अपने ऊपर खींच लिया, और बोले- “चल आ जा रंडी, अब मेरे लण्ड की सवारी कर…” उन्होंने लण्ड मेरी चूत के साथ लगा दिया।



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मैं आहिस्ता-आहिस्ता नीचे होने लगी। ऐसे लग रहा था कि कोई चीज मुझे चीर रही है। लण्ड अभी 2-3 इंच ही अंदर गया था की मुझे दर्द होने लगा। मैं चाचा के सीने पे गिर गई और लंबी-लंबी साँसें लेने लगी। चाचा ने मेरे होंठों पे अपने होंठ रखे और मुझे कमर से पकड़कर तेज झटका मारा। और उनका आधा लण्ड मेरे अंदर चला गया। मैं इस झटके से कांप कर रह गई। तभी उन्होंने दो धक्के जोर-जोर से लगाए। और पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया। 
मेरी आँखों से इस बार फिर दर्द से आँसू बह निकले। चाचा मेरी कमर को सहला रहे थे। उन्होंने मेरे होंठों को छोड़ दिया और मेरी कमर और चूतरों को सहलाए जा रहे थे। 5 मिनट में मेरा दर्द खतम हो गया। और मैं अपनी कमर को आहिस्ता-आहिस्ता हिलाने लगी। 
चाचा को इस बात का एहसास हो गया। उन्होंने मेरी कमर को अपने हाथों से पकड़कर जरा जोर से हिलाना शुरू कर दिया और अपनी कमर भी हिलाने लगे। एक खूबसूरत लय के साथ हम दोनों चुदाई का मजा ले रहे थे। उन्होंने मुझे 5 मिनट इस तरह से चोदा फिर मुझे सीधा करके बिठा दिया। अब मैं उनके ऊपर बैठी थी और लण्ड पे ऊपर-नीचे हो रही थी। 
वो भी अपनी कमर उठा-उठाकर मुझे चोद रहे थे। मेरी चूचियां मेरे साथ-साथ उछल रही थीं। उन्होंने मेरी चूचियों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया और साथ-साथ अपनी स्पीड भी तेज़ कर दी। मैं जैसे सातवें आसमान पे उड़ रही थी। मुझे चोदते हुई उनको 20 मिनट हो चुके थे और मैं दो बार झड़ चुकी थी कि अचानक वो भी उठकर बैठ गए। 
अब स्थिति ये थी कि मैं उनके सीने से चिपकी उनकी गोद में बैठी थी। मैंने उनके गिर्द अपनी बाहें कस लीं और अपनी टांगों को उनकी कमर के गिर्द लपेट लिया। इस आसन में उनका लण्ड मेरी चूत के अंदर तक चोट करता था। चाचा हल्के-हल्के धक्कों के साथ मुझे चोदते रहे। 
मेरी चूत के दाने (क्लिट) को बहुत ज्यादा रगड़ लग रही थी इस आसन में और मैं ऊऊह्ह… आआआह्ह… चाचाआअ… आआअह्ह… उउम्म्म्मम… सस्स्स्स्सस्स… ऐसे ही चोदो… आआआह्ह… करती जा रही थी और उनकी कमर सहलाए जा रही थी। तभी उन्होंने मुझे पीछे ढकेला और मेरी टांगें अपने कंधे पे रखकर तेज़-तेज़ शाट लगाने लगे। 
कमरे में पच-पच छाप-छाप, पच-पच की आवाजें गूँज रही थी। मुझे ऐसे लग रहा था के जैसे मेरा पेशाब निकलने वाला है। 
मैं चाचा से बोली- चाचाआअ… रुको… आआअह्ह… म्*म्म्ममेरा निकलने वाला… हैई। 
चाचा ने मेरी बात सुने बगैर तेज झटके लगाने जारी रखे। कमरे में जैसे तूफान आ गया था- पक्ककच… पक्ककच… छप्प्प… छप्प्प के साथ मेरी आआह्ह… ऊऊह्ह… चाचाआअ… ऊऊह्ह… सस्स्स्स्सस्स… म्*म्म्मम… आआआह्ह… की आवाजें गूँज रही थीं। तभी मेरी चूत से फौवारे की तरह पानी निकला और चाचा ने और भी तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। 
मेरा जिश्म कँपने लगा, और मजा इतना था कि मुझसे बर्दाश्त ही नहीं हो रहा था। मेरी आँखों से भी आँसू निकल पड़े और मैं फूट-फूट कर रोने लगी। दिमाग बिल्कुल सुन्न पड़ गया। तभी चाचा ने मेरे अंदर अपना पानी छोड़ दिया। मेरी चूत से अभी भी पानी निकल रहा था और उसके साथ ही मेरा पेशाब भी निकल गया, और मैं बुरी तरह छटपटा रही थी। 
मैं जैसे पूरे बिस्तर पे उछल रही थी। चाचा ने किसी तरह मुझे काबू किया हुआ था। लेकिन मेरी ये हालत थी कि उनके हाथों से फिसलती जा रही थी। आँखें बंद और मुँह से ऊऊऊह्ह… हहाईयईई… आआअह्ह… की आवाजें निकल रही थीं। 
5 मिनट बाद मेरा जिश्म कुछ शांत हुआ। लेकिन अभी भी बहुत कंपकंपी थी। मेरे दाँत बज रहे थे और मैं एक ज़िंदा लाश की तरह बिस्तर पर पड़ी हुई थी। चूत से अभी भी पानी निकलकर बिस्तर की चादर को गीला कर रहा था। चाचा मेरे ऊपर से हट गए और मेरे लिए एक ग्लास ठंडा पानी लेकर आए। उन्होंने मुझे सहारा देकर बिठाया और पानी पिलाया। ठंडा-ठंडा पानी पीते ही मेरे जिश्म में जैसे ताकत वापस आने लगी। आलमोस्ट आधे घंटे बाद मैंने अपनी आँखें खोली और बड़ी रूमानी नजरों से चाचा को देखा। जो मेरे साथ ही बैठे थे और मेरे बालों को सहला रहे थे। 
चाचा- “क्यों मजा आया मेरी रंडी? देख तूने तो मूत भी दिया। मेरा सारा बिस्तर खराब कर दिया। देख जरा…” 
मैं शरम से लाल हो गई। चाचा को बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और उनके होंठों को जोर-जोर से चूसने लगी। 
चाचा ने मुझे खुद से अलग करके बिस्तर पर लिटा दिया। मैं इतनी थक चुकी थी कि फौरन मुझे नींद आ गई। तकरीबन 3 घंटे बाद मेरी आँख खुली। 
चाचा ने मुझे खाना खिलाया, और उसके बाद चुदाई का तीसरा दौर शुरू हुआ। इस बार चाचा ने मुझे रुक-रुक कर शाम 7:00 बजे तक चोदा। इस बार मुझे पहले से ज्यादा मजा आया। क्योंकि मेरी चूत को लण्ड की आदत पड़ चुकी थी। इस बार मुझे जरा भी दर्द नहीं हुआ और खूब मजा लिया। शाम को 7:00 बजे चाचा मेरे मम्मों पे झड़ गये। 
फिर उन्होंने मुझे टहलाया ताकि मैं ठीक से चल सकूँ और मुझे देखकर किसी को शक ना हो। मुझे दर्द कम करने और प्रेग्नेन्सी से बचने की गोलियां भी खिलाई, और चूत की सिकाई भी की। रात को ठीक 8:45 बजे मैं घर पहुँच गई।


मैं इतनी थक गई थी कि कमरे में जाकर फ्रेश हुई और बिना खाना खाए सो गई। बहुत चैन की नींद आई। दूसरे दिन चाचा का मेरे पास फोन आ गया कि मुझे आज फिर जाना पड़ेगा क्योंकि भावना को माहवारी आ गई थी। (जो कि झूठ था। असल में वो खुद को बचाना चाहती थी, जो बाद में उसको बहुत महंगा पड़ा। कैसे ये बाद में पता चलेगा)। 
खैर मैं ठीक अकडमी के टाइम पर तैयार हो गई और चाचा के साथ घर से निकल गई। आज भी चाचा मुझे सीधा उनके घर लेकर आ गए। 
घर में घुसते ही मैं उनसे चिपक गई और किस करने लगी। क्योंकि सारा रास्ता मेरी चूत ने पानी बहाया था और चाचा के लण्ड को याद करते-करते उसमें अजीब सी खुजली हो रही थी। 
चाचा ने मुझे खुद से अलग किया और कहा- क्या हुआ रांड़? ऐसे क्यों चिपक रही है? गश्ती, तेरी चूत में ज्यादा खुजली है क्या? 
मैं शरम से नीचे देखने लगी। मुझे खुद को नहीं पता था कि मैंने ऐसा क्यों किया?
चाचा हँसते हुये बोले- चल ठीक है कोई बात नहीं। वैसे भी तूने रंडी बनकर येई काम तो करना है। 
मैं- चाचा प्लीज़्ज़… मैं बस आपसे चुदवाऊँगी। 
चाचा- तू हर उस बंदे से चुदवाएगी जिससे मैं कहूँगा। फिकर ना कर, आज तेरी एक और ट्रैनिंग शुरू होगी। चल देर ना कर और अच्छी बच्ची बनकर फौरन नंगी हो जा। 
मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपने कपड़े उतार दिए। कल मैंने इतनी देर चाचा से चुदाई करवाई थी कि अब मुझे उनसे इतनी शरम नहीं आ रही थी। 
फिर उन्होंने मुझे कुतिया की तरह चारों हाथ-पांव पे होने को कहा। मैं उनकी बात मानकर वैसे ही करती जा रही थी। उन्होंने एक चेन उठाई जिसपे कुत्ते के गले में बाँधने वाला पट्टा लगा हुआ था। उसे मेरे गले में पहना दिया। फिर वो कमरे की तरफ जाने लगे। मैं उनके पीछे-पीछे वैसे ही चलती कमरे में दाखिल हो गई और अंदर देखते ही मेरी आँखें हैरत से फैल गईं। 
कमरे में एक आदमी बैठा था जिसकी उमर करीब 50 साल होगी। वो काफी मोटा था, तोंद बाहर को निकली हुई, उसका वजन 120-130 किलो होगा, जिश्म बिल्कुल काला, एक सांड़ की तरह लग रहा था। मुझे इस तरह चलते देखकर उसकी आँखों में अजीब सी चमक आ गई। 
मैं उसको देखते ही बहुत घबरा गई, और अपने जिश्म को छुपाने की कोशिश करने लगी। मैंने खुद को चाचा से छुड़ाने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने मजबूती से चेन को पकड़ा हुआ था। मैं खुद को उनके चुंगल से नहीं निकाल पाई। 
चाचा- क्या हुआ रंडी? ज्यादा नखरे नहीं कर… वरना आज तेरी गाण्ड में डंडा घुसा दूँगा और तुझे बिना कपड़ों के घर से निकाल दूंगा। फिर चुदवाती फिरना इलाके वालों से। 
मैं चाचा की धमकी सुनकर डर गई, और जद्दोजहद करना बंद कर दी। 
तभी वो आदमी बोला- अरे यार कामी, ये पटाखा माल कैसे फँसाया है तूने? कहाँ से मिली तुझे ये?
कामीचाचा- अबे यार, तुम आम खा पेड़ क्यों गिनता है? बस माल चख के मजे कर। 
आदमी- यार, फिर भी बता तो सही? 
कामीचाचा- अरे यार जमले (जमाल) इसको और इसकी सहेली को ट्यूशन छोड़ने जाता हूँ। क्या रंडियां हैं? सारा रास्ता एक दूसरे के साथ मस्ती करती जाती थीं। कल मैंने इसको चोद दिया। आज इसकी सहेली को बुलाया था। लेकिन साली ने बहाना कर दिया कि उसको माहवारी आ रही है। जब उसको उठाने घर गया तो उसका बाप घर पे था। 
जमाल उर्फ जमला- अरे यार… तूने कल बुलाया होता तो इकट्ठे इसकी चुदाई करते। लेकिन कोई बात नहीं… इसकी सहेली की सील मैं खोलूंगा। 
कामीचाचा- अरे यार, तू फिकर ना कर। उसके लिए मैंने अलग से प्लान सोच के रखा है। उसको झूठ की सजा मैं दूंगा। तू बस आज इस चिड़िया के साथ मजा कर। सच में बहुत गरम माल है। 
जमला- वाह यार… वैसे तूने उसके लिए प्लान क्या बनाया है?
कामीचाचा- “वो मैं वक्त आने पे बताऊँगा और दिखाऊँगा, अभी तू इस के साथ मजा कर…” ये कहते हुये चाचा ने मुझे जमला चाचा, जो उमर में कामीचाचा से भी बड़ा था, की तरफ जाने का इशारा किया। 
मैं आहिस्ता-आहिस्ता उसके पास जाने लगी। वो एक कुर्सी पे बैठा हुआ था। आप खुद सोचें कि एक लड़की बिल्कुल नंगी गले में पट्टा और जंजीर और चारों हाथ-पाँव पे चलती हुई आ रही हो तो आस-पास के मर्दों की क्या हालत होगी? येई हाल उन दोनों का था। 
जैसे ही मैं जमाल चाचा के पास आई। उन्होंने मुझे बालों से पकड़ा और मेरे होंठों को चूमने लगे। उनके मुँह से अजीब सी महक आ रही थी सिगरेट की। इधर कामीचाचा ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और मुझे पीछे से दबोच लिया। अब सिचुयेशन ये थी कि दोनों मर्द मेरे जिश्म को सहला रहे थे और मेरे जिश्म की गर्मी बढ़ने लगी। मेरे दिमाग पे नशा सा छाने लगा। 
जमाल चाचा मेरे होंठों को दीवानों की तरह चाट और चूस रहे थे। जबकि कामीचाचा ने अब मेरी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया। जिसका सीधा असर मेरी चूत पे होने लगा, जो कि तेजी से पानी बहाने लगी। तभी जमाल चाचा ने मुझे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया, और मेरी गर्दन और कान की लोलकी को चूसने चाटने लगे। साथ-साथ वो मेरी गाण्ड को भी सहला रहे थे। 
और मैं मदहोशी में आआआह्ह… ऊऊऊओह… चाचा… आआअह्ह… म्*म्म्ममम… किए जा रही थी। मेरी आँखें लज़्ज़त के मारे बंद हो गई थीं। 
तभी चाचा ने मुझे छोड़ा और मुझे नीचे गद्दे पे लिटा दिया। उन्होंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरी नजर उनके लण्ड पर पड़ी। बिल्कुल अकड़ा हुआ, डार्क ब्राउन कलर का था और पूरा 5 इंच लंबा और 2½ इंच मोटा होगा। मैं तो कामीचाचा का इतना बड़ा लण्ड ले चुकी थी इसलिए मुझे जरा भी डर महसूस नहीं हुआ। लेकिन एक अजीब सी कैफियत होने लगी कि पता नहीं आगे क्या होगा? 
कामीचाचा ने मेरी टांगें फैलाई और मेरी चूत को चाटने लगे। उनके मुँह से उउम्म्म्मम… और लप-लप शड़प-शड़प की आवाज आ रही थी। 
मैंने उनके सिर पे हाथ रखकर उनको अपनी चूत पे दबाना शुरू कर दिया। और मैं आआअह्ह… ऊऊऊह्ह… चाचा की आवाजें निकाल रही थी। 
जमाल चाचा मेरी चूचियां पर टूट पड़े और उनको चूसने और चाटने लगे।

मुझे दोहरा मजा मिल रहा था… एक तरफ चूत चटाई और दूसरी तरफ चूची चुसाई। मैंने कमर को उचकाना शुरू कर दिया और दो मिनट में ही मैं बुरी तरह झड़ गई। कामीचाचा ने मजे से मेरा सारा पानी पी लिया। 
मैं मदहोश सी बिस्तर पे लेटी हुई थी कि तभी… 
तभी जमाल चाचा कुर्सी पे जाकर बैठ गए। और मुझे मेरे बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। मेरे बालों में दर्द तो बहुत हुआ लेकिन मैं मुँह से कुछ ना बोली। जमाल चाचा ने मुझे होंठों पे एक किस की और मुझे अपने लण्ड की तरफ झुकाना शुरू कर दिया। 
मैं उनका इशारा ना समझ सकी। फिर उन्होंने मुझे लण्ड चूसने को कहा। उनके लण्ड के आस-पास हल्के-हल्के बाल थे, और लण्ड बिल्कुल खड़ा हुआ था। 
जमाल चाचा- चल इसको मुँह में लेकर चूस। 
मैं- चाचा मैंने कभी नहीं चूसा। प्लीज़्ज़ मुझसे नहीं होगा। 
जमाल चाचा- सब काम ही तो तू पहली-पहली बार कर रही है। कोई बात नहीं आज तुझे मैं ट्रेंड कर दूंगा। तू किसी एक्सपर्ट की तरह आइन्दा लण्ड चूसेगी। चल अब इसको किस कर सबसे पहले। 
मैं अपना चेहरा आहिस्ता-आहिस्ता उनके लण्ड के पास ले गई। मुझे उसमें से अजीब सी महक आ रही थी। मेरा जी मतला रहा था कि जैसे मुझे अभी उल्टी आ जाएगी। लेकिन मैंने हिम्मत करते हुये उनके लण्ड को चूम लिया। उनके लण्ड ने फौरन एक झटका खाया और चाचा के मुँह से एक आआह्ह की आवाज निकली। और उन्होंने मेरे सिर को दबाकर आगे बढ़ने का इशारा दिया। मैंने आहिस्ता-आहिस्ता उनके लण्ड के चारों तरफ किस करना शुरू कर दिया। 
और वो आअह्ह… उऊह्ह… की आवाजें निकालने लगे। 
तभी चाचा ने मुझे अपने लण्ड को मुँह में डालने का कहा। 
मैंने बिनती भरी नजरों से उनकी तरफ देखा लेकिन उन्होंने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपने लण्ड को मेरे होंठों से रगड़ने लगे, और मुझे मुँह खोलने का कहा। मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना मुँह खोला तो चाचा ने अपने लण्ड की टोपी मेरे मुँह में डाल दी। अजीब सी हालत थी मेरी। उनका लण्ड मुँह में लिया तो अजीब सा तीखा सा जायका मेरे मुँह में फैलने लगा। मैंने टोफ़्फी की तरह उनके लण्ड की टोपी को चूसना शुरू कर दिया। मुझे अब उनके लण्ड की बू की आदत पड़ती जा रही थी। 
उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़कर अपने लण्ड पर घुमाना शुरू कर दिया। आहिस्ता-आहिस्ता उनका पूरा लण्ड मेरे मुँह में जाने लगा। और मैं उनके लण्ड को चूसे जा रही थी। 
तभी कामीचाचा ने पीछे से आकर मेरी चूत पर कुछ चिकना सा लगा दिया। मुझे नहीं पता कि वो क्या था और कामीचाचा क्या करने वाले हैं। मैं बस डागी स्टाइल में खड़ी जमाल चाचा के लण्ड को चूसे जा रही थी। तभी उन्होंने कुछ गरम-गरम मेरी चूत के मुँह पर लगा दिया, और उसको अंदर धकेलने लगे। जी हाँ… वो मेरी चूत के अंदर अपना लण्ड डालने लगे, आहिस्ता-आहिस्ता। 
लेकिन उन्होंने अपने लण्ड और मेरी चूत पर तेल लगाया हुआ था (जो मैंने बाद में देखा), उसकी वजह से उनका लण्ड काफी आराम से बिल्कुल हल्का सा दर्द देते हुये अंदर जा रहा था। लेकिन ये दर्द बहुत हल्का था। चाचा हल्के-हल्के धक्कों के साथ अपना लण्ड मेरी चूत में डाल रहे थे। 2-3 मिनट बाद उनका पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया। 
अपना पूरा लण्ड अंदर डालकर उन्होंने मेरी कमर को पकड़कर धक्के लगाने शुरू कर दिये। मेरे मुँह में जमाल चाचा का लण्ड होने की वजह से उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाज आ रही थी। कामीचाचा के धक्कों की वजह से जमाल चाचा का लण्ड हर झटके पर और ज्यादा मेरे मुँह में जाने लगा। जमाल चाचा ने मेरे दोनों बाजू पकड़ रखे थे, और मेरा मुँह खुला हुआ था। 
मेरी आँखों में आँसू आ रहे थे, और गले में जलन हो रही थी। मेरे मुँह के जबड़े भी दर्द करने लगे थे। मैं कोशिश कर रही थी कि उनका लण्ड अपने मुँह से निकाल दूँ लेकिन मैं बिल्कुल भी हिल नहीं पा रही थी। दो ताकतवर मर्दों के आगे मेरी कहाँ चलती? 
कामीचाचा की स्पीड तेज़ होती जा रही थी। अब कमरे में ठप-ठप… छाप-छाप-छाप… और उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाजें गूँज रही थीं जबकि कामीचाचा और जमाल चाचा के मुँह से आआआह्ह… उऊह्ह… की आवाजें निकल रही थीं और साथ ही साथ वो लोग मुझे रंडी, गश्ती, कुतिया और पता नहीं क्या-क्या गालियां दे रहे थे। 
तभी जमाल चाचा ने आगे झुक कर अपनी उंगली गीली की और मेरी गाण्ड के छेद पर रखकर अंदर दबाया। उसी वक्त कई काम एक साथ हुये। सबसे पहले मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया जबकि दूसरी ओर जमाल चाचा के लण्ड ने मेरे मुँह में पिचकारियां छोड़ना शुरू कर दिया। 
मैं उनका लण्ड मुँह से निकालना चाहती थी लेकिन उन्होंने ऐसा होने नहीं दिया। मेरी आँखों में आँसू आ रहे थे, और मैं बुरी तरह छटपटा रही थी। तभी कामीचाचा ने एक जोर का धक्का मारा और रुक गए। जिसके नतीजे में जमाल चाचा का लण्ड पूरा का पूरा मेरे गले में घुस गया और उनकी गाढ़ी-गाढ़ी मनी सीधा मेरे गले में उतरने लगी। जबकि कामीचाचा के लण्ड ने मेरी चूत को भरना शुरू कर दिया। 
मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मेरी साँस बंद हो जाएगी। तभी जमाल चाचा ने मेरा सिर अपने लण्ड से हटा दिया। मैं जोर-जोर से हाँफ रही थी और अपनी सांसों को संभालने की कोशिश में थी। मेरे मुँह से लार और जमाल चाचा का पानी बह रहा था। थोड़ी देर बाद कामीचाचा ने मुझे छोड़ दिया। मैं किसी मरगेली छिपकली की तरह ढेर हो गई। मेरी हालत बहुत खराब थी। जमाल चाचा ने अपना लण्ड दोबारा मेरे मुँह से लगा दिया और साफ करने को बोला। उनके लण्ड पे मेरा थूक, उनकी मनी लगी हुई थी। मैंने चाट-चाट के उनका लण्ड साफ कर दिया और अजीब कसैला सा जायका मेरे मुँह में घुल गया।
थोड़ी देर में हमारी साँस बहाल हुई। मुझे अब प्यास महसूस हो रही थी। कामीचाचा ने मुझे पानी पिलाया तो मेरे होश बहाल हुये, और मैं आराम से एक तरफ होकर बैठ गई। 
चाचा जमाल- यार तू कह रहा था कि ये नई लड़की है। लण्ड तो ऐसे चूसा है कि जैसे रंडियां चूसती हैं। 
जमाल चाचा की बात सुनकर कामीचाचा हँसने लगे जबकि मैं शरम से सिर झुका कर रह गई। 
तभी कामीचाचा ने मुझे कपड़े पहनने का कहा कि मुझे घर छोड़ आयेंगे। जब मैं कपड़े पहनकर तैयार हो गई तो जमाल चाचा ने मुझे अपने गले लगाया और मुझे एक लिप-किस की, और अपनी जेब से ₹50 निकालकर मेरी ब्रा के अंदर हाथ घुसाकर मेरी बायीं चूची पे रख दिए। 
मैंने सवालिया नजरों से उनको देखा तो कहने लगे कि तेरी पहली कमाई रंडी बनने की। उनकी बात सुनकर मेरे जिश्म से एक लहर निकलकर चूत तक गई और मेरी चूत से एक बूँद पानी की बाहर निकलकर सलवार में जज़्ब हो गई। 
तब जमाल चाचा ने कहा- अब मैं अगले हफ्ते आकर तुझे चोदूंगा और पूरे ₹100 दूंगा। बोल चुदवाएगी ना मुझसे?

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मेरी शरम के मारे हालत खराब हो गई थी। मैंने अपना सिर हाँ में हिला दिया। 

वो एक कहकहा मार के हँसे और कहने लगे- “तू तो पक्की रंडी बन गई है। हाह्हहाह्हहा…” 

और फिर कामीचाचा मुझे लेकर निकल पड़े और मेरी ट्यूशन के टाइम पे मुझे घर छोड़ दिया। 

मेरे दिल में अजीब सी उत्तेजना हो रही थी कि इतना मजा भी होता है इस काम में? और कभी-कभी शर्म महसूस करने लगती कि ये मैं क्या कर रही हूँ? ये सब मुझे कहाँ ले जाएगा? मेरा अंजाम क्या होगा? कि एक रिक्सेवाले ने मुझे इस कदर गंदी बना दिया है। कोई भी लड़का किस तरह मुझे कबूल करेगा? 

जबकि दूसरी तरफ चुदाई का नशा महसूस हो रहा था। जिश्म में अजब सी मस्ती भरी थी। दिल कर रहा था कि वो सब मेरे साथ दोबारा से हो। अब मुझे चाचा की काल का बेसब्री से इंतजार था। 

मैं रोज अकडमी जाती और वापस आती लेकिन चाचा ने कुछ भी नहीं किया। मुझे इस बात पे बहुत हैरत थी क्योंकि मुझे बहुत जरूरत महसूस हो रही थी चुदाई की। दिल कर रहा था कि उनसे चिपक जाऊँ और उनसे चोदने को कहूँ, लेकिन मुझे बहुत शरम आ रही थी। आखिर एक इज़्ज़तदार लड़की थी ना। रोज मैं रात को उंगली करके अपनी आग को ठंडा करने की कोशिश करती लेकिन आग थी की बढ़ती जा रही थी। इस दौरान मुझे जो खबर मिली उसने मुझे चौंका दिया। 

वो ये कि मेरी दोस्त भावना का किडनैप हो गया था। दो दिन लापता रहने के बाद वो घर पहुँची, और उसकी हालत बहुत खराब थी। उसके साथ गैंग-रेप हुआ था। उसकी चूत और गाण्ड को खूब बजाया गया था। उसको एक सप्ताह तक हास्पिटल में रखा गया था। 

भावना के बयान के मुताबिक वो मुझसे मिलने के लिए घर से निकली कि कुछ नकाबपोश लोगों ने उसको बेहोश कर दिया। जब उसको होश आया तो उसने खुद को बँधा हुआ पाया। उसकी आँखों पे पट्टी बँधी हुई थी और हाथ पाँव भी बँधे हुये थे। जबकि उसने महसूस किया कि वो नंगी है। फिर दो दिन तक उसके साथ ना रुकने वाला सिलसिला-ए-चुदाई चलता रहा। 

जो भी आता खामोशी से उसको इश्तेमाल करके बिना कोई लफ्ज़ बोले चला जाता। पता नहीं कि कितने लोगों ने उसको कितनी बार चोदा लेकिन उसको जरा भी आराम नहीं दिया गया। वो चीखती, चिल्लाती लेकिन उसपर कोई रहम नहीं किया गया। जब उनका दिल भर गया तो वो उसको बेहोश करके कहीं फेंक गए। भावना ठीक हो गई तो उसके पापा ने अपना ट्रान्स्फर लाहोर करवा लिया। 

मुझे नहीं पता कि आगे उसकी लाइफ कैसी गुजरेगी? 

साथ ही ये भी नहीं जानती थी कि मेरे साथ क्या होगा?


भावना को गए दो हफ्ते हो गए। वो मुझसे फोन पर बात करती। अभी तक वो डरी हुई थी। इस दौरान मेरा कालेज भी खुल गया। अब रुटीन ये थी कि मुझे सुबह 7:00 बजे घर से निकलना होता था और दोपहर में सीधा अकडमी और शाम को 5:00 बजे घर वापसी। 
अकडमी की टाइमिंग भी चेंज हो गई थी। कालेज का पहले दिन था। मैं नाश्ता करके घर से कामीचाचा के साथ निकल पड़ी। उनका रुख मेरा कालेज नहीं बलकि अपने घर की तरफ था। मुझे पता चल गया कि आज मेरी चुदाई होने वाली है। चूत में सनसनाहट होने लगी और उसने मुझसे बेवफाई करते हुये पानी बहाना शुरू कर दिया। अजीब सी मस्ती दोबारा शुरू हो गई। 
जैसे ही कामीचाचा के घर में दाखिल हुये। कामीचाचा मुझे अपने कमरे में ले आए जहाँ 5 मर्द बैठे हुये थे। और दो औरतें बैठी हुई थीं। मुझे उन सबको देखकर एक झटका लगा, और मैं परेशान हो गई। मैं दरवाजे के बीच में खड़ी हैरत से उन सबको देख रही थी कि ये कौन लोग हैं? और यहाँ क्या करने आए हैं? और उन सबको देखकर अजीब सी रोमांच भी हो रही थी। 
कामीचाचा- ये है नया माल। इसका नाम ऋतु है। पटाखा माल है। 
औरत1- देखने में तो अच्छी लग रही है। नथ कब खुली?
चाचा-कामी- बस एक महीना हुआ है और चुदी भी सिर्फ़ दो बार है मुझसे। बड़ी मजेदार चीज है सन्नो-बाई। 
औरत1 (सन्नो-बाई)- हमम्म्म… तूने इसको बता दिया है कि इसको तू धंधे पे लगा रहा है?
कामीचाचा- हेहेहेहेहेहे… नहीं नहीं… इसको अब पता चल रहा है। वैसे आप बेफिकर रहो। इसकी ऐसी जुर्रत नहीं कि मेरे सामने बोल सके। 
कमरे में बैठे सब लोग मुझे घूर रहे थे और मैं शरमाई और सहमी एक तरफ खड़ी हुई थी। कमरे में सिगरेट का धुंवां फैला हुआ था क्योंकि वो सब सिगरेट पी रहे थे। यहाँ तक कि वो दोनों औरतें भी। 
तभी दूसरी औरत बोली- दीदी वैसे माल तो सालिड है। क्यों ना इसको एक बार टेस्ट करके देखें? 
सन्नो-बाई- हाँ हाँ क्यों नहीं? इसीलिए तो हम आए हैं ना रानी। (औरत नो॰ दो को बोली)
फिर मुझसे- सुन री… तूने कितने बजे जाना है घर?
मैं- एम्म्म… म्*म्मीई न्न्नीईए… 5:00 बजे (आहिस्ता आवाज में)
रानी- “अरी तू घबरा क्यों रही है? चल शाबाश इधर आकर मेरे पास बैठ। चल शाबाश…” उसने प्यार से मुझे अपने पास बुलाया। लेकिन मुझसे कदम नहीं उठाए जा रहे थे। 
कामीचाचा ने मुझे बाजू से पकड़कर उसके साथ लेजाकर बिठा दिया। मैं सहमी हुई उस औरत के साथ बैठी हुई थी और अपनी गोद में रखे अपने हाथों को देखे जा रही थी। 
रानी- अरे कमीने कामी… ये तो बड़ी घबराई हुई है। चल इसके लिए पानी ला। 
कामीचाचा पानी ले आए तो उसने मुझे पानी पिलाया। मुझे इतनी प्यास लगी थी कि एक ही झटके में ग्लास खाली कर दिया। 
कामीचाचा- बस इसके कपड़े उतरने की देर है फिर देखना कैसे ये रंडी बन जाती है। और आज तो वैसे भी इसको शाम तक घर जाना है तो कोई टेंशन नहीं। इसके साथ खूब मजे करेंगे। 
सन्नो-बाई गुस्से से कामीचाचा को- चुप बे… हरामखोर, इतनी प्यारी बच्ची है। जो कुछ हम कहेंगे, जैसे हम कहेंगे वैसे ही होगा, अब से ये हमारी है। तू इसको चोदने के लिए भी हमसे पर्मिशन लेगा और पैसे भी देगा। और रेट हम फिक्स करेंगे। समझ गया?
कामीचाचा- अरे क्या सन्नो-बाई… इतनी अच्छी लड़की आपको दी है धंधे के लिए फिर भी आप ऐसे कर रही हो। आज का दिन तो कम से कम मजे करने दो?
सन्नो-बाई के बोलने से पहले रानी बाई बोली- जैसे हमने कहा वैसा ही होगा। और तुझे पता है कि हम जो एक बार कह देते हैं वैसे ही होता है। चलो अब सब बाहर निकलो। हमने इसको देखना है। तुझे तेरा कमिशन देना है। उसके बाद इसका चुदाई टेस्ट करके देखेंगे कि ये कितना चुदवा सकती है। तब इसका रेट फाइनल करना है। चलो निकलो अब सब बाहर। 
मेरी शरम से हालत खराब हो रही थी कि आगे मेरे साथ अब क्या होने वाला है? वो सारे मर्द उठकर कमरे से बाहर निकल गए। अब कमरे में हम तीन थे, मैं, सन्नो-बाई और रानी। 
अब मैं दोनों के बारे में आपको बता दूँ। 
सन्नो-बाई- उमर 30 साल, फिगर 36डीडी-30-38, रंग सांवला है, काफी आकर्षक है, रंडीखाना चलाती है। इसके सम्पर्क कई जगह हैं और ये खुद भी धंधा करती है। लेकिन स्पेशल लोगों के लिए। 
रानी- सन्नो की छोटी बहन, सिर्फ़ शौक से ये काम करती है, उमर 28साल, फिगर 34डी-30-38, लेज़्बीयन भी है और अपनी गाण्ड भी मरवाती है। मतलब गैगबैंग इत्यादि का बहुत शौक है। इसलिए इसकी गाण्ड बड़ी है और तीखे नैन-नक़्श रखती है। रंग अपनी बहन से साफ है, लेकिन सफेद नहीं कह सकते। 
उन दोनों ने कमरे की कुण्डी लगाई और मेरे पास आ गईं। 
रानी- दीदी ये तो बहुत शरमाती है। नई है ना… इसलिए। देखना आज मैं इसकी सारी शरम उतार दूँगी। ये बड़ी टाप क्लास आइटम होगी हमारे चकले (रंडी खाने) की। 
सन्नो कुछ ना बोली, बस हँसती रही। मेरा दिल कर रहा था कि किसी तरह मैं वहाँ से गायब हो जाऊँ, या किसी तरह इनसे मेरा पीछा छूट जाए। 
सन्नो ने आगे बढ़कर मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैंने उसका हाथ पकड़ना चाहा तो रानी बोली- देख अगर तू चाहती है कि तेरे साथ जबरदस्ती ना करें, जैसे तेरी सहेली के साथ किया तो तेरी भलाई इसी में है कि हमारी बात मान। 
मैं हैरत से मुँह खोले उनको देखे जा रही थी की इसने अभी क्या कहा है? मेरी सहेली? कौन सी सहेली। भावना?
रानी- हाहाहाहा… रंडी अपना मुँह बंद कर। जब लण्ड सामने आये तो फिर मुँह खोलना और उनको मुँह में लेना। मैं तेरी बड़ी अच्छी सहेली भावना की बात कर रही हूँ। उसको हमने ही अपने पास रखा था। और बेफिकर रह अब वो जहाँ है वो भी हमें पता है। टेंशन ना ले। उससे बहुत सारा पैसा कमायेंगे हम बाद में भी। 
मैं- क… कैसे… आप्पने क्या किया उस्सके सस्साथ?
रानी- उसको उठाकर लाए थे। उसको बहुत समझाया लेकिन उसने बात नहीं मानी हमारी। आखिर हमें वो सब करना पड़ा। अब उसका मुँह बंद है। और फिकर ना कर, उसको जैसे हम कहेंगे वो वैसे ही करेगी। हाहाहा… और मजे की बात ये है कि उसकी वीडियो भी हमारे पास है। जो मैं तुझे भी दिखाऊँगी बाद में। अब तू ये बता कि तू क्या चाहती है? खुद हमारा साथ देगी या तेरा भी वोई हाल करें हम?
मैं- प्लीज़्ज़ म्मुझको छोड़ दोऊ…
सन्नो आगे आई और मेरे मुँह पे करारा थप्पड़ लगा दिया। 
मेरे कानों में सीटियां बजने लगीं। दिमाग एकदम सुन्न हो गया…
सन्नो- आखिरी बार तुझसे कह रही हूँ। जैसे हम कह रहे हैं वैसे कर। वरना तू किसी को मुँह नहीं दिखा सकेगी आज के बाद। तेरी सहेली के साथ जो किया उससे भी ज्यादा बुरा हाल तेरा करेंगे। बोल जल्दी। 
मैं रोते हुये- “जैसे आप कहोगे वैसे ही करूँगी… प्लीज़्ज़ मारो नहीं मुझे…”
सन्नो और रानी हँसने लगीं हाहाहाहा… 
सन्नो- अब आई ना लाइन पर। तू बड़ी अच्छी लड़की है। चल जल्दी से कपड़े उतार। वरना मैं तेरे कपड़े फाड़ दूँगी। फिर नंगी घर जाना।

7 years ago#5
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मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई। जिश्म पे एक धज्जी भी नहीं थी। सन्नो के कहने पे मैं टांगें फैलाकर बिस्तर पे लेट गई। दोनों औरतों के सामने नंगी होने का मेरा पहला मोका था। शरम बहुत आ रही थी, लेकिन क्या करती। मेरी टांगें फैली हुई थीं और मेरी टांगों के बीच में रानी आकर बैठ गई। और मेरी चूत को देखने लगी। गुलाबी होंठों थोड़े से खुले हुये थे, और उनमें हल्का सी गीलापन था। रानी ने मेरी चूत पर अपनी उंगली से हल्का सा सहलाया। मेरे मुँह से आअह्ह… की हल्की सी आवाज निकल गई। जबकि रानी और सन्नो के चेहरों पे हल्की सी मुश्कुराहट आ गई। 
सन्नो- ये तो पक्की रंडी है। हाथ लगाने से ही सिसकने लगी है। जब लण्ड जाएगा तो फिर पता नहीं क्या होगा? और दोनों हँसने लगी। 
तभी रानी ने उठकर जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और मेरी तरफ देखकर कहने लगी- “बड़े अरसे बाद एक गरम और खूबसूरत लड़की मिली है। आज तो जी भरके इससे खेलूँगी…” 
कपड़े उतरने के बाद वो मेरे ऊपर लेट गई। हमारे जिश्म एक दूसरे से मिले हुये थे लेकिन बिल्कुल नंगे। अजीब सी हालत थी मेरी क्योंकि एक नंगी लड़की से इस तरह लिपटना अजीब लग रहा था। आज तक ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ था। मेरी आँखें भारी सी होने लगी। मैं उसकी तरफ देख नहीं पा रही थी। 
तभी रानी की बिनती की सी नशीली आवाज आई- “आँखें खोलो नाअ…”
मैंने आँखें खोल के उसकी तरफ देखा। उसने आहिस्ता-आहिस्ता अपने होंठों को मेरी तरफ बढ़ाना शुरू किया। और कुछ ही सेकंड में मेरे और उसके होंठों आपस में मिल गए। उसके मुलायम-मुलायम होंठ चूसने में अजीब सा मजा रहा था। वो भी भरपूर एंजाय कर रही थी। ये मजा आज तक मुझे भावना के साथ भी महसूस नहीं हुआ था क्योंकि ये अनुभवी थी। आहिस्ता-आहिस्ता रानी मेरी चूचियों को सहलाने लगी। मेरी चूत ने भी उसी रफ़्तार से पानी छोड़ना शुरू कर दिया। 
मैं उसकी किस्सिंग का भरपूर जवाब ले रही थी। मेरी मदहोशी बढ़ने लगी। मैंने उसकी कमर को सहलाना शुरू कर दिया था। मेरे हाथ उसकी मुलायम कमर पे फिसलते जा रहे थे। वो भी बड़े खूबसूरती से मेरे होंठ चूस रही थी जैसे उनमें से कोई शहद निकल रहा हो। 
आहिस्ता-आहिस्ता उसने मेरे होंठों से अपने होंठ अलग किए और मेरे गर्दन को चूमना शुरू किया। उउफफफ्फ़… क्या अजीब सेन्सेशन थी। मेरे मुँह से आआआह्ह ऊऊओह की आवाजें निकलने लगीं जो कि मेरे कंट्रोल में नहीं थी। साथ ही साथ वो अपनी चूचियों को हल्के-हल्के मेरे जिश्म पे मसल रही थी। टाइट निपल्स मेरे पेट पे चुभ रहे थे। पहली बार ये सब मेरे साथ हो रहा था। मैं खुद-बा-खुद उससे लिपट रही थी। मेरे हाथ अब उसकी कमर को सहला रहे थे। 
रानी अब मेरी चूचियां को सहला रही थी, बोली- क्या खूबसूरत चूचियां हैं तेरी… दिल करता है चबा जाऊँ। 
मैं हल्का सा मुश्कुरा दी। उसने अब मेरी चूचियों की गोलाई पर अपनी जबान को घुमाना शुरू कर दिया लेकिन मेरे निपल्स को नहीं छुआ या चाटा। मेरा दिल कर रहा था कि वो फौरन इनको अपने मुँह में ले-ले। लेकिन वो जालिम बनी बस गोलाई में अपनी जुबान घुमाए जा रही थी। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं उसका सिर अपने निपल्स की तरफ धकेलने लगी। 
लेकिन वो जैसे मेरी परवाह ही नहीं कर रही थी। 
मैं सिसकी- “प्लीज़्ज़ चूसो ना… सिर्फ तड़पाओ नहीं… आआअह्ह… उउफफफ्फ़… प्लीज़्ज़ मेरी निपलस्स को म्मूऊ में लो न्ना…” 
उसने मुश्कुराते हुये मेरी बायीं चूची के निपल को मुँह में ले लिया और बुरी तरह दबाने और चूसने लगी। मेरे मुँह से ऊऊओह… आआआह्ह… ऊऊऊओह… उउम्म्म्मम… की आवाजें निकल रही थीं और मैं उसका सिर अपनी चूचियों पर दबा रही थी। 
तभी सन्नो-बाई ने मेरे दूसरे निपल्स को मुँह में लेकर उसी तरह से चूसना और भंभोरना शुरू कर दिया और जोर-जोर से नोच रही थी। वो नोच ही तो रही थी, कभी दांतों में पकड़कर खींचती, कभी जोर-जोर से दबाती, कभी दोनों हाथों में एक चूची पकड़कर मसल डालती। मुझे बड़ी तकलीफ होने लगी, साथ ही साथ अजीब सा मजा भी आ रहा था। 
चूत पूरी गीली हो रही थी। 5 मिनट में ही मेरी चूचियां लाल लाल हो गईं और दुखने लगी थीं। लेकिन वो दोनों तो जैसे जालिम बनी हुई थीं। मेरे मुँह से- “आआअह्ह… ईई… उउइईई… प्लीज़्ज़… धीरे… उउफफ्फ़… ऊऊऊह्ह… की आवाजें निकल रही थीं लेकिन वो मेरी बात पे ध्यान दिए बगैर अपने काम में मगन थीं। 
तकरीबन 10 मिनट बाद उन्होंने मेरी चूचियों को छोड़ा तो मेरी जान में जान आई। और मैं तेज-तेज सांसें लेती अपनी चूचियों को सहलाने लगी। इतनी बुरी तरह से दोनों ने मेरी चूचियों को नोचा था कि वो जैसे छिल गई थीं। गोरी-गोरी चूचियां अब लाल हो गई थीं। तभी उसने मेरी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दी और तेज स्पीड के साथ अंदर-बाहर करने लगी। 
मैं ऊऊह्ह… आआआह्ह… नहींई… करती हुई छटपटा रही थी लेकिन कुछ हासिल नहीं हो रहा था। 
मैंने जैसे ही हाथ आगे करके रानी का हाथ पकड़ना चाहा। तभी सन्नो ने मेरे हाथ पकड़ लिए। रानी कम से कम एक सेकेंड में 3 बार मेरी चूत में उंगली अंदर-बाहर कर रही थी। मेरी चूत ने दो मिनट में ही पानी छोड़ दिया। लेकिन वो फिर भी अपनी मस्ती में लगी हुई थी। मैं जैसे साँप की तरह टेबल पे लोट रही थी और अपने आपको उनसे छुड़ाने के लिए मचल रही थी लेकिन वो नहीं मान रहे थे। 
तभी रानी अचानक रुक गई और मुझे छोड़ दिया। मैं बुरी तरह से हाँफ रही थी। अब मैं अपनी सांसों को कंट्रोल करने लगी। रानी मेरे ऊपर 69 की आसन में आकर लेट गई। उसकी चूत मेरे मुँह के ठीक ऊपर थी। चूत जरा गहरे रंग की थी शायद ज्यादा चुदवाने की वजह से। मुझे उसमें से अजीब सी महक आ रही थी। मेरा जी मितलाने लगा। 
सन्नो ने मुझसे कहा- चाट इसको। 
मैं ना में सिर हिलाने लगी।

तभी रानी मेरे मुँह पर बैठ गई, और मेरे मुँह पर अपनी चूत को रगड़ने लगी। मेरी साँस जैसे बंद होने लगी। वो अपनी चूत मेरी ठोड़ी से लेकर माथे तक बार-बार रगड़ रही थी। करीब दो मिनट तक ये सारा अमल चलता रहा फिर वो रुक गई। 
उसका काफी सारा पानी मेरे मुँह पे लगा हुआ था। और मैं जोर-जोर से सांसें ले रही थी। अबकी बार सन्नो ने मुझे रानी की चूत चाटने का कहा तो मैंने हाँ में सिर हिला दिया। उसके कहने पर मैं अपनी जबान बाहर निकालकर आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूत के लबों को चाटने लगी। उसमें से लेसदार पानी निकल रहा था। जिसकी अजीब सी महक और अजीब सा टेस्ट था। 
तभी रानी ने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया। मुझे मजा आने लगा। चूत में अजीब सी हलचल हो रही थी। तभी उसने अपनी जबान मेरी चूत में डाल दी। ये क्लियर साइन था कि मैं भी वैसे ही करूं। मैंने अपनी जबान नोकीली करके उसकी चूत में धकेल दिया। अंदर मुझे बहुत गरम महसूस हुई। ऐसे लग रहा था कि जैसे मेरी जबान किसी भट्टी में चली गई हो। 
मैं अपनी जबान उसकी चूत के अंदर-बाहर करने लगी। वो भी कुछ कम जुल्म नहीं कर रही थी मेरी चूत पर। तेजी से छाप-छाप शड़प-शड़प करते मेरी चूत को चाट रही थी जैसे कुत्ता तेल में से कोई चीज चाटता है। साथ-साथ मेरी चूत के दाने को भी रगड़ कर रही थी। 
मैंने भी उसकी चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया। तभी मेरे जेहन में एक शरारत आई। मैंने अपने सीधे हाथ की दो उंगलियां उसकी चूत में पेल दीं। उसने मेरी चूत से मुँह हटाकर फौरन आह्ह भरी। उसको भी बहुत मजा आया था। मैंने उसका सिर दोनों टांगों से दबा दिया जो इस बात का इशारा था कि वो मेरी चूत को फिर से चाटे। 
उसने मेरी बात को समझते हुये तेजी से चूत चाटनी शुरू कर दी। मैंने रानी की चूत का दाना सहलाते हुये उसकी चूत को चूसा जैसे अंदर से कोई चीज चूस करके बाहर निकालते हैं कि तभी वो झड़ गई और उसकी टांगें काँपने लगीं। जबकी दूसरी तरफ मैंने भी उसके मुँह में पानी छोड़ दिया। हम दोनों कुछ देर ऐसी आसन में रहे। फिर वो मेरी तरफ सीधी हो गई और मेरे होंठों को चूसने चाटने लगी। 
मैं उसके मुँह में अपने रस्स को महसूस कर सकती थी। काफी देर बाद वो मुझसे अलग हुई और मेरी आँखों में देखने लगी। 
रानी- क्या मजेदार चीज है तू… तूने पहले कभी लेज़्बीयन किया है?
मैंने नहीं में अपना सिर हिला दिया।
रानी- तो फिर इतना सब तुझे कैसे पता?
मैंने कहा कि मुझे नहीं पता बस खुद-बा-खुद करती गई तुम्हें देखकर। 
वो मुश्कुराने लगी और कहा कि आज से हम दोनों पक्की सहेलियां। मैं और तू… क्यों क्या खयाल है? 
और मैं शर्मा कर हँस दी। मेरी नजर सन्नो-बाई की तरफ गई तो उसने मुश्कुरा के मुझे देखा और प्यार से माथा सहलाते हुये बोली- “तू बड़ी गरम लड़की है। सही मानो में जबरदस्त रंडी बनेगी और ग्राहक तेरे साथ बहुत खुश रहेंगे। 
रानी कहकहा लगाते हुये- “ये सही मानो में मेरे नक़्श-ए-कदम पर चल रही है। बड़ी मजेदार है ये। दिल करता है कि इसको खा जाऊँ… हाह्हह्हह्हहाहा…”
सन्नो-बाई- चल अब तेरा आज के दिन का दूसरा सबक शुरू होता है। देखते हैं कि तू कितना लंबा चुदवा सकती है? 
मैं उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी। 
सन्नो-बाई मेरी आँखों में छुपे सवाल को भाँप गई और बोली- फिकर ना कर। एक वक्त में एक ही चोदेगा। फर्क़ सिर्फ़ इतना होगा की तेरी जबरदस्त चुदाई होगी। 
मैंने जरा राहत की साँस ली। क्योंकि एक बार तो मैं डर गई कि ये मेरा गैंगबैंग ही ना कर दें। 
सन्नो- तेरी नथ अभी कुछ दिनों पहले खुली है। बड़ी टाइट है तेरी चूत। और तू खूबसूरत भी है। इसलिए अभी के लिए तेरा रेट ₹5000 होगा। जिसमें से तू 10% यानी ₹500 हमें देगी हर चुदाई के। लेकिन तेरा ये धंधा कल से शुरू होगा। आज तेरा टेस्ट करना है हमारे आदमियो ने कि कितना दम है तेरे अंदर। ठीक है? 
मैं चुप करके उसको देखती रही। उसने जाकर दरवाजा खोल दिया। मैंने इधर उधर हाथ मारा लेकिन कोई चादर नहीं मिली जिससे मैं खुद को ढांप सकूँ। मेरे कपड़े दूर सोफे पर थे। तभी अंदर एक आदमी आ गया जिसकी हाइट आलमोस्ट 5 फीट थी। ये उन्हीं 5 आदमियो में से एक था। 
सन्नो-बाई- चलो अपना कम शुरू करो। 
वो आदमी चुपचाप मेरे पास आ गया और अपने कपड़े उतारकर नंगा हो गया। उसका लण्ड पहले से ही खड़ा था जो कि आलमोस्ट 6 इंच लंबा और काफी मोटा था। वो आकर मेरी टांगों के बीच बैठ गया। और मेरी चूत से लण्ड लगाकर एक जोर का धक्का मारा।
.उसका आधा लण्ड अंदर गया था और मेरे मुँह से चीख निकल गई। और मैंने उसके पेट पर हाथ रखकर उसको रोकना चाहा। उसने मेरे हाथों को पकड़कर बिस्तर पे रखा और दूसरा करारा धक्का मारा। उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में चला गया। मेरे मुँह से चीखें निकलने लगीं और आँखों से आँसू बह रहे थे। मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। क्योंकि अब तक सिर्फ़ दो बार चुदाई हुई थी मेरी और वो भी कामीचाचा ने अच्छी तरह तेल लगाकर चोदा था। लेकिन इसने तो थूक लगाकर अपने लण्ड को चिकना भी नहीं किया था और सीधा मेरी चूत में पेल दिया। पूरा लण्ड अंदर डालकर वो थोड़ी देर रुक गया। 


5 मिनट बाद मेरा दर्द बिल्कुल खतम हो गया तो मैंने अपनी कमर उठाकर उसको चोदने का इशारा दिया। 

उसने जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो किसी दीवाने की तरह मुझे चोद रहा था कि जैसे उसको कभी कोई चूत ना मिली हो। 

मैं 25 मिनट में 3 बार झड़ गई। एक तरह से चुदाई करवाने की वजह से मुझे भी अब थोड़ी दिक्कत होने लगी। वो ये बात समझ गया और उस आदमी ने मुझे उठाकर अपने ऊपर बिठा लिया। और कमर उठा-उठाकर धक्के मारने लगा। अब तक उसने एक लफ्ज़ भी नहीं बोला था। सिर्फ़ मुझे चोद रहा था। इसलिए उसका नाम मुझे पता नहीं चल सका था। 

मैं आआअह्ह… ऊऊऊऊओह… उउम्म्म्मम… करती चुदाई का मजा ले रही थी। 

कमरे में रानी और सन्नो-बाई बैठी मेरी चुदाई बड़े शौक से देख रही थीं। अब मैं उन सबको भूल गई थी। मेरी आवाजों पर भी मुझे कंट्रोल नहीं था। बस मजा ही मजा सवार था। मेरे जेहन को जैसे उन्होंने बंद कर दिया था। मैं चुपचाप उसका साथ दे रही थी। जो अभी भी उसी स्पीड से लगा हुआ था। पूरे 10 मिनट उसने मुझे इसी तरह चोदा। फिर मुझे डागी स्टाइल में कर दिया। 

मेरी कमर को पकड़कर कस के धक्का मारा तो मुझे ऐसे लगा जैसे किसी ने मेरी चूत को चीर दिया हो। मेरी फिर से दर्द के मारे चीख निकल गई। लेकिन वो नहीं रुका। मुझे मजबूती से पकड़ते हुये उसने चुदाई जारी रखी। मैं 5 मिनट चिल्लाती रही और उसको स्पीड कम करने का कहती रही कि मैं अड्जस्ट हो जाऊँ। लेकिन वो किसी तूफान मेल की तरह लगा हुआ था। 

आखिर मुझे आदत हो गई। और मैं फिर से उउम्म्म्मम… आआअह्ह… उउफफफ्फ़… म्*म्म्मम… आआअह्ह… करके चिल्लाने लगी। डागी स्टाइल में मैंने कुल 15 मिनट चुदाई करवाई। लेकिन अभी तक वो झड़ा नहीं था। आखिर सन्नो-बाई के कहने पर वो हटकर कपड़े पहनकर बाहर चला गया। और मैं बिस्तर पे गिरी हुई तेज सांसें ले रही थी। मैं इस चुदाई में 4 बार झड़ी। 

मुझे रानी ने पानी पिलाया। तब कहीं जाकर 5 मिनट बाद मेरे होश बहाल हुये। मैंने हैरत से उनसे पूछा- ये अभी तक झड़ा ही नहीं और मेरा हाल खराब करके चला गया?

सन्नो-बाई हँसने लगी- हाह्हह्हह्हह्हहाहा… और कहा कि इन सबको हमने दवाई खिलाई हैं जिससे ये दो घंटे से पहले नहीं झड़ेंगे। तू टेंशन ना ले। आज तेरी चूत बिल्कुल खुल जाएगी। और आइन्दा तू किसी का भी लण्ड बड़ी आसानी से बिना तकलीफ के झेल लेगी। 

मैं- इसका नाम क्या है?

सन्नो-बाई- क्यों क्या हुआ?

मैं- वैसे ही जब से आया एक लफ्ज़ भी नहीं बोला और मुझे इतनी बुरी तरह से रगड़ के चला गया। 
सन्नो-बाई- मेरी जान बाकी सब भी इसी तरह से तुझे चोदेंगे, और एक लफ्ज़ भी अपने मुँह से नहीं निकालेंगे। क्योंकि ये सब गूंगे हैं। इन सबकी जबानें कटी हुई हैं। हमने इनको इसी कम के लिए रखा हुआ है। और हम तुझे इनके नाम कभी भी नहीं बतायेंगे।
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तभी कमरे में दूसरा आदमी आ गया, और उसी की तरह फौरन नंगा हो गया। उसका लण्ड 8 इंच का था लेकिन उसकी मोटाई कम थी। उसने आकर बिस्तर पर चारों हाथ-पाँव पर खड़ा किया और खुद नीचे जमीन पर खड़ा हो गया और उसी स्पीड से मुझे चोदना शुरू कर दिया। इस चुदाई में मुझे काफी दर्द हुआ क्योंकि मेरी चूत सूखने लगी थी। और आहिस्ता-आहिस्ता उसमें दर्द होने लगा। 

इस चुदाई में मैं सिर्फ़ एक बार झड़ी। उसने मुझे 3 आसनों में एक घंटा चोदा। फिर वो चला गया तो रानी ने फौरन मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया ताकि थोड़ी गीली हो जाए और चुदाई के दौरान इतनी तकलीफ ना हो। उससे मुझे काफी आराम भी मिला। ऐसे लगा जैसे किसी ने मेरी चूत की सिकाइ कर दी हो। 

(यहाँ एक बात मैं कहना चाहूंगा कि अक्सर कहानियों में लिखा होता है कि एक घंटे में 10 बार झड़ी। फिर दूसरे घंटे में 10 बार झड़ी। ऐसा हकीकत में नहीं होता। एक लड़की अगर 5 मिनट में झड़ती है तो उसका दूसरा आर्गॅजम लेट होता है। यही सिचुयेशन मर्दों के साथ है कि एक बार झड़ने के बाद दूरी बार ज्यादा टाइम बाद झड़ता है। एक लड़की या औरत दिन में अधिकतम 10 बार झड़ सकती है और मर्द 8 बार। इससे ज्यादा की सम्भावना नहीं है। इससे ज्यादा कोई अगर झड़ता है तो वो मेडिकल प्राब्लम है। जैसे-जैसे एक लड़की ज्यादा बार झड़ती है उसके अंदर दर्द बढ़ती जाती हैं और अंदर जो प्राकृतिक ल्यूब्रिकेशन है वो कम होती जाती है।)
तीसरा आदमी अंदर आया। उसने मुझे बिस्तर पे लिटा दिया और मेरी टांगें मेरी चूचियां के साथ लगा दीं। अब मैं दोहरी हो गई थी। उसने अपने 8 इंच लंबे और काफी मोटे लण्ड से मेरी खूब चीखें निकाली। मैं तो जैसे बेहोश होने वाली थी दर्द के मारे। क्योंकि एक तरफ मेरी कमर में दर्द हो रहा था और दूसरी तरफ उसने मेरी चूत को चीर-फाड़ दिया। अभी उसको चोदते हुये आधा घंटा ही हुआ था और मैं बस बेहोश होने वाली थी। मेरी चूत में से खून निकलने लगा। 

तो सन्नो-बाई ने उसको हटाकर बाहर भेज दिया। मेरी हालत बहुत खराब थी। दर्द बर्दाश्त से बाहर हो रहा था। और मैं अपनी चूत पे हाथ रखकर रोए जा रही। आँखों में आँसू थे और उउइईई… आआआह्ह… म्*ममाआआअ… की आवाजें मेरे मुँह से निकल रही थीं। सन्नो-बाई ने मेरी चूत में कोई क्रीम लगाना शुरू कर दी। जिससे मुझे अंदर ठंडक का एहसास होने लगा, और मेरी चूत को भी आराम मिलने लगा। काफी देर मैं लेटी रही। रानी मेरे गालों को सहला रही थी प्यार से। 

मैं रोते हुये बोली- प्लीज़्ज़ मैं अब और चुदाई नहीं करवा सकती। मैं मर जाऊँगी। प्लीज़्ज़ मेरे हाल पर रहम करो और मुझे जाने दो। प्लीज़्ज़।

रानी- “अच्छा मेरी जान तो अब अपनी चूत नहीं चुदवा। आज तेरी इतनी चूत चुदाई बहुत है। बस्स…” 

मैंने हाँ में सिर हिला दिया। और अपनी आँखें मूंद लीं।

थोड़ी देर बाद रानी ने मुझे वाशरूम लेजाकर साफ किया और नहलाया। मैं काफी फ्रेश महसूस कर रही थी खुद को। वो मुझे वैसे ही नंगी कमरे में ले आई। 

रानी- अब तेरी एक और ट्रैनिंग शुरू होगी… गाण्ड मरवाने की। 

मैं आँखें फाड़े उसको देखने लगी। ऐसे लग रहा था जैसे अभी मैं रो दूँगी। 

रानी- फिकर नहीं कर… मैं तेरी गाण्ड खुद तैयार करूँगी। तुझे कम से कम दर्द होगा। बस हिम्मत नहीं हारना। उसके बाद देखना सारी ज़िंदगी तू बड़े मजे करेगी। अभी सिर्फ़ 1:00 बजे हैं। अभी 4 घंटे और हैं तेरी चुदाई के और बेफिकर हो जा। तू बिल्कुल नार्मल घर जाएगी। ये मेरी गारंटी है। 

मैं खामोश थी आखिर मेरी बात का मतलब ही क्या था? अगर मैं मना करती तो वो जबरदस्ती करते। उसमें मेरा ज्यादा नुकसान होता। उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। इस तरह से कि मैं अपने घुटने जमीन पर रखकर झुकी हुई थी और मेरे ऊपर का हिस्सा बिस्तर पे था। मैं आगे नहीं हो सकती थी, अगर होना भी चाहती तो। सिर्फ़ पीछे को जोर लगा सकती थी। 

(एक बात, ये आसन ऐसी है कि इसमें औरत बिल्कुल बेबस हो जाती है। उसके पीछे से अगर कोई आदमी उसको चोद रहा हो तो वो आगे नहीं निकल सकती। बाकी हर आसन में औरत अपने आपको बचा सकती है लेकिन ये उन चंद आसनों में से एक है कि औरत अपने आपको नहीं बचा सकती। इस आसन को आप सोफा पे भी बना सकते हैं। )

बाहर हाल… कहानी पर वापस आते हैं।

रानी तेल की शीशी लेकर मेरे पीछे आ गई। उसने मेरी टांगों को चौड़ा किया और मेरी गाण्ड पे आहिस्ता-आहिस्ता ऊपर-ऊपर से तेल लगाने लगी। मुझे बिल्कुल मजा नहीं आ रहा था क्योंकि मैं अंदर ही अंदर डरी हुई थी कि क्या होगा? 5 मिनट सहलाने के बाद उसने अपनी उंगली पे ढेर सारा तेल लगाया और मेरी गाण्ड में डाल दिया। 

मेरे मुँह से उउइईई… आआअह्ह… प्लीज़्ज़ आहिस्ता की आवाज निकल गई। 

उसने मेरी कमर को सहलाना और चूमना शुरू कर दिया। और अपनी उंगली को आहिस्ता-आहिस्ता अंदर-बाहर करती रही। मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मेरे अंदर कोई जीज डाली जा रही है। जो कि मेरे पेट तक चली जाएगी। हल्के से दर्द के बाद मैं नार्मल हो गई। उसने अपनी उंगली बाहर निकाली और मेरी गाण्ड के छेद पे और तेल डाल दिया। फिर से एक उंगली अंदर-बाहर करने लगी। थोड़ी देर बाद उसने पहली उंगली के साथ दूसरी उंगली भी दाखिल करना शुरू कर दी। 

मुझे फिर से दर्द होने लगा। ऐसा लग रहा था कि कोई मेरी गाण्ड चीर रहा है। साथ ही साथ वो कमर पे किस कर रही थी और अपने दांतों से हल्का-हल्का काट भी रही थी, कभी मेरे चूतड़ों पर भी काट लेती जैसे उनको खा जाना चाहती हो। इससे मुझे मजा आ रहा था और मेरी गाण्ड का दर्द भी फौरन कम हो जाता था, और मैं मजा लेने लगती। 

आहिस्ता-आहिस्ता उसने अपनी चार उंगलियां अंदर डाल दी और उनको अंदर-बाहर करने लगी। मेरी गाण्ड अब काफी खुल चुकी थी और उसमें ढेर सारा तेल भी लगा हुआ था। इस सबमें कोई 10-15 मिनट लगे होंगे। मुझे ये इतमीनान था कि जैसे उसने कहा कि मुझे कम से कम दर्द हो रहा था। बल्कि यूँ कहना चाहिए कि दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था। थोड़ी देर 4 उंगलियां करने के बाद उसने मेरी गाण्ड से उंगलियां निकाल लीं और पूरा तेल मेरी गाण्ड में डाल दिया। तभी मुझे अपनी गाण्ड पर गरम-गरम चीज का एहसास हुआ। क्या था वो?

जी हाँ… ये लण्ड था। पीछे मुड़कर मैं नहीं देख सकी कि वो कौन है और उसका लण्ड कितना लंबा है। लेकिन उसको महसूस कर रही थी। उस आदमी ने लण्ड मेरी गाण्ड से लगाकर अंदर की तरफ दबाना शुरू किया। पुच्छ की आवाज से उसके लण्ड का अगला हिस्सा मेरी गाण्ड में दाखिल हो गया और मेरे मुँह से उउइईई… आआआह्ह… की आवाज निकल गई। मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि मेरी गाण्ड का छेद उसने उंगलियां करके नरम कर दिया था। आहिस्ता-आहिस्ता उस आदमी ने अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में दाखिल कर दिया। मुझे थोड़ा-थोड़ा दर्द हुआ और जलन भी होने लगी लेकिन बहुत ज्यादा दर्द ना हुआ जैसे की कुँवारी गाण्ड में लण्ड घुसने से होता है। 

रानी मेरे सामने आ गई- क्यों डार्लिंग? दर्द तो नहीं हो रहा ज्यादा 7:00 इंच लंबा मोटा लण्ड लेकर? कैसे लग रहा है?

मैं- नहीं ज्यादा दर्द नहीं हो रहा। बस हल्की-हल्की जलन हो रही है, और बड़ा अजीब लग रहा है कि जैसे कोई चीज मेरे पेट के अंदर जा रही हो। 

रानी- हाँ ऐसे ही होता है। चलो अब तुम अपने मुँह को भी एक काम में लगाओ। 

मैं- वो क्या?

रानी ने एक आदमी को सामने बिठा दिया। जिसका लण्ड कोई 4 या 4½” इंच था। मोटाई में भी नार्मल था। 

रानी- इसको पूरा मुँह में लेना है आहिस्ता-आहिस्ता और डीप थ्रोट करना है। ताकि तुम्हें बिना दाँत लगाए लण्ड चूसना आ जाए। उसके बाद सबके लण्ड चूसकर तुम झड़ाओगी और मनी पियोगी। फिर तुम्हारी छुट्टी होगी आज… वरना नहीं। 

मैं- तो रोका किसने है? मैंने तुमसे प्रॉमिस किया है कि जैसे कहोगी वैसे करूँगी। फिर?

वो हँसने लगी- हाह्हह्हह्हहा… 

तभी उस आदमी ने आगे बढ़कर मेरे सिर को अपनी गोद में रख लिया। उसका लण्ड मेरे मुँह के बिल्कुल पास था, सांवला सा, बालों से बिल्कुल पाक, लेकिन उसके आस-पास से अजीब सी महक आ रही थी जो कि मुझे थोड़ी बुरी लग रही थी। मेरी गाण्ड मारने वाले आदमी ने आहिस्ता-आहिस्ता अपना लण्ड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। 

मैंने हिम्मत करते हुये उस आदमी नो॰ 5 (मैं उसको आदमी नो॰ 5 कहूँगी) के लण्ड को मुँह में भर लिया। और उसकी टोपी को आहिस्ता-आहिस्ता चूसने लगी, और सीधे हाथ से सहलाने लगी। मुझे उसका अजीब सा फीका सा टेस्ट महसूस हो रहा था। और उसमें से कोई चीज हल्की-हल्की रिस कर बाहर निकलती थी। (बाद अ मुझे पता चला कि ये प्री-कम है) मैं उसके लण्ड को आहिस्ता-आहिस्ता मुँह में दाखिल करने लगी और साथ ही साथ चूसती जा रही थी। वो बड़े आराम से मेरे बालों को सहला रहा था। 

मेरे पीछे जो आदमी था (आदमी नो॰ 4) वो मेरी कमर को पकड़कर तेजी से पेलता जा रहा था। अब मुझे उसका लण्ड अपनी गाण्ड में अच्छा लग रहा था। मेरी गाण्ड से फचक-फचक और ठप-ठप की आवाज आ रही थी। जो कि तेल की वजह से और मेरी जांघों के साथ उसकी जांघें टकराने की वजह सी थी। जबकि मेरे मुँह से उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाजें आ रही थीं। मैं अपनी कमर को भी आहिस्ता-आहिस्ता हिलाने की कोशिश कर रही थी। 

मेरे मुँह में आदमी नो॰ 5 का लण्ड आधे से ज्यादा जा चुका था और वो मेरे गले के आखीर को छू रहा था। मैं उसके लण्ड को बड़े मजे से चूस रही थी कि जैसे उसमें से कोई शहद निकल रहा हो। फिर आदमी नो॰ 5 ने मेरा मुँह अपने लण्ड से हटाया। और मेरे मुँह को नीचे की तरफ धकेलने लगा। मैं उसकी बात का मतलब समझ गई। और उसकी बाल्स को चाटने लगी। खुरदरी सी त्वचा थी, बड़ा अजीब लग रहा था। उससे हल्की-हल्की महक आ रही थी। लेकिन मैं उसपर हल्के-हल्के चुंबन करती रही और कभी-कभी जबान से चाट भी लेती।
.आदमी नो॰ 4 मेरी गाण्ड मरने में जोर-ओ-शोर से व्यस्त था। उसका लण्ड मुझे अंदर जाते और बाहर आते साफ महसूस हो रहा था। जबकि मेरी चूत भी हल्की-हल्की गीली होती जा रही थी। 


मैंने आदमी नो॰ 5 का लण्ड दोबारा मुँह में भर लिया और उसके बाल्स को हल्का-हल्का मसाज करते हुये अंदर-बाहर करने लगी। उसका लण्ड जब मेरे गले को लगता तो मुझे हल्की सी खाँसी आने लगती और मेरे मुँह से थूक निकलने लगता। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। थोड़ी देर बाद उसने मेरा सिर अपने लण्ड पर दबा दिया। और उसका लण्ड मेरे गले से नीचे चला गया जबकि उसके बाल्स मेरी ठोड़ी से टकराने लगे। 

मैं बुरी तरह चोक करने लगी, लेकिन उसने नहीं छोड़ा। मेरी आँखों में से पानी बहने लगा। ऐसे लग रहा था जैसे मैं अभी उल्टी कर दूँगी। थोड़ी देर बाद उसने मुझे छोड़ा। मैं उसका लण्ड मुँह से निकालकर लंबी-लंबी साँस लेने लगी और गुस्से से उसको देखने लगी। लेकिन उसने परवाह नहीं की और दोबारा मेरे मुँह को पकड़कर अपने लण्ड से लगा दिया। 

आदमी नो॰ 4 ने मेरी गाण्ड में थोड़े जोर-जोर से धक्के लगाए और मेरी गाण्ड में अपना लण्ड पूरा डालकर रोक दिया। उसके लण्ड में से गरम-गरम वीर्य निकलकर मेरी गाण्ड में गिरने लगा। अजीब सा एहसास हो रहा था। मेरी चूत ने भी उसी वक्त पानी छोड़ दिया। 

जबकि आदमी नो॰ 5 ने मेरा मुँह अपने लण्ड पे तेजी से ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। दो मिनट बाद ही उसने मेरे मुँह को एक जगह पकड़ लिया और मेरे मुँह में झड़ने होने लगा। मैंने उसकी गाढ़ी-गाढ़ी मनी को अपने गले से नीचे ले जाना शुरू कर दिया। उसने 5-6 पिचकारियां मेरे मुँह में छोड़ी और अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया। मैंने उसका लण्ड चाटकर साफ कर दिया। 

वो मुझे छोड़कर कपड़े पहनकर बाहर निकल गए। जबकि मैं सीधी होकर जमीन पर आलटी-पालटी करके बैठ गई। मेरी कमर ऐसे लग रहा था कि जैसे अकड़ गई हो। आखिर पूरे एक घंटा एक ही आसन में रही थी मैं। रानी मेरे पास आ गई और जमीन पर एक चादर बिछाकर मुझे उसपर सीधा लिटा दिया ताकि मेरी कमर को आराम मिल जाए। 

सन्नो-बाई- “क्या बात है? तू तो बड़ी जल्दी सब सीख जाती है री। लगता है पैदाइशी रंडी है…” वो और रानी हँसने लगी। जबकि इस बार हँसी में मैंने भी उनका साथ दिया। 

मेरा अब थकान से बुरा हाल था। लेकिन अंदर ही अंदर चुदाई के बाद अजीब सी खुशी थी। भरपूर संतुष्टि। जिश्म का अंग-अंग खिल रहा था लेकिन अभी तो एक आखिरी इम्तेहान आज के दिन का बाकी था। मुझे सबके लण्ड चूसने थे और उनका वीर्य पीना था। क्योंकि अभी 3 लोग झड़े नहीं थे। उन्होंने सिर्फ़ मुझे चोदा था। और चोदा भी कैसे कि मेरी चुदी हुई चूत से भी खून निकाल दिया। मेरी चूत के साथ-साथ अब मेरी गाण्ड का छेद भी खुल चुका था। 

अब भी उसमें हल्का-हल्का दर्द हो रहा था। मैं अपनी गाण्ड के छेद को सिकोड़ने की कोशिश करती लेकिन वो पूरी तरह से बंद नहीं होता था जैसे कि पहले था। इसलिए थोड़ा अजीब भी लग रहा था। और उसमें हल्की-हल्की हवा भी लगती महसूस कर सकती थी मैं। 
7 years ago#7
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रानी मुझे सहारा देकर बाथरूम ले गई। और उसने मेरी गाण्ड को अच्छी तरह से धोया। उसने मुझ शिट करने का कहा। जब मैंने जोर लगाया तो वो तेजी से बड़े आराम से बाहर निकल आई। जबकि पहले जरा जोर लगाना पड़ता था और वो फँस-फँस कर बाहर निकलती थी। 

मुझे अच्छी तरह साफ करने के बाद वो बाहर लेकर आई।

बाहर उन्होंने खाना लगा दिया जमीन पर। दो बजे का टाइम था उस वक्त। और सब इकट्ठे बैठ गए। बाकी सबने कपड़े पहन रखे थे जबकि मैं बिल्कुल नंगी उन लोगों के बीच बैठी थी। अब इतने लोगों के सामने नंगी रह-रहकर मुझे अब इतनी शरम नहीं आ रही थी। रूम में मेरे एलावा कुल 8 लोग थे। (कामीचाचा, रानी, सन्नो, और बाकी 5 आदमी जिन्होंने मुझे चोदा था) हमने बड़े आराम से बैठकर खाना खाया जैसे कि सब नार्मल हो। कामीचाचा बार-बार मुझे हसरत भरी निगाहों से देख रहे थे। जिसे सन्नो और रानी ने भी ताड़ लिया था। आखिर वो बड़ी मझी हुई औरतें थी इस धंधे में। 

करीब 4:00 बजे तक हम सब बैठकर इधर-उधर की बातें करते रहे। मैं कामीचाचा, सन्नो और रानी बाई। वो सब मेरे बारे में ज्यादा से ज्यादा पूछा रहे थे और साथ ही साथ हँसी मजाक भी कर रहे थे। मैंने 2-3 बार उनसे भावना का पूछा लेकिन वो बात गोल कर गए। मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया। मुझे उन्होंने नंगा ही रखा। ताकि मेरी रही सही शरम भी बाकी ना रहे और कभी भी किसी से चुदाई करवाते वक्त मैं ना शरमाऊँ बल्कि दूसरे को इतना तड़पाऊँ कि वो मुझे चोदने के लिए बेकरार हो जाए। 

4:00 बजते ही रानी ने कहा कि अब तुम इन तीनों के लण्ड चूसो और इनको बेस्ट ब्लो जाब देकर इनकी मनी निकालो। 

कामीचाचा- प्लीज़्ज़ मुझे भी चोदने दो इसको। आखिर मैं इसको लाया हूँ इस धंधे में। 

रानी ने साफ-साफ मना कर दिया कि अब ऐसे नहीं होगा। हम तुम्हें तुम्हारा कमीशन देंगे। अगर तुमको भी चोदना है तो पैसे देकर चोदना होगा। 

कामी चाचा सिर झुका कर खामोश हो गए। 

मुझे इस तरह उनको देखा नहीं गया। मैं आगे बढ़कर उनसे लिपट गई और बोली- “कामीचाचा… आप क्यों टेंशन लेते हो। आप जब चाहे मुझे फ्री में चोद सकते हो। आखिर मुझे तो रंडी आपने बनाया है। अगर आप मुझे नहीं चोदते तो मुझे चुदाई का असल मजा कहाँ मिल पाता…” 

वो हैरान होकर मुझे देखने लगे। मैंने आगे बढ़कर उनके होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उनको चूमने लगी। मैंने उनसे अलग होकर उनके कपड़े उतार दिए। सन्नो-बाई और रानी ने एतराज नहीं किया क्योंकि मैं जिससे चाहूं अपनी मर्ज़ी से चुदाई करवा सकती हूँ। 

कामीचाचा को मैंने नीचे जमीन पर लेटने का इशारा किया और आहिस्ता-आहिस्ता उनका लण्ड चूसने लगी। मेरे आस-पास वो तीनों आदमी (आदमी1, आदमी2 और आदमी3) घेरा बनाकर खड़े हो गए। और मैं उन सबके लण्ड बारी-बारी चूसने और हाथों से सहलाने लगी। आदमी3 और आदमी4 मेरी कमर और चूतड़ों पर हाथ फेर रहे थे और जबकि आदमी2 और कामीचाचा मेरी चूचियां को हाथ में पकड़कर दबा रहे थे। 

मैं पूरे जोश से सबके लण्ड को चूस चाट रही थी। कभी किसी का लण्ड गले में ले लेती जिससे मुझे खाँसी हो जाती लेकिन मैं जैसे दीवानी हो चुकी थी और अपने आस-पास के माहौल को बिल्कुल भूलकर सब कर रही थी। बल्कि इस सबमें मेरी चूत भी गीली होती जा रही थी। 

आप लोगों को ऐसे लग रहा होगा कि जैसे ये कोई फिल्म है या कोई फँटेसी है जो लिखी जा रही है। लेकिन ये एक हकीकत है। मेरी ट्रैनिंग इसी तरह की गई। आप किसी रंडी के पास भी जाते हैं तो वो बिल्कुल शरम नहीं करती। उसकी वजह येई है कि वो इस माहौल से गुजरती है। जिसके बाद कोई शरम उसमें बाकी नहीं रहती। ये अलग बात है कि कोई भी रंडी आपसे ऐसे राज नहीं बताती क्योंकि आप उसके लिए एक ग्राहक होते हो। अपनी ज़िंदगी के राज वो किसी भी वजह से अपने अंदर दबा लेती है।

मैंने कामीचाचा के लण्ड को अच्छी तरह से चिकना कर लिया था। अब मैं आहिस्ता-आहिस्ता उनके ऊपर आई। जबकि मेरा मुँह उनकी टांगों की तरफ था। मैंने उनका लण्ड अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया। इससे बड़ा मजा आ रहा था मुझे। 

फिर उनके लण्ड को अपनी चूत पर सेट करके आहिस्ता-आहिस्ता उसको अपने अंदर ले लिया। हर बार उनका लण्ड सबसे हटकर एक अजीब से मजा देता है। मैं उसकी वजह आज तक समझ नहीं पाई। शायद उन्होंने मुझे सबसे पहले चोदा इसलिए। मैं हल्के-हल्के उनके लण्ड पर कूद रही थी और मेरे सीधे तरफ आदमी1 था और उल्टे तरफ आदमी3 था और सामने आदमी2, मैं तीनों के लण्ड बारी-बारी चूस रही थी और हाथ से मूठ मार रही थी। 

कामीचाचा मेरी कमर को सहलाते हुये अपनी कमर उठाते हुये मुझे चोद रहे थे। मैं जब ऊपर होती तो वो वो भी नीचे हो जाते और जब मैं नीचे होने लगती तो वो भी नीचे से धक्का मारते। एक जबरदस्त लय से हमारी चुदाई जारी थी। आधा घंटा इस तरह चोदने के बाद वो तीनों मेरे मुँह में झड़ गए। उनका इतना पानी निकला कि मैं वो सारा ना पी सकी। और काफी पानी मेरी चूचियां पर बहते हुये नीचे जाने लगा। 

तभी कामीचाचा ने मुझे नीचे लिटा दिया और जोर-जोर से मुझे चोदने लगे। 

मैं चेहरे पे मुश्कुराहट सजाए उनके गले में बाजू डाले उनकी आँखों में देख रही थी। 5 मिनट जबरदस्त चुदाई के बाद वो मेरे अंदर झड़ गए। साथ ही मैं भी झड़ गई। कामीचाचा से चुदाई करवाते हुये मैं दो बार झड़ी। मैं नीचे लेटी हुई लंबी-लंबी सांसें ले रही थी। दिल कर रहा था कि अब गहरी नींद सो जाऊँ। 5 मिनट में ही मेरी आँख लग गई। 

अभी मैं सोई ही थी कि रानी ने मुझे झकझोर के उठा दिया और मुझे नहाकर तैयार होने का कहा। मैंने घड़ी देखी तो उसपर 4:45 बजे हो रहे थे। यानी सिर्फ़ 15 मिनट बाकी था मेरे घर जाने में। मैं जल्दी-जल्दी नहाने लगी। अपने आपको अच्छी तरह साफ किया। और अपनी चूत और गाण्ड को भी अच्छे से धोया। और ठीक 5:10 बजे कपड़े पहनकर बाहर निकली। 

रानी- धंधे में आमद की मुबारक। आज से तू एक प्रोफेशनल रंडी बन गई है। 

मैंने हँसते हुये अपना सिर हिला दिया। रानी ने मुझे एक फोन दिया जिसमें सिर्फ़ उसका नंबर था। उसने कहा कि जिस दिन धंधे पे जाना हुआ वो मुझे मेसेझ किया करेगी। मुझे कामीचाचा उस ग्राहक के पास या उनके अड्डे पे ले जाया करेंगे। मोबाइल को साइलेंट पे लगा दिया ताकि किसी को पता ना चले और वैसे भी किसी की काल आने का डर तो था नहीं। 

मैंने अपनी दायां चूची पर उसका दिया मोबाइल रख लिया। 

वो हँस दी और कहने लगी- “रंडियों वाले काम तू सीख रही है जल्दी-जल्दी…” 

निकलने से पहले उसने मुझे ₹5000 दिए। मैंने उसकी तरफ देखा तो कहने लगी- “आज तेरी जो चुदाई हुई है और गाण्ड की सील खुली है, उसके पैसे हैं। और ये सी॰डी॰ घर जाकर देख लेना कि तेरी सहेली भावना के साथ क्या-क्या हुआ? 

मैंने वो पैसे और सी॰डी॰ अपने पास संभाल के रख लिए। और कामीचाचा के साथ अपने घर चली गई। उसके बाद मैंने अपनी खुशी और रजामंदी से लोगों से चुदाई करवाना शुरू कर दिया। मुझे पैसे भी बहुत मिलते। अक्सर लोग मुझे अपनी खुशी से भी अलग से पैसे दे जाते। मैंने अपना बैंक अकाउंट खुलवा लिया। जिसमें मैं पैसे जमा करवाती हूँ। 

रानी के साथ भी कई बार मैंने सेक्स किया और कई बार ग्रूप सेक्स भी लेकिन एक साथ दो लण्ड चूत या गाण्ड में लेने की मेरी हिम्मत नहीं हुई। मैं कामीचाचा को अक्सर मोका देती हूँ। 5 साल गुजरने के बाद मेरे पास काफी पैसा जमा हो चुका है। अब मेरा रेट भी कम हो गया है। मैं अब ₹1000 या ₹2000 पर ग्राहक लेती हूँ। मेरे घर वालों को आज तक इस बात का नहीं पता चला कि मैं क्या करती हूँ। मैंने ग्रेजुयेशन के बाद कई कोर्सेस किए हैं। जिसके बहाने मैं घर से निकलती हूँ और चुदाई का मजा लेती हूँ। 

एक आखिरी बात कि मैंने कामीचाचा से निकाह कर लिया है। वो और मैं अब प्लान कर रहे हैं कि हम दिल्ली चले जाएँ। उनको मेरे चुदाई करवाते रहने पे कोई एतराज नहीं है। वो भी इसको एंजाय करते हैं। जल्द ही मैं उनके साथ घर से भाग जाऊँगी। 

दोस्तों ये थी ऋतु की कहानी… उम्मीद है आपको पसंद आई होगी। 

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