Update 001 -
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम निशा गुप्ता है। मैं 25 साल की हूँ और दिल्ली में रहती हूँ। मैं देखने में बहुत खूबसूरत हूँ। मेरा रंग गोरा है और फिगर 32-30-36 है। मेरे पति अमन गुप्ता एक मल्टी नेशनल कम्पनी में साप्टवेयर इंजीनियर हैं। इसलिए अक्सर वो इण्डिया से बाहर आते जाते रहते हैं। मैं भी एक डॉमेस्टिक साफ्टवेयर कम्पनी में काम करती हूँ। जहाँ मेरा काम साफ्टवेयर टेस्टिंग और बैक-एण्ड सपोर्ट का है। हमारी शादी को 3 साल हो गए हैं। पर अभी तक हमने कोई बच्चा प्लान नहीं किया है और ना ही फिलहाल ऐसा कोई इरादा है। बैसे तो मुझे सेक्स करना पसंद है पर मेरे पति अक्सर इण्डिया से बाहर ही रहते हैं। जिस कारण हम कम ही सेक्स कर पाते हैं।
करीब एक महिने पहले की बात है। मेरे पति अमन कम्पनी के काम से 3 महिने के लिए लंदन गए हुए थे। मेरी कम्पनी डॉमेस्टिक साफ्टवेयर का काम करती है। जहाँ मैं टीम लीडर की पोस्ट पर हूँ। एक दिन मध्यप्रदेश के एक गवर्मेंट डिपार्टमेंट से हमारे साफ्टवेयर की कम्प्लेंट आई। उस समय हमारी कम्पनी के ज्यादातर फील्ड ऑफिसर आउट ऑफ सिटी थे। इसलिए मेरे मैंनेजर ने उस कम्प्लेंट को हैंडिल करने का काम मुझे सौंप दिया था। गवर्मेंट का काम था और उस साफ्टवेयर से हमारी कम्पनी को बहुत ज्यादा प्रॉफिट भी होने बाला था। इसलिए मैं मध्यप्रदेश की कैपिटल भोपाल जाने के लिए तैयार हो गई।
बैसे भी मेरे पति पिछले 1 महिने से लंदन में थे और उनके वापिस आने में अभी 2 महिनों का समय और लगने बाला था। जिस कारण बैसे भी मैं घर पर बोर होती रहती थी। कम्पनी ने मेरा 1 हफ्ते का टूर फिक्स कर दिया था। इसलिए मैं उसी दिन रात की ट्रेन से भोपाल निकल गई। अलगे दिन सुबह करीब 6 बजे मैं भोपाल पहूँच गई। भोपाल में कम्पनी ने मेरे लिए पहले से ही होटल में एक रूम बुक कर दिया था। इसलिए स्टेशन से मैं सीधा होटल पहूँची और फ्रेस होकर अपने काम पर निकल गई।
जब में कम्प्लेंट बाली जगह पर पहूँची तो पता चला कि वो लोग काफी ओल्ड मॉडल के कम्प्यूटर सिस्टम पर साफ्टवेयर चला रहे थे। जिसे देखकर मुझे सारी बात समझ में आ गई। मैंने तुरंत वहाँ एक इमरजेंसी मीटिंग अरेंज्ड करने की रिक्वेस्ट की। जिसके बाद मैंने मीटिंग में सभी लोगों को प्राब्लम समझाई और उसे दूर करने का तरीका भी बताया। वहाँ के सीनियर आफिसर को मेरी बात समझ में आ गई थी। इसलिए उन्होंने उसी दिन मेरी देखरेख में सारे सिस्टम अपग्रेड करवा दिए। जिसके बाद जब उस साफ्वेयर को चलाया गया तो कोई प्राब्लम नहीं हुई।
ये सब काम खत्म होते होते शाम के 4 बज गए थे। ऑफिस का काम 6 बजे तक चलना था। इसलिए मैं 2 घंटे और वहाँ पर रुकी ताकि अगर कोई और प्राब्लम आती है तो उसे दूर कर सकूँ पर कोई प्राब्लम नहीं आई। जिसके बाद मैं सीधा अपने होटल बापिस आ गई। मेरा काम पूरा हो गया था। इसलिए मेरा भोपाल रुकने का कोई मतलब नहीं रह गया था। जिस कारण मैंने उसी दिन रात की ट्रेन से बापिस दिल्ली जाने का फैसला कर लिया। मैंने ऑनलाईन चैक किया तो पता चला कि भोपाल से दिल्ली के लिए रात 9 बजे की एक ट्रेन है। इसलिए मैंने तुरंत ऑनलाईन टिकिट बुक कर लिया और अपना सामान पैक कर के अपना खाना रूम में ही मंगा लिया था।
चूंकि रेलवे स्टेशन मेरे होटल के पास में ही था, इसलिए मैं रात करीब 8:30 बजे होटल से चेक आउट कर के स्टेशन के लिए निकल गई। सर्दी का समय था और चारों तरफ हल्का कोहरा भी छाया हुआ था। इसलिए मैं रेलवे स्टेशन के वेटिंग ऐरिया में काफी देर तक अपनी ट्रेन आने का इंतजार करती रही। लेकिन जब रात 9:30 बजे तक ट्रेन नहीं आई तो मैंने इंक्वारी काऊँटर पर जाकर पूछताछ की। तब मुझे पता चला कि कोहरा ज्यादा होने के कारण ट्रेन कैंसिल हो गई है। इसलिए टिकिट के पैसे मेरे अकॉऊंट में रिटर्न हो जाऐंगे। अब उस स्टेशन से सुबह 9 बजे के बाद ही दिल्ली के लिए कोई ट्रेन मिलेगी। यह सब जानकर मेरा पूरा मूड ही खराब हो गया था। अब इतनी रात को मैं कहाँ जाऊँ होटल से भी मैंने चैक आऊट कर दिया था। इसलिए मैं स्टेशन से बाहर आकर खडी हो गई।
तभी मैंने देखा कि स्टेशन के बाहर थोडी दूर सुनसान जगह पर 3-4 लडकियाँ भडकीले कपडे पहने खडीं हैं। मैं उनकी तरफ ध्यान से देखने लगी। कुछ देर बाद एक आदमी उनके पास आया और उनसे बातें करने लगा। फिर अचानक से उस आदमी ने एक लड़की के सीने पार हाथ रख दिया और उसके बूब्स को सहलाने लगा। यह सब देखकर तो मैं हैरान ही रह गई। पहले तो मुझे लगा कि वो आदमी अब पक्का पिटने बाला है। पर उस आदमी ने जिस लड़की के सीने पर हाथ रखा था वो अब भी मुस्कुरा रही थी।
यह सब देखकर मैं कुछ रियेक्ट कर पाती उससे पहले ही उस आदमी ने अपने पर्स में से कुछ पैसे निकाले और उस लड़की को दे दिए। फिर वो आदमी उस लड़की के साथ स्टेशन के यार्ड की तरफ चला गया। जहाँ ट्रेन और मालगाडी के पुराने डिब्बे रखे हुए थे। ये सब देखकर मैं समझ गई कि वो लडकियाँ कालगर्ल हैं। थोडी ही देर बाद एक एक कर के सारी लडकियाँ वहाँ से चलीं गई थीं। मेरे पास अब कोई काम तो था नहीं और ना ही रुकने की कोई जगह थी। इसलिए मैंने सोचा क्यों ना होटल बापिस जाकर देखा जाऐ। हो सकता है मुझे अपने रूम की चावी बापिस मिल जाऐ। बैसे भी होटल का रूम मेरे नाम से पूरे 7 दिन के लिए बुक था।
आज मेरी किस्मत काफी अच्छी थी, क्योंकि होटल स्टॉफ ड्यूटी अब तक चेंज नहीं हुई थी। इसलिए रिसेप्शनिस्ट ने मुझे पहचानकर रूम की चाबियाँ मुझे बापिस कर दीं थी। मैं अपने रूम में जाकर कपडे चेंज करके लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी पर मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। मेरी आँखों के सामने बार बार स्टेशन के बाहर खडीं उन कॉलगर्लस का चेहरा आ रहा था। पिछले 2 महिने से मेरे पति लंदन में थे। जिस कारण मैंने 2 महिने से बिल्कुल भी सेक्स नहीं किया था। ऊपर से मेरे पति की सेक्स परफॉरमेंश भी कुछ खास नहीं थी। कई बार तो मैं सैटिसफाई भी नहीं हो पाती थी। पर मैंने आज तक उनसे कोई शिकायत नहीं की थी।
मैं पिछले 2 महिने से सेक्स के लिए उताबली थी। पर मेरे पति को बापिस आने में अभी समय लगने बाला था। अक्सर मेरे साथ ऐसा ही होता था। जिस कारण मैं काम में अपने आप को बिजी कर लेती थी। पर यहाँ भोपाल में आकर मेरे पास अब कोई काम ही नहीं था। ऊपर से रेलवे स्टेशन की घटना ने मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया था। जिस कारण मेरे मन में कई सारी बातें एक साथ चल रहीं थीं
“साले अमन कमीने तू इतने दिनों के लिए क्यों जाता है... पक्का तेरा किसी और के साथ चक्कर है या फिर तू विदेश में जाकर गोरी लडकियों को चोदता होगा है। तभी तो तूझे कोई फर्क नहीं पडता। पर मैं क्या करूँ। अपनी आग कैसे बुझाऊँ मैं... “
“क्या करूँ… क्या मैं भी उन लडकियों की तरह स्टेशन के बाहर जाकर खडी हो जाऊं। कोई ना कोई मिल ही जाऐगा जो मेरी आग बुझा सके“
“नहीं नहीं ये ठीक नहीं है.... ये तो अमन के साथ धोखा होगा और फिर मैं ऐसी बैसी लड़की नहीं हूँ जो अपना जिस्म बेचती फिरूँ.... “
“पर मैं जिस्म कहाँ बेच रही हूँ। मैं तो ये सब बस मजे के लिए कर रही है। रही बात अमन की तो जब उसे मेरी कोई फिक्र नहीं है तो फिर मैं क्यों उसके बारे में इतना सोच रही हूँ। मैंने कितनी बार कहा है उससे की ये फॉरेन ट्रिप बंद कर दो। पर वो मानता ही नहीं है।“
“पर वो ये सब हमारे भविष्य के लिए ही तो कर रहा है।“
“अरे भाड में जाऐ ऐसा भविष्य... किस चीज की कमी है हमारे पास। सब कुछ तो है। फिर भी उसकी पैसों की भूख कभी खत्म ही नहीं होती है। उसके इस भविष्य के चक्कर में अपना वर्तमान क्यों खराब करना, और फिर जब मेरी सारी जबानी निकल जाऐगी तो फिर उसके यहाँ रुकने से क्या फायदा होगा। कुछ सालों बाद तो बैसे भी मुझे बच्चा पैदा करना ही पडेगा। एक बार बच्चा हो गया तो समझो सेक्स लाईफ खत्म। तो फिर ये सती सवित्री होने का नाटक बंद कर और मजे कर। बैसे भी कौन सा रोज रोज ये सब करना है। आज मौका मिला है तो मजे कर ले।“
“लेकिन अगर किसी को पता चल गया तो...“
“तो क्या होगा। अरे तू दिल्ली की है, यहाँ भोपाल ऑफिस के काम से आई है... अगर यहाँ किसी अंजान आदमी के साथ थोडा बहुत मजा कर भी लिया तो कौन सा वो दिल्ली जाकर तेरे पति से बोलने बाला है। किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। मजे भी ले लेगी और एक रात के लिए कालगर्ल बनने की फैंटसी भी पूरी हो जाऐगी“
इतना सोचते ही मैं उठकर खडी हो गई और अपना बैग खोलकर उसमें कपडे चैक करने लगी। कॉलगर्ल की तरह दिखने के लिए मेरे पास ज्यादा ऑप्शन नहीं थे, क्योंकि मैं ऑफिस टूर पर थी। जिस कारण मेरे पास इस वक्त केवल प्रोफेशनल कपडे ही थे। इसलिए मैंने नीले रंग का स्किन टाईट बूटी जींस निकला, जो काफी पतले कपडे का था और स्ट्रेचेबल भी था। इसकी सबसे बडी खासियत ये थी कि इसे पहनने पर इसका पिछला हिस्सा मेरी दोनों गांड के थोडा अंदर की तरफ चला जाता था। जिस कारण मेरी दोनों गाँड अलग अलग उभरी हुईं दिखाई देतीं थी। इसके बाद मैंने एक शार्ट जैकेट और पुश-अप ब्रा सेट निकाला। ब्रा के ऊपर टॉप पहने का इस वक्त मेरा कोई ईरादा नहीं था।
थोडी देर बाद मैं तैयार होकर आईने में अपने आप को निहार रही थी। मैं इस वक्त बहुत ज्यादा सैक्सी बिल्कुल किसी मॉडल की तरह दिखाई दे रही थी। खुले बाल होँठो पर डार्क रेड लिपिस्टिक। ब्लैक कलर की शार्ट जैकेट जो मेरे कमर से ऊपर तक थी। जिस कारण मेरी पतली कमर साफ साफ दिखाई दे रही थी। जैकेट के अंदर पुश-अप ब्रा। जिससे मेरे बूब्स सीधे तने हुए दिखाई दे रहे थे और ऊपर से मेरी क्लीवेज भी साफ साफ दिखाई दे रही थी, नीचे टाईट फिटिंग जींस। मैंने चारों तरफ से अपने आप को देखा और फिर अपना मंगलसूत्र और बाकी सुहाग कि निशानी निकली और संभाल कर रख दीं।
अब मैं 22-23 साल की कुँवारी लड़की की तरह दिखाई दे रही थी, ना कि किसी शादीसुदा औरत की तरह। तैयार होने के बाद मैं अपने छोटे से कैरी बैग में कुछ पैसे और मोबाईल रख कर रूम लॉक करके बाहर आ गई। थोडी देर बाद में स्टेशन के बाहर खडी कॉलगर्ल के पास जाकर खडी हो गई। मैं नई थी और वहां पहली बार आई थी। इसलिए वहाँ खडी लडकियों ने मुझे अपना कॉम्पटीशन समझकर मुझसे बिल्कुल भी बात करने की कोशिश नहीं की थी। खैर मुझे भी इससे कोई फर्क नहीं पडा। मैंने अभी जैकेट बंद की हुई थी। क्योंकि मैं किसी ग्राहक को वहाँ खडी कॉलगर्ल से बात करते हुए सुनना चाहती थी। असल में मुझे नहीं पता था कि ग्राहक से कैसे बात करनी है और पैसे कितने माँगने हैं। थोडी ही देर इंतजार करने बाद वहाँ एक आदमी आया और लडकियों के पास खड़ा हो गया। उनमें से एक लड़की बोली
लड़की- चलता है क्या
लड़का- क्या लोगी
लड़की- एक राऊँड के 2
लड़का- ज्यादा हैं
लड़की- मंगता है तो बोल बर्ना फूट ले... दो से कम में कोई नहीं देगी यहाँ
लड़का- पूरी रात का क्या लोगी
लड़की- 20 हजार
लड़का- साली राँड तेरा तो भाव बडता ही जा रहा है। खुद को ऐश्वर्या समझ रही है क्या.. साला एक रात का 20 हजार। मैं अकेला कितनी बार कर लूँगा तेरी
लड़की- मेरे को क्या पता कि तू अकेला है या 10 लोंडे हैं। मैं तो तेरे साथ जायेगी तब पता चलेगा ना। पूरी रात का तो यही लगेगा। चाहे तू अकेला सारी रात कर या 10 लोंडे के साथ मिलकर कर। बस मैं सुबह 5 बजे से पहले निकल आऊँगी।
लड़का- 10 दूँगा बोल चलती है क्या
लड़की- 15 आखरी है... देता है तो बोल बर्ना टाईम खोटी मत कर
उस लडकी की बात सुनकर लडका थोडा सोचते हुए बोला
लड़का- चल ठीक है 15 दूँगा, पर पीछे भी लूँगा
उस लडके की बात सुनकर वो कॉलगर्ल थोडो झल्लाते हुए बोली
लड़की- चल हट साले.... 15 चोदने का है। पीछे करने के और मूँह में लेने के 5-5 हजार अलग से लगेंगे
लडकी की बात सुनकर अब वो लडका भी थोडा चिढ गया था। इसलिए वो भी थोडा गुस्से में बोला
लड़का- ये तो गलत बात है.... जब 15 में बात तय हो गई है, तो अब फिर से पैसे बड़ा रही हो...
लड़की- चोदने की बात हुई है गाँड मारने की नहीं
लड़का- 15 में सब कुछ बोलती है तो चल, बर्ना यहाँ और भी हैं
लडके की बात सुनकर उस लड़की ने उस लडके का एक हाथ पकडकर अपने बूब्स पर रख दिया और उसे सि़ड्यूज करते हुए बोली
लड़की- अरे सेठ पैसा क्या देखता है... माल देख ना माल, एक दम कडक माल है
वो लड़का उस कॉलगर्ल के बूब्स को सहलाते हुए बोला
लड़का- माल तो बाकई कडक है, पर पैसे ज्यादा हैं... कुछ कम करो तो बात बने
लड़की- चल ठीक है एक काम कर ना तेरे ना मेरे 20 फाईनल करते हैं। मैं तेरा अपनी चूत गाँड और मूँह तीनों में लूँगी। अगर चाहो तो 1-2 दोस्तों को भी बुला लेना
उस कॉलगर्ल की बात सुनकर लडका थोडा सोचते हुए बोला
लड़का- ठीक है बैठ जा गाडी पर
लड़की- पहले रोकडा फिर चलूँगी
उस लड़की की बात सुनकर लडके ने अपनी जेब से 100-100 रूपये की दो गडियाँ निकालकर उस लड़की को दे दीं। लड़की ने वो पैसे तुरंत अपने पर्स में रख लिए और उस लडके की बाईक पर जाकर बैठ गई। जिसके बाद वो दोनों वहाँ से निकल गए। मैं उन लोगों की बातें बडे ध्यान से सुन रही थी। एक ही बार में मैं समझ गई कि क्या बात करनी है और कितने पैसे माँगने हैं। इसके बाद मैं उन लडकियों से थोडा दूर जाकर खडी हो गई और अपनी जैकेट आगे से खोल दी। अब में पूरी तरह से तैयार थी। मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पडा। थोडी ही देर में एक आदमी मेरे पास आया और बोला
आदमी- कितना लोगी
निशा- 5 हजार एक शॉट का
आदमी- बहुत ज्यादा हैं... कुछ कम करो
निशा- आगे जो लडकियाँ खडीं हैं ना, उनको ले जा... 2 हजार में चली जाऐंगी। तेरा काम भी हो जाऐगा और पैसे भी बच जाऐंगे। मेरी लेनी है तो पूरे 5 हजार देने होंगे।
मेरी बात सुनकर वो आदमी बाकई में आगे चला गया। जिसे देखकर मैं तो हैरान ही रह गई। मैं तो बस यूँ ही बारगेनिंग कर रही थी। कौन सा मुझे सच में पैसे चाहिए थे। ये तो सब मैं मजे लेने के लिए कर रही थी। सोचा था थोडी सी बारगेनिंग करूँगी तो सच में कॉलगर्ल लगूँगी। इतनी देर खडे रहने के बाद एक ग्राहक मिला था और वो भी मेरी बेबकूफी से चला गया। वो आदमी उन लडकियों के पास जाकर कुछ देर खड़ा रहा और फिर बापिस मेरे पास आने लगा। उसे बापिस आता देख मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। मेरे पास आकर वो आदमी बोला
आदमी- चल ठीक है 5 दूँगा तेरे को
निशा- क्या हुआ सेठ वहाँ भी पैसे कम नहीं हुए क्या
मेरी बात सुनकर वो आदमी अपनी मोटर साईकिल से उतर कर मेरे एकदम पास आ गया और मेरे एक बूब्स को बेरहमी से दवाते हुए बोला
आदमी- पैसे तो कम ही थे पर माल तेरे जैसा नहीं था जानेमन
उस आदमी के छूते ही मेरे पूरे बदन में एक सनसनी दौड गई। जिंदगी में पहली बार मेरे पति के अलावा किसी दूसरे इंसान ने मेरे सीने पर हाथ लगाया था। एक पल को तो मेरे मन में ख्याल आया कि मैं मना कर दूँ। क्योंकि मैं एक शरीफ औरत हूँ और कभी भी गैर मर्द के बारे में कभी सोचा भी नहीं था, पर आज पता नहीं कैसे मैंने इतना बड़ा फैसला कर लिया। ऊपर से मैं ये सब पहली बार कर रही थी।
पर अगले ही पल मेरे ऊपर वासना फिर हावी हो गई। उस आदमी के बेरहमी से मेरे बूब्स को मसलने से मुझे दर्द तो हुआ, पर मजा भी आया था। अमन ने कभी भी मेरे साथ बाईल्ड सेक्स नहीं किया था। पर मेरी फ्रेंड अपने बाईल्ड सेक्स का एक्सपीरियंस मेरे साथ अक्सर शेयर करती थी। अलग अलग लोगों के सेक्स एक्सीरियंस सुन कर मुझे बड़ा मजा आता था। इसलिए जब अमन बाहर जाता तो मैं घर पर खाली समय में नेट पर सेक्स स्टोरी भी पढती थी, और फिर उन्हें अक्सर मन ही मन अपने साथ फैंटसाईज भी करती थी। जिस कारण मैंने अपनी कुछ बाईल्ड फैंटसी की एक लिस्ट बना रखी थी। जिसके बारे में मैंने आज तक किसी को भी नहीं बाताया था। मेरी उस लिस्ट में से कॉलगर्ल बनने की एक इच्छा आज पूरी होने बाली थी। स्टेशन के बाहर सबके सामने ही उस आदमी के मेरे बूब्स को एक बार फिर से बेरहमी से मसला तो मैं अपने ख्यालों से बाहर आकर हल्के से चीखते हुए बोली
निशा- आआआहहहह…. सेठ थोडा धीरे से दर्द होता है... चलो कहाँ चलना है
आदमी- तू बता कहाँ चलना है... लगता है नई नई है धंधे पर.. अरे तेरा कोई अड्डा तो होगा ही आस पास
निशा- वाहर की हूँ सेठ... आज पहली बार यहाँ आई हूँ
वो आदमी कुछ सोचते हुए बोला
आदमी- चल ठीक है रेलवे यार्ड में चलते हैं। वहाँ वहूत सारे पुरानी ट्रेन के डिब्बे रखे हुए हैं। यहाँ कि ज्यादातर धंधे बाली वहीं जाती हैं।
इतना बोलकर उस आदमी ने अपनी जेब से 5 हजार रूपये निकाल कर मुझे दे दिये। मैंने वो पैसे अपने कैरी बैग में रखे और फिर उस आदमी के साथ रेलवे यार्ड की तरफ चली गई।
Update 002 -
रेलवे यार्ड के अंदर पहुँचकर हम दोनों एक खाली डिब्बे में चड गए, जिसके अंदर कोई भी नहीं था। यार्ड के बाहर कई सारी स्ट्रीट लाईट जल रहीं थी। डिव्वा पूरी तरह लॉक होने के कारण उसमें अंदर एकदम अंधेरा था। उस आदमी ने डिब्बे को अंदर से लॉक कर लिया और मोबाईल की फ्लैश लाईट में उस डिब्बे को अच्छी तरह से चैक करने लगा। वो एक स्लीपर कोच डिब्बा था, जिसकी लगभग सारी सीटें पहले ही निकाली जा चुकीं थीं। पर कुछ सीटों के बेड अब भी वहाँ एक साईड रखे हुए थे। उस आदमी ने एक बेड नीचे जमीन पर विछा दिया और सामने बाली खिड़की खोल दी। जिस कारण उस खिड़की से पर्याप्त रोशनी अंदर आने लगी।
मैं बहुत ज्यादा डरी हुई थी पर साथ साथ नये एक्सपीरियंस के लिए एक्साईटेड भी हो रही थी। अब आगे जो भी वहाँ होने बाला था उसके लिए मैं मन ही मन अपने आप को तैयार करने लगी। फिर मैंने जैसे ही अपना कैरी बैग और अपनी जैकेट उतार कर एक तरफ रखा, तो उस आदमी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरी गाँड को अपने हाथों से सहलाते हुए मेरे होंठों पर किस करने लगा। जिस कारण मेरे शरीर में एक बार फिर से सनसनाहट दौड गई। किसी और आदमी के द्वारा अपने शरीर को ऐसे छूने से मुझे बहुत शर्म आ रही थी। जिस बजह से मेरे चेहरा शर्म से लाल हो गया था।
लेकिन तभी मुझे ऐहसास हुआ कि उस आदमी को जरा जल्दी है। इसलिए थोडी देर मेरे होंठों को चूसने के बाद उस आदमी ने मेरी ब्रा उतार दी और मेरे बूब्स को सहलाने लगा। थोडी देर मेरे बूब्स को बेरहमी से मसलने के बाद उसने मेरे कंधों को नीचे दबाकर बैठने का इशारा किया। उसकी इस हरकत से मैं समझ गई कि वो अपना लण्ड चुसवाना चाहता है। मैंने पहले भी 4-5 बार अपने पति अमन का लण्ड चुसा था। जिस कारण मुझे उसका लण्ड चूसने में कोई प्राब्लम नहीं थी। इसलिए उस आदमी का इशारा मिलते ही मैं भी चुपचाप घुटनों के बल नीचे बैठ गई।
मेरे बैठते ही उस आदमी ने अपने पेंट की जिप खोलकर अपना लण्ड बाहर निकाला, जिसे देखकर मैं बुरी तरह से हैरान रह गई। क्योंकि उसका लण्ड अमन के लण्ड से बड़ा और मोटा था। इससे पहले मैं कुछ सोच पाती उस आदमी ने अपने हाथ का दबाब डालकर मेरे सर को अपने लण्ड पर झुकाया। अब मेरे पास पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं था। बैसे भी मैं यहाँ अपनी मर्जी से आई थी। इसलिए मैंने चुप चाप उसका लण्ड अपने मूँह में ले लिया और चूसने लगी।
उस आदमी के लण्ड से गंदी सी स्मैल आ रही थी और उसका स्वाद भी कुछ अजीब सा और थोडा नमकीन था। इससे पहले मैंने जब भी अपने घर पर अमन का लण्ड चूसा था। तो हर बार अमन अपने लण्ड को अच्छी तरह से धोकर साफ करता था। उसके बाद ही वो अपना लण्ड मुझसे चुसवाता था। लेकिन वो तो पति पत्नि की आपसी समझ है। पर यहाँ तो मैं एक रण्डी बनी बैठी थी। तो फिर वो आदमी भला क्यों अपने लण्ड को धोकर साफ करने लगा। इसलिए मैं चुपचाप उसके लण्ड को चूसती रही। उस आदमी को मेरी चुसाई बहुत पसंद आ रही थी। इसलिए वो बोला
आदमी- साली राण्ड क्या मस्त चूसती है तू.. आआआहहहह मजा ही आ गया.. मन कर रहा है चुसवाता रहूँ और तेरे मूँह में ही माल छोड दूँ। पर तेरी चूत भी चोदनी है साली... कुछ देर और ऐसे ही चूसती रही तो पक्का पानी निकल जाऐगा मेरा।
इतना बोलकर उस आदमी ने मेरे बालों को पकड कर अपना लण्ड़ मेरे मूँह से निकाल लिया और मुझे वहाँ बिछे बेड पर लेटने का इशारा किया। तो मैं चुप चाप बेड पर पीठ के बल लेट गई। उस आदमी ने जल्दी से अपने कपडे निकाले और फिर मेरी जींस और पैंटी भी निकाल दी। फिर मेरी कमर के पास जाकर बैठ गया और अपना लण्ड मेरी चूत से सटा कर मेरे ऊपर लेट गया। मैं समझ गई कि अब मेरी चुदाई होने बाली है। मेरे ऊपर आते ही उस आदमी ने अपने दोनों हाथों से मेरे बूब्स को पकडा और मेरे होँठों को चूसते हुए मेरी चूत में अपने लण्ड का एक धक्का मारा।
मेरे पति का लण्ड इस आदमी से छोटा है। जिस कारण मेरी चूत ज्यादा खुली नहीं थी। जिस कारण उस आदमी के धक्के से उसका मोटा लण्ड जैसे ही करीब 2 इंच मेरी चूत के अंदर गया तो मुझे तेज दर्द महसूस हुआ, पर उस आदमी ने मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबा रखा था। जिस कराण मेरी चीख अंदर ही घुट कर रह गई। उस आदमी ने एक के बाद एक 4-5 जोरदार धक्के दिये और अपना पूरा लण्ड बेरहमी से मेरी चूत में घुसा दिया। दर्द के कारण मेरा बुरा हाल था। मैंने अपने दोनों पैर उस आदमी की कमर से लपेट लिए और अपने हाथों को उसकी पीठ पर कस लिया। अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसाने के बाद उस आदमी ने मेरे होंठो को छोडा और बोला
आदमी- साली क्या चूत है तेरी... एक दम टाईट... मजा ही आ गया आज तो....
इतना बोलकर वो आदमी अपनी कमर हिला कर पूरी ताकत से धक्के मारने लगा। हालाँकि मुझे दर्द हो रहा था। पर में चीख कर किसी को ये नहीं बताना चाहती थी कि यहाँ इस डिब्बे के अंदर मेरी चुदाई चल रही है। इसलिए मैं दर्द को बरदास्त करने की कोशिश करने लगी। मैंने अपने निचले होंठ को अपने दांतों से दबा लिया ताकि मेरी आबाज ना निकले। कुछ ही देर की चुदाई के बाद मेरा दर्द कम हो गया और मेरी चूत पानी छोडने लगी। जिस कारण अब मुझे भी मजा आने लगा था।
अब मैं उस आदमी की पीठ को अपने दोनों हाथों से सहालने लगी और अपनी कमर हिलाकर उसका साथ देने लगी। कुछ देर तक वो आदमी यूँ ही मुझे चोदता रहा और मेरे होंठो और गर्दन पर किस करता रहा। फिर उसने मेरे बुब्स को चूमना और निप्पलस् को अपने मूँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। जिस कारण मैं उत्तेजना के कारण झर गई। पर वो आदमी अपना काम करता रहा। करीब 10-15 मिनट मेरी यूँ ही चुदाई करने के बाद अचानक से वो रुक गया और बोला
आदमी- साली हरामजादी राण्ड….. ऐसे तो तू मेरा 2 मिनट में ही पानी निकाल देगी। चल साली कुतिया बन जा…. अब मैं तुझे कुतिया बनाकर चोदूँगा
इतना बोलकर वो मुझसे अलग हो गया और मैं चुप चाप कुतिया की तरह खडी हो गई। उस आदमी ने मेरी कमर को अपने दोनों हाथों से मजबूती से पकडा और एक ही झटके में अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। जिस कारण मेरे मूँह से हल्की सी चीख निकल गई
“आआआहहहहह”
मेरे चीखने पर उस आदमी ने मेरी गाँड पर एक थप्पड मारा और बोला
आदमी- चुप हो जा साली राण्ड…. क्या सारी दुनिया को बताऐगी कि यहाँ चुदाई चल रही है। मुझे तो कोई प्राब्लम नहीं है, पर तेरी चूत का जरूर चबूतरा बन जाऐगा।
मुझे उस आदमी की बात सही लगी। इसलिए मैं चुप चाप अपने निचले होंठ को अपने दांतों से दबाकर अपनी चुदाई करवाती रही। उस आदमी का लण्ड इतना बड़ा था कि चुदाई करते वक्त वो सीधे मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था। इसके अलाबा वो आदमी बीच बीच में मेरी गाँड पर थप्पड भी मार रहा था। जिस कारण मुझे दर्द होने के साथ साथ मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी सनसनाहट भी दौड रही थी। उस आदमी ने मुझे कुतिया बनाकर करीब 30-35 मिनट तक चोदा।
इस बीच में 3 बार झर गई थी। अमन ने मुझे कभी भी इतनी देर तक नहीं चोदा था। उसे अपना पानी छोडने में कभी भी 5-10 मिनट से ज्यादा समय नहीं लगता था। हाँ यदि कभी वियाग्र खा ले तो भी वो ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट तक ही चोद पाता था। कई बार तो मेरे झरने से पहले ही वो अपना पानी छोड देता था। जिस कारण मैं अक्सर प्यासी ही रह जाती थी। पर इस आदमी ने तो बहुत ज्यादा ही समय ले लिया था और 3 बार मेरा पानी भी निकाल दिया था। मैं अभी ये सब सोच ही रही थी कि अचानक उस आदमी की स्पीड बड गई। जिस कारण मैं समझ गई कि अब ये आदमी अपना पानी छोडने बाला है।
बैसे तो मैंने 2 महिने पहले ही कॉपर-टी लगवाई थी। इसलिए प्रेग्नेंसी का मुझे कोई डर नहीं था। लेकिन फिर भी मैं नहीं चाहती थी की वो आदमी मेरी चूत के अंदर ही अपना पानी छोडे। पर ठीक उसी समय मैं एक बार फिर से झरने की करीब पहूँच गई। जिस कारण मैं उसे नहीं रोक पाई और उस आदमी ने मेरी चूत के अंदर ही अपना पानी छोड दिया। जैसे ही उसका गर्म गर्म पानी मेरी चूत के अंदर गिरा तो उसके साथ साथ मैं भी झर गई और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी। जब उस आदमी का सारा पानी मेरी चूत में समा गया तो वो मुझसे अलग हो गया। और अपने कपडे पहने लगा।
मैं अब भी वहीं लेट कर लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी और अपने आप को नार्मल करने की कोशिश कर रही थी। जब तक मैं नार्मल हुई, तब तक बो आदमी अपने कपडे पहनकर जाने लगा था। हालाँकि वो जगह स्टेशन से ज्यादा दूर नहीं थी। पर मैं यहाँ अकेले तो बिल्कुल भी नहीं रहना चाहती थी। इसलिए मैंने भी जल्दी जल्दी अपने कपडे पहने और फिर जैसे ही हम दोनों उस डिब्बे से बाहर निकले तो मेरी गाँड बुरी तरह से फट गई। क्योंकि उस डिब्बे के बाहर वहाँ के दो सिक्योरिटी गार्ड खडे हुए थे। हमें उस स्लीपर कोच से बाहर निकलता देख उनमें से एक बोला
गार्ड1- सालो बहनचोद क्या कर रहे थे दोनों अंदर
इससे पहले हम उस गार्ड के सबाल का जबाब देते दूसरा गार्ड बोला
गार्ड2- लगता है अंदर चुदाई चल रही थी।
गार्ड1- क्यों बे तेरी गर्डफ्रेंड है या राण्ड
आदमी- राण्ड है गार्ड सहाब
उस आदमी की बात सुनकर दोनों गार्ड मुझे हैरानी से देखने लगे फिर एक बोला
गार्ड1- माल को कडक है... क्या रेट है तेरा
उस आदमी कि चुदाई से मैं पहले ही काफी थक गई थी। जिंदगी में पहली बार इतनी देर चुदाई हुई थी। पर पता नहीं क्यों मैं मन ही मन एक्साईटेड भी थी। शायद पहली बार चुदाई में इतना मजा आया था। पता नहीं आज के बाद फिर कभी मौका मिले ना मिले। इसलिए मैंने मन ही मन उन दोनों से चुदने का मन बना लिया और बोली
निशा- 5 हजार
गार्ड2- ओह बहनचोद… ये तो बहुत मंहगी राण्ड है। कुछ कम कर ले तो हम भी मजे ले लेंगे तेरे
निशा- मेरा रेट तो यही है सहाब। करना है तो बोला… बर्ना जाने दो…
गार्ड1- नखरे बाली भी है साली.... 5 हजार दोनों का देगें बोल देती है क्या
निशा- बोला तो है सहाब… अगर मेरी मर्जी से करना है तो पैसे कम नहीं होंगे। वर्ना तुम दोनों तो हट्टे कट्टे मर्द हो जबरदस्ती भी कर सकते हो।
मेरी बात सुनकर दूसरा गार्ड मुझे धमकाते हुए बोला
गार्ड2- चुप चाप मान जा बर्ना रेलवे की प्रापर्टी में बिना इजाजत घुसने और यहाँ धंधा करने के जुर्म में पुलिस के हवाले कर देंगे।
उस गार्ड की बात सुनकर वो आदमी जिसने मुझे अभी अभी चोदा था वो बोला
आदमी- अरे गार्ड सहाब गुस्सा क्यों कर रहे हो। माल एकदम कडक है। धंधे में भी एकदम नई है। एकदम टाईट चूत है इसकी और मजे भी बहुत देती है। मूँह में लेने पर भी कोई नखरे भी नहीं दिखती। इस हिसाब से 5 हजार में कोई बुराई नहीं है। आगे आपकी मर्जी, पुलिस के हबाले करना है तो कर दो। लेकिन एक बात याद रखना कि ये रण्डी है और रण्डी की काहे की इज्जत। पुलिस थाने जाने पर कौन सी बदनामी होगी। आप जानते तो हैं सब कुछ। कुछ देर बैठाकर छोड देंगे।
उस आदमी की बात सुनकर गार्ड सोचते हुए बोला
गार्ड1- चल ठीक है... तू निकल
गार्ड की बात सुनकर वो आदमी चला गया और मैं वहीं खडी रह गई। उस आदमी के जाते ही वो गार्ड बोला
गार्ड1- चल ठीक है दूँगा पूरे 5 पर मजे लूँगा और हाँ मूँह में भी लेना होगा
निशा- ठीक है सहाब पर 5 एक के हैं...
गार्ड2- हाँ हाँ ठीक है मैं भी दूँगा अब चल अंदर
उसकी बात सुनकर मैं बापिस उस डिब्बे के अंदर चली गई और उसी बेड के पास जाकर अपने कपडे उतारने लगी। तभी उनमें से एक गार्ड अंदर आया और दूसरा बाहर खड़ा होकर रखबाली करने लगा। जैसे ही मैंने अपने सारे कपडे उतारे तो उस गार्ड ने मुझे दीबार से सटा दिया और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे बूब्स को सहलाने लगा। कुछ देर मेरे होंठों को चूसने के बाद उसने मेरे निप्पलस को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया। जिस कारण मेरे शरीर में फिर से बासना की आग भडकने लगी। कुछ देर तक यूँ ही मेरे मजे लेने के बाद उस गार्ड ने अपने सारे कपडे उतार दिए और मुझे बैठने का इशारा किया तो मैं चुप चाप नीचे घुटनों के बाल बैठ गई और उसका लण्ड चूसने लगी। उस गार्ड का लण्ड चूसते हुए मैं अपने ऊपर हैरान थी। और मन ही मन सोच रही थी कि
“मैं ये सब क्या कर रही हूँ। ये गार्ड जिसका मैं लण्ड किसी लालीपॉप की तरह बडे मजे से चूस रही थी वो मेरे बाप की उम्र का आदमी है, जो देखने में भी एकदम काला और बदसूरत है। इसके जैसे कई आदमी मेरी कम्पनी में छोटे मोटे काम करते हैं। जिन्हें मैंने आज तक नजर भर के देखा तक नहीं था और आज मैं एक मामूली से गार्ड का लण्ड चूस रही हूँ और उससे चुदने बाली हूँ। वो भी मात्र 5 हजार रूपये के लिए“
पर अगले ही पल मेरे मन में फिर दूसरा ख्याल आया
“नहीं ये सब पैसों के लिए नहीं है। पैसे तो बस बहाना है मैं तो ये सब बस मजे के लिए और अपनी संतुष्टी के लिए कर रही हूँ। कौन सा हर रोज करना है... आज मौका मिला तो कर लिया। आज के बाद फिर कभी नहीं, और फिर मामूली गार्ड है तो क्या हुआ, है तो इंसान ही, और फिर इसका लण्ड भी तो अच्छा खासा बड़ा और मोटा है। अमन का तो इससे आधा भी नहीं है।“
मैं ये सब सोच ही रही थी कि तभी उस गार्ड ने अपना लण्ड मेरे मूँह से बाहर निकाल लिया और खुद उस बैड पर पीठ के बल लेट कर मुझसे बोला
गार्ड1- चल ऊपर आ जा
उस गार्ड की बात सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हो गई थी। क्योकि मैं कई बार खुद ऊपर चडकर चुदाई करवाने के बारे में सोचती थी। पर मेरे पति ने मुझे ऐसे चुदाई करवाने का कभी कोई मौका ही नहीं दिया। शायद वो उन आदमियों में से है, जो हमेशा औरत को अपने के कम समझते हैं और औरत को हमेशा अपने नीचे दबाकर रखना ही पसंद करते हैं। खैर जो भी हो पर आज मेरी यह इच्छा भी पूरी होने बाली थी। इसलिए मैं चुपचाप उसके ऊपर चड गई और उसके लण्ड को अपनी चूत पर टिका कर धीरे धीरे बैठने लगी।
अभी उसका लण्ड करीब 2 ईंच ही अंदर गया था कि तभी उस गार्ड ने मेरी कमर को अपने दोनों हाथों से पकडा और एकदम नीचे की तरफ दवा दिया। जिस कारण उसका पूरा लण्ड एक दम से मेरी चूत को फाडता हुआ सीधे मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। जिस कारण मेरी चीख निकल गई
“आआआआहहहहहह मममाँ“
मेरी चीख सुनकर बाहर खड़ा गार्ड बोला
गार्ड2- उस्ताद जरा धीरे करो बेचारी की जान लोगे क्या... कुछ मेरे लिए भी छोड देना
गार्ड1- ओये चुप कर अभी तो घुसया ही है। चुदाई शुरू कहाँ हुई है। आभी से चिल्लाने लगी। लगता है प्रैक्टिस कम है।
इतना बोलकर मेरे नीचे लेटा गार्ड अपनी कमर हिलाकर अपना लण्ड अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगा तो मैं भी ऊपर नीचे होकर खुद ही अपनी चुदाई करवाने लगी। शूरूआत में तो मुझे थोडा दर्द हुआ और अजीब भी लगा, पर फिर मुझे इसमें मजा आने लगा। उस गार्ड ने अपने दोनों हाथ से मेरे बूब्स पकडे हुए थे, और उन्हें सहला रहा था कभी कभी वो मेरे निप्पलस् को अपनी उंगलियों से मसल देता, तो कभी मेरे गाँड पर अपने हाथ रख कर मुझे तेजी से ऊपर नीचे करने लगता।
मैं करीब 20 मिनट तक यूँ ही ऊपर नीचे होते हुए अपनी चुदाई करवा रही थी। मैं इस वक्त मजे के सातवे आसमान पर थी। इतना मजा मुझे जिंदगी में पहले कभी नहीं आया था। इस दौरान मैं 2 बार पानी भी छोड चुकी थी। जिस कारण उसका लण्ड अब आसानी से मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था। पर अब मैं बुरी तरह से थक गई थी। इसलिए मैंने उपर नीचे होना बंद कर दिया और उसके चेहरे पर झुककर उसे खुद ही चूमने और सहलाने लगी। ये पहली बार था कि मैंने खुद से किसी को ऐसे चूमा और सहलाया था। वो गार्ड समझ गया की मैं बहुत ज्यादा थक गई हूँ। इसलिए वो बोला
गार्ड1- चल साली अब तू कुतिया बन जा
उस गार्ड की बात सुनकर मैं उसके ऊपर से उतर गई और बेड पर कुतिया बन कर खडी हो गई। जिसके बाद उस गार्ड ने बिना देर किये अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी कमर पकडकर मेरी चुदाई करने लगा। इस पोजीशन में भी मुझे बहुत मजा आ रहा था। उस गार्ड ने मुझे कुतिया बनाकर एक बार फिर 20-25 मिनट तक चोदा और फिर मेरी चूत में ही अपना पानी छोड दिया। उसके अलग होते ही मैं वहीँ बैठकर अपनी सांसें कंट्रोल करने की कोशिश करने लगी। जवकि उस गार्ड ने जल्दी से अपने कपडे पहने और अपने जेब से 5 हजार रूपये निकाल कर मुझे दिए और बाहर निकल गया।
मैंने वो पैसे अपने बैग में डाल दिए। तब तक दूसरा गार्ड भी अंदर आ गया था। उसने बिना देर किये अपने कपडे उतारे और मेरे मूँह के आगे अपना लण्ड कर दिया। मैंने उसके कुछ कहने से पहले ही उसका लण्ड चूसना शुरू कर दिया। करीब 10 मिनट आपना लण्ड चुसवाने के बाद उसने मुझे कुतिया बनने के लिए कहा। जैसे ही मैं कुतिया बनकर खडी हुई तो दूसरे गार्ड ने एक ही बार में अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाकर मेरी चुदाई शुरू कर दी। इसका लण्ड पहले बाले आदमी और पहले गार्ड से थोडा छोटा था पर फिर भी मेरे पति अमन से तो काफी बड़ा था।
इसलिए मैं चुपचाप किसी आवारा कुतिया की तरह खडी होकर अपनी चुदाई के मजे लेने लगी। इस दूसरे गार्ड ने भी मुझे 30-40 मिनट चोदने के बाद अपना पानी मेरी चूत के अंदर ही छोड दिया और जल्दी से कपडे पहन कर मुझे 5 हजार रूपये दिए और वहाँ से बहार चला गया। अब तक मैं बुरी तरह से थक गई थी। इसलिए मैं वहीं लेटकर अपने आप को नार्मल करने की कोशिश कर रही थी। करीब 10-15 मिनट रेस्ट करने के बाद जब मुझे कुछ अच्छा फील होने लगा तो मैंने भी जल्दी से अपने कपडे पहने और वहाँ से बाहर निकल आई।
Update 003 -
उन तीनों आदमियों ने मेरी धंआधार चुदाई की थी। मैंने इतने बडे बडे और मोटे लण्ड कभी अपनी चूत में नहीं लिए थे। जिस कारण चलते वक्त मेरी चूत में हल्का हल्का दर्द हो रहा था। जिस कारण मुझे अपनी सुहागरात याद आ गई। उस दिन पहली बार चुदने के बाद भी मेरा यही हाल हुआ था। बैसी ही फीलिंग आज दूसरी बार मुझे हो रही थी। जिस कारण दर्द होने के बाबजूद मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। मैं धीरे धीरे चलते हुए वहाँ से बाहर निकल गई और वापिस उसी जगह पर जाकर खडी हो गई जहाँ से पहला आदमी मुझे ले गया था।
मेरा अब और चुदने का कोई इरादा तो नहीं था। पर फिलहाल मैं और चलने की हालत में भी नहीं थी। इसलिए कुछ देर वहाँ रुक कर रेस्ट करने के बाद होटल जाने के बारे में सोच रही थी। मैंने अपने पर्स में से मोबाईल निकाल कर समय देखा तो रात के करीब 1 बजने बाले थे। इतनी रात को होटल बापिस जाना मुझे थोडा अजीब लग रहा था। मुझे वहाँ खडे अभी करीब 10-15 मिनट ही हुए थे कि तभी एक कार मेरे पास आकर रुकी। उसमें से एक आदमी जो गाडी चला रहा था। उसने बाहर झांककर मुझसे कहा
“चलोगी क्या”
मैने उस आदमी को ध्यान से देखा तो वो करीब 50-55 साल का बूडा आदमी था। उसके बगल में और कार की पिछली सीट पर उसी की उम्र के दो और बुड्डे बैठे हुए थे। मैंने मन ही मन सोचा की इतनी रात को होटल जाने से अच्छा है कि इनके साथ चली जाती हूँ। समय भी कट जाऐगा और थोडा बहुत मजा और ले लूँगी। फिर जिंदगी में दोबारा ऐसा मौका मिला नहीं मिला किसे पता। इसलिए मैं बोली
निशा- चलने के लिए ही तो खडी हूँ सेठ जी
बुड्डा - कितना लोगी
निशा- एक शॉट के 5 हजार
बुड्डा- पूरी रात का क्या लोगी
निशा- पूरी रात क्या करोगे सेठ तीन आदमी हो उम्र भी हो गई है। एक बार से ज्यादा बैसे भी नहीं कर पाओगे। क्यों पैसे बर्बाद करने पर तुले हो।
बुड्डा- उससे तुझे क्या तू बस पैसा बोल
मैंने मन ही मन हिसाब लगाया कि बुडे आदमी हैं अगर करेंगे भी बहुत से बहुत दो बार कर लेंगे। इसलिए मैंने उनसे कहा
निशा- बैसे तो मैं पूरी रात का 50 लेती हूँ पर टाईम ज्यादा हो गया है तो तुम 30 दे देना
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा तुरंत बोला
बुड्डा- चल ठीक है…. पूरे 30 दूँगा…. पर पूरे मजे देने पडेंगे
उस बुड्डे की बात सुनकर मैं मन ही मन हैरान थी। क्योंकि उस बुड्डे ने कोई बारगेनिंग नहीं की थी। एक ही बार में मेरी बात मान ली थी। मैंने मन ही मन सोचा की अगर थोडा और बोल देती तो भी शायद ये मान जाता, पर अब जो तय हो गया सो हो गया। बैसे भी मैं ये सब पैसे कमाने के लिए नहीं कर रही थी। इसलिए मैं बोली
निशा- अरे सेठ एकदम खुश कर दूँगी। हाथ लगाकर तो देखो एकदम कडक माल हूँ। नई नई आई हूँ इस धंधे में।
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा खुश होते हुए बोला
बुड्डा- चल ठीक है। तो फिर बैठ जा गाडी में
निशा- बैठ तो जाऊंगी सेठ पर बापिस यहीँ छोडना पडेगा
बुड्डा- हाँ हाँ छोड देंगे तू बैठ तो सही
उसकी बात सुनकर मैं चुप चाप कार का पिछला गेट खोलकर अंदर बैठ गई। जिसके बाद गाडी चलाने बाले बुड्डा ने गाडी आगे बड़ा दी। मैंने अपनी जैकेट आगे से खोली हुई थी। इसलिए मेरे साथ पिछली सीट पर बैठे दूसरे बुड्डा ने मुझे अपनी बाहों में भरकर मुझे चूमना और मेरी बूब्स को सहलाना शूरू कर दिया। मुझे इसमें कोई प्राब्लम नहीं थी। बैसे भी कुछ देर बाद ही मेरी फिर से चुदाई होने ही बाली थी। तो उसके लिए मुझे अपने आप को गर्म करना जरूरी था।
करीब 15 मिनट बाद गाडी एक बडे से बंगले के अंदर जाकर रुकी। मैं उन तीनों बूड्डों के साथ उस बंगले के अंदर चली गई। वो पूरा बंगला खाली था। वे मुझे एक बडे से हॉल में ले गए जहाँ एक तरफ खाने पीने की पूरी व्यवस्था थी और दूसरी तरफ एक शानदार पलंग बिछा हुआ था। बे तीनों बुड्डे सोफे पर जाकर बैठ गए। फिर उनें से एक बुड्डा बोला
बुड्डा- तू पियेगी क्या
बैसे तो मैं ड्रिंक नहीं करती हूँ। पर एक दो बार पार्टी बगैरह में ट्राई किया है। आज मैं पहले से ही 3 बार चुद चुकी थी और थकी हुई भी थी। ऊपर से ये तीन बुड्डे भी मुझे चोदने बाले थे। इसलिए मैंने कहा
निशा- हाँ ठीक है…. बना दो मुझे भी एक पैग
मेरी बात सुनकर उस बुड्डे ने मेरे लिए भी एक पैग बना दिया। जैसे ही मैं उनके बगल में बैठने लगी तो एक बुड्डे ने मुझे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और फिर एक पैग उठाकर मेरे होंठों पर लगा दिया। मैंने वो गिलास अपने हाथों में ले लिया और शिप करने लगी। जिसके बाद बाकी सभी ने भी अपने अपने अपने गिलास उठा लिए और पीने लगे। जब सबके पैग खत्म हो गए तो। पहले बाले ने एक और पैग और बनाकर मुझे दिया।
मैं चुप चाप उस दूसरे पैग को भी धीरे धीरे शिप करने लगी। जैसे ही मेरा दूसरा पैग खत्म हुआ तो मुझे हल्का हल्का नशा महसूस होने लगा। रास्ते में एक बुड्डा पहले से ही मेरे साथ छेडछाड कर रहा था। इसलिए में पहले से ही गर्म थी। ऊपर से शराब के नशे ने मुझे पूरी तरह से मदहोश कर दिया था। मुझे अपने शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी महसूस होने लगी थी। इसलिए मैंने खडे होकर अपनी जैकेट और जींस निकाल दिया।
अब मैं केवल ब्रा और पेंटी में ही उनके सामने खडी थी। तभी एक बुड्डे ने खडे होकर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और दूसरे ने मेरी पैंटी नीचे खिसका दी। जिसके बाद मैंने उन्हें भी उतार कर अलग कर दिया। अब मैं उन तीनों बुड्डों के सामने एकदम नंगी खडी हुई थी। उस कमरे में चारों तरफ बल्ब जल रहे थे। जिस कारण अच्छी खासी रोशनी हो रही थी। जिसमें मेरा हुस्न कुछ ज्यादा ही निखर आया था। फिर उन बड्डों ने मुझे पलंग पर लिटा दिया और तीनों मेरे शरीर के साथ छेडखानी करने लगे।
कोई मेरी चूत चाट रहा था तो कोई मेरे बुब्स को मसल रहा था और मेरे निप्पलस को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था और कोई मेरे होंठों को चूम रहा था। कुछ देर तक वो तीनों बुड्डे अपनी अपनी पोजीशन बदलकर मेरे शरीर के हर हिस्से को चूमते और सहलाते रहे। कभी मुझे पीठ के बाल लिटाकर मेरे ऊपरी हिस्से को चूमते और सहलाते कभी मुझे पलट कर मेरी पीठ गाँड और गर्दन को सहलाते और चूमते।
उन तीनों की इस हरकत से मैं कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गई थी। इस वक्त मेरे पूरे बदन में सनसनाहट दौड रही थी। ऊपर से अपने बाप से भी ज्यादा उम्र के आदमियों के सामने यूँ नंगे होने से शर्म के कारण मेरा पूरा बदन लाल हो रहा था। मेरे मन में इस वक्त कई अलग अलग प्रकार की फिलिंग चल रहीं थी। पर ये भी सच है कि मुझे इस सब में काफी मजा आ रहा था। जब उन बुड्डों का मन मुजे चूमने और सहलाने से भर गया तो वो तीनो बुड्डे पलंग से नीचे उतर कर खडे हो गए और एक एक कर अपने सारे कपडे उतार कर अपना अपना अपना लण्ड मेरी तरफ कर के खडे हो गए।
मैं समझ गई की वो तीनों ही अपना लण्ड मुझसे चुसवाना चाहते हैं। तो मैंने यूँ ही लेते लेटे उनके एक दम पास आ गई और एक एक कर तीनों का लण्ड चूसना शूरू कर दिया। मैं बारी बारी से तीनों का लण्ड चूस रही थी। कुछ देर तक अपना लण्ड चुसवाने के बाद 2 बुड्डे वहाँ से बापिस सोफे पर जाकर बैठ गए। लेकिन एक बुड्डा वहीं खडा रहा। उसने मुझे पीठ के बल सही से लेटाया और फिर बिना देर किए मेरे ऊपर सबार हो गया। इससे पहले मैं चुदाई के लिए अपने आप को तैयार कर पाती उससे पहले ही उसने एक झटके में अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मुझे चोदने लगा।
मैं जैसे तैसे अपने दर्द को बरदास्त कर कसमसाकर रह गई। उस बंगले में हमारे अलावा कोई और नहीं था। इसलिए मैंने अपनी आबाज को दवाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी। फिर जैसे ही मेरी चुदाई शुरू हुई तो खुद व खुद मेरे मूँह से कामुक आवाजें निकलने लगी। जिसे सुनकर वो बुड्डा और भी ज्यादा जोश में आ गया और अपनी पूरी ताकत लगाकर मुझे चोदने लगा।
उमममममम
आहहहहहहह
उँहहहहह
हय मार डाला
आहहहहहह
उमममममम
करीब 30-35 मिनट तक मुझे चोदने के बाद उस बुड्डे ने अपना पानी मेरी चूत में छोड दिया और जैसे भी बो बुड्डा मुझसे अलग हुआ तो दूसरा मेरे ऊपर सबार हो गया और कमरे में एक बार फिर से मेरी कामुक आवाजें गूँजने लगीं
उमममममम
आहहहहहहह
उँहहहहह
फिर जैसे ही दूसरा बुड्डा ठण्डा हुआ तो तीसरा मेरे ऊपर चढ गया और मुझे चोदने लगा। मैंने तो अब समय का आंदाजा भी लगाना बंद कर दिया था। मैं इस वक्त मजे के सांतवे आसमान पर थी और मन ही मन सोच रही थी कि अगर मेरे पति ने इनमें से किसी एक बुड्डे से आधी मेहनत भी मुझ पर की होती तो शायद में जिंदगी में कभी ये कदम नहीं उठाती। मैं पूरी तरह से मदहोश होकर उस बुड्डे का साथ दे रही थी और अपने मूँह से लगातार कामुक आवाजें और सिसकियाँ निकाल रही थी।
उमममममम
आहहहहहहह
आहहहहहहह
उँहहहहह
उमममममम
कुछ देर बाद वो बुड्डा भी मेरे अंदर ही ठण्डा हो गया। फिर वो भी उतर कर बाकी दोनों के पास जाकर बैठ गया। जवकि मैं वहीं बिस्तर पर लेटी आपनी सांसों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी। जब मैं कुछ नार्मल हुई तो पहला बाला बुड्डा एक बार फिर से मेरे पास आकर बैठ गया और मुझे शराब से भरा गिलास देते हुए बोला
बुड्डा- लो पी लो... थकान उतर जाऐगी।
मैंने चुप चाप उससे बो गिलास ले लिया और शिप करने लगी। कुछ देर वाद बो बोला
बुड्डा- हाय मेरी जान आज तो मजा ही आ गया तेरे साथ। तू बडी कमाल की चीज है। और तेरी गाँड तो एक दम मस्त है। अब हमारा मन तेरी गाँड मारने का कर रहा है।
उस बुड्डे की बात सुनकर मैं बुरी तरह से चौंक गई। मैंने आज तक अपनी गाँड नहीं मरवाई थी। हाँलाकि मेरी कई फ्रेंडस ने मुझे अपनी अपनी गाँड मरवाने के एक्सपीरियंस के बारे में जरूर बताया था। जिस कारण मुझे गाँड मरनाने से डर लगता था। मेरी किस्मत अच्छी थी कि मेरे पति ने कभी मुझसे गाँड मरवाने के लिए नहीं कहा था और ना ही कभी कोशिश की थी। इसलिए उस बुड्डे की बात सुनकर मैं बुरी तरह से डर गई और एक दम से बोली
निशा- नहीं नहीं मैं गाँड नहीं मरवाती
बुड्डा - कुछ अलग से ले लेना मेरी जान... पर अपनी गाँड मारने दो
निशा- अरे सेठ क्यों फालतू में टाईम खोटी कर रहे हो। मैंने कहा ना कि मैं गाँड नहीं मरवाती... अब तक कुंवारी है मेरी गाँड
मेरी बात सुनकर वो थोडा बुड्डा और भी ज्यादा खुश होते हुए बोला
बुड्डा- अरे छमिया अब तू जिस धंधे में है उसमें कभी ना कभी तो तुझे अपनी गाँड का उद्घाटन करवाना ही पडेगा। चाहे मर्जी से या विना मर्जी के, पर आज नहीं तो कल तेरी गाँड मरेगी तो जरूर। इतनी मस्त गाँड है तेरी, पता नहीं अब तक बिना मरे कैसे रह गई। मेरी बात मान तो अपनी गांड का उद्घाटन आज हमसे ही करवा ले। हमें गाँड मारने का अच्छा खासा एक्सपीरियंश है। अगर किसी अनाढी से मरबाऐगी तो फट जाऐगी तेरी। ऊपर से तेरी मूँह माँगी कीमत भी दूँगा। बोल क्या कहती है।
मुझे उस बुड्डे की बात सही लगी, इसलिए मैं बोली
निशा- ठीक है सेठ… लेकिन 30 हजार की जगह पूरे 50 हजार देने पडेंगे
मेरी बात सुनकर उस बुड्डे ने कुछ सोचा और फिर मुस्कुराकर बोला
बुड्डा- चल ठीक है। तो फिर बन जा कुतिया आज तेरी गाँड का उद्घाटन मैं कर ही देता हूँ। थोडा दर्द होगा पर फिर वहुत मजा आऐगा।
मैंने उस बुड्डा की बात का कोई जबाब नहीं दिया और डरते डरते पलंग पर ही कुतिया बन गई। जिस कारण मेरी बडी बडी दोनों गाँड अलग हो गईं और मेरे गाँड का छेद साफ साफ दिखाई देने लगा। जो गाँड मरने के डर से अंदर बाहर हो रहा था। मेरे कुतिया बनते ही उस बुड्डे ने मेरी गाँड पर अपनी नाक रखी और सूँघने लगा। कुछ देर सूँघने के बाद उसने मेरी गांड को चाटना शुरू कर दिया। मुझे ये बहुत अजीब लग रहा था और शर्म भी आ रही थी। पर उसकी गर्म गर्म जीभ अपनी गाँड पर महसूस कर मुझे एक अलग ही मजा भी आ रहा था।
मेरी गाँड अब भी लगातार अंदर बाहर हो रही थी। जिस पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं था। कुछ देर मेरी गाँड को चाटने के बाद बो बुड्डा उठ कर कमरे से बाहर निकल गया और थोडी देर बाद एक प्लास्टिक की छोटी सी बोतल लेकर आया। जिसका ऊपरी हिस्सा बहुत पतला और करीब 3-4 इंच लम्बा था। कुछ कुछ बैसा जैसा अक्सर लोग मशीनों में तेल डालने के लिए यूज करते हैं। फिर वो बुड्डा मेरे पास आकर बैठ गया और अपनी उंगली पर थोडा सा तेल लेकर मेरी गाँड के छेद पर मलने लगा।
थोडी देर मलने के बाद उसने फिर से थोडा तेल लिया और अपनी उंगली पर अच्छे से लगाकर वो उंगली धीरे धीरे मेरी गांड के अंदर घुसाने लगा। जिस कारण मुझे अपनी गाँड में थोडा दर्द महसूस होने लगा, पर मैंने वो दर्द बरदास्त कर लिया। जब उसकी उंगली करीब एक इंच मेरी गाँड के अंदर चली गई तो वो बुड्डा अहिस्ता से उंगली को चारों तरफ घुमाने लगा। थोडी देर बाद उसने उंगली को बाहर निकाला और फिर से तेल लगाकर मेरी गाँड के अंदर डाल दी। इस बार उँगली आराम से मेरी गाँड के अंदर चली गई थी और मुझे दर्द भी नहीं हुआ था।
जिसके बाद उस बुड्डे ने अपनी उंगली मेरी गाँड के थोडा और अन्दर तक घुसा दी और फिर से गांड के चारों तरफ घुमाने लगा। ऐसा उसने तब तक किया जब तक की उसकी पूरी उंगली मेरी गाँड के अंदर नहीं चली गई। जब उसकी पूरी उंगली आसानी से मेरी गाँड के अंदर बाहर होने लगी तो उसने एक साथ दो उंगलियाँ मेरी गाँड में घूसा दीं। इस बार फिर से मुझे तेज दर्द हुआ, लेकिन इस बार मैं दर्द सहन नहीं कर पाई और चीख पडी।
निशा- उउउईईईईई माँ
पर उस बुड्डे को मेरे चीखने से कोई फर्क नहीं पडा। जब उसकी दोनों उंगलियाँ आसानी से अंदर बाहर होने लगीं तो फिर उसने दोनों उंगलियों को बाहर निकाल लिया। अब तक मेरी गाँड का छेद भी थोडा खुल चुका था, इसलिए उसने तेल की बोतल का ऊपरी हिस्सा जो पतला और लम्बा था मेरी गाँड के छेद में घुसा दिया। इससे पहले मैं कुछ समझ पाती उसने तेल की बोतल को दवा दिया। जिससे तेल की एक तेज धार मेरी गाँड के अंदर तक चली गई।
उसके बाद उसने बोतल को मेरी गांड के पास से हटाया और मेरी गाँड पर अपना हाथ रख कर उसे तेजी से रगडने लगा। जिस कारण तेल अच्छी तरह से मेरी गाँड के अंदर लग गया। फिर उस बुड्डे ने थोडा सा तेल अपने लण्ड पर भी लगा लगा लिया था। इसके बाद जैसे ही उसने अपना लण्ड मेरी गाँड के छेद से सटाया तो डर के कारण मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी सनसनाहट दौड गई। जिस कारण मैंने तुरंत अपनी आँखें बंद कर लीं आने बाले पल का इंतजार करने लगी।
उस बुड्डे ने मेरी कमर को मजबूती से पकडा और अपने लण्ड का दबाब मेरी गाँड पर लगाना शुरू कर दिया। बुड्डे ने मेरी गाँड का छेद पहले ही लूज कर दिया था, ऊपर से अच्छा खासा तेल भी मेरी गाँड पर और अपने लण्ड पर भी लगा लिया था। जिस कारण धीरे धीरे उसका लण्ड मेरी गाँड के अन्दर जाने लगा और मुझे भी दर्द का एहसास होने लगा। जैसे जैसे उसका लण्ड मेरी गाँड के अन्दर जा रहा था, मेरा दर्द बडता ही जा रहा था। जब उसके लण्ड को टोपा पूरा मेरी गाँड में चला गया तो बो कूछ देर रुक गया।
अभी मैंने राहत की एक गहरी सांस ली ही थी कि तभी उस बुड्डे ने मेरी कमर को एक बार फिर से और भी ज्यादा मजबूती से पकड कर एक जोरदार धक्का दिया। जिस कारण उसका लण्ड करीब 2 इंच तक मेरी गाँड के अंदर समा गया। इस अचानक हुए हमले से मेरी गाँड में दर्द की एक तेज लहर दौड गई और ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से चीख निकल गई और मैं पीछे मुडकर लगभग रोते हुए बोली
निशा- आआआआआहहहहहहहह.... माँ....... मर गईईईईईई अबे बुड्डे जरा आराम से... क्या मेरी गाँड ही फाड देगा....
मेरी बात का उस बुड्डे पर तो कोई असर नहीं हुआ, लेकिन बाकी के दोनों बुड्डे जोर जोर से हंसने लगे। फिर उस बुड्डे ने अपना लण्ड थोडा बाहर निकाला और दोबारा से एक जोरदार धक्का दिया। जिस कारण उसका लण्ड मेरी गाँड में और भी ज्यादा अन्दर तक चला गया और एक बार फिर से मेरी चीख निकल गई। दर्द के कारण मेरी आँखों से आँशू निकल आऐ थे। इसलिए मैं लगभग गिडगिडाते हुए बोली
निशा- आआआआआहहहहहहहह.... माँ....... मर गईईईईईई इस बुड्डे ने मेरी गाँड फाड दी। अबे बुड्डे निकाल….. मैं बोलती हूँ निकाल अपना लण्ड मेरी गाँड में से…. मुझे नहीं मरवानी अपनी गाँड। उउउईईईईई माँ मार डाला.... हाय फाड दी मेरी गाँड.... प्लीज निकला लो... बहुत दर्द हो रहा है.... मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ... मुझे जाने दो... चाहो तो पैसे भी मत देना पर प्लीज निकालो अपना
मेरे रोने गिडगिडाने का उस बुड्डे पर कोई असर नहीं हुआ, उल्टा उसका जोश बड़ा गया था। जिस कारण वो एक के बाद एक जोरदार धक्के तब तक मारता रहा जब तक कि उसका पूरा लण्ड मेरी गाँड में नहीं चला गाय। वो जब जब धक्के मारता तब तब दर्द के कारण मेरी चीख निकल रही थी। दर्द की बजह से मेरा बुरा हाल हो गया था और मेरी आँखों से लगातार आँशू निकल रहे थे। जब उसका पूरा लण्ड मेरी गाँड में चला गया तो वो कुछ देर रुका और मेरी गाँड सहलाते हुए बोला
बुड्डा- बस मेरी जान हो गया। जितना दर्द होना था हो गया, अब तुम्हारी गाँड पूरी तरह से खुल गई है। इसलिए आज के बाद गाँड मरवाने में तुम्हें बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा बल्की मजा आऐगा।
इतना बोलकर वो फिर से मेरी गाड को सहलाने लगा। कुझ देर बाद मेरा दर्द थोडा कम हुआ ही था कि तभी वो बुड्डा धीरे धीरे अपनी कमर हिलाने लगा। जिस कारण मुझे फिर से दर्द होने लगा। लेकिन अब वो दर्द मेरी बर्दास्त करने की क्षमता में था। इसलिए मैं अपनी आंखे बंद कर चुपचाप कुतिया बनके खडी रही और उस बुड्डे को अपनी मनमानी करने की पूरी छूट दे दी। धीरे धीरे मुझे इस दर्द में मजा आने लगा तो मैं भी बुड्डे के साथ साथ अपनी गाँड हिलाने लगी।
जिसे देखकर वो बुड्डा समझ गया कि अब मुझे भी मजा आने लगा है, इसलिए उसने भी अपनी स्पीड बड़ा दी। फिर उसने एक हाथ से मेरी कमर को थामा और दूसरे हाथ से मेरी गाँड पर थप्पड मारने लगा। जिस कारण मेरे पूरे शरीर सनसनाहट दौडने लगी। मैं चुपचाप अपनी आँखें बंद किए हुए आहें भऱ रही थी और बुड्डे को अपनी मनमानी करने दे रही थी। अब मुझे गाँड मरवाने में भी बहुत मजा आ रहा था। मैं तो भूल ही गई कि कुछ देर पहले मैं दर्द के कारण किस तरह चीख चिल्ला रही थी।
उस बुड्डे ने करीब 40 मिनट तक मेरी गाँड की धज्जियाँ उडाईँ और उसके बाद अपना पानी मेरी गाँड में छोडकर झर गया।
Update 004 -
पहला बुड्डा मुझसे अलग होकर बाथरूम में अपने लण्ड को साफ करने चला गया। उसके जाते ही दूसरे बुड्डे ने भी मेरी गाँड में अपना लण्ड घुसाकर मेरी गाँड मारनी शुरू कर दी थी। हाँलाकि दूसरे बुड्डे से गाँड मरवाने में मुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं हो रहा था। क्योंकि पहले बुड्डे से गाँड मरवाकर मेरी गाँड काफी लूज हो गई थी। इसलिए अब मुझे दूसरे बुड्डे से गाँड मरवाने में दर्द की जगह मजा आ रहा था।
उस दूसरे बुड्डे ने भी काफी देर तक धूँआधार तरीके से मेरी गाँड की धज्जियाँ उडाईं। वो बीच बीच में मेरी गाँड पर थप्पड भी मार रहा था। जिस कारण मेरे पूरे बदन में सनसनाहट दौड रही थी। उस दूसरे बुड्डे की स्पीड काफी तेज थी और वो बीच बीच में मुझे गंदी गंदी गालियाँ भी दे रहा था।
बुड्डा- साली बहन चोद राण्ड ले मेरा लण्ड अपनी गाँड में ले ले… उम्महहहह मजा ही आ गया…. माँ कसम क्या माल है तू….. साली मादरजात एक दम मक्खन जैसा बदन है तेरा… आज मैं तेरी गाँड का ऐसा तबला बजाऊँगा की तू सारी जिंदगी याद रखेगी… हरामजादी छिनाल ले…. और ले मेरा लण्ड…. फाड दूँगा आज ते मैं तेरी….
वहीँ दूसरी तरफ मैं भी अब मस्ती के मूढ में आ गई थी और अपनी गाँड मरवाते वक्त अपने मूँह से कामुक आवाजें निकालकर उसे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी
निशा- उम्मममम….. आआहहहह सेठ मार डाला रे….. हय दईया कितना बडा है आपका… आपने तो आज सच में मेरी गाँड फाड डाली….. आआहहहहह माँ…… ओओहहहहह सेठ प्लीज थोडा धीरे करो….. आआआहहहह मारो मत सेठ दर्द हो रहा है…… आआआहहहहह ऊम्म्म ऐसे ही सेठ आराम आराम से मार लो….. उउउईईईई माँ…..
मेरी मूंह से निलकी उत्तेजीक बातों को सुनकर वो बुड्डा बिना रुके पूरे जोश में मेरी गाँड मारता रहा और आखिरकार अपना सारा पानी मेरी गाँड में छोडकर मुझसे अलग हो गया। दूसरे बुड्डे के अलग होते ही तीसरे ने भी एक बार फिर से मेरी गाँड का तबला बजाना शुरू कर दिया था। मैं पूरी तरह से थक कर निढाल हो गई थी। पर अभी भी मेरी गाँड में तीसरे बुड्डे का लण्ड अंदर बाहर हो रहा था। मुझे पूरी जिंदगी सेक्स में इतना ज्यादा मजा कभी नहीं आया था। पर अब मैं और ज्यादा चुदने या गाँड मरवाने की हालत में नहीं थी। पर मजबूरी में उस तीसरे बुड्डे का साथ दे रही थी।
उस तीसरे बुड्डे का स्टैमिना काभी ज्याद था, इसलिए वो काफी देर तक मेरी गाँड मारता रहा। लेकिन जैसे ही उसने मेरी गाँड में अपना पानी छोडा और मुझसे अलग हुआ तो मैंने मन ही मन एक राहत की सांस ली। मुझसे अलग होकर वो तीसरा बुड्डा भी अपने लण्ड को साफ करने के लिए बाथरूम में घुस गया। जबकि मैं वहीं बिस्तर पर निढाल होकर गिर पडी और लम्बी लम्बी सांसे लेकर अपने आप को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगी।
मुझे उस वक्त समय का कुछ भी अंदाजा नहीं था। बस इतना याद था कि जब से मैं यहाँ आई हूँ, तब से मेरी गाँड और चूत में किसी ना किसी का लण्ड घुसा हुआ है। करीब 20-25 मिनट तक रेस्ट करने के बाद मैं थोडा रिलेक्स हुई। मैं अभी वहाँ से जाने के बारे में सोच ही रही थी कि तभी वो तीनों बुड्डे एक साथ मेरे पास आ गए। पता नहीं क्यों पर मुझे उनके इरादे बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहे थे।
हांलाकि मुझे पूरा यकीन था कि अब ये तीनों कुछ नहीं कर पाऐंगे। क्योंकि इनकी उम्र के हिसाब से उनके अंदर और ज्यादा स्टेमिना नहीं होगा, पर मैं गलत थी। उनमें से एक बुड्डा बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और मेरे कुछ समझने से पहले ही उसने मुझे खींचकर उपने लण्ड पर बिठा लिया मैं अभी उस दर्द को बर्दास्त करने की कोशिश कर ही रही थी कि तभी दूसरे बुड्डे ने पीछे से मेरी गाँड में अपना लण्ड घुसा दिया जिस कारण मेरी चीख निकल गई।
निशा- आआआआहहहहहहह ये ये क्या कर रहे हो…. क्या मार ही डालोगे.... प्लीज एक साथ मत करो उउउमममम
इससे पहले मैं कुछ और कह पाती तीसरा बुड्डा जिसने कुछ देर पहले ही मेरी गाँड मारी थी। उसने अपना लण्ड मेरे मूँह में घुसा दिया। जिस कारण मेरी आवाज अंदर ही दव कर रह गई। अब स्थिती ये थी कि मेरे तीनों छेदों में लण्ड थे। अब एक बार फिर मेरी चुदाई शूरू हो गई थी। हालाँकि अब मुझे चुदने में और अपनी गाँड मरवाने में बिल्कुल मजा नहीं आ रहा था। क्योंकि कई बार चुदने और गांड मरवाने के कारण मेरी चूत और गाँड सूज गई थी। जिस कारण अब मुझे चुदने और गाँड मरवाने में फिर से से दर्द हो रहा था। पर फिर भी मैं उस दर्द को बरदास्त करते हुए तीसरे बुड्डे का लण्ड पूरा मन लगाकर चूस रही रही।
हाँलाकि अब मेरी एक और फेंटसी भी पूरी हो गई थी। जो डी.पी. यानि डबल पेनेट्रेशन की थी, लेकिन इसे शायद डी.पी. कहना ठीक नहीं होगा, क्योंकि यह तो टी.पी. यानि ट्रपल पेनेट्रेशन था। तीनों बुड्डे लगातार मेरी तीनों छेदों के मजे ले रहे थे। थोडी थोडी देर बाद वो तीनों बुड्डे अपनी अपनी पोजीशन चेंज कर रहे थे। करीब 30-35 मिनट बाद जिस बुड्डे का लण्ड मेरे मूँह में था। उसने अचानक से मेरे सर के पीछे अपने दोनों हाथ लगाऐ और पूरी ताकत से अपना लण़्ड जड तक मेरे मूंह में घुसा दिया जो मेरे गले तक जा पहुँचा था। इससे पहले मैं कुछ समझ पाती मुझे अपने गले में उस बुड्डे के गर्म गर्म बीर्य की धार गिरती महसूस हुई।
मेरी चूत और गाँड में तो वो तीनों बुड्डे पहले से ही अपना अपना पानी छोड चुके थे। पर इस बार उस बुड्डे ने मेरे मूँह के अंदर भी अपना पानी छोड दिया था। ये पहली बार था जब मैंने किसी का पानी अपने मूँह के अंदर लिया था। जिस कारण मुझे बहुत घिन आ रही थी, इसलिए मैं उबकाई लेने लगी। पर मेरे मूँह में अब भी उसका लण्ड घुसा हुआ था। जिस कारण मजबूरी में मैं उसका सारा वीर्य निगल गई।
थोडी देर बाद जब उसने मुझे छोडा तो मैं जोर जोर से खाँसने लगी। मेरी हालत पर बो तीनों बुड्डे बुरी तरह हंस रहे थे। उस बुड्डे के बीर्य का टेस्ट कुछ अजीब सा था। ऐसा लग रहा था जैसे मक्खन में नमक मिला कर मुझे खिला दिया हो। शायद मैंने पहली बार वीर्य टेस्ट किया था। इसलिए मुझे उसका स्वाद ऐसा लग रहा था। पर अब जब मैं उस बुड्डे का सारा बीर्य निगल गई थी तो गुस्सा करने या नखरे दिखाने का कोई मतलब नहीं रह गया था।
बैसे भी मैं यहाँ अपनी सेक्स फैंटसी को पूरा करके एक अलग तरह का एक्सपीरियंस लेने और मजे करने के लिए आई थी। इसलिए थोडा नॉर्मल होते ही मैंने दोवारा से उस बुड्डे का लण्ड अपने मूँह में लिया और उसे चाटकर साफ करने लगी। क्योंकि उसके लण्ड पर अब भी थोडा बहुत वीर्य लगा हुआ था। दूसरी बार वीर्य टेस्ट करने में मुझे उतना बुरा नहीं लगा। जितना पहली बार लग रहा था।
शायद इसका कारण यह था कि पहली बार मैंने इस बारे सोचा ही नहीं था और उस बुड्डे ने जबरदस्ती अपना सारा वीर्य मेरे मूँह में छोड दिया था। खैर जो भी हो पर मैंने एक रण्डी का फर्ज निभाते हुए उसका लण्ड चाटकर अच्छी तरह साफ कर दिया था। उस बुड्डे के अलग होते ही जो बुड्डा मेरी गाँड मार रहा था वो मेरे मूँह के सामने आकर खडा हो गया। उसे देखकर मैं समझ गई की वो भी मेरे मूंह के अंदर ही अपना पानी छोडना चाहता है। इसलिए मैंने बिना नखरे दिखाऐ चुपचाप उसका लण्ड भी अपने मूँह में ले दिया और उसे चूसने लगी।
करीब 1-2 मिनट में ही उस बुड्डे ने अपना पानी मेरे मूंह में छोड दिया था। इस सब में सबसे अच्छी बात यह रही कि उस बुड्डे ने पहले बाले की तरह मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की थी। जिस कारण मैंने पूरे मन से उसका लण्ड चाटकर साफ कर दिया और उसका सारा पानी भी मै निगल गई। अब मुझे वीर्य का टेस्ट थोडा थोडा अच्छा लगने लगा था। इसलिए दूसरे बुड्डे के अलग होते ही मैंने तीसरे बुड्डे का लण्ड खुद ही चूसकर उसका भी पानी निकाल दिया और सारा पानी निगलने के बाद लण्ड भी अच्छी तरह से चाटकर साफ कर दिया था।
अब तक मैं बहुत ज्यादा थक गई थी और मेरी हालत भी काफी खराब हो गई थी। इसलिए मैं एक बार फिर से निढाल होकर विस्तर पर गिर गई। कुछ देर रेस्ट करने के बाद जब मैं कुछ नॉर्मल हुई तो फ्रैस होने के लिए बाथरूम घुस गई। फ्रैस होने के बाद मैंने अपने आपको अच्छे से साफ किया और नाहकर बाहर आ गई और अपने कपडे पहन कर तैयार हो गई। तब तक बो तीनों बुड्डे भी अपने अपने कपडे पहन चुके थे। मेरे तैयार होते ही एक बुड्डे ने 500 के नोटों की एक गड्डी मुझे दे दी। जिसे मैंने बिना गिने चुप चाप अपने मिनी बैग में रख लिया। उसके बाद उनमें से एक बुड्डा ने मुझे अपनी कार में रेलवे स्टेशन के पास ड्राप कर दिया और वहाँ से जाने से पहले बोला
बुड्डा- अपना मोबाईल नम्बर दे दो, अगली बार हम जब पार्टी करेंगे तो तुझे ही बुलाऐंगे।
हालाँकि मेरे हैण्ड बैग में मेरा मोबाईल फोन रखा हुआ था, जो मैंने पहले सी साईलेंट मोड पर किया हुआ था। पर वो मेरा पर्सनल नम्बर था। जिसे मैं उसे नहीं देना चाहती थी। इसलिए मैं बोली
निशा- सॉरी सेठ मेरे पास फिलहाल कोई मोबाईल नहीं है। क्योंकि दो दिन पहले ही वो चोरी हो गया है। बैसे भी मैं यहाँ नई हूँ और किसी को जनती भी नहीं हूँ और ना ही इस वक्त मेरे पास कोई आई.डी. कार्ड है। जिस कारण मैं ना तो नया मोबाईल खरीद सकती हूँ और ना ही नया सिमकार्ड मिल रहा है।
मेरी बात सुनकर उस बुड्डे ने अपनी जेब से एक विजिनेश कार्ड निकाल कर मुझे देते हुए कहा।
बुड्डा- इस शोरूम पर जाकर बोल देना की शैलेन्द्र यादव ने भेजा है। वो समझ जाऐगा। वहाँ जो भी स्मार्ट फोन तुम्हें पसंद आये लो ले लेना। साथ मैं एक नया एक्टिव सिम कार्ड भी तुम्हें मिल जाऐगा, वो भी बिना किसी आई.डी. के, और हाँ पैसे देने की भी कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि वो मेरा ही शोरूम है। वहाँ से तुम्हें मेरा पर्सनल नम्बर भी मिल जाऐगा, जिसपर मुझे कॉल करके तुम अपना नया नम्बर मुझे दे देना।
उस बुड्डे की बात सुनकर मैं बुरी तरह से हैरान थी। क्योंकि उसने मेरी मूँह माँगी कीमत पहले ही मुझे दे दी थी। ऊपर से वो बिना किसी जान पहचान के और बिना पैसों के मुझे नया स्मार्ट फोन और सिमकार्ड भी दे रहा था। जिस कारण मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- पर सेठ...
मेरी बात पूरी होने से पहले ही बो बोला
बुड्डा- कोई पर बर नहीं मेरी जान... हम कल रात में ही समझ गए थे कि तुम कोई आम रण्डी नहीं हो। शायद किसी मजबूरी के कारण इस घंधे में आई हो। मुझे तो यह भी पता है कि तुम्हारे बैग में इस वक्त एक मोबाईल फोन रखा हुआ है। पर शायद वो तुम्हारा पर्सनल नम्बर है, जो तुम हमें नहीं देना चाहती। होता है इस धंधे में अक्सर ऐसा ही होता है। कई लडकियाँ अपनी असली पहचान छिपाकर ये काम करती हैं, हाँलाकि इससे हमें कोई प्रब्लम नहीं है। हमें तो बस मजे लेने थे, जो तुमने हमें भऱपूर दिये। जिस कारण तुमसे खुश होकर और आगे भी मैं तुम्हारे भरपूर मजे ले सकूँ इसलिए एक नया फोन तुम्हें दे रहा हूँ।
मैं उस बुड्डे की बात सुनकर मैं बुरी तरह से हैरान थी और शर्मिंदा होकर अपना सिर झुकाकर चुपचाप खडी रही। जब मैंने उस बुड्डे की बात का कोई जबाब नहीं दिया तो वो एक बार फिर बोला
बुड्डा- मैं तुम्हारा असली नाम पता तो नहीं पूछूंगा पर इस धंधे में आने के बाद तुमने अपना कोई नया नाम तो रखा ही होगा। कम कम से कम वही बता दो
इसबार मैं हिम्मत करके बोली
निशा- वो वो वो असल में मैंने इस बारे में अब तक कुछ सोचा ही नहीं है... क्योंकि इस धंधे में कल मेरा पहला ही दिन था।
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा हंसते हुए बोला
बुड्डा- तो कोई बात नहीं… तुम बाद में सोच कर मुझे अपना नया नाम बात देना... या कहो तो मैं अभी तुम्हारी कुछ हेल्प कर दूँ।
उस बुड्डे की बात सुनकर आखिरकार मैंने कहा
निशा- आप ही बता दो... आज से मैं अपना वही नाम रख लूँगी
उस बुड्डे ने कुछ देर सोचा और फिर बोला
बुड्डा- उम्म्मम्म्म सपना….. सपना कैसा रहेगा
भला मुझे इससे क्या प्रब्लम होनी थी। नाम तो नाम है कुछ भी रख लो... बैसे भी मेरा आगे से इस काम को करने का कोई इरादा नहीं था और ना ही मेरा उस शोरूम पर जाकर नया मोबाईल और सिमकार्ड लेने का कोई इरादा था। फिलहाल तो मैं बहुत ज्यादा थकी हुई थी और मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था। खासकर मेरी चूत और गाँड जिस कारण मैं बस होटल जाकर सोना चाहती थी। बाकी कोई भी बात मेरे दिमाग के अंदर नहीं जा ही नहीं रही थी। इसलिए मैंने उसे टालते हुए कहा
निशा- ठीक है सेठ जी जैसा आप कहें… बैसे मेरा नया नाम सपना रखने के पीछे कोई खास बजह है क्या।
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा हंसते हुए बोला
बुड्डा- नहीं नहीं ऐसी कोई खास बात नहीं है। असल में मेरी कॉलेज क्रस का नाम भी सपना ही था। इससे पहले हमारी कहानी आगे बड पाती उसके घरबालों ने उसकी शादी कर दी। उसके बाद से आज तक हमारी कोई मुलाकात नहीं हुई है। बैसे भी तु्म्हारा चेहरा और फिगर उससे काफी मिलता जुलता है। बस इसी लिए तुम्हें देखकर मुझे उसकी याद आ गई। अब उसके साथ तो मैं कुछ भी नहीं कर पाया था। लेकिन तुमने मुझे भरपूर मजे दिए हैं। इसलिए मैंने तुम्हें उसका नाम दे दिया।
उस बुड्डे की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- तो इसका मतलबा है कि आखिरकार आपने सपना को चोदकर पूरे मजे ले ही लिए और साथ साथ अपने दोस्तों को भी भरपूर मजे दिलाऐ
मेरी बात सुनकर उस बुड्डे ने अचानक से मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बेसर्मी से मेरे बूब्स को सहलाते हुए बोला
बुड्डा- हाँ ऐ बात तो सही है मेरी जान…. उस सपना को ना सही… लेकिन इस सपना को चोदकर और गाँड मारकर मैंने भरपूर मजे लिए हैं, आगे भी मैं तुम्हें जी भरकर अलग अलग पोजीशन में चोदना चाहता हूँ। इसलिए आज ही तुम शोरूम जाकर नया फोन ले लेना। ताकि मैं एक बार फिर तुम्हारे मजे लेने के लिए तुम्हें बुला सकूँ।
उस बुड्डे का मन रखने के लिए मैंने मुस्कुराते हुए कहा
निशा- ठीक है.. मैं शोरूम से नया फोन लेकर आपको अपना नया नम्बर दे दूँगी। ताकि आप एक बार फिर मेरे मजे ले सकें।
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराते हुए बोला
बुड्डा- तो फिर ठीक है सपना डार्लिंग…. मिलते है फिर किसी दिन
इतना बोलकर वो बुड्डा अपनी कार में बैठकर वहाँ से चला गया। सुबह हो चुकी थी और चारों तरफ रोशनी भी फैलनी शूरू हो गई थी। इसलिए उस बुड्डे के जाने के बाद मैंने अपने बैग में से मोबाइल फोन निकाल कर समय देखा तो सुबह के 6 बज रहे थे। इसलिए मैंने अपना मोबाईल वापिस अपने बैग में रखा और फिर धीरे धीरे चलते हुए अपने होटल की तरफ जाने लगी।